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कहानी का पिछला भाग : पंजाबन लड़की की गांड चोदन कहानी-1
अब तक इस चोदन कहानी में आपने पढ़ा.. शादी से पहले हमारी काम वाली के लड़के ने मेरी कुंवारी गांड मारी, फिर मेरी शादी के बाद मैं अपनी ससुराल से अपने भतीजे (पति के भतीजे, जेठ के लड़के) के साथ अपने पति के पास जा रही थी और रास्ते में एक होटल में उसने मुझको गांड मरवाने के लिए राजी कर लिया। अब आगे..
मैं- पहले दरवाजे को डबल लॉक करके आओ। वो गया.. फिर उसने कमरे की डिम लाइट जला दी। मैं- अब क्या करना है बताओ? वो- चाची आप घोड़ी की तरह हो जाओ।
मैं वैसे ही हो गई.. वो मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया।
वो- चाची कोई क्रीम है क्या आपके पास? मैं- नहीं.. लेकिन आयल है।
वो खुश हुआ.. और बोला- लाओ चाची मुझे दो।
मैंने अपने सामान से हेयर आयल की छोटी बोतल निकाल कर उसे दे दी।
फिर उसने आयल को मेरी गांड के अन्दर तक लगा दिया और फिर गांड को दोनों हाथों से खोला।
वो- चाची जी.. आप अपने हाथों से गांड को खोल कर रखो.. मैं अन्दर तेल डालता हूँ। मैंने वैसे ही किया। तेल मेरी गांड के अन्दर तक जाता हुआ मुझे फील हुआ।
उसने बोतल साइड पर रख दी। फिर वो अपने लंड को मेरी गांड पर घिसने लगा.. मुझे उसका लंड काफ़ी सॉफ्ट सा लग रहा था। लौड़ा रगड़ते हुए उसने लंड को एक जगह पर रोक दिया.. और थोड़ा सा आगे को पुश किया।
मुझे उसका लंड अन्दर जाता फील हुआ.. कमरे में पूरा सन्नाटा छाया हुआ था। मैंने एक लंबी साँस ली और एकदम सावधान सी हो गई। उसने थोड़ा सा और धक्का लगाया.. लंड और अन्दर चला गया। मुझे थोड़ा सा दर्द हुआ.. मेरे मुँह से ‘आह…ह..’ निकल गई।
कमरे में सिर्फ़ उसकी तेज साँसें और मेरी साँसें चल रही थीं। वो कभी-कभी सिसकारियाँ भी ले लेता। उसने अपने लंड को बाहर निकाला और उसने फिर से ट्राइ किया.. इस बार लंड आधा अन्दर चला गया था। मेरी जान निकल रही थी.. मेरी टांगें हिलने से पायल की आवाज़ भी आ जाती.. जिससे वो थोड़ा जोश में आ जाता, उसने लंड को अन्दर करने के लिए और ज़ोर लगाया। लंड मेरी टाइट गांड को चीरता हुआ अन्दर जा रहा था।
मैंने तकिया पकड़ लिया और उस पर अपना मुँह दबा लिया.. ताकि मेरी आवाज़ बाहर ना चली जाए। उसने लंड को आधे से ज़्यादा अन्दर कर दिया.. मेरी आँखों में पानी आने लगा, मेरी गांड में बहुत दर्द हो रहा था, मैंने बेडशीट कस कर पकड़ ली और दाँतों से तकिया दबा लिया।
फिर मैंने अपने दोनों हाथ पीछे ले ज़ाकर गांड को खोला, उसने अपने दोनों पैरों को मेरी टाँगों पर रख दिया, वो पूरा ज़ोर लगा कर लंड को अन्दर करने लगा, उसके पैर मेरे टांगों से एकदम चिपके होने के कारण स्लिप नहीं हो पा रहे थे।
तभी मुझे उसके आंड अपनी गांड पर बजते हुए महसूस हुए.. जिससे मुझे यकीन हो गया कि उसका लंड पूरा अन्दर चला गया है। दो मिनट रुकने के बाद.. उसने मेरी पीठ पर किस किया और लंड को बाहर निकालने लगा, मुझे हद से ज़्यादा दर्द होने लगा.. मेरी गांड की चिपकन फिर से खुल चुकी थी.. गांड थोड़ी खुल गई थी।
उसने धीरे से अपना लौड़ा अन्दर बाहर करना शुरू किया। मेरी गांड अन्दर से गर्म हो चुकी थी, मैंने रोते हुए कहा- ओह.. आउच.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… प्लीज़ रवि.. रुक जाओ। लेकिन वो तो मज़े से मेरी सवारी कर रहा था, उसने अपनी थोड़ी स्पीड बढ़ा दी, मैंने बेडशीट कस कर पकड़ ली.. और अपने मुँह को पूरा दबा लिया, कमरे में मेरी चूड़ियाँ और झांजरों की छन-छन सी होने लगी।
वो मेरे ऊपर पूरी तरह सवार हो गया और अपने खड़े लंड को धक्के मार कर मेरी गांड में ‘इन-आउट’ कर रहा था। मेरी गांड की टाइट ‘रेक्टम’ और ‘मसल्स’ उसके लंड को मज़ा दे रही थीं। मैंने सोचा कि अब यह नहीं हटेगा… उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं.. उसे बहुत मज़ा आ रहा था और नीचे मेरा बुरा हाल हो रहा था, उसका लंड फँस फँस कर अन्दर बाहर हो रहा था।
मैं- ओह माय गॉड.. प्लीज़ रवि.. सहन नहीं हो रहा.. प्लीज़ बस करो। पर उसने मेरी एक ना सुनी बल्कि उस साले ने अपनी स्पीड और तेज कर दी। उसके आंड मेरी गांड से खूब जोर से टच हो रहे थे। उसने अपने हाथ आगे लाकर मेरे मम्मों को पकड़ लिया और अपनी स्पीड बढ़ा दी।
फिर थोड़ी देर बाद उसके मुँह से ‘अहह.. चाची.. ओहह..’ निकला… उसने अपना गरम पानी मेरी गांड के अन्दर निकालना शुरू कर दिया। मुझे तो एकदम बहुत दर्द हुआ.. लेकिन मैं बर्दाश्त कर गई। उसका पानी काफ़ी गरम और गाढ़ा था.. ऐसा लग रहा था.. जैसे कोई खाली बॉक्स को क्रीम से भर रहा हो।
करीब 15 सेकंड तक उसने मेरी गांड अन्दर तक भर दी थी। फिर वो मेरे ऊपर ही लेट गया। थोड़ी देर में उसके उतरने के बाद मैंने अपनी गांड अन्दर से कस ली.. ताकि उसका पानी बाहर ना निकल जाए।
फिर उसने मेरी तरफ देखा तो.. मेरे गीले हुए चेहरे को देख कर कहने लगा- चाची आप रो रही हो? मैं- नहीं.. बस वैसे ही.. वो- सॉरी चाची। मैं- इट्स ओके.. मज़ा आया क्या? वो- बहुत मज़ा आया चाची।
रवि का देसी लंड श्याम के लंड से बहुत मोटा था इसलिए मुझे दर्द भी ज्यादा हुआ। मेरे आंसुओं से तकिया भी गीला हो गया था, उस पर मेरी लिपस्टिक भी लगी थी।
मैंने देखा उसके लंड पर बालों के छोटे-छोटे टुकड़े लगे हुए थे, मैंने सोचा यह मेरी गांड के बाल होंगे।
फिर हम लोग सो गए और अगली सुबह उसने एक बार फिर मेरी गांड मारी। उसके बाद हम चले गए।
यह मेरी सच्ची घटना है इस पर आप जो कहना चाहें.. स्वागत है.. पर प्लीज़ मुझसे ये न कहें कि मेरे साथ चुदा लो।
इस घटना के बाद मेरा भतीजा अपने गाँव वापिस चला गया था और मैं अपने पति के साथ अपनी जिन्दगी गुजारने लगी थी।
आज मेरी उम्र 30 साल हो गई है.. मेरे दो जुड़वां बच्चे हैं.. एक लड़का और लड़की। मैं कद में काफ़ी लंबी हूँ.. मेरी हाइट 5’10” है। मेरे मम्मे भी काफी बड़े हो गए हैं और एकदम गोरे-चिट्टे हैं। मेरे मम्मे ढीले नहीं हैं बल्कि ठोस और बहुत कसे हुए हैं।
मैं हमेशा कमीज़-सलवार ही पहनती हूँ और नीचे वाइट ब्रा पहनना मुझे पसंद है।
मेरे पति का कारोबार कमजोर हो गया और वे एक छोटी सी कम्पनी में मैनजर हो गए हैं। हमारे ऊपर 15 लाख का क़र्ज़ पड़ा हुआ था। वो क़र्ज़ देने वाला आदमी हमें इस कर्जा को चुकाने के लिए दो साल का समय दे चुका था.. लेकिन हम उसका क़र्ज़ लौटा नहीं पाए थे।
रवि, मेरा भतीजा.. वो पट्टी गाँव में रहता है जो कि मेरे शहर से करीब 38 किलोमीटर दूर है। उसके माँ-बाप ने उसे आगे पढ़ने के लिए मेरे पास आज ही भेजा हुआ था। जब मेरा भतीजा कहीं गया हुआ था तो तब वो आदमी हमारे घर आ गया.. मैं अकेली ही थी। उस आदमी के आते ही मैंने सिर पर चुन्नी ले ली।
उसने पैसों के बारे में पूछा.. मैंने कहा- अभी तो नहीं हैं। उसने कहा- अगर नहीं है.. तो ये घर आज शाम तक खाली कर देना। मैं तो डर सी गई, मैंने हाथ जोड़े और कहा- प्लीज़ कोई और सेवा बता दीजिए.. घर खाली नहीं कर सकते।
कुछ देर सोचने के बाद वो बोला- तो ठीक है.. अगर अप एक रात मेरे साथ बिताएँगी.. तो मैं पांच लाख तक माफ़ कर दूँगा। मैं पहले तो गुस्से में आ गई.. लेकिन फिर मैंने सोचा मेरी तो शादी भी हो चुकी है.. फिर एक रात से अगर पांच लाख माफ़ हो जाएँगे.. तो इसमें क्या बुराई है। मैंने उनसे कहा- ठीक है.. मैं सोच कर बताती हूँ।
जब उन्होंने मेरी रजामंदी सी देखी तो खुल कर कहा- मैं तुम्हारी गांड मारूँगा.. मुझे सिर्फ़ तेरी गांड ही चाहिए और कुछ नहीं।
सिर्फ गांड मारने की बात सुन कर मुझे लगा कि विधि का विधान भी किस तरह का होता है.. जिस पिछवाड़े को ठोकने की बात ये आदमी कह रहा है उसे मैं अभी तक फिजूल की बात समझ कर नजरअंदाज करती रही और आज यही फिजूल की बात मुझे कर्ज से मुक्ति दिलाने में सहायक हो रही है। मैं मन ही मन राजी होने लगी और खुश भी हो रही थी।
दिखावे के लिए पहले तो मैं एकदम से डर गई, मैंने ऐसे मुँह बनाया कि मुझे कुछ भी समझ में ही नहीं आ रहा हो.. मैं किस तरह से इस बात का सामना करूँ। तभी उन्होंने आँख मारते हुए कहा- कब मरवाओगी बताओ?
उनके द्वारा मुझे मुस्कुरा कर आँख मारने की बात से मुझमें भी थोड़ी हिम्मत आई और मैंने अपने मन में सोचा कि चलो जीवन के अनुभव का मजा भी ले ही लिया जाए। मेरे पति भी चार दिन के लिए कहीं गए हुए थे.. इसलिए मैंने कहा- कल रात को।
तभी उन्होंने अपनी पैन्ट उतार कर मुझे अपना लंड दिखा दिया, वो बहुत ही बड़ा था और लंबा भी था।
वो मुझे अपना लौड़ा दिखा कर चले गए, मैं सोचने लगी कि इतना बड़ा कैसे ले पाऊँगी। मैंने एक कमरे में जाकर अपनी सलवार नीचे की.. मैंने देखी कि मेरी गांड बहुत टाइट थी क्योंकि आज तक मैंने कभी अपने पति को गांड मारने नहीं दी थी.. वो बहुत ज़िद किया करते थे.. लेकिन मैंने उनको कभी मौका नहीं दिया था।
अब मैं थोड़ा पछता रही थी। मुझे पता था कि गांड चूत से कई गुना टाइट होती है।
फिर उसी शाम को मेरा भतीजा आ गया, मैंने उसे खाना खिलाया और वो टीवी पर वीडियो गेम खेलने लगा।
मैंने सोचा कि वो आदमी तो 35 साल का होगा.. जिसका इतना बड़ा लंड है.. मेरी गांड उसका लंड नहीं ले पाएगी.. क्यों ना अपने भतीजे का लंड एक बार फिर ट्राइ करके देखूँ.. क्योंकि मेरे भतीजे का लंड एक बार मेरी गांड में जा ही चुका है.. और फिर से उससे एक बार गांड मरा लेने से मेरी गांड भी थोड़ी ढीली भी हो जाएगी। मैंने उससे एक बार फिर से गांड मराने की सोची.. क्योंकि वो तो खुद ही गांड मारने के चक्कर में था।
रात हो गई थी.. मेरे बच्चा सो चुका था। मेरा भतीजा अभी अपने कमरे में सोने ही जा रहा था.. कि मैंने उससे कहा- रूको रवि। उसकी आँखें चमकी- जी चाची जी बताओ? मैं- आज मैं तुम्हारे साथ सोऊँगी। वो- हाँ चाची.. क्यों नहीं.. आ जाओ।
मैं उसके कमरे में डाबर हेयर आयल की बोतल लेकर चली गई। मैंने दरवाजा लॉक कर दिया.. साथ ही कमरे की डिम लाइट जला दी। मैं- रवि.. मेरी पीठ दर्द कर रही है.. मालिश कर दोगे? वो- हाँ चाची जी.. कर देता हूँ।
मैंने सोचा इससे तो एक बार गांड मरा ही चुकी हूँ.. इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा, मैंने अपनी कमीज़ ही उतार दी.. नीचे मेरी पसंदीदा वाइट ब्रा थी। मैं उल्टी लेट गई.. वो तेल से मेरी गोरी पीठ पर हाथ से मालिश करने लगा।
मैं- बेटा.. एक काम करोगे? वो- बताओ चाची जी? मैं- बेटा मेरी गांड में बहुत खुज़ली हो रही है.. इसे मिटा दोगे? वो- हाँ चाची उसी के फेर में मैं इतनी देर से हूँ। मैं- तो ठीक है.. तुम जल्दी से अपने कपड़े उतारो।
वो खुश हो गया और जल्दी से अपने कपड़े उतारने लगा। फिर मैंने भी अपनी ब्रा उतार दी और सलवार भी उतार दी। वो- चाची जी.. वाह्ह.. आज तो आप बड़ी गर्म हो रही हो।
मैं- हाँ यार, आज मुझे जरा खुजली हो रही है.. लेकिन तुम किसी को बताना नहीं.. कि मैं तुम्हें अपनी गांड का मज़ा देती हूँ। वो- नहीं बताऊँगा। मैंने उसका लंड अपने हाथ में पकड़ लिया.. वो एकदम कड़क हो गया। मैंने उसके लौड़े को सहलाना शुरू किया तो उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं।
मेरी टांगों पर रोम भी उगे हुए थे। जिससे मुझे लगा कि ये बाल देख कर वो आदमी मुझे नापसंद न कर दे और हमारे ऊपर चढ़ा हुआ कर्ज उतरने में कोई दिक्कत न आ जाए। मैंने सोचा कि कल वैक्सिंग करवा ही लूँगी।
मैं घोड़ी बन गई और उससे कहा- चलो अब रेडी हो जाओ। वो- अब क्या पूरा बताओगी, मुझे सब मालूम है चाची? मैं- तो ठीक है जल्दी से मेरे पीछे चढ़ जाओ और उस तेल की बोतल को पकड़ो।
उसने वो आयल की बोतल को पकड़ा।
मैं- अब जल्दी से मेरी गांड में धार बनाते हुए तेल डाल दो। मैंने अपनी गांड को हाथों से चौड़ा कर दिया.. और उसने काफ़ी सारा आयल मेरी गांड में डाल दिया। वो- चाची जी.. तेल डाल दिया है। मैं- ओके.. अब जल्दी से अपने लंड को मेरी गांड में डालो।
उसने अपने लंड को गांड पर रखा.. थोड़ा सा अन्दर किया.. मुझे दर्द महसूस हुआ.. तभी मैंने बेडशीट कस कर पकड़ ली। उसने थोड़ा और अन्दर किया.. मेरे मुँह से “अहह..” निकल गई। मैंने सोचा मेरी तेज आवाज से कहीं बच्चा ना उठ जाए। मुझे दर्द बहुत हो रहा था.. क्योंकि मेरी गांड लगभग पैक जैसी थी.. जो आज मेरा भतीजा उसे फिर से खोलने जा रहा था।
उसके मुँह से भी ‘आ.. आह.. अहह.. चाच्ची..’ निकला। मैंने सोचा इसे भी मज़ा आने लगा है। