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नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम राज है और मैं दिल्ली का रहने वाला हूं। मैंने अन्तर्वासना पर कई कहानियां पढ़ी हैं, कुछ अच्छी भी लगी कुछ सिर्फ काल्पनिक भी लगी। पर ये सब कहानियां पढ़कर में भी अपनी जिंदगी का एक किस्सा आपके साथ शेयर करना चाहता हूं। मुझे लगता है कि आपको मेरी कहानी पसंद आएगी क्योंकि ये वास्तविकता है।
दोस्तो, मैं दिल्ली पढ़ाई के सिलसिले में आया था। सामान्य सी बात है कि उस वक्त मैं कुंवारा था, ऐसा नहीं था कि कभी सेक्स करना नहीं चाहा मगर कभी कोई लड़की पसंद ही नहीं आई। और मैं सिर्फ उसी लड़की के साथ सेक्स करना चाहता था जो मुझे पसंद हो।
मुझे कॉलेज में आये अभी थोड़ा ही समय हुआ था मगर अधिकतर लोग मुझे जानने लगे थे, कारण था कि मैं इलेक्शन में काफी एक्टिव था और चुनाव के टाइम कैंपेनिंग के समय बहुत से लोगों से मुलाकात हुई। और आखिर हम जीत भी गए, बस फिर क्या था मौज हो गयी। दोस्त कहते थे कि यार अब तो गर्लफ्रैंड बना ले… मतलब अब तो सब कुछ तेरे हाथ में है, किसी को भी पसंद कर ले।
पर मैंने तो सोच रखा था कि गर्लफ्रैंड बनाऊंगा तो ऐसी लड़की को जिसके नाम पर पूरा कॉलेज मुट्ठ मारे… मतलब यार पटाखा होनी चाहिए।
बात फ्रेशर्स पार्टी की है, मैं भी ऑर्गेनाइजिंग कमेटी में था। हमने कॉलेज में ख़ास तौर पर वर्षा नृत्य यानी रेन डांस रखवाया था। इस डांस में पूरे ग्राउंड में हमने फव्वारे लगवाए थे और फिर डांस करने के लिए इंतजाम थे। स्पॉन्सरशिप भी बहुत अच्छी मिली थी।
अभी डांस शुरू होने में टाइम था तो इससे पहले बाकी परफॉर्मेंस चल रहे थे। मैं एंकरिंग कर रहा था. दोस्तो, मैं ठीक ठाक शायरी लिख लेता हूँ और उस दिन तो शायरियों से मैंने समां बांध दिया। सच में बहुत मजा आ रहा था, पर असली मजा तो थोड़े टाइम बाद आने वाला था।
इतने में डांस शुरू हो गया सभी लड़के लड़कियां साथ में नाचने लगे अब भीड़ इतनी थी और जगह कम तो सभी लगभग चिपके हुए थे, रोमांटिक माहौल था पानी आग में घी का काम कर रहा था। बस भला हो दिल्ली पुलिस का जो अपना काम बहुत ठीक से कर रही थी, नहीं तो पता नहीं कितने कांड हो जाते।
और तभी… मैंने अपनी हीरोइन को देखा उसने सफेद रंग का सलवार सूट पहना हुआ था सच में क्या लग रही थी, उसकी सहेली उसे जबर्दस्ती पानी में खींच रही थी।
मैं तो देखते ही पागल हो गया था सीधी सी मासूम सी लड़की, इतना प्यारा मुखड़ा उस पर मोटा सा काले रंग का चश्मा, प्यारा सा गुस्सा, लंबे लंबे खुले बाल, गुलाबी होंठों से जब वो गुस्सा होते हुए मुस्कुराती थी ना तो लगता था कि कोई परी उतर आई है धरती पर! 5’7″ के लगभग हाइट रही होगी इतना अच्छा फ़िगर 36-26-36 का, और पानी में भीगने के बाद तो… क्या कहूं! क्या गदर लग रही थी। भई बस मेरे मुंह से आह निकल गयी।
मुझे मेरी पटाखा मिल चुकी थी और अब तो बस दिल यही कर रहा था कि काश इस लड़की से सेटिंग हो जाये तो जिंदगी धन्य हो जाये। मैं उससे बात करना चाह रहा था और लोगों के बीच से रास्ता बनाकर बाहर निकलना चाह रहा था कि तभी देखा कि वो बाहर जा रही थी, अपनी सहेली के साथ परेशान लग रही थी, नाराज सी थी अपनी सहेली से।
