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अब तक की चुदाई की स्टोरी में आपने पढ़ा था कि मेरे बेटे आशीष के दोस्त चंदर ने मुझे चोदने के लिए अपने कमरे में बुलाया था, जहां आशीष भी था. उन दोनों ने मुझे भंभोड़ते हुए बेरहमी से चोदा और इसके बाद आशीष उस कमरे में मुझे चंदर के पास पूरी रात चुदने के लिए छोड़ गया. अब आगे…
उसके जाते हुई चंदर मुझसे बोला- बिंदु जी, आज सोना मना है… मेरा लंड चूसो और अपनी चुत चुसवाओ. उसकी बात सुन कर मेरी तो नींद भी गायब हो गई जो मेरी आँखों में भरी हुई पड़ी थी. मैंने सोचा कि बिंदु आज तो तेरी शामत ही आ गई है. खैर मैंने उस का लंड चूसना शुरू किया. वो मेरे दूध दबाता हुआ बोला- जब तक इस लंड का पानी ना निकले, इसको चूसती रहो.
चूंकि वो दो बार मेरी चुत चोद चुका था, इसलिए उसका पानी जल्दी नहीं निकलने वाला था. मैं उसके लंड को चूसती रही मगर बीच बीच में रुक जाती थी क्योंकि मैं बुरी तरह से थकी हुई थी. जिसका नतीजा होता था कि लंड को पानी निकालने के लिए और टाइम मिल जाता था. जो काम 15 मिनट में हो सकता था, उसको आधा घंटा लग गया.
उसके बाद चंदर बोला- अपनी टांगें चौड़ी करके लेटो, अब मैं तुम्हारी चुत को चाटूंगा और खाऊंगा. वो पूरा एक घंटा तक मेरी चुत का बाजा बजाता रहा और जब उसने मुझे छोड़ा, तो मेरी चुत पूरा फूल कर पकौड़ा बन चुकी थी. ऐसा लगता था कि उस पर किसी ने कोई माँस का टुकड़ा लगा दिया हो. मेरी चुत का दाना भी अन्दर घुस चुका था. उसने पता नहीं किस तरह से मेरी चुत को चूसा था कि मुझसे दोनों टांगें मिला कर रखना भी मुश्किल हो गया था.
अब वो बोला- बिंदु जी, अभी एक काम और बाकी है तभी आपको जाने दूँगा. मैंने पूछा- क्या? तो वो बोला- रूको.
वो अलमारी से एक जोड़ी सैंडल लेकर आया जो बहुत ऊंची हील वाले थे और नीचे उनका डायामीटर एक इंच का ही था. हील की ऊंचाई 5 इंच की कम से कम थी. वो बोला- इनको पहन लो और ज़रा कॅटवॉक करो.
मैंने सैंडल डाल तो लिए… मगर उनके साथ चलना बहुत मुश्किल था. एक तो मेरी टांगें आपस में नहीं मिल पा रही थीं, क्योंकि चुत बुरी तरह से चुसवाने के बाद फूली हुई थी और दूसरा इतने ऊंची हील वाले सैंडल मैंने कभी पहने ही नहीं थे. जैसे ही मैं उनको पहन कर चलती, तो मेरा पैर बुरी तरह से हिलते थे. उनको देख कर वो बहुत खुश हो रहा था.
वो बोला- बिंदु जी चुदवाने के बाद इस तरह से चलना सीखो… बहुत मस्त लगोगी. चार कदम चल कर मैं बेड पर बैठ गई और बोली- तुमने मेरी चुत का जो पकौड़ा बना दिया है, वो इसकी राह का पूरा रोड़ा बन चुका है. इस पर चंदर बोला- अच्छा रूको… मैं अभी और चूत चूसना चाहता हूँ. उस पकौड़े को चाट कर मैं पकौड़े का भी स्वाद ले लूँगा.
