This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
अब तक आपने पढ़ा था कि सेजल भाभी को आज रात और भी ज्यादा जंगली चुदाई की भूख थी. मैं भी इस बात के तैयार हो गया था.. मगर मैंने उनसे इस जंगली चुदाई की चाहत की वजह जानने की कोशिश की तो उन्होंने मुझे अपनी आपबीती की बात कही. मैंने पूछा- क्या कहानी है भाभी? अब आगे..
सेजल भाभी- इसके पीछे एक कहानी है.. कहानी सुनोगे? मैं- ओके.
सेजल भाभी- यह कोई कहानी नहीं है, मेरी लाइफ की दुख भरी दास्तान है. इसलिए अगर मन हो तो ही सुनना. मैं- मैं सच में सुनना चाहता हूँ. सेजल भाभी- तो सुनो.
उस वक्त मेरी उम्र 18 साल की थी, जब मेरी शादी करवा दी गई. इस कच्ची उम्र में एक लड़की को सेक्स की बहुत ज़्यादा लालसा होती है, मुझे भी थी.
रात को मैं अपनी सुहागसेज़ पर बैठी अपने पति की प्रतीक्षा कर रही थी. मैंने तो कभी इनसे बात भी नहीं की थी, मुझे इनके स्वभाव के बारे में कुछ पता ही नहीं था.
जैसे ही रमन कमरे में आए, मेरा दिल धक धक करने लगा. उनके साथ मेरी ननद रिद्धि भी थी, दूध का लोटा लेकर आई थी. वो दूध रख के बाहर गई और उसने कमरे का दरवाज़ा बन्द कर दिया और शायद बाहर से कुण्डी भी लगा दी थी.
ये आकर मेरे पास बैठे, मेरे कन्धे पर हाथ रखा और बोले- सेजु.. फ़िर बोले- सेजु आज तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो. वो उठे और अलमारी को खोला और उसमें से एक गुलाबी कलर की नाइटी निकाली, जो बहुत ही उत्तेजक थी. वे बोले- इसे पहन कर आओ.
मैंने उनके कहे अनुसार बाथरूम में जा के नाइटी पहनी और बाहर आ गई.
वो दरवाज़े के पास ही खड़े थे, मुझे गोद में उठाया और फ़िर बिस्तर पे ले आए.
बिस्तर पे वो अचानक मुझ पे किसी भेड़िये की तरह टूट पड़े, मुझे बहुत बुरी तरह मसल रहे थे.. उनके हाथ मेरे पूरे जिस्म पर घूम रहे थे. मैं बहुत गर्म हो गई थी और सिस्कारियां भर रही थी. उन्होंने एक ही झटके में मेरी नाइटी फाड़ दी और अपने कपड़े भी उतार फेंके.
मैं शर्म के मारे आंखें बंद करके लेटी रही.. वो मेरे जिस्म से बच्चे की तरह खेलने लगे. वो मेरे मम्मों को मसल रहे थे. पूरा कमरा मेरी सीत्कारों से गूंजने लगा. फ़िर मेरे पेट पर किस करने लगे.. और धीरे धीरे मेरी चुत की तरफ़ बढ़ने लगे.
इधर मेरी धड़कनें रुकने लगी थीं.. फ़िर धीरे से उन्होंने मेरी चूत को हाथ से सहलाया, मेरे मुँह से आनन्द भरी किलकारी निकल पड़ी. रमन मेरी जांघों पर किस करने लगे और जीभ निकाल कर मेरी चूत की फांकों पर रख दी.. मेरी आंखें एकदम से खुलीं और फ़िर आनन्द के मारे बंद हो गईं.
रमन किसी कुत्ते की तरह मेरी पूरी मुनिया को चाटने लगे, मेरा फर्स्ट टाइम था ये.. इसलिए मेरा सब्र टूट गया और मैं चीख मार के झड़ने लगी.. वो चुस्कियां लेकर मेरा रस पीने लगे.
