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मेरी इस सेक्स स्टोरी में आपने पढ़ा था कि मेरी दोस्ती अवी नाम के लड़के से हो गई थी और आज मैं उसके साथ पहली बार मॉल में जा रही थी. अब आगे..
मैं- हैलो.. कैसे हो? ज्यादा देर इंतजार तो नहीं करना पड़ा? अवी- नहीं बाबू, तुम्हारे लिए इंतजार कैसा और तुम बताओ.. आओ अन्दर बैठो, अच्छी लग रही हो यार… अवी मस्त लग रहा था, मैंने भी कहा- तुम भी अच्छे लग रहे हो. अवी- तो जानेमन जी कहां चलना है.. क्या हुकुम है मेरे लिए? मैं- कहीं भी चलो, मुझे कुछ शॉपिंग करनी है तो किसी मॉल में चलते हैं. वहीं बातें भी हो जाएंगी, तुम मिलने को कहते थे तो इसी के साथ मिल भी लेंगे. अवी- जो हुकुम जानेमन जी.. किस मॉल में चलें? मैं- किसी भी. अवी चल पड़ा.
अवी- मिनी आज पहली बार मुझसे मिल रही हो, बहुत सिंपल बन कर आई हो क्या बात है.. क्या मिल कर खुश नहीं हो? मैं- नहीं ऐसी बात नहीं है, मैं तो ऐसे ही रहती हूँ और मेरे पास कोई इतनी अच्छी ड्रेस भी नहीं थी, तो सोचा कि यही पहन लूँ. अवी- चलो अब मैं हूँ, तो सब कुछ हो जाएगा मेरी जान.
इसी तरह और कुछ पढ़ाई की बातें करते करते हम पहुँच गए. अवी गाड़ी पार्क करने चला गया. मैं उसका इंतजार करने लगी. थोड़ी देर बाद अवी आया और उसने कहा- चलो अन्दर चलते हैं. वो मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर आगे बढ़ा, पर मैंने हाथ छुड़ा लिया और अकेले अकेले चलने लगी. अवी और मैं अब अन्दर पहुँच गए.
अवी ने कहा कि पहले कुछ खा लेते हैं, फिर शॉपिंग करेंगे. मैंने कहा- नहीं पहले शॉपिंग कर लेते हैं.. फिर बैठते हैं.
हम दोनों अन्दर चले गए. अवी ने मुझसे कहा- बेबी क्या लोगी बताया नहीं? मैं- एक कोई अच्छी सी ड्रेस लेनी है और एक टॉप दिव्या के लिए बस. अवी- ड्रेस तुम्हारे लिए लेनी है ना? मैं- हां मेरे लिए लेनी है. अवी- ठीक है चलो पसंद करो. मैं- हाँ देखते हैं.. देखो ये दिव्या के लिए कैसी रहेगी? अवी- मैंने तुम्हारे लिए ये ड्रेस पसंद किया है.. कैसी है देखो इसे निकाल लूँ.
ये एक सिंपल सी जीन्स एंड टॉप थी, तो मैंने कहा- हां ठीक है अलग निकाल लो ओके.
अवी- ओके, देखो ये ड्रेस भी मुझे बहुत अच्छी लग रही है और तुम पर भी अच्छी लगेगी.. क्या कहती हो मेरी जान? मैं- हाँ अच्छी है. वो एक टॉप एंड फ्राक थी. उसका टॉप मुझे भी अच्छा लग लगा तो मैंने उसे भी ले लिया और अपनी पसंद की एक ड्रेस जीन्स टॉप ले लिया. मैंने अवी से कहा- मैं चैक करके देख लूँ.
मैंने अपनी पसंद का वो टॉप लेकर चल दी, तो अवी ने अपनी पसंद की ड्रेस भी दे दी और कहा- चलो देखो पहन कर देखो, सही होती है या नहीं.
मैंने दिव्या के लिए भी टॉप ले लिया ताकि उसे भी इसी साथ देख सकूँ. जब चेंजिंग रूम पहुँचे, तो वो बाहर था. उसने कहा- देखो अन्दर जाकर, मैं यहीं हूँ.