मैं चिल्लाती रही कि कुछ तो रहम करो मगर वो कहाँ मानने वाला था. उसने जबरदस्ती मुझको चित्त लिटा कर अपना मुँह मेरी चुत पर रख दिया. अब उसको पूर जितना भी खो ज सकता था, खोल कर अपनी ज़ुबान उसमें घुसा दी. अब मुझे कोई मज़ा नहीं आ रहा था बल्कि मैं दर्द से रो रही थी,
कुछ मिनट के बाद चंदर बोला- चलो अब चल कर दिखाओ. मैंने सोचा कि अगर अब और कुछ कहूँगी तो फिर से ये चुत को चाटने लग जाएगा और मेरी बच्चेदानी को भी बाहर तक ना निकाल कर रख दे. इसलिए मैं उठ कर चलने लगी. हर कदम बहुत मुश्किल से उठा पा रही थी, मगर फिर भी मैं चलती रही ताकि वो मुझे वापिस जाने को कह दे.
आख़िर वो बोला- अब बात बनी ना बिंदु जी, अब आप जाओ और रात को फिर से आ जाना. इस तरह से में चुदवा कर वापिस आ गई तो आते ही नंगी ही अपने बेड पर फिर गई. मुझे नहीं पता चला कि मैं कब तक सोती रही.
मुझे नेहा ने कोई बारह बजे उठाया और बोली- यह क्या हाल बना रखा है बिंदु? मैं बुरी तरह से चौंक उठी और बोली- क्यों क्या हो गया? नेहा मुझसे बोली- यही तो मैं पूछ रही हूँ, इस तरह से नंगी क्यों पड़ी हो. फिर उसको मैंने बताया कि मेरे साथ रात को क्या हुआ है.
नेहा ने कहा- ठीक है इसका आज ही इलाज करना पड़ेगा. मगर तुम चिंता ना करो… जाओ जाकर फ्रेश हो जाओ और ठीक से कपड़े डाल लो, कहीं कोई आ गया तो ग़ज़ब हो जाएगा. मगर बिंदु नहीं चाहती थी कि चंदर को कुछ भी कहा जाए. शायद वो उससे अभी और चुदना चाहती थी, उसने मुझसे कहा- तुम यहीं वेट करो, मैं अभी फ्रेश होकर आती हूँ.
वो फ्रेश होकर जब आई तो पूरी नंगी ही बाथरूम से निकली थी और मुझको अपनी चूत दिखाने लगी. बिंदु बोली- देख ज़रा चूस चूस कर चुत का क्या हाल कर दिया है… कितनी सूज गई है. आज रात को भी साला इसकी माँ चोदेगा. मैंने कहा- फिर क्या हुआ, तुम भी यही चाहती हो ना. तभी तो उसको यहाँ से जाने के लिए नहीं कह रही हो. वो बोली- कह तो तू सच ही रही है मगर आज रात को तुम भी मुझे कम्पनी देना. मैंने कहा- अगर तुम्हारा बेटा मुझे छोड़गा तभी तो जा पाऊंगी ना… वरना वो मुझे जाने ही नहीं देता है. बोलता है उसका लंड मेरी चूत को कहीं भी जाने से मना करता है.
मगर इधर बिंदु की सूजी हुई चुत को देख कर मेरी चुत भी लपलापने लग गई थी कि उसके साथ भी ऐसा ही हो.
खैर रात को मैं बिंदु के पास पहुँच गई और बोली- मैं भी आज तेरे साथ ही चंदर के पास चलती हूँ, देखती हूँ कि वो तुम्हारी आज कैसे बजाता है.
रात को खाना आदि खाकर मैं और बिंदु दोनों ही चंदर के कमरे में पहुँच गए. वहाँ पर आशीष पहले से ही मौजूद था. वो पूरे नंगे ही थे और अपने लंडों की मालिश कर रहे थे.
हम लोगों को देख कर बोला- तुम भी अपने फॉर्म में आ जाओ मतलब कि पूरी नंगी हो जाओ और अपनी चुत की मालिश करना शुरू कर दो. आज तुम दोनों की चुत सारी रात बजानी है. मैंने पूछा- बजानी है का क्या मतलब? वो बोले कि पूरी रात भर तुम दोनों की चुत में हमारी जुबान या हमारा लंड रहेगा. ज़रा भी नहीं छोड़ेंगे तुमको एक के बाद एक तुम दोनों पर मुँह और लंड मारे जाएंगे.
