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मेरी इस हिन्दी सेक्स स्टोरी के पहले भाग चलती ट्रेन में आंटी को चोदा में आपने पढ़ा कि कैसे मेरे दोस्त को ट्रेन में एक परिवार मिला, उसमें आंटी और उनकी दो बेटियाँ, अंकल और एक बेटा थे. ट्रेन में मेरे दोस्त ने आंटी को कैसे चोदा. अब आगे:
दुर्ग स्टेशन पर उतरने के बाद मैं अपने दोस्त कुणाल से मिलने गया तो देखा कि कुणाल आंटी और अंकल उनकी दोनों बेटियों के साथ खूब बतिया रहा है. मुझे देखकर कुणाल ने परिचय कराया- ये है मेरा जिगरी दोस्त, बहुत सीधा सादा मानुष है. छोटी वाली लड़की कल्याणी मेरी तरफ़ देख रही थी उसने पूछा- आप कहां थे? मैंने कहा- मैं दूसरे कोच में था!
सब विदा होने लगे तो फिर से मिलने के लिए कहा और आंटी ने अड्रेस भी दिया. मैंने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया. लेकिन कुणाल तो पक्का चोदू था तो वो कहां मौका जाने देता. हम दोनों अपने अपने घर चले गए.
कुणाल दूसरे दिन कार लेकर आया और चलने को कहा. कुणाल ने मेरी माँ से कह दिया कि आंटी आज रवि दोपहर को घर खाना खाने नहीं आएगा, हो सका तो हम कल सुबह घर वापिस आएंगे.
माँ ने पूछा- कहां जा रहे हो? “आंटी एक छोटी सी पिकनिक है.” माँ ने कहा- ठीक है बेटा, चले जाओ!
हम दोनों कार में बैठ कर चल दिए. मैंने पूछा- हम वास्तव में कहां जा रहे हैं? कुणाल- ट्रेन वाली आंटी के घर. मैंने पूछा- क्यों? तो कुणाल ने जवाब में जबलपुर से दुर्ग तक के सफ़र में, रात 12 बजे से लेकर भोर 4 बजे तक कैसे आंटी ने उसका लंड चूसा और कैसे चुत चुदवाई.. उसने खुद आंटी की चुत कैसे चाटी.. ये सब विस्तार से बताया.
“तो अभी उधर जाकर क्या करना रह गया है?” उसने कहा- अभी जाकर आंटी की बेटी को चोदना बाक़ी है. “कैसे करोगे?” उसने लड़की को चोदने का प्लान बताया.
मैं ये सब जानकर दंग रह गया और पूछा- उनके घर पर ये मुमकिन कैसे होगा? कुणाल- जहां चाह वहां राह.. मैं चुप रहा.
हमने अड्रेस से आंटी का घर खोज लिया और कॉलबेल दबा दी. दरवाजा आंटी ने खोला और बोलीं- अहोभाग्य.. केले वाला मेहमान घर पर आया.. कैसे हो कुणाल?
कुणाल ने घर के अन्दर दाखिल होते हुए ही आंटी के होंठों पर गहरा चुम्मा ले लिया और उसने गाना गाया- आपने बुलाया और हम चले आए… आंटी बोलीं- अभी अभी तुम्हें ही याद कर रही थी मैं!
उनकी बड़ी लड़की कौमुदी आ गई और बोली- मम्मी, तुमने अड्रेस दिया लेकिन फोन नंबर क्यों नहीं लिया था. जब कोई का काम निकल जाता है तो थोड़ी याद करेगा? आंटी- कुणाल एक अच्छा लड़का है.. मुझे भरोसा था कि वो जरूर आएगा, मेरे लिए नहीं तो तेरे लिए जरूर आएगा. कौमुदी ने कहा- ऐसा क्यों? आंटी- कुणाल तुझे चोदना चाहता है इसलिए. कौमुदी- चलो मम्मी, तुम मेरे लिए छोड़ेगी थोड़ी उसे.. पूरा रस तुम निचोड़ लोगी तो हमको क्या मिलेगा? माया आंटी- कुणाल में बहुत दम है बहुत स्टफ है.. वह पाँच पाँच जवान चूत को संतुष्ट सकता है.. मुझे मालूम था कि आज वह जरूर आएगा. कुणाल ने आंटी को किस करते हुए कहा- आपने याद किया तो शैतान हाजिर है आंटी.
सब ठहाका मार कर हंस दिये.
