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मैं सुनीता हूं और मेरी दोस्त मधु मेरी पक्की सहेली है. अक्सर हम दोनों साथ साथ ही रहती हैं. कभी मैं उसके घर तो कभी वो मेरे घर… बाजार जाती शौपिंग करने तो साथ साथ..
मधु का एक लवर यानि प्रेमी है राजकुमार… मैं हमेशा उन दो प्रेमियों को आपस में मिलने की मदद करती, अक्सर वे दोनों एक सूने पड़े घर में मिलते और आपस में प्यार करते थे. शाम को मैं मधु को उसके घर से बुला कर ले जाती और उस सूने मकान में मिलने में उन दोनों की मदद करती. वे दोनों अंदर बातें करते और मैं बाहर घूम घूम कर निगरानी करती रहती थी.
एक रात ऐसे ही मैं घर के बाहर निगरानी कर रही थी कि अचानक बारिश आ गई. भीगने से बचने के लिए मैं भाग कर घर के अंदर चली गई. अंदर गयी तो देखा कि मेरी सखी मधु अपने प्रेमी राज को अपने निप्पल चुसाने में व्यस्त थी, गोल गोल टाईट चूचियां थी मधु की… राज उन्हें बारी बारी से अपने मुंह में लेकर चूस रहा था और उसका एक हाथ दूसरी चुची को दबा रहा था.
राज की पैन्ट खुली हुई थी, उस्ल्का लंड बाहर निकला हुआ था, मधु का हाथ उसके लंड पर था जो लंबा मोटा सा, काफी बड़ा था, मधु उसे सहलाने में लगी थी, आगे पीछे करके उसके लंड की जैसे मुठ मार रही थी. लेकिन मुझे देखते ही वे दोनों प्रेमी अलग हो गये पर उन दोनों के कपड़े अस्त व्यस्त हो चुके थे, मधु की कमीज उसके वक्ष से ऊपर तक उठी हुई थी मतलब उसकी दोनों चूचियां नंगी थी, मधु की चड्डी नीचे खिसकी हुई थी, वहीं राज की पेन्ट घुटने के नीचे तक सरकी हुई थी और चड्डी से निकला हुआ बड़ा लंड मधु के सामने तन कर खड़ा हुआ था.
मेरे मुख से निकला- ये क्या कर रहे हो तुम लोग? मधु… तू तो कह रही थी कि तुम लोग बाते करने आते हो? मधु सिटपिटाती हुई सी बोली- हं… हाँ सुनीता… मगर मैं क्या करती यार, इसकी बात ना मानो तो बुरा मान जाता है ये… राज बोला- सुनीता आ जाओ ना… नहीं तो तुम भीग जाओगी.
और मैं उनके पास आ गई. मोबाईल की लाईट जल रही थी जिससे साफ साफ दिख रहा था. मैं बोली- जल्दी करो यार… लेट हो रहे हैं.
और फिर वे दोनों लवर आपस में लिपट गये और एक दूसरे के बदन को सहलाने लगे. कुछ ही देर में राज ने मधु को नीचे लिटा लिया, मधु की सलवार खोल कर उतार दी, मधु ने पैंटी नहीं पहन रखी थी तो मधु की चूत मोबाइल की रोशनी में चमक रही थी , उसकी चूत एकदम चिकनी क्लीन शेव थी.
मधु अब तक अपनी टांगें फैला चुकी थी, राज अपना लंड अपने हाथ में पकड़ कर मदु के ऊपर लेट गया, मधु ने राज के लंड को हाथ में लेकर अपनी चुट के ऊपर रखा ही था कि राज ने एक शॉट मार कर मधु की कमर को अपनी ओर खींच लिया और राज का लंड मधु की चूत के अंदर चला गया.
लंड के चूत में जाते ही मधु ‘ओे उम्म्ह… अहह… हय… याह… आइ इइइ…’ करके उससे लिपट गई- ओ राज… कितना गर्म है तुम्हारा लंड!
और फिर मेरे सामने ही बेशर्म चुदाई शुरू हो गई. राज मधु को चोद रहा था और उम्म आह कर रहा था, मधु भी राज के लंड के नीचे पढी चुत चुदाई करवा रही थी और सिस्कारियां भर रही थी- अह… हाह.. हाँ.. हाँ.. जोर से… उम्म्ह… हह!
मेरी हालत उन दोनों की चुदाई को देखते देखते बिगड़ने लगी, मैं खुद गर्म होने लगी थी, मेरी चूत से सुरसुराहट होने लगी थी, मेरी चुत पानी छोड़ने लगी थी. मेरा मन कर रहा था कि मैं अपनी सहेली मधु को राज के नीचे से हटा कर खुद लेट जून और उससे ऐसे ही चूत चुदाई का मजा लूं.
लेकिन मैं ऐसा कुछ नहीं कर सकती थी, मैं फिर उन दोनों का चोदन देखने लगी. राज शॉट पे शॉट मारता चला गया और मधु उस जोरदार चुदाई का मजा लेने लगी.
मधु अब चरम सीमा पर होने को थी, वो बोली- यार मैं कितना तड़पती हूं तेरे प्यार में… राज बोला- सच मैं भी यार तुमसे बहुत प्यार करता हूँ मधु! यह कहता हुआ वो तेजी से धक्के मारने लगा और अब मधु के मुख से आवाजें निकल रही थी- आई… ईई… इइय अइइ… अअह… अअअअ… राज जल्दी जल्दी करो… मैं मर जाऊँगी राज… तेज तेज चोदो मुझे!
और वो और तेजी से चुदाई करने लगा और थोड़ी देर बाद जब राज झड़ने लगा तो उसने अपना लंड मेरी सहेली की चूत में से निकाला और उसका माल मधु की जांघों में लग गया. मधु मुंह बनाती हुई बोली- छी यार… यही तो अच्छा नहीं लगता! कितने गंदे हो तुम! पर राज कुछ नहीं बोला-, वो मधु के होंठों पर अपने होंठ रखा कर उसे किस करने लगा. अब मधु उसे अपने दोनों हाथों से अपने ऊपर से हटा रही थी, कुछ पल बाद राज मधु के नंगे बदन से अलग हो गया और मधु की नंगी जांघों पर लंड से गिरा हुआ माल उसने मधु की सलवार से ही साफ़ कर दिया. मधु बोलती रह गई- ये क्या कर रहे हो राज… मेरी सलवार गन्दी कर दी।
अब मैं बोली- चल यार मधु, देर हो गई है, जल्दी कर! फिर अचानक से मधु बोली- यार सुनीता, तू भी चुदाई करवा ले राज से… हम घर तो अभी जा नहीं पायेंगे… पानी तो गिर रहा है! मैं घबराती हुई बोली- नहीं बाबा… ये मेरे भाई का दोस्त है, भाई को पता लगा तो घर में मार पड़ेगी और बदनामी हो जाएगी.
मधु बोली- चल ना यार मजा ले ले! यह कह कर उसने मेरा हाथ में राज का लंड पकड़ा दिया जो अब सोया हुआ था, गर्म तो था ही! पहली बार किसी का लंड मेरे हाथ में था, मैंने घबराते हुए उसे छोड़ दिया- चल घर जल्दी!
किसी तरह से मैंने मधु का हाथ पकड़ा और मैं बाहर निकल आई. बाहर बारिश हो रही थी जो मेरे तपते बदन पर गिर कर मेरी वासना को और बढ़ा रही थी. मधु और उसके यार की चुदाई मेरी आंखों के सामने घूमने लगी, राज के लंड को देखने के बाद सेक्स की मेरी इच्छा और बढ़ने लगी.