मेरी आंखें फ़िर एक बार खुल गईं. मैं आंखें बड़ी बड़ी करके छत को देख रही थी और गहरी साँस ले रही थी. तभी मेरी चूत से एक दर्द की लहर उठी, जो मेरे पूरे जिस्म में दौड़ गई. मेरे मुँह से दर्द भरी आह्ह्ह्ह्ह निकली.. मुझे अहसास हुआ कि मेरी चूत में कुछ है. मैंने सर उठा के चूत की तरफ़ देखा.. मेरे पति मेरी चूत में उंगली डाल के कुरेद रहे थे. फ़िर धीरे से उन्होंने दूसरी उंगली भी डाल दी. दर्द के मारे मेरे मुँह से ‘आउउउउउच..’ निकला.
मैंने झटके से फ़िर से सर बिस्तर पर पटक दिया और सर लेफ्ट राइट घुमाने लगी. अब मुझे मेरी चूत मैं उनकी उंगलियां मज़ा देने लगी थीं.
अचानक रमन ने मेरा हाथ पकड़ा और झटके से मुझे खींच लिया. मैं बैठ गई और आंखें खोल कर रमन के चेहरे को देखने लगी. रमन बोले- मज़ा आया??? मैंने आंखें बंद करके शर्मा कर कहा- हाँ बहुत… रमन बोले- और मजे करने हैं?? मैंने शर्मा के हाँ में सर हिलाया. रमन बोले- जैसा मैं बोलता हूँ, वैसा ही करो.. चलो बिस्तर के नीचे उतर के बेड के नजदीक बैठ जाओ.
मैंने ठीक वैसा ही किया जैसा उन्होंने बोला. वो बिस्तर पर किनारे बैठ गए और बोले- मेरा लंड मुँह में लो.. खेलो इससे. मैं अवाक रह गई और अपनी बड़ी सी आंखें फाड़ कर उनके चेहरे को देखने लगी.
वो बोले- डरो मत कुछ नहीं होगा. मैं- इसको भी कोई मुँह लगाता क्या?? वो बोले- हाँ.. जो बोला, वो करो..
इतनी देर से वो नंगे थे लेकिन अभी तक मैंने उनका लंड ठीक से नहीं देखा था.
अब मैंने उनके लंड पे नज़र डाली वो 4″ का मध्यम आकार का किसी लोहे की रॉड की तरह सीधा खड़ा था. मैं उसको ध्यान से देखने लगी. ऊपर लाल टमाटर जैसा सुपारा.. पतली सी चमड़ी से थोड़ा सा मुँह निकाल कर जैसे मुझे देख रहा हो.. ठीक ऊपर उसके छोटे से छेद में एक पानी की बूँद जमी हुई थी. लंड को मैंने अपनी ज़िंदगी में पहली बार देखा था.
लंड को देख कर मुझे अच्छा भी लग रहा था और डर भी लग रहा था.
वो बोले- इसको हाथ में पकड़ो! मैंने छोटे बच्चे की तरह उनकी बात मान कर लंड हाथ में ले लिया. वो फ़िर बोले- इसको छेद पे लिक करो.
मैंने बहुत ही संभाल उनके लंड पर जमी वो पानी की बूँद को जीभ की नोक से चाट लिया. उसका स्वाद अजीब नमकीन सा था. मैंने उनके सामने देख के मुँह बनाया. वो बोले- थोड़ी देर के बाद ठीक हो जाएगा.
फ़िर वो उठे और मुझे वहीं बैठने को बोला. उन्होंने एक टेबल की दराज से शहद का डिब्बा निकाला और फ़िर वहीं आकर बैठ गए, जहां बैठे थे.
फ़िर ढक्कन खोल कर अपने पूरे लंड को शहद से भिगो दिया और मेरी तरफ़ देख के इशारा किया.. मैं समझ गई और बिना कुछ बोले उनके पूरे लंड को चाटने लगी. मैंने मुँह खोल के पूरा का पूरा लंड मुँह में भर लिया और कोई बच्चा जैसे दूध की बोतल चूसता है, वैसे लंड चूसने लगी.