माया ने मेरी तरफ देखा और कहा- यह तुम्हारा वही दोस्त है ना जो स्टेशन में मिला था? कुणाल ने कहा- हां.
मैंने अंकल के बारे में जानने की कोशिश की तो मालूम हुआ कि अंकल, उनके एक दूसरे मकान में रहने चले जाते हैं. हम हॉल में सोफे में बैठे, आंटी चाय बनाने किचन में चली गईं.
कौमुदी कमरे से बाहर आई और कुणाल को देख कर बोली- बहुत याद आ रही थी. वो कुणाल से लिपट कर उसकी गोद में बैठ कर चूमने लगी. उसे मेरे वहां होने का मानो एहसास ही नहीं था. मैं अपनी मौजूदगी दर्ज कराते हुए थोड़ा खांसा तो मुझे देख कर कौमुदी शरमाते हुए गोद से उठ कर बगल में बैठ गई.
कुणाल नॉटी तो था ही उसने कौमुदी के कंधे के ऊपर से हाथ डाल कर उसकी चूची को दबाने लगा और एक पैर कौमुदी के पैर से लिपटाने लगा.
मुझे शरम आने लगी. इतने में आंटी की छोटी बेटी कल्याणी हॉल में आई. उसने हम सबको देखा और चुपचाप आकर मेरी जांघ से जांघ सटा कर बैठ गई और मुझे हाय करके विश किया. “हाय रवि..!” “हाय कैसी हो..” मैंने भी धीरे से विश किया.
आंटी 5 कप चाय के साथ हाल में आईं और सबको चाय दे दी.
इधर उधर की बात करते हुए कुणाल अपने प्रॉजेक्ट में ही लगा था. कभी चूची को दबाता और कभी जांघ पकड़ कर दबा देता, पीछे से चूतड़ को मसल देता.
मैं ये सब देख कर अनदेखा कर रहा था लेकिन कल्याणी तो मुझे गर्म करने में लगी हुई थी. उसने धीरे से अपनी जांघ मेरी जांघ से सटा दी और रगड़ने लगी. वो बोली- रवि चलो मेरे रूम में चलते हैं.. तुमसे मुझे कुछ सीखना है. कुणाल इशारा करके बोला- हां जाओ, उसको कुछ सिखा दो.
मैं भी कमरे में चला गया. अकेलापन पाकर मैंने कल्याणी के नितंब दबाए तो नज़रें मिल गईं. कल्याणी शर्मा गई- तुम हमारे बारे में क्या सोच रहे हो कि कैसे बेशरम लोगों से पाला पड़ा है.. यही ना? मैंने- नहीं कल्याणी. कल्याणी- जब से तुमको देखा, मेरे मन में एक अजीब सा दर्द उठ रहा है. बहन और माँ की चुदाई देख कर मेरे दिल में तुम से चुदवाने की इच्छा जागृत हो गई है. पता नहीं मैं ग़लत हूँ या सही? मैं- नहीं.. तुम तो अच्छी हो. ऐसा बोल कर मैं उससे लिपट कर लिपकिस करने लगा.
कल्याणी नीचे हाथ करके मेरे लंड को टटोलने लगी, बोली- मैंने सुना है कि तुम लड़कों का हथियार लड़की के छेद में जाते वक्त बहुत दर्द देता है.. सही है क्या? मैं- पता नहीं.. तुम मेरे लिए पहली औरत हो.. मैंने आज तक औरत की चुत का छेद कैसा होता है, देखा ही नहीं है. कल्याणी- झूठ मत बोलो, कॉलेज में ब्लू फिल्म भी नहीं देखी क्या? मैं- लैपटॉप में तो ब्लू फिल्म देखी है.. पर चूत से खेलने का अनुभव नहीं है.
कल्याणी- तुमने कभी मुठ मारी है? मैंने- कई बार मार चुका हूँ. वह अनुभव अलग है और तुमने कोई मजा लिया है? कल्याणी- लंड का नहीं.. पर हां मैं मूली चूत में घुसा कर अन्दर बाहर कर लेती थी.
मैं- कोई लड़के ने तुमको पटाने की कोशिश नहीं की? कल्याणी- बहुत लोग ट्राई कर चुके हैं. मैं बदनामी से डरने के कारण बचती रही.
