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नमस्कार दोस्तो, आप सब कैसे हैं! आप सबने मेरी पिछली सेक्सी कहानी गलतफहमी पढ़ी, समीक्षा की, सराहना की और अपने संदेशों से मेरे अंदर उर्जा का संचार किया। जब से मैं इस साईट से जुड़ा हूं, मुझे सबने अपना समझ कर गले से लगाया है, कुछ पाठकों से मुझे मिलने का भी अवसर मिला है मैं उसकी कहानी बाद में विस्तार से लिखूंगा। कुछ लड़कियाँ, भाभी मुझे सेक्स चैट का सुख देती है, तो कुछ कहानी के संदर्भ में चर्चा करके मुझे नई राह दिखाती हैं और कुछ मुझसे मीठी मीठी बातें भी करती हैं। सच पूछिये तो वो मुझे बहुत मीठी लगती हैं।
बहुत से लोग मुझसे यह पूछते हैं कि क्या ये मेरी अपनी सच्ची स्टोरी है, तो मैं आप सबको बता देना चाहता हूं, कि कहानी पूर्ण हकीकत तो नहीं है, पर कहानी के बहुत से भागों में या खंडों में मेरे जीवन का रहस्य और अनुभव छुपा हुआ है। अब आप इसे सच समझें या झूठ ये आपके ऊपर है। वैसे आप चाहें तो बिना इस सवाल के भी इस कहानी का आनंद ले सकते हैं।
मैं आप लोगों के कौतुहल को समझ सकता हूं इसलिए सीधे कहानी पर आता हूं और कहानी देर से पोस्ट करने के लिए माफी चाहता हूं। यह मेरी पिछली कहानी गलतफहमी का ही आगे का भाग है, जिन पाठकों में वो कहानी नहीं पढ़ी, कृपया एक बार पढ़ लेवें, तभी आप लोगों को इस कहानी का पूरा आनंद मिल पायेगा।
आप सब मेरा परिचय भी भूल रहे होंगे इसलिए एक बार मैं पुनः अपना परिचय करा देता हूं…
मैं छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के पास के एक कस्बे का रहने वाला हूं। मेरा नाम संदीप साहू है, मैं गोरा हैंडसम सा लड़का हूं, या अब आप मुझे अनुभवी व्यक्ति की श्रेणी में भी रख सकते हैं, क्योंकि वर्तमान में मेरी आयु 31 वर्ष की हो चुकी है। मैं एक व्यवसायी हूं। पहनने ओढ़ने और बोल चाल का तरीका आधुनिकता के साथ-साथ संस्कारित भी है। मैं समय देख कर कड़े स्वर भी अख्तियार कर लेता हूं, किंतु आप मुझे अधिकतर समय नरम और मृदु स्वाभाव में ही देख पायेंगे। शरीर भरा-पूरा है, मेरी उम्र से मेरे स्मार्टनेस में कोई कमी नहीं आई है। मेरा लिंग सात इंच का है, थोडा सा मुड़ा हुआ, सुपाड़ा गुलाबी रंगत लिये हुए फूला हुआ सा रहता है, और सबसे खास बात कि अब मेरा लिंग भी अनुभवी हो चुका है, इसलिए नये लड़को के आठ नौ इंच से भी ज्यादा मजा ये सात इंच से भी दे सकता है, या यूं कहें कि दे रहा है।
आपने गलतफहमी में पढ़ा होगा कि तनु भाभी जो अब एक ज्वेलरी व्यवसायी की पत्नी है, की शादी से पहले का नाम कविता था, वो एक स्कूल टीचर की लड़की थी, जिसने समय से आगे बढ़ कर शरीर सेक्स और समाज को जानना और भोगना चाहा। उसे बहुत ज्यादा लाड़ प्यार मिला था, इसलिए वो बचपन से ही तीखे और घमंडी स्वभाव की होने लगी थी। जिसके कारण उसे लाईफ में बहुत सी गलतफहमियों का सामना करना पड़ा, फिर जब वो बड़ी हुई तब वो सेक्स और सुंदरता के पीछे भागने लगी और उसने वह सब कुछ पा लिया जो वो पाना चाहती थी, पर उसे खो दिया जिसकी उसे सच में जरूरत थी।
मैं बात कर रहा हूं उसके प्यार की, उसने अपने प्यार रोहन को खो दिया, रोहन ने फांसी लगा ली थी, जिसे लटके हुए तनु भाभी की छोटी बहन अनिता (छोटी) ने देखा था, जिसकी वजह से उसकी दिमागी हालत खराब हो गई थी, और उसे ठीक कराने के लिए एक बाबा के पास ले जाया गया, पर वहाँ से आने के कुछ दिनों बाद छोटी का पागलपन और भी ज्यादा बढ़ गया, तनु भाभी को शक है कि उसके साथ बाबा ने बुरा कर्म किया होगा।
छोटी अपने पागलपन की वजह से कुछ बता नहीं पाई है। तनु की शादी के पहले ही उसके पिता का देहांत हो गया था, अब उसकी माँ पेंशन के पैसों से, छोटी और खुद का गुजर-बसर कर रही है। तनु उनकी बहुत मदद करती है, लेकिन पति या पिता की कमी पूरी कर पाना किसी के वश में नहीं होता।
तनु ने कहा कि वो मुझे पहले से ही अंतरवासना के लेखक के रूप में जानती है और वो मुझसे किसी अन्य फेक आई डी के माध्यम से चैट भी कर चुकी है। वो अब चाहती है कि मैं अपने अनुभव और काबिलियत से उसकी बहन अनिता (छोटी) का पागलपन दूर करूं।
मैंने भी इस संबंध में अपनी सहमति दे दी और कहा कि छोटी को यही बुला लो, तनु भाभी ने मेरे कहने पर छोटी को बुला लिया, लेकिन घर पर उसकी माँ अकेले हो जाती इसलिए उसने उसे भी साथ आने को कहा, वो पंद्रह दिन बाद आने वाले थे। तब तक मेरी तनु भाभी से बातचीत होती रही पर मुलाकात मैंने जानबूझ कर नहीं की।
भाभी ने उनके आने के ठीक दो दिन पहले मुझे फोन करके अपनी माँ बहन के लिए अलग मकान ढूंढने को कहा, मैंने आश्चर्य से कहा- भाभी, आप उनको अपने यहाँ क्यों नहीं रख रही हो? आपके पास वो ज्यादा आराम से रहते। तब तनु भाभी ने गहरी सांस लेते हुए कहा- वर्तमान समय में ये एक बहुत बड़ी समस्या है, जिस बच्चे के प्रति माँ बाप अपना जीवन समर्पित कर देते हैं, वही बच्चा बड़ा होकर उन्हें रखने से इंकार कर देता है। मेरे पति अपनी बूढ़ी माँ को साथ नहीं रखते, तो मेरी माँ को कहाँ साथ रखेंगे और वो भी मेरी पागल बहन के साथ! वैसे गलती मेरी भी है, मैंने ही उनकी माँ को रखने से मना किया था, तो अब वो मेरी माँ को साथ कहाँ रखेंगे। ऐसे भी माँ पुराने मकान को किराए पर देकर आयेगी उसी पैसे से हम यहाँ मकान किराए पर ले लेंगे, जिससे तुम्हें भी छोटी के इलाज में सोहिलयत हो जायेगी, और एक ही जगह रहने से मैं भी ज्यादा से ज्यादा समय दे पाऊंगी। मैं नहीं चाहती मेरी माँ को मेरे पति कुछ भी कहें! तुम जल्दी से मकान ढूंढ दो।
मैंने हाँ कहा और सोचने लगा, फिर एक पहचान वाले से बात हुई, उसने अपना बड़ा सा पांच कमरे, एक किचन एक हाल वाला मकान मेरी वजह से केवल 4000 रू प्रति माह की दर से किराये पर दे दिया, अगर कोई दूसरा बात करता तो सात आठ हजार से कम में नहीं देता।
मैं तनु भाभी को साथ बिठा कर मकान दिखाने ले गया। तनु भाभी पहली बार किसी दूसरे के साथ गाड़ी पर बैठ कर ऐसे घर से निकली थी, लोग देखते ही कपड़ों के ऊपर से ही अपना लिंग सहलाते रह गये, भाभी सलीके से रहती थी, लेकिन थी तो कयामत की खूबसूरत। ऐसे भी घर से कम निकलने वाली सुंदर औरतें जब चौखट पार करती हैं तब जमाने में दो बातें ना हों, यह संभव ही नहीं है। पर हमें इसकी परवाह बिल्कुल ना थी क्योंकि अब हमारा अक्सर आना जाना होने वाला था।
हमें मकान मालिक ने पूरा घर अच्छी तरह दिखाया, कूड़ा डालने के स्थान से लेकर नल, पानी, बिजली सभी के विषय में बताया, भाभी को घर पसंद आया, घर मेरे दुकान और भाभी के मकान से ज्यादा दूरी पर नहीं था इसलिए मुझे भी अपने लिए सुविधा जनक लगा। हमने मकान मालिक को हाँ और धन्यवाद कहा और वह चाबी देकर दो महीने का एडवांस लेकर चला गया।
हमने कुछ देर सोच कर, मकान के तीन कमरों को बंद कर दिया क्योंकि ज्यादा बड़े मकान की देखरेख भी ज्यादा लगती है, इसलिए किचन हाल और दो कमरे ही खुले रखे जिसमें एक कमरे में तनु की माँ और बहन दोनों रहने वाली थी, और दूसरे कमरे को मैंने इलाज के लिए खुलवा रखा था, बाकी कमरों को जरूरत अनुसार खोलने या उपयोग करने की बात कह कर हमने घर की सफाई करवाने के लिए काम करने वाले पहचान के अन्य लोगों से फोन पर बात कर ली, सारा जिम्मा मैंने अपने ऊपर ले लिया। अब भाभी और मैं उस सूने मकान में थे, इसलिए सुंदर कामुक तनु भाभी को देखकर मेरी नियत डोलने लगी, ऐसे भी भाभी ने जो परफ्यूम लगाया था, वो बहुत उत्तेजक था, और मैं भाभी और उस खुशबू के संपर्क में बहुत देर से था जिसकी वजह से मैंने अपने सारे वादे ताक पर रख दिये और मैं बाहर का दरवाजा बंद करके भाभी की ओर बढ़ा।
भाभी शरारती अंदाज में मुस्कुरा रही थी, उसकी कजरारी आंखों का नाचना और गुलाबी गालों पर डिम्पल का बनना ‘आयय हाययय…’ मैं तो पागल ही हो गया.
