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मेरा नाम रोमी है. यह बात तब की है, जब मैं 18 साल का था. अभी मैं 22 साल का हूँ. मैं अपनी 12 वीं की पढ़ाई खत्म करके आगे की पढ़ाई के लिए जयपुर आया था. मैं थोड़ा शर्मीला लड़का हूँ. किसी लड़की से बात करने से घबराता हूँ. मैं शहर के एक होस्टल में रहने लगा और कॉलेज में भी दाखिला करवा लिया था. फिर वो ही रोज कॉलेज जाना, वापस आना चल रहा था.
एक दिन में बाजार कुछ खरीदने गया था. एक बुक स्टोर पर किताब लेने गया. वह मेरी नजर एक लड़की पे पड़ी. वो मेरे मामा की लड़की थी. उसका नाम शालिनी है. वो मुझसे उम्र में 4 साल बड़ी है. वो लंबाई में मुझसे कम है और मैं हट्टा कट्टा हूँ तो वो मुझसे छोटी लगती है.
सभी प्यार से उसे शालू कहते हैं. मैंने देख कर उन्हें बुलाया- अरे शालू दीदी, आप यहां क्या कर रही हो? उन्होंने बताया कि वो भी कोई किताब लेने घर आई है.
फिर हमने एक रेस्टोरेंट पर साथ में कॉफी पी और उस दौरान दीदी बताया कि वह भी यहीं रहती है और पढ़ाई कर रही है. मैंने उनका नंबर लिया और फिर दीदी बोलीं कि उन्हें जाना है तुम्हें कभी समय मिले तो मिलना.
मैं भी अपने हॉस्टल आ गया. मैं खुश था कि इस अनजाने शहर में कोई तो अपना है. फिर मैं कभी कभी फ़ोन पर शालू दीदी से बात कर लेता. धीरे धीरे हम रोज फ़ोन पर बातें करने लगे. मैसेज से इतनी बात अधिक होने लगी कि 24 घंटे भी कम पड़ते थे.
हम हमारी सारी बातें एक दूसरे को बता देते थे. इस तरह 6-7 महीने हो गए थे. अब मैं दीदी को बहुत ज्यादा पसंद करने लगा था. उनसे बात किए बिना अच्छा नहीं लगता था. लेकिन कभी उनसे कह नहीं पाया.
कभी उनसे मिलने भी जाता था, तो कभी हम दोनों साथ में फिल्म भी देखने जाते. मेरी तब तक कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी. शायद उनका भी कोई बॉयफ्रेंड शायद नहीं था. वर्ना इतना समय मेरे साथ क्यों बितातीं और इतनी बात मुझसे क्यों करतीं. खैर इस बात को जाने दो.
एक दिन भारत और ऑस्ट्रेलिया का मैच था. हम दोनों फ़ोन पर बात कर रहे थे. मैंने दीदी को कहा कि आज भारत जीतेगा. दीदी ने कहा- मुश्किल है. इस बात पर हम दोनों बहस कर रहे थे. मैंने झोंक में कह दिया कि अगर भारत जीत गया तो आप मुझे 100 किस देना.
ये मैंने क्या बोल दिया. कुछ देर दोनों तरफ शांति रही. फिर मैंने सॉरी बोला. कुछ देर बाद आवाज आई- ओके, ठीक है, मंजूर.
रात गई बात गई. मैं तो भूल गया. लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था.
एक बार रात को हम फिल्म देखने गए थे. तो मैं हॉस्टल के लिए लेट हो गया. शालू दीदी ने कहा- मेरे रूम पे रुक जाओ, कल हॉस्टल चले जाना.
मैं मान गया. हम खाना बाहर से लेकर आए थे. हमने साथ में खाना खाया. फिर जब सोने का टाइम आया, तब दीदी लेटने के हिसाब से 2 बिस्तर ठीक करने लगीं. दीदी मुझे पलंग पे सोने को कह रही थीं.. और वो नीचे सोने वाली थीं.
तब मैंने कहा- दीदी आप ऊपर सो जाओ और मैं नीचे सो जाऊंगा.
पर वो मान नहीं रही थीं. तब मेरे दिमाग में कुछ और ख्याल आया और सोचा कि आज अच्छा मौका है, दीदी को अपने प्यार के बारे में बता देने का. मैंने कहा- दीदी या तो हम दोनों साथ में नीचे सोयेंगे या दोनों ऊपर.
मेरी प्यारी शालू.. देखो तो कितनी जिद्दी है. बहुत जिद करने के बाद दोनों पलंग पे सोने के लिए मान गए.