मैं घर में आयी तो मन नहीं लग रहा था, मैं अपने गीले कपड़े उतार कर देखने लगी अपने बदन को… मधु के बदन से कहीं ज्यादा टाईट और मस्त लग रही थी मैं… मैंने अपने हाथ अपनी दोनों चुची पर रखे और धीरे धीरे मैं अपनी चूचियों को दबाने लगी और मस्त होकर मजा ले रही थी।
रात को मैंने बिस्तर में राज के नाम से चूत में उंगली की और मुठ मार कर शांत होकर सो गयी।
अब मैं पक्का इरादा बना चुकी थी कि मैं भी मधु की तरह राज से एक बार तो जरूर चुदाई करवाऊँगी. यह सोच कर मैं आगे की प्लान बनाने लगी.
फिर एक दिन आया जब मैं अपने कमरे में बैठी थी कि मधु का फोन आया- सुनीता, मेरे साथ चल, आज राज के घर जाना है! मैं बोली- यार सुबह सुबह नहीं! मधु बोली- यार ऐसी कोई बात नहीं, उसे काम है तो उसने मुझे बुलवाया है. “अच्छा चल!” और मैं चल पड़ी.
मैं मधु के घर गई तो मधु घर पर नहीं थी. मैंने सोचा कि वो राज के घर जाने के लिए निकल चुकी होगी. और मैंने राज के घर पहुंच कर दरवाजा खटखटाया.
राज ने दरवाजा खोला, वो बाहर निकला, बोला- यार तुम? मधु कहाँ है? मैं हैरानी से बोली- मधु यहाँ नहीं आयी? मैं उसे ही ढूँढती हुई यहाँ आयी हूँ.
राज बोला- अच्छा चल अंदर आ… नहीं तो कोई देख लेगा! यह सुन कर मैं घबरा कर एकदम से अंदर चली गई. लेकिन तभी सोचा कि राज के घरवाले होंगे घर में… मैं बोली- तुम्हारे घर वाले? वो बोला- चल तो सही… वो क्या है ना कि आज मैं अकेला ही हूँ, घर वाले बाहर गये हैं, 2 दिन बाद आयेंगे. इसी लिए तो मधु को बुलाया था. तू बैठ, मैं अभी आया नहा कर… फ्रेश हो जाऊँ।
मैं खाट पर बैठ गई, इधर उधर देखने लगी. मैंने देखा कि राज सामने ही बने बाथरूम में कपड़े लेकर चला गया और मैं सामने खाट में बैठी मधु का इंतजार करने लगी.
वो अंदर जाकर अपने कपड़े निकाल कर बाथरूम के दरवाजे के ऊपर टांगने लगा, शर्ट बनियान और पेन्ट… और बाद में अंडरवियर भी दरवाजे पर तंग गया. उस अंडरवीयर को देख कर मैं विचलित होने लगी कि इतना बड़ा लड़का नंगा नहा रहा है…
मैं उत्सुकतावश उसकी ओर मुंह करके राज का दरवाजे से निकलने का इंतजार करने लगी.
फिर कुछ ही देर बाद राज बोला- यार सुनीता, तू मधु को काल तो कर! मैं उठी और बाथरूम के दरवाजे के पास आकर खड़ी हो गई, दरवाजे की झिर्री से अंदर देखने का प्रयास करने लगी और साथ ही फोन कर रही थी मधु को… मैं बोली- यार काल लग नहीं रहा है!
फिर अचानक वो दरवाजा खुला, मैंने देखा कि एक पतला सा तौलिया लपेटे राज बाहर आ गया. मैं फिर खाट पर बैठ गयी, वो मेरे पास आ गया और कुछ ढूँढने लगा. मैंने पूछा- राज क्या ढूँढ रहे हो? वो बोला- यार यहाँ मेरी चड्डी रखी हुई थी…
मुझे तौलिये में राज बहुत अच्छा लग रहा था, उसके लंड का हल्का सा उभार मुझे दिख रहा था, मैं बोल बैठी- तुम तो ऐसे ही सुन्दर लग रहे हो, चड्डी की क्या जरूरत है? “यार मजाक मत कर… तेरे पास है क्या?” “नहीं… देख लो!”
वो मेरे एकदम नजदीक आ गया और मेरी जांघों में हाथ रख आसपास देखने लगा. इतनी पास था राज मेरे… मैं उसे देखने लगी… अचानक मेरा हाथ उसके तौलिये पर पड़ गया और उसके लंड से छू गया.
