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मेरी कहानी के पिछले भाग में आप सभी ने पढ़ा था कि मैं अब एक पक्की कॉलगर्ल बन गई थी. अब आगे..
अब मेरी हालत ऐसी हो गई थी, जैसे मैं कोई खेलने की वस्तु थी. हर कोई मुझे अपनी गोदी में बैठाना चाहता था और रात को वो सब सच करवाना भी चाहता था, जो कोई भी अय्याश किसी लड़की के साथ करते हैं, मगर सुबह के उजाले में वो मेरी परछाई भी देखना पसंद नहीं करते थे.
खैर.. अब मुझे सबसे पहले खुद को लोगों की नज़र भी बचा कर रखना था, जिसके लिए मैं प्रयत्न किया करती थी. मेरे पास अब दो मोबाइल थे. एक तो जिसमें चुदाई के लिए मैसेज मिला करते थे और दूसरा जिस पर मैं अपने जान पहचान व रिश्तेदारों से बात करती थी. जिस मोबाइल पर मुझे चुदाई के मैसेज मिलते थे, उसे मैं छुपा कर रखती थी और नॉर्मली उसे वाइब्रेशन मोड पर रख कर अपने मम्मों के बीच रखा करती थी ताकि कभी भी वो मोबाइल किसी के हाथ ना लगे. आमतौर पर मैं फोन अटेंड नहीं करती थी और मैसेज देख कर या तो जवाब दे देती थी या फिर मैसेज भेजती थी. इस तरह से मुझे ग्राहक मिला करते थे.
एक दिन वो फोन किसी से चुदाई करवाते हुए गलती से उसी ग्राहक के पास ही रह गया. मुझे तो पता नहीं था कि कहाँ रह गया. मैं बहुत परेशान हुई. उस फोन पर मैंने एमर्जेन्सी के लिए अपना फोन नम्बर फीड किया हुआ था. मगर बिना नाम के फीड था.
रात को ही मेरे फोन पर एक फ़ोन आया जिससे पता लगा कि मेरा फोन किसी के पास रह गया है. उसने कहा कि मैडम फोन तो मिल जाएगा मगर एक बात याद रख लो जो भी कुछ उस फ़ोन में कॉन्टेक्ट्स और बाकी की डिटेल हैं, मैंने वो सब कॉपी कर लिए हैं. मेरी शर्त यह है कि अगर आप अपना सीक्रेट बनाए रखना चाहती हैं तो मैं आपको एक लड़के के पास भेजूँगा, उससे चुदवा कर आएं और उससे कोई पैसे ना मांगिएगा.
मैं उसकी शर्त मान गई और दिल में सोच लिया कि बस उसमें से कुछ कॉंटॅक्ट नंबर लेकर इस फोन की सिम को ही तोड़ दूँगी. इस तरह से वो सिम ही नहीं रहेगी, जो सारे झगड़े की निशानी है.
खैर.. मैं उसके बताए हुए पते पर चुदने के लिए गई. मगर जैसे ही उसे मैंने देखा तो मेरी शर्म से आँखें झुक गईं, क्योंकि वो मेरी ही कंपनी का एम डी था. अब मेरी हालत ऐसे थी कि ना मैं निगल सकती थी और ना ही थूक सकती थी.
मुझे देखते ही वो बोला- आप…? खैर आइए.. आराम से बैठ जाओ. मैं तुम्हारे साथ कुछ नहीं करूँगा क्योंकि मैं अपने ऑफिस की किसी भी लड़की से ऐसे कुछ भी करने की नहीं सोच सकता. तुम बताओ तुम्हारी क्या मजबूरी थी जो तुम यह सब करती हो.
उसकी बातें सुन कर मैं रोने लगी और रो रो कर सब कुछ बता दिया कि मेरे साथ क्या क्या हुआ. वो बोला- मुझे नहीं पता था कि मेरे ऑफिस में भी कोई लड़की ऐसी हो सकती है, जो लड़कियों को फँसा कर उससे यह काम करवाती है. खैर तुम जाओ यहाँ से और कल ऑफिस में मिलना.
मैं बिना चुदे घर वापिस आ गई और अपनी किस्मत पर रोती रही, जिसने आज फिर मुझे धोखा दिया और मैं कल से ऑफिस में भी बदनाम हो जाऊंगी.
