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दोस्तो, मेरा नाम राहुल है, मैं मध्यप्रदेश का रहने वाला हूँ. मेरे परिवार में मेरे अलावा मेरे माँ पापा हैं. हमारा घर बहुत बड़ा है, जिसकी वजह से हम अपने मकान का एक हिस्सा किराये पर दे देते हैं.
यहां से मेरी कहानी की शुरूआत हुई. हमारे घर में एक फैमिली रहने आई. जब वह लोग रहने आए, तब मैं ऑफिस के काम से शहर से बाहर था. जब मैं वापस आया तो मैंने देखा कि कोई परिवार रहने आया है. मैंने माँ से पूछा तो उन्होंने बताया कि ये लोग परसों ही आए हैं.
उनकी फैमिली में हस्बेंड वाइफ और उनकी मदर थीं, जो भाभी जी की सास थीं.
मैंने पहले तो उन पर ध्यान नहीं दिया क्योंकि मैं अपने काम में ही बहुत व्यस्त रहता था. फिर दिन बीतते गए और धीरे धीरे मेरी उनसे पहचान हो गई. अब जब कभी भी मुझे टाइम मिलता तो मैं उन लोगों से बात कर लिया करता था.
उस घर में जो भाभी थीं, उनका नाम पारुल था.. लेकिन मैं उनको भाभी बोलता था. उनकी उम्र लगभग 34-35 साल की रही होगी. भाभी का फिगर तो ऐसा जानलेवा था कि बस जो एक बार देख ले, तो उसका लंड खड़ा न हो जाए तो कहना. भाभी की मटकती गांड को देख कर हर कोई उनकी चुत चोदने को तैयार हो जाए. उनको देख कर मेरा लंड भी हल्ला करने लगता था कि भाभी की चुत दिलाओ, भाभी की चुत दिलाओ. बड़ी मुश्किल से लंड को मुठ मार कर शांत करता था.
इसी तरह समय बीतता गया और मेरी उनसे अच्छी दोस्ती हो गई. अब हमारे बीच हंसी मजाक भी खुल कर होता रहता था. एक दिन घर मैं में अकेला था और भाभी के हस्बेंड जॉब पर गए थे. भाभी की सास भी उस वक्त कहीं गई हुई थीं. उस दिन मेरी तबियत ठीक नहीं थी तो भी अपने घर पर ही था. तभी वो मेरे कमरे में आईं और उन्होंने मुझे मेरी माँ के बारे में पूछा.
मैंने भाभी को बताया कि वो कहीं गई हैं. यह सुनकर वो जाने लगीं, तभी मैंने भाभी से बोला- अरे आप तो जाने लगीं.. थोड़ी देर मेरे पास ही बैठ जाओ, मैं अकेला बोर हो रहा हूँ. मेरी बात सुन कर भाभी भी बोलीं- हां, मैं भी बोर हो रही थी इसलिए तो आई थी.
इतना कह कर वो मेरे पास रखी कुर्सी पर बैठ गईं और हम दोनों हंसी मजाक करने लगे.
दोस्तो, मैं एक बात तो बताना भूल गया. भाभी की शादी को 4 साल हो गए थे लेकिन उनको कोई औलाद नहीं हुई थी.
हमारी बातें चल ही रही थीं, तभी मैंने अचानक से भाभी से पूछा- आपने अभी तक कोई बच्चे के बारे में क्यों नहीं सोचा. मेरी बात सुन कर वो कुछ उदास सी हो गईं और उसी बीच आगे बात बढ़ती कि उनकी सास की आवाज आ गई तो भाभी को जाना पड़ा.
फिर कुछ देर बाद मेरी भी तबियत ठीक हो गई और मैं भी अपने ऑफिस जाने लगा. मुझे अपने ऑफिस के काम के चलते भाभी से बात करने का अधिक टाइम नहीं मिल पा रहा था.
एक दिन मेरे एक दोस्त का जन्मदिन था तो उसकी पार्टी में मैंने भी शराब पी ली. जब मैं घर आया तो मेरी चाल देख कर भाभी झट से समझ गईं कि मैं शराब पीकर आया हूँ. शायद उनको मेरी यह आदत बुरी लगी और अब वो मुझे खुद को दूर रखने लगीं क्योंकि इसके बाद से जब भी वो मुझे देखती थीं, तो चुपचाप से कमरे के अन्दर चली जातीं और मुझे इग्नोर करने लगीं.
लेकिन मुझे उनकी इस तरह से इग्नोर करने वाली बात से ये समझ आया कि मैंने जो उनसे बच्चे वाली बात पूछी थी, शायद भाभी मेरी उस बात का बुरा मान गई हैं.
एक दिन मैं ऑफिस जा रहा था, तभी मैंने मौका देखा और उनके कमरे में घुस गया. मैंने भाभी से माफी माँगी- शायद उस दिन मैंने आपसे कुछ गलत पूछ लिया था जो कि मुझे नहीं पूछना चाहिए था. भाभी हो सके, तो माफ कर देना. यह बोल कर मैं ऑफिस को निकल गया.
