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हैलो फ्रेंड्स, मेरा आप सभी को नमस्कार, मेरा नाम आर्यन है, मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ. मेरी हाइट 5’8″ है और मेरी उम्र 25 साल है.
मैं आपके सामने मेरे पहले सेक्स की चूत चोदन कहानी लेकर आया हूँ. यह बात आज से एक साल पहले की बात है.
पिछले दस दिन से ऋषिकेश उत्तराखंड की एक लड़की से मेरी रॉंग नंबर पर बात हो रही थी. उससे मेरी बात ऐसे ही एक दिन शुरू हो गई थी.
हुआ कुछ यों था कि मैं अपने एक दोस्त को कॉल मिला रहा था लेकिन मैंने जल्दी जल्दी में स्टार्टिंग में 98 की जगह 78 लगा दिया और मेरी कॉल ऋषिकेश मिल गई. उस कॉल को एक लड़की ने उठाया, जिसका नाम काव्या था.
मैंने उससे पूछा- क्या मेरी बात रवि से हो सकती है? तो उसने मुझसे बोला- वो अभी घर पर नहीं है. मैंने बोला- जब आए तो बात करा देना.
तब उसने मुझको थोड़ी देर बाद कॉल की, जब मैंने बात की, तक पता चला कि ये वो रवि नहीं था. काव्या के भाई का नाम भी रवि था तो उस से भ्रम की स्थिति पैदा हो गयी थी. मैं जब तक उसको सॉरी बोलता, मेरे फ़ोन की बैटरी खत्म हो गई तो मैंने अगले दिन उसको कॉल किया और उसको सॉरी बोला. आज उससे ऐसे ही थोड़ी सी बात हुई और पता चला कि वो बी ए कर रही है. इसके बाद उससे रोज रोज व्ट्सऐप पर बातें चालू हो गईं.
हम दोनों धीरे धीरे एक दूसरे को पसंद करने लगे और धीरे धीरे पता ही नहीं चला कि कब हम दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया और हमारी रोमांटिक बातें कब फोन सेक्स चैट में बदल गईं. अब हम रोज़ रात को 2-3 बजे तक फोन पर सेक्स चैट करते और कब सो जाते, पता ही नहीं चलता था.
हम एक दूसरे की बांहों में समाने के लिए बेचैन हो रहे थे. वो अकेले घर से बाहर नहीं आ पाती थी, इसलिए वो मुझसे मिलने नहीं सकती थी. यदि मैं वहां जाता तो वो मेरे लिए टाइम नहीं निकाल सकती थी क्योंकि ये उसके लिए एक समस्या जैसी था.
यही कारण रहा कि हम दोनों रोज़ रात को एक दूसरे के लिए तड़प तड़प के रह जाते थे. मैं अपने लंड को हिला कर सो जाता और वो अपनी चुत में उंगली कर के सो जाती.
फिर आखिरकार वो दिन भी आ ही गया, जब उसके घर वाले एक शादी में शामिल होने के लिए मुम्बई गए और उसके एक दिन पहले उसकी कॉल आई.
मैं सुबह नौ बजे ही घर से निकल गया दिल्ली से ऋषिकेश तक चलने वाली सीधी बस में बैठ गया दस बजे बस चली और शाम को पांच बजे के करीब ऋषिकेश पहुँच गया.
उधर पहुँच कर उसको कॉल करके मैं उससे बात करते करते उसके घर पहुँचा. मैंने उसके घर की बेल बजाई. जैसे ही उसने दरवाजा खोला, मेरी जानम मेरे सामने थी, मैंने एकदम से उसको धक्का देते हुए दरवाजा बंद करके उसको अपनी बांहों में लिया. उसके होंठों पे अपने होंठों को रख दिए और 5 मिनट तक उसे गेट पर ही जबरदस्त किस किया.
मैंने आज पहली बार काव्या को अपने सामने जीती जागती देखा तो मैं मस्त हो गया. मैं काव्या के बारे में बता दूँ. उसकी उम्र 22 साल थी और फिगर 30-28-32 का था. हालांकि मैं तो उसको पहली बार फोटो में देख कर ही पागल हो गया था.
जब मैं उसको गेट पर ही किस कर रहा था, उसने मुझसे कहा- मेरे बाबू, रुक जाओ, मैं अगले 2 दिन के लिए आपकी ही हूँ. दो तीन दिन कोई नहीं आएगा. उसने मुझको बैठक में ले जाकर बैठाया और मेरे लिए पानी लेने गई.
मुझे सब्र ही नहीं था, मैं जल्दी से उसके पीछे पीछे किचन में गया और उसको पीछे से पकड़ कर अपना लंड उसकी गांड में टच करने लगा. मैंने अपने दोनों हाथों को उसके मम्मों को पकड़ लिया और दबाने लगा. वो बोली- बाबू अन्दर तो चल रहे हैं न..
मैंने जल्दी से वहीं पानी पिया और उसको अपनी गोदी में उठा के बेडरूम में लाकर बिस्तर पर पटक दिया. मैं उसके ऊपर भूखे शेर की तरह टूट पड़ा और उसके ऊपर लेट कर उसके होंठों को पागलों की तरह चूसने लगा.
अब वो भी मेरा पूरा पूरा साथ दे रही थी. मेरी जिभ्ह उसके लबों के अंदर तक्क जा रही थी और मैं भी उसकी जीभ को अपने होंठों से चूस रहा था. फिर हम दोनों एक दूसरे में इस तरह समाए कि एक एक करके उसने और मैंने एक दूसरे के सारे कपड़े उतार दिए. वो ब्लैक ब्रा और पेंटी में मेरे सामने बिस्तर पर पड़ी थी और मैं रेड अंडरवियर में उसके सामने खड़ा था.
उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने ऊपर खींच लिया और अपने हाथ मेरे अंडरवियर में घुसा कर मेरे लंड को हिलाने लगी. मैंने भी उसके होंठों को किस करते करते उसकी ब्रा खोल दी और फिर उसके हाथों में से निकाल कर दूर फेंक दी.
फिर कामुकता के आवेश में उसने मेरा अंडरवियर भी उतार दिया और मेरे लंड को और तेज तेज हिलाने लगी. मैं बारी बारी से उसके चुच्चे चूसने लगा, उसके दोनों मम्मों को किसी भूखे कुत्ते की तरह चूसता रहा.
कुछ ही देर में चुदास बढ़ गई तो हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए. उसने मेरे लंड को अपने मुँह में डाल लिया और मैं उसकी चूत में अपनी जीभ डाल कर चाटने लगा. वो मेरा लंड बड़ी मस्ती से चूस रही थी.. और कमरे में उसकी मादक सिसकारियां गूंज रही थीं “आआआ आह.. आह बाबू.. अब कण्ट्रोल नहीं होता.. जल्दी से अपना लंड पेल दो मेरी चुत में..”
मैं भी उसके शरीर की गर्मी सहन नहीं कर पा रहा था. मेरा संयम भी खत्म हो रहा था; मैंने उसको सीधा लिटाया और उसकी एक टांग अपने कंधे पर रख कर अपना 6″ का लंड उसकी चूत पर रख दिया.
लंड की गर्मी से काव्या मचल उठी. मैं उसकी चूत पर लंड को रगड़ने लगा. वो पागलों की तरह मेरे बालों को पकड़ कर खींचने लगी और बोलने लगी- साले लंड डाल दे अन्दर.. माँ मत चुदवा अब..
मैंने उसकी चूत में एक जोरदार झटका मारा, तो मेरा सुपारा ही अन्दर घुस पाया था. सुपारा क्या घुसा, वो मुझको धक्का मारने लगी क्योंकि उसे बहुत तेज दर्द हुआ, वो दर्द के मारे बोलने लगी- उई माँ मर गई मादरचोद.. बाहर निकाल इसे..
मैंने उसके दूध दबाते हुए कहा- रंडी, अब क्यों माँ चुदवा रही है भोसड़ी की.. तुझे ही तो लंड की जल्दी थी.. वो कराहते हुए बोली- जान, गांड फट गई मेरी.. मैंने बोला- अभी गांड कहां मारी है तेरी..
वो बहुत रो रही थी, मैंने उसके होंठों पर होंठ रखे और एक और धक्का मार दिया. अब मेरा आधा लंड अन्दर चला गया था. उसकी चूत बहुत टाइट थी, जिससे मुझको भी थोड़ा दर्द हो रहा था. वो जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी और मुझसे खुद को छुड़ाने की नाकाम कोशिश कर रही थी.
लेकिन मेरी कामवासना अपनी चरम सीमा पे थी और मैंने उसकी एक ना सुनी. मैंने फिर से एक और झटका मारा और इस बार मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ पूरा अन्दर चला गया. वो दर्द से तड़प रही थी और आँखों से आंसू की धार निकल रही थी. पूरा लंड पेल कर मैं वैसे ही लेटा रहा.
कुछ टाइम बाद मुझको फील हुआ कि वो अपनी पिछाड़ी को पीछे से धीमे धीमे उछाल रही थी. मुझको फील हुआ कि उसका दर्द बंद हो गया, तब मैंने अपने लंड को धीरे धीरे अन्दर बाहर करना स्टार्ट कर दिया. अब उसको भी थोड़ा मजा आया और वो बोलने लगी- बेबी थोड़ा और तेज बेबी और तेज..
बस फिर क्या था.. मेरी चुदाई की स्पीड धीरे धीरे तेज होती गई और मैं अपने लंड को बहुत तेज तेज उसकी चुत में अन्दर बाहर कर रहा था. पूरे कमरे में फक.. फक पट पट की आवाज आ रही थी. हम ऐसे ही दस मिनट तक चुदाई करते रहे.
फिर मैंने उसको घोड़ी बनने को क़हा.. वो फट से राजी हो गई. जब मैं उसको घोड़ी बना रहा था, तब मैंने देखा कि हमारी बिस्तर की चादर पर उसकी कुंवारी चूत से निकले खून के लाल दाग हो गए थे. मैंने उसे बिना कुछ दिखाए घोड़ी बना कर पीछे से लंड उसकी चुत में डाल दिया और उसकी जबरदस्त चुदाई चालू हो गई. फिर से कमरे में पच पच की आवाजें आने लगीं.
वो भी अपनी गांड हिलाते हुए बार बार बोल रही थी- जान और तेज.. जान और तेज… आह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… साले फाड़ दो मेरी चुत को… लव यू जान… मैं उसको और तेज़ चोदने लगा.
और फिर कुछ टाइम बाद उसने बोला- जान… उम्माह… अब मेरा होने वाला है.
उसने इतना कहा ही था कि वो अकड़ गई, उसकी आनन्द भरी चीखें निकलने लगी, उसकी चूत का रस बहने लगा, मुझको उसका पानी मेरे लंड को पूरा भिगाता हुआ महसूस हुआ.
उसकी चुत की गर्मी से मेरा भी काम होने वाला था. चूंकि मैंने कंडोम नहीं लगाया था तो किसी भी प्रकार की गर्भ आदि की परेशानी से बचने के लिए मैंने अपना लंड एकदम से उसकी चुत से बाहर निकाल लिया और उसकी गांड पर अपना सारा माल निकाल दिया. माल गिराने के बाद मैं उसके ऊपर ही गिर गया और हम थोड़ी देर ऐसे ही लेटे रहे. हम एक दूसरे को अपनी बांहों में लेकर प्यार करते रहे. हम रुक रुक कर एक दूसरे को चूमते रहे, एक दूसरे को नग्न देख कर खुश होते रहे.
इस पहली चुदाई के बाद उसने नंगी ही रसोई में जाकर चाय बनी और हम दोनों ने नागे ही बैठक में सोफे पर बैठ कर चाय पी.
चाय खत्म होते ही मेरा लंड फिर से अपने विशाल रूप को धारण करने लगा तो काव्या को मैंने उंगली के इशारे से अपना लंड दिखाया. वो मेरे खड़े होते लंड को देख कर मुस्कुराने लगी और बोली- शैतान कहीं का!
मैंने काव्या को फिर से अपनी बांहों में भर लिया और उसे चुम्बन करने लगा और इस तरह वहीं सोफे पर हम दोनों ने एक बार और चुत चोदन का खेल खेला.
उसके बाद तीसरी चुदाई हमने रात का खाना खाने के बाद की, तीसरी चोदन क्रिया हमने घर की छत पर की क्योंकि काव्या का घर तिमंजिला था और आसपास कोई घर उतना ऊंचा नहीं था तो किसी के देखने का कोई सवाल नहीं था.
उस रात मैंने उसको पांच बार अलग अलग जगह पर चोदा. लगभग पूरी रात ही हम दोनों चुदाई का मजा लेते रहे. जब लोगों के जागने का समय हो रहा था तो हम दोनों प्रेमी नंगे ही सोने लगे.
हमारी नींद दोपहर एक बजे खुली. काव्या जागी तो खुद को नंगी देख कर वो एकदम से थोड़ा शर्मा सी गयी लेकिन मैंने उसे अपनी बांहों में जकड़ लिया और चूमना चाटना शुरू कर दिया.
फिर हम दोनों एक साथ नहाए.
इस तरह से अगले 2 दिन तक हम दोनों ने चुदाई का भरपूर मजा लिया, फिर मैं घर आ गया.
दोस्तो, कैसी लगी मेरी चोदन कहानी. अच्छी लगी हो या ना लगी हो, जरूर मेल करना. आर्यन [email protected]
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