मैं अन्दर गई और एक एक करके सारी ड्रेस पहन कर देखीं, पर अवी को नहीं दिखाया और बाहर आकर बताया कि जो सबसे पहले अवी ने पसंद की थी, वो और जो मैंने पसंद की थी वो.. और दिव्या का टॉप भी सही है.. और यही ले रही हूँ. अवी- मिनी मुझे नहीं दिखाया कि कैसी ड्रेस है.. अच्छा चलो अब बिलिंग करवा लेते हैं. मैं- सॉरी मुझे याद नहीं रहा.
अवी ने वो दोनों ड्रेस और टॉप दे दिया और उसी के साथ एक घड़ी भी बिलिंग के लिए दे दी. जब मैं पैसे देने लगी तो अवी ने मना कर दिया. मेरे बहुत कहने पर भी नहीं लिया और अपने पास से सभी का बिल दे दिया.
सारा सामान लेकर हम बाहर निकले और रेस्टोरेंट में आ गए. वहाँ पर हमने नाश्ता किया और कोल्ड ड्रिंक पी.
अब घर जाने के लिए बाहर निकले. ये सब करते करते 4-5 घंटे हो गए थे और शाम होने को थी.
हम जब मॉल के गेट से बाहर निकले तो सामान पकड़ने के लिए अवी ने हाथ बढ़ा दिया और सामान के साथ में मेरा हाथ भी पकड़ लिया. अब पता नहीं मुझे क्या हुआ कि मैंने उससे कुछ नहीं कहा. उसने भी अच्छी तरह से उंगली में उंगली फंसा कर मुझे पकड़ लिया और साथ में चलने लगा.
जब अवी साथ चल रहा था तो किसी किसी समय उसका शरीर भी मेरी पीठ को टच कर रहा था. ये सब मुझे अच्छा लगने लगा था तो मैंने भी कोई परहेज नहीं किया. मैं उसी के साथ नार्मली चलने लगी. फिर बाहर आकर वो कार लेने चला गया, मैं वहां इंतजार करने लगी.
थोड़ी देर बाद वो आया और मुझे बैठकर चल दिया. कार में अवी ने एक हाथ से मेरा हाथ पकड़ लिया, लेकिन इस पर मैंने कुछ नहीं कहा. अब क्यों नहीं कहा ये आज तक मुझे भी नहीं पता चला. वो कहने लगा- बेबी, अगली बार जब हम बाहर जाएंगे तो पहले से प्लानिंग करके चलेंगे. मैं- ठीक है. इसी तरह की नार्मल बातें करते मैं अपने घर पहुँच गई. उस सफ़र में कोई बात तो खास नहीं हुई लेकिन वो मेरा हाथ रास्ते भर पकड़े रहा.
वो मुझे छोड़ कर चला गया. मैं अन्दर गई तो दिव्या कमेंट करने लगी- और मेरी छन्नो रानी मिल आईं अपने हमदम से.. मज़ा आया कि नहीं.. मेरी नई नवेली डार्लिंग को.. और मेरा टॉप लाओ दो और मेरे पैसे भी दो. मैं- हाँ मिल आई.. ये लो टॉप, पर पैसे क्यों? तुम्हारा टॉप तो लाई हूँ ना! दिव्या- अरे यार मुझे मत सिखाओ.. पूरा बिल उसी के ऊपर फटा होगा, तो मैं अपने क्यों ना लूँ.. यही फायदा होता है लड़कों के साथ में शॉपिंग करने का, बहुत प्यारी ड्रेस खरीद कर लाई हो.. लगता है उसी ने पसंद किया होगा. मैं- हाँ, तुम तो सब जानती हो. दिव्या- अरे बेटा, कुछ दिन बाद तू भी सब जान जाएगी, जब उसके साथ चुद लेगी तब! मैं- धत्त पागल, कैसी बातें करती हो मैं ऐसा नहीं करने वाली हूँ.
इस तरह मेरी और दिव्या की बातें होने लगीं और धीरे धीरे समय भी बीतता गया और ये बातें कुछ और बड़ी होती चली गईं.
एक दिन दिव्या के मोबाइल से मैंने अमित से मेसेज से बात की और उससे पूछा- क्या हुआ अब तो मिनी को गले से लगाने का मन नहीं करता है क्या? अमित- करता है यार… पर अब वो दूसरे की अमानत है और उसे अब वो भी गले लगा चुका होगा.. तो अब मेरा मन कम करता है. मैं- अवी ने अभी उसे गले नहीं लगाया है, बस केवल हाथ पकड़ा है. अमित- क्या तुम सच कह रही हो? मैं- हां सच कह रही हूँ. अमित- तो बेबी एक काम करोगी? मैं- हां बताओ.. अभी तक सारे काम तो किए हैं, ये भी कर दूंगी. अमित- यार मुझे मिनी की कमर पर एक किस करनी है, उसकी पीठ में भी किस करनी है और एक बार गले लगाना है. बस और ये आखिरी बार है, इसके बाद मैं मिनी के साथ कुछ भी करने को कभी नहीं कहूँगा.
मैं शांत रही क्योंकि वो किस करने को कह रहा था, तो मैंने कोई जवाब नहीं दिया.
अमित- बताओ ना मेरी जान.. और इसके बदले में जो कहोगी वो दे दूंगा. मैंने काफी सोच कर कहा- मुझे चाहिए कुछ नहीं है, लेकिन किस थोड़ा मुश्किल काम है और ये मैं कैसे करवा सकती हूँ, वो भी कमर पर? अमित- सोच लो यार.. कोई जुगाड़ बन जाए तो प्लीज़.. मैं- ठीक है बाद में बताऊँगी.
इस तरह मेरी बॉडी पर किस की बात आ गई थी, इसमें भी मुझे यही लग रहा था कि इससे आखिर होगा क्या.. चलो फिलहाल इस बार मैंने अमित को मना कर दिया और कह दिया कि जब ऐसा होने की सम्भावना होगी तो बता दूंगी. और हां सबसे खास बात यह कि मेरा बॉयफ्रेंड अवी भी था, वो मुझसे रोज कहता कि चलो कहीं घूमने चलते हैं पर मैं मना कर देती थी. पर एक दिन उसने कहा- आज तुम्हें मेरी कसम है, बताओ मुझसे मिलने कब आओगी? अब मैं उसकी बातों में फंस गई थी तो मैंने कहा कि शनिवार को चलूंगी.
क्योंकि उस दिन मेरा कॉलेज बंद था. उस दिन के बारे में मैंने दिव्या को भी नहीं बताया था क्योंकि वो तो हर शुक्रवार की शाम को घर चली जाती.
अवी ने कहा- मैं तुम्हारे लिए एक ड्रेस लाया हूँ.. पूरी ड्रेस है और वही पहन कर तुम्हें चलना है. मैंने कहा- ठीक है.. पर वो ड्रेस है कहां? अवी ने कहा कि तुम बाहर आओ.. मैं बस पहुँचने वाला हूँ और ड्रेस ले लो. कल सुबह 8 बजे वही पहन कर तैयार रहना.
इस बात पर मैं बाहर गई और थोड़ी देर बाद अवी से एक बैग ले आई, जिसमें वो ड्रेस थी. मैंने अन्दर आकर बैग खोला तो हैरान रह गई क्योंकि उस ड्रेस में सभी चीजें थीं, मतलब सैंडल से लेकर नेलपॉलिश तक.. यानि सैंडल, ड्रेस, ब्रा एंड पैंटी, नेलपॉलिश, लिपिस्टिक, पूरा मेकअप का सामान मतलब सब कुछ था, जो कि लड़की को जरूरत पड़ती हैं. वो ड्रेस एक मिनी पेन्सिल स्कर्ट में और टॉप के रूप में थी. वो टॉप भी ऐसा कि उसमें दो पर्त थे, अन्दर वाला कपड़ा इतना हल्का था कि ब्रा पैंटी तो छोड़ो.. मेरी बॉडी भी दिखाई दे. पर जब ऊपर वाला बंद कर लो, तो थोड़ा ढक जाता था.. मतलब बाहर निकलूँ तो सब न दिखे.
मैं ये देख कर हैरान थी कि ये पहनने को अवी ने कहा है, मैंने तुरंत अवी से बात की- ये सब क्या है इसमें? अवी- पूरी ड्रेस है मेरी जान.. और तुमने ही तो कहा था कि मेरे पास ऐसी ड्रेस नहीं है, जो मैं पहन कर तुमसे मिलने आ सकूँ. तो ये वही ड्रेस है, जिसे तुम पहन कर मुझसे मिलने आ सकती हो. मैं- लेकिन ये कुछ ज्यादा ओपन है. अवी- तुम्हें केवल मुझसे मिलना है ना.. बस तो कल ये पहन कर तैयार रहना. मैं आ जाऊंगा ओके! मैं- ओके.
