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अब तक की सेक्स कहानी में आपने पढ़ा कि मैंने अपनी चुत की खुजली मिटाने के लिए अपने ड्राईवर को चुना और उससे हम मां बेटी ने काफी समय तक अपनी चूत की सेवा करवाई. उसके बाद मेरी सौतेली मां का सगा बेटा किसी लड़की के साथ शादी करके कनाडा चला गया अपनी माँ को छोड़ कर! अब आगे..
एक दिन उसने मुझसे कहा- मैंने तुम्हारे पापा से बदला लेने के लिए तुम्हें ज़रिया बनाया था क्योंकि मुझे लगने लगा था कि तुम्हारे पापा मेरे बेटे को नहीं पसंद करते. मगर समय की कसौटी ने मुझे बताया कि तुम्हारे पापा उससे ना सिर्फ प्यार ही करते थे, बल्कि उसका भविष्य भी सुधारना चाहते थे, जो मैं समझ नहीं पाई.
तब मैंने बिंदु से कहा था- अब क्या फ़ायदा कुछ भी सोचने का. मैं तो जो बनना था, बन चुकी. अब तुमने मुझ पर लंड का नशा चढ़वा दिया है और इसके बिना रहना भी बहुत मुश्किल है. अब छोड़ो इन बातों को. तुम्हें अपने किए हुए काम, जो बदले की भावना से थे, उनका फल मिल गया है, क्योंकि तुम्हारा लड़का तुम्हें पूरी तरह से छोड़ छाड़ कर अब कनाडा जाकर बस गया है.
यह सुनकर बिंदु की आँखों में बस अब आंसुओं के सिवा कुछ नहीं था. वो मुझसे बोल रही थी- नेहा तुम तो अब मुझे अपनी माँ कहा करो, मैं सच में तुमको अपनी बेटी मानूँगी. इस पर मैंने उससे कहा- ठीक है, मगर जब मेरी शादी होगी, उसके बाद तुम्हें अपनी माँ कहूँगी… मगर अभी तो तुम मेरी चुदाई की पार्ट्नर ही बन कर रहो और जब तक तुम्हारी चुत लंड मांगती है, जो पापा से कई बार नहीं मिलता, उसमें ही ध्यान लगाओ. जिससे हम दोनों की चूतों की ज़रूरत पूरी होती रहे.
इस पर उसने कहा- ठीक है, पर मुझसे वायदा करो कि जब शादी होगी, तब यह सब काम छोड़ कर मुझे अपनी रियल मदर ही मानोगी. तब कोई इस तरह का काम ना करोगी और ना सोचोगी. मैं भी पूरा वादा करती हूँ कि जब तुम्हारी शादी हो जाएगी, तब से मैं किसी दूसरे आदमी से चुदने की बात नहीं सोचूँगी. तुम्हारे पापा का लंड जब तक और जब भी चोदेगा बस उसी से चुदवाऊंगी. मैंने उससे कहा- ठीक है, मैं भी वायदा करती हूँ. लेकिन अभी पहले की तरह से ही हम लोग फ्रेंड हैं और चुदाई के पार्ट्नर्स भी हैं. बिंदु ने भी कहा- हां ठीक है. दोस्तो, आप लोग, जो चुदाई के माहिर हैं उन्हें पता होगा कि हमारे जैसी लड़कियां, जो असल में पूरी रंडियां होती हैं. उनको नए लंड की चाहत रहती है और वो अपना शिकार ढूँढती रहती हैं. जैसे ही उन्हें कोई लंड मिलता है, तो बिल्ली की तरह उस पर चूहे की तरह झपटती हैं.
अब रतन से मेरा और बिंदु का भी दिन भर चुका था, अब हमारी चूतें कोई नया लंड लेना चाहती थीं. अभी मेरा कॉलेज का फाइनल ईयर था, जिस वजह से उधर एक पार्टी होनी थी. वहाँ पार्टी में मेरा एक नौज़वान लड़के पर दिल आ गया. उससे ऐसा दिल लगा मेरा कि अब मुझे रात को वो ही नज़र आता था.
वो यहाँ पर किसी के घर पर पेइंग गेस्ट बन कर रहता था. उसका नाम डेविड था और वो हर रविवार को चर्च जाता था. मैंने उसे फंसाने के लिए एक तरकीब निकाली.
मैं अगले ही रविवार को चर्च के पास चली गई और वहाँ सामने बने एक होटल में बैठ कर उसका इंतज़ार करने लगी. वो जैसे ही चर्च से बाहर निकला, मैं ऐसे उसके पास चली गई, जैसे यह कोई इत्तेफाक हो. मैंने उससे पूछा- तुम यहाँ कैसे? उसने जवाब दिया- मैं तो हर रविवार को यहाँ आता हूँ. मैं अंजान बनती हुई बोली- ओह… चलो कहीं बैठ कर चाय पीते हैं अगर तुमको कोई काम ना हो तो! वो बोला- मुझे कोई काम नहीं है. आपके साथ बैठ कर चाय पीना मेरे लिए सौभाग्य होगा.
