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नमस्ते दोस्तो, मैं किरण एक बार फिर से रिश्तों में चुदाई की नई कहानी लेकर आया हूँ जो कि मेरे दोस्त की है जिसे मैं अपने द्वारा उसकी जुबान से बयान कर रहा हूँ। मेरी पिछली कहानियों को पढ़ने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद! जिन नए दोस्तों ने मेरी पिछली कहानियां पढ़ी नहीं हैं प्लीज़ वे पहले इस कहानी के पिछले दो भाग मामी की चूत चुदाई का आनन्द मामी की चूत चुदाई का आनन्द-2 पढ़ सकते हैं।
अभी तक आपने पहले दो भागों में पढ़ा कि किस तरह मामी जी की मैंने चुदाई की। उस दिन चुदाई करने के बाद कुछ समय तक हम दोनों वैसे ही पड़े रहे फिर एक दूसरे को बाथरूम में जाकर साफ किया और फिर बेड पर लेट कर बातें करने लगे।
मामी जी- राहुल और एक बार तुमने मुझे बहुत संतुष्ट किया, तुम्हारी चुदाई से तो मुझमें नई जवानी आनी लगी है; तुम्हारे लंड से मुझे जन्नत का अहसास होता है। मैं- मामी जी, मुझे भी आपको चोदते वक़्त इतना ज्यादा मजा आता है जितना कि कुँवारी चुत चुदाई से ज्यादा, मैं आप को अपनी रानी बनाकर रखूंगा।
कुछ देर हम बातें करते रहे, फिर मामी ने कहा- चलो अब अपने काम पर जाओ और जल्दी घर लौट कर फिर से मुझे तृप्त करना।
इसके बाद में अपने काम पर चला गया, वहां पर मैंने तीन दिन की छुट्टी ले ली और सीधा घर पर गया। तब तक दोपहर के 2 बज चुके थे।
मैं पर जल्दी से आ गया, देखा कि मामी जी ऊपर वाले कमरे में थीं। मैंने दरवाजे को लॉक किया और ऊपर कमरे आ गया। मामी जी खिड़की के पास खड़ी थीं, मैंने झट से मामी जी को पीछे से अपनी बांहों में भर लिया। मुझे देख कर मामी बोली- अरे… आ गए आप? मैं आप को ही याद कर रही थी। मैं- जानू मुझे या मेरे लंड को? मामी जी- आपको… मतलब आपके लंड को! मैं- आज सुबह ही तो दर्शन करवाया था। मामी जी- वो नीचे देखो तो कैसे वो घोड़ा उस घोड़ी पर चढ़ रहा है, उसका विशाल लिंग को देखिए कैसे तना हुआ है, बिल्कुल आपके लंड जैसा है। देखो कैसे उसकी योनि में डाल रहा है।
मैंने नीचे देखा घोड़ा ने अपने आगे के दोनों पैर ऊपर करके उछला और घोड़ी की पीठ पर चढ़ गया, उसका पूरा लंड एक झटके में घोड़ी की चूत में समा गया। यह देख कर मामी जी की सिसकारियां निकल रही थी और उनकी साँसें जोर जोर से चल रही थी।
यहाँ मेरा भी हाल कुछ वैसा ही था, मेरा लंड अब हरकत करने लगा था। मेरा लंड मामी जी के पीछे चूतड़ में चुभने लगा मैं मामी जी को कस के पकड़ लिया और अपने दोनों हाथ पीछे से उनके स्तनों को एक साथ दबा रहा था, फिर मेरा एक हाथ उनके मक्ख़न जैसे पेट को सहला रहा था, उनकी नाभि से खेल रहा था और दूसरा हाथ उनके बड़े स्तनों को मसल रहा था.
फिर ऐसे ही मसलते मसलते मैं अपना हाथ उनके बलाउज में डालकर उनके एक चूचूक को मसलने लगा उनके मुंह से सिसकारियां निकल गई- उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआ आह्हह….
