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नमस्ते दोस्तो, सबसे पहले गरमा गरम चूत वालियों को मेरा प्रणाम! मैं अपनी इस घटना को किसी के शेयर तो नहीं करना चाहता था और ना ही इसे कहानी के रूप में किसी को सुनाना चाहता था. परन्तु जब अन्तर्वासना पर कहानियों को पढ़ता था तो सोचता था कि क्यों ना अपने साथ घटी घटना को आप लोगों के साथ शेयर किया जाए… हो सकता है आप में से कुछ लोग मुझे कुछ सही राय दे पायें और शायद मुझे कुछ नई दोस्त भी मिल जाएँ।
मैं 23 साल का बंदा पुणे में एक बहुराष्टीय कंपनी में काम करता हूँ। हैंडसम व डायनामिक बन्दा हूँ। वो कहते हैं न कि लड़के किसी लड़की में सबसे पहले क्या देखते हैं? लड़कों का देखना तो डिपेंड करता है कि लड़की आ रही है या जा रही है। यह लाइन मुझ पर सटीक बैठती है, मेरा हथियार तैयार ही रहता है हमेशा। लड़की जा रही है तो उसकी गांड… और अगर आ रही है तो उसकी चूत!
खैर छोड़ो, मैं असली घटना पे आता हूँ।
तो बात तब की है जब मैं पुणे से दिल्ली ट्रेन से जा रहा था, मेरी रिजर्वेशन थी, लोअर बर्थ थी पर जब मैं अपनी सीट पर पहुंचा तो देखा वहां बुरका पहने हुए दो महिलायें बैठी हुई थी और खिड़की में से किसी पुरुष से बात कर रही थी, वो उन दोनों को ट्रेन में बैठाने आया था। एक बच्चा भी था उनके साथ! बच्चे की उम्र सवा या डेढ़ साल से ज्यादा नहीं थी.
उन दोनों बुर्का नशीनों को भी दिल्ली जाना था और उनकी एक सीट ऊपर की थी, उन लोगों ने मुझ से रिक्वेस्ट की तो मैंने उनकी जगह ऊपर की बर्थ पे जाना मंजूर कर लिया।
जब ट्रेन चल पड़ी तो उन दोनों महिलाओं ने अपना बुर्का हटा दिया। अब मैंने उनके चेहरों को देखा, दोनों अप्सरा सी खूबसूरत थी, कसम से क्या हसीं माल थी। उन दोनों की आपस की बातचीत से मुझे पता चल गया था कि वो बच्चा रेशमा का था और दूसरे वाली सानिया थी जिसके कश्मीरी सेब की तरह बिल्कुल लाल गाल और होंठ जैसे रस टपकने वाला हो उनसे। यह तो आप जानते ही हैं कि बुर्के में रहने वाली लड़कियाँ और महिलाए अक्सर गोरी और खूबसूरत होती हैं क्योंकि बाहर की धूप और धूल मिट्टी से वे बची रहती हैं तो उनका हुस्न अपने आप निखर जाता है.
25-26 साल की वो महिला सानिया ऐसी माल लग रही थी कि अगर किसी का उसे देखकर ही न खड़ा हो जाये तो कहना।
मैं अपने मोबाइल में मूवी देख रहा था ऊपर बैठा, पर मेरा ध्यान बार बार सानिया पे ही जा रहा था। उसने पूरा बुरका निकाल दिया था, और अब सिर्फ एक टाइट से सलवार और शर्ट में थी, वो उसके फिगर को खुद बयां कर रहा था। कम से कम 34 इंच के चुचे और 36 इंच की गांड की मालकिन मेरा बार बार ध्यान खींच रही थी। उसके दोनों होंठ संतरे की फांकों की तरह से बाहर को उभरे हुए थे. और खास कर जब वो बार बार जब अपने नीचे वाले होंठ को खुद ही काट लेती थी तब तो सही में रुकना मुश्किल हो रहा था।
रात को वो मेरे सामने की तरफ बीच वाली बर्थ पर सोई थी, और ट्रेन जब हिचकोले ले रही थी और उसके बोबे हिल रहे थे. मेरा तो मन कर रहा था कि काश यह हुस्न की मलिका मुझे चोदने को मिल जाये! खैर मैंने ख्यालों में खुद को उसके नंगे बदन के ऊपर महसूस करके उन झटकों के साथ मुठ भी पेली और आखिर में मन मसोस कर सो गया।
