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नमस्कार दोस्तो, मेरी पिछली कहानी चाची की चूत में खाता खोला में आपने मेरे चाची व मैडम के बारे में जाना!
अब मेरे साथ परेशानी क्या हो गई थी कि मुझे दोनों का ख्याल रखना था जबकि ये दोनों अलग-अलग शहरों में रहतीं थीं. खैर मैडम शुरू शुरू में मुझे कम याद करतीं थीं तो मैं कैसे भी समय बचाकर इन दोनों को मैनेज करने लगा लेकिन में एक बात का ध्यान रखता कि कहीं मेरा टाइम टेबल ना बिगड़े!
तभी अचानक परिवार में एक शादी आ गई जिसमें पेरेंट्स की अनुपस्थिति पर मुझे जाना पड़ा.
शादी इंदौर में थी। उस शादी में संयोग ऐसे बने कि वर पक्ष से चाची और वधू पक्ष से मैडम दोनों एक जगह टपक पड़ीं और ऐसा हो नहीं सकता कि इनमें से कोई मेरे साथ बिना कुछ किए रह सके! मैंने तो जाते ही साफ़ साफ़ बोल दिया- ना! मतलब कुछ नहीं होगा.
खैर चाची तो यह भी नहीं जानती थीं की ये है कौन और ना मैडम को पता कि इतनी भीड़ में चाची कौन?
लेकिन जब मैं सुकून से कहीं बैठा होता तो अगल बगल से किसी खजैले कुत्ते की तरह देखतीं. चूँकि मना तो मैंने किया था ना! उन्होंने तो शायद जगह भी ढून्ढ ली थीं. मुझे बीच में इतने सारे रिश्तेदारों में इनके कारण शर्म का सामना करना पड़ा क्योंकि ये और कुछ देख ही नहीं रहीं थीं.
तभी मेरी छोटी मामी और बुआ मेरे पास आईं और बोलीं- अबे यहाँ क्यों बैठा है? भाई की शादी है, थोड़ा डांस-वान्स कर! तो मैं बोला- मुझे डांस नहीं आता! वो बोलीं- तो फिर सबको चाय पानी पिला… कुछ मदद कर!
तो मैंने एक बड़ी ट्रे में पानी के गिलास रखे और सबको पिलाने लगा. अब जैसे ही उन दोनों के पास पहुंचा, वो फिर वही कामुक इशारे करने लगीं. मुझे तो दोनों ही पागल प्रतीत हो रहीं थीं. अभी तो कुछ घंटे ही बीते थे जिनमें इन्होंने पागलपंथी की हद को लगभग पार कर दिया था. मैं तो इस सोच में था कि अगले दो दिनों में क्या होगा!
शाम को दोनों बारी बारी से मुझसे अलग अलग मिल कर बोलीं- देख यार, अब सब्र नहीं होता… या तो कर या फिर कहीं गायब हो जा! तो मैंने दोनों से एक ही बात बोली- ना करूँगा, ना गायब होऊंगा! तो दोनों फिर बोलीं- प्लीज यार कर ले, इसके बदले में जो चाहिए ले लेना लेकिन अब मना मत कर!
तो मैंने सोचा- चलो अभी निबट लो, वैसे भी मैडम तो कल वापिस लौट जाएँगी! फिर सीधीं शादी वाले दिन मिलेंगी! और मैं इनसे दो दिन की शांति मांग लूंगा. तो मैंने हाँ कर दी.
तब दोनों बोलीं- रात 9 बजे तीसरे फ्लोर के चौथे कमरे में! अब दिक्कत यह थी कि एक ही समय पर दो दो… तो मैं चाची से बोला- चाची अगर कोई देखेगा तो दिक्कत हो जाएगी! इससे अच्छा है कि हम मामा के घर जाकर करें, वहाँ के सब लोग वैसे भी यहाँ हैं!
तो मैं मामी से चाबी लेकर एक बाइक से उसी वक्त उन्हें वहां ले गया वहाँ पहुँचकर हमने अंदर से ताला लगाया, पूरी संतुष्टि से चुदाई की और वापस आने लगे!