मैं बाहर निकला मगर वो पता नहीं इतनी जल्दी कहां चली गयी थी। मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था कि ‘यार कहां चली गई।’ मैं सब जगह उसे ढूंढने लगा मगर वो कहीं नहीं मिली. मैं पागलों की तरह दौड़ा जा रहा था, पर वो कहीं मिल ही नहीं रही थी।
तभी पीछे से किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा। राहुल था… थर्ड ईयर से, हमने साथ में ही चुनाव में कैंपेनिंग की थी, मेरे ही डिपार्टमेंट से था और उसे कॉलेज में बहुत मानते थे, अपना जिगरी था।
उसके साथ दो लड़कियाँ थी। उसने कहा- भाई… सुन! ये तेरी क्लास की अंकिता है, जानता है ना? अब मैं कभी क्लास गया ही नहीं, एक-आध बार गया था बस; मुझे सब जानते थे लेकिन मैं बहुत कम को जानता था। मैंने देखा… ओह शिट… यह तो वो ही लड़की थी… और मैं चूतिया जिसे यह भी पता नहीं था कि ये मेरे ही क्लास में पढ़ती है। मतलब यार… मेरे जान में जान आ गयी, लग रहा था जैसे कि किस्मत भी हमें मिलाना चाह रही है।
उसने मेरी तरफ देखते हुए धीरे से कहा- हाय… वाह… उसकी आवाज कितनी प्यारी थी… पर मुझ बुद्धू को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था, बस उसे ही देखे जा रहा था। उसने बड़े ही अदब से नजरें नीचे झुका ली। और फिर में होश में आया, मैंने भी कहा- हेलो!
तभी उसकी सखी ने कहा- हेलो माइ सेल्फ मनीषा! मैंने जवाब में हय बोला, हाथ मिलाया. मनीषा भी कम खूबसूरत नहीं थी पर अंकिता के आगे मुझे कुछ सूझ ही नहीं रहा था।
तभी राहुल बोल पड़ा- तुम जानते नहीं हो अभी आपस में? मनीषा ने कहा- जानते हैं ना… इन्हें कौन नहीं जानता क्लास में। कम्बख्त लाइन दे रही थी।
राहुल बोला- हां खैर वो तो है, नेताजी को कौन नहीं जानता? पर नेताजी क्लास में जाएं तभी तो!
मुझे भी लग रहा था कि क्लास में न जाकर मैंने कितना कुछ मिस कर दिया। हाय! क्या लग रही तो वो गीले सूट में ? तभी राहुल ने कहा- यार सुन, वो अंकिता का फ़ोन भीग गया है और यार काम नहीं कर रहा है; खराब हो जाएगा, तू प्लीज इसे होस्टल में सुखा दे ना? हाँ मैं आपको बताना भूल गया कि मैं कॉलेज होस्टल में ही रहता हूँ। थोड़ी पढ़ाई कर ली थी 12वीं में तो होस्टल मिल गया था।
मैंने कहा- ठीक है भाई, मैं कर दूंगा आप चिंता मत करो। इनकी हेल्प करना तो मेरी जिम्मेदारी है। अंकिता ने झुकी नज़रों से थैंक यू कहा। पता नहीं वो नजरें क्यों नहीं मिला रही थी जिससे मुझे घायल किया था।
राहुल बोला- चल भाई तू रख के आ… इनको पार्टी के बाद दे देना। मुझे जाना पड़ा।
गुस्सा आ रहा था राहुल पर कि इतना बढ़िया चांस है बात करने का और मुझे हॉस्टल भेज रहा है! देख लूंगा साले को।
मैंने कहा- ठीक है बाबा, जाता हूं। और मैं होस्टल में आ गया।
मैं होस्टल में आया, जल्दी से कपड़े चेंज किये, औऱ तैयार हो गया अपनी क्रश से मिलने के लिए। मैंने फ़ोन देखा, वो अभी ठीक चल रहा था, मुझसे इन्तजार नहीं हो रहा था, मैं जल्दी से ग्राउंड में गया, वो मुझे कहीं दिखी नहीं।
मैंने मनीषा को कॉल किया, उसने मुझे नम्बर दे दिया था आते टाइम। और वो आती दिखी, पर पता नहीं क्यों अंकिता परेशान लग रही थी। मैंने कहा- लीजिये मैम, आपका मोबाइल ठीक हो गया। और कुछ हेल्प करूँ? अंकिता ने कहा- नो, इट्स ओके एंड थैंक यू वैरी मच फ़ॉर मोबाइल। नजरें कमबख्त अभी भी नीचे ही थी.