यार इस ड्रेस में मैं अवी से मिलूंगी तो क्या होगा और इसे पहनना क्या ठीक रहेगा या नहीं? वैसे ड्रेस अच्छी थी पर फिर भी ब्रा और पैंटी की क्या जरूरत थी. हालांकि वो देखने में लग रही थी कि सारी मैचिंग की है. मैं परेशान ना होकर सो गई और अपने मन में कहा कि सुबह देखूंगी.
सुबह मैं 7 बजे जग गई थी. मैं फ्रेश होने लगी और तभी अवी ने एसएमएस किया कि खाना मत बनाना और जल्दी से तैयार हो जाओ, मैं अभी थोड़ी देर में आ रहा हूँ ओके मेरी जान!
मैंने भी कह दिया- ठीक है आओ मैं तैयार ही होने जा रही हूँ.
मैं नहाने चली गई और वापस आकर सोचने लगी कि क्या पहन कर जाऊं. ये ड्रेस पहन का जाने का मेरा मन नहीं है लेकिन मन में आया कि मेकअप का सामान उपयोग कर लेती हूँ और एक बार इसको पहन कर देख भी लूँ कि कैसी है.
यही सोच कर मैं मेकअप करने लगी. मेकअप करने के बाद मैं उस ड्रेस को पहनने लगी. मैंने ब्रा पहनी जो मेरे सीने पर बिल्कुल फिट हो गई और बड़ी आरामदायक लगी. लेकिन ब्रा केवल एक पट्टी वाली थी और मुझे ऐसी ही बहुत पसंद भी है. फिर मैंने पैंटी पहनी जो कट वाली थी.. मतलब बिकनी की तरह, जिसमें पीछे चूतड़ खुले थे और आगे एक छोटी सी पतंग की तरह थी. बाकी सब डोरी से सधी थी. मैंने पेंटी को पहना तो अच्छा लगा तो मैंने सोचा कि अन्दर यही पहने रहूंगी और ऊपर जो अमित पहली बार में दी थी, वो पहन लूँगी.
यही सोच कर पहले मैंने केवल पहन कर देखने के लिए टॉप और स्कर्ट को भी पहन लिया और सैंडल को भी पहन कर मैंने अपने आपको जब मिरर में देखा तो मैं खुद अपने आपको देखती रह गई. क्योंकि मैं अच्छी लग रही थी और वो ड्रेस में मैं कहूँ, तो मेरा लगभग पूरा बदन तो दिख रहा था क्योंकि स्कर्ट मेरी पैंटी से 5-6 अंगुल नीचे तक ही थी, मतलब किसी तरह पैंटी छुपा रही थी और उस पर वो एक तरफ थोड़ी कटी थी जो पैंटी तक थी. उधर टॉप में आधी पीठ तो खुली ही थी, जहां कपड़ा बिल्कुल भी नहीं था और बाकी हिस्से पर वो हल्का वाला था, जिसमें बॉडी दिखती रहे. टॉप में केवल शर्ट की तरह आगे केवल दोनों तरफ मोटे कपड़े में था, जिसमें दो बटन लगे थे, जिसे बंद करने पर केवल चूचियां कुछ छुप जाती थीं. अन्दर वाला कपड़ा इतना हल्का था कि उसमें से शरीर का एक तिल भी दिख जाए.
उस ड्रेस में मेरी केवल चूची और पैंटी बंद थी. बस बाकी सब दिखता था. ऐसी ड्रेस पहनने को मैं सपने में भी नहीं सोचा था और अब इस तरह देख के मैंने ये निश्चय कर लिया कि मैं दूसरी ही पहन कर जाऊँगी, ये नहीं.. बल्कि कभी नहीं पहनूंगी. ये रेड कलर वाली ड्रेस एकदम टाइट टाइट सी भी थी.
मैं यह देख के परेशान हो गई कि आखिरकार अवी क्या देखना चाहता है, जो उसने मुझे ये ड्रेस दी है. यही सोच कर मैं निकलने जा रही थी कि अचानक डोरबेल बजी. मैं चौंक सी गई कि इस समय कौन आ गया. मेरी समझ में नहीं आया कि क्या करूँ. मुझे ऐसा लग रहा था कि मानो मैंने कपड़े ही ना पहने हो. मैं तौलिया ओढ़ कर दरवाजा खोल कर देखने गई कि कौन है.