तभी घर के बाहर हमें छोटी मामी मिलीं तो हम उन्हें भी साथ लेकर आ गए. उन्होंने पूछा- तुम दोनों यहाँ? तो मैं बोला- ग्वालियर से यहाँ तक बस से आने में थोड़ा थक गए थे, थोड़ा आराम कर रहे थे!
उधर पहुंच कर वही तीसरे फ्लोर के चौथे सुनसान कमरे में मैंने मैडम की चुदाई करके संतुष्टि की. जब वहाँ का सब काम खत्म हुआ तो हमने दरवाजा खोला और एक एक करके… पहले मैडम, फिर मैं बाहर निकले! यहाँ छोटी बुआ मिलीं तो उनसे भी बहाना बनाया कि पापा का फोन था तो बात कर रहा था.
चूँकि मैडम पीछे की सीढ़ियों से उतरीं थीं और मैं आगे… से तो कोई दिक्कत ना थी!
शाम रात में मैं बीच में और ये दोनों मेरे अगल बगल…
सुबह मैडम अपने घर वापस गईं लेकिन अब मुझे दाल में कुछ काला लगा क्योंकि छोटी मामी और छोटी बुआ मुझे शक की नजरों से देखने लगीं और इधर चाची को एक बार में चैन नहीं पड़ा, वो फिर वही इशारे करने लगीं।
मैंने शायद बस में आते वक्त कुछ उल्टा सीधा खाया था जिससे मेरा हल्का फुल्का सिर दर्द होने लगा तो मैं सबसे दूर जाकर शांति से बैठ गया. तभी छोटी मामी आईं और बोलीं- क्या हुआ? यहाँ क्यों बैठा है? तो मैं बोला- कुछ नहीं, वो थोड़ा सिर दर्द है! छोटी मामी बोलीं- मेरा भी इस चिक-चिक पिक-पिक की वजह से दिमाग खराब हुआ पड़ा है. एक काम कर गाड़ी निकाल, घर जाकर दो घंटे एक एक टेबलेट लेकर सोएंगे तो सब नार्मल हो जाएगा. मैं मामी को लेकर घर पहुंचा. घर पर वो मुझसे बोलीं- हाँ भई, अब शांति से ये बता कल शाम को यहाँ क्या चल रहा था? तो मैं बोला- कहाँ? तो वो बोलीं- अब ज्यादा चालू मत बन…
क्योंकि पिछले दरवाजे की चाबी उनके पास थी तो मैं इस वक्त झूठ नहीं बोल सकता था तो मैं बोला- अब मैं क्या करूँ… ये मानतीं ही नहीं है! तो उन्होंने पूछा- चल पूरी कहानी बता? तो मैंने चाची और अपनी पूरी कथा नमक मिर्च लगाकर जल्दी से सुना दी.
तब वो बोलीं- हाँ किसी की मदद करना तो परोपकार है. वैसे देखने में तो तगड़ा लग रहा था तू उस समय! मैं बोला- छोड़ो ना आप भी! अब तो वो बोलीं- अभी पकड़ा ही कहाँ है जो छोड़ दें? चल पैन्ट उतार, जरा मैं भी तो देखूँ ऐसा क्या है तेरे में? तो मैं बोला- छोड़ो, जाने दो ना!
तो मामी बोलीं- अभी तो कहा कि दूसरों की मदद परोपकार है… तो थोड़ा उपकार यहाँ भी कर दे! कर दे… क्या करना पड़ेगा!
मुझे ना चाहते हुए भी पैन्ट उतारनी पड़ी, तब मुरझाए हुए लिंग को हाथ में लेकर मामी बोलीं- देखने में तो बड़ा मासूम लगता है. चल इसे खड़ा कर! तो मैं बोला- यहाँ मेरी फटी पड़ी है और आपको शरारत सूझी है? तो वो बोलीं- शरारत नहीं प्यारे, अब तो पूरा काण्ड होगा… वो भी बिना ब्रेक के! वैसे तू इतना डरा हुआ क्यों लग रहा है? मैं बोला- अब डरूंगा नहीं तो क्या करूँगा? आपने बात ही धमकी भरी की है!
तो मामी मुस्कुराईं और बोलीं- अबे बेबकूफ सीधा मतलब है जो वहाँ करता है वो यहाँ भी करने लग! मैं बोला- बात इतनी सीधी भी नहीं है! तो वो बोलीं- रुक, ट्रेन अभी पटरी पर वापस आएगी! अपनी आँखें बंद कर!