मेरा लंड भी सख्त हो गया था और मामी के चूतड़ों पर चुभ रहा था वो भी पीछे से अपनी गांड को मेरे लंड पर दबा रही थी फिर मुझसे कहा- नीचे का घोड़े का लिंग मुझे ऊपर कैसे चुभ रहा है… ओह ये तो मेरे प्यारे भांजे का… अरे नहीं मेरे चूत के पति का है। मैं- हाँ मेरी जान, अब बेड पर चल कर करते हैं! मामी जी- मेरी जान, यहीं खड़े खड़े चुदाई कर लेते हैं, मुझे भी उस घोड़ी की तरह चुदवाना है. प्लीज़ राहुल मुझे घोड़ी समजो और खुद को घोड़ा समझकर मुझे चोदो! मैं- ठीक है मेरी चुदक्कड़ मामी जी! अरे सॉरी घोड़ी…
इतना कहकर मैंने खड़े रहकर ही मामी जी की साड़ी का पल्लू उतारा और फिर कमर से साड़ी खोलने लगा, पूरी साड़ी निकाल दी और पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया, जिससे वो झट से नीचे पैरों में गिर गया। अब वो सिर्फ ब्लाऊज़ और पैंटी में ही थीं। फिर मैं उनकी पीठ को चूमते हुए नीचे उनके बड़े बड़े चूतड़ों के पास आ गया और उनकी पैंटी उतार कर फेंक दी, फिर घुटनों के बल बैठ कर उनके दोनों बड़े चूतड़ों को अपने हाथों से मसलने लगा. वो सिसकारियां लेने लगी।
मामी के चूतड़ों को सहलाने के बाद, मैंने मामी की गांड में उंगली डाल दी, वी एकदम से चीख पड़ी- प्लीज़ उसे छोड़ कर चूत चूसो। मामी जी को मैंने पैर थोड़ा पसारने के लिए कहा तो उन्होंने अपने दोनों पैर फैला दिए जिससे उनकी चूत के दोनों गुलाबी पंखुड़िया खुल गई. मैंने उनकी चूत पर अपनी जीभ रखी और उसे धीरे धीरे से चूसने लगा।
मामी जी के मुख से एकदम से सिसकारी निकलने लगी- आह आह्ह उई… उम्म्ह… अहह… हय… याह… उफ ओ आह्ह… राहुल प्लीज़ मत तड़पाओ! यह कहते हुए उन्होंने अपने पैर सिकोड़ लिए जैसे करंट लग गया हो! उनकी सिसकारियाँ और तेज होती गई उनका शरीर अकड़ने लगा और मामी की चूत ने रस निकाल दिया और फिर मैंने उनकी चूत का सारा रस पी लिया।
अब मैं खड़ा हो गया, मामी जी को थोड़ा झुका कर उनके पैरों को थोड़ा सा फ़ैलाया और अपना लंड उनकी चूत की दोनों पंखुड़ियों के बीच में रखा और उनकी कमर को पकड़ कर एक जोरदार झटका मारा; मेरा आधा लंड उनकी चूत को चीरता हुआ अन्दर घुस गया जिसकी वजह से उनकी सिसकारियां निकल गई. आईईईई स्सीईईई प्लीज कहती हुई मुझसे कहने लगी- अब तुम जल्दी से अपना पूरा का पूरा लंड डाल दो मेरी इस प्यासी चूत में… अहहहहाआ उईईईई…
मामी की नंगी कमर को कस के पकड़ कर मैंने एक और जोर का झटका मारा तो मेरा पूरा का पूरा लंड उनकी चूत में समा गया. वो बोलने लगी- आह… ऊह…. हाय… चोदो…. जोर से चोदो…. मेरी चूत को फाड़ दो… इसको चोद चोद कर फाड़ दो और तुम मुझे आज बहुत जमकर चोदो, तुम आज मेरी इस तरह से चुदाई करो जैसे एक घोड़ी को घोड़ा चोदता है।
ये सुनकर मैंने उन्हें दोनों हाथों से खिड़की को पकड़ कर घोड़ी बनने को कहा. वैसे ही वो कब से खिड़की को पकड़ कर ही खड़ी थी. फिर वो अपने दोनों हाथ खिड़की पर टिका थोड़ी झुक गई और घोड़ी बन गई मैं खड़े खड़े पीछे से चोदने लगा और साथ साथ उनकी बड़ी बड़ी चूची को दोनों हाथों से पकड़ लिया था और मामी जी की चूची मसलते हुए उनको धीरे धीरे से चोद रहा था। मामी जी दीवार पर हाथ टिकाकर कामुक सिसकारी लेती हुई ज़ोर ज़ोर से चोदने को बोल रही थी- आहह कसकर चोद सीइ सस्स्सी उउउ…