मैंने दरवाजा खोला तो अवी ही खड़ा था! अब मैं क्या करूँ, कुछ समझ में ना आया. तभी अवी ने पूछा- बेबी अभी तैयार नहीं हुई हो क्या? ये कहते हुए उसकी नजर मेरी सैंडल पर पड़ गई तो उसे पता चल गया कि मैं तैयार हूँ. मैं- नहीं बस हो रही थी कि तुम आ गए हो.
अब मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि इस ड्रेस में मैं उसके सामने कैसे जाऊं और पता नहीं उसका कहां जाने का विचार हो. इस तरह की ड्रेस में मैं बाहर कैसे जाऊं.
अवी- हो गई हो तैयार.. मुझे पता है आओ चलते हैं, नहीं देर हो जाएगी आओ बंद करो इसे. मुझे समझ में नहीं आया कि क्या कहूँ तो मैंने कहा- रुको, तौलिया रख दूँ और मोबाइल ले लूँ. अवी- ठीक है आओ जल्दी.
मैं अब क्या करती एक तरफ अवी चलने कि जिद कर रहा था और दूसरी तरफ ऐसी ड्रेस थी. मैंने सोचा कि दिया तो अवी ने ही है, उसे कोई दिक्कत नहीं है तो मुझे क्या करना. ये सोच कर मैंने अवी से कहा- देखो आस पास कोई बाहर तो नहीं और अपनी कार का दरवाजा खोल दो, जहाँ मुझे बैठना हो और ये लो ताला और मेरे निकलने पर बंद कर देना. देखो कोई है? अवी- नहीं है बेबी.
यह कह कर अवी ने कार का दरवाजा खोल दिया. मैं वापस अन्दर गई और अपने आपको देखा कि मेकअप सही है या नहीं और सब सही है, देखने के बाद मैं जल्दी जल्दी से भाग कर कार में बैठ गई. अवी मुझे देखता ही रह गया. मैं- जल्दी से बंद करके आओ. पर अवी सुन कहा रहा था वो तो मुझे देख ही रहा था नजरें ही नहीं हटा पा रहा था- आता हूँ.
मैंने आगे के दोनों बटन बंद कर लिए और जहाँ तक हो सका, खुद को छुपाने की कोशिश की. पीठ तो गद्दी से बंद थी ही लेकिन मेरा पेट और मेरे पैर दिख रहे थे.
अवी दरवाजा बंद करके आया और अन्दर बैठ गया. वो मुझे देखता ही रह गया. उसके मुँह से कोई शब्द ही नहीं निकल रहे थे. शायद उसे भी इतनी उम्मीद नहीं थी कि मैं ऐसी मस्त माल दिखूंगी.
मैं- चलो अब क्या देख रहे हो? अवी- जानेमन, तुम्हें ही देख रहा हूँ.. अच्छा चलता हूँ. वैसे एक बात बताऊँ आज तुम बहुत अच्छी लग रही हो, इतनी अच्छी कि मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता हूँ. ये तुम्हारा बदन ओह गॉड.. एकदम हॉट.. मैं- बस करो और जल्दी इस गली से निकलो ताकि कोई देख ना ले. फिर बाद में मुझे देखते रहना. वैसे भी इतनी सुन्दर मैं तुम्हारी ही ड्रेस से तो लग रही हूँ.. ना देते तो ये कहां हो पाता. अवी- बेबी सच में बहुत सेक्सी और हॉट लग रही हो.
यह कह कर उसने मेरा हाथ पकड़ लिया पर मैंने हटाते हुए पूछा- कहां चल रहे हो? अवी ने बताया कि उसके घर पर..
अब मैं सन्न सी रह गई कि उसके घर! अवी ने जानबूझ कर कार की गर्म वाली एसी चला दी. अब कुछ गर्मी सी लगने लगी तो अवी ने कहा. अवी- यार मेरी जान इतनी गर्मी लग रही है तुम ये बटन खोल दो ना.. यहाँ मेरे अलावा और कौन है और उसने ये कहते हुए खोलने के लिए हाथ आगे बढ़ाए. मैं- मैं खोल रही हूँ.. तुम कार पर ध्यान दो, इधर नहीं.
