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मैं प्रकाश अपनी हिंदी पोर्न कहानी आपको बताने जा रहा हूँ, वो दो साल पहले शुरू हुई थी. मैं आपको यह एक सच्ची दास्तान बता रहा हूँ.
मैं मुंबई में रहता था. मैं और मेरा दोस्त एक ही बिल्डिंग में रहते थे, लेकिन तीसरे और पांचवें माले पर रहते थे. मेरे दोस्त का नाम ललित और उसकी बीवी का नाम रश्मि है. उसको एक साल का लड़का भी है. हम लोग एक दूसरे के घर पे आते जाते रहते हैं. मैं एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर था और ललित एक टेक्सटाईल कंपनी मार्केटिंग में है.
मैनेजर होने के कारण मेरे घर में सब कुछ है.. पैसे की कमी नहीं थी. उधर रश्मि को पैसे की जरूरत लगती तो वो मेरी बीवी से पैसे लेकर जाती थी. जब आती थी तो वो मुझे स्माईल देती थी. कभी कभी नीचे झुक जाती और आँचल गिरा देती थी, जिससे उसके बड़े बड़े चुचे ब्लाउज में से दिखाई देते थे. फिर वो कातिलाना मुस्कान देकर आँचल ठीक कर लेती.
वो मई का महीना था, मेरी बीवी बच्चों को लेकर मायके चली गई थी. मैं आफिस में था कि बीवी का फोन आया कि रश्मि को पैसों की जरूरत है, तो शाम को आप उसे 2000 रुपये दे दीजिए. उसके बाद बीवी ने शायद उससे कह दिया कि मैं शाम को उसके घर जाकर उसे पैसे दे दूंगा.
मैं आफिस से आया और रश्मि के घर पर गया. मैंने दरवाजा खटखटाया और आवाज दी तो रश्मि ने अन्दर से आवाज दी- भाई साहब, आ जाइए, दरवाजा खुला है.
जैसे मैं अन्दर दाखिल हुआ तो देखा रश्मि अपने बच्चे को दूध पिला रही थी और इस अवस्था में उसकी चुची दिख रही थी.
मैं अन्दर आया तो भी उसने वो सब वैसे ही रहने दिया. फिर हम बातें करने लगे, बीच बीच में मेरी नजर उसके गोरी चुची पर जा रही थी, ये रश्मि में देख लिया था. दूध पिलाते पिलाते उसका बच्चा सो गया था, लेकिन उसने ब्लाउज बंद नहीं किया था, वैसे ही खुला रखा था और वो ऐसे ही मेरे से बात कर रही थी.
क्या मस्त चुची थी.. गोरा गोरा रंग.. उसके ऊपर काले रंग का नुकीला चूचुक… क्या नजारा था. यह देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा था.
बात करते करते मैंने रश्मि से बोला- ये लो पैसे! उसने हाथ आगे किया और हल्के से मेरा हाथ दबाते हुए एक आँख मार दी. मुझे कुछ समझ नहीं आया. मैं उठ कर जाने लगा. वो बोली- रुको ना, चाय पीकर जाइए. मैं बोला- ठीक है.
वो उठी और किचन की तरफ गांड मटकाते हुए चली गई. मेरी हालत तो खराब हो गई थी.
वो चाय लेकर आई और चाय देने के लिए झुकी तो उसका पल्लू गिर गया, उसमें से उसके दोनों चुचे बाहर आने के लिए तड़प रहे थे. मैं एकटक उसको देख रहा था.
फिर वो बैठी और पल्लू ठीक करके वो एक साईड से होंठ दबाके हंसने लगी. तभी ललित का फोन आया और वो फोन पर बात करने लगी. उसने ललित को बोला- प्रकाश भाई साहब आए हैं. लेकिन उसने ललित को मेरे आने का कारण नहीं बोला.