मैं- तुम्हारी मम्मी और बहन कैसी हैं. कुणाल जैसे अजनबी से चुदवाने की बात कर रही हैं, उन्हें इज़्ज़त का डर नहीं है? कल्याणी- उनकी जुबान से मोहल्ले के सब लोग डरते हैं. मैं इतना ब्लंट बोल नहीं सकती हूँ. अब बात बहुत हो गई हैं, काम शुरू करो ना.
तभी बाहर से आंटी की आवाज आई- कल्याणी बेटी, क्या कर रही है? कल्याणी ने बोला- मैं रवि से कुछ सम सीख रही हूँ. क्या तुम्हारे काम में हाथ बंटाने में मेरी कोई जरूरत है? आंटी बोलीं- नहीं बेटा.. सीख़ लो बड़ा होनहार लड़का है.
कल्याणी- माँ दीदी क्या कर रही हैं? माँ ने ब्लंट्ली बोला- वो अपने कमरे में कुणाल से चुत मरवा रही है. “माँ तुम्हारा क्या होगा?” और आप क्या कर रही हो?” “कौमुदी के बाद में जो भी होगा सो देखूंगी. अभी मैं सबके लिए खाना बना रही हूँ.”
कल्याणी मुझसे बोली- देखा माँ क्या बोली.. दीदी कुणाल से चुत चुदवा रही है.. कैसी बेशरमी की बात बोली माँ ने. मैं- आंटी तुम दोनों की चुदाई के बारे में सोच सोच कर गर्म हो रही होंगी, इसलिए उनका मुँह भी गर्म हो गया.
इस तरह हम दोनों बात करते दोनों नंगे हो गए थे. मैंने कल्याणी की दमदार गोल गोल कसी हुई चूचियों को मुँह में ले के चूसना शुरू कर दिया.
“आह.. रवि मैं मरी जा रही हूँ..” मैं- तेरी सेक्स पूजा करने जा रहा हूँ रानी, मन्त्र सुनो.. माथे लालतम, कर्ण सम्वेदनं.. उन्मत्त चक्षुम.. च कंठम् अहम् पूजायमि.. ये बोलते हुए मैं उसे चूमने लगा. “च कपोलम्.. स्तनाः.. नाभिम चूमयामि..”
कल्याणी सिसकारी भरने लगी फिर धीरे से बोली- रवि मार डाल रहे हो.. जल्दी करो ना. मैंने कान में पूछा- क्या जल्दी करूँ? कल्याणी बोली- वही जो मम्मी पापा का खेल होता है. “बोलो न क्या खेल होता है?” “चुदाई का खेल..!” “ये खेल कैसे खेलते हैं बताओ न?” “मुझे नहीं मालूम..” “अच्छा पहले पूजा पूरा होने दो. “करो ना कौन ने मना किया है तुम बातों में समय बर्बाद कर रहे हो.” “नहीं जानेमन.. अब मैं असली पूजा कर देता हूँ.
मैंने कल्याणी की चुत पर चूमा. कल्याणी तिलमिला गई और मेरे बाल पकड़ कर चुत पर मेरे मुँह को दबा कर बोली- चल चाट साले इसको.. बहुत तंग करती है.. दाँत से काट ले.. आह..
मैंने बीच की उंगली को कल्याणी की चुत में घुसा दिया. कल्याणी दर्द के मार खटिया पर उठ कर बैठ गई. ठीक इसके बाद मैं नीचे बैठ कर कल्याणी की चुत को चाटने लगा और दाने को दाँत से खींच कर हौले से काटता भी जा रहा था. कल्याणी दर्द से कराह रही थी. कुछ पल बाद मैं खड़ा हो गया और उसकी चूचियों के निप्पल को काटने लगा तथा चूसने लगा. मेरा लंड लोहे की सब्बल जैसा हो गया था.
मैं बोला- कल्याणी.. कल्याणी ने मदहोश होते हुए जवाब दिया- हम्म.. मैं- प्रिय तुम्हारी चूत ने हथियार को देखा परखा है कि नहीं?
कल्याणी ने हाथ से मेरे खड़े लंड को पकड़ा और सिर नीचे करके देखा- हाय राम कितना मोटा और लंबा है रे बाबा.. रवि, ये मेरी इस छोटी सी चुत में कैसे जाएगा.. बहुत दर्द होगा और चूत फट तो नहीं जाएगी? मैं- आगे आगे देखना रानी.. क्या होता है..
उसने अपने मूसल लंड को कल्याणी की चुत के ऊपर रख दिया और रगड़ने लगा.