अगले दिन शाम को जब हम दिल्ली पहुँचने वाले थे तो मैं खिड़की के पास बैठा था और वो मेरे बाजू में और हमारे बीच उनका छोटा लड़का, जो मेरे मोबाइल में गाने देख रहा था। एक बार उसके हाथ से मोबाइल गिरने लगा तो सानिया ने बच्चे के हाथ के नीचे अपना लगा दिया और उसी टाइम मैंने भी अपना हाथ उसके हाथ उसके हाथ के नीचे लगा दिया। ये सब इतनी जल्दी में हुआ कि पता ही नहीं चला. फिर मैंने भी जान बूझ कर अपना हाथ नही हटाया और न ही उसने हटाया।
सानिया के गर्म हाथ का स्पर्श पाकर मेरा रोम रोम खड़ा हो गया, मेरे पूरे बदन एक सिहरन सी दौड़ गयी, मेरे लंड में भी गरमी सी आ गई. फिर मैंने उसकी ओर देखा और वो भी मेरी ओर ही देख रही थी. थोड़ी देर ऐसे ही रहने के बाद उसने अपना हाथ हटा लिया. फिर मैंने उनसे बातें शुरू की और पूछा कि वो लोग पुणे में कहाँ रहते हैं और क्या करते हैं।
उसने बताया कि रेशमा उस की बड़ी बहन है, रेशमा के शौहर पुणे में गुड्स ट्रांसपोर्ट में काम करते हैं, और वो अपनी बहन के साथ उनके घर में ही रहती है।
जब बात करने को कुछ नहीं था तो मैंने मोबाइल में इयर फोन लगाया और गाने सुनने लगा. सानिया मेरी ओर देखने लगी तो मैंने उससे पूछ लिया कि उसे भी गाने सुनने हैं क्या? उसने हाँ की तो मैंने एक इयर प्लग निकाल कर उसे दे दिया और वो उसे अपने कान में लगा कर मेरे साथ गाने सुनने लगी.
नवम्बर का महीना था, शाम को हल्की हल्की सर्दी होना शुरू हो गयी थी तो सानिया ने अपनी एक गर्म चादर निकाल कर ओढ़ ली, कम्बल तो मेरे पास भी था फिर भी मैंने जान बूझ कर नहीं निकाला क्योंकि कम्बल वाली ठण्ड नहीं थी. तो सानिया ने अपनी चादर का थोड़ा सा हिस्सा मुझे भी दे दिया।
पहले तो उनका बच्चा हमारे बीच था, लेकिन उसकी अम्मीजान रेशमा ने उसे दूध पिलाने के लिए अपनी गोद ले लिया। रेशमा ने अपनी शर्ट उठा कर अपनी एक चूची बाहर निकाल कर उसका निप्पल अपने बेटे के मुंह में दे दिया. इस दौरान रेशमा ने अपनी चूची अन्य यात्रियों की नजरों से छिपाने की पूरी कोशिश की लेकिन फिर भी मुझे उसकी एक झलक देखने को मिल ही गई. रेशमा की चूची भी 36 से 38 इन्च वाली लग रही थी, एकदम सफ़ेद गाय के दूध के रंग के जैसी, निप्पल चॉकलेट रंग का था. मेरे मन में एक बार आया कि काश ये चुची मुझे भी चूसने को मिल जाए.
अब हम दोनों यानी मैं और सानिया एक ही चादर ओढ़े हुए बैठे थे और मेरे फ़ोन से गाने सुन रहे थे एक एक इयर प्लग लगा के… तो मैंने हिम्मत करके अपनी थोड़ी सी कोहनी सानिया के बदन से सटका दी। फिर ट्रेन के हिचकोले के साथ मैंने कोहनी उसके बूब्ज़ से टकरा दी और उसकी तरफ देखा. पर उसने जब कुछ नहीं कहा तो मेरी हिम्मत बढ़ गयी।
अब तक मेरा पप्पू डर तो रहा था पर फिर भी पूरे जोश के साथ खड़ा था। थोड़ी देर ऐसे ही रहने के बाद मैंने धीरे से उसका एक बूब अपने हाथ से दबा दिया धीरे से! उसने एकदम से मेरी तरफ गुस्से से देखा और मेरी फट के हाथ में आने को हो गयी और मैं सानिया से दूर हो कर बैठ गया।
फिर थोड़ी देर बाद उसने खुद ही मुझसे फिर बात करनी शुरू कर दी। मैंने फिर हिम्मत करके अपना बदन उसके बदन से सटाना शुरू कर दिया, अब उसने कुछ नहीं कहा। फिर मैंने अपना हाथ उसकी जांघ पर रख दिया, तब भी उसने कुछ नहीं कहा।
फिर मैंने धीरे धीरे अपना हाथ उसकी जांघ पर फिराना शुरू कर दिया और थोड़ी देर बाद हिम्मत करके हाथ उसकी चूत के ऊपर रख दिया। इस बार भी उसने मेरी तरफ देखा, पर इस बार गुस्सा कम था.