और मैं उसकी मुस्कुराहट को उसकी अदा और सम्भोग की रजामंदी समझ कर आगे बढ़ने लगा, मैंने भाभी को अपनी बलिष्ठ भुजाओं में कैद कर लिया भाभी ने भी मेरा आलिंगन किया और मेरे कान के पास मुंह टिका कर धीरे से मस्ती भरे स्वर में कहा- जनाब आज तो बारिश हो रही है, गीली पिच पर बैटिंग कैसे करोगे? अब तो मेरा दिमाग ही खराब हो गया, मतलब भाभी अपने पीरियड के कारण मुस्कुरा रही थी।
मैं चाहता तो उसे इस हालत में भी सम्भोग कर लेता, पर हमारा पहला कार्यक्रम था तो मैंने ऐसी हालत में उद्घाटन करना उचित नहीं समझा। वैसे ऐसी हालत में महिलाओं को सेक्स में ज्यादा मजा आता है, और वो कामुक और ज्यादा सुंदर लगती है। लेकिन साफ सफाई की वजह से ही ऐसा करने का मन नहीं करता, और फिर ऐसे समय में संक्रमण का भी खतरा बढ़ जाता है।
फिर मैं तनु भाभी के नाजुक गोरे बदन को सहलाने लगा, उनकी गोरी चिकनी कमर पर जब मैंने हाथ फेरा तब वो भी वासना से कराह उठी और मैंने उनके कंधों को हल्के दांतों से काट कर उसके अंदर भी सिहरन पैदा कर दी। और फिर होंठों को सहलाते हुए कहा- अगर पिच गीली है तो रहने दो, आप अपने मुंह (ओरल) से भी मुझे सुकून दे सकती हो। तो भाभी ने ना नुकुर करना शुरू कर दिया।
फिर मेरे बहुत जिद करने पर कहा- कि यार संदीप समझा करो… तुम्हारा तो हो जायेगा और मैं तड़प कर रह जाऊंगी, सिर्फ अपने बारे में ही सोचोगे क्या?? मुझे उनकी बात भी सही लगी, तो मैं बाथरूम में जाकर हल्का होकर आ गया और भाभी जी को मैंने यूं ही मस्ती में खूब खरी खोटी सुना दी- मुझे आप बहुत तड़पा रही हो। तो तनु भाभी ने मासूम सा चेहरा बना कर कहा- संदीप, मैं तुम्हें नहीं तड़पा रही हूं, तुमने कभी ये सोचा है कि मैं खुद कितना तड़प रही होऊंगी?
मैंने सेक्सी भाभी को अपने गले से लगा लिया, उसका बदन सच में बहुत ही नाजुक मुलायम और मखमली था, गोरी तो वो थी ही, और उसके हर अंग में कटाव थे, जिसकी वजह से उससे लिपटने में भी बहुत ज्यादा आनंद मिल रहा था। उसके उभार मेरे सीने पर दबे थे, और हल्का हो जाने के बाद भी उसके कामुक स्पर्श ने मन में तूफान पैदा कर दिया।
अब हम कुछ देर और यूं ही रहते तो खुद को रोक पाना हमारे लिए मुश्किल हो जाता। इसलिए हम आगे की प्लानिंग करके एक दूसरे को प्यार के अहसासों से भरा कामुक चुम्बन देकर वापस हो गये, मैंने भाभी को उसके घर छोड़ा और भाभी ने रास्ते भर अपनी चूची मेरी पीठ में रगड़ कर मस्ती की, मुझे अच्छा भी लग रहा था, माफ कीजिए.. बहुत अच्छा लग रहा था, पर मैंने बनावटी ढंग से भाभी को डांटा कि जबरदस्ती मेरा मूड मत बनाओ।
भाभी के गाड़ी से उतरते ही एक कातिल मुस्कान के साथ मैं अपनी दुकान पर वापस आ गया।
कहानी जारी रहेगी.. आप अपनी राय इन पतों पर दें.. [email protected] [email protected]
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