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अब तक आपने भाई बहन की चुदाई की कहानी ले पहले भाग ट्रेन में भाई ने बहन की चुत को चोदा-1 में जाना था कि मेरे भाईजान से चुदने के लिए मैं खुल चुकी थी और मैंने उनको कह दिया था कि मुझे चोद दीजिए. अब आगे..
मेरी बात पर भाईजान मेरे बगल में लेट कर मेरे होंठों को चूमने लगे. इसके बाद दोनों मेरी चूचियों को प्यार से दबाते हुए बोले- ओह…. मैंने अब तक कई लड़कियों को चोदा है, पर जो मज़ा अपनी बहन के साथ आ रहा है, ऐसा अब तक किसी के साथ नहीं आया.. अब से मैं सिर्फ़ तुमको ही चोदूंगा. चलो ज़रा सामने खड़ी हो जा.
मैं सीट से उठी तो भाईजान भी बैठ गए. मुझे अपने सामने करके भाईजान मेरे चूतड़ों पर हाथ लगा कर दबाते हुए मुझे अपने पास को खींचा और अपने मुँह को मेरी चुत पर लगा दिया. मैं अपने भाई का मुँह अपनी चुत पर महसूस होते ही गनगना गई.
उन्होंने 5-6 बार मेरी चुत पर जीभ चलाई, फिर जीभ को चुत में डाल चाटने लगे. मैं मज़े से भरके उनके सर को हाथ से पकड़ कर अपनी चुत पर दबाने लगी. सच में चुत चटवाने में तो अनोखा मज़ा आ रहा था.
भाई ने मेरी चुत को 14-15 बार ही चाटा था कि मेरे बर्दाश्त से बाहर हो गई और मैं झड़ने लगी. भाईजान ने बिना मुँह हटाए सारे रस को पी लिया और फिर मुझे सीट पर लिटा दिया.
“आह भाईजान मज़ा आ गया.. आप बहुत अच्छे हैं भाईजान.” “तुम भी बहुत अच्छी हो.. हाय आज तुमने मेरी बरसों की मुराद पूरी कर दी मेरी बन्नो.. हाय कब से मैं अपनी बहन की चूचियों को दबाना और पीना चाहता था, कब से मैं अपनी छोटी बहन की कुँवारी चुत को चाटना चाहता था, आह कब से मैं तुझे चोद कर बहनचोद बनना चाहता था.. आज मेरी यह आरजू भी पूरी होगी.”
“बिल्कुल होगी भाईजान खूब मजे से चोदिए अपनी छोटी बहन को.. सच कितने अच्छे हैं मेरे बारे भाई, जो अपनी छोटी बहन का इतना ख्याल रखते हैं. भाईजान आपने भी हमेशा मेरी आरजू पूरी की. मुझे जब भी किसी चीज़ की ज़रूरत हुई, आपने ही पूरी की. अब जब मुझे एक ब्वॉयफ्रेंड की जरूरत थी, जो कि मुझे जवान होने का मज़ा दे, मेरी चुत और चूचियों को प्यार करे और मेरा कुँवारापन तोड़कर मुझको औरत होने का मज़ा दे.. तो भी आपने मेरी यह आरजू पूरी की.. हाय भाईजान अब आप जल्दी से अपनी बहन को चोदकर बहनचोद बनिए और मुझे भी जवान होने का मज़ा दीजिए.”
“ओह.. जूही.. मेरी बहन मैंने आज तक इतनी खूबसूरत चुत और चूचियों को नहीं देखा. आज जब अम्मी ने तुम्हारे साथ जाने को कहा था, तो मैंने तभी सोच लिया था कि आज ट्रेन में ही अपनी प्यारी बहन की कुँवारी चुत और चूचियों का मज़ा लूँगा. क्यों जूही, अभी तुम कुँवारी हो या तुम्हारी चुत चुद चुकी है?”
“क्या कह रहे हो भाईजान… जानते हो अभी तक किसी ने भी टच नहीं किया था. आप पहले मर्द हैं. मैं तो कई महीनों से परेशान हूँ कि काश कोई मुझे चोद कर कली से फूल बना दे, पर मैंने बदनामी के डर से कभी किसी लड़के को लिफ्ट नहीं दी. भाईजान मैंने सोच लिया था कि अगर शादी से पहले सुहागरात मनाई, तो सिर्फ़ अपने प्यारे भाईजान के साथ ही मनाऊंगी.”
भाईजान मेरी बात सुन मेरे ऊपर झुक मुझे चूमकर मेरे गालों पर जीभ फेरते बोले- ऐसा क्यों सोचा जूही? “वो इसलिए भाईजान क्योंकि मुझे आप बहुत अच्छे लगते हैं. मैं मन ही मन आपको प्यार करती थी और चाहती थी कि मेरे प्यारे भाईजान ही सबसे पहले मुझे चोदकर मेरी जवानी का मज़ा लें.. और फिर अपने भाई से चुदवाने में कोई डर भी नहीं है, कोई जान भी नहीं पाता और जब भी मन करे, आपसे घर पर ही चुदवा भी सकती हूँ.”
“तू सच कह रही है. मैं भी कई दिन से सोच रहा था कि अब तो मेरी बहन जवान हो गई है और अब चोदने में मज़ा देगी, इसलिए घर का माल घर पर ही रहना चाहिए. अब तुम रोज़ रात को मेरे कमरे में आना और सुबह होते ही चली जाना. चल ज़रा अपनी चुत तो चटवा.” “ओह.. भाईजान.. अभी तो चाटी थी..” “और चटवा ना, मुझे चुत चाटने में बहुत मज़ा आता है और फिर तेरी चुत का टेस्ट बहुत ही लाजवाब है. तेरी इस कुँवारी चुत से बहुत ही प्यारी खुश्बू आ रही है.”
फिर भाईजान अपने दोनों हाथों से मेरी दोनों चूचियों को पकड़ कर दबाते हुए मेरी चुत को जीभ से चाटने चोदने लगे.
इस मज़े को पाकर मैं दुनिया को भूल गई. मैंने अपने हाथों से अपनी चुत को भाईजान के लिए फैला रखा था, जिससे वे मेरी चुत को आराम से चाट सकें. भाईजान लपर लपर करते हुए मेरी चुत को चाट रहे थे और मैं अपनी चुत से रस को निकाले जा रही थी. वो जीभ को अन्दर तक पेलकर चुत चाट रहे थे और चुत से निकलने वाले रस को भी चूसते जा रहे थे. चूचियों को दबवाते हुए चुत को चटवाने का मज़ा मुझे जन्नत की सैर करा रहा था.
पूरे दस मिनट बाद भाईजान ने चुत से मुँह हटाया तो मुझे कुछ राहत मिली. मैं सीट पर उठकर बैठी और झुककर अपनी जमकर चाटी गई चुत को देखा तो खुश हो गई. पहली चटाई मैं ही मेरी कुँवारी चुत का रंग रूप बदल गया था. पूरी चुत भाईजान के थूक से भीगी थी, जिससे चुत चमक रही थी. चुत की दोनों फाँकें फूल और पिचक रही थीं.
हल्के गुलाबी रंग की अपनी चुत को देख मस्त होकर मैं अपने भाईजान से बोली- ओह.. भाईजान आपने तो खुश कर दिया अपनी बहन को.. “चल अभी ज़रा तेरी इन रसीली चूचियों का रस पी लूँ.. फिर तेरी जवानी का दरवाज़ा खोलता हूँ.” “लो पियो ना.”
मैंने अपने हाथ से पकड़ कर चूचियों को भाईजान के मुँह के पास किया तो भाईजान ने एक निप्पल को मुँह में लिया और चूसते हुए पूरी चूची को मुँह मैं ले-लेकर दबा दबाकर पीने लगे. चूचियों को पिलाने का मज़ा भी बेहतरीन था, पर चुत चटवाने से कम.
फिर भी करीब 5 मिनट तक दोनों चूचियों को अपने प्यारे भाई के मुँह में दिए रही और जब बर्दाश्त से बाहर हो गया तो बोली- अब फिर कभी चूस लेना भाईजान.. अभी तो प्लीज़ एक बार मुझे पेल दीजिए ना.. आअहह सस्शह.
भाईजान चूचियों को मुँह से बाहर करके बोले- जूही. “जी भाई.” “यार तू एक बात तो बता?” “क्या?” “यही कि तू आज पहली बार यह सब करवा रही है, फिर तुझे सब कुछ मालूम कैसे है?” “भाईजान मेरी सहेलियाँ मुझे अपनी लव स्टोरी सुनाती रहती हैं. जानते हैं भाईजान मेरी 5 फ्रेंड हैं, जिनमें से 3 का अपने बड़े भाई से और एक का अपने छोटे भाई से चक्कर है. एक का कोई भाई नहीं है इसलिए वो अपने पापा से मज़े लेती है. वे सभी मुझे रोज़ अपनी चुदाई के किस्से सुनाती हैं.. तो मेरा भी बहुत मन करता था कि काश मुझे भी मेरे भाईजान चोदें तो मैं भी उनको अपनी चुदाई की कहानी सुनाया करूँ. ओह.. भाईजान अब मैं भी उनको अपनी और अपने भाई की चुदाई की स्टोरी बताऊंगी.”
भाईजान मुझे देखते बोले- तुम्हारी सहेलियाँ क्या बताती हैं तुमको? यही कि आज उनको कैसे चोदा गया, कैसे चुत चटवाई या किसने अपने भाई के लंड को कैसे चाटा.. क्या ये सब बताती हैं? “हां भाईजान ओह.. प्लीज़ भाई अब आप ज़रा अपने लंड को चुसवाओ ना.. यास्मीन और निम्मो कह रही थीं कि उनको सबसे ज़्यादा मज़ा चुत चटवाने और फिर लंड को मुँह में लेकर चूसकर उसका पानी पीने में आता है. प्लीज़ भाईजान एक बार अपने लंड का पानी मुझे पिला दीजिए ना, फिर जी भर कर चोद लेना अपनी कुँवारी बहन को.”
भाईजान मेरी बात सुन खुश होकर बोले- लो चूसो ना.. भला मैं अपनी प्यारी बहन की किसी बात से मना कर सकता हूँ. भाईजान मेरे सामने खड़े हो गए. वो अभी तक कपड़ों में थे. वो खड़े हुए तो मैंने जल्दी से उनकी पैन्ट के बटन को खोला और पैन्ट नीचे कर उनकी अंडरवियर भी नीचे खिसका दी. अंडरवियर नीचे होते ही उनका मोटा, लंबा तना तना सा लंड मेरी आँखों के सामने झटके लेने लगा, जिसे देख मेरी चुत की धड़कन बढ़ गई.
मैंने कुछ देर प्यार से अपने भाई के लंड को देखा, फिर आगे झुककर उसे मुँह में ले लिया. भाई के लंड को अपने मुँह में लेकर सुपारे पर जीभ चलाई. फिर हाथ से पकड़ कर पूरे लंड को जीभ से चाटा. भाईजान की आँखें बंद हो चुकी थीं और वो अपनी कमर पर हाथ रख कर लंड को आगे की और उठाए हुए अपनी बहन से लंड चुसवा रहे थे.
कुछ 2-3 मिनट तक मैंने भाई के लंड को जीभ से चाटा, फिर लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी. सच में सहेली का कहना सही था. लंड चूसने में बहुत मस्त मज़ा मिल रहा था. खूब कस कस कर 5 मिनट तक लंड चुसाई की.
भाईजान “ओह.. ओह.. आहह स्ष..” करने लगे और लंड को मेरे मुँह में ही आगे पीछे करते हुए बोले- अहहाआ.. ययययई जूही मेरी बहन आहह साली.. मेरा माल निकलने वाला है.. आहह जल्दी बोल कहां निकालूँ? मैंने लंड को मुँह से बाहर निकाल कर कहा- भाईजान प्लीज़ मैं आज पहली बार झड़ते हुए लंड को देखूँगी इसलिए लंड का पानी निकलते देखना चाहती हूँ, पर भाईजान मुझे आपने प्यारे भाईजान के मोटे तगड़े लंड के पानी को पीना भी है इसलिए पानी मेरे मुँह के अन्दर ही गिराना.” “ठीक है साली ले मुँह खोल.”
मैंने अपने मुँह को खोल दिया. भाईजान अपने लंड को हाथ से पकड़ कर मेरे मुँह की ओर करे खड़े थे कि तभी उनके लंड ने एक तेज़ धार के साथ अपना सफेद गाढ़ा पानी मेरे मुँह के अन्दर डालना शुरू किया.
भाईजान के मूसल लंड के तेज़ शॉट से पानी सीधा मेरे हलक तक गया. भैया का लंड मेरे मुँह में एक मिनट तक झड़ता रहा. फिर जब केवल कुछ ड्रॉप्स उनके लंड से चिपके रह गए, तो उनके झड़े हुए लंड को मैं मुँह में लेकर चूसने लगी. निम्मो और यास्मीन का कहना सही था. भाईजान के लंड का पानी बहुत ही टेस्टी पानी था. एक मिनट तक लंड चूसा, फिर लंड को बाहर किया तो भाईजान का लंड मेरे थूक से चमक रहा था.
“अब तू लेट जा.. तो तुझे चोद दूँ.” “भाईजान अभी तो आपने माल झाड़ा है, अब इतनी जल्दी यह तैयार कैसे होगा?” “पगली झड़ने के बाद जो तुमने दुबारा लंड चाटा है ना, उससे यह रेडी हो गया है. वैसे भी तेरी कुँवारी चुत को देख यह एकदम रेडी है. आख़िर आज इसे अपनी बहन की चुत मिलने वाली है.”
“लो भाईजान चोद लो अपनी बहन की कुँवारी चुत.. पर प्लीज़ आराम से धीरे-धीरे करना, पहली चुदाई है इसकी. अभी तो इसमें उंगली भी नहीं गई है.” “तू घबड़ा मत.. बस चुत खोल कर लेट जा.”
मैं लेटी तो भाईजान मेरी टांगों के बीच आ गए. मैं उनको देखकर मुस्करा रही थी. वो भी खुश थे. उनका लंड उनकी टांगों के बीच फुदक रहा था. मेरी टांगों के बीच आकर उन्होंने मेरे पैरों को घुटनों के पास से मोड़कर मेरे पेट की ओर किया. फिर लंड को मेरी चुत के गुलाबी छेद पर लगा कर दोनों हाथों को मेरी चूचियों पर रखा और झुककर मेरे होंठों को चूम मेरे कान में सरगोशी की.
“जूही..” “हूँ..” “मेरी बहन कैसा लग रहा है?” “ओह.. भाईजान बहुत अच्छा लग रहा है.” “चोद दूँ?” “हां..” “एकदम से पेल दूँ या धीरे-धीरे?” “नहीं भाईजान प्लीज़ एकदम से नहीं.. फट जाएगी.. कुँवारी है ना इसलिए धीरे-धीरे पेलना.”
फिर भाईजान धीरे-धीरे लंड को चुत पर दबाने लगे. लंड अपना रास्ता बनाता हुआ चुत में अन्दर जाने लगा. मैं पहली बार लंड ले रही थी, इसलिए मज़े से भरी थी, पर आधा लंड जाते ही कसमसाने लगी. मेरी तड़फ देख कर भाईजान बोले- बस करें.. क्या दर्द हो रहा है?
“नहीं ओह.. मेरे प्यारे भाई.. पूरा डाल दो अपनी कुँवारी बहन की चुत में.. मज़ा आ रहा है.” फिर जोर लगाते हुए भाईजान ने अपना पूरा मूसल लंड मेरी चुत के अन्दर डाल दिया और मेरी चूचियों को एक मिनट तक चूसा.
फिर बोले- चोदें? “हां..” फिर भाईजान धीरे-धीरे लंड को मेरी चुत के अन्दर बाहर करते चुदाई करने लगे. दो-तीन मिनट तक इसी तरह भाईजान मेरी चुत चुदाई करते रहे.
मैं दर्द से निजात पा चुकी थी और मज़े से भर कर भाईजान से बोली- हाय भाई.. मज़ा आ गया ओह.. भाईजान और तेज़ और जोर से चोदो. मेरे इतना कहते ही भाईजान ने स्पीड तेज़ की तो मुझे असली चुदाई का मज़ा मिलने लगा. बहुत ही दमदार चुदाई कर रहे थे भाईजान.. मैं बहुत मस्त थी.
पांच मिनट तक हचक कर चोदने के बाद भाईजान बोले- मैं बहुत खुशनसीब हूँ कि मुझे इतनी खूबसूरत और प्यारी बहन मिली. “हां भाईजान हम दोनों ही खुशनसीब हैं.” “हाँ बहना..” “ओह मेरे भाईजान भी तो कितने अच्छे हैं भाईजान.. बहुत कम लड़कियाँ इतनी खुश किस्मत होती हैं, जिनको उनके भाई चोदते हैं. आह भाईजान आप बहुत अच्छे हैं और आपका लंड भी बहुत मस्त है.”
फिर 7-8 मिनट की दमदार चुदाई के बाद मैं शायद झड़ चुकी थी. तभी भाईजान ने भी अपने लंड को बाहर निकाला और फिर एक तेज़ शॉट के साथ लंड की मलाई को मेरी चूचियों पर गिराने लगे.
यह थी एक कुंवारी बहन की कुंवारी चुत चुदाई की कहानी.
भाई बहन की हिंदी चुदाई की कहानी कैसी लगी मुझे जरूर बताइएगा. [email protected]
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