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मित्रो,
जब इंसान को भूख या प्यास लगे और तभी खाने या पीने की वस्तु मिल जाये, तो वो कभी प्यासा और भूखा नहीं रहेगा। या फिर रहना पसंद नहीं करेगा। यही हाल रिया और दीपक का है।
एक २३ साल की मदमस्त जवानी है, तो एक २१ साल का हठ्ठा कठ्ठा लड़का है। दोनों रिश्ते में तो भाई और बहन है, लेकिन पिछले एक माह से दोनों एक नए रिश्ते में बंध चुके है। मेरी बुर की भूख और रिया के लंड की तड़प ने दोनों को एक होने पर मजबुर किया है।
एक मजबूर चूत को एक मजबूर लंड ही समझाता है। शायद इसलिए दोनों एक दुसरे के साथ शारीरिक संबंध बना लिया है। रिया का छरहरी बदन, उसकी पतली कमर, गोल गोल चूची और गोलगुंबद्कर चूतड़ मुझसे छुपी हुई नहीं है।
लेकिन दोनों एक दूसरे से अलग थे, भाई और बहन के पवित्र रिश्ते में बंधे हुए थे। फिर एक दिन दोनों ने शारीरिक संबंध बना लिया, और भाई ने अपनी बड़ी बहन के चूत की सील को तोड़ डाला।
एक हफ्ता हो चुका था, लेकिन हम दोनों काम क्रिया से कोसों दूर थे। फिर एक सुबह जब रिया दीदी मेरे साथ बैठकर चाय पी रही थी, तभी वो बोली।
रिया – मैं एक घंटे में कालेज के लिए निकलूंगी।
दीपक – अच्छा, तो क्या मुझे कालेज ड्राप करना है?
रिया मुस्कुराने लगी और बोली – अरे बुद्ध कितना खुल कर बोलूं?
दीपक – समझ गया कि आज का क्लास स्पेशल होगी।
रिया – हाँ ऐसी जगह जहां हम दोनों दुनिया की नजरो से बचकर प्यार मोहब्बत कर सकें।
दीपक – जरूर लेकिन ड्रेस थोड़ा आरामदायक पहनना।
रिया – मतलब मैं समझी नही।
दीपक – गोल गला वाला टॉप्स और स्कर्ट पहन लेना ठीक है, अब मै फ्रेश होने चला।
फिर मै वाशरूम में घुस गया, और स्नान करने लग गया। मेरी दीदी मेरा लंड खड़ा कर चुकी थी, और मै स्नान करके कपड़ा पहना और डायनिंग हाल में आ गया। वहां रिया कुर्सी पर बैठकर नाश्ते का इंतजार कर रही थी।
थोड़ी देर के बाद मम्मी दोनों के लिए नाश्ता ले आई, और मेरी नजर बार बार दीदी की चूची पर जा रहा था। वो ढीला टॉप्स के साथ लम्बा स्कर्ट पहने हुई थी, और उसको निहारते हुए मै नाश्ता कर रहा था।
तकरीबन ०९:२५ सुबह हम दोनों घर से निकले, कालेज तो बहाना था। लेकिन हमारी मंजिल कुछ और थी। सो रिया मेरे बाईक पर बैठ गई, उसके दोनों पैर एक ही दिशा में थे। तो वो अपना एक हाथ मेरे कंधे पर, और दूसरा हाथ मेरे कमर पर रखे हुई थी।
मै उसके गोल चूची के स्पर्श से मस्त हो रहा था, और मैं बाईक को तेज गति से विजय नगर चौराहा तक ले आया। वहां मैं कुछ खरीदने के लिए रुका, लेकिन रिया मेरे बाईक के पास ही खड़ी थी।
कुछ देर बाद वापस आकर मैंने सामान बाईक की डिक्की में रखा, और फिर दीदी बाईक के पिछले सीट पर बैठ गई। वो जानबूझकर अपने दाहिने स्तन को मेरे पीठ से दबा रही थी, और जब बाईक तेज रफ्तार से दिल्ली कानपुर मार्ग पर दौड़ लगाने लगी।
तो रिया ने मुझसे पूछा – क्या दिल्ली ले जाने का विचार है?
दीपक – हां आखिर कुतुबमीनार भी तो दिखाना है मैंने आपको आज।
रिया – सब समझती हूं, तुझे भी भृतहरी का गुफा दिखनी है।
और मै रिया को आज दिनभर चोदने के फिराक में था, इसलिए मैंने हाईवे के किनारे एक होटल को चुना था। दोस्तों से मालूम हुआ था, कि इस होटल में धांधे वाली तो मिलती ही है और साथ में होटल का कमरा मौज मस्ती के लिए भी मिल जाता है।
इसलिए मैं रिया को वहीं ले जाने के चक्कर में था, तकरीबन १०:४५ बजे हम दोनों इस होटल के पास पहुंचे और फिर वो बोली।
रिया – यहां रूम देगा कोई हमे?
