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अब तक आपने पढ़ा था कि मेरे सगे बेटे आशीष के दोस्त चंदर ने मुझे चोदने के बाद आशीष की माँ बिंदु को चोदने का मन बना लिया था और उसने रात को मुझे बिंदु के साथ आशीष से चुदते हुए देखा और बिंदु को धमकाते हुए चुदाई के लिए अपने कमरे में आने को बोला. अब आगे..
बिंदु के साथ चंदर ने क्या गुल खिलाया, उसकी कहानी बिंदु की ज़ुबानी ही सुनिए.
मैं बिंदु, जब चंदर मेरे साथ खेलने लगा तो समझी मेरी तो जान ही निकल गई. चंदर ने मुझे मेरी नंगी फोटो आशीष के साथ चुदते हुए दिखाई. मैं बिन किसी सोच के साथ उसके साथ चल पड़ी.
उसके रूम में जाते वक्त उसने कहा- आ..आंटी.. अब मैं आपको सिर्फ बिंदु ही कहूँगा क्योंकि आंटी को चोदना ठीक नहीं लगता. तो मेरी जान बिंदु.. अब बिना किसी सोच के पूरी नंगी होकर रूम में चलो.
मैं उसके कहने पर नंगी ही उठ कर चल दी. फिर चंदर बोला- मेरी जान बिंदु, जाओ अपनी चुत को साबुन से धोकर ही मेरे सामने आओ और इस पर कोई सेंट भी लगा लेना, जो आपको पसंद हो. मैं उसका कहना मान कर उसके साथ ही बाथरूम में गई और बोली- तुम खुद ही मेरी इस चूत को धो लो ताकि तुम्हें पूरी तसल्ली हो जाए. उसने रगड़ रगड़ कर अन्दर तक मेरी चुत में उंगली डाल कर धोया और फिर पता नहीं कौन सा सेंट लगा दिया, जिसकी खुश्बू से सारा रूम महक गया.
इसके बाद चंदर बोला- बिन्दु जी, ज़रा टांगें चौड़ी करके मेरा पास आओ ताकि मैं आपकी चुत को अच्छी तरह से देखूं, जिसने एक बहुत ही मादरचोद किस्म के चोदू लंड को निकाला है. साले ने पता नहीं कितनी चूतों को रगड़ा है, आपसे बड़ी बड़ी औरतों को चोद कर वो बहुत खुश रहता है. उसी ने एक औरत को चोदते समय मुझसे कहा था कि मेरी माँ के सामने यह कुछ भी नहीं. तभी से मेरा लंड आपकी चुत को हमेशा सलामी देता है.
मैं चंदर के सामने जा कर चुत के होंठों को खोल कर खड़ी हो गई. पहले तो दो मिनट तक वो मेरी चुत को लगातार देखता रहा, फिर ना जाने उस पर क्या भूत सवार हुआ कि वो मेरी चुत पर अपना मुँह इस तरह से मारने लगा था जैसे उसका लंड मेरी चुत में जा कर धक्का मार रहा हो.
कम से कम दस मिनट तक वो मेरी चुत को चूसता रहा और उसने तभी चोदा. जब मेरी चुत से मूत निकलने लग गया. तो वो बोला- बिंदु जी इसी की तो मैं तलाश में था, आज जाकर ये नमकीन अमृत मिला है. उसने मेरी चुत का सारा मूत पी लिया और बोला- अब चुत चुदाई के लिए तैयार हो जाओ.
चंदर ने पलंग पर मेरे दोनों टांगें अच्छी तरह से फैला कर दोनों तरफ से टांगों को एक रस्सी से बांध दिया. इसी तरह उसने मेरे दोनों हाथों को भी फैला कर इधर उधर से खीच कर बाँध दिए. इसके बाद वो मेरे अंग अंग को चूसने लगा, मुझे बहुत गुदगुदी हो रही थी, मगर मैं हिल भी नहीं पा रही थी. बस जितना हिल सकती थी, उतना ही हिल लेती.