कल्याणी की नस नस में बिजली दौड़ने लगी. मैंने कल्याणी के दोनों पैरों के नीचे से हाथ डाल कर उसी कमर को उठाया और खुद खटिया पर बैठ गया. अब उसने लंड का सुपारा चुत की फांकों में फंसा कर धीरे से अन्दर को पेलने लगा. शुरूआत में तो लंड बार बार फिसल रहा था.
कल्याणी बोली- तुम नीचे उतरो.. मैं बताती हूँ कि चुत में लंड कैसे घुसेड़ना है.
मैंने खुद को कल्याणी के ऊपर से उतार दिया. अब कल्याणी खटिया पर दोनों टाँग फैला कर चित्त लेट कर बोली- अब तुम लंड चुत पर रखो और पेलो. मैंने वैसा ही किया तब भी लंड को अन्दर जाने में तकलीफ़ हो रही थी. कल्याणी बोली- रवि अब मेरे दर्द के बारे में सोचो मत.. चल धक्का मार दे ज़ोर से.. सब्बल मेरी चूत की जमीन पर गड़ा दे.
कल्याणी की सहमति मिलने के बाद मैंने अपना ज़ोर लगाकर धक्का मारा, तो सुपारा और एक इंच लंड अन्दर घुस गया और कल्याणी की माँ चुद गई. कल्याणी ज़ोर से चिल्ला उठी- मर गई माँ.. मर गई रे.. साले ने फाड़ दी.. मैं डर गया, बाहर से आंटी चिल्लाईं- क्या हुआ है बेटी? कल्याणी कराहते हुए बोली- मैं ऊपर से किताब निकालते समय गिर गई, रवि ने सम्भाल लिया है.. तुम अन्दर मत आना, मुझे कुछ नहीं हुआ है.
मैंने आश्चर्य से कल्याणी को देखा. कल्याणी धीरे से बोली- ओह्ह.. रवि क्या करना चाहते हो? मैं बोला- आधा खाना खिलाना ठीक है क्या? “चल निकाल.. एक काम करते हैं.”
जैसा कल्याणी ने बोला, मैंने कल्याणी का मुँह में मुँह चिपका कर एक धक्का पेला. इस बार आवाज बाहर नहीं आई लेकिन कल्याणी की आँखों से पानी आ गया. मैंने धीरे धीरे से धक्का मार कर पूरा लंड अन्दर कर दिया और चुपचाप कल्याणी के ऊपर लद गया. उसका चेहरा चूमने लगा. बस कुछ मिनट यूं ही बीत गए. अब कल्याणी ने नीचे से गांड को हिला कर चूत में लंड को अड्जस्ट किया. फिर कल्याणी बोली- अब धीरे लंड ऊपर खींचो रवि.. बाद में धीरे से अन्दर घुसाओ.
मैंने वैसा ही किया और पूछा- कल्याणी दर्द कैसा है? कल्याणी बोली- छेद और पिस्टन दोनों इस खेल के लिए नए हैं.. लुब्रीकेंट्स की जरूरत थी.. इसलिए पूरा निकाल के नारियल तेल लगा के डालने के लिए बोलने वाली थी.. लेकिन तुमने पूरा पेल दिया, दर्द हुआ है.. लेकिन मजा भी आ गया. अब पिस्टन को चला कर छेद को अच्छे से बोर कर दे.. ताकि कल से तकलीफ़ ना हो.
अब मेरा पिस्टन आगे पीछे ज़ोर से धक्के मारने लगा. कल्याणी सिसकारी भरने लगी- रवि हूँऊं.. चोद दे.. आह और जो से पेल.. थोड़ा सा भी बाहर मत छोड़ो.. पूरा पेल दो. धकापेल चुदाई चलने लगी. बीस मिनट बाद मैं बोला- मेरा कामरस निकालने वाला है.. चुत के अन्दर डाल दूं? “ऩहीं रे बाबा.. मैं प्रेगनेन्ट हो जाऊंगी.. निकालना है तो मेरे मुँह में डाल दे!” मैंने वैसा ही किया. कल्याणी ने झट से माल पी लिया.
