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मेरा नाम मधु शर्मा है, छोटे मोटे कस्बे में रहने वाली सीधी सादी एक अच्छी लड़की, पूरे मुहल्ले के लोग नेक और सीधी कहते हैं मगर मैं ही जानती हूँ कि कितनी सीधी हूँ मैं… मुझे भी चुदाई की बातें कहने और सुनने का मन होता कभी कभी रास्ते में लड़कों को देख भी लेती और सोचती कितना दमदार लड़का है… काश, ये ही चोद देता मुझको तो मन को तृप्त कर लेती! कभी पास की भाभी के पास ऐसे ही समय जाती जब वो सेक्स करती होती… मेरे को उनकी एक एक हरकत का पता होता कि कौन सी भाभी के साथ इस वक्त कौन मजे कर रहा है।
इसी तरह दिन कट रहे थे. जब भी जाती भाभी के पास… तो मैं उनकी सेक्स भारी बातें सुनने की कोशिश करती, वो कहती- तू सीधी सादी है री… अभी तेरा वक्त नहीं आया ये बातें सुनने का! यह कह कर भगा देती. मगर मैं उनकी बातें सुना करती थी।
मेरे स्कूल जाने के रास्ते में एक तालाब पड़ता था, मैं चलती तो अक्सर उधर जरूर नजर रहती कि कौन नहा रहा है. सुबह को तो अक्सर शौच के लिए तालाब के पास किनारे पर लड़के, मर्द बैठते रहते तो जब वहां से निकलती तो एक आध बार कोई ना कोई लंड जरूर देख लेती… लंबे, काले, मोटे, गोरे सभी देखती और मजे लेने लगी। मैं 12वीं कक्षा में थी कि बगल के एक लड़के से टांका फिट हो गया और हम दोनों मौका देख चौका मारने लगे. मैं उस की दीवानी हो चुकी थी, अक्सर पढ़ने जाने के बहाने उसके घर जाती और ऐश करने लगी, वो काफी देर तक मेरे मम्मों को मसलता, चूत सहलाता और अपने हाथों से ही मेरा माल गिरा डालता और मैं शांत हो कर अपने घर वापस आ जाती.
काफी समय तक ऐसा ही चलता रहा मगर तो मुझे तो लंड से चुदाई का मजा लेना था. और एक बात… मैं आपको बता दूँ… मेरी चूत चुदाई की पहली रात वो थी जब मेरे मोहल्ले में पास के एक घर में मैं वी सी आर पर वीडियो फिल्म देखने के लिए घर से बाहर गयी थी तो मेरे मकान मालिक का लड़का मेरे को बहला फुसला कर ऊपर छत पर ले गया था, वहाँ उसने मेरी चुदाई करने की कोशिश की थी, उस वक्त मुझे काफी दर्द हुआ था पर मुझे मजा नहीं आया था, उस माँ के लौड़े को लड़की चोदनी ही नहीं आती थी शायद!
उस बात को बीते तो कई महीने हो चुके थे, और अब फिर मेरा लंड का लेने का मन करने लगा था. तो मैंने उस बगल वाले लड़के, जिससे मेरा टांका फिट हो गया था, को अपने घर के पास एक सूने पड़े मकान में शाम को बुलवाया और वो तैयार हो गया. हम दोनों शाम का इंतजार करने लगे, अंधेरा हो गया और मैं अपनी स्कर्ट और शर्ट पहन कर ऊपर एक शाल ओढ़ ली और वहीं उस मकान के आस पास घूमने लगी. तभी मैंने उसको आते देख लिया और दौड़ कर मकान के अंदर चली गई.
काफी देर इंतजार के बाद वो धीरे से अंदर आया और मेरे सीने से लिपट गया और मेरे एक एक कपड़े को खोल कर उतारने लगा. मैंने भी उसे पूरा नंगा कर दिया और एक शाल के अंदर दोनों अपने जिस्म को गर्म करने लगे. दोनों ही एक दूसरे के सेक्स अंग यानि चूत और लंड सहलाने लगे.
फिर उसने मेरी चूत के पास लंड लाकर घिसना शुरू कर दिया. मैं नखरे करने लगी- नहीं, ये पाप है, मैं चुदाई नहीं कराऊँगी. मगर मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे कि आज पूरा चुदाई का मजा लूंगी!