उसने मेरे अंडर आर्म को चूसना शुरू किया, जो बिना बालों के साफ़ किए हुए थे. बगलों को कुछ देर चूसने के बाद मेरे मम्मों की शामत आ गई. वो मेरे चुचों के तनी हुई घुंडियों को चूसने लगा. सबसे बाद वो मेरी चूत के बटन को (क्लिट) होंठों से काट काट कर चूसने लगा. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था क्योंकि किसी ने भी आज तक ऐसे बाँध कर मेरी चुदाई नहीं की थी.
अब उसका लंड, जो बहुत देर से झटके मार रहा था, मेरे मुँह में डाल कर बोला- लो मेरी जान, मेरे इस लंड को चूसो इसको चूसना कम और इस पर थूकना ज़्यादा. उस मैंने अपने मुँह से दो तीन बार उसके मोटे तनतनाते लंड पर थूका. जब उसका लंड एकदम चिकना हो गया तो उसने अपना मोटा लंड मेरी खुली चुत में डाल दिया. मैं एकदम से कसमसा कर रह गई.
इसके बाद वो मेरी चुत में लंड पेलते हुए बोलने लगा- देखो बिंदु रानी, तुम्हारे थूक और मेरे थूक ने मिल कर हम दोनों के आइटम कितने चिकने कर दिए हैं. अब तुम्हारी चुत में मेरे लंड को कितने सटासट अन्दर ले रही है. बताओ रानी कैसा लग रहा है?
मैंने उससे कहा- तुम सिर्फ अपना मज़ा देख रहे हो, मुझे तो बाँध कर रखा हुआ है.. खोलो तो मैं भी तुम्हारे लंड का पूरा मज़ा ले लूँ. वो बोला- ओके जी बिंदु जी, आज तो मेरा लंड आपका गुलाम है. अगर इस लंड ने आपका कहना नहीं माना तो लानत है इस पर. यह कह कर उसने मुझे पूरा खोल दिया और मैं अब खुल कर चुद रही थी. चंदर मेरी चुत में धक्के पर धक्का मार रहा था और उसके लंड के हर एक धक्के का जवाब भी मेरी चुत भी मेरी गांड का सहारा लेकर उछल उछल कर दे रही थी.
जब उसके लंड का मसाला निकलने वाला था, तो वो तेज तेज धक्के मारता हुआ बोला- आह.. जल्दी बताओ बिंदु रानी.. कहाँ झड़ जाए यह बेचारा? मैंने भी उसको भींचते हुए कहा- आह.. आजकल मेरे लिए खतरनाक दिन चल रहे हैं, इसलिए तुम अपने लंड को बाहर ही झड़ाना. वो अंतिम धक्के देता हुआ बोला- ओके बिंदु जी.. आपका मुँह किस काम आएगा.. जल्दी से खोल दो मेरी रानी.
इतना कहते हुए उसने झट से चुत से लंड खींचा और तभी मैं भी एकदम से मुँह खोल कर उसके लंड के पानी लेने के लिए तैयार हो गई. उसने मेरे मुँह में अपना लंड डाला ही था कि उसका पानी बुरी तरह से मेरे मुँह में पिचकारी मारते हुए जाने लगा. अगर आधा मिनट भी देरी हो जाती तो मेरी चुत फिर से हरी हो जाती.
चुदाई के बाद चंदर बोला- बिंदु जी, जिस दिन आपका पति कहीं आउट स्टेशन हो, तो आपको मुझसे चुदाई के लिए पूरी रात के लिए आना होगा. मैंने हां कह कर जल्दी से कपड़े पहने और मुस्कुराते हुए अपने कमरे में वापिस आ गई.
मगर चंदर की किस्मत चुदाई के मामले में कुछ ज़्यादा ही नसीब वाली थी. उसी शाम को मेरे पति ने बताया कि उनको एक सप्ताह के लिए हांगकांग जाना है. मैंने भी उनकी तैयारी कर दी, मुझे तो चुदने की तलब मची थी.
पतिदेव रात की फ्लाइट से चले गए. जब रात का खाना हो रहा था तो चंदर ने मुझे आंख मार कर धीरे से कहा- याद है ना वो… मैंने भी आँख मार कर कहा- हां सब याद है.
