This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
नमस्कार दोस्तो, आपको मेरी कहानी के पिछले दोनों भाग चाची की चूत में खाता खोला मामी ने मुझे चाची की चुदाई करते देख लिया पसंद आ होंगे। इन भागों में आपने पढ़ा कि कैसे मैंने अपनी चाची, स्कूल टीचर और मामी की चुत चुदाई करके उनको अपना दीवाना बना लिया. पिछले भाग में आपने पढ़ा कि मैडम में मुझे दो नई मेहमानों से मिलवाया, वो दोनों ही रंग में थोड़ी सांवली, 5 फ़ीट लंबी और एक थोड़ी दुबली और एक थोड़ी मोटी थी लेकिन दूर से देखने पर पता नहीं चलता था।
जैसे कि तय हुआ था, जब नीचे लोग जब अपने कामों में व्यस्त हो गए तो मैं उन दोनों को लेकर तीसरी मंजिल के चौथे कमरे में पहुंचा, वहाँ उन्होंने अपने अपने ब्लाउज खोलते वक्त शरमाते हुए पूछा- तुम्हें कैसी लड़कियाँ ज्यादा पसंद हैं? तो मैंने कहा- मुझे ना… आपके जैसीं अपने से बड़ी या शादीशुदा लड़कियाँ ही पसंद हैं. तब बो बोलीं- वो क्यों? तो मैंने बोला- इसलिए कि वो थोड़ा समझदार दिखतीं हैं और होने वाली गड़बड़ को संभाल सकती हैं.
उनमें से एक बोली- बात तो तुमने पते की कही है, चलो आ जाओ! चूंकि पकड़े जाने का खतरा था तो उन्होंने केवल आवश्यक कपड़े ही उतारे।
मैं उनके पास गया और पतली वाली को कमर से पकड़कर उसके होंठों को अपने होंठों में लेकर किस करने लगा. इसके बोबे कुछ ज्यादा बड़े नहीं थे लेकिन मोटी वाली थोड़ी से चर्बी के साथ पूरी एक मस्त सेक्स बॉम्ब थी जिसने नीचे (मोटी वाली ने) मेरी पेंट की जिप खोली और लिंग को बाहर निकालकर मुठियाने लगी.
फिर मैंने पास में रखे गद्दों के ढेर पर मोटी वाली को लिटाया और उसकी टांगों को एक दूसरे से दूर करते हुए उसकी योनि को खोला इसकी योनि पर भरपूर बाल थे. मैंने उसकी योनि पर अपना मुंह रखा और पूरे जोश से जल्दी जल्दी चूसने लगा. ऊपर पतली वाली मोटी वाली के होंठों पर अपनी योनि को रखकर अपने पैरों को घुटनों के बल मोड़कर उसके मुंह पर मेरे कन्धों को पकड़कर बैठी थी. कुछ समय बाद पहले मोटी और फिर पतली दोनों एक-एक से पानी छोड़ गईं तो मैंने पतली को लेटने को कहा. लेकिन वो इस तरह से लेटी कि उसकी योनि मेरी तरफ व हाथ मुंह मोटी की योनि पर हों. थोड़ी दिक्कत हुई पर कैसे भी मैंने मोटी की योनि में पतली की दो उँगलियाँ डलवा दीं, फिर मैंने अपना लिंग पकड़ा और पतली की छोटी सी चोकोलेटी गुलाबी योनि के मुंह पर रखा और एक तेज धक्के में आधा अंदर घुसा दिया. उसके मुंह से चीख निकल गई जिसे मोटी ने उसके मुंह पर अपना एक चूचा देकर कम किया.
फिर मैंने दूसरे झटके में लिंग पूरा अंदर किया जिससे उसके आंसू निकल आए लेकिन मैंने उन पर ध्यान न देते हुए धक्के लगाना शुरू किया. उसे पहले तो तकलीफ हुई, फिर वो भी अपनी गांड उठाकर मेरा साथ देने लगी. फिर कुछ देर बाद मैं उसे कुतिया बनाकर पेलने लगा. अब वो मोटी की योनि चाट सकती थी. चूँकि मैं यह चाहता था कि जब मोटी का नंबर आए तब तक वह ताजी ताजी झड़ी हो और पतली भी यहाँ अपनी कुछ जरूरत से ज्यादा टाइट योनि के साथ मजे ले रही थी.
कुछ दस मिनट में जैसे ही पतली ने पानी छोड़ा, मैंने लिंग निकाला और मोटी को अपनी ओर खींचते हुए उसकी योनि में लंड घुसाकर पेलने लगा. उधर वो अपनी योनि को इससे साफ करवाने लगी चूँकि मोटी पतली के मुंह और उंगली से पहले ही चुदी हुई थी तो थोड़ी ही देर में उसने मेरे साथ ही पानी छोड़ दिया और हम सब एक दूसरे से अलग हुए और कपड़े पहनकर सब कुछ साफ करके वापिस नीचे आ गए.
वो दोनों काफी खुश लग रही थीं. उन्होंने मुझे अपना मोबाइल नंबर देकर कहा- अगर ग्वालियर में कभी फ्री हो तो याद जरूर करना! और चली गईं.
फिर जब मैडम मुझे मिलीं तो पूछने लगीं- कैसा रहा? मैं बोला- जबर्दस्त! तो वो बोलीं- कुछ और धूम धड़ाका करना है? तो मैंने कहा- नहीं, बहुत हो चुका! तब वो बोलीं- पके हुए खाने को ना नहीं कहते! तो मैं बोला- अभी पेट भरा हुआ है, कहीं अपच हो गई तो! इसलिए पहले इसे पच जाने दो।
चूँकि रात बहुत हो चुकी थी तो मैं घर जाकर सो गया. रात भर वहाँ में अकेला ही सोया. सुबह जब उठा तो वहाँ मामी और चाची दोनों थीं. तब चाची बोलीं- अबे यार, कितने फट्टू हो तुम… तो मैं बोला- मतलब? “मतलब ये कि तुम्हारी मामी ने तुमसे कुछ भी उल्टा सीधा झूठ बोला और तुम सच समझ बैठे?” तो मैं बोला- डिटेल में बताएंगीं?
तब मामी बोली- अबे मूर्ख मैंने झूठ कहा था कि पिछले दरवाजी की चाबी मेरे पास है और तूने सच मानकर सब बक दिया. तो मैं बोला- हाँ, अच्छा ही हुआ न, आप दोनों को सब मालूम पड़ गया. चाची बोलीं- इसे तो पहले ही सब मालूम था, जो हुआ वो तो सब नाटक था. मैं बोला- जब सब मालूम था तो मुझे चूतिया क्यों बनाया? तब चाची बोलीं- बनाया नहीं, तू पहले से ही है! और हंसने लगीं. तो मैं हाथ मुंह धोकर वहां से निकल लिया.
शादी वाले घर में काफी काम करना पड़ा, अंततः बारात दुल्हन मैडम और उन दोनों मोटी पतली को वापस ले गई. कुछ देर बाद चाची ने मुझे एक लिफाफा दिया और बोलीं- पता नहीं कोई दो मोटी पतली औरतें थीं, तुझे ढूंढते हुए मुझे ये दे गईं. उस लिफाफे में एक गुलाब और कुछ पैसे और एक थैंक्यू नोट था।
जब सब ख़त्म हुआ तो मैं चाची के साथ झाँसी आया. यहाँ एक बार उनकी सेवा और करते हुए दतिया पहुंचा जहाँ मैडम ने मेरी काफी खातिरदारी की. बदले में मैंने उनके अंदाज में उनकी सेवा भी की और अंततः ग्वालियर पहुंचा।
उस दिन मैंने ग्वालियर पहुंचकर चैन की सांस ली और सोचा कि अगले महीने एग्जाम्स शुरू होंगे तो लगभग 3 महीने तक इन सबसे दूर ही रहो, तो ठीक होगा. और किताब उठाकर पढ़ने बैठ गया.