मैं यह सुन कर बहुत खुश हुई. उसे अपने साथ एक अच्छे से होटल में ले जाकर चाय के बहाने उससे उसकी फैमिली की डिटेल्स लेने लगी.
उसने बताया कि उसकी एक स्टेप मदर है और फादर ने अभी कुछ दिन पहले ही उससे शादी की है. चूँकि मैं उनके साथ रहना नहीं चाहता था, इसलिए पापा ने मुझे यहाँ पढ़ाई के लिए भेज दिया है. मैं भी वहाँ रह कर उनकी सेक्स लाइफ में बेकार ही उनकी राह का रोड़ा नहीं बनाना चाहता था. मैंने उससे कहा कि मेरी भी स्टेप मदर है मगर वो मेरी फ्रेंड की तरह से ही है और एक स्टेप ब्रदर भी है, जो आज कल बंगलोर में सर्विस कर रहा है.
मैंने उसे कोई अपनी सेक्सी बात नहीं बताई. मैंने कहा कि अगर वो उचित समझे तो संडे को हमारे घर भी आ सकता है और संडे का लंच और डिनर भी साथ कर लिया करे. उसने कहा- नहीं… यह ठीक नहीं होगा, क्योंकि कोई कुछ और ना समझ ले. मैंने उसका हाथ पकड़ कर कहा- तो तुम लोगों से डरते हो. मैं नहीं डरती और तुम्हें मेरे घर पर भी फैमिली मेंबर की तरह ही ट्रीट किया जाएगा. वैसे यह सब तुम्हारी अपनी मर्ज़ी पर है.
कुछ देर इधर उधर की बात करके मैं उससे अलग होने लगी. जाते हुए मैं बोली कि ओके फिर मिलते हैं, कहो तो मैं तुम्हें तुम्हारे घर तक छोड़ देती हूँ. उसने कहा नही रहने दीजिए, आपको उल्टा पड़ जाएगा. मैंने कहा- छोड़ो यार… तुम कौन सा मेरी गोद में चढ़ कर जाओगे… इसी गाड़ी में तो जाना है, फिर क्या प्राब्लम.
इस तरह मैं उसको उसके घर के पास छोड़ कर अपने घर आ गई. मैंने दाना डाल दिया था, अब देखना था कि पक्षी उसमें फँसता है या नहीं.
अभी घर पर पहुँचे कुछ ही देर हुई थी कि उसका फोन आया कि आपके साथ कैसे आज का दिन बीत गया, कुछ पता ही नहीं लगा. थैंक्स… आपने जो मुझको अपनी कंपनी दी. मैंने कहा- यार ऐसे मत बोलो… आख़िर अब हम लोग दोस्त हैं और दोस्ती में इस तरह से नहीं कहा जाता.
अगले दिन कॉलेज में वो जब भी खाली टाइम होता था… मेरे साथ ही रहने लगा था. इस तरह से वो मेरे पास आता गया. अब मेरी नज़र उस के लंड पर थी, उसकी नजर मेरी चुत पर थी या नहीं वो अभी मैं नहीं कह सकती. खैर शनिवार को मैंने उससे कहा कि क्या मैं लंच में तुम्हारा इंतज़ार करूँ. उसका जवाब था कि मैं झिझक रहा हूँ कि कहीं तुम्हारे घर पर कोई कुछ ना बोले.
मैंने कहा- एक बार आ कर तो देखो, फिर बोलना जो भी बोलना हो. इस तरह से मैंने उससे हां करवा ली. वो बोला कि मैं आज चर्च नहीं जाता, सीधा आपके घर पर ही आऊंगा. मैंने कहा- मैं गाड़ी भेज देती हूँ. मगर वो बोला- नहीं जी, मैं खुद ही आ जाऊंगा.
वो जब आया तो बिंदु को मैं पहले ही बता चुकी थी. बिंदु ने उसका बहुत गरम जोशी से स्वागत किया और बोली- तुम अपना घर ही समझ कर यहाँ आया करो. उसने कहा- थैंक्स आंटी.
उस दिन मैंने जानबूझ कर ढीले कपड़े पहने हुए थे, जिसमें से उसको मैं मम्मों की दूधिया घाटी और अपनी चड्डी की झलक भी दिखा सकूँ. मैं इस काम में बहुत अच्छी तरह से कामयाब भी भी रही.. जब वो मेरे खजाने को देख रहा था उसी वक्त मैं उसके लंड की तरफ भी तिरछी नज़र लगाए रही. उसका लंड पेंट में ही अपनी औकात दिखाने लगा था. मैंने मन में सोचा कि ये तो जल्दी ही काबू में आ जाएगा. इसलिए मैंने और कुछ नहीं किया बस सिर्फ उसको बार बार अपने मम्मों के दर्शन करवाती रही. तीन चार बार टांगें इस तरह से की कि उसको मेरी पूरी चड्डी नज़र आ जाए, जो बहुत छोटी सी थी, बहुत मुश्किल से चुत को ढक पा रही थी. इस तरह से मैंने उसको अपनी 75% चुत के भी दर्शन करवा दिए.