मैंने चंदर से कहा- बाकी की बातें छोड़ो… आज मेरी चुत भी उसी तरह से कर दो, जैसे तुमने कल बिंदु की थी ताकि मुझे भी पता लगे कि जब चुत पकौड़ा बन जाती है तो कैसा फील होता है. वो बोला- फिकर नॉट फिकर नॉट… मैं तेरी चुत क्या तुम्हारे मम्मों को भी आज पकौड़ा बना दूँगा.
उसका बस इतना कहना था और उसने मेरी सौतेली मां के सगे बेटे आशीष को बोला- यार, तुम आज बिंदु को सम्भालो, मैं आज इस रंडी को चुदाई का असली पाठ पढ़ा दूं ताकि फिर कभी किसी लंड को चॅलेंज ना कर पाए. इतना बोल कर वो मुझे अपने पास घसीट कर ले आया और मुझे सीधा लिटा कर मेरी चूत पर अपना मुँह मारने लग गया. मेरी चूत को उसने जितना खोल सकता था खोल लिया और मेरी दोनों टांगें फैला दीं. इसका असर यह हुआ कि मेरे टांगों में दर्द होना शुरू हो गया. अगर मैं कुछ बोलती भी थी तो कोई नहीं सुन रहा था.
चुत को खोल कर उसने चुत के होंठों को अपने मुँह में लेकर खींचना शुरू किया. कभी एक फांक को चूसता तो कभी दूसरी फांक की माँ चोदता… उसने बहुत देर तक ऐसे ही किया, जिसका असर यह हुआ कि मेरी चूत की फांकें बाहर को आने लगीं.
इसके बाद वो मेरी चूत की क्लिट को अपने दांतों से काटने में लग गया. वो कभी दाने को चूसता, कभी जीभ उस पर फेरता और कभी काट लेता.
कम से कम आधा घंटा यह सब करने के बाद बिना कुछ कहे उसने अपना लंड मेरी चुत में घुसा दिया. मैं लंड एकदम से घुसने से तड़फ उठी, लेकिन उसकी सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा. वो अब मेरी चुत की बेरहमी से चुदाई करने लगा. चुत को उसने इतना ज्यादा चूसा था कि वो अन्दर तक उसकी लार से गीली हुई पड़ी थी. इसलिए उसके लंड को अन्दर जाने में ज़रा भी प्राब्लम नहीं हुई… बस मुझे जरा सा दर्द हुआ.
फिर उसने धक्कों का दौर जो शुरू किया, तो वो ख़त्म ही नहीं हो रहा था, पता नहीं साले ने आज क्या आज खाया हुआ था. जब उसके लंड का पानी निकलने वाला था तो फट से उसने मेरे मुँह को खोल कर उसमें अपना पूरा लंड डाल दिया और वीर्य की धारें छोड़ने लगा. वो बोला- आह… पी जा मेरी जान मेरे लंड का अमृत… जो था तो बिंदु के लिए मगर आज तो तेरी किस्मत में ही लिखा था.
अपने लंड का पूरा पानी पिलाने के बाद वो फिर से अपना मुँह मेरी चुत पर मारने में लग गया. अब मैं पूरी तरह से थक चुकी थी मगर वो मानने को तैयार ही नहीं था. जैसे बिल्ली चूहे को एक बार पकड़ कर नहीं छोड़ती, उसी तरह से वो मेरी टांगों को फैला कर चुत में अपनी ज़ुबान घुमा रहा था. चुत की फांकों को वो जितना भी खींच सकता था, उतना खींच खींच कर बाहर को ला रहा था.
लगभग आधा घंटा इस तरह से करने के बाद वो बोला- चल जाकर ज़रा शीशे में देख अपनी चूत को और फिर सीधे यहाँ आ जाना.