कुछ देर बाद मुझे एक कॉल आया जो उसी मोटी का था उसने मुझे मेरे घर के पास ही एक गार्डन में बुलाया, जहाँ मैं समय पर पहुँच गया तब वो बोलीं- उनका एक ग्रुप है जिसमें कुछ औरतें शामिल हैं सिर्फ औरतें ना कि कोई आदमी, इनकी संख्या 6 है जिनमें मैडम और पतली भी आते हैं. ये सब सेक्स की प्यासी हैं, मतलब हम सब समलैंगिक हैं, जरूरत पड़ने पर कोई भी किसी के साथ चला जाता है. तो क्या तुम इस ग्रुप के इकलौते आदमी सदस्य बनोगे? फैसला तुम्हारे ऊपर है. हाँ, कुछ सोचने से पहले बाकी लोगों के बारे में हो सकता है कि तुम किसी और को भी जानते हो! बस इतना बोलकर वो चली गई.
मैं सोचता रहा कि क्या करूँ. फिर मैंने मैडम को फोन लगाया तो उन्होंने कहा- वैसे बाकी सदस्य कुछ अच्छे घरों से ताल्लुक रखतीं है फिर भी तुम सोच लो. तो मैंने कहा- क्या मैं इनसे मिल सकता हूँ? तो वो बोलीं- जरूर, कल 4 बजे जहाँ वो मिली थी, वहीं पहुँच जाओ, मैं बाकियों को भेज दूंगी।
शाम को मैं वहां पहुंचा तो वहां मोटी, पतली के अलावा बाकी चार औरतें मौजूद थीं. इन चार में से दो वो थीं जिन्हें देखने मात्र के लिए हमारे कॉलेज के आधे स्टूडेंट रेगुलर कॉलेज जाते थे और जिसकी भी बात होती होगी वो कभी ना कभी हिलाता जरूर होगा इनके नाम पे!
खैर इन्होंने तो मुझे नहीं पहचाना और जो बाकी दो थीं, ये भी 30-32 साल के एटम बम ही थीं जिन्हें देखकर मेरी लार घुटनों तक टपकी और मैंने हाँ बोल दिया. तो उन्होंने कहा- ठीक है. फिर मुझे सबने अपने फोन नंबर दिए और अपने अपने रास्ते चलते बनी, बस शर्त यह थी कि बीच में एक कप्तान बना लो, जो भी मुझे बुलाएगी, पहले कप्तान को बताएगी और कप्तान यह निश्चित करेगी कि केवल एक कॉल एक दिन की ही मुझ तक पहुंचे और सप्ताह में एक मेंबर से एक बार ही मिलूंगा।
चूँकि मोटी एक गृहणी थी तो वो ही कप्तान बनी और अगले दिन फोन लगाकर एक अड्रेस देकर बोली- शाम 4:30 के बाद जब चाहो जा सकते हो! मैं ठीक 5 बजे पहुँच गया.
जिन्होंने मुझे बुलाया उनका (काल्पनिक) नाम- सीमा, उम्र 39वर्ष (सबसे बड़ी), विवाहित लेकिन पति ने छोड़ (धोखा) दिया. एक स्पेशल बात ये पर्सनली मुझे बहुत पसंद है और हमारी क्लास टीचर भी यही हैं। मैं घर में अंदर गया उन्होंने मेरा स्वागत किया कुछ थोड़ी बहुत बात हुई.
फिर उन्होंने मुझसे पूछा- सेक्स की लत कब से लगी? तो मैं बोला- नहीं, लत तो नहीं लगी, बस कुछ लोग ऐसे मिले जिन्हें इसकी काफी जरूरत थी तो मैंने मदद की बस! वो बोलीं- अच्छा ऐसी बात है. फिर तुम तो कभी किसी को बुलाओगे ही नहीं? तो मैं बोला- हाँ, आप देख सकती हैं कि मेरे पास किसी का नंबर है ही नहीं!
फिर हम दोनों उनके बेडरूम में गए. उन्होंने मुझे एक कॉन्डोम दिया, मैंने पहना और उनके सारे कपड़े उतारे.
उन्हें शायद मुंह में लेना पसंद नहीं था लेकिन मुझे उनकी चाटने से किसने रोका था तो मैंने रेफ्रिजरेटर से एक आइस क्यूब निकाल कर इनकी गुलाबी योनि में डाला, जिससे ये फड़फड़ा गईं और मैं उनकी फुदकती हुई फुद्दी को बड़े प्यार से चाटने चूसने लगा. जब तक बर्फ पूरी तरह पिघला, इनकी योनि भी उंगली करने पर पिघल गई और इसी पिघली हुई योनि में मैंने इनके द्वारा चूमने मात्र से खड़ा हुआ लिंग धीरे धीरे करके अंदर डाला.