राज का लंड इतने से ही कितना गर्म और टाईट हो चुका था… मैंने एक झटके से उसके तौलिये को खींच दिया और वो खुल गया, उसका लंड पूरा नंगा मेरे सामने खड़ा था, वो मेरी ओर देख रहा था, मैं उसकी ओर! मुझे पता ही नहीं चला कि मेरा हाथ कब उसके लंड को पकड़ चुका था और मैं पूरी गर्म हो चुकी थी.
वो मेरे शर्ट के ऊपर मेरे चूचे को दबाने लगा, मैंने चुप होकर ये सब होने दिया और उसके सहलाने की अदा का मजा लेने लगी. मेरी सहेली के प्रेमी का लंड मेरी मुट्ठी में था, वो मेरे शर्ट के बटन खोलने लगा, मैं उसे रोक नहीं सकी और एक कर मेरे सारे कपड़े नीचे गिरने लगे.
मैं और वो अब बिना कपड़ों के खड़े थे.
वो बोला- सुनीता यार, कितनी हॉट हो तुम! मैं बोली- तुम भी तो हॉट हो राज! और उसके हाथ मेरी चुत तक पहुंच कर उसको सहलाना शुरू कर चुके थे. मेरी चूत गीली होने लगी थी और राज का लंड भी गीला होकर मेरी चूत के अन्दर फिसलने का तैयार था.
राज ने मुझे चूमते हुए खाट पर लेटा दिया, उसका बड़ा सा लंड मेरी बेचारी सी चूत के पास ही था, वो मेरी चूत को किस करता हुआ उसके अंदर प्रवेश करने लगा. थोड़ी ही देर में मेरी चूत के अंदर लंड समाने लगा और पूरा का पूरा अंदर घुस चुका था.
अब राज धीरे धीरे हिलने लगा और मैं चुदाई का सुख लेने देने लगी. राज ने एक लंबी सांस ले कर एक जोर का शॉट मारा और उससे मैं लिपट गई- आह्ह राज… राज… और… और करो… मजा आ रहा है… चोदो मुझे… और तेजी से चोदाई करो मेरी!
और राज शॉट पर शॉट मारने लगा.
मैं बोलने लगी- राज डार्लिंग, मैं आज चूत चुदाई का पूरा मजा लेना चाहती हूँ. राज इतना करो कि मैं उस दिन देखी मधु की चुदाई भूल जाऊँ… उस दिन तुम दोनों की चुदाई देख मुझे भी इच्छा होने लगी, उस दिन मधु को चोद रहे थे… मैं उस दिन कितना तड़पी हूं… आहह आमम्म इइइइइ…
कुछ ही देर में मैं झड़ चुकी थी, मैं राज से बोली- बस बस और नहीं राज… मैं हो चुकी हूं! लेकिन वो और स्पीड से लंड मेरी चूत में अंदर बाहर करने लगा.
मैं पसीने से तर हो चुकी थी और वो भी… एक साथ हम दोनों ने एक दूसरे को कस कर पकड़ लिया और चुदाई का अंतिम क्षण का सुख भोगने लगे थे.
आज राज ने मुझे अच्छे से चोद कर शांत कर दिया था, मैं उसकी चुदाई का मजा ले रही थी और कुछ ही पल में उसने चोदने की स्पीड बढ़ा दी और राज अब मेरी चूत में खाली होने लगा और फिर शांत होकर कर मेरे बदन में लिपट गया।
आज मेरी चुदाई की तमन्ना पूरी हो चुकी थी, मेरा मन शांत हो चुका था।
कुछ देर बाद हम दोनों उठे और अपने कपड़े पहनने लगे.
तभी मधु का काल आया- यार कहाँ है? जल्दी आ ना… राज के घर नहीं जाना है क्या? देर हो रही है। मैं क्या कहती… मैंने राज को बताया कि मधु का फोन है और बाहर आ गयी। [email protected]
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