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दोस्तो, मेरा नाम शिल्पा है, मेरी आयु 22 साल है। मेरे घर में मम्मी-पापा, छोटा भाई उम्र 19 साल और दादी जी हैं। हम पंजाब के एक शहर में रहते हैं। मेरी एक बड़ी बहन भी है जिसकी उम्र 26 साल है और शादीशुदा है।
हमारा घर दो मंजिल का है, नीचे मम्मी-पापा का रूम, दादी जी का रूम, भाई का रूम है और ऊपर दो कमरे हैं, अब दोनों पर मेरा ही कब्जा है और बैड दोनों ही रूम में ही लगा है। दोनों कमरों के बीच एक बाथरूम बना हुआ है जिसके दरवाजे दोनों कमरों में खुलते हैं। हम दोनों बहनों के कमरे ऊपर ही थे।
ऊपर के कमरों की एक खासियत है कि सीढि़यों का दरवाजा बंद करने के बाद कोई ऊपर नहीं आ सकता और हमारे घर के पीछे एक बालकॉनी है जिसके आगे एक बंद और तंग गली है। वहां कोई घर नहीं सिर्फ कागजों में सरकारी जगह होने की वजह से खाली है और सुनसान रहती है। गली के दूसरे तरफ भी लोगों के घर हैं लेकिन उस तरफ किसी का दरवाजा नहीं है न ही कोई बालकॉनी का दरवाजा है। वहां उस गली की तरफ मेरे कमरे का दरवाजा ही खुलता है। एक और खासियत है कि अगर कोई ऊपर चढ़ना चाहे तो आसानी से आ सकता है, दीवार पर चढ़ने के बाद मुझे उसको एक फीट का फट्टा देना होगा ताकि उसके हाथ बालकॉनी तक आ जाएं और फिर दीवार से पैर लगा कर आसानी से ऊपर आ जाएगा। अभी तक रात को ऐसे ही कई लड़कों और मर्दों को ऊपर चढ़ा चुकी हूं। इसलिए मैंने एक लकड़ी का फट्टा रखा हुआ है जब लड़का या मर्द उतर कर जाता है तो मुझे उठा कर वापिस पकड़ा जाता है। ये सारी बातें मेरी बड़ी दीदी ने ही सिखाई हैं।
घर वालों को लगता है कि ऊपर के कमरे हम दोनों बहनों के लिए सही है क्योंकि उस गली में कोई आता जाता नहीं है न कोई घर है। लेकिन हम दोनों बहनों के लिए ये कमरे हमारे रंगरलियों के अड्डे हैं यहां पर हम दोनों बहनें अब तक न जाने कितने लड़कों और शादीशुदा मर्दों के लंड ले चुकी हैं।
दीदी अब भी जब यहां मिलने आती है तो ऊपर के कमरे में ही सोती है और अपने किसी पुराने यार को बुला कर मजे़ लूटती है। अब तो दीदी के जितने पुराने यार हमारे शहर में हैं, मेरे भी यार हैं और जो मेरे यार बने, वो दीदी के भी यार हैं। दीदी और मैं जिसके जिसके साथ टाईम मिलता वो उससे चुदाई करवा लेती हैं।
अब मैं एम.ए पॉलिटीकल पहला साल की छात्रा हूं। मेरा रंग काफी गोरा और फिगर का नाप 34डी-28-36 है। मेरा कद 5 फीट 6 इंच और बाल लंबे हैं। मेरे बालों एवं आखों का रंग काला और होंठ गुलाबी हैं। मेरी स्किन बहुत मुलायम है और मैं अपने बदन के सारे अनचाहे बाल साफ करके रखती हूं। मेरे बूब्ज़ बड़े बड़े एवं गोल हैं और गांड भी उभरी हुई और चूतड़ गोल हैं। मेरा बदन चिक़ना और टाईट है। मेरे बूब्ज़ भी कसे हुए हैं और बूब्ज़ के निप्पलों का रंग हल्का भूरा है। मेरा पेट मुलायम, कोमल, चिकना है और नाभि गहरी है। मेरी जांघें भरी हुई, चिकनी, टाईट और मुलायम हैं। मेरी गांड बहुत गद्देदार है।