तभी एकदम से मनीषा बोली- यार एक हेल्प औऱ चाहिए थी प्लीज… इतने में एकदम से अंकिता बोल पड़ी- यार, मैंने मना किया था ना तुझे… इनसे बोलने को! इसमें ये क्या कर पाएंगे? मैंने उसकी तरफ देखा, मगर उसने फिर नजरें झुका ली।
इतने में मनीषा उदास होते हुए बोली- हां यार, सब मेरी गलती है। मैं बोला- आप खुद ही खुद बात करेंगी या मुझे भी कुछ बताएंगी? हो सकता है कि यह नाचीज़ आपके कुछ काम आ जाए। तो मनीषा ने कहा- यार वो क्या है ना अंकिता को पता नहीं था कि आज रेन डांस है। और यह अपने साथ चेंज करने के लिए अलग से कपड़े नहीं लाई। और मैंने इसे भिगो दिया है इसीलिए परेशान है। मैंने कहा- बस इतनी सी बात, कोई नहीं, मैं अभी आता हूं, आप रुकिए।
गर्ल्स हॉस्टल में कुछ लड़कियों से मेरी दोस्ती थी तो मैंने उनको प्रॉब्लम बता कर उनसे कपड़े अरेंज कर लिए, और उनको दे दिए।
थोड़ी देर बाद अंकिता बाथरूम से कपड़े चेंज करके आई; सच में ब्लैक टॉप और जींस में बहुत सेक्सी लग रही थी। मनीषा ने मुझे थैंक यू कहा, अंकिता ने भी। तभी मैंने कहा- लगता है कि आपकी दोस्त मुझसे नाराज है, तभी तो देखो ना… खुश ही नहीं हुई ये! हम से बात भी नहीं कर रही हैं। मैंने मजाक करते हुए कहा. मनीषा भी मेरा साथ देने लगी.
तभी अंकिता मेरी तरफ देखकर बनावटी गुस्से में बोली- अच्छा… सच में? आपने मेरी बहुत मदद की है इसीलिए थैंक यू. और मैं आपसे बात तो कर रही हूं ना… फिर आप ऐसा क्यों कह रहे हो? उसने थोड़ा रुआँसी होते हुए कहा. मैंने कहा- चलो… आखिर आपने मुझसे नजरें तो मिलाई! औऱ हम सब खिलखिलाकर हंस पड़े। उसने शरमाते हुए फिर से नजरे झुका ली। तब लग रहा था जैसे वह भी मुझे पसंद करती है।
यह हमारी पहली मुलाकात थी और पहली मुलाकात में ही हमारा प्यार परवान चढ़ने लगा था। इसके बाद मैंने रोज क्लास अटेण्ड करना शुरू कर दिया, हम साथ बैठने लगे, ढेरों बातें होने लगी. मैं जब भी उसके साथ होता तो मुझे बहुत खुशी होती, अब तो सिर्फ इजहार की कमी रह गई थी।
इस तरह से हमारे कई दिन गुजर गए, हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त बन गए। अंकिता को कई लड़के पसंद करते थे और उस पर लाइन भी मारते थे मगर उसने कभी भी किसी को भाव नहीं दिया। शायद वह भी मुझे पसंद करती थी। अब मेरे डर से कोई भी उसे परेशान भी नहीं करता था।
इसी तरह हमारी दोस्ती परवान चढ़ने लगी, वो मेरे लिए रोज कुछ ना कुछ अपने हाथों से बना कर लाती, बहुत प्यारे दिन थे, पर मुझे तो उस दिन का इन्तजार था जब हम पूरी तरह से एक हो जाते।
मुझे लगा कि मुझे अब इजहार कर देना चाहिए, और तभी मेरा बर्थडे आया; उस टाइम हमारे एग्जाम चल रहे थे तो मैंने सोचा कि बर्थडे ही बेस्ट दिन होगा क्योंकि उसके बाद हमारी छुट्टियां आने वाली थी। हमने बहुत अच्छे से बर्थडे मनाया और शाम को मैं उसे कॉलेज की छत पर ले गया उसने मेरा पसन्दीदा सफेद सूट पहना था। मौसम बहुत खुशनुमा था ठंडी ठंडी हवा चल रही थी और उसका दुपट्टा उड़ रहा था।
मैंने कहा- अंकिता आई लव यू… मैं तुम्हारे साथ रिलेशनशिप में आना चाहता हूँ। वह कुछ नहीं बोली। मैंने उसका हाथ पकड़ा और कहा- मैं तुम्हें सच में बहुत प्यार करता हूं; क्या तुम भी मुझे प्यार करती हो? वो रोने लगी और कहा- तुम बहुत अच्छे लड़के हो और मेरे सबसे प्यारे दोस्त भी मगर मैं अभी रिलेशनशिप में नहीं आना चाहती। प्लीज तुम समझने की कोशिश करना, मुझे ये सब झूठ लगता है।
मैंने कहा- हम इतने दिन साथ खुश रहे; क्या वो भी झूठ था? वो पहले तो कुछ नहीं बोली, फिर कुछ देर बाद कहा- मुझे माफ कर देना! और चली गई।
मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था कि उसने मना क्यों कर दिया? मुझे लगा वह भी मुझे पसंद करती है।
इसके बाद छुट्टियों में उसने मुझे बहुत कॉल किये, मैसेज किये पर मैंने जवाब नहीं दिया। मैंने खुद से कहा कि मुझे वह पसंद नहीं है, और मैंने बात करनी बंद कर दी।
कॉलेज खुला उसने मुझसे कई बार बात करने की कोशिश की मगर मैंने बार बार नकार दिया।
अगले दिन होली थी, कॉलेज में प्री होली सेलिब्रेशन चल रहा था, मेरा मन नहीं था तो मैं नहीं गया। मैं क्लास में बैठा था, वहाँ कोई नहीं था, तभी अंकिता आयी, उसने वही सफेद सूट पहना हुआ था, बहुत प्यारी लग रही थी।
मैं उठकर बाहर जाने लगा, तभी उसने अचानक गेट बंद कर दिया और मेरे आगे खड़ी हो गई। वो रोने लगी और कहा- मुझे माफ़ कर दो राज! मैं तब थोड़ा डर गई थी, पर मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती, आई लव यू। मैं चुप रहा।
उसने रोते हुए कहा- कल होली है, हम सब घर चले जायेंगे, क्या तुम मुझे रंग भी नहीं लगाओगे? वो अपने साथ रंग लाई थी, उसने मुझे रंग लगाया, ये सब मुझे झकझोर रहा था जैसे ही उसने मुझे स्पर्श किया, मैं अपने होश में नहीं रहा। वो रो रही थी, मैंने उसे गले लगा लिया, में भी रोने लगा।
हम गले लगे रहे कुछ नहीं बोले बस रोते रहे।
थोड़ी देर बाद हम अलग हुए, मैंने उसे किस करना शुरु किया औऱ एक हाथ उसकी कमर पर रख दिया; वो भी मेरा साथ दे रही थी। वो दीवार से सट गयी; हमारी सांसें मिलने लगी। उसने अपने हाथों से मेरे सिर को पकड़ रखा था। हम किस करते रहे जैसे खा जाएंगे एक दूसरे के होठों को। मैंने अपने दोनों हाथ उसके सूट के अंदर उसकी कमर पे रख दिये वो मुझे और तेजी से काटने लगी।
मैं अपने हाथ उसकी कमर पर और पेट पर फिराता रहा औऱ वो भी मेरे पेंट पर हाथ फिराने लगी। मेरा लण्ड उसके स्पर्श से बहुत टाइट हो रहा था, मैंने उसको अपनी बाहों में भींच लिया और उसके गले पर किस करने लगा, वो भी मुझे काटने लगी, उसकी पकड़ बहुत मजबूत हो गई थी।
तब मैंने उसका शर्ट उतार दिया, उसने भी उत्तेजना में मेरी शर्ट फाड़ दी, हम एक दूसरे को बेतहाशा चूमे जा रहे थे। तभी मैं नीचे झुका और उसके पेट और कमर को चूमने लगा जीभ चलाने लगा और मेरे हाथ उसके सलवार के नाड़े पर थे. जल्दी ही हमारे शरीर से पैन्ट और सलवार भी अलग हो गए। मैं उसे बेतहाशा चूमे जा रहा था और वो ऊपर देखते हुए आहें भर रही थी ‘आह… उह… यस… आह…’ उसकी सांसें बहुत तेज हो गई थी।
मेरे एक हाथ ने उसकी पैंटी का नाड़ा भी खोल दिया था। मेरे सामने उसकी चिकनी चूत थी उस पर एक भी बाल नहीं था वो पहले ही थोड़ी गीली हो रही थी। मैंने उसकी जांघो पर किस करना शुरू किया और उसके चूत के दाने को काटने लगा। उहम्म… आहहह… ओह… यस…
वो बस बेतहाशा चिल्लाये जा रही थी, उसने भी अब तक मेरी अंडरवियर मेरे शरीर से अलग कर दी थी और बड़ी ही तेजी से मेरे लंड को हिला रही थी मेरा लण्ड बिल्कुल टाइट हो चुका तब हम अपने हाथ बहुत तेज चल रहे थे. अचानक उसकी सांसें बहुत तेज होने लगी। मैं भी पहली बार सेक्स कर रहा था।
अब हम 69 पोजीशन में ओरल सेक्स कर रहे थे, मेरा लण्ड उसके मुँह में था, क्या अहसास था मैं बयान नहीं कर सकता कि जैसे ही उसके गीले और मुलायम होंठ मेरे लण्ड को चूस रहे थे मैं कामवासना से आपे से बाहर हो गया, कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ बस चूमे जा रहा था काटे जा रहा था.