फिर थोड़ी देर बाद मैंने हाथ फिराया और फिर हिम्मत करके हाथ सलवार के अंदर डाल दिया पर जैसे ही मेरा हाथ उसकी झांटों के जाल को भेद कर उसकी नंगी चूत पर लगा, उसने मेरा हाथ रोक दिया और मुझे बहुत गुस्से से देखने लगी। और इस बार उसके गुस्से में साफ़ नाराजगी दिख रही थी, तो मैं फिर से डर गया।
थोड़ी देर बाद उसने फिर से मुझसे नार्मल बात शुरू कर दी पर अब की बार मेरी हिम्मत न हुई कोई ऎसी वैसी हरकत करने की।
जब हम दिल्ली स्टेशन पर पहुँच गए तो उन्होंने उनका सामान वगैरा उतरवाने में मेरी मदद मांगी. जब हम सब ट्रेन से उतरने के लिए ट्रेन के दरवाजे पर खड़े थे तो वो मेरे बिल्कुल आगे खड़ी थी और भीड़ होने की वजह से मेरा पप्पू जो ऐसे टाइम पर हमेशा ही खड़ा रहता है, उसकी बड़ी सी गांड को भेदने को तैयार बार बार उससे टकरा रहा था, बल्कि कपड़ों के ऊपर से उसकी गांड की दरार में सेट हो गया था. पर इस बार उसने कुछ नहीं कहा शायद उसे भी लग रहा था कि भीड़ ज्यादा थी। और हो सकता है कि मजा ले रही हो!
खैर जब मैंने सब सामान उतरवा दिया उनका, तो सानिया ने खुद ही मुझसे मेरा फोन नंबर मांग लिया।
फिर दो तीन दिन बाद मुझे एक नए नंबर से मेसेज आया जिसमें लिखा था- थैंक्स! मैंने पूछा- कौन? तो उसने कहा- इतना जल्दी भूल गए? मैं समझ गया कि हो ना हो, ये वही ट्रेन में मिली बुर्के वाली सानिया ही है।
फिर थोड़े दिन मेसेज से सामान्य बातें होती रही. तो एक दिन जब मुझे ठीक लगा मैंने सानिया से पूछ ही लिया- मैंने उस दिन ट्रेन में जो भी किया तुम्हारे साथ… तो तुम्हें वो बुरा लगा था क्या? मेरे इस मेसेज से फिर 2 दिन तक सानिया का कोई जवाब नहीं आया।
फिर तीसरे उसका मेसेज आया- गुड मॉर्निंग! तो मैंने फिर वही बात पूछ ली. तो उसने थोड़ा गुस्सा दिखाया और कहा- आपको किसी अनजान औरत के साथ ऎसी हरकत नहीं करनी चाहिए थी। तो मैंने सानिया को सॉरी लिखा और नार्मल बात करने लगा।
उसने बातों बातों में मुझे बताया कि उसका निकाह हुआ था पर दो साल में ही उसके बेवड़े पति ने उसे छोड़ दिया और कैसे वो अब अपनी बहन व अपने जीजा जी के साथ रहती है।
मैं जब भी कोई सेक्स से सम्बंधित या उसकी तन्हाई के बारे में पूछता हूँ तो सानिया थोड़ा गुस्सा सी हो जाती है, पर अगले दिन खुद ही मेसेज कर लेती है। यानि कि नाराज भी हो जाती है और बात भी खुद ही करती है।
उसने अपना घर का एड्रेस भी बताया जो मेरे रहने की जगह से थोड़ी दूर ही है पुणे में।
वो भी अच्छे से मेरे इरादे जानती है, और मैंने भी अपने इरादे शुरू से ही उसे दिखा ही रखे हैं, उसे मेरे इन इरादों से परहेज भी है पर दूसरी तरफ मुझे खुद ही मेसेज करती हैं। अब मेरी समझ में यह नहीं आ रहा कि मुझे क्या करना चाहिए। मुझे किसी बहाने से उसके नजदीक जाना चाहिए या नहीं। मुझे समझ नहीं आ रहा कि आखिर वो मुझसे चाहती क्या है।
मुझे पता है कि यहाँ अन्तर्वासना साईट के पाठक और मेरे साथी बहुत अनुभवी हैं इन मामलो में और वो सब मुझे सही सलाह देंगे। तो दोस्तो व महिला मित्रो, मुझे आपकी सलाह का मेल में इंतज़ार रहेगा और किस्मत ने सही साथ दिया तो बहुत जल्द आपके साथ शेयर करूँगा अगर मुझे सानिया की हसीं जवानी के दर्शन हुए तो।
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