मैं बहुत से लड़कों और शादीशुदा मर्दों से चुदाई कर चुकी हूं जिन में से कुछ तो 60 साल की आयु से ज्यादा के भी हैं। मेरी पहली चुदाई तब हुई थी जब मेरी बारहवीं कक्षा की परीक्षा होने वाली थी। तब भी मेरी फिगर का नाप यही था। हमारे घर में मीट मछली बहुत बनता है और मैं बहुत खाती हूं इस वजह से मेरे अंदर सेक्स की गर्मी ज्यादा है और मैं चाट, गोल गप्पे और खटीमीठी चीजें बहुत खाती हूं इस चाट और मीट मछली के ज्यादा सेवन से ही मेरी फिगर ऐसी है।
पूरे कॉलेज़ में मुझ से सेक्सी फिगर और किसी की नहीं है। कॉलेज़ के लड़के एक झलक देखने को आगे पीछे घूमते हैं बहुत, अपने प्यार के जाल में फंसाने के लिए नए-नए तरीके अपनाते हैं लेकिन मैं हाथ नहीं आती। घर में, कॉलेज़ में और मुहल्ले में मैं बहुत शरीफ हूं इसलिए मैंने अपने कॉलेज के किसी लड़के से मेल जोल नहीं बढा़या। मेरे चोदू यार किसी और कॉलेज़ के लड़के हैं या फिर शादीशुदा मर्द है कोई नौकरी करता है किसी का खुद का बिज़नेस है कोई रिटायर है।
अब कहानी पर आते हैं। लेकिन कहानी शुरू करने से पहले अपनी दोस्त अर्शदीप कौर का धन्यवाद करती हूं जिसने मुझे अपनी चुदाई की कहानियां लिखने के लिए इस साईट के बारे बताया, वो भी इस साईट पर कहानियां लिख चुकी है।
यह बात तब की है जब मैं बारहवीं कक्षा में थी और मेरी परीक्षा आने वाली थी। मैं पढ़ाई में ज्यादा तेज़ नहीं थी और परीक्षा बोर्ड की थी। हमारे स्कूल का प्रिंसीपल जो हमारा मैथ का टीचर भी था। वो मुझे बहुत प्यार से बुलाता था और मेरे बदन को छूता रहता था। उसके प्यार से बात करने की वजह मुझे पता थी क्योंकि पूरी कक्षा में मैं सबसे सुंदर और सेक्सी लड़की थी।
परीक्षा पास आते देख पापा ने मेरी ट्यूशन उन्हीं के पास रख दी वो मुझे मैथ, साइंस और इंगलिश पढा़ते थे। उन्होंने पापा को बोला वो ट्यूशन नहीं पढा़ते लेकिन शिल्पा को पढ़ाई करवाएंगे और कोशिश करेंगे पहले दर्जे में पास हो और कोई ट्यूशन फीस नहीं। मेरी बड़ी दीदी भी उनसे उनके घर पढ़ने जाती थी और मेरी दीदी की सील भी सर ने ही तोडी़ थी।
उनका नाम प्रेम गर्ग था लेकिन मैं उनको सर बुलाती थी। तब उनकी आयु 50 साल की थी। उनका रंग सांवला कद करीब 5 फीट 8 इंच है। चेसरा क्लीन शेव है और सिर के बालों पर काला रंग लगाते हैं। उनकी आंखें काली हैं और नज़र का चश्मा लगा हुआ है। उनके एक बेटा और बेटी हैं दोनों शादीशुदा हैं। बेटी ससुराल में रहती है बेटा दूसरे शहर में नौकरी करता है तो अपनी पत्नी के साथ वहीं रहता है। प्रेम सर की पत्नी 40 किमी दूर एक बैंक में नौकरी करती थी जो शाम को करीब 6 बजे घर आती थी।
दोपहर को 2 बजे स्कूल में छुट्टी हो जाती थी और मैं बैग घर में रखकर खाना खा कर 2:30 बजे सर के घर पहुंच जाती थी, तब सर घर में अकेले ही होते थे। मैं स्कूल की यूनीफॉर्म बदल कर जींस टॉप या जींस शर्ट पहन कर आती थी जो कि टाईट होते थे। उन कपड़ों में मेरे बदन का एक एक उभार अच्छे से दिखाई देता था।
