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नमस्कार दोस्तो, मुझे मेरी पहली पोर्न हिंदी कहानी गुलाम बन के चुदक्कड़ देसी लड़की को चोदा के बाद कई जवाब मिले लेकिन कई लोगों को मेरी कहानी पसंद नहीं आयी, चलो कोई बात नहीं लेकिन मैं बता दूं कि मुझे लड़कियों स्लेव यानि गुलाम बनना पसंद है। अब अगली कहानी पर आता हूं।
उस दिन से मैं शिवानी का गुलाम बन चुका था। उसके गांव में चाचा का कमरा था जो हमेशा खाली रहता था, वो मुझे वहाँ ले जाती और अपनी चूत देकर मुझसे कई दूसरे मजे ले लेती।
शिवानी की एक सहेली थी जिसका नाम सीमा था, वो साइज में मुझसे छोटी थी। आप तो जानते ही है छोटी लड़की को गोदी में उचका के चोदने में कितना मजा आता है। सीमा ने अभी जवानी की दहलीज पर कदम रखा ही था, मैंने अभी तक किसी की सील नहीं तोड़ी थी और मैं सीमा को चोदना चाहता था। मैंने इस बारे में शिवानी से कहा तो उसने कहा कि वो उसे कमरे तक ला सकती है लेकिन चूत चोदन के लिए मुझे उसे खुद मनाना होगा। मैंने सोचा कि कोशिश करने में क्या हर्ज है, मैं एक बार प्रयत्न करने को तैयार था।
उसके बाद शिवानी ने फिर मुझसे कहा- पहले तुम्हें मेरी एक और बात माननी होगी। मैंने कहा- मैं तो तुम्हारा गुलाम हूँ, ही तुम्हारा गूं तक तो खा चुका हूं, और क्या करवाना है? उसने कहा- आज कुछ नया करतब ट्राय करते हैं।
उसने मेरे दोनों हाथ मेरी पीठ के पीछे करके अपने दुपट्टे से बांध दिये और अपने कपड़े उतारने लगी, उसने अपनी पहनी हुई कच्छी निकाली और पानी में भिगो कर लायी। फिर उसने पानी में भीगी हुई कच्छी को मेरे मुंह में निचोड़ दिया। वाह… मैं सोच रहा था कि उस कच्ची में शिवानी ने पादा होगा, गांड धोती होगी तो वो पानी भी कच्छी में लग जाता होगा। ये सब मेरे मुंह में जा रहा है. यह सोच कर मैं उत्तेजित हो गया और मेरा लंड खड़ा हो गया, उसके बाद हमने चुदाई की।
असल में तो मुझे इंतजार था शिवानी की सहेली सीमा का जो जल्द ही ख़त्म भी हो गया।
सीमा बहुत ही सीधी लड़की थी, देखने में बहुत सुंदर तो नहीं लेकिन चोदने के लिये ठीक थी। टीचर्स डे वाले दिन स्टूडेंट्स की रैली निकलने वाली थी, शिवानी ने सीमा को रैली में जाने के लिए मना लिया लेकिन उसे अपने चाचा के कमरे पर ले आयी।
मैं भी थोड़ी देर बाद घूमते हुए वहीं आ गया, सीमा ने मुझे देखा तो वो मुझसे पूछने लगी- तुम यहाँ कैसे? तो शिवानी ने मेरा परिचय देते हुए कहा- ये मेरा दोस्त है। फिर हम दोनों कॉलेज की बातें करने लगे। उस दिन वहां कुछ ख़ास नहीं हुआ.
उसके बाद से वो जब कॉलेज आती तो मैं उसे देखता रहता, उसने भी ये नोटिस किया। कॉलेज में अब मैं उससे थोड़ी बात भी करने लगा था। फिर मुझे लगा वो भी मुझे कुछ देखने लगी है. यह बात मैंने शिवानी से कही तो उसने सीमा से पूछा- क्या तुम अजय को पसंद करती हो? तो सीमा ने हां में उत्तर दिया।
शिवानी ने सीमा का जवाब मुझे बताया तो मेरी ख़ुशी का तो कोई ठिकाना नहीं था, उसको याद करके मैंने तीन बार हिलाया।
अब हम लोग यानि सीमा और मैं एक दूसरे से मिलने लगे थे। मैं अक्सर उसे किस कर देता, चूची दबा देता लेकिन इसके आगे वो कुछ करने नहीं देती थी और मुझे अपने लंड की प्यास शिवानी से ही बुझानी पड़ती थी।
एक दिन हम तीनों गाँव वाले कमरे पर गए और शिवानी हमें अकेला छोड़ कर चली गयी। मैंने सीमा को दबोच लिया और किस करते हुए चूचियाँ दबाने लगा, मैंने उसकी सलवार के ऊपर से ही उसकी कुंवारी बुर में अपनी एक उंगली धंसा दी, सीमा के मुंह से कामुक सी आह निकली। लेकिन मैं रुकने के मूड में नहीं था और मैं सलवार के ऊपर से ही सीमा की बुर में उंगली करता रहा. सीमा को भी इस खेल में मजा आ रहा था तो उसने मुझे बुर में उंगली करने से नहीं रोका.
फिर थोड़ी देर बाद मैंने सीमा की सलवार का नाड़ा एक झटके से खोल दिया, उसकी सलवार सरसरा के नीचे गीर गयी, उसकी कच्छी बुर वाली जगह पर भीगी हुई थी, मैंने उस जगह को सूंघ कर सीमा की कच्छी उतार दी और उसकी चूत चाटने लगा।
अब वो अपने मुंह से तो ‘नहीं नहीं…’ कर रही थी लेकिन साथ ही मेरा सिर चूत में दबा भी रही थी क्योंकि उसको मेरे ऐसा करने से बहुत मजा आ रहा था. कुछ ही देर में सीमा की अनचुदी बुर ने पानी छोड़ दिया। उसने उंगली चोदन का पूरा मजा लिया था.
अब मैंने भी अपना लंड निकाल कर सीमा से चूस कर मुझे मजा देने को कहा तो उसने पहले अपनी कच्छी ऊपर कर ली और फिर मेरा लंड चूसने से मना करने लगी। मैंने कहा- अब ये खड़ा हो गया है, इसे शांत कर! मैंने भी तो तुझे मजा दिया है! तो उसने कहा कि वो चुदवायेगी नहीं… लेकिन अपने हाथ से मेरी मुठ मार देगी.
मैंने भी सोचा कि चलो, सीमा चूत बाद में चोद लेंगे, अभी जो कुछ मिल रहा है उसे तो ले लूँ।
उसने अपने हाथ से मेरा लंड हिलाना शुरू किया, जब मेरा पानी निकलने वाला था तब मैंने उसकी कच्छी का इलास्टिक खींच कर उसकी कच्छी के अंदर ही अपना पानी निकाल दिया। फिर हम दोनों ने अपने अपने कपड़े पहन लिये और फिर से चूमा चाटी करने लगे.