मैंने ये कह दिया लेकिन खोला नहीं.
इसी तरह की बातों में रास्ता ख़त्म हो गया और हम अवी के घर पहुँच गए. गेट कीपर ने दरवाजा खोला पर ब्लैक शीशा होने से अन्दर नहीं देख पाया और अवी ने कार ले जाकर अपने रूम के पास रोका और मुझसे कहा कि अभी मैं आऊंगा और कहूँगा, तब बाहर निकलना.
अब इस बात से मुझे डर लगने लगा कि क्या बात है, पर वो गेट कीपर के पास गया और कहा कि कोई भी मुझे पूछे तो कह देना कि बाहर गए हैं. घर पर कोई नहीं है.
ये कह कर अवी घर के अन्दर चला गया और थोड़ी देर बाद अपने रूम के दरवाजे से बाहर आया और मेरे गेट के पास गेट कीपर की तरफ मुँह करके उसे देखते हुए कहा- बेबी, इस दरवाजे से अन्दर जाओ, मैं गाड़ी लॉक करके आता हूँ. मैं- ठीक है.
मैं उठी और जल्दी से भाग कर रूम में पहुँच गई ताकि कोई देख ना पाए. मैं अन्दर जाकर और हैरान थी कि इतना सजा कर रखा था रूम.. जैसे कोई खास मेहमान आने वाला हो. अब आगे जो भी होगा उसे सोच कर मैं परेशान होने लगी.
अवी- और बताओ मेरी जान मेरा रूम कैसा लगा? वो ये कह रहा था और मुझे देख रहा था. मैं- बहुत अच्छा है. अवी- बैठो, मैं कुछ खाने को लाता हूँ.
और वो घर के अन्दर चला गया. मैं अब अवी का रूम देख रही थी बिस्तर पर गुलाब बिछे थे और सब सजा था. मैं वहीं शीशे में अपने आपको देखने लगी. मुझे शरारत सूझी तो मैंने अपने बाल सही किए, अपने कपड़े सही किए और अपने टॉप के बटन को खोल दिया. अब मेरी ब्रा बिल्कुल साफ साफ दिख रही थी और स्कर्ट को थोड़ा ऊपर ऐसे कर दिया कि मैं बैठूँ तो मेरी पैंटी दिख जाए. लिपबाम लगाई और टॉप दोनों कंधों से थोड़ा नीचे कर लिया. अब मेरे कंधे पूरे दिख रहे थे और ये सब करके मैं वहीं फूलों पर बैठ गई.
थोड़ी देर के बाद अवी आया और कहा- ये लो मेरी जान.. यह कह कर वो मुझे देखता ही रह गया. वो कोल्ड ड्रिंक लाया था. मैंने कहा- लाओ दो, क्या घर में कोई नहीं है? अवी ने मुझे कोल्ड ड्रिंक दी और वो खुद खड़ा रहा और मुझे घूरता हुआ पीने लगा.
मैं- क्या हुआ.. आज बहुत गौर से देख रहे हो.. कोई खास बात है क्या? गिलास वापस करते हुए मैंने ऐसा कहा. अवी- हां है तो बहुत खास बात.. पर समझ में नहीं आ रहा है कि कैसे बताऊँ. मैं- बताओ. अवी- तुम खड़ी हो तो बताऊँ.
इस बात पर मैं खड़ी हो गई और वो मेरे सामने घुटनों के बल बैठ गया. उसने एक गुलाब निकाल कर मेरी तरफ कर दिया और प्रपोज किया. मैंने भी एक्सेप्ट कर लिया.
ये सब उसने मेरा एक हाथ पकड़ कर कहा था. अचानक वो खड़ा हुआ और मेरे सामने से आकर मुझे गले से लगा लिया. मैं भी उसके गले लग गई क्योंकि मैं जान गई थी कि इस तरह मुझे देख के कंट्रोल करना आसान नहीं है. वो गले से लगा रहा.. हिल भी नहीं रहा था. ना कुछ कर रहा था.
मैं भी शांत हुई ही थी कि तभी वो मेरी खुली पीठ पर अपना हाथ फेरने लगा और मेरे कंधे पर अपने होंठ लगाने लगा. अब मेरी बॉडी में भी अजीब सी तरंग दौड़ने लगी थी. मैंने भी मना नहीं किया और वो ऐसे ही करता रहा. मेरी साँसें बढ़ने लगीं. तभी उसने मुझे छोड़ दिया और कहा- बैठो.
मैं बिना कुछ बोले बैठ गई, पता नहीं मुझे क्या हो गया था कि मैं कुछ कह नहीं पा रही थी, उसके ऐसा करने से कहीं खो सी गई थी. फिर उसने कहा- लेट जाओ. मैं बिना कुछ बोले ही उन गुलाबों पर लेट गई. वो मेरे पैरों के पास बैठा था, मेरे पैरों को उठा कर उसने बेड पर रख दिया और ऐसा करने से मेरी पैंटी थोड़ी दिखने लगी. मैंने भी कोई प्रतिक्रिया नहीं की, ना खुद को सही किया, ना हिली वैसे ही लेटी रही.
मैं ऐसे लेटी थी कि मेरे टॉप का जो हल्का कपड़ा था, वो भी ऊपर खिसक गया था और मेरे मम्मों के पास पहुँच गया था. ऊपर मम्मों के आगे भी गला पूरा खुला था.. नीचे मेरी पैंटी दिखने लगी थी.
तभी अवी उठा और उसने पंखा चला दिया. पंखा चलने से ऊपर गुलाब के फूल ही फूल गिरने लगे. इतने गिरे कि मेरे पूरे शरीर पर आ गए. तब मैंने अवी से कहा- बहुत अच्छा स्वागत किया है मेरा.. क्या बात है. अवी- मैंने तो अपनी जानेमन दिलरुबा का स्वागत किया है बस.. और वो मेरा हक है.
मैं उन फूलों पर और फूल मेरे ऊपर.. ऐसा लग रहा था कि मैं जन्नत में हूँ और अवी भी मेरे पास आकर मेरे खुले पेट पर हाथ रख कर लेट गया. उसके इस स्वागत से मैं इतना खुश थी कि मैंने मना कुछ नहीं किया. तब उसने बताया कि आज उसका जन्म दिन है. मैंने चकित हो कर थोड़ा उठते हुए कहा- तुमने पहले क्यों नहीं बताया.. मैं तुम्हारे लिए कुछ लाई भी नहीं हूँ? अवी- पहले मैं बता देता तो ये प्यार थोड़े मुझे मिलता.. बस तुम आज सारा दिन मेरे साथ रहो, बस यही मेरा गिफ्ट है मेरी जान.
मैं- अच्छा मेरे बाबू को क्या चाहिए बताये तो.. मैंने प्यार से उसकी नाक पकड़ते हुए कहा. अवी- सच में तुम मुझे कुछ देना चाहती हो? मैं- हाँ बताओ तो! अवी- पहले वादा करो जो मागूंगा वो तुम दोगी. मैंने उसकी नाक खींचते हुए कहा- हां बाबा दूंगी बताओ तो? अवी- मुझे दो चीज चाहिए बस.. मैंने कहा- हां बताओ? अवी- नहीं तुम नहीं दोगी मुझे पता है. मैं- दूंगी.. पक्का दूंगी तुम मांगो तो सही. अवी- तो पहली कि मेरी शाम की पार्टी तक तुम यहीं रहो और शाम को पार्टी के बाद जाना. मैं- ठीक है मैं रहूँगी लेकिन मेरी ड्रेस ये गन्दी हो जाएगी तो शाम की पार्टी में क्या पहनूंगी और दूसरी बात? अवी- मैं ले आऊंगा दूसरी ड्रेस ओके..
मैं- ओके और दूसरी बात? अवी- और तुम मेरे साथ गले लग जाओ और बहुत देर तक.. जब तक मैं ना कहूँ तुम मुझसे दूर मत जाना.. बस. मैंने सोचा कि केवल गले ही तो लगना है जैसे अमित लगा होगा तो लगी रहूंगी. यही सोच कर मैंने कहा- ठीक है ये भी कर दूंगी और कुछ? अवी- नहीं मेरी जान यही मेरा सबसे बड़ा गिफ्ट है.. रुको मैं एक मिनट में आता हूँ.
ये कह कर अवी अन्दर चला गया और थोड़ी देर बाद आया और साउंड सिस्टम में रोमांटिक गाने की टोन बजा दिया.
वो मेरे पास आ गया और कहा- अब अपना दूसरा वादा पूरा करो और मेरे गले से लगो.
मैं बेड पर से उठी और नीचे आकर उसके गले से लग गई. उसने मेरे दोनों हाथ अपने गले में पकड़ने को कहा और उसी तरह पकड़ा दिया.
ऐसा करने से मेरा टॉप ऊपर को खिसक गया. उसने अपने दाहिने हाथ को मेरी पीठ के पीछे से दाहिनी तरफ की कमर पर खुले में रख दिया. बाँए हाथ से मेरी खुली पीठ पर बांई तरफ कंधे के पास रखा और मुझे अपनी तरफ खींच कर अपने सीने से लगा लिया.
अब मेरी पूरी बॉडी उससे टच कर रही थी. मेरे चूचे उसके सीने में दब रहे थे. उसने कहा कि मैं अपने पैर उसके पैरों पर रखूँ. वैसे मैं भी इस स्थति में मैं क्या कर सकती थी, वो जैसा जैसा कह रहा था, वैसा वैसा कर रही थी. मैंने अपने दोनों पैर उसके पैरों के पंजों पर पर रख दिए. अब ऐसी दशा में मेरा पूरा शरीर उससे टच कर रहा था और मेरे खुले अंग पर उसका छूना तो बहुत ही अच्छा लग रहा था.
उसने ऐसे ही कुछ देर तक मुझे दबाये रखा. फिर और कस के दबा दिया. अब मेरे चूचे बहुत दब रहे थे और मुझे ऐसा लग रहा था कि इतने में ही वो टाइट हो रहे हैं, बड़े होते जा रहे हैं.
मेरा मुँह ऊपर की तरफ ही था और उसका मुँह मेरी तरफ था. उसने मेरे माथे पर अपने होंठ रख दिए. मैंने आँखें बंद कर लीं.. क्योंकि मुझे पता नहीं इससे क्या हो गया था. मेरी आँखें बंद थीं तो मैं कुछ जान नहीं पा रही थी कि क्या हो रहा है. अचानक लगा कि मेरे होंठों के पास कुछ है, मैंने आँखें खोलीं तो उसकी आँखें थीं. मेरी आँखों के सामने. मैं कुछ समझ पाती कि उसने अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दिए. फिर तो पता नहीं मुझे क्या हो गया. मैं सुन्न अवस्था में चली गई जैसे कुछ भी नहीं कह पा रही थी. धीरे धीरे उसने मेरे होंठों को अपने होंठों के बीच में ले लिया और दबाये रहा. कुछ देर में उसने चूसना शुरू कर दिया और दाँतों से हल्के से दबा कर मेरे होंठों को चूस रहा था.
अब मुझे होश ही नहीं रहा, बस ये लग रहा था कि कुछ अजीब सा हो रहा है, पर मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.
मेरी आँखें खुल ही नहीं रही थीं और वो मेरे होंठों को चूस रहा था. जैसे जैसे वो चूसता जा रहा था, वैसे वैसे मुझे अच्छा लगता जा रहा था. मेरा मन कर रहा था कि वो ऐसे ही करता जाए. मैं उसी में खोती ही चली जा रही थी और वो चूसता ही जा रहा था. वो मुझे चूसते चूसते इधर उधर हिल भी रहा था.
अब उसके हाथ एक जगह नहीं थे, कहीं मेरे टॉप के अन्दर जा रहे थे, कहीं मेरी स्कर्ट पर जा रहे थे, कभी मेरे पेट पर घूम रहे थे. लेकिन इस सब से बेखबर मैं तो लिप किस का मजा ले रही थी.
तभी उसने अपने हाथों से मेरे टॉप को थोड़ा ऊपर कर दिया और हाथ से रगड़ने लगा. अब मेरी साँसें तेज हो गई थीं, पर मुझे अच्छा बहुत लगने लगा था. वो अब मेरे गले में किस कर रहा था और मुझे मज़ा भी बहुत आ रहा था तो मैंने मना भी नहीं किया कि अब ये ना करो.
तभी.. मेरे मना ना करने के बावजूद मेरे मजे में खलल पड़ गया क्योंकि कोई आ गया था.
मेरी इंडियन सेक्स स्टोरी कैसी लग रही है.. अपने विचार मुझे बताएं! कहानी जारी है. [email protected]
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