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नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम आयुष है। मैं हैदराबाद में रहता हूँ और एक कंपनी में जॉब करता हूँ। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ।
यह कहानी मेरे और पड़ोस में रहने वाली भाभी के बीच हुए पहले संसर्ग की है। मैं जब जॉब करने हैदराबाद गया तो पहले तो एक पीजी में रहने लगा लेकिन एक महीना साउथ इंडियन खाना खाने के बाद मैं अपनी कंपनी के पास एक फ्लैट में शिफ्ट हो गया। यहाँ माहौल काफी अच्छा था। फ्लैट कल्चर में किसी को किसी से मतलब नहीं होता।
लेकिन मेरा मन नहीं अकेले नहीं लगता था, तो मैं बाहर खड़े होकर आती जाती गाड़ियों, लड़कियों और भाभियों को देखा करता था। ऐसे ही मेरी दोस्ती बगल में रहने वाले भैया से हो गयी। भैया भी मेरी ही तरह एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में जॉब करते थे। दो महीने बाद भैया ने बताया कि उन्हें छुट्टी लेकर घर जाना है, उनका घर उत्तराखंड में है। अब भैया भी अपने घर चले गए।
करीब 15 दिन बाद उन्होंने फ़ोन किया और बताया कि घर वाले जबरदस्ती उनकी शादी करवा रहे हैं और मुझे वहाँ आना है। मैंने कहा- ऐसे कैसे वे लोग बिना आपकी मर्जी के आपकी शादी करवा सकते हैं? तब उन्होंने बताया कि पहले तो उन्होंने मना किया था लेकिन उनको लड़की पसंद आ गयी तो हां बोल दिया। मैंने भैया को गुड विश दी और अपनी छुट्टी न मिलने को कारण बता कर अपनी असमर्थता जता दी।
करीब एक महीने बाद जब मैं ऑफिस से वापस आया तो देखा एक मस्त माल बालकनी में खड़ी है। और उसको देखते हुए मैं अपने फ्लैट में चला गया।
करीब 8 बजे किसी ने मेरी डोरबेल बजाई, मैंने दरवाजा खोला तो देखा भैया खड़े थे। मैंने उनको बधाई दी और पूछा- कब आये, भाभी कैसी है? तो उन्होंने कहा- चलो मेरे यहाँ खुद ही देख लो। मैं उनके पीछे फ्लैट में गया और देखा वही अप्सरा वहाँ खड़ी थी।
भैया ने हमारा परिचय करवाया।
अब मैं भाभी के बारे में बता दूं, भाभी की उम्र 26 साल की है, और वो मुझसे 3 साल बड़ी हैं, उनका नाम गरिमा है, दिखने में वो एकदम अप्सरा हैं। मैं एक सामान्य कद काठी का नौजवान हूँ, मेरे लंड का साइज़ लगभग 5 इंच है, औरों की तरह झूठ नहीं बोल रहा कि मेरा साइज़ 8 या 10 इंच है लेकिन मेरा लंड ऐसा है कि वो किसी को भी खुश कर सकता है।
भैया की कंपनी में ज्यादातर उनकी नाईट शिफ्ट होती है जिससे भाभी घर पर अकेली रह जाती है और भाभी अकेले बोर होती थी और मुझसे किसी न किसी बहाने बात करने रात 12 बजे तक मेरे ही साथ रहती थी। मुझे भी उनसे बात कर के अच्छा लगता था, तो मैंने सोचा की क्यों न भाभी को पटाने की कोशिश की जाए, क्योंकि भाभी जी की नयी नयी शादी हुयी थी तो चूत तो फड़क ही रही थी।
मैंने धीरे धीरे भाभी जी को पटाने की कोशिश तेज़ कर दी। शाम को खाने के बाद हम साथ में ही बगल के पार्क में घूमने जाने लगे।
पहले हमारी बातें काफी फॉर्मल हुआ करती थी लेकिन एक दिन मैंने भाभी जी को कुछ एडल्ट जोक सुनाए, उन्हें भी मजा आ रहा था और वो खूब हंस रही थी।
ऐसे ही अब यह हमारा रोज़ का काम हो गया, भाभी को भी इससे कोई प्रॉब्लम नहीं थी, अब मैंने आगे बढ़ने की सोची। एक दिन मैंने भाभी जी से पूछ लिया- भाभीजी, रात में भैया की याद तो आती होगी? तब वो थोड़ी उदास हो गयी और बोली- नयी दुल्हन को छोड़कर कोई नाईट शिफ्ट करता है क्या? मैंने कहा- वो भी तो आप के लिए ही कर रहे हैं। भाभी जी ने कहा- कुछ जरूरतें पैसे से नहीं पूरी होती, उसके लिए मर्द का साथ चाहिए होता है। तुरंत मैंने कहा- मर्द तो मैं भी हूँ और साथ भी हूँ।