सर मुझे सब सबजैक्ट एक एक घंटा पढा़ते थे। मुझे पढा़ते टाईम उनकी नजर मेरे बूब्ज़ पर होती थी। वो पढ़ाई कम करवाते और अपनी ठर्क ज्यादा पूरी करते थे। जब उनकी पत्नी घर आ जाती तब छुट्टी करते थे। अब परीक्षा में 15 दिन बाकी थे और मुझे डर लग रहा था। हमें स्कूल से फ्री कर दिया ताकि घर में अच्छे से पढ़ाई कर सकें।
मैं सर के पास पढ़ाई के लिए गई और मैंने कहा- सर परीक्षा पास आ रही है और मुझे डर लग रहा है कि अगर अच्छे नंबर नहीं आए तो अच्छे कॉलेज़ में दाखिला नहीं मिलेगा। सर ने मेरी पीठ सहलाते हुए कहा- डर मत शिल्पा, मैं हूं न, तेरे कम से कम 80% नंबर आएंगे। मैंने कहा- पर कैसे सर, आप जानते ही हो मैं इतनी होशियार नहीं हूं, 50% नंबर लेना भी मुश्किल लग रहा है।
सर हंस पडे़ और कहा- जितना आता हो उतना लिख देना, बाकी हमारे पास एक घंटा होता है और सुपरअटेंडेंट और सुपरवाईज़र सब मेरी पहचान के हैं, परीक्षा के बाद मैं करवा दिया करू़गा। मैं जो बोलता जाऊंगा तुम लिखती जाना। मैंने कहा- थैंक्स सर, आप मेरे लिए इतना कुछ कर रहे हो, यह एहसान में कभी नहीं चुका पाऊंगी। सर ने कहा- ये कोई एहसान नहीं है इसके बदले मुझे भी कुछ चाहिए। मैंने कहा- आप बोलो, मैं पापा से बोल कर आपको वो दिलवा दू़ंगी।
सर ने कहा- वो तुम्हारे पापा नहीं तुम दे सकती हो। मैंने कहा- मैं क्या दे सकती हूं? सर ने कहा- मुझे खुश करना होगा! मैंने कहा- कैसे सर? लेकिन मैं समझ चुकी थी कि वो चुदाई चाहते हैं।
सर ने कहा- मुझे तेरे तीनों छेदों में लंड डालकर तुझे चोदना है. जब भी तुझे देखता हूं तो लंड खड़ा हो जाता है। तभी सर ने अपनी पैंट से लंड बाहर निकाल लिया और कहा- देखो शिल्पा, कैसे खड़ा है। मैंने पहली बार किसी मर्द का लंड देखा था और मैं गौर से देखने लगी, सर का लंड काफी मोटा, लंबा और जानदार था।
सर ने अपने लंड की चमड़ी पीछे खींच ली और बीच से लाल रंग का टोपा निकल आया। सर ने कहा- अभी मेरी पत्नी आने वाली होगी, टाईम कम है। कल को सुबह नौं बजे मेरे घर आ जाना और घर बोल कर आना स्कूल में 3 बजे तक पढ़ाई होगी और फिर सर के पास पढ़ने जाना है. 6 बजे घर आऊंगी। मैंने कहा- आपका लंड तो बहुत मोटा और लंबा है जबकि मेरी बुर और गांड के छेद बहुत छोटे हैं।
मुझे अच्छी तरह पता था कि सर का लंड मेरी बुर और गांड का छेद खोलकर घुस जाएगा, फिर भी मैंने कहा- आपका लंड घुस ही नहीं पाएगा। सर ने कहा- वो मुझ पर छोड़ दो, वो मैं देख लूंगा, तुम बस कल 9 बजे सुबह आ जाना। मैंने कहा- ठीक है सर, अभी आधा घंटा बाकी है तो पढ़ाई करें? लेकिन मेरी नजर सर के लंड पर ही रुकी हुई थी।
सर ने किताब बंद करके कहा- बहुत हो गई पढ़ाई, तुम एक बार हाथ में मेरा लंड पकड़ कर हिलाओ। मैं भी बेशर्म हो गई क्योंकि मैं खुद भी चुदना चाहती थी लेकिन अपनी उम्र से इतने बड़े मर्द से पहली चुदाई होगी ये पता नहीं था।