चूँकि इन्होंने काफी समय से किसी का लिंग अपने अंदर नहीं लिया था तो इन्हें भी थोड़ा चैन पड़ा इनकी योनि रस टपकाने के साथ-साथ फुदक भी रही थी जिसे मैंने चोदना शुरू किया. मुझे ये स्थिति बहुत पसंद है जब झड़ी हुई योनि को पेलो तो! वो पहले तो चिल्लाएंगीं जिससे मेरा जोश बढ़ेगा.
और हमेशा की तरह यही हुआ. पहले तो वो कराहीं और जब जोश आया तो उनकी योनि अंदर से टाइट और गर्म हुई और ये मेरा पूरा साथ देने लगीं. लेकिन यहाँ कुछ उल्टा हुआ. वो यह था कि जहाँ सामने वाली पहले पानी छोड़ती थी, वहाँ मैंने पहले कॉन्डोम भर दिया. लेकिन उस हालत में भी मैं लगा रहा, थोड़ा बहुत लिंग और थोड़ा बहुत अपने हाथ मुंह से मैंने उनका भी पानी निकलवाया. कुछ देर आराम के बाद मैंने बिना उनके कहे अपना लिंग उनकी योनि में डाला और कार्यक्रम दोबारा शुरू किया लेकिन इस बार सब मजे से सही सही हो गया।
जब मैं वापिस आने लगा तो उन्होंने मुझे थैंक्स बोला और कुछ पैसे दिए. मैंने मना किया तो वो बोलीं- सुरक्षा समझ के ले ले और हमारी गोपनीयता को बनाए रखने में सहयोग कर! मैंने पैसे लिए और वापिस आ गया।
फिर मैंने चाची से थोड़ी देर बात की और अपने काम में व्यस्त हो गया.
तभी मोटी का रात में मुझे फोन आया, वो बोली कि वो अपने घर में अकेली है और उसे अकेले में डर लगता है तो अगर मैं फ्री होऊं तो क्या आज रात मैं उनके साथ सोऊँ? मैंने हाँ बोला और उसके घर पहुंचा.
उसने डिनर बना के रखा था, हम दोनों ने खाया. तभी उन्होंने सेक्स की एक पारी धूमधाम से खेलने की बात कही. तो मैंने कहा- एक दिन में एक ही कहा था मैंने! तो वो बोलीं- कम से कम कप्तान को तो इतनी रियायत होनी चाहिए! तो मैं बोला- ठीक है… लेकिन ये पहली और आखिरी बार होना चाहिए!
और मैंने सुकून के साथ उसके और अपने कपड़े उतारे और हमने एक दूसरे को चूमना चाटना शुरू किया. जब पूरा फोरप्ले खत्म हुआ तो चुदाई आरम्भ हुई मैंने उसे पूर्ण श्रद्धा के साथ चोदने की कोशिश की और हार्डसेक्स किया उसके झड़ने के बाद भी… वो चिल्लाती रही और मैं पेलता रहा जब तक कि उनकी योनि मेरे वीर्य से भर ना गई।
कुछ समय बाद मेरे एग्जाम्स शुरू होने थे तो मैंने इन सब पर ध्यान देना छोड़ा. लेकिन फोन की घंटी तो बजनी ही थी. एक दिन नहीं आया तो क्या हुआ, अगले दिन या उसके भी एक दिन बाद मुझे कॉल्स आने लगे और मैं सेवाएँ देता रहा।
इस कहानी का यह भाग यहीं खत्म हुआ. और अब मैं सोच रहा हूँ कि इसके साथ यह सीरिज भी यहीं रोक दूँ क्योंकि मुझे ऐसा लगता है कि आगे थोड़ा बहुत पचड़ा होगा और वो कहानियाँ कुछ खास भी नहीं होंगीं. लेकिन अगर आप चाहें तो बता सकते हैं कि अगला पार्ट आना चाहिए या कहानी यहीं खत्म करूँ।
शायद यह भाग आपको बोरिंग लगा हो या पसंद ना आया हो. अगर ऐसा है और मेरे लायक कोई सुझाव मुझे मेल के जरिए भेजें. मेरा मेल है- [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000