दोनों एक ही पलंग एक ही रजाई में लेट गए. अब इधर उधर की बातें करने लगे. तभी मुझे किस वाली बात याद आई, मैं तुरंत बोला- दीदी वो मैच वाली शर्त मैं जीत गया था. दीदी ने मेरी तरफ देखा और चुप हो गईं.
मैंने सोचा कि शायद मैंने मेरी जान को नाराज कर दिया. मैंने उनकी तरफ देखा और एक प्यारा सा क्यूट सा चेहरा बना कर सॉरी कहा.
उन्होंने आँखें बंद कर रखी थीं. जीरो वाट का बल्ब जल रहा था. इसलिए मैं सब देख सकता था. मेरी जान बहुत प्यारी लग रही थी. मैंने कुछ नहीं कहा और सोने के लिए आँखें बंद कर लीं.
अचानक मेरे गाल पे शालू ने किस किया. आह… क्या अहसास था. मैंने आँखें नहीं खोलीं. वो मुझे धीरे धीरे एक ही गाल पे किस करने लगीं. हाय.. ऐसा लग रहा था, बस ये पल यहीं रुक जाए और वो मुझे ऐसे ही किस करती रहें.
अब वो धीरे से मेरे ऊपर आ गईं और मेरे दूसरे गाल पर किस करने लगीं. मेरी आँखें अभी भी बंद थीं. वो ऐसे किस कर रही थीं कि मैं अपने आपको रोक नहीं पाया और उन्हें अपनी बांहों में पकड़ लिया. दीदी ने कुछ भी नहीं कहा बल्कि वो और भी कामुक तरीके से किस करती जा रही थीं. शायद दीदी भी गर्म हो चुकी थीं.
मुझे मेरी जान शायद मिल चुकी थी. अब धीरे धीरे वो मुझे मेरे होंठों के पास किस करने लगीं.
मुझसे रहा नहीं जा रहा था. मेरा छोटू भी खड़ा हो गया था. मैंने और जोर से उनको पकड़ लिया. अब तो बीच बीच में मेरे होंठ उनके कोमल होंठों से छूने लगे.
आआहह.. मुझसे बिलकुल नहीं रहा जा रहा था… मैंने दीदी को कस के पकड़ा और उनके होंठों को प्यार से चूमने लगा. आआहह हाय.. क्या अहसास था..
दीदी अब भी मेरे ऊपर थीं. हम बहुत देर तक ऐसे ही किस करते रहे. इसके बाद वो मेरे गले में किस करने लगीं, साथ में मेरी छाती पर भी हाथ फेरने लगीं.
सच में ये बहुत प्यारा अहसास था. मेरा छोटू बाहर आना चाहता था. लेकिन मैंने जल्दी नहीं की. दीदी गले में ही किस करते करते रुक गईं और वैसे ही लेटी रहीं. उनकी गर्म साँसें मुझे महसूस हो रही थीं. मैंने उन्हें अब थोड़ा पकड़ से आजाद किया.
फिर कुछ देर बाद वो मेरे कान में धीरे से बोलीं- रोमी… आई लव यू. मैं भावुक हो गया और मैंने उनको जोर से बांहों में जकड़ लिया और कहा- आई लव यू टू शालू.. उसने बहुत प्यार से कहा- रोमी.. मैंने कभी नहीं सोचा था कि तुम्हारे साथ हम बिस्तर होऊँगी.. आई लव यू रोमी.
फिर मैंने उनको किस करना शुरू किया. उन्हें मेरे बगल में लेटा कर उनके गले में किस करने लगा. प्यार से धीरे धीरे उनके गाल पे किस किया. फिर उनके गुलाबी कोमल होंठों को मेरे होंठों से छुआ और फिर चूमने लगा. धीरे धीरे वो अतिशय कामुक होने लगीं. वो मुझे कसके अपनी बांहों में भरने लगीं. और मैं मेरे होंठों से उन्हें चूमता रहा.
इसके बाद हम दोनों ने जैसे कसम खा ली थी कि आज खेल पूरा ही करके दम लेंगे.
मैंने दीदी के मम्मों को दबाना शुरू किया तो उन्होंने मेरे लंड को पकड़ लिया.
अगले ही कुछ पलों में हम दोनों में मानो होड़ सी लग गई थी कि कौन किसके कपड़े पहले उतारता है.
अगले एक मिनट में ही हम दोनों पूरे नंगे हो चुके थे. मैंने दीदी की चुत पर हाथ फेरा तो उन्होंने मेरा लंड पकड़ लिया. मैंने चुत में उंगली डाल दी तो चुत एकदम पानी पानी थी.
मैंने नीचे को आकर दीदी की हल्की झांटों वाली चुत पर अपना मुँह लगा दिया.