दीपक – हां, लेकिन अपना मुंह बंद रखना।
फिर मै रिया को लेकर साथ में एक छोटे सा बैग लिए अंदर पहुंचे, वहां एक उमरदार आदमी था और वो हमे देख कर मैं बोला।
आदमी – एक कमरा चाहिए सर।
दीपक – हां शाम तक के लिए और वातानुकूलित।
फिर हमे एक कमरा भी मिल गया और रिया को लेकर मै कमरे के अंदर चला गया। एक लड़का पानी की बोतल लेकर आया और फिर दरवाजा सटाकर चला गया। मैने दरवाजा को बंद किया और रिया को अपने बदन से लग गया लिया।
मैं उसके गाल को चूमता हुआ, अपना हाथ उसके चूतड़ पर घुमा रहा था। तो रिया मुझे से चिपक कर खड़ी हो गयी। कमरा में एक बड़ा सा बेड लग गया हुआ था, और उसके साथ वाशरूम भी था।
अब दोनों खड़े खड़े एक दूसरे को चूम रहे थे, तो मेरा मुंह दीदी के रसीले होंठो को अंदर ले कर उसका रस अपने होंठ में भरकर चूसता रहा था होंठ दीदी मेरा पूरा साथ दे रही थी, और उसकी बूब्स मेरे छाती से चिपके हुये थे।
पल भर बाद रिया अपने होंठ को मेरे मुंह से बाहर निकल लिया, और फिर उसने अपनी लम्बी सी जीभ को मेरे मुंह में भर दी ओंठो तो मै रिया की जीभ को चूसता हुआ, उसके चूतड़ को सहलाने लग गया।
अब मेरा हाथ उसकी कमर पर था और मैं स्कर्ट को नीचे करने लग गया। हम दोनों एक दूसरे की आगोश में समाने लग गये, और फिर मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था। रिया की आंखें बंद थी, और हम दोनों की सांसे तेज चल रही थी।
फिर हम दोनों का हाथ एक दूसरे के बदन पर फिसल रहे थे, और रिया मेरे चेहरे को पीछे करके अपनी जीभ बाहर निकाल रही थी। रिया अपना सर मेरे कंधे पर रख रही थी, तो मै उसका स्कर्ट नीचे तक कर चुका था।
अब मैं रिया की मखमली चूतड़ पर हाथ फेरने लग गया था, तो रिया मेरे शर्ट को खोलने लग गयी। मै उसके टॉप्स को उसकी बाहों से बाहर कर दिया और रिया अपने गुलाबी रंग के ब्रा और पेंटी में मस्त माल दिख रही थी।
वो मेरे कच्छा को छोड़कर सारे कपडे निकाल दिए, और फिर मैने दीदी को बेड के किनारे पर बिठाया। रिया अपने दोनो पैर ऊपर करके बैठी थी, तो मै उसके पैर को दो दिशा में किए जमीन पर बैठ गया।
अब दीदी अपने चूतड़ को बेड के किनारे कर दिए, तो मै उसकी पैंटी पर नाक रगड़ता हुआ उसके स्तन को मसलने लग गया। और वो सिसकने लग गयी उह आह ऊं और फिर मैं उसकी पेंटी खोल कर उसकी चूत को चाटने लग गया।
अब मैं रिया की लालिमा लिए चूत को चूमने लग गया, वो अपनी उंगली से बुर के मुहाने को खोल रही थी।
मै बुर के ऊपरी सतह को चूमकर बुर में अपना जीभ उसमे घुसा रहा था। फिर मैं कुत्ते की तरह बुर को लपालप चाटने लग गया, वो मेरे बाल को कसकर पकड़ रही थी।
रिया – हाई री बुर चट्टा और तेजी से चोद ना।
मै बुर में जीभ फेर कर मस्त हो रहा था, लंड तो कच्छा में दहाड़ मार रहा था। तभी मै दीदी की बुर के मांस्ल भाग को मुंह में लेकर लेमं चुस की तरह चूसने लग गया।
रिया – अबे कुत्ते साले लंड में जान नहीं है क्या जो तू जीभ से ही मेरी बुर को चोद रहा है?
और फिर मै रिया की बुर को छोड़कर वाशरूम भागा, वहां मैंने जल्दी से पेशाब किया और फिर लंड धोकर रूम में आ गया अब दीदी बेड पर सो गई थी, तो मैने बैग से बियर की बोतल निकाली।
और मैंने पास पड़े टेबल पर बोतल रखी, फिर मैंने दो ग्लास में बियर डालकर सिगरेट जालाया तो दीदी बोली।
रिया – क्या अकेले अकेले बियर पिएगा?