मैंने शीशे में देखा कि मेरी पूरी की पूरी चुत तो बाहर ही निकल कर आ गई है. चूत के होंठ पूरी तरह से बाहर को लटके हुए थे. उनकी हालत ऐसी हो गई थी, जैसे किसी ने कान में बालियां डाल रखी हों.
खैर… मैं जब वापिस उसी के पास आई तो बिना कुछ बोले उसने मुझे पकड़ कर फिर से लिटा दिया और अपना मुँह फिर से मेरी चुत में दे दिया. मैं चिल्लाती रही कि अब छोड़ दे इसको… मगर वो बोल रहा था कि हरामजादी मुझे चैलेन्ज कर रही थी ना… अभी तो कुछ नहीं हुआ… देखना सुबह तक तुम्हें चलने लायक भी नहीं छोड़ूंगा.
उसने मेरी एक ना सुनी पूरे एक घंटा तक मेरी चुत को खींच खींच कर चूसता रहा. मैं तड़फती रही, मगर उस पर कोई असर नहीं हुआ.
एक घंटे बाद उसका लंड फिर से पूरा लौड़ा बन कर चुदाई के लिए तैयार हो गया था. उसने बिना एक पल की देरी किए… अपना लंड मेरी चुत में पेल दिया. मुझे अब लग रहा था कि मेरी चुत की धज्जियां उड़ जाएंगी. मगर इस बात का उस पर कोई असर नहीं था. उसे तो अपने खड़े लंड का पानी निकालना था.
कुछ देर चुदाई के बाद उसका लंड भी अकड़ गया था क्योंकि उसका पानी दो बार पहले निकल चुका था इसलिए वो बहुत देर तक चुत में पम्पिंग करता रहा था. जैसे ही पानी निकलने को हुआ, उसने फिर से मेरे मुँह में लंड डाल दिया. लंड का पूरा पानी पिला कर फिर से मेरी चुत पर मुँह मारने लगा.
अब मुझ से नहीं रहा गया, मैंने एक टांग उठा कर उसके मुँह पर मार दी और जल्दी से नंगी ही वहाँ से भागी.
उसने मुझको पकड़ने की बहुत कोशिश की मगर मैं उसके हाथ न आई. मैंने अपने कमरे में जाकर दरवाजा बंद किया और मिरर में देखा तो जो हालत में कुछ समय पहले शीशे में देख चुकी थी, उससे कहीं ज़्यादा और खराब हो गई थी, ऐसा लग रहा था जैसे चुत पूरी बाहर निकल कर आ गई हो.
खैर मैंने बाथरूम में जाकर डिटॉल को पानी में डाल कर चुत को साफ़ किया और फिर बेड पर नंगी ही गिर कर सो गई. क्योंकि मेरा रूम पूरी तरह से बंद था इसलिए कोई नहीं आ सकता था.
मैं दूसरे दिन 12.30 पर उठी तो देखा कि चुत अब भी अपनी असली हालत में नहीं आ पाई थी. मेरी चुत अब ऐसे लग रही थी, जैसे मैंने कल बिंदु की देखी थी. इसका मतलब साफ था कि चंदर ने रात को मेरी बुरी हालत की थी.
कुछ देर बाद मैं बिंदु के पास लड़खड़ाते हुए गई और बोली- या तो चंदर को अभी यहाँ से जाने के लिए बोलो या फिर मैं पापा से कुछ कहूँ. पापा का नाम सुनते ही बोली- नहीं नहीं उनसे कुछ ना कहना, मैं आज ही उसका किसी होटल में इंतज़ाम कर देती हूँ.
इस तरह से मैंने चंदर से छुटकारा पाया, जो मेरी चुत को पूरा भोसड़ा बनाने को तैयार हो चुका था.
मेरी इस रसभरी चुदाई की कहानी पर आपके मेल की प्रतीक्षा रहेगी. पूनम चोपड़ा [email protected] ये रसभरी चुदाई की कहानी जारी है.
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