उसने अपने लंड को बीच में रखा और मैंने घबराहट, उत्तेजना और जोश के मारे गहरी सांस ली, उसने एक हल्का सा धक्का मार दिया, लंड का ज़रा सा हिस्सा मेरी चूत के अंदर चला गया. वो मेरे से लिपट गया और मैं कांप उठी, वो भी गर्म गर्म साँसें भरते हुए मेरी चूत में धक्के मारने लगा, उसका पूरा लंड मेरी चूत में घुस गया, मैं भी मजे से चुदाई कराने लगी क्योंकि अपनी चूत तो मैंने उंगली, पेन्सिल, पेन और मूली गाजर डाल डाल कर खुली कर रखी थी. इसलिए दर्द का नाम नहीं था. उसने मुझे बड़े प्यार से चोदा, मुझे बहुत मजा आया. काफी देर तक वो मुझे चोदता रहा और उसके बाद हम दोनों शांत हो कर दूसरे को किस करने लगे. और फिर कपड़े पहन कर एक एक करके उस सूने घर से बाहर आ गये.
अब क्या था… हम दोनों समय का उपयोग मौक़ा मिलते ही मन मुताबिक करने लगे, कभी उस सूने घर में तो कभी कहीं और कोई जगह देख कर मैं चुत चुदाई का सुख लेने लगी उसी लड़के से!
इसी दौरान मैं चर्चा में आ गयी आखिर ये बातें छिपती तो है नहीं… और मेरे बाप ने मेरी शादी बिरादरी में कर दी।
लेकिन कुछ महीनों में ही मेरे पति से मेरी अनबन होने लगी, हमारे बीच झगड़े होने लगे, हालांकि वो भी मेरी चुत चुदाई ठीक ठाक कर देता था, लेकिन मैं झगड़ कर अपने घर वापस आ गई और घर में ही सारा समय बिताने लगी. मेरे साथ कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा था, मेरी चुदाई नहीं हो रही थी. मैं कामुकता वश चुत में उंगली करती, लेकिन लंड का स्वाद जिस चुत ने चख लिया हो, उसे उंगली से क्या मजा मिलता!
इसी दौरान मेरी मां की सहेली अपने पति के साथ हमारे शहर में घूमने आयी. वो पहली बार आई थी, माँ ने उनका परिचय मुझसे कराया और मेरी उनसे दोस्ती हो गई. मैं उन्हें मौसी और अंकल कहने लगी. मौसी के कोई बच्चे नहीं थे, शादी को करीब 8 साल हो चुके थे, अंकल एक फैक्टरी में काम करते थे.
मेरी मां ने मेरी अब तक की पूरी कहानी अपनी सहेली को बता डाली. उसने कहा- कोई बात नहीं, हम इसका इंतजाम करते हैं. क्यों ना तू इसे मेरे घर भेज दे, ताकि इसका माहौल भी बदल जायेगा और शायद कुछ हल निकल जाये!
मां अपनी सहेली की बात मान गई. मेरी इच्छा भी थी कि मेरी जिन्दगी में कुछ बदलाव हो. और हम उनके शहर के लिए निकल पड़े. लेकिन उनके पास ट्रेन में केवल दो का ही रिजर्वेशन था. उन्होंने टिकट लेकर मुझे अपने साथ बैठा लिया. पूरे 24 घंटे का सफर था, हम नीचे और बीच की सीट मिल थी हम तीनों बैठ कर सफर करने लगे, काफी बातें होने लगी, अंकल मजाक करते और हंसाते… मुझे मन ही मन अंकल अच्छे लगाने लगे और बातें होते हुए सफर कटने लगा. शाम हो गई थी, सब अपनी अपनी सीट पर बैठे थे, थोड़ी देर में सब खाना खा कर सोने लगे, ठंड बढ़ने लगी. हमारे पास दो ही कंबल थे, एक को मौसी ने अपने पैरों से लेकर ओढ़ लिया और मौसा जी ने दूसरे कम्बल को पाने ऊपर ओढ़ लिया और कुछ मुझे दे दिया.
मैं खिड़की के पास बैठी, मौसी ने अपने पैर लम्बे करके अपना सर मौसा की गोद में रख लिया और कंबल ओढ़ लिया. थोड़ी देर बाद ही ट्रेन की लाईट आफ होने लगी और ठंड बढ़ने लगी.
तभी मुझे ऐसा लगा कि मौसी का सर हिलने लगा है, मैंने एक बार देखा तो समझ गई कि मौसी ने मौसा का लंड अपने मुख में ले रखा है और धीरे धीरे उसे चूस रही थी. मौसा जी पूरे गर्म होकर मेरे से चिपक गये और उनके सांसें तेज होकर चलने लगी, मुझसे चिपके होने से मुझे मौसा के गर्म होने का अहसास हो रहा था इसी लिए मैं उनके सीने से अपने पीठ को सटा लिया और अंकल का हाथ मेरे बगल से होता हुआ मेरे मम्मों को टच करने लगा.