दीपक – नहीं, तेरे ग्लास में बियर में मुतुंगा और तुमको पिलाऊंगा।
ये सुनते ही वो मेरे पास आकर कुर्सी पर बैठ गई और मेरे लंड को थाम कर बोली।
रिया – तो तू मेरी ग्लास में मूत और मै तेरी ग्लास में बोल पिएगा?
और फिर दीदी के साथ बियर पीने लग गया, थोड़ा ग्लास खाली हुआ तो दीदी अपना ग्लास मुझे थमा दिया। और फिर मैंने उसका ग्लास ले लिया, अब दीदी अपनी बुर के सामने मेरा ग्लास लगाकर मूतने लग गयी।
तो मै जबरदस्ती दीदी की ग्लास में थोड़ा सा पिशाब कर पाया। अब ग्लास की अदला बदली हुई और मै दीदी से नजर मिलाते हुए बियर सहित मुत्रपान करने लग गया।
बियर का स्वाद अधिक नमकीन हो चुका था, चूंकि दीदी अधिक मात्रा में मुती थी। लेकिन वो बियर पीते हुए बोली।
रिया – स्वाद में फर्क आया लेकिन तुम मुते ही नहीं।
दीपक – हां जान लेकिन तेरी बुर से निकला स्वादिष्ट मूत्र मेरा नशा बढ़ा रहा है।
फिर हम दोनों बियर पीकर बेड पर आए। मै अब बेड पर लेटा हुआ था, तो रिया मेरे लंड को थामे लंड पर होंठ सटाने लग गयी। मेरे लंड का चमड़ा खींचकर वो चुंबन दे रही थी।
रिया की आंखों में नशा था और बियर का नशा उसको मदहोश कर चुका था। इसलिए वो मेरे सुपाड़ा को थामे अपने चेहरे पर रगड़ने लगी।
फिर वो मुंह खोलकर लंड को अन्दर लेने लग गयी, मुझसे नजर मिलाते हुए रिया मेरे लंड को चूस रही थी। वो अपने मुंह का तेज झटका लंड को दे देकर मुझे पागल कर रही थी, और फिर मैं बोला।
मैं – उई आह और तेज चूस ना साली रण्डी तेरी मां को चोदकर ना रुला ना दिया तो कहना।
रिया कुछ पल मुखमैथुन करती रही, और मै उसके चूचक को पकड़ कर मसलने लग गया। हम दोनों मजे ले रहे थे, रिया मेरा लंड मुंह से निकालने का नाम ही नहीं ले रही थी।
तो मै भी दीदी की मुंह को नीचे से ही चोदने लग गया, फिर रिया ने मेरे रसीले लंड को बाहर निकाला। अब रिया और दीपक गरम हो चुके थे, तो मैने रिया को बेड पर सुला दिया।
वो रांड़ की तरह टांग चिहारकर पसरी रही, तो मै लंड थामे उसके दोनों जांघों के बीच बैठा और धीरे से सुपाड़ा सहित आधा लंड बुर में घुसा दिया।
उसकी बुर गीली हो चुकी थी और मैने एक तेज धक्का उसकी बुर में दे मारा। फिर उसकी कमर को पकड़ कर, मैं उसे चोदने लग गया।
दीदी अब अपने चूतड़ को ऊपर नीचे करते हुए चुद रही थी, तो मै रिया के जिस्म पर सवार हो गया। और मैं दे दना दन उसे चोदने लग गया, तो रिया मेरे कमर को थामकर अपने चूतड़ को ऊपर नीचे करने लग गयी।
वो एक कुंवारी लड़की थी, लेकिन वो बुर का सील तुड़वा चुकी है। अब मै उसके होंठो को चूमने लग गया, तो उसका स्तन मेरे छाती से रगड़ खा रहा था।
दोनों संभोग सुख का रहे थे, और ८-९ मिनट की चुदाई के बाद उसकी चूत आग की भट्टी लग रही थी। तो मेरा लंड अब झड़ने को आतुर हो गया था। फिर वो अपने चूतड़ हिलाते हुए बोली।
रिया – अब बस कर भाई बुर में अपना पानी झाड़ दे।
दीपक – चुप कर रण्डी अभी और चुद।
लेकिन अगले ३-४ मिनट के बाद, मेरे लंड बुर में दम तोड दिया। और रण्डी ने मेरा लंड चूसकर वीर्य का स्वाद लिया।
फिर दोनों ने आगे क्या किया, उसके आप अगले भाग का इंतजार कीजिए।
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