दीदी ने पहले तो मुझे रोकने की कोशिश की, लेकिन मैंने जबरन अपना मुँह लगाए रखा, तो दीदी ने अपनी टांगें खोल दीं.
मैंने अपनी जीभ नुकीली करके उनकी चुत की फांकों के बीचे ठेल दी.
“आह.. मर गई..” दीदी की मादक सिसकारी निकल गई. उन्होंने मेरे सर को अपनी चुत पर दबा सा लिया और मैंने भी पूरी शिद्दत दीदी की चुत को जीभ से चोदना शुरू कर दिया. अब तो आलम ये था कि दीदी अपनी गांड उठा कर मेरे मुँह पर चुत लगा रही थीं.
कुछ ही देर में मैंने दीदी की चुत से मुँह हटा लिया. दीदी एकदम से कलप उठीं उनके मुँह से गाली निकली- हट क्यों गया मादरचोद.. चूस साले मेरी चुत.. आह कितना मजा आ रहा था. “दीदी तुम गाली दे रही हो.. मैं भी आपको ऐसा बोल सकता हूँ?” “साले तू इस वक्त मेरा चोदू है.. भोसड़ी के.. तू कुछ भी बोल पर मेरी चुत को जरा जोर से चाट.. आह.. मजा आ रहा है..” मैंने कहा- साली मादरचोदी.. ले अब तू मेरा कमाल देख भैन की लौड़ी.. दीदी ने भी कहा- हां दिखा मादरचोद क्या दिखाएगा..
मैंने कुछ नहीं कहा और पलट कर 69 में आकर दीदी की चुत पर अपना मुँह फिर से लगा दिया. दीदी समझ गई थीं, उन्होंने भी मेरे लंड के सुपारे पर जीभ घुमानी शुरू कर दी. “मेरा लंड चूस लवड़ी..”
दीदी ने मेरा लंड पूरा अपने मुँह में भर लिया था और मुझे जन्नत का मजा आना शुरू हो गया था. मैं दीदी की चुत में अपनी जीभ को बहुत अंदर तक घुसेड़ कर चूस रहा था, बीच बीच में मैं उनकी चुत के दाने को भी अपने होंठों से दबाते हुए खींच रहा था, जिससे दीदी की गरम आहें निकल रही थीं.
हम दोनों 69 का भरपूर मजा ले रहे थे मैंने कुछ देर ही दीदी के दाने को चचोरा होगा कि दीदी एकदम से अकड़ उठीं और उन्होंने मेरे मुँह पर अपनी चुत ऐसे दबा दी, मानो वे मेरी मुँह को अपनी चुत में ही घुसवा लेना चाहती हों.
अगले कुछ ही मिनट में हम दोनों ने पानी छोड़ दिया और शिथिल होकर लेट गए. मुझे आज अजीब सा सुख मिल रहा था. मैं अपनी ममेरी बहन को बिस्तर में चुदाई का सुख दे रहा था.
अगले दस मिनट के बाद दीदी ने मेरे लंड को फिर से हिलाना शुरू कर दिया था. कुछ ही देर में मेरा लंड खड़ा हो गया. मैंने भी अब देर नहीं की और उनकी टांगें फैला कर उनकी मक्खन चुत में अपना सुपारा लगा दिया. मैंने दीदी की आँखों में देखा तो दीदी ने मुस्कुरा कर आँख मारी और अपनी गांड उठा कर मेरे लंड को खाने की कोशिश की. मैंने भी देर नहीं की और पूरी ताकत से लंड पेल दिया.
दीदी की चीख निकलने को हुई, मुझे मालूम था कि दीदी की चीख निकलेगी, इसलिए मैंने पहले ही अपने होंठों का ढक्कन उनके मुँह पर लगा दिया था.
अब कुछ देर की पीड़ा के बाद धकापेल चुदाई शुरू हो गई थी. मैं दीदी के मम्मों को मस्ती से चूसता हुआ उनकी चुत में लंड की ठोकरें दिए जा रहा था.
अगले बीस मिनट तक चुदाई में एक दूसरे को पछाड़ने की कोशिश करने लगे. बस फिर एकदम से सैलाब निकल गया और हम दोनों शांत होकर एक दूसरे से चिपक गए. इस तरह हम रुक रुक कर पूरी रात प्यार करते रहे.
अगले दिन में हॉस्टल चला गया. पर मुझे ये रात आज भी याद आ रही है. क्या नशा था जब वो मेरी दीदी, जन्नत की परी बन कर मुझे प्यार कर रही थीं.
इस तरह से मैंने मेरी मामा की बेटी को चोदा. आपके मेल का इन्तजार रहेगा. [email protected]
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