थोड़ी देर बाद शिवानी भी वहां आ गयी। सीमा को मेरे और शिवानी के बीच के सेक्स के रिश्ते के बारे में कुछ नहीं पता था।
कुछ दिनों बाद कॉलेज का टूर लखनऊ जा रहा था। यह मेरे लिए एक अच्छा मौका था, टूर के बहाने कहीं और जाने का… मैंने अपना आईडिया सीमा को बताया और उसे टूअर के नाम पर कहीं और घूमने जाने को राज़ी कर लिया।
हमने अपने घर से कॉलेज टूर के लिए पैसे लिए और घर से कुछ खाने पीने का सामान ले कर गांव के कमरे पर पहुँच गये. अब तो मैंने पक्का सोच लिया था कि आज इस सीमा की अनचुदी बुर को चोद कर ही छोडूंगा।
उस दिन वो बहुत ही सुन्दर नीले रंग का सलवार सूट पहन कर आयी थी, मैंने सोच लिया था आज तो ये पूरा सूट उतार के सीमा को नंगी ही कर दूंगा।
हम लोग एक दूसरे को देख रहे थे, मैंने उसे प्यार से अपने गले लगा लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर चुम्बन करने लगा. उसकी बेचैनी से मुझे महसूस हो रहा था कि उसे इस चुम्बन में मजा आ रहा है. मैंने अपने हाथ उसके वक्ष पर रख दिए और सीमा के छोटे छोटे उभारों को सहलाने लगा, हम दोनों की वासना उफान लेने लगी तो फिर प्यार में डूब कर हम दोनों ने अपने अपने कपड़े उतार दिए।
मैंने सीमा को मेरा लंड चूसने को कहा तो उसने कहा कि वो चूस लेगी लेकिन सेक्स नहीं करेगी. मुझे गुस्सा आ गया लेकिन मैंने अपना गुस्सा दबा लिया और अपना लंड उसके मुंह में डाल कर आगे पीछे करने लगा. वो कुछ कह नहीं पा रही थी, बस गू गू कर रही थी. मैंने आनन्द के वशीभूत होकर कहा उसे कहा- सीमा रानी… आज तो तू जरूर चुदेगी साली! तूने बहुत तड़पाया है मुझे। प्यार से चुद जा यार! वो मेरी बात सुन कर एकदम से शॉक रह गयी। उसने कहा- प्लीज ऐसा मत करना, मुझे चोदो मत! मुझे डर लगता है, कहते हैं कि सेक्स करने में बहुत दर्द होता है लड़की को! मैंने कहा- डर छोड़ दो… बस एक बार थोड़ा सा दर्द होगा उसके बाद तू ही कहेगी कि मुझे चोद दो।
मेरा लंड खड़ा हो चुका था मैंने उसकी टाँगें फ़ैलाने की कोशिश की लेकिन वो अपने हाथ से अपनी चूत छुपा रही थी। फिर मैंने उसे अच्छे से समझाया तो वो डरते डरते मेरा लंड अपनी चूत में डलवाने को मानी.
मैंने उसे कुतिया की तरह अपने हाथों और घुटनों पर खडी होने को कहा और मैं पीछे से उसकी बुर में लंड डालने की कोशिश करने लगा लेकिन मेरा लंड उसकी सील बंद बुर में नहीं घुसा और उसके मुंह से हल्की सी सिसकारी निकली। फिर मैंने कई बार कोशिश की लेकिन उसकी बुर कसी हुई थी. इसका इलाज भी था मेरे पास… मुझे पहले ही पता था कि ऐसा होगा, मैं अपने साथ लिए नारियल के तेल की शीशी लाया था. मैंने बैग से नारियल का तेल निकाला और अपने लंड और उसकी बुर पर लगाया और उसकी चूत में उंगली डालनी शुरू की, फिर धीरे धीरे वो सिसकारियां भरने लगी, उसे मजा आ रहा था.