मैंने उनके कहने पर आँखें बंद कीं और उन्हीं के कहने पर खोलीं. तब तक उन्होंने अपनी साड़ी और पेटीकोट उतार दिए थे और एक मस्त कामुक पोज में केवल पिंक ब्रा पेंटी में मेरे पीछे खड़ी थीं और मैं उन्हें सामने लगे शीशे में देख रहा था. वो उम्र में उन दोनों से छोटी और एक लाजबाब हुस्न की मालिका थीं तो मेरा लिंग उन्हें 6-7 सेकेण्ड देखने पर ही खड़ा होने लगा.
फिर जब मुझे अपनी और पलटकर उन्होंने मेरे लिंग को हाथ लगाया तो वो पूरी तरह खड़ा को गया. तब मामी बोलीं- कहा था ना… आई ट्रेन पटरी पर? तो मैं बोला- ट्रेन तो बनी ही इसीलिए है!
उन्होंने मेरा लिंग पकड़ा और अपने मुंह में डालने से पहले बोलीं- अब देखें भी कितनी लंबी दूरी तय करती है तुम्ही ये ट्रेन! और लिंग के सुपारे को खोलकर उस पर अपनी जीभ घुमाने लगीं जिससे मुझे कुछ ज्यादा ही मजा आने लगा. और वो इतना टाइट पकड़ के चूस रहीं थीं कि मैं कुछ ही पल में उनके मुंह में ही ढेर हो गया.
तब मामी बोलीं- बस इतना ही? तब मैंने उन्हें उठाकर बेड पर पटका और उनके ऊपर चढ़कर उनके बोबे मसलने के साथ साथ उनके होंठों पर किस करने लगा. मामी बोलीं- अरे मेरे राजा, तनिक आराम से, धीरे धीरे… तुम तो यार किसी एक्सप्रेस की तरह भागे जा रहे हो! जरा छोटे स्टेशन्स का व्यू भी लेते जाओ!
तो मैंने थोड़ी शांति पकड़ी और अपना एक हाथ उनकी योनि पर ले गया. वहां थोड़े बहुत बाल थे लेकिन उनकी योनि फूली हुई गद्देदार थी जिसमें मैं उंगली कर रहा था. इधर ऊपर उनके बोबों को भी पिए जा रहा था. जब बोबों से मेरा मन भरा तो मैंने उनकी पेंटी उतारी और उनकी टांगों को अपने दोनों हाथों से फैलाकर उनकी योनि के होंठों पर अपने होंठ रखे और अपने मुंह से उनकी योनि को चोदने लगा.
मैं अपनी जीभ को उनकी रसीली योनि के हर हिस्से तक पहुंचा रहा था, उधर वो एक हाथ से चादर और दूसरे हाथ से अपने एक बोबे को खींचे जा रहीं थीं, सिसकारियां अलग से आ रहीं थीं. थोड़ी देर बाद जैसे ही उनकी योनि ने पानी छोड़ा, मैंने बिना कुछ पूर्व सूचना के अपना लिंग उसकी गहराइयों तक एक ही झटके में उतार दिया.
मामी फड़फड़ाकर बोलीं- अबे मादरचोद, मार डाला! बाहर निकाल जल्दी से! और मुझे अपने हाथों से धक्का देने लगीं.
लेकिन मैंने उनकी बातों पर ध्यान ना देकर धक्के लगाना शुरू किया, मेरे प्रत्येक जोरदार धक्के पर उनकी चीख स्वाभाविक थी ही… साथ में कुछ आंसू थे, वो अलग! तो मैंने धक्कों की रफ़्तार थोड़ी कम कर दी.
थोड़ी देर में जब उन्हें दोबारा जोश आया तो मैं वापिस से धुआंधार तरीके से उन्हें कुतिया बनाकर पेलता गया. काफी लंबी रेलमपेल के बाद अंततः उन्होंने हार मानी और ढेर सारे पानी के साथ पेशाब भी छोड़ दी लेकिन मैं लगा रहा. अब उनके पैर उनका साथ छोड़ने लगे, वो डगमगाने लगे तो मैंने उन्हें इस तरह व्यवस्थित किया कि उन्हें कुछ ना करना पड़े और कुछ और धक्कों के बाद मैंने भी उनकी योनि में अपना वीर्य भर दिया.