अब मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और बहुत ही जोर-जोर के धक्के लगाते हुए मामी जी को को चोदना शुरू कर दिया। मेरे हर धक्के के साथ उनकी आहहह ऊऊह्ह की आवाज़ आ रही थी। थोड़ी देर के बाद उनकी चूत ने ढेर सारा पानी छोड़ दिया। उनकी चूत से अब चूत रस निकल रहा था जो उनकी चूत से बाहर निकलकर उनकी जांघों से होते हुए नीचे बह रहा था. मेरा लंड जोर जोर से चूत में अंदर बाहर हो रहा था तो इससे उनकी चूत से चप-चप की आवाज़ निकल रही थी।
मैं करीब 15 मिनट से मामी जी को चोद रहा था, अब तक वह दो बार झड़ चुकी थी उनकी चूत से लगातार पानी निकल रहा था। इस प्रकार अश्व चुदाई के बाद मैं चरम सीमा पर पहुँच गया और मेरे लंड ने उनकी चूत में ही झड़ गया। कुछ देर तक हम वैसे ही चिपक कर खड़े रहे, फिर थोड़ी देर बाद हम दोनों साथ ही बाथरूम गए और एक दूसरे को साफ करके बेड पर लेट गए।
कुछ समय तक बेड पर लेटे हुए हम एक दूसरे को सहला रहे थे, फिर मैं उनके होंठों पर अपने होंठ रखने ही वाला था कि दरवाजे की घंटी बजी। हम दोनों हड़बड़ा कर अलग हो गए, इस वक्त कौन होगा, मेरे मन में सवाल उठा, मामी जी और मैं फटाफट अपने कपड़ों को पहनने लगे।
मामी जी ने कहा- राहुल, आप दरवाजा खोलने जाओ, मैं तब तक कपड़े पहन लेती हूँ। मैंने जल्दी से अपनी पैंट पहनी तुरंत दरवाजे के पास चला गया।
मैंने दरवाजा खोल के देखा तो दरवाजे पर सामने मामी जी की वही सहेली रजनी खड़ी थी। उसने मुस्कुराते हुए कहा- अरे वाह राहुल जी आप… मेरी सहेली कहाँ है? मैंने कहा- मामी अंदर हैं, आप अंदर तो आइए! वो अंदर आ गई और सोफे पर बैठ गई, कुछ देर में मामी जी भी आ गई और वो दोनों सहेलियां आपस में बातें करने लग गई।
मैं अपने रूम में बैठकर सोच रहा था कि इसको भी अभी ही आना था, हमारा सारा मज़ा इसने बीच में आकर खराब कर दिया. फिर सोचा कि कुछ भी हो इसके कारण ही मामी जी मुझसे चुदाई करने की सोचने लगी और फिर मुझसे चुद गई। आज जिस तरह वो आयी है, वैसे ही उस दिन वो आयी थी और मामी जी को मुझसे चुदाई करने के सपने दिखाकर गई थी!
यह सोचते सोचते मैं उठा और उनकी बातें छुपकर सुनने लगा कि शायद उस दिन की तरह आज फिर से कुछ हाथ लग जाए।
रजनी जी- सच बता, दरवाजा खोलने में इतनी देर क्यों हुई? कहीं अपने हैंडसम भांजे के साथ कामक्रीड़ा तो नहीं कर रही थी? हाँ बता? मामी जी- अरे यार, तुझे कितनी बार बताऊँ कि बेडरूम की सफाई कर रही थी। रजनी जी- तो अब तक तुमने उसे पटाया नहीं, चल मैं ही पटा लेती हूँ. अच्छे से चुदाई करूंगी राहुल से तब तो मुझे नहीं बोलना… हाँ! मामी जी- अरे रे नहीं, मेरी सेक्सी दोस्त, पहले मुझे करने दे फिर तुम कर लेना, मैं आज ही रात को राहुल को अपने अपने मायाजाल में फंसाती हूँ, ठीक है!
इतना सुनते ही रजनी जी ने मामी जी से कहा- चल ठीक है, आज जरूर कर लेना! और फिर वो उठकर चली गई।
इसके बाद में मामी जी के पास जाकर उनसे कहा- चलो फिर से एक बार हो जाए! मामी जी बोली- यहाँ नहीं, कमरे में!
और फिर से एक बार हमने चुदाई शुरू कर दी जो रात भर चलती रही।
रिश्तों में चुदाई की मेरी कहानी आपको कैसी लग रही है, मुझे बताएं! लेखक के आग्रह पर इमेल आईडी नहीं दिया जा रहा है.
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