सुबह उठ कर सबसे पहले मैंने एमडी को फोन लगाया और कहा कि सर मैं आज रिज़ाइन भेज दूँगी क्योंकि मैं नहीं चाहती कि मैं ऑफिस में बदनाम हो जाऊं. उधर से जवाब मिला- डरो नहीं, मैं किसी से कुछ कहना वाला नहीं हूँ.. वरना मेरी भी इज्ज़त उतर सकती है. तुम निश्चिन्त होकर आओ, जैसे कि हमारी कोई मुलाकात ही नहीं हुई.
उसकी इस बात से मेरा हौसला बढ़ गया और मैं ऑफिस चली गई. उसी दिन कुछ समय बाद एमडी सर ने मुझे बुलवाया तो मैं उनके पास गई. मुझे देखते ही उन्होंने सबको बाहर जाने के लिए कहा. सर ने मुझसे पूछा- तुम्हें कितनी सेलरी मिलती है? मैंने कहा- सर 25000 मिलती है.
एमडी बोले- अच्छा मैं तुम्हारी सेलरी 50000 करता हूँ मगर अब तुम जो काम ऑफिस के बाहर करती हो, वो नहीं करोगी. तुम्हें मैं कंपनी की पब्लिक रिलेशन ऑफिसर बनाता हूँ और तुम्हारा काम होगा कंपनी के लिए नए नए कॉन्ट्रैक्ट्स लाना, जिसके लिए तुम जो करती हो, बस वो ही करना पड़ेगा. हां मगर हर कांट्रॅक्ट की रकम को देखते हुए तुमको उसकी कमिशन भी दी जाएगी. कम्पनी तुम्हें एक कार भी देगी, ड्राइवर के साथ.. बोलो मंजूर है. हां मगर यह सब समझ लो कि जिससे कांट्रॅक्ट हासिल करना है, वो सब एक नम्बर के अय्याश हैं. उन्हें किस तरह से हैंडल करना है, वो तुम्हें खुद ही सोचना होगा.
मैंने कहा- सर मंजूर है.. बोलिए अभी किस कांट्रॅक्ट की बात चल रही है. वो बोला कि आज तो तुम्हारी प्रमोशन का लेटर निकलवाता हूँ, कल बताऊंगा.
दूसरे दिन एमडी सर ने मुझसे बोला- कम्पनी का एक कांट्रॅक्ट किसी कम्पनी के मालिक के पास फँसा हुआ है, जो किसी कीमत पर नहीं मान रहा है. उसे सीधी राह पर लाओ. अगर इस काम में तुम कामयाब हो गई तो तुम्हारी यह नौकरी पक्की और तुम्हें 5 लाख का बोनस भी दिया जाएगा. जाने से पहले यह अपना फोन जो किसी के यहाँ छूट गया था, लेती जाओ. उसे मैंने कह दिया है, अब वो तुम्हें किसी तरह से परेशान नहीं करेगा. ‘जी सर…’ कह कर मैं अपने रूम में आ गई.
फिर मैंने उस कंपनी के मलिक को फ़ोन किया और कहा- क्या हम लोग वीडियो कॉल पर बात कर सकते हैं? जब वो लाइन पर आया तो मैंने जानबूझ कर अपने को इतना झुका लिया कि मेरे मम्मों और उसकी घुन्डियां भी उसे नज़र आ जाएं. उसकी नज़र मुझ पर ऐसी टिकी कि वो लहराते हुए बोला- जी.
मैंने अपना परिचय देते हुए कहा कि मैं इस कम्पनी से बोल रही हूँ और आपसे काम के सिलसिले में मिलना चाहती हूँ. उसने लगभग लार टपकाते हुए कहा- आ जाइए. तब मैंने कहा- क्या शाम का टाइम मिल सकता है, अगर आपको कोई प्राब्लम ना हो. उधर से जवाब आया- हां कोई प्राब्लम नहीं है.. मगर आप 8 बजे मेरे ऑफिस में आ पाओगी? मैंने कहा- ज़रूरत मेरी है… अगर आप ऑफिस में तो क्या जहाँ भी बुलायेंगे, मैं पक्का आऊंगी. उसने कहा- ओके ठीक 9 बजे आ जाना. अपना कॉंटॅक्ट नंबर मेरी सेक्रेट्री को लिखा दीजिए.
कोई एक घंटे के बाद मेरे पास उसका डायरेक्ट फोन आया. वो बोला- मैडम, अगर आप बुरा ना माने तो आप मुझे इस होटल के रूम नो 123 में मिल सकती हैं.. क्योंकि ऑफिस में आराम से बात नहीं कर पाऊंगा. मैंने भी हाँ कह दिया कि मैं भी ऑफिस में सहज नहीं रह पाऊंगी.. खास कर आपकी कम्पनी के कांट्रॅक्ट के लिए.