चूँकि मामी की हालत तो बिगड़ी हुई थी तो मैंने उन्हें उठाया, चादर बदली, वीर्य वगैरह साफ किया और कपड़े पहनाकर सुला दिया. और दूसरे कमरे में मैं भी सो गया.
लगभग तीन घंटों की नींद के बाद मैंने उनसे हालचाल पूछे तो वो बोलीं- ट्रेन थोड़ी बेकाबू हो गई थी लेकिन मजा बहुत आया।
अब मुझे थोड़ा सा गायब भी होना था क्योंकि शायद चाची को दोबारा इक्षा होने लगी थी तो मैंने एक उपाय सोचा कि वहां जाकर अपने आपको इतना बिजी करूँगा कि फालतू बैठने का टाइम ही ना मिले.
मैं वहाँ गया और कुछ भी काम ढूंढकर करने लगा जिससे चाची सोचें कि मैं बिजी हूँ. ऐसे मैंने एक रात और निकाल ली.
अगले दिन शादी थी तो उसकी तैयारियों व खाना पानी में कब शाम हुई पता ही नहीं चला और बारात के टाइम पर मैं तैयार होकर सबके साथ पहुंचा.
वहाँ ढेर सारे लोगों में मैडम भी मिलीं और मिलकर बोलीं- कुछ ज्यादा ही अच्छे लग रहे हो! तो मैंने कहा- थैंक्स… लेकिन आप ना दोबारा शुरू नहीं हो जाना क्योंकि मैं दोबारा से रिस्क नहीं लेना चाहता! तो मैडम बोली- रिस्क छोड़, अब तो पूरा तमाशा देखने की मिलेगा तुझे! देखते जाओ अभी!
फिर उन्होंने मुझे दो महिलाओं राखी और प्रिया से मिलाया और बोलीं- इन दोनों के कान ना… मेरे द्वारा करी गई तुम्हारी तारीफों से पक गए हैं. और ये बातों ही बातों में तुम्हें अपना बना बैठीं हैं. तो ये भूत तो तुम्हें उतारना ही पड़ेगा. तो मैंने कहा- इनके भूत के साथ कहीं आपकी चुड़ैल तो नहीं जागेगी ना? मैडम बोलीं- नहीं, अभी तो नहीं! बस देखते हैं कि कब तक शांत रहती है. फिलहाल तो तुम इनसे निपटो।
तो मैंने उन दोनों से हाथ मिलाया और दोनों का परिचय पूछा. वे दोनों चचेरी बहनें निकलीं. मैंने उनसे पूछा कि मुझे क्या करना होगा? तो वे बोलीं- ये तुम सोचो! और हाँ, पहले तो कोई बड़ी सी जगह ढूँढो! मैंने कहा- ये मैडम भी ना मरवायेगी मुझे! क्या क्या करवाती है मुझसे!
वो दोनों हंसने लगीं तो मैं बोला- हाँ हाँ… हन्स लो, अभी समय है आपका! और वहां से चला गया.
थोड़ी देर में शादी होकर निबट गई और आधी बारात भी वापिस चली गई लेकिन वो दोनों बहिनें वहीं की वहीं थीं. जब उन्होंने मुझे देखा तो बोलीं- हाँ जी, कोई जगह मिली? तो मैंने कहा- हाँ, यहीं ऊपर कोई कमरा देख लेंगे जो ठीक हो! वैसे भी 70% मेहमान तो जा ही चुके हैं. और जो हैं वो नीचे रस्मों में बिजी रहेंगे. ऊपर तक कोई शायद ही पहुंचे. वो बोलीं- ठीक है, चलो देखते हैं।
तो इस प्रकार मेरी कहानी का एक भाग और ख़त्म होता है, लेकिन अभी बात बाकी है.
आपको कैसा लगी मेरी कहानी? और मेरे लिए कोई सुझाव या मुझसे कोई शिकायत हो तो मेल के द्वारा बताएं मेरा मेल है [email protected] धन्यवाद
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