मैं सर का लंड हिलाने लगी सर ने कहा- तेजी से हिलाओ। मैं तेजी से लंड हिलाने लगी।
सर मेरे टॉप के ऊपर से मेरे बूब्ज़ दबाने लगे और बोले- शिल्पा, तेरे बूब्ज़ तो बहुत बड़े और टाईट हैं। फिर सर ने कहा- टोपे को जीभ से चाटो. मैं सर के लंड पर जीभ घुमा कर चाटने लगी और मुझे अच्छा लग रहा था। मैं टोपे को अच्छी तरह चाट रही थी। सर ने कहा- क्या बात है… तुम तो बहुत अच्छा चाटती हो।
फिर सर ने लंड चूसने को कहा और मैं लंड मुंह में लेकर चूसने लगी। मैं सिर को ऊपर नीचे करके सर का लंड चूसने लगी। सर ने कहा- एक बार में पूरा लंड चूसो! तो मैंने कहा- सर, इतना ही मुंह में आता है। सर ने कहा- आगे गले में भी जाएगा! तो मैंने कहा- ऐसे तो मेरी सांस रुक जाएगी। सर ने कहा- जैसा मैं कहता हूं, वैसा करो। एक लंबी सांस लो, फिर मुंह में लंड लो, फिर जब मुंह के आखिर तक पहुंच गया तो धीरे धीरे गले में उतार लेना।
मैंने वैसे ही किया, जब सर का लंड मेरे गले में घुस रहा था तो ऐसे लग रहा था जैसे मेरा गला खुलता जा रहा है। एक बार के बाद मैं मना करना चाहती थी लेकिन परीक्षा में नंबर चाहिए थे तो करती रही। पहले तीन चार बार तो मुश्किल लगा लेकिन उसके बाद सर का लंड आसानी से गले में अंदर बाहर होने लगा, मैं तेजी से चूसने लगी।
सर ने कहा- लगता है, अब तुझे मजा आ रहा है! मैंने कहा- जी सर, पहले तीन चार बार तो मुश्किल हुई, अब अच्छा लग रहा है। सर ने मुझे घुटनों के बल नीचे बैठा दिया और खुद मेरे सामने खड़े हो गए।
सर का लंड मेरे होंठों को छू रहा था, मैंने मुंह खोलकर लंड मुंह में भर लिया और फिर चूसने लगी। कुछ देर बाद सर ने रुकने को कहा और बोले शिल्पा- अब मैं तेरा मुंह चोदूंगा, जैसे ही लंड गले से बाहर आए जल्दी से सांस ले लेना! मैंने कहा- जी सर।
सर ने मुझे सिर से पकड़ लिया और मेरे मुंह में तेजी से शॉट लगाने लगे। सर अपनी कमर आगे पीछे करके मेरा मुंह चोद रहे थे और कमरे में गप्प गप की आवाज़ गूंज रही थी। सर का लंड मेरे थूक से पूरी तरह लथपथ हो गया था जो मेरे होंठों से नीचे टपक रहा था।
कुछ देर बाद सर की शॉट मारने की रफ्तार तेज़ हो गई, सर बोले- मैं झड़ने वाला हूं मेरी रानी, तुम मेरा सारा वीर्य पी जाना। थोड़ी देर बाद सर का शरीर अकड़ने लगा और मेरे मुंह में गर्म गर्म गाढा़ सा नमकीन तरल पदार्थ की एक के बाद एक कई पिचकारी गिरी, कुछ तो मैं पी गई, कुछ मेरे होंठों से टपकने लगा। सर के लंड से भी वीर्य की कुछ बूंदे टपक रही थीं, मैंने उन बूंदों को हाथ से लगा लिया ये सफेद रंग का चिपचिपा गाढा़ तरल था।
मैंने पहली बार वीर्य का स्वाद देखा था और मुझे बहुत अच्छा लगा। जो वीर्य मेरे होंठों से टपक कर मेरी गालों पर फैल गया था, वो मैंने हाथ से साफ किया और जीभ से चाट लिया।
सर ने कहा- मजा आ गया शिल्पा, तुम तो बहुत मस्त हो। मैंने कहा- आपका तो हो गया सर… पर मेरे नीचे बुर में आग लग गई है, उसका क्या होगा। सर ने टाईम देखा तो अभी आंटी के आने में 15 मिनट रहते थे, सर ने कहा- इसका भी इलाज़ अभी कर देता हूं, तुम जींस उतार कर टेबल पर बैठ जाओ।