रात को दस बजे मेरे पति जब घर से चले गए तो मैं उनके फ्लाइट में बैठने के फोन का इंतज़ार करने लग गई. रात को 11.30 पर उनका फोन आया कि मैं जहाज़ पर बैठ गया हूँ और अभी उड़ने वाला ही हूँ. अब मैं तुमको पहुँच कर ही फोन करूँगा.
इस फोन के बाद मैं निश्चिन्त होकर चंदर के रूम में जाने की तैयारी करने लग गई. मैंने अपनी ब्रा और पेंटी उतार दी क्योंकि इनकी वहाँ कोई ज़रूरत नहीं थी. मैंने एक ढीला सा गाउन डाला जो एक झटके में आगे से खुल जाता था और नंगी होने में भी समय नहीं लगता था. अपनी चुत पूरी पूरी तरह से धो पोंछ कर उस पर खुशबूदार क्रीम लगा कर चंदर के रूम में चली गई. वहाँ जाकर देखा कि आज वो और आशीष दोनों अपने लंड को खड़ा किए हुए मेरा इंतज़ार कर रहे थे.
मुझे यह तो पता था कि चंदर अपना लंड हिलाता हुआ मिलेगा, मगर आशीष भी वहाँ पर होगा, यह मुझे नहीं पता था. मुझे देख कर चंदर बोला- क्यों बिंदु रानी… क्या पति चोद कर गया या सूखी ही छोड़ गया है तेरी चूत को? मैं बोली- उनके पास आज टाइम नहीं था वो जल्दी में थे. इस पर चंदर बोला- कोई बात नहीं. उसका लंड नहीं मिला तो क्या हुआ हम हैं ना.. चूत में झाड़ू फेरने के लिए.
मेरा गाउन आगे से खुला हुआ था, इसलिए मेरी चुत और मम्मों की छटा पूरी साफ नज़र आ रही थी.
चंदर बोला कि आज तो पूरी तैयारी कर के आई हो.. फिक्र नॉट.. हम तुमको पूरी तसल्ली से मज़े देंगे. मेरा गाउन उतार कर पूरी नंगी करके मुझसे बोला- बोलो, पहले किससे चुदना चाहोगी. मैं बोलती, इससे पहेली आशीष बोला- अबे टॉस करो न.. जिसकी किस्मत में हेड होगा वो ही पहले इसकी चूत पर चढ़ेगा.. फिर जो भी करना होगा, बारी बारी से कर लेंगे.
उन्होंने टॉस किया, तो आशीष का नंबर आ गया. वो बोला- चल यार चंदर तू ही चोद इसको.. आज मैं अपनी बारी तुमको देता हूँ.. मैं तो जब चाहूँगा इसको चोद लूँगा.
चंदर का लंड तो खड़ा हुआ ही था, उसने मुझे पीछे से पकड़ कर मेरे मम्मों को खींचते और दबाते हुए मुझे अपनी गोद में बिठाया. उसने मुझे इस तरह से बिठाया था कि उसका पूरा लंड मेरी चुत में घुस गया. उसका लंड घुसा तो मैंने एकदम से गनगना गई. लंड को घुसाने के बाद चंदर मेरे निप्पल मींजते हुए बोला- बिंदु जी, लंड पर अब आपको ही धक्के मारने हैं.
मैं एक खिलौने की तरह से वो सब कर रही थी, जो जो मेरे बेटे का दोस्त मुझे कह रहा था. कुछ देर बाद चंदर ने आशीष से बोला- यार, तू भी कुछ योगदान दे ना अपनी माँ की चुदाई में!
आशीष भी मेरे चूचों पर टूट पड़ा और मेरे मम्मों को जोर जोर से दबा दबा कर चूसने लगा. अब मैं एक लंड से चुदाई कर करा रही थी और दूसरा मेरे मम्मों की दुर्दशा कर रहा था.
