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दोस्तो, मैं युवराज हूँ… बंगाल कोलकाता में रहता हूँ.
अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर यह मेरी पहली सेक्स स्टोरी है… यह पूरी रोमांच से भरी हुई है. चूंकि मैं एक लेखक भी हूँ तो मैंने इसमें कुछ मसालेदार शब्दों का प्रयोग किया है, जिससे आपको इसे पढ़ने में और भी मजा आएगा. जैसा कि मैंने इस घटना का अनुभव किया है, आप भी उसे महसूस कर पाएंगे.
सबसे पहले दोस्तो, मैं अपना परिचय देना चाहूँगा. मैं बंगाल के मुख्य शहर कोलकाता में रहता हूँ. मैं यहां पर सिविल इंजीनियरिंग के अभी तीसरे वर्ष में हूँ. मेरी यह कहानी कोई खास पुरानी नहीं है बल्कि यही कोई दो महीने पहले की है. मतलब एक जनवरी का मेरा नया साल मेरे नए और पहले अनुभव से आरम्भ हुआ था.
मुझे 11वीं कक्षा से ही कसरत करने में बहुत रूचि थी, जिस वजह से आज 5 साल हो गए हैं. मैं रोजाना जिम करता हूँ… जिसकी वजह से मेरा शरीर बहुत ही गठीला और मजबूत हो गया है. जब मैंने कॉलेज जाना शुरू किया तो मैं पढ़ाई के चलते कभी कभार की जिम जा पाता था और ज्यादातर कसरत मैं अपने घर के सामने के आंगन में ही करता था. जिम की वजह से जो मेरी बॉडी बनी थी वो आस-पास के कई लड़कियों को अच्छी लगती थी और वो जानबूझ कर मेरे घर के सामने से मेरे कसरत के समय निकला करती थीं.
जैसे हर एक लड़के को लगता है कि उसकी कोई गर्लफ्रेंड हो, मुझे भी यही लगता था और मैं भी यही चाहता था कि वो मुझसे बहुत प्यार करे और मैं हमेशा उसके ही साथ अपने आपको खुश रखूं और उसे भी ख़ुशी दूँ.
लेकिन जैसे सभी लड़कियां मुझे घूरती थीं, वैसे एक वंदना नाम की औरत जो हमारे घर के सामने रहती थी, वो भी मुझे घूरती थी. मैंने कभी उस पर ध्यान नहीं दिया था. मेरी यह सेक्स कहानी उसी के साथ की है. मैं लड़कियों के फिगर के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानता तो मुझे नहीं पता उसकी फिगर क्या है, पर वो बहुत ही अच्छी दिखती है. उसके चूचे उतने बड़े नहीं हैं, पर उसका पिछवाड़ा इतना बड़ा, गोल और मोटा है कि कोई भी लट्टू हो जाए. वो जादू करने में मतलब टोटका करने में मशहूर थी. उसे जो चाहिए वो उसे जादू के सहारे हासिल कर लेती थी… ऐसा सभी लोग कहते थे.
दोस्तो, टोटके पर मैं भी विश्वास नहीं रखता था, पर जब वो मेरे साथ हुआ तो मैं कह नहीं सकता कि अब मुझे विश्वास हो गया है. मेरी ये कहानी अब मैं पूरे होशोहवास में लिख रहा हूँ कि हाँ तब से आज तक मैंने सेक्स किया है तो सिर्फ उसी के साथ किया है.
हुआ यों कि जब जब मैं घर के आंगन में कसरत करता था… वो मुझे देखती थी और लाइन देती थी. मैं इतना गया गुजरा भी नहीं हूँ और न ही मुझे लड़कियों की नजर का पता लगता है. तो मैं उसे इगनोर कर देता था. जब मैं इंजीनियरिंग के पहले वर्ष में गया तो मेरे पापा ने आँगन में मेरे लिए पढ़ाई के लिए रूम बनवा दिया, जिसमें मैं रात भर पढ़ाई करता था. उसी रूम को पापा ने एक खिड़की भी बनवाई थी, जिससे बाहर वालों को घर के अन्दर का सब साफ़ दिखाई देता था.
अब मैं उसी कमरे में कसरत करता था, तो सिर्फ वंदना ही मुझे कसरत करते देख पाती थी.
इंजीनियरिंग के दूसरे वर्ष में गया, तब मैंने इंजीनियरिंग के पढ़ाई के वजह से कसरत कम करना शुरू कर दी थी. अब तक मेरी कोई गर्ल फ्रेंड भी नहीं बनी थी. जब मुझे कुछ करने का मन होता था, तब मैं कभी कभार हस्त-मैथुन कर लेता था.
एक दिन मुझे पता नहीं था, मैं अपनी आँखें बंद करके लंड हिलाता हुआ हस्त मैथुन कर रहा था. अचानक मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि सामने वाली वंदना मुझे घूर रही है. मेरे तो होश ही उड़ गए… पर उसने कुछ कहा नहीं और मुस्कुराती हुई अपने घर में अन्दर चली गई. वंदना शादीशुदा थी और उसको दो लड़के और एक लड़की थी. बड़ा लड़का दूसरे शहर में रहता था और दूसरे नंबर की लड़की पढ़ाई के चलते दूसरे शहर में चली गई थी. वन्दना के पति का करीब 13 साल पहले देहांत हो चुका था और उसका छोटा लड़का मर चुका था. अब तो वो घर में अकेली ही रहती थी.
वैसे तो वो अच्छी औरत थी, लेकिन वो टोटका आदि करती थी और शराब बेचती थी तो कोई उसे पसंद नहीं करता था. मुझे मालूम नहीं कि वो अपनी तन की भूख कैसे शांत करती होगी, क्या पता कई बार शराबी ग्राहक भी उसकी चूत की प्यास को बुझा देते होंगे. खैर तेरह साल तक पति के बिना रहने के कारण उसकी कामवासना शांत करने का मतलब कुछ भी हो सकता है.
खैर मुद्दे पर आते हुए ये बताता हूँ कि मैं कैसे उसकी तरफ चला गया. जैसा कि मैंने कहा कि उसने मुझे जादू के सहारे अपनी तरफ खींच लिया था. उसे पता था कि मैं देर रात तक पढ़ाई करता रहता हूँ तो एक दिन उसने मुझ पर कोई बंगाली जादू कर दिया.
अब रात में और दिन में मुझे कई बार उसका ख्याल आने लगा था और मुझे लगता था कि मैं उसे अभी जाकर चोद दूँ, पर मैं अपने इस तरह के खतरनाक ख्यालों पर काबू करने की कोशिश करता रहता था.
एक दिन जब नया साल शुरू होने को था, उसने कुछ ऐसा किया कि मैं खुद को रोक नहीं पाया और अपने पढ़ाई के रूम से उसके घर की तरफ धीरे से चला गया.
मैंने देखा कि वो अपने घर का दरवाजा खुला रख कर कुछ कर रही थी. मुझे पता नहीं चला और उसने मेरी तरफ देख एक स्माइल की. उस दिन वो बहुत ही ज्यादा सज-धज कर दुल्हन जैसे बन कर बैठ थी. उसने मुझे अन्दर बुलाया और मैं न चाहते हुए भी अन्दर चला गया. उसने मुझसे कहा- इसे पी लो. यह कहते हुए उसने मेरी तरफ एक दूध का गिलास बढ़ा दिया. मैंने कहा- मुझे नहीं चाहिए… उसने कहा कि कुछ नहीं है, बस इससे तुम्हें ताकत मिलेगी.
मैंने, पता नहीं क्यों, उस गिलास को एक ही घूंट में पी लिया. उस गिलास में शायद उसने वियाग्रा या उसी तरह की कुछ दवा को मिला दिया गया था, जिससे धीरे धीरे मेरी उसे चोदने की इच्छा बढ़ने लगी और मैं न चाहते हुए भी उसको चोदने का ख्याल अपने दिमाग में लाने लगा.
फिर उसने मेरी तरफ देखा और एक स्माइल करते हुए कहा- मेरे राजा, मैं तुम्हें पिछले तीन साल से देख रही हूँ और तुमसे ही अपनी प्यास को बुझाना चाहती हूँ. आज वो दिन आ गया है, जब तुम्हारा और मेरा मिलन होगा और आज मैं तुम्हें जमकर अपने आप में समा लूँगी. मैंने कहा- क्या… पर मैं तुम्हें नहीं चाहता. उसने कहा- मत चाहो… बस आज मेरी प्यास बुझा दो, इसके बाद तुम खुद मेरे पास आओगे.
ऐसे कहके उसने मुझे पीछे रखे और सजाये हुए बिस्तर पर धकेल दिया.
मेरा सर उस दूध की वजह बहुत जोर से दर्द कर रहा था और मैं थोड़ा थोड़ा होश खोने लगा था. मैंने देखा कि जैसे ही उसने मुझे धक्का दिया, मैं पलंग पर गिर गया और उसने जल्दी से दरवाजा बंद करके मेरी ऊपर आकर चढ़ गई. मैं कुछ कहता, उससे पहले ही उसने अपने होंठों को मेरे होंठों पर लगा दिया और किस करने लगी.
मेरा वो पहला किस था और वियाग्रा के असर से में भी मूड में आ रहा था.
उसने मुझे बहुत ही धीरे से किस करना शुरू किया, जैसे मुझे सिखा रही हो. उसने अपने ऊपर के होंठों से मेरे नीचे के होंठों को चबाना शुरू किया और साथ ही में मेरे कड़ियल और मजबूत बदन पर हाथ फिराने लगी. मैं तो जैसे जन्नत में विचरने लगा था. ये मेरा पहला अहसास था तो मैं उसे चाह कर भी रोक नहीं पा रहा था. उसकी कोशिश ने आखिर मुझे हरा दिया और मैंने भी उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया.
बीच बीच में वो सिसकारियां ले रही थी ‘आह… उह्ह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओहह… उम्म्म्म…’ अब मैंने उसे जोर से अपनी बाँहों में जकड़ लिया और चूमना शुरू कर दिया. मैं भी उसे उसी तरह से चूम रहा था, जिस तरह से वो मुझे चूम रही थी.
मैंने महसूस किया कि मुझे बहुत आनन्द आ रहा है और मैंने अब बहुत ही जोर से चूमना शुरू कर दिया, मैं भी उसका मजा ले रहा था.
मुझे बीच में ही रोक कर उसने कहा- राजा आज की पूरी रात मैं तुम्हारी हूँ, धीरे धीरे से करो न… फिर से उसने मुझे चूमना शुरू किया. जैसे ही मैंने ये जाना कि अब मुझे चूमना छोड़ देना चाहिए और बाकी चीजों पर ध्यान देना चाहिए, तो मैंने उसके होंठों से धीरे धीरे चूमते हुए कान की ओर अपना रुख मोड़ लिया. मैं बहुत ही धीरे से ये सब कर रहा था, जैसे कि मैं कोई ट्रेंड इंसान हूँ. हालांकि ये मेरा सिर्फ पहला ही अनुभव था.
उसके बाद मैं धीरे धीरे होंठों से होकर कानों तक गया और उसके कानों को धीरे धीरे काटने लगा, जिससे उसकी मादक सिसकारियां धीरे धीरे बढ़ने लगीं. मैंने और फिर जोश में आकर उसके कानों के पतले भाग को धीरे धीरे चूमना शुरू किया और साथ ही में मैंने अपने हाथों को उसके गले और मम्मों पर धीरे धीरे चलाना शुरू कर दिया. उसकी सिसकारियां बढ़ती ही जा रही थीं और जिससे मुझे और भी जोश आ रहा था.
पहले जब मैं हस्तमैथुन करता था तो मैं हर बार बहुत जल्दी ही झड़ जाता था, पर पता नहीं आज क्या हो रहा था. मैं मानो सातवें आसमान पर उड़ रहा था. वो आंटी तो कामुक सिसकारियां बढ़ाती ही जा रही थी. मैं भी अब और अधिक जोश में आ चुका था. मुझे यूं लग रहा था जैसे मैंने जन्नत पा ली हो.
मैं फिर धीरे से आंटी के कान को चूमते हुए फिर होंठों पर चला गया और मैंने वहां पर धीरे धीरे काटते हुए और चूमते हुए उसके मुँह का वो मधुर रस पीते हुए उसके गले तरफ बढ़ने लगा. अब ये मुझे मेरे पहले एक्सपीरियेंस में ही पूरा पता चल चुका था कि औरत का मजा क्या होता है. मैं अब पूरे होश और जोश में था… मेरा सर भी अब दर्द नहीं कर रहा था. इसकी वजह से मैं अब उसके लिए पूरा पागल हो चुका था… और वो भी ये बात जान चुकी थी.
चूंकि आंटी ने तो मुझे वश में कर ही रखा था ताकि मैं उसे छोड़कर न जाऊं… सो वो बेफिक्र थी. इधर मैं भी अब जाना नहीं चाहता था.
मैंने धीरे से अब उसके गले को चूमना शुरू किया, उसके गले की दाईं तरफ फिर बाईं तरफ अपने होंठों को फिराना शुरू किया. मैंने उसके सर को पकड़ लिया था. उसने मुझे पूरा कस के अपने मम्मों से ऐसे चिपका लिया था, जैसे अब वो भी देर नहीं कर सकती थी.
मैंने उसके पूरे गले को इतना चाटना शुरू किया कि अब वो भी सातवें आसमान पर उड़ने लगी थी. मैंने कहीं पर पढ़ा था कि लड़कियों को सेक्स से ज्यादा किस अच्छी लगती है, तो मैं उसको बार बार किस कर रहा था. आंटी की कामुक सिसकारियां मुझे और मजे दे रही थीं और मैं भी पूरा होश खोकर उसका बन चुका था.
अब आंटी ने मुझे कहा- क्या रात भर बस यही करोगे, आगे कुछ नहीं करना है क्या? मैंने कहा- जो तुम कहो… फिर उसने कहा- रुको, मैं तुम्हें अब सच्ची वाली जन्नत दिखाती हूँ, उस जैसा मजा तुम अपना वो हिलाने से भी नहीं पा सकते.
इतना कहकर उसने मेरी शर्ट के बटन को खोल दिया और मुझे बिना शर्ट के पलंग पर बिठा दिया.
जिम करने की वजह से मेरे बदन पर हल्के हल्के सिक्स पैक दिख रहे थे. उसे देखकर आंटी बोली- वाह… क्या मस्त बदन है. इस बदन के लिए तो मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ. अब उसने मुझे फिर से बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया. मैंने भी उसका साथ देते हुए उसके निचले और ऊपर के होंठों को काटते हुए चूमना शुरू कर दिया.
दो मिनट बाद जब वो मेरे गले पर गई तो मानो मुझे लगा कि मैं झड़ ही गया लेकिन नहीं… वो एक खूबसूरत अहसास था, जो मुझे मिल रहा था.
उसने मेरे पूरे बदन को चूमा और मुझे पलंग पर खड़ा कर दिया. उसने कहा- राजा अब देखो जब तुम हिलाते हो तो सिर्फ जरा सा मजा आता है और अब जब मैं जो कुछ करूँगी, उससे तुम्हें और भी ज्यादा मजा आएगा. मैंने कहा- तो फिर जल्दी करो न, अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है प्लीज.
आंटी की चुदाई की कहानी जारी रहेगी. दोस्तो, इस कहानी के बारे अपनी प्रतिक्रिया मुझे इस ईमेल पते पर भेजें और बताएं कि सेक्स स्टोरी कैसी लग रही है. [email protected]
कहानी का अगला भाग : चुदाई की कहानी जादूगरनी आंटी की-2
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