मैं अपने को बचाने के बजाय और मस्त होने लगी, उनकी हिम्मत थी, वो मेरे चूचों को छू रहे थे, और कुछ मेरी चुप्पी ने मौसा को आगे बढ़ने दिया. कुछ मिनट बाद ही मौसा मेरी शर्ट के बटन को खोलने लगे और ऊपर के बटन खोल अंदर हाथ डाल कर मेरे चूचों को सहलाने लगे. मुझे ऐसे लगा जैसा वाकयी किसी मर्द का हाथ है. मेरे पूरे चूचे उनकी हथेली में थे, जिन्हें बारी बारी से वो दबा कर मस्त करने लगे. मेरी आँखें गर्म और सुर्ख होने लगी, होंठ कामुकता से सूखने लगे और मेरी प्यासी चुत में पानी उतरने लगा. काफी समय बाद किसी मर्द ने मेरे चूचों को निचोड़ा था.
मेरे हाथ एक एक नीचे सरक गये और मैं अपनी चुत को सहलाने लगी जो गीली और चिपचिपी हो चली थी. तभी मौसा का शरीर झटके मारने लगा और मौसा जी ने मेरी चुची को कस कर पकड़ लिया, मैं समझ गई कि मौसी ने पूरा लंड अपने मुंह के अंदर ले लिया है और मौसा जी के लंड का माल निकल गया है. हम तीनों में से एक शांत हो चुका था। थोड़ा ही सही मगर दिल का सुकून मिल गया जो रात काटने के लिए काफी था।
अगली सुबह हम घर आ गये. घर बहुत सुन्दर था, उसके पड़ोस से लगा एक मकान और था जिसमें एक लड़का किराये पर रह रहा था.
सुबह मौसा काम में चले गये, हम लोग अपने काम में लग गये. मौसी कपड़े लेकर छत में चली गई और मुझे कहा- तुम नीचे काम कर लो, मैं ऊपर से आती हूँ. मैं काफी देर बाद ऊपर जाने लगी तभी कपड़ों के बीच मौसी किसी से बातें कर रही थी.
मैं वहीं रूक गई और देखा तो दंग रह गई, उनकी बातें सुनने लगी. मौसी एक पतली सी साड़ी के पीछे मुझे दिखाई दे रही थी, वो बोली- रोहण, कितना तड़पी हूँ तुम्हारे बिना! साला मन ही नहीं लग रहा था, बार बार तुम्हारा प्यार याद आ रहा था. मैंने कैसे बिताये हैं तुम्हारे बिना पूरे 20 दिन… मैं ही जानती हूँ. “हाँ रानी, मैं भी तड़प रहा था तुम्हारे लिए!” यह कहते हुए रोहण ने गाउन नीचे गिरा दिया, साड़ी के पतले कपड़े से मौसी का भरा हुआ बदन दिखलाई दे रहा था. रोहण का हाथ मौसी के मम्मों का दबा दबा कर सहला रहा था. वो मजा लेने लगी, फिर थोड़ी ही देर में मौसी आगे की ओर झुकी, वो उसके पीछे से लंड डाल कर मौसी चोदाई करने लगा.
मौसी- हहह आहह रोहण… कितना तड़पाते हो! रोहण आज तो जी भर कर चुदाई करवाऊँगी! कर दो शांत मेरे मन को! “हां रानी, तुम कितना अच्छा चुदाई कराती हो! मजा आ जाता है!” “हह हाँ… और करो और हइ इइ इइइइ आह… बस बस रोहण, बस करो!”
तभी मौसी खड़ी हो गई, रोहण अपने दोनों हाथों से मेरी मौसी के मम्मों को सहलाने लगा, दोनों आपस में चुम्बन करने लगे.
रोहण ने फिर से मौसी को झुका कर मौसी की चुत में अपना लंड पेल दिया और चोदा चोदी फिर से शुरू हो गई. बड़ी स्पीड से चुदाई हो रही थी, देख देख कर मेरा हाल बुरा होने लगा. मौसी की गांड पतले कपड़े से साफ दिखलाई दे रही थी, रोहण खींच खींच कर चुदाई कर रहा था.