फिर थोड़ी देर बाद हम झड़ गए, क्या अनुभूति थी जिंदगी में पहली बार वो भी इतने अच्छे से। इसके बाद हम थोड़ी देर तक एक दूसरे पर चिपके रहे किस करते रहे। हम दोनों किस करने लगे।
अब वो मेरे नीचे लेटी हुई थी हम दोनों नंगे थे, जैसे ही हमारे शरीर आपस में चिपटे हमें कोई सुध ही नहीं रही। हम एक दूसरे को चूमे जा रहे थे; मेरे हाथ उसके बूब्स पर थे; क्या नरम नरम बूब्स थे और मैं उन्हें दबाये जा रहा था बहुत तेज। और वो कामुकता भरी सिसकारियाँ भर रही थी. आह… उह… डार्लिंग… मैं उसके बूब्स की टोपियों को काट रहा था, कितना मजा आ रहा था। उसने अपने नाखून मेरी पीठ पर गड़ा दिये आह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आहहह… या… यस…
वो सिसकारियां भर रही थी और पुकार रही थी- अब डाल दो… जानू औऱ सब्र नहीं होता। मार ही डालोगे क्या तड़पा तडपाकर… मैं उसे क्या कहता कि मैं कितना तड़प रहा हूँ… उसने मेरा लण्ड पकड़ लिया मेरा 6.5″ का लण्ड बिल्कुल टाइट हो गया था।
औऱ मैंने बिना किसी देरी के लण्ड चूत में डाल दिया… मगर चूत बहुत छोटी थी बस थोड़ा ही अंदर गया मैंने तेज धक्का दिया तो आधा लण्ड अंदर चला गया. मगर वो दर्द से चिल्ला उठी… उसकी चूत से खून आ रहा था; वो रो रही थी; आंखों से आँसू आ रहे थे।
मुझे उसके दर्द का अंदाजा था; मैं उसे किस करने लगा; उसका ध्यान बंटाने लगा, उसको कहा- जानू मैं तुम्हें प्यार करता हूँ, मैं तुम्हें दर्द में नहीं देख सकता। तभी मैंने एक और झटका दिया, मेरा पूरा लण्ड अंडा चला गया, वो चिल्ला उठी, मैंने हाथ से उसका मुँह कर दिया औऱ उसे किस करने लगा.
वो शांत हुई तो मैंने धीरे धीरे झटके देने शुरू किए, लण्ड को अंदर बाहर करना शुरू किया। उसे भी धीरे धीरे मजा आने लगा था, उसकी कामुकता अपने चरम पर थी- ‘आह… उहहह… ओहह… आहहु… य… सस… हां… डार्लिंग… चोद … दो मुझे… तेज…’ उसकी आवाज दर्द और उत्तेजना दोनों ही दिखा रही थी; उसने अपने नाखून मेरी पीठ पर गड़ा दिए, मुझे कंधे पर काटने लगी ‘और तेज… और तेज…’
अब मैं झड़ने वाला था… अपने चरम पर पहुंच कर हम दोनों एक साथ झड़ गए थे। हम दोनों चिपके हुए ही सो गए। आज स्वर्ग सी अनूभूति हुई थी। इसके बाद हम आज तक सेक्स करते आ रहे हैं। हम दोनो साथ बहूत खुश हैं। ये मेरा और मेरी गर्लफ्रैंड का पहला सेक्स था जिसकी कहानी मैंने आपके साथ शेयर की है। कहानी पसंद आये तो ईमेल करके जरूर बताएं। नई कहानी बहुत जल्द लाऊंगा। धन्यवाद। [email protected]
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