करीब दस मिनट लंड चूसने के बाद रमन मेरे सर को पकड़ कर लंड से मेरे मुँह में जोर जोर से धक्के देने लगे, मुझे दर्द हो रहा था, पर कुछ बोल नहीं सकती थी.
फ़िर रमन ने मेरे सर को पकड़ा और लंड को मेरे मुँह में डाले हुए ही मुझे फर्श पे लेटा दिया और वो मेरे ऊपर लेट गए. उनकी टांगें मेरी छाती के आसपास थीं उनका लंड मेरे मुँह में था और उनके लंड की गोटियां मेरी ठोड़ी पर थीं.
अब वो उछल उछल कर मेरे मुँह में लंड डालने लगे, मेरा मुँह छिल रहा था, पर मैं कुछ कर भी तो नहीं सकती थी. थोड़ी देर मेरा मुँह बेरहमी से चोदने के बाद वो झड़ने लगे. मेरा मुँह किसी लिसलिसी चीज़ से भर गया, जो ना चाहते हुए भी मुझे निगलना पड़ा.
धीरे धीरे रमन का लंड मुरझा कर मेरे मुँह से बाहर आ गया. वो उठे, पानी का गिलास भर के मुझे पिलाया और मुझे उठा कर बेड पे लेटा दिया.
मैं रो रही थी, रमन मुझसे माफ़ी माँग के मुझे चुप करा रहे थे. रमन के प्यार दुलार से मैं थोड़ी देर में नॉर्मल हो गई.
फिर हमने जी भर के एक घंटा तक बातें की और इसी बीच उनके हाथ फ़िर से मेरे जिस्म पर घूमने लगे. मैं गर्म होने लगी. वो मेरे चूचे चूसने लगे. एक चुची के निप्पल को चुटकी में भर के मसलने लगे. मुझे पूरे जिस्म पर हाथ का जोर देकर रगड़ने लगे.
अचानक वो उठे, मेरी टांगों को मोड़ कर अपने कंधों पर रखा और अपना लंड मेरी चुत पे रगड़ने लगे. उन्होंने मेरी चुत पे अपना लंड सैट किया और जोर से झटका मारा. उनका आधा लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अन्दर घुस गया. मैं चिल्ला उठी.. उन्होंने बिना रहम खाए 10-15 धक्के दे दिए और इतने में ही उनका माल निकल गया.
मेरी चुत से खून निकल रहा था. थोड़ी देर बाद उनका लंड मुरझा कर मेरी चुत से बाहर आ गया. उनका लंड भी मेरी सील पैक चुत की कसावट के कारण छिल गया था.
फ़िर वो बिना मेरी तरफ़ देखे सो गए. मैं थोड़ी देर रोने के बाद उठी और बाथरूम में जा कर गीजर ऑन करके बाथटब में लेट कर चुत की सिकाई देने लगी.
कुछ मिनट बाद बाहर आकर मैंने कपड़े पहने और सो गई. सुबह आंख खुली तो 9 बज गए थे.
जैसे ही खड़ी हुई, टांगों के बीच दर्द की लहर दौड़ गई. लंगड़ाते हुए बाथरूम में गई और सुसु करने बैठी. सुसु करते वक्त मेरी चुत में तेज़ जलन हो रही थी.
नित्यकर्म करने के बाद कमरे से बाहर आई तो मेरी ननद नाश्ते की टेबल पे बैठी नाश्ता कर रही थी.
मुझे देखते ही बोली- मम्मी, भाभी उठ गईं, उनके लिए नाश्ता लाओ. मम्मी मेरे लिए नाश्ता और जूस लेकर आईं, मैं नाश्ता करने लगी. नाश्ता करने के बाद मेरी सास ने कहा- जाओ कमरे में आराम करो, कल रात नींद पूरी नहीं हुई होगी.
मैं शर्मा के अपने कमरे में आ कर बेड पे लेट गई.