उसके कुछ दिन तक हमारी बात नहीं हुई.
फिर एक दिन उनका कॉल आया तो हम दोनों के बीच बात हुई. उस बीच मैंने उनसे बहुत बार माफी माँगी तो उन्होंने बोला- मैं तुम्हारे उस सवाल से गुस्सा नहीं हूँ लेकिन तुम शराब पी के आए.. मुझे शराब पीने वालों से बहुत नफरत है, इस बात से मुझे बुरा लगा था. यह सुन कर मैंने भाभी से सॉरी बोला और वादा किया कि अब से ऐसा कभी नहीं होगा. भाभी खुश हो गईं और हमारी बातें फिर से शुरू हो गई.
इसके कुछ दिन के बाद मैंने फिर से उनसे बच्चे के बारे में पूछा, तब उन्होंने बताया कि उनके पति में कुछ कमी है, लेकिन उनका इलाज चल रहा है. ऊपर वाले ने चाहा तो जल्दी ही कुछ हो जाएगा.
फिर ऐसे ही दिन निकल गए.
एक दिन घर में कोई नहीं था. भाभी की सास भी कुछ दिन के लिए कहीं बाहर गई थीं. उस दिन मैं भी घर में अकेला था. उस दिन भाभी बहुत उदास लग रही थीं. मेरे बहुत जोर देने पे उन्होंने बताया कि उनको शायद अब कोई औलाद नहीं होगी. मैंने बोला- क्यों ऐसा क्यों बोल रही हो भाभी.. तुम्हारे पति का तो इलाज चल रहा है ना, फिर क्या समस्या है? भाभी दुखी मन से बोलीं- अब किसी भी डॉक्टर पर भरोसा नहीं रहा.. पता नहीं मुझे कभी माँ का सुख मिलेगा भी या नहीं? मैंने भाभी के कंधे पे हाथ रखते हुए बोला- भाभी सब ठीक हो जाएगा परेशान नहीं हो.
इसी बीच मेरे अन्दर का जानवर भी जाग गया. वैसे भी बहुत समय से मुझे भी चुत नहीं मिली थी और मुझे सबसे ज्यादा चुत की भूख रहती है. भाभी ने मेरे सामने सुबकना शुरू कर दिया. मैं भाभी से बोला- भाभी एक बात बोलूँ अगर बुरा ना मानो तो? भाभी बोलीं- हां बोलो. मैं बोला- पहले वादा करो भाभी आप मेरी बात का बुरा नहीं मानोगी ना ही गुस्सा करोगी. भाभी बोलीं- हां वादा है.. अब बोलो.
मैंने भाभी से बोला- भाभी तुम अगर चाहो, तो माँ बन सकती हो. भाभी बोली- माँ बनने के लिए तो मैं कुछ भी कर सकती हूँ. तभी मैंने धीरे से बोला कि मैं तुमको माँ बनने का सुख दे सकता हूँ अगर तुम चाहो तो. मेरी बात सुनकर भाभी पहले तो चुप रहीं, फिर धीरे से बोलीं- नहीं ये गलत है.. मैं ऐसा नहीं करूँगी. मैंने कहा- भाभी, तुम गंभीरता से विचार कर लेना जल्दी कोई नहीं है.
इसके बाद मैंने भी कोई जबरदस्ती नहीं और बात आई गई हो गई. फिर कुछ दिन के बाद उन्होंने मुझे बुलाया. मैं गया तब भाभी ने एक बड़ी ही सेक्सी सी मैक्सी पहनी हुई थी. भाभी को मैंने आज पहली बार इतनी सेक्सी ड्रेस में देखा था. इस तरह की ड्रेस में भाभी को देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा.
भाभी मुझसे बोलने लगीं कि तुम्हारी उस दिन की बात पर मैंने बहुत सोचा. मैं सब कुछ समझ कर भी अंजान बनने लगा और पूछा- कौन सी बात के बारे में सोचा भाभी? भाभी मेरे इस सवाल पर मेरी तरफ गुस्से में देखकर बोलीं- यही कि तुम मुझे वो खुशी दे सकते हो.. माँ बनने की! मैंने बोला- हां भाभी.. लेकिन तुमको वो खुशी पसंद नहीं थी, इसलिए मैंने दुबारा कुछ नहीं बोला था. भाभी बोलीं- नहीं ऐसा नहीं है अगर इसका किसी को भी पता चला तो मेरा क्या होगा इस वजह से मुझे डर लगता है.
भाभी की बात से मैं समझ गया कि भाभी चुदाई के लिए तैयार हैं. मैं उनके पास हो गया और उनको अपनी बांहों में लेकर बोला- किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा भाभी. मैं उनके माथे पे किस करता हुआ उनके कानों की लटकन को जीभ से चाटने और चूमने लगा. वो भी गरम हो गईं और उन्होंने मुझे रोकना भी बंद कर दिया.