जब तक मैं जींस और पैंटी निकाल कर टेबल पर बैठी तब तक सर ने वो वीर्य जो मेरे होंठों से टपक कर नीचे गिर गया था, उसको कपड़े से साफ कर दिया। वैसे वो वीर्य मेरे बूब्ज़ पर गिरना था पर टॉप खराब हो जाता तो पीछे हो गई थी। सर ने मेरी टांगें फैला लीं और मेरी चिकनी जांघों को सहलाने लगे, सर ने कहा- शिल्पा, तेरी जांघें भी तेरी तरह मस्त हैं। मैंने सर को एक सेक्सी मुस्कान से जवाब दिया।
सर ने जब मेरी शेव की हुई बुर देखी तो खुश हो गए और बोले- मुझे बिना बाल की बुर अच्छी लगती है। मैं तुझे कहने ही वाला था कि अगर बुर पर बाल हैं तो कल साफ करके आना लेकिन तुम तो पहले ही साफ किए हुए हो। मैंने कहा- सर, मैं साफ ही रखती हूं, हर तीसरे दिन बुर के बाल साफ कर देती हूं और हफ्ते बाद पूरे बदन से अनचाहे बाल साफ कर देती हूं। कल को पूरे बदन की सफाई करनी थी लेकिन आज रात को कर लूंगी, तभी कल टाईम पर आ पाऊंगी।
सर खुश हो गए और उन्होंने अपने होंठ मेरी बुर पर लगा दिए। पहली बार किसी ने मेरी बुर को छुआ था वो भी एक मर्द ने और मेरे पूरे बदन में खलबली सी मच गई। अचानक से मेरे बूब्ज़ के निप्पल सख्त हो गए। तभी सर जीभ से मेरी बुर चाटने लगे और फिर जीभ बुर में घुसा कर चाटने लगे। मेरी कमर अपने आप चलने लगी, मैं गांड आगे पीछे करके बुर चुसाई का मजा लेने लगी। मेरी बुर पूरी तरह गीली हो चुकी थी.
तब सर ने अपनी एक उंगली थोडी़ सी मेरी बुर में डाल दी और उंगली हिलाने लगे और साथ में जीभ से भी चाट रहे थे।
मैं ज्यादा देर सहन नहीं कर सकी और बहुत जोर से झड़ गई। वैसे तो मैं रोज बुर में उंगली करती थी लेकिन जितनी जोर से आज झडी़ उतनी जोर से कभी नहीं झडी़ थी। मुझ में इतनी हिम्मत नहीं थी कि टेबल से उतर कर जींस पहन लूं, मैं टेबल पर हांफ रही थी।
सर ने कहा- लगता है पहली बार झडी़ हो? तो मैंने हां मे सिर हिला दिया।
दो तीन मिनट बाद मैं नॉर्मल हुई और नीचे उतर कर पैंटी, जींस और सैंडिल पहन लिए।
मैंने कहा- बहुत मजा आया सर! तो सर ने कहा- ये तो ट्रेलर था, फिल्म बाकी है, फिर देखना कितना मजा आएगा और ये मजा तो कुछ भी नहीं है। सर ने मुझे पूछा- क्या तुमने पोर्न मूवी देखी है? तो मैंने नहीं बोल दिया।
सर ने मुझे पूछा- तुम्हारा अलग कमरा है या शेयर करती हो? तो मैंने कहा- अलग है सर, वो भी ऊपर वाला, कोई नहीं आता वहां पर। फिर सर ने पूछा- कमरे में कंम्प्यूटर है क्या? तो मैंने हां बोल दिया.
सर ने मुझे पैन ड्राइव दी और कहा- इसमें बहुत पोर्न मूवीज़ हैं, इनको ध्यान से देखना, कल ऐसे ही चुदाई करेंगे। मैंने पैन ड्राइव अपनी किट में रख ली.
तब आंटी भी आ गई और फिर मैं घर आ गई।
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कहानी का अगला भाग: मेरे टीचर ने की मेरी पहली चुदाई-2
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