फ़िर थोड़ी देर बाद मेरी ननद रिद्धि मेरे पास आई और हम दोनों बातें करने लगीं. पूरा दिन हमने हंसी मजाक में निकाल दिया.
रात को रमन लेट से घर आए, मैंने उनको खाना परोसा, खाना खाने के बाद हम दोनों बेडरूम में गए. उन्होंने मुझे तुरंत कपड़े उतारने को बोला और खुद भी नंगे हो गए. मैं नंगी उनके सामने खड़ी हो गई. उन्होंने मुझे बेड पे लेटा दिया और मेरी टांगों के बीच आ गए और लंड को मेरी चूत पे सैट करके एक ही झटके में मेरी चूत में ठोक दिया.
मैं चीखने लगी और वो बिना परवाह किए चोदते गए. करीब 4 मिनट बाद मुझे मज़ा आने लगा और अभी मैं कुछ करती कि वो झड़ गए. मुझे गुस्सा आ रहा था, पर अपनी मर्यादा ने मुझे कुछ बोलने नहीं दिया. वो मुँह फेर कर सो गए और में प्यासी तड़पती रह गई.
अब ये रोज़ मेरे साथ होने लगा था. वो आते, कपड़े खोल कर मेरी चूत में तुरंत लंड डाल देते. जब तक मैं गर्म होती, तब तक वो झड़ जाते.
फिर हम यहां शिफ्ट हो गए और मैंने अपनी वासना शांत करने के लिए तुमको फंसाया… सॉरी समीर.
इतना कह कर सजल भाभी रोने लगीं. मैं उनको चुप कराने लगा- नहीं भाभी ऐसा मत बोलो.. मैं पहले से ही फंसा हुआ था और आपने तो मेरी मदद की, मुझे बचा लिया.. इसके बदले यदि आपने मुझे अपना जिस्म शांत करने को यूज किया तो क्या हुआ, मुझे भी तो आपका शरीर भोगने को मिला.. आय लव यू भाभी!
वो मुस्कुरा उठीं, मुझे किस किया और बोलीं- जाओ, मेरे लिए दर्द की तैयारी करो. मैं उठा और अपने रूम पर गया और वहां कपड़े बदले.
फ़िर अपनी बाइक ले के मार्केट गया और रात के लिए कुछ चीजें लीं और उसके बाद अपने दोस्त नीरज के रूम पे गया. मैंने दस्तक दी. उसने दरवाज़ा खोलने में काफ़ी देर लगाई.
जैसे ही उसने दरवाज़ा खोला.. मैं गुस्से में बोल पड़ा- भेनचोद गांड मरवा रहा था क्या?? नीरज- अरे समीर तू यहां.. साले बहुत गलत टाइम पे आया है. मैं- क्यों क्या हुआ बे?? नीरज – साले मैं प्रीति की बजा रहा था बे.. मैं- वो.. अपने क्लास वाली प्रीति.. वो साली बहन जी को कब पटा लिया तूने बे??
नीरज- वो सब छोड़.. तुझे काम क्या है वो बता? मैं- भाई वो सेक्स के खिलौने कहां मिलते हैं. नीरज- क्या लेना है?? वो ऐसे हर किसी ऐरे गैरे को नहीं मिलते. मैं- इसीलिए तो तेरे पास आया हूँ भाई. नीरज- ओके तू रुक कुछ देर.. उसकी बजा लूँ, साली बड़ी मुश्किल से लंड के नीचे आई है.
मेरे पास और कोई चारा नहीं था और वो भेनचोद बिना चोदे आने वाला नहीं था. इसलिए मैं वेट करने को राज़ी हो गया. कमरे से निकल कर सामने चाय की दुकान पर बैठ के चाय ऑर्डर की और मोबाइल में गेम खेलने लगा.
दोस्तो, मेरी इस हिंदी सेक्स स्टोरी में मजा आ रहा है ना? तो मुझे ईमेल जरूर कीजिएगा. [email protected] कहानी जारी है.
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000