अंधे को क्या चाहिए दो आँखें… मैं भी खुशी से मान गई और दिए गए टाइम पर उस होटल में जा पहुंची. वहां पर वो आराम से बैठा हुआ व्हिस्की पी रहा था. मुझे देखते ही बोला- आइए आपका ही इंतज़ार कर रहा था.. कुछ पीएंगी? मैंने कहा- मैं पीती तो नहीं मगर आपको नाराज़ भी नहीं कर सकती इसलिए आप जो कहेंगे मैं करूँगी.
उसने पूरा गिलास सोडा मिला कर मेरे आगे रख दिया और बोला- आप किस फटीचर कम्पनी में नौकरी कर रही हैं. मैंने कहा कि सर जिसका नमक खाया हो.. उससे नमक हलाली करना ही पड़ता है. अब आपके आगे मेरी इज़्ज़त का सवाल है, आप इस कांट्रॅक्ट पर अपनी हामी भर दीजिए. उसने कहा- ठीक है मगर उसके लिए आपको पूरा नमक हलाल करना पड़ेगा. मैंने कहा- मैं आपके साथ कमरे में हूँ, बोलिए क्या करना है मुझे? वो बोला- ठीक है.. पहले जाम पूरा कीजिए.
उसने मुझे दो तीन जाम पिला कर पूरी तरह से मेरे होश गुम करवा दिए. फिर वो मुझसे बोला- आप अपना अपनी जवानी का जलवा तो दिखाइए. मैंने कहा- आपने मदहोश कर दिया है.. अब आप खुद ही मेरी जवानी को देख लीजिए.
इतना कह कर मैं खड़ी होकर लड़खड़ाने लगी. उसने मुझे मेरी कमर में हाथ डाल कर संभाला. फिर मैं खुद ही अपने कपड़े उतारने लगी. क्योंकि नशे की वजह से मेरे शरीर में पूरी गर्मी दौड़ रही थी. कुछ ही पलों में मैं सिर्फ ब्रा, जिसका कप सिर्फ मेरे मम्मों को नीचे से ही पकड़ कर रखता था और बाकी पूरी चूचियां साफ़ दिखती थीं.
शराब की मदहोशी के कारण मेरे मम्मों की घुन्डियां खड़ी हो गई थीं. मेरी चुत पर जो चड्डी थी, वो तो बस नाम मात्र के लिए ही थी. इस हालत में वो मुझे देख कर अपना आपा खो बैठा. उसने अपने कपड़े उतार दिए.
उसका लंड भी पूरा लौड़ा बन कर उछाल मार रहा था.
मैंने उससे झूम झूम कर कहा- सर, पहले उन पेपर्स पर साइन कर दीजिए, फिर मेरी चुत में अपना लौड़ा डाल कर जो करना है, मजे से करिए. अगर आप कहेंगे तो मैं पूरा वीक आपसे चुदती रहूंगी. मगर पहले मेरा काम कर दीजिए. वो लंड सहलाता हुआ बोला- क्यों नहीं क्यों नहीं.. तुमने देखा नहीं, मैं उन पर साइन कर चुका हूँ. इन पेपर को तुम्हारी चूत में एक बार डाल कर इनको भी तुम्हारी चूत का आशिक़ बना दूं, फिर दे दूँगा.
हम दोनों चुदाई की मस्ती में आ गए. बस फिर क्या था.. लंड चुत का घमासान शुरू हो गया. जब चूत ने पानी छोड़ा तो उसने पेपर्स पर जहाँ साइन किए था, उसके नीचे चूत का पानी डाल दिया.
वो बोला- ये लो आप यह पेपर अब तुम्हारे हैं.. इस पर तुम्हारी चूत का ठप्पा भी लग गया है. मैं उससे बोली- मेरी चूत तो अब आपकी गुलाम बन गई है.. जब बोलोगे हाज़िर हो जाएगी.
इस तरह से आधी रात तक उससे चुदवा कर मैं साइन किए हुए पेपर्स को लेकर वापिस आ गई.
दूसरे दिन ऑफिस ने एमडी से जाकर बोली- लीजिए सर.. आपका काम हो गया. वो नहीं समझ पाया कि ऐसे भी हो सकता है. जो काम कई महीनों से लटका हुआ था, मैंने एक दिन में कर दिया. वो बोला- तुम्हारा बोनस तुमको मिल जाएगा.. जैसे ही यह कॉन्ट्रैक्ट नोटिफाइ होता है. मैंने कहा- सर कोई बात नहीं आप जब चाहें, दे दीजिएगा. मुझे अगला काम बताइए.