फिर मैं मैक्सी के ऊपर से ही उनके मम्मों को दबाने लगा. वो जोर जोर से सीत्कार भरने लगीं. मैंने जल्दी से भाभी की मैक्सी उतार दी. उन्होंने अन्दर कुछ भी नहीं पहना था. मैंने भी झट से मेरे पूरे कपड़े उतार फेंके. अब मैं भाभी को बिस्तर पर लिटा कर उनके ऊपर चढ़ गया. मैं धीरे धीरे भाभी के पूरे शरीर को चूमने और चाटने लगा. उनकी तड़प और बढ़ती जा रही थी.
वो कहने में लगी थीं- जल्दी करो, अब नहीं सहा जा रहा है.. एक बार पहले कर लो.. फिर बाद में मेरे शरीर से खेल लेना.
मैंने भाभी की एक ना सुनी. मैंने उनकी चुत पर जीभ लगाई. चुत पर जीभ का लगना क्या हुआ, भाभी की आह निकल गई. फिर जो मैंने जीभ चलाना शुरू की तो ओह.. क्या बताऊं यार.. ऐसी मखमली चुत थी कि चाटने में मजा आ गया. कुछ ही देर में भाभी की चुत का पानी निकल गया और वे एकदम से ढीली पड़ गईं.
मैंने जीभ से चाट चाट कर पूरा पानी साफ कर दिया. यहां मेरा लंड लोहे जैसा कड़क और गरम हुआ जा रहा था. अब मैंने देर ना करते हुए लंड को भाभी की चुत की फांकों पर घिसा. जिससे भाभी की चुदास की तड़प और बढ़ गई, भाभी नीचे से गांड उठा कर मेरा लंड लीलने की कोशिश करने लगीं. तभी मैंने अपने लपलपाते हुए लंड को उनकी चुत में पेलना शुरू किया.
आह.. क्या बताऊं यार.. इतना मजा आया कि बस लंड की दुनिया झंड हो गई. मैं धकापेल भाभी की चुत में लंड को आगे पीछे करने लगा. भाभी की चुत भी इतनी अधिक रसीली हो चुकी थी कि भाभी ने दांतों पर दांत दबाए और लंड को लील लिया. कुछ देर तक वो नीचे लेटी हुई मुझे चुदती रहीं.
फिर मैंने भाभी को अपने ऊपर आने को बोला. पहले तो वो मना करने लगीं. उनको इस वक्त एक पल के लिए भी लंड के धक्के रोकना बर्दाश्त नहीं हो रहा था. लेकिन मेरे ज्यादा कहने पर भाभी मान गईं.
मैंने बिना लंड निकाले भाभी को अपने ऊपर ले लिया. ऊपर आते ही भाभी अपनी गांड आगे पीछे करते हुए लंड की सवारी करने लगीं. चुदाई के वक्त भाभी के मम्मे जो अप डाउन अप डाउन कर रहे थे, उनको देख कर मुझसे रहा नहीं गया. मैंने भाभी के मम्मे हाथ में भर लिए और जोरों से दबाने लगा. नीचे लंड चुत का घमासान चल रहा था.
तभी वो एक बार उछलीं और आवाज करते हुए झड़ गईं. झड़ने के बाद भाभी वैसे ही मेरे सीने पर सर रखकर लेट गईं, उनकी साँसें धौंकनी की तरह चल रही थीं.
मैंने अपने लंड का जोर लगाया और हाथों से उनकी गांड ऊपर को उठाया और उनको नीचे से ठाप देने लगा. भाभी की चुत में लंड फंसा हुआ था. उनकी आह निकलना शुरू हो गई थी. उनको बहुत मजा आ रहा था. तभी कुछ ही देर में भाभी फिर से हॉट हो गईं और उनके शरीर ने अकड़कर मुझे इशारा दिया कि वे फिर से झड़ने वाली हैं. इस बार उनके साथ मैं भी उनकी चुत में झड़ गया और हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर वैसे ही लेटे रहे.
कुछ देर बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और हमने फिर से चुदाई शुरू कर दी. उस दिन मैंने भाभी को तीन बार चोदा. भाभी ने मुझे प्यार किया और बार बार चुदने का कहा.
अब जब भी मुझे मौका मिलता, मैं भाभी को इशारा कर देता और हम दोनों चुदाई कर लेते.
फिर एक दिन भाभी मेरे पास बड़ी खुश होते हुए आईं और वो बोलीं- मैं माँ बनने वाली हूँ. भाभी ने मुझे गले से लगाकर कहा- थैंक्स.. तुमने जो मुझे सुख दिया.. उसको मैं कभी नहीं भूल सकती.
इसके कुछ दिन बाद उनके पति का किसी दूसरे शहर में ट्रांसफर हो गया और उनको प्यारा सा लड़का हो गया है.
मैं जब भी उनके शहर जाता हूँ, उनकी चुदाई करके ही आता हूँ.
दोस्तो, कैसी लगी मेरी ये आत्मकथा.. कृपया अपनी राय मुझे मेरी ईमेल आईडी पर मेल करें. [email protected] इस देसी भाभी की सेक्स कहानी पर मुझे आपके मेल इंतज़ार रहेगा.
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