उन्होंने मेरी तरफ देखते हुए मुझसे सीधे सीधे बोल दिया कि वो जानती है कि मैं इनके बारे में क्या सोचता हूँ और क्यों उनके आगे पीछे लगा रहता हूँ। तो मैंने कहा- जब आप सब जानती हैं तो फिर आपका क्या इरादा है? उन्होंने मुझे तुरंत आँख मारी।
अब तो मेरी ख़ुशी का ठिकाना न रहा, मैं वहीं भाभी को किस करना चाह रहा था लेकिन उन्होंने मुझे रोक दिया और कहा- फ्लैट पर चलकर आराम से करते हैं। हम जल्दी से फ्लैट पर आये, भाभी जी ने दरवाजा खोला और अंदर जाते ही मैंने भाभी जी को जोर से पकड़ लिया और चूमने लगा।
आग दोनों तरफ लगी हुई थी, भाभी भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। करीब 10 मिनट तक हमारा चुम्मा चाटी का कार्यक्रम चलता रहा। फिर भाभी ने कहा- सब यहीं करोगे या बेडरूम में भी चलोगे? और हम दोनों हंसने लगे। मैंने भाभी जी को उठाया और बेडरूम में आ गया।
धीरे धीरे हम दोनों के सारे कपड़े उतर गए और मैं भाभी जी के चूचों पर भूखे शेर की तरह टूट पड़ा। भाभी के चूचे एकदम दूध की तरह गोरे थे, चूचों के साइज़ के बारे में तो पूछो ही मत, 36 इंच के शानदार मोटे बड़े… चूचुक के मुँह में जाते ही मुझे जो आनंद मिला… मैं बता नहीं सकता!
भाभी भी ‘आह ऊह्ह ह्ह्ह्ह…’ की आवाजें निकाल रही थी। मैं एक हाथ से भाभी का एक चूचा मसल रहा था और एक को मुँह में भरकर चूस रहा था। क्या शानदार पल था मेरे लिए, मेरे सपनों की मल्लिका आज खुद को मुझसे चुदवाने के लिए बेकरार थी। मैंने कहा- भाभी मेरा लंड चूसो! तो वो गुस्सा हो गयी और कहने लगी- भाभी नहीं, मुझे गरिमा कहो।
मैंने फिर से कहा- गरिमा डार्लिंग, मेरा लंड चूसो! तो वो तुरंत ही मेरा लंड अपने मुँह में भरकर चूसने लगी। मेरा यह पहला अनुभव था, मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
फिर हम 69 की पोजीशन में आ गए। करीब 10 मिनट की चुसाई के बाद हम दोनों ही निढाल हो गए। थोड़ी देर में मेरा लंड फिर से खड़ा हुआ और मैंने अपनी गरिमा डार्लिंग की चूत पर गौर किया, एकदम गुलाबी चूत जो निकले हुए रस से एकदम गीली हो चुकी थी। गरिमा ने कहा- अब कितना परेशान करोगे मेरे आयुष्मान, डाल दो अपना लंड मेरी फुदकती चूत में।
मैंने भी अब ज्यादा देर करना सही नहीं समझा, गरिमा की चूत पे लंड टिका कर जैसे ही मैंने झटका मारा, मेरा लंड फिसल गया और गरिमा हँसने लगी। गरिमा ने कहा- लगता है, पहली बार है? तो मैंने भी हाँ में सर हिलाया। उसने कहा- कोई बात नहीं, मैं तुझे इसमें उस्ताद बना दूँगी।
फिर से मैंने उसके कहने अनुसार लंड सेट किया और झटका मार दिया, इस बार लंड अन्दर चला गया और हम दोनों की चीख निकल गयी फिर धीरे धीरे धक्के पे धक्का चलता रहा। हमारी चुदाई करीब 15 मिनट चलती रही, इस बीच वो एक बार झड़ चुकी थी। अब मेरा भी होने वाला था, तो मैंने पूछा- कहाँ छोड़ूँ? तो गरिमा डार्लिंग बोली- अन्दर ही छोड़ दो, मैं भी आने वाली हूँ। फिर वो मेरे ही साथ वो दोबारा झड़ गयी।
हमने एक दूसरे को फिर से किस किया.
फिर उस रात मैंने भाभी को 3 बार और चोदा।
तब से यह सिलसिला रोज़ चलने लगा। अब तो गरिमा जैसे मेरी बीवी बन गयी थी। लेकिन एक महीने पहले भैया का ट्रान्सफर बंगलौर हो गया। पहले तो वो अकेले ही गए लेकिन 15 दिन बाद मेरी पत्नी (गरिमा) को भी ले गए। अब मैं फिर से अकेला हो गया हूँ।
यह कहानी मैं उसी की अनुमति से लिख रहा हूँ। अब मैं फिर से किसी नए साथी की तलाश में हूँ। जैसे ही कुछ नया होता है तो अपने साथी की मर्ज़ी से नयी कहानी लेकर आपके सामने आऊंगा। सभी सुंदर लड़कियों, भाभियों, और आंटियों को आयुष्मान का प्रणाम। मेरी मेल आई डी : [email protected] अपने सुझाव मुझे अवश्य भेजें।
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