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मेरा नाम लव है और मैं बिलासपुर जिले का रहने वाला हूँ. मैं दिखने में तो स्मार्ट हूँ, मेरी हाइट 5 फिट 8 इंच है. मेरा लंड साढ़े छह इंच लंबा और ढाई इंच मोटा है. मैं एक एथलेटिक्स बॉडी का लड़का हूँ. मैं अपनी 12 वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद कॉलेज की स्टडी करने रायपुर आ गया था.
इससे पहले मैं बहुत ही सीधा और शरीफ लौंडा था. कॉलेज में एडमिशन के बाद मैं अपने कालेज के पास किराये के मकान में रहने लगा. जिस घर में मैं रहता था वहां के मकान मालिक दूसरे धर्म के थे. उनकी दो लड़कियां थीं, एक की शादी हो चुकी थी और वो इलाहबाद अपनी ससुराल में रहती थी. दूसरी की शादी भी हो गई थी, लेकिन उसका शौहर विदेश में रहता था.. और साल में 3 महीनों के लिए इंडिया आता था. वो अपने अम्मी अब्बू के साथ ही रह रही थी.
बातों बातों में तो मैं लड़की का नाम बताना ही भूल गया. उसका नाम मुमताज था. वो 30 साल के करीब की होगी. मुमताज़ दिखने में बला की खूबसूरत थी. उसका बदन छिले हुए अंडे की तरह सफ़ेद था. मुमताज का बदन भरा हुआ था, यही कोई 36-32-36 की होगी, हाईट भी ठीक ठाक थी पांच फीट तीन या चार इंच.
शुरुआत में तो मैंने उसे कभी गलत नजरों से नहीं देखा था. लेकिन मेरा ये मानना है कि उसको कोई भी एक बार देख ले तो उसकी चूत को कुल्फी की तरह चाट चाट कर ही चुदाई करेगा. मैं हमेशा से उसकी इज्जत करता था क्योंकि वो मेरा बहुत ख्याल रखती थी. वो बहुत खुश मिजाज थी, मेरे साथ भी खूब बोलती बात करती थी, मजाक भी करती थी. मतलब मुमताज एक मस्तानी लौंडिया थी
एक दिन की बात है, उसके अम्मी अब्बू किसी पारिवारिक गमी में तीन दिनों के लिए इलाहबाद जाने वाले थे, तो उन्होंने मुझे घर की जिम्मेदारी सौंप दी और सारनाथ एक्सप्रेस से चले गए. गामी के महाल में वे अपनी बेटी मुमताज को नहीं ले गए, वो घर में ही रुकी.
अब घर में मैं और मुमताज रह गए थे. मुमताज जो उम्र में मुझ से करीब 8 साल बड़ी थी. उसने मेरे लिए भी रात का खाना बना लिया था क्योंकि मुझे अब रात को मकान मालिक के घर में ही रुकना ही था.
मैं अपनी कुछ पुस्तकें लेकर मुमताज के घर रुकने चला गया ताकि अकेली मुमताज को डर न लगे. रात तक़रीबन सवा नौ बजे रहे होंगे, हमने मटन करी और रोटी खाई. खाना खाने के बाद हम दोनों आपस में टीवी देखते देखते बात करने लगे.
उसने पहले मेरी क्लास और क्लास की लड़कियों के बारे में पूछा. मेरी क्लास में 20 लड़कियां और 35 लड़के पढ़ते थे. धीरे धीरे बात प्यार मोहब्बत पर पहुंच गई. मैं भी मुमताज़ के सवालों के जबाब देता गया.
फिर बात मोहब्बत के आखरी पड़ाव मतलब चुदाई तक पहुंच गई. मुझे थोड़ा अटपटा सा लगा लेकिन मैं ये सामान्य बात समझ रहा था.. जो अक्सर महिलायें करती हैं. मुमताज- तेरी कोई गर्लफ्रेंड है क्या? मैंने कहा- हां.. “क्या नाम है?” “पायल.” “कुछ किया कि नहीं?” मैं सकुचाते हुए बोला- किस किया. मुमताज बोली- बस? मैंने बोला- हां. तो बोली- तो फिर गर्लफ्रेंड रखने का कोई मतलब नहीं हुआ. मैंने पूछा- तो और क्या करना चाहिए था? “अरे तुम साइंस पढ़ने वाले लड़के हो.. इतना भी नहीं जानते?”