उसने कहा- मैंने तो इस काम के लिए कम से कम 15 दिन का टाइम सोचा था जो आपने एक ही रात में कर दिया अगला दिन भी नहीं रुकने दिया. अगला काम जब होगा, तब बताऊंगा. अभी आप चाहें तो कम्पनी के गेस्ट हाउस में नैनीताल घूमने जा सकती हो, मज़े मानने के लिए.. सारा खर्चा कंपनी देगी.
अब मैं एक तरफ़ दुनिया वालों की नजर में कंपनी के लिए काम कर रही थे. वहीं दूसरी ओर मैं अपनी चूत में रोज़ नए नए किस्म के लंड, छोटे मोटे लम्बे मोटे पतले हर तरह के लंड डलवाती थी.
अब मेरी चूत बहुत खुली हो गई थी. इसलिए मेरी चूत अब लंडों को वो मज़ा नहीं दे पाती थी, जो वो चाहते थे. हर लंड वाला चूत में लंड फँसा कर मज़े लेना चाहता था और यहाँ तो एक ही झटके में पूरा लंड अन्दर चला जाता था और जब वो आधा निकाल कर धक्का मारना चाहता था, तो मेरी ढीली चूत के कारण उसका लंड पूरा ही बाहर आ जाता था.
एक दिन मैंने डॉक्टर से बात की कि क्या इसका कोई इलाज़ है? उसने कहा- हां है. मैं- क्या? वो बोला- मैं चूत ऑपरेशन करके ऐसा बना दूँगा जैसे कि वो अभी तक किसी से चुदी ही नहीं हो, मगर इसमें एक लाख रुपए खर्च करने होंगे. मैं मान गई. तो बोला- कल मेरे नर्सिंग होम में आ जाना.. बस कुछ समय का ही ऑपरेशन होगा मगर चुदाई वन वीक तक बंद हो जाएगी.
अगले दिन मैं उस डॉक्टर के नर्सिंग होम में दाखिल हो गई. वहाँ वो डॉक्टर अपनी एक नर्स के साथ आया और मेरी चूत खोल कर पूरी तरह से देख कर उसके कई फोटो निकाले और मुझे उठने के लिए बोल दिया गया.
फिर डॉक्टर बोला- कल मॉर्निंग में ऑपरेशन करूँगा.
उसने उन फोटोज से ग्राफिक्स से कोई स्केच बनाया और फिर उसको सामने रख कर मेरा ऑपरेशन शुरू किया. उसने कोई औजार लेकर मेरी चुत की चमड़ी को बाहर खींच कर और नीचे मेडिकल वाले धागे से सिल कर मेरी चमड़ी से ही एक छोटा से माँस का टुकड़ा लेकर चूत का दाना बना कर मेरी चुत में सिल दिया और बोला कि अब दो तीन दिनों तक तुम यहीं मेरी देखभाल में रहोगी ताकि तुम चुत को किसी तरह से तंग ना करो.. मतलब कि उंगली वगैरह मार कर खराब कर लो.
दो दिनों के बाद मैंने देखा कि चूत कमसिन जवान लौंडिया की अनचुदी चुत जैसी लग रही थी. चूत का मुँह पूरी तरह से बंद था.
दो दिन बाद डॉक्टर ने मुझे घर भेज दिया और बोला- इससे कोई छेड़छाड़ ना करना और दो दिनों बाद आकर इसकी जांच करवा जाना.
दो दिनों बाद जब मैं गई तो डॉक्टर देख कर बोला- अब तो तुम्हारी चुत, मस्त चूत बन गई है. अब यह चुदने के लिए पूरी फिट है. हां जब पहली बार चुदोगी तो टांका टूटने से कुछ खून की बूंदें भी आ सकती हैं, मगर उतनी नहीं, जब असली सील टूटती है. मगर अब लंड को चूत में डालने के लिए जोर लगाना पड़ेगा. अब यह पुरानी चूत नहीं रही, यह जवान चूत बन गई है. इसको सख्त लंड की जरूरत होगी.
मेरी कहानी तो इतनी लम्बी बन सकती है कि पूरी सेक्स स्टोरी बुक बन जाए. खैर मेरी कहानी तो जारी है. [email protected]
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