तभी रश्मि बोली- ललित आपसे बात करना चाहता है. मैंने फोन लिया तो ललित बोला- प्रकाश यार, मुझे आफिस के काम से चार दिन के लिए दिल्ली जाना है. अगर तुझे टाईम है तो प्लीज़ मुझे सात बजे रेलवे स्टेशन छोड़ने आएगा क्या? मैंने उसको ‘हां’ बोल दिया और वहां से घर के लिए निकलने वाला ही था कि रश्मि बोली- ललित को पैसे के बारे में मत बताना प्लीज़!
मैंने ‘हां’ बोला और मैं अपने फ्लैट में फ्रेश होने आ गया. फ्रेश होकर टीवी देख रहा था कि ललित का कॉल आ गया, मुझे उसको छोड़ने जाना था.
उसके फ्लैट पे गया तो रश्मि चाय लेकर आई. तभी ललित बोला- यार मुझे शायद ज्यादा दिन भी लग सकते हैं तो तू प्लीज इधर का ख्याल रखना. तभी रश्मि मुझसे बोली- भाई साहब आज खाना खाने मेरे यहां ही आ जाना, वैसे भी दीदी घर पर नहीं हैं. ललित भी बोला- हां यार, यहीं आ जाना खाना खाने.
फिर चाय पीकर मैं उसे छोड़ने रेलवे स्टेशन चला गया, उसे गाड़ी में बिठा कर घर वापस आ गया और रश्मि को फोन कर दिया कि ललित को गाड़ी में बिठा दिया है. तभी रश्मि बोली- ठीक है भाईसाहब, खाना खाने कब आओगे? मैंने उसे बोल दिया- जैसे ही आफिस का काम खत्म कर लेता हूँ, तो आ जाऊंगा.
मैंने कुछ ही देर में आफिस का काम खत्म किया और नौ बजे रश्मि के घर आ गया. उसके घर का दरवाजा खुला था, वो नीचे इस तरह बैठी थी. उसने दोनों पांव ऐसे रखे थे, जिससे उसकी चुत नजर आ रही थी. वो एकदम लाईट के नीचे ही बैठी, उससे लाईट का फ़ोकस उसकी चुत पर जा रहा था.
मैं अन्दर आ गया, तब भी उसने पोज चेंज नहीं किया. मैंने ठीक से देखा तो उसने चड्डी नहीं पहनी थी. साली अन्दर से नंगी थी. मेरी नजर उसकी चूत से हट ही नहीं रही थी, टीवी भी चालू था. तभी रश्मि ने मुझे चूत देखते हुए पकड़ लिया. वो बोली- अभी तो शुरुआत है. मैंने पूछा- काहे की? वो बोली- भाईसाहब, फिल्म शुरू हो गई है.
इधर मेरा लंड आकार ले रहा था. तभी उसका बच्चा रोने लगा, उसने ब्लाउज के तीनों बटन खोल दिए और एक चुची से अपने बच्चे को दूध पिलाने लगी. उसके ब्लाउज के तीनों बटन खुलने के कारण उसकी दूसरी चुची भी आधी दिख रही थी. तभी रश्मि बोली- आज तो मौसम बहुत ही गरम हो रहा है. मैंने मजाक में कह दिया- तो फिर कपड़े निकाल दो ना. तभी रश्मि बोली- मुझे भी यही लग रहा है लेकिन आप पूरे कपड़े में हो और मैं नंगी हो जाऊं, ये थोड़ी अच्छा लगता है.
उसके मुँह से ‘नंगी हो जाऊं..’ सुनकर मैं हैरान हो गया. मैंने बोला- ठीक है तुम शुरुआत करो, मैं तुम्हारा साथ देता हूँ.
मेरा इतना कहना था कि उसने ब्लाउज निकाल कर बाजू में रख दिया. ब्रा तो पहनी ही नहीं थी. क्या मस्त चुचियां थीं यार.. मैं तो उसके मुनक्के जैसे नुकीले चूचुक और गोल सख्त चुचियां देखता ही रह गया. तभी रश्मि बोली- भाई साहब, आप अभी अपने शब्द से मुकर रहे हैं.
फिर मैंने शर्ट को निकाल दिया. मैंने भी अन्दर बनियान और चड्डी नहीं पहनी हुई थी.
रश्मि का बच्चा सो गया था. फिर वो उठी और उसने बच्चे को लिटा कर साड़ी पेटीकोट को भी निकाल दिया और पूरी नंगी हो गई.
मैंने भी पेंट उतार दी और मैं भी नंगा हो गया. उसने मेरा तना हुआ लंड देखा और बोली- इतना बड़ा, मेरी दीदी की तो आप रोज बजाते होंगे. फिर वो मेरे खड़े लंड के ऊपर लपक पड़ी और लंड को मुँह में भर कर जोर जोर से चूसने लगी. लंड चुसाई से मैं तो सातवें आसमान पर उड़ रहा था.
मैंने उसको 69 पोजीशन में आने के लिए कहा. वो झट से चित लेट गई, मैं उसकी चुत चाटने लगा और वो मेरा लंड चुसकने लगी. रश्मि बोली- आह… कितना मजा आ रहा है… ललित मेरी चुत कभी नहीं चूसता.. आह प्रकाश चूसो चुत को.. जोर से जोर से! रश्मि अपनी चुत को उठाते हुए मेरे मुँह पे जोर जोर से मार रही थी. मेरी जीभ उसकी चुत के अन्दर जाकर बाहर आ रही थी.
कुछ ही देर में शायद वो छूटने वाली थी, इसलिए उसका शरीर एकदम अकड़ गया. बस उसकी चूत का पूरा पानी मेरे मुँह में छूट गया. आह.. क्या स्वादिष्ट पानी था. पूरा पानी पीने के बाद भी मैं उसकी चुत चाटता ही जा रहा था.
रश्मि बोली- प्रकाश, अब बस करो नहीं तो मैं मर जाऊंगी… लेकिन मैं कहाँ सुनने वाला था. मैं अगले दस मिनट तक उसकी चुत चूसता ही रहा. फिर वो दूसरी बार इतनी जोर से चीखी और मेरे मुँह में ही फिर से छूट गई.
अब मैं भी छूटने वाला था, मैंने रश्मि को बोला- लंड मुँह से निकाल दो, मेरा छूटने वाला है. उसने हाथ के इशारे से ना बोला, बल्कि मेरा लंड उसके गले तक जाने लगा था. फिर मेरे लंड से वीर्य की जो पिचकारी उड़ी तो सीधे उसके पेट में ही चली गई.
हम दोनों की साँसें बहुत तेज चल रही थीं, इसलिए हम एक दूसरे ऊपर ऐसे ही पड़े रहे.
फिर वह उठी और बोली- चलो मैं खाना बना लेती हूँ, आप तब तक बैठो.
वो नंगी ही किचन में चली गई, उसने सब तैयार करके रखा था. चपाती बनानी बाकी थी. वह चपाती बनाने लगी.
मैं भी किचन में आ गया, तो उसने बेलन को चुत के ऊपर लगाते हुए बोला- बहुत खुजली हो रही है, कुछ करो ना. फिर मैं नीचे बैठ कर उसकी चुत चाटने लगा था और वो पैर चौड़ा कर चुत चटवाते हुए रोटियां बना रही थी. वो बहुत जल्द गरम हो जा रही थी.. इस बार भी 5 मिनट में झड़ गई.
फिर मैं उठा और उसके पीछे जाकर उसकी गांड को सहलाने लगा. तभी मैंने देखा कि सामने ही एक बर्तन में तेल था, मैंने उसे उठाया और उसकी गांड पे लगा दिया और थोड़ा मेरे लंड पर भी लगा दिया. मैंने जोर का धक्का लगाते हुए मेरा लंड उसकी गांड में डाल दिया. वो जोर से चीखी, लेकिन मैंने उसका मुँह हाथ से बंद कर दिया था.
रश्मि बहुत तड़पी और मेरा विरोध करने लगी. वो मुझे पीछे को धकेल रही थी. लेकिन मैंने उसके दोनों हाथ पीछे करके पकड़ लिए और धीरे धीरे उसकी गांड मारने लगा. उसकी मखमली गांड मारते समय मैं हाथ से उसकी गांड पर चमाट मार रहा था, दर्द की वजह से वो कराह रही थी.
थोड़ी देर बाद वो नार्मल हो गई.. और मेरा साथ देने लगी. उसके मुँह से ‘आह… आहहह.. हहह..’ की आवाजें आने लगीं. मैं भी आखिरी धक्कों में था. मैंने पूरा वीर्य उसके गांड में डाल कर वहीं रखी एक कुर्सी पर बैठ गया.
रश्मि ने मुझे जोर से किस किया और बोली- बताओ प्रकाश जी.. कैसी लगी मेरी एक्टिंग.. मुझे दीदी ने बताया था कि तुम सेक्स के टाईम कभी कभी गांड भी मारते हो. मैं तो खुद पहले से तुमसे गांड मरवाने के लिए तैयार थी.. लेकिन जो मजा विरोध करके वाइल्ड सेक्स करने में आता है, वो नार्मल सेक्स में नहीं आता.. बोलो आप मैंने सही बोला कि नहीं.. मैंने कहा- तुम सही कह रही हो!
कुछ देर बाद रोटियां तैयार हो गई थीं. हम दोनों अब भी नंगे ही थे.
फिर रश्मि मेरे गोद में बैठी और हम दोनों ने बहुत ही प्यार से भोजन किया. मैं अपने मुँह से उसके मुँह में कौऱ डालता, कभी वो मेरी मुँह में डालती.
खाना खाने के बाद हम लोग बेडरूम में आ गए.. रश्मि ने अपने बच्चे को फिर से दूध पिलाने लगी ताकि वो सो जाए. मैंने उससे बोला- खाने के बाद कुछ मीठा हो जाए. वो बोली- फ्रिज में देखो कुछ.. जाईए तो.
मैं गया तो मुझे आइसक्रीम मिली. मैं वो लेकर आया. अब तक वो अपने बच्चे को दूध पिला रही थी. मैंने चम्मच से आइसक्रीम ली और उसकी चुत पर डाल दी.. वो आइसक्रीम की ठंडक से सिहर उठी. फिर मैं उसकी चुत पर लगी आइसक्रीम चाटने लगा.
वो इस वक्त टांगें फैलाए छाती पर बच्चे को दूध पिला रही थी. उसकी मादक सीत्कार निकल रही थी- आह.. आह… ये क्या कर रह हो.. आऊचच.. आह.. आ.. मैंने थोड़ी सी आइसक्रीम हाथ से उसकी चुत के अंदर भी डाल दी. वो हिल भी नहीं सकती थी क्योंकि उसकी एक चुची उसके बच्चे के मुँह में थी. उसने कैसे भी करके सहन किया.
जैसे ही उसका बच्चा सोया.. वैसे ही बच्चे को एक तरफ लगे झूला में लिटाया और मेरे सर के बाल पकड़ कर मेरे मुँह को जोर से अपनी चुत पर दबाने लगी. उसको इस तरह से चूत चटवाने में बहुत मजा आ रहा था. ‘आह… आ…’ करते करते एक बार फिर उसका पानी छूट गया. मैंने पूरा पानी पी लिया और उससे बोला कि ये था मीठा.. समझी कुछ..!
फिर मैंने उसकी दोनों चुचों पर आइसक्रीम लगा कर खाई.
रश्मि बोली- प्रकाश जी आपने जो मेरी जो मुराद पूरी की है ना.. वो मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकती. इसके बाद आप जिधर बोलोगे, वहां पे आऊंगी और आपका साथ दूँगी. आपने मेरी चुत की पूरी गर्मी निकाल दी.. आई लव यू प्रकाश डार्लिंग.. वो मेरे से बात करती जा रही थी और खुशी के आंसू रोये जा रही थी.
शांत होने के बात वो उठी और मेरे लंड पे आइसक्रीम लगाके मेरा लंड चूसने लगी. कुछ देर बाद मैं भी छूट गया.. वो मेरा पूरा वीर्य पी गई.
फिर मैंने उससे बोला- पहले तो तेरी चुत मारने की सोची थी लेकिन पहले गांड मार दी. वो हंस कर बोली- तो मैं किधर भाग गई… अब आगे की भी मार लो.
मैंने भी हंस कर आसन बनाया और धीरे धीरे उसकी चुत में लंड डाला और चुत मारने लगा. कुछ ही देर में धकापेल चुदाई होने लगी. दस मिनट बाद उसका शरीर अकड़ने वाला ही था कि मैंने चोदना बंद कर दिया.. और उसके चुचे चूसकर दूध पीने लगा.
वो चिल्लाई- ये क्या कर दिया तूने.. मैं आने वाली थी.. लेकिन तुम रुक क्यों गए. मैंने उससे बोला- तुम देखती जाओ, अभी मैं तेरे साथ क्या क्या करता हूँ.
कुछ देर दूध चुसकने के बाद मैंने उसे फिर से चोदना शुरू किया. बस पांच मिनट बाद उसका शरीर फिर से अकड़ने लगा, तो मैं फिर रुक गया. ऐसा मैंने 3 बार किया, उस वजह से रश्मि बहुत गरम हो चुकी थी और मेरी तरफ बहुत कामवासना भरे क्रोध से देख रही थी.
मैंने उसे बेड से उठाया और नीचे जमीन पर लिटा कर वापिस जोर जोर से चुत मारने लगा. वो मस्त होकर कराहे जा रही थी- आह.. आ… आ.. मार मेरी चुत और जोर से चोद दे.. अह.. जोर से… प्लीज़ और जोर जोर से… चोद दे.. आह..
रश्मि का शरीर वापिस अकड़ने लगा. फिर मैंने चूत चोदने की रफ्तार और तेज कर दी. रश्मि से अब सहन नहीं हो रहा था शायद.. मुझे भी लग रहा था कि मैं भी आ ही जाऊंगा. उसने मुझे जोर से पकड़ लिया और जोर जोर बड़बड़ाने लगी.
फिर तो जो उसकी चुत से पानी का फव्वारा उड़ा, उसने मुझे पूरा भिगा दिया. पांच मिनट तक वो थरथराती रही थी.. और बेहोश जैसी पड़ गई थी. उसी वक्त रश्मि से पेशाब भी कंट्रोल नहीं हुई तो वो भी छूट गई. मैंने पूरा लंड उसकी चुत में खाली कर दिया. दो तीन मिनट तक उसके चुत से पानी बहता रहा था.
मैं भी थक कर उसके बाजू में ही नीचे जमीन लेट गया. पूरे बेडरूम के फर्श पर पेशाब फैला हुआ था.
कुछ मिनट बाद रश्मि होश में आई… मैंने उसे दिखाया कि ये तूने क्या कर दिया देख! तो हंस कर बोली- इसके लिए तुम ही जिम्मेदार हो.. लेकिन प्रकाश यू आर ग्रेट यार.. सेक्स में आपकी बराबरी कोई नहीं कर सकता.
वो मुझे चूमने लगी.. हम दोनों रश्मि की पेशाब से भीगे हुए थे. फिर बाथरूम में जाकर नहाए. इसके बाद हम दोनों ने साफ़ सफाई की और बेड पर जाकर सो गए.
रात में दो बार उसकी चुत मारी.. सुबह जब मैं उठा तो रश्मि मेरा लंड चूस रही थी. ऐसा चार दिन तक चला. मैं उसकी गांड और चुत मारता रहा था. बेडरूम, किचन, हॉल सब जगह उसके साथ सेक्स किया..
और इस तरह से मुझे चोदना पड़ा दोस्त की चुदक्कड़ बीवी को!
आज भी जब मौका मिलता है, तो हम दोनों हचक कर चुत चुदाई करते हैं.
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