अब मैं भी मुमताज से खुलने लगा था. मैंने बोला- एक दिन मौक़ा मिला था और उस दिन मैं करना तो बहुत कुछ चाहता था, पर प्रेक्टिकल रूम में अटेंडेंट आ गया था. मुमताज मुस्कुराने लगी. फिर मैंने पूछा- भाई साब 6 महीनों में आते हैं, तो आप कैसे करती हो? उसने कहा- कुछ नहीं.. बस इंतज़ार. कहते हुए वो मुझे दुखी सी लगी तो मैंने भी आगे कुछ नहीं पूछा और हम टीवी देखने लगे.
उसने चैनल बदल कर हिस्ट्री चैनल लगा दिया, जिसमें “हाउ सेक्स चेंज दि वर्ल्ड..” चल रहा था. मुझे ये देख कर थोड़ा ख़राब लगा, लेकिन मन में जिज्ञासा भी हो रही थी. उतने में टीवी सीन में चुदाई का सीन आने लगा, जो पूरा क्लियर ही था.. बस चूत और लंड के जगह पर काली पट्टी दिख रही थी. हम दोनों एक ही सोफे पर बैठ कर सेक्स प्रोग्राम देख रहे थे कि अचानक उसका हाथ मेरे लंड पर महसूस हुआ. मैं झटके से चौंक कर खड़ा हो गया. मैंने पूछा- आप ये क्या कर रही हो? तो बोली- कुछ नहीं.. गर्लफ्रेंड को क्या करना चाहिए, ये बता रही हूँ.
अब मुझे समझ आ गया था कि आज की रात कयामत की होगी. उसके लंड पकड़ने के बाद मेरी कामुकता भी जागृत हो गई. फिर उसने पूछा- तुम सेक्स के बारे में कुछ जानते हो? मैंने बोला- हां. “कैसे जानते हो?” “मैंने ब्लू फ़िल्म देखी है.” “कभी सेक्स किया है?” मैंने बोला- नहीं.. लेकिन करना चाहता हूँ. उसने बोला- चलो मैं सिखाती हूँ.
उसने मुझे खड़ा किया और मेरा लंड ऐसे पकड़ लिया जैसे मुझे गिरफ्तार कर लिया हो. फिर उसने मेरा निक्कर नीचे खींच दिया, मैं अर्ध नग्न उसके सामने खड़ा था. फिर क्या मुमताज़ ने मेरा लंड अपने मुँह में पिस्ता कुल्फी की तरह ले लिया और ऐसे चूस रही थी कि मानो छोटे बच्चे के हाथ में लॉलीपॉप हो. उसके “सड़प सड़प..” कर चूसने से मेरा लंड अपनी पराकाष्ठा पर पहुँच गया. मेरा वीर्य स्खलन मुमताज़ के मुँह में हो गया. उसने भी सारी रबड़ी मलाई चट कर ली.
अब क्या था. मैंने भी उसके कपड़े उतारना चालू किए. उसकी काले रंग की कुर्ती पायजामा को मैंने एक ही झटके में निकाल फेंका. वो अब सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी. मेरे सामने पेंटी में कैद मुमताज़ की गांड लगभग 32 इंच की, नंगी मलाईदार कमर 29 इंच की और उसके तने हुए मम्मे 36 इंच के थे. ब्रा पेंटी में खड़ी मुमताज़ को मैंने अपनी बाँहों में भर लिया उसके रस भरे होंठों को मैंने इस तरह चूस रहा था कि मानो कोई आम से रस चूस रहा हो.
उसकी ब्रा खोलते ही उसके सुडौल स्तन गेंद की तरह फुदकने लगे. मुमताज़ के मम्मों के निप्पल को मैंने मुँह में भर लिया और चूसने लगा.. मैं इस कदर बहशी होकर चुसाई कर रहा था, मानो आज उसको मम्मों का पूरा रस ही निकाल लूँगा. मुमताज की पैंटी उतारने के साथ ही वो पूरी तरह नंगी हो चुकी थी. मुमताज की चूत पर हलके हलके बाल थे जैसे 3-4 दिन पहले हेयर रिमूवर क्रीम से साफ़ किये हों. मैंने उसकी चूत पर हाथ फिराया तो उसकी सिसकारियां निकलने लगी.
मेरा मन किया कि कुछ नया किया जाए. तो मैंने मुमताज़ को बोला- फ्रीज़ से ठंडी कोल्ड ड्रिंक ले आ.
उसने वैसा ही किया. उतने में मैंने म्यूजिक चैनल लगा दिया. मैं नंगा होकर सोफे पे था और मेरे सामने किसी बार डांसर की तरह नंगी मुमताज़ अपनी गांड मटका रही थी. उस समय ये माहौल था कि मुमताज़ का दूधिया बदन, उसके बड़े और सुडौल स्तन ठोस गांड.. हेलन की तरह मटक रही थी. मेरा लंड 90 डिग्री की सलामी दे रहा था. मेरी जांघों के पास आकर मुमताज मेरा लौड़ा मुँह में लेकर चूसने लगी. मैं कोल्ड ड्रिंक अपने लंड पर थोड़ा थोड़ा गिराने लगा और मुमताज मेरे लंड से कोल्ड ड्रिंक पीने लगी.
अब मेरी बारी थी, मैंने मुमताज़ को सोफे ही लिटा दिया और उसकी चूत को चाटने लगा. मैं 69 की स्थिति में होकर उसकी चूत चाट रहा था और वो मेरा लंड चूसे जा रही. उसकी चूत में मैं जोर जोर से उंगलियों से उसकी चुत की चुदाई कर रहा था.
मुमताज़ चिल्ला रही थी- अहह.. चोदो चोदो मेरे राजा.. और ज़ोर से चोदो.. कितने महीनों बाद आज चुदी हूँ.. उह.. चोदो.. ये बोलते बोलते मुमताज़ अकड़ने लगी. मैं उंगलियों से चुदाई जीभ से चूत चाट रहा था. तभी मुमताज़ झड़ गई.
फिर हम दोनों लेटे लेटे बात कर रहे थे. मैंने पूछा- भाई साब कैसे चोदते हैं? तुम्हें मजा आता है उन से चुद कर? वो बोली- मत पूछो.. आज तक मेरे को चरम सुख नहीं मिला है.
ये सब बात करते करते मेरा लंड फिर सलामी देने लगा. मैंने मुमताज को बिस्तर पर लेटाया और उसकी छाती पर बैठ कर अपने लंड से उसके स्तनों की चुदाई करने लगा. मुमताज़ बोली- यार, अब तो चोद भी दे.. मत तरसा.. मेरे चुदक्कड़ राजा.. चोदो.. बहुत दिनों से प्यासी हूँ.
मैं तुरंत ही बिना समय गंवाए उसकी चूत के मुहाने पे लौड़ा टिका दिया. मेरा साढ़े 6 इंच लम्बा और ढाई इंच मोटा लंड उसकी चूत की गहराइयों को नापने के लिए तैयार था. फिर एक ही झटके में मेरा 4 इंच लंड चुत में समां गया, उसके मुँह से दर्दनाक कराह निकली- या खुदा.. मर गई अम्मी.. लेकिन मैं भी जोशीला चोदू, उसकी चूत की जड़ तक लंड डाले बिना कहां मानने वाला था.
दूसरे धक्के में पूरा लंड जड़ तक समां गया. धीरे धीरे मैं अपना लंड अन्दर बाहर करने लगा, अब उसे भी अच्छा लग रहा था.
मुमताज चुदाई में मेरा भरपूर साथ दे रही थी. मैं रगड़ के उसकी चुदाई करता जा रहा था.
चुदाई करवाते हुए मुमताज़ रंडी बन गई थी. वो बोल रही थी- मादरचोद चोद भोसड़ी के.. इतने दिन क्या अपनी माँ चुदा रहा था.. इतने दिनों से मैं प्यासी हूँ भैन के लंड अपना लंड नहीं दे सकता था.. “साली रंडी मैं तेरे ही घर में रहता हूँ.. मादरचोद बहन की लौड़ी.. क्या मेरे कमरे में आ कर चुदवा नहीं सकती थी.. आज तेरी चूत को ऐसे चोदूंगा कि तू अपने मादरचोद खसम को भूल जाएगी.. आह ले तेरी माँ की चूत में छाता खोलूं.. मादरचोद..”
फिर पोज़ चेंज करके मैंने मुमताज़ को कुतिया बना दिया. उसकी लपलप करती चूत में पीछे से अपना लौड़ा डाल कर भीषण धकापेल चुदाई करने लगा. बीस मिनट बाद अब वो झड़ने वाली थी, सो चिल्लाने लगी- चोद और जोर से चोद मादरचोद.. आज ऐसा चोद मादरचोद कि मेरी फुद्दी ही फट जाए.. मेरी स्पीड राजधानी एक्सप्रेस जैसी हो गई थी.
“मैं छूटने वाला हूँ..” “मादरचोद चोद रे.. चोद.. डाल दे मेरी फुद्दी में पूरा रस.. आह.. डाल दे..”
फिर 10 से 15 झटकों के बाद हम दोनों झड़ गए. हम दोनों नंगे ही एक दूसरे से चिपक कर लेट गए. चुदाई के नशे में हम सो गए.
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