तभी मौसी सिसकारियां भरने लगी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… हाँ… हाँ… बस बस… रोहण बस… हो गया… और थोड़ी देर और… बस मैं झड़ जाऊँगी! और ऐसा ही हुआ, थोड़े धक्के खाने के बाद मौसी शांत हो गई और मैं वापस नीचे आ गयी।
कुछ देर में मौसी नीचे आयी, उसका चेहरा मुस्कुराहट से भरा था मानो तृप्त हो चुकी हो. मैं उसे देख रही थी, बड़ी शांत और खुश थी, मुझे समझ आ गया कि काफी देर की चुदाई के बाद कैसा महसूस होता है. मैं देख रही थी कि मौसी का चेहरा पूरा खिला चुका था। मैंने मन में सोचा कि काश मुझे रोहण मिल जाये!
तभी मैंने मौसी से पूछा- काम हो गया? मौसी सकपका गई- कौन सा काम? मौसी के वहीं उसके तोते उड़ गये।
“मैं ऊपर गई थी।” “तूने क्या देखा? बता?” मैं चुप रही तो मौसी समझ गई कि मैंने मौसी को चुदते हुए देख लिया है. फिर वो टूट गई- क्या करूँ… पति के पास समय नहीं है, वो अपने काम में लगा रहता है, कभी देखता भी नहीं कि मुझे भी इसकी जरूरत है या नहीं, अपना काम करता है, माल झाड़ कर चलता बनता है. मैं काफी दुखी थी, फिर एक दिन रोहण ने मेरा साथ दिया और जवान मर्द से चुदने का सुख ही कुछ और होता है. मैंने अपना पूरा प्यार, जो पति को देना था, रोहण को दिया. उसी ने मुझे लंड चूसने की आदत लगाई, क्या स्टाइल से चुदाई करता है, मेरे को खुश करता है. मैं भी उसकी हर बात मानती हूँ. इसी लिए हम आज अच्छे दोस्त है जो एक दूसरे की खुशियों का ध्यान रखते हैं। तभी मौसी ने कहा- तू ये बात किसी को मत बताना प्लीज! मैं चुप थी.
फिर मौसी ने बात बदल दी और मेरे पीछे की जीवन को कुदरने लगी- खैर बता तेरा काम कैसे चलता है? मैं फिर चुप थी तो मौसी समझा गई कि मेरी चुत चुदाई काफी अरसे से नहीं हुई है. मौसी बोली- चल ये सब छोड़… हम अब कुछ नया करेंगे!
और मौसी ने मुझे अपने कपड़े दिये टॉप और लैगी… ये कपड़े मैंने कभी नहीं पहने थे, शादी से पहले साड़ी और सूट पहनती थी, शादी के बाद सिर्फ साड़ी… पति से अलग होने के बाद भी सिर्फ साड़ी ही पहनती थी मैं! मैं शर्मा कर बोली- ये कपड़े? ना बाबा ना! मौसी- क्या हुआ? इसी को पहन मार्डन बनगी.. तभी तो लौड़े आयेंगे तेरे पास! फिर किसी को अपना बना लेना! मैं नहीं नहीं कहती रही, मौसी बोली- जैसे मैं कहती हूँ, वैसा कर… फिर देख! और जबरन मुझे वे कपड़े पहनाने लगी. मैंने पहन कर देखा तो वो टॉप और लेगी बड़े टाईट और कसे हुए आये थे मेरे गदराये बदन पर… मेरे मम्मों का उभार काफी बड़ा दिखाई दे रहा था, लेगी से गांड कसी हुई थी. मेरे को देख कर मौसी बोली- वाह… क्या सुन्दर सेक्सी दिख रही है यार! चल अब से ऐसे ही मॉडल सी बन कर रहा कर!
अगले दिन मौसी ने मुझे बड़े प्यार से तैयार कराया, अपना गाऊन मुझे दिया, पतले से झीने कपडे का गाऊँ था, मैंने उसे पहना. कितना टाईट था वो गाउन, मेरे मम्मे पूरे तने हुऐ अलग अलग से उठे हुए दिखने लगे, अंदर का सब माल दिख रहा था तो शर्मा कर मैंने अंदर के कपड़े पहनने चाहे तो मौसी ने मना कर दिया- रहने दे ना… इसमें कितनी सुन्दर लग रही है तू… मानो परी के समान! चल तेरे को कुछ दिखाती हूँ!
और अपना कमरा लॉक कर मौसी मुझे रोहण में कमरे में ले गई, उसने आवाज लगार्ई- रोहण… कहां हो? देखो कौन आया है तेरे पास! “ओ माई गाड… कितनी सुन्दर दिख रही है यार ये तो! दिल में आग लगा दी! ऐसा मन कर रहा है कि अभी पकड़ कर इसे प्यार कर लूं!” मौसी- नहीं तो क्या देखने के लिए लाई हूँ तेरे पास? वो उठा और अपना हाथ आगे किया, मैंने भी हलो कहा.