मैंने फिर अपना लण्ड पूरी ताकत के साथ उसकी कुंवारी बुर में डाल दिया, वो बहुत ही जोर से चीखी लेकिन मैंने इसकी परवाह न करते हुए कई धक्के लगा दिए। उस बुर की सील टूट गयी थी, वो लगभग अधमरी से हो गयी थी, कुतिया वाली पोजीशन की वजह से हर धक्के के बाद वो आगे की तरफ गिर जाती. मैंने फिर उसे उठा कर बिस्तर पे लेटा दिया और उसके ऊपर आकर उसे चोदने लगा. मैंने उसकी चूचियों को काट कर अपने दाँत के निशान बना दिए।
करीब 10 मिनट चोदने के बाद उसका पानी निकल गया। मेरा पानी भी निकलने वाला था जो मैंने उसकी चूत में ही निकाल दिया।
मैंने फिर उसकी चूत में से अपना लंड निकाला तो मेरे लंड पर खून लगा हुआ था, उसकी सील टूट चुकी थी। खून देख कर उसने रोनी सूरत बना कर कहा- तुमने आज मेरी इज़्ज़त ले ली है, अब मैं किसी को मुँह दिखने लायक नहीं रही। मैंने कहा- मैं तो तुमसे प्यार करता हूँ, अभी करते या बाद में… क्या फर्क पड़ता है। यह सुन कर वो थोड़ा शांत हुई।
फिर मैंने अपने बैग से एक छोटा तौलिया निकाला और उसकी चूत को प्यार से साफ़ किया, फिर अपने लंड को भी उसी तौलिये से पौंछा. कुछ देर बाद उसने खुद अपनी चूत एक बार दोबारा साफ़ की और कपड़े पहनने लगी. तो मैंने उसे रोक दिया, मैंने कहा- अभी एक बार और करेंगे. दोबारा चुदाई की बात सोच कर ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया।
सीमा मेरा खड़ा लंड देख कर बोली- अभी भी तुम्हारा मन नहीं भरा, अब सील तो तोड़ ही चुके हो तो इन्जार क्यों कर रहे हो, फिर चोद लो। मैंने उसे अपनी बाँहों में उठाया और बिस्तर पर ले जा कर लेटा दिया, उसकी टांगें मैंने ऊपर की ओर उठवाई और अपना लंड उसकी ताजी फटी चूत पर रगड़ने लगा. इससे उसे दर्द होने लगा, वो दोबारा चुदवाने से मना करने लगी. तो मैंने भी जिद नहीं की लेकिन उसे कहा- यार तू मेरा लंड चूस कर ही इसे शांत कर दे. वो बोली- ये अभी गंदा है. मैं इसे साफ़ किये बिना मुंह में नहीं लूंगी.
मेरे बैग में पानी की बोतल थी, मैंने सीमा को कहा- बैग में से पानी की बोतल निकाल कर इसे धो ले! लेकिन उसने बोतल निकाल कर तौलिया गीला करके उससे मेरा लंड पौंछ कर ही मुंह में ले लिया और चूसने लगी. काफी देर बाद मेरा पानी निकलने को था तो मैंने अपना लंड उसके मुख से निकाल लिया और उसे मुठ मरने को कहा. दो तीन मिनट में मेरे लंड ने उसके हाथ में पानी छोड़ दिया.
इसके बाद हम दोनों नंगे ही लेट गए और हमें नींद आ गई. जब हमारी नींद खुली तो शाम हो चुकी थी, थोड़ा अंधेरा हो चुका था. हमने बैग खोल कर खाना पीना किया और अगली चुदाई की तैयारी करने लगे. मैंने उसे लेटाया और चोदना शुरू कर दिया, उसे दर्द भी हो रहा था पर वो भी मजे ले रही थी और कह रही थी- और जोर से… हाँ!
अब मैं जल्दी नहीं झड़ रहा था, करीब बीस मिनट की चुत चुदाई के बाद मैंने फिर से उसकी चूत में अपना वीर्य भर दिया। इस बार वो बहुत खुश लग रही थी।
अब रात होने लगी थी, कॉलेज के टूर की वापिसी का टाइम हो रहा था तो अब हमने अपने अपने घर जाने की सोची. जब वो चलने लगी तो उससे चला ही नहीं जा रहा था. बड़ी मुश्किल से वो अपने घर गई और अगले दिन वो बिस्तर से उठ ही नहीं पायी। यह बात मुझे शिवानी ने बताई थी. शिवानी ने ही उसे दर्द की दवाई और गर्भ रोकने की दवाई दी थी.
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