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दोस्तो, प्यारी प्यारी भाभी और आंटी, आप सब का इस हिंदी एडल्ट कहानी में स्वागत है. मैं अनुराग, उम्र 24 साल, दिखने में सामान्य हूँ. मेरे हथियार की लम्बाई 6 इंच है और यह 2.5 इंच मोटा है. मेरा लंड किसी भी आंटी या भाभी को खुश कर सकता है. मैं अपनी एडल्ट स्टोरी आप सबको बताने की न जाने कबसे सोच रहा था, पर आज मौका मिला है कि मैं आप सभी को अपनी और अपनी भाभी की प्यार की दास्तान सुना सकूं.
मेरी भाभी जिनका नाम नन्दिनी है, वो दिखने में बड़ी मस्त माल हैं. उनकी उम्र 28 साल की होगी, उनके दो बच्चे भी हैं, एक लड़का और एक लड़की. उनके मम्मों का साइज 34 इंच है, भाभी के चुतद भी 34-35 इंच के तो होंगे ही… भाभी का रंग एकदम दूध जैसा गोरा और होंठ तो इतने रसीले की उनको देखते ही उन पर टूट पड़ने की इच्छा हो जाए.
कहानी कुछ समय पूर्व शुरू हुई थी. मेरे सपने कुछ ज़्यादा बड़े थे, मैंने उनको पूरा करने के लिए अपनी पढ़ाई में एक साल का अंतराल दिया. जब मैं अपनी 12वीं के बाद की पढ़ाई के लिए उज्जैन आया तो मैं अपने चचेरे भाई के यहां रुका. मेरे भइया बहुत अच्छे स्वभाव के थे और भाभी भी बहुत अच्छी थीं. मैंने कभी उनको गलत नजर से नहीं देखा था. वो मेरा बहुत ख्याल रखती थीं. पहली बार किसी ने मेरा इतना खयाल रखा था तो कब उनसे प्यार हुआ, मुझे इसका पता ही नहीं चला.
अब तो ऐसा हो गया था कि उनके बिना कुछ भी अच्छा नहीं लगता था, न ही दिन, न ही रात. मुझे क्या हो गया था, ये मुझे खुद को पता नहीं चल रहा था.
मैं अपने आपसे भी बोर होने लगा था, पर मैं उनसे बोल भी नहीं सकता था. मुझे डर लगता था कि कहीं कुछ गलत न हो जाए, इस तरह मैं अपने प्यार को अपने आपसे भी छुपाने लगा. पर शायद तब तक देर हो चुकी थी. वो भी मुझसे प्यार करने लगी थीं. मैं जब भी उनको भाभी कहकर पुकारता, तो मुझसे गुस्सा हो जातीं और बात नहीं करती थीं.
पहले तो मुझे कुछ समझ नहीं आया कि भाभी मुझसे गुस्सा क्यों हो जाती हैं, पर धीरे धीरे मुझे लगने लगा कि भाभी भी मुझसे प्यार करती हैं. इतने पर भी हम दोनों में इतनी हिम्मत नहीं थी कि एक दूसरे को बता सकें कि हम एक दूसरे को प्यार करते हैं.
इस तरह से हम दोनों के दिलों में प्यार दो साल तक पलता रहा. दो साल बाद एक बार भाई अपने दोस्तों के साथ टूर पर गए, तब मैंने निश्चय किया कि अब जो भी हो, मैं भाभी को अपने दिल की बात बोल कर रहूँगा.
मैंने इसके लिए भाभी से सेक्स की पहले से पूरी तैयारियाँ कर लीं, वियाग्रा की गोली भी लेकर आ गया और उनके लिए एक अच्छा सा गिफ्ट भी ले आया. पर मेरी किस्मत खराब निकली, जब रात को 10 बजे के लगभग हम खाना खाते हुए बात कर रहे थे, तब मैंने उनको अपने दिल की बात बोली. वो मेरी बात सुन कर गुस्सा हो गईं और रोने लगीं. मेरी गांड फटने लगी कि कहीं भाभी ने ये सब बातें भाई को बता दीं, तो मेरी तो वाट लग जाएगी.
मैं भाभी से सॉरी सॉरी बोलने लगा, पर भाभी ने मेरी एक न सुनी और मुझे अपने कमरे से निकाल कर दरवाजा बंद कर लिया. अगले दिन में भाभी के पास गया और बात करने लगा, पर भाभी मेरी किसी भी बात का कोई जवाब नहीं दे रही थीं. उन्होंने मुझसे बात भी ना करने का निश्चय किया था. अन्ततः मैं हिम्मत हार कर वापिस अपने कमरे में चला गया.