“क्या यार, सूखा सूखा हलो? कुछ तो करो स्पेशल यार!” मौसी बोली- यार, ये बेचारी काफी दिन से चुदी नहीं है और ना लंड नहीं लिया है, बेचारी को जरा मजा करा दे!
रोहण बोला- क्यों नहीं, आपकी बात कौन टाल सकता है! कह कर रोहण ने अपनी बाँहें फैलाई, मौसी ने मेरे को धक्का मार दिया, मैं सीधे उसकी बांहों में समा गई और रोहण कस कर मेरे बदन को दबाने लगा. मैं मना करने लगी, मगर दोनों नहीं माने, रोहण ने गाऊन के ऊपर से सहलाना शुरू कर दिया. मैं शर्म से बोलने लगी- नहीं नहीं रोहण… ना करो ना!
रोहण बोला- मेरी प्यारी मधु रानी, इन्होंने सब बता दिया मुझे तुम्हारे बारे में! यह कहते हुए रोहण ने अपने बनियान और पैन्ट निकाल दी. रोहण के अंडरवियर में मुझे कितना बड़ा लंड मोटा सा सामने ही दिखाई दिया तो मैं सहम गई- ओ मां… आज मैं नहीं बचूँगी! ये तो मुझे चोद के ही छोड़ेगा!
मैं यही सोच रही थी कि रोहण मुझे अपनी बांहों में लेकर किस करने लगा, मेरे मम्मों सहलाने लगा. उधर मौसी कमरे का बाहर से दरवाजा बंद कर निकल गई.
उसके और मेरे सिवाय कोई नहीं था, रोहण मेरे कपड़े उतारने लगा, एक पल में हम नंगे खड़े एक दूसरे के आगोश में समाने लगे, वो मेरे बदन पर हर जगह किस करने लगा, मैं भी उसके नंगे बदन के हर भाग को चूमने लगी. हम दोनों काफी गर्म हो चुके थे.
तभी रोहण ने अपना अंडरवीयर उतारा और अपने लंड को मेरी चुत के पास लाया, मैं सकपकाने लगी ‘कितना लंबा और मोटा था! अब तक का सबसे मोटा और लंबा लंड था’ मैं चुपचाप उसके अंगों से खेल रही थी.
तभी उसने मुझे अपनी ओर खींचा और लंड मेरी चुत को चीरता हुआ मेरे अंदर समाने लगा. मैं जोर से चीख उठी- आइई इइइइ उइई… उम्म्ह… अहह… हय… याह… अअह रोहण निकालो इसे… ये काफी बड़ा है, सहन नहीं हो रहा! तभी मौसी अंदर आ गई- क्या हुआ? मौसी ने देखा कि रोहण का लंड मेरी चूत के अंदर आधा घुस चुका था, मौसी ने मेरे पीछे खड़ी होकर दोनों हाथों से मुझे पकड़ लिया और बोली- क्या यार रोहण, और कितना तड़पाओगे मधु को! पूरा डाल दो ना यार! अब किस बात का इंतजार कर रहा है? और रोहण ने पूरा लंड मेरी चूत के अंदर डाल दिया.
मैं कांपने लगी पूरा बदन कंरट दौड़ने लगा और वो धक्के मारने लगा, लंड को अंदर बाहर करता हुआ चुदाई करने लगा. मैंने कल्पना भी नहीं की थी ऐसी… अब मजा आ रहा था, मौसी मेरे बदन को सहला रही थी.
जब मैं आराम से चूत चुदाई करवाने लगी तो मौसी हमें छोड़ कर बाहर निकल गई. अब मैं भी रोहण का पूरा साथ देने लगी और मजा लेते हुए धक्का मार कर चुदाई का मजा दुगना कर रही थी. रोहण मैं दोनों काफी खुश थे। तभी रोहण ने स्पीड बढ़ा दी और वो अपना पूरा माल मेरी चुट में गिराने लगा. मैं भी झड़ने ही वाली थी, मैंने भी नीचे से एक दो बार झटका मारा, मैं भी शांत होने लगी.
हम दोनों वैसे ही चिपके एक दूसरे की गर्मी को शांत करने लगे। कुछ ही देर मे मैंने अपना गाऊन ठीक कर लिया.
और तभी मौसी अंदर आयी तो मैं उससे लिपट गई. उसने कहा- मजा आया? वो मेरे पीठ में अपना हाथ फेर रही थी. अब मेरी मासी मेरे लबों पर फैली मुस्कराहट देख कर समझ गई कि मुझे काफी आंनद आया था।
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