चंदर बोल रहा था- यार, इसके मम्मे तो अभी भी बड़े सख्त हैं.. क्या तूने सही तरह से नहीं दबवाए. लगता है अंकल इन पर ज़्यादा ध्यान नहीं देते, वरना अब तो ढीले हो जाने चाहिए थे. यह सुन कर आशीष को कुछ ज्यादा ही जोश चढ़ गया. वो मेरे दूध दबा दबा कर खींचने में लग गया. मुझे दर्द भी हो रहा था मगर कोई मेरी सुन नहीं रहा था.
जब चंदर ने चुत से भी पूरी मस्ती कर ली तो मेरा मूत निकलने वाला था, मैंने उससे कहा कि मुझे बाथरूम में जाने दो, मेरा मूत निकलने वाला है. इस पर आशीष बोला- क्यों इसी मूत में मैं 9 महीने में बढ़ा हुआ हूँ.. इसको मैं पूरा पी लूँगा, चलो तुम मेरे मुँह में मूतना शुरू करो.
कमीनों ने मुझे जाने नहीं दिया और मेरा मूत पूरा ही पी लिया. मूत पी कर मेरी चूत को भी रगड़ कर चाटा. उन दोनों ने मेरी चुत को इस तरह से चाटा कि वो जैसे अभी अभी धुल कर आई हो.
मेरी चुत तो चुद कर ढीली हो गई थी मगर आशीष का लंड मेरी चुत में घुसने के लिए पूरे जोर पर था. मैं बोली- कुछ देर रूको यार.
मगर उसको कहाँ सुनना था, वो तो मुझको एक ही झटके में गिरा कर मेरी चूत में अपना लंड डाल कर ही माना. अब वो धक्के मार रहा था, इधर मुझमें थकान भर गई थी क्योंकि मैं अभी एक मिनट पहले ही बुरी तरह से चंदर से चुदी थी इसलिए मैं निढाल पड़ी रही और वो मुझे चोदता रहा.
जब दस मिनट बाद उसका लंड पानी छोड़ने को हुआ तभी उसने लंड को चुत से बाहर निकाला. मगर तब तक चंदर का लंड फिर से खड़ा हो चुका था और उसने भी बिना टाइम गंवाए मेरी चुत पर हमला कर दिया. इस तरह दोनों ने मुझको दो-दो बार चोदा.
शुरू के एक बार तो मैं मज़े से चुदी मगर बाकी की तीनों बार की चुदाई मेरे लिए लंड का दंड के समान थीं.
जब आशीष चुदाई करता था तो चंदर मेरे मम्मों को घुमा घुमा कर दबाता था और अपनी तरफ खींचता था, जिससे उन पर बहुत दबाव पड़ता था. जब मैं कुछ बोलती थी तो बोलता था कि मैं इनको ढीले करके ही यहाँ से जाऊंगा. तेरे मम्मे अब पके हुए आम की तरह से लटकने चाहिए.. ना ही अमरूद की तरह से अकड़ के रहें. इनको लटकना ही पड़ेगा. मैं अगर अंकल की जगह होता तो अब तक ढीले आम की तरह से लटका चुका होता.
उसके कमीन के दिल जो आ रहा था, वो बोलता जा रहा था. मैं उसको कुछ भी कह सकने की स्थिति में नहीं थी क्योंकि मेरा बेटा भी उसके साथ मिल कर मेरी चुदाई कर रहा था.
कहाँ तो बेटा अपनी माँ की इज्जत को बचाने के लिए अपनी गर्दन कटवा लेता है और कहाँ मेरा बेटा खुले आम अपनी माँ यानि मेरी इज्जत को नीलाम कर रहा था, अपने ही सामने और लूटने वाले के साथ मिल कर मुझे चोद रहा था. मैं अब समझ चुकी थी कि नेहा के साथ जो मैंने किया ये मुझको उसी का फल मिल रहा है.
कुछ देर बाद आशीष वहाँ से चला गया और अभी मुझको पूरी रात भर चंदर के साथ ही रहना था.
मेरी इस रसभरी चुदाई की कहानी पर आपके मेल की प्रतीक्षा रहेगी. पूनम चोपड़ा [email protected] ये रसभरी चुदाई की कहानी जारी है.
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