इतनी चुदाई के बाद भी मेरे लंड का कड़कपन कम नहीं हुआ तो वो फिर से चुत में डाल कर दनादन चुत चोदने लगा. कल्याणी- आह आह रवि.. मेरे राजा.. मेरा मर्द.. तेरे साथ सात फेरे तो नहीं घूमी.. लेकिन तुम्हीं मेरे पति हो सदैव के लिए.. आह मुझसे शादी करो या नहीं करो.. लेकिन तुम ही मेरी चुदाई के पतिदेव हो हां.. रवि.. तुम मुझसे अलग मत होना.. जब भी मेरी चुत को लंड चाहिए होगा, मैं तुम्हें फोन कर दूँगी.. आ जाना. तुम अपना फोन नंबर मुझको देकर जाना.. पागलों जैसा चूमते और कसके पकड़ कर कल्याणी ये सब बोलने लगी.
कल्याणी दो बार झड़ गई और मैंने लंड निकाल कर फिर से उसके मुँह में डाल दिया. दोनों चुदाई के बाद फ्रेश हो कर बाहर आए तो कौमुदी और कुणाल बाहर एक दूसरे आगोश में दिखे. कुणाल आँख मारते हुए बोला- क्या कल्याणी, मेरे दोस्त ने अच्छे से सम समझाए कि नहीं? सब हंसने लगे.
फिर माया आंटी ने सबके लिए खाना परोसा और बोलीं- चलो खाना ख़ा लो! आंटी- क्या कल्याणी.. रवि ने अच्छे से समझाया कि नहीं या और एक राउंड समझाने के लिए क़ह दूँ? कल्याणी- नहीं.. हम दोनों के बीच में समझौता हो गया है, जब भी मुझे जरूरत होगी.. रवि आकर अपने घर में ही मुझे सब पढ़ा देगा.
माया- क्या कल्याणी.. मैं एक बार टेस्ट करके देख लूँ कि ठीक से पढ़ाता है कि नहीं? मैंने कल्याणी तरफ़ देख कर इशारा किया- ये क्या है? कल्याणी ने टेबल के नीचे से मेरा लंड पकड़ा और कान में बोली- खिला दो ना माँ को भी.. आखिए मेरी चुत भी तो उनकी चुत से ही निकली है ना!
मैं बोला- आंटी आप मेरा टेस्ट कब लेंगी? “नॉटी रवि.. क्या बोला तुमने?” “मैंने टैस्ट लेने को बोला.. तुम टेस्ट बोल रहे हो.” मैं बोला- सॉरी आंटी जबान स्लिप हो गई.
इतने में कुणाल और कौमुदी खाना पूरा करके एक दूसरे की कमर में हाथ डाल कर कमरे में घुस गए. आंटी बोलीं- वो देखा.. कुणाल का टेस्ट करने ले गई. “तो आंटी मैं भी कल्याणी का टेस्ट कर लूँ?” आंटी बोलीं- नहीं पहले मैं तुम्हारा टेस्ट करके देखती हूँ.. तब तक कल्याणी रेस्ट ले लेगी.. क्यों कल्याणी मैंने ठीक कहा है ना? “नहीं माँ.. रवि अभी मेरा टेस्ट कर लेगा. फिर तुम रात भर रवि का टेस्ट लेते रहना.. मैं रेस्ट कर लूँगी.” “ओहहो.. तुम भी ना!” “मम्मी, तुमको रात रात भर डिफरेंट डिफरेंट टेस्ट लेने की आदत है.. इसलिए अभी के लिए रवि को छोड़ दो प्लीज़..” “ठीक है रवि ले जाओ इसे, तुम कल्याणी का अच्छे से टेस्ट लेना तब तक मैं रेस्ट ले लेती हूँ. आंटी कमरे जाकर सो गईं.
मैंने और कुणाल ने कल्याणी और कौमुदी से लंड चुसवाया, एक घंटे तक हम दोनों ने दोनों बहनों की चूतों को रौंद डाला.
फिर रात का खाना खाया और हम दोनों आंटी के कमरे में चले गए. आंटी ने बार बारी से लंड चूसा और चूत चुदवाई. कुणाल ने आंटी की गांड भी मारी, इस तरह माया आंटी ने और उनकी दोनों लड़कियों की कामवासना को हम दोनों ने पूरा किया.
इसके बाद समय समय पर कल्याणी मुझे बुला कर खूब चुदवाती रहती थी. आंटी भी इस मौके को छोड़ती नहीं थीं, वो लड़कियों से रिक्वेस्ट करके मुझसे और कुणाल से अपनी चूत की अन्तर्वासना को बुझवा लेती थीं. [email protected]
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