वो अपने लंड को डीला करने के लिए दो बार उठ कर बाथरूम में गया. मैं यह जानती थी कि ये मुठ मारने गया है, मगर मैंने उसको इस बात का कोई अहसास नहीं होने दिया.
रात को जब वो डिनर करके वापिस जाने लगा तो मैंने उसको बाहर तक छोड़ा और उसके इतना पास चिपकी सी रही कि अपने मम्मों की रगड़ भी उसको लगाती रही. जब वो अलग होने लगा तो मैंने उसको फ्लाइयिंग किस भी दे दी. अब तक मेरा 75% काम हो चुका था, बस उसकी तरफ से कोई हरकत की ज़रूरत थी. वो भी आख़िर अगले रविवार को मिल ही गया.
अगले रविवार को उसने कहा- आज तुम मेरी गेस्ट हो और मुझे होटल में मिलना, हम दोनों वहीं पर लंच करेंगे और डिनर फिर तुम्हारे घर पर करेंगे. मैंने कहा- ठीक है.
जब मैं होटल में पहुँची तो वो मेरा इंतज़ार कर रहा था. मैं जैसे ही उसके पास पहुँची तो जानबूझ कर उसके ऊपर इस तरह से गिर गई जैसे कि मैं फिसल गई हूँ. उसने भी मुझे इस तरह से पकड़ा कि मेरे दोनों मम्मे उसके हाथों में आ गए और वो उनको दबाने भी लग गया. मैं भी अपने मम्मों को दबवाने का मजा लेती रही. फिर वो एकदम से बोला- सॉरी. मैंने कहा- सॉरी किस लिए? आपने तो मुझे बचाया ही है.. वरना आज मेरी हड्डी भी टूट सकती थी.
उसने जवाब दिया- नहीं मेरा हाथ ग़लत जगह लग गया था.
मैंने मुस्कुरा कर कहा- नहीं जी बिल्कुल सही जगह लगा था. यह सुन कर वो मुझे अपने होंठों से मेरे होंठों को किस करने लगा, जो मैं चाहती ही थी. मैंने उससे कहा- चलो आज डिनर से पहले यही प्रोग्राम करेंगे. वो मेरी आँखों में आँखें डाल कर बोला- मतलब? मैंने कहा- मतलब कि किसिंग विसिंग.
अब मैं चाहती थी कि जल्दी से लंच खत्म हो और हम घर चले आएं ताकि आगे का काम शुरू हो जाए, जिसका मुझे बेसब्री से इंतज़ार था.
खैर आख़िर हम घर जब आए तो पापा कहीं बाहर गए हुए थे और बिंदु वहीं पर थी, वो हम दोनों को देखते ही बोली- आओ मेरे कमरे में चलते हैं, आज तेरे पापा बाहर हैं.
हम सब लोग बिंदु के कमरे में चले गए जिसमें दीवार पर कुछ सेक्सी पिक्चर भी टंगी हुई थीं, जिसमें लड़का और लड़की लंड को चुत में फँसा कर रखे हुए थे. इन तस्वीरों को देख कर डेविड गरम होने लगा था क्योंकि उसका लौड़ा पैन्ट से बाहर निकालने की कोशिश करने लगा था. बिंदु बोली- मैं तुम लोगों के लिए कुछ ठंडा पीने के लिए अरेंज करवाती हूँ तब तक तुम दोनों यहाँ पर बैठ कर डीवीडी पर पिक्चर देखो.
मुझे पता था कि डीवीडी में कोई हॉट ब्लू फिल्म लगी है.. इस वक्त मैं नहीं चाहती थी कि डेविड मेरे साथ ब्लू फिल्म देखे. इसलिए मैं भी यह बोल कर कि डेविड तुम फिल्म देखो, मैं चेंज करके आती हूँ.
मैं जानबूझ कर 20 मिनट बाद आई ताकि तब तक वो पिक्चर देख चुका हो. जब मैं वहाँ वापिस आई तो डीवीडी बंद हो चुका था और डेविड दीवार पर टंगी तस्वीरों को देख रहा था.
मुझे देखते ही वो अपना लंड सहलाते हुए बोला- तुम्हारी माँ बहुत ही मॉडर्न हैं और मुझे लगता है वो तुम्हारे पापा को पूरा मस्त करके रखती होंगी. मैंने भी झुक कर दूध दिखाते हुए कहा- हां, मैं तो उन्हें अपनी फ्रेंड ही मानती हूँ और वो बहुत खुले विचारों वाली हैं खास करके सेक्स के मामले में. मगर तुम बताओ दो, कहीं तुम्हारा तो दिल नहीं आ गया उन पर.. वरना वो तुमको बिना कुछ किए अपने कमरे से बाहर नहीं जाने देगी. वो इस पर कुछ नहीं बोला बस अपने होंठ दांतों से काटता रहा.
कहानी जारी रहेगी. [email protected]
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