थोड़ी देर बाद मुझे भईया की आवाज आई, शायद वो आ गए थे. मेरी गांड फटने लगी कि अगर भाई को भाभी ने सब बात दिया होगा, तो मेरी कितनी बेइज्जती होगी, मैं ये सोच सोच कर घबराने लगा.
फिर भैया के कमरे के पास जाकर उन दोनों की बातें सुनने लगा. वो दोनों सामान्य बातें कर रहे थे. इसके बाद सब अपने अपने काम में लग गए.
भाभी ने सच में मुझसे बात बंद कर दी थी. मैं भी उनको भूल कर अपने काम में लग गया.
दिन गुजरते गए.. करीब चार महीने बीत गए.
एक दिन मैंने देख भाभी मुझे देख कर मुस्कुरा रही थीं, पर उन्होंने मुझसे बात नहीं की. इसके बाद तो अब अक्सर यही होने लगा. बस वो मुझे देख कर मुस्कुरा देतीं, पर बात नहीं करतीं.
इस पर मैं भी उनकी तरफ कोई ध्यान न देकर अपने काम में लगा रहता. कुछ दिनों बाद धीरे धीरे वापस मेरा ध्यान भटकने लगा. मैं फिर से भाभी के सपनों में खोने लगा. मैं भाभी के स्तन जो 34 की साइज के थे, उनको एकटक देखता रहता.
धीरे धीरे हम दोनों में फिर बातें होने लगीं, पर मेरी उनसे खुल कर बात करने की हिम्मत नहीं हो रही थी.
इसी तरह दिन गुजरते रहे और कब एक साल और गुजर गया, पता ही नहीं चला. अब इतना जरूर हुआ कि मैं जब भी उनके पास जाता तो उनको टच कर देता, पर वो कुछ नहीं बोलतीं, बस हल्का सा मुस्कुरा देतीं. इससे धीरे धीरे मेरी हिम्मत फिर से बढ़ने लगी.
एक दिन मैंने उनको पकड़ लिया और उन्हें किस करने लगा. मैंने जैसे ही उनके होंठों पर होंठ रखे, भाभी मुझे धक्का देकर गुस्सा करने लगीं. मैं भी हिम्मत न हार कर उनसे साफ साफ लहजे में बोलने लगा कि मैंने तो आपको पहले ही बोल दिया था कि मैं आपको प्यार करता हूँ. वो मेरी बात सुनकर चुप हो गईं.
मेरी हिम्मत बढ़ने लगी तो मैंने पूछा- मैंने तो अपनी साइड पहले ही क्लियर कर दी, अब आप ही बता दो कि आपकी क्या इच्छा है? तब उन्होंने कहा- मैं तुमसे प्यार तो करती हूँ, पर मैं तुम्हारे भाई को धोखा नहीं दे सकती. इतना कह कर भाभी उदास हो कर चली गईं.
अब मेरा रास्ता साफ हो गया था बस उनको मनाने की देर थी. ऊपर वाला भी मुझ पर दया दिखाने लगा था. कुछ ही दिनों में भाई को किसी काम के लिए बाहर जाना पड़ा. मैं भाभी के पास गया और उनको यहां वहां हाथ लगाने लगा. भाभी कुछ कह भी नहीं रही थीं और कुछ आगे बढ़ने भी नहीं दे रही थीं.
मैं भाभी को सुबह 4 बजे अपने कमरे में आने की बोल कर अपने कमरे में आ गया. मैं सुबह 3 बजे का अलार्म लगा कर सो गया, पर जिसको चूत के दीदार होने वाले हों, उसको नींद कहां से आएगी. मेरी आँखों के सामने बस भाभी के मम्मे ही घूम रहे थे, पर जैसे तैसे भाभी सेक्स के बारे में सोच सोच कर मुठ मार कर सो गया.
सुबह 3 बजे नींद खुल गई. मैं भाभी के आने का वेट करने लगा. ठीक 4 बजे भाभी ने दरवाजा खोला और वो मेरे कमरे की तरफ आने लगीं. जैसे वो मेरे कमरे में आईं, मैंने अपने कमरे का दरवाजा बंद कर लिया.
उन्होंने पूछा कि क्या हुआ इतनी सुबह क्यों बुलाया है आपने? क्या काम है? मैंने कहा- प्यार करना है आपको. तो वो मना करके जाने लगीं, पर अब मैंने बिना हिचक के उनका हाथ पकड़ कर उनको अपनी ओर खींच लिया.
वो मेरी बांहों में आ गईं, मैं उनको प्यार करने लगा. मैंने अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए और उनको किस करने लगा. ज़िन्दगी का पहला किस था. मैं लगभग दस मिनट तक उनको किस करता रहा. मुझे किस में ही इतना मजा आ रहा था कि और कुछ करने की इच्छा ही नहीं हो रही थी.
पर अब मैंने अपने हाथ उनके मम्मे तरफ बढ़ाए और उनको धीरे धीरे दबाने लगा. भाभी के रसीले मम्मों को दबाने में इतना मजा आ रहा था कि मैं किस को भूल कर उनके मम्मों पर टूट पड़ा. मैं अपने आपको जन्नत में महसूस कर रहा था. अगले कुछ ही पलों में मैं उनके मम्मों को चूस रहा था तो उनके मुँह से मादक कर देने वाली आवाज आने लगी थी, जो मेरी उत्तेजना को चरम सीमा तक ले जा रही थी.
मैं मूर्ख उनके मम्मों में ही डूबा रहा जबकि जन्नत मेरा इंतजार कर रही थी. मैं पन्द्रह मिनट उनके मम्मों से ही खेलता रहा, कभी उनको चूसता, कभी उनको ज़ोर से दबा देता. इससे भाभी के मुँह से ज़ोर से चीख निकल जाती और वो कहतीं- आह.. ज़रा धीरे करो.. दुखता है.
पर मुझे तो ये सब करने में मजा आ रहा था. भाभी अब मुझे पकड़ कर नीचे करने लगीं, मैं समझ गया और नीचे भाभी का पेटीकोट उतार कर फेंक दिया. मैंने पहली बार किसी औरत की चूत देखी, तो मैं दीवाना हो गया और उस पर टूट पड़ा. मैं अपनी जीभ से उनकी जांघ को, तो कभी उनकी चूत को चाटता, इससे उनकी हालात खराब हो रही थी. भाभी ज़ोर ज़ोर से सिसकारियां ले रही थी, जो हमारे प्यार को और बढ़ा रही थी.
मैं दस मिनट तक उनकी चूत को चाटता रहा, तब जाकर उन्होंने अपना कामरस छोड़ दिया, जिसे मैंने बड़े ही चाव से पी गया. चुत का रस पीने के बाद भी मैं भाभी की चूत को चाटता रहा, इससे भाभी फिर से गरम हो गईं. अब भाभी बार बार कह रही थीं- आह.. अब रहा नहीं जाता.. जल्दी से डाल दो.
इधर मेरा लंड भी लोहे ही रॉड की तरह हो गया था, मैंने अपने लंड में इतना तनाव पहली बार देखा था. अब मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था. मैंने भाभी के दोनों पैर ऊपर किए.. और उनके ऊपर सो गया. मैं अपना लंड उनकी चूत में डालने का असफ़ल प्रयास करने लगा. फिर भाभी ने मेरा लंड हाथ में लेकर उसको अपनी चूत पर रखा. जैसे ही मैं अपना पहला शॉट मारने वाला था कि मेरा फौलाद जैसा लंड सिकुड़ कर रह गया.
एकाएक यह क्या हो गया.. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था. भाभी मुस्कुरा रही थीं और मैं एकदम से निढाल हो गया. मुझे अपने पुरूषत्व पर शक हो रहा था और भाभी मुस्कराते हुए अपने कपड़े ठीक करके चली गईं. मैं अपने आप में शर्मिन्दगी महसूस कर रहा था.
इसके बाद मैं नंगा ही सो गया और मेरी नींद सुबह उस वक्त खुली जब भाभी ने मुझे जगाया. मैंने खुद को देखा तो मैं कपड़े पहने हुए था. मेरा भेजा घूम गया कि मुझे कपड़े किसने पहना दिए.
तभी भाभी बोलने लगीं- सुबह चार बजे किस लिए बुला रहे थे.. मेरी नींद लग गई और मैं आ ही नहीं पाई. जब भाभी ने ये कहा तो मेरा दिमाग भन्ना गया. मैं सोचने लगा कि क्या मैंने सपना देखा था.
मैंने भाभी को अपनी गोद में खींच लिया और उन्हें चूमने लगा. भाभी कसमसा उठीं लेकिन मैंने उन्हें नहीं छोड़ा. तब भी भाभी मुझ से छुट कर कमरे से बाहर भाग गई और मैं देखता रह गया.
मेरी कामवासना धरी की धरी रह गई. आखिर मैंने मुठ मार कर अपना पानी निकाला.
जब तक मेरी भाभी मेरे साथ सेक्स नहीं करती, तब तक सारी भाभियां मेरे उस लंड को याद करके अपने हाथ से काम चलाओ जो वास्तव में लोहे की रॉड की तरह चूत का भेदन करता है.
आप ये भी बताना कि मेरी भाभी सेक्स की यह एडल्ट कहानी आप सबको कैसे लगी. मेरे इमेल आईडी पे मेल करके मुझे जरूर बताएं! पाठकों के सन्देश से ही लेखक का मनोबल बढ़ता है और नई कहानी लिखने के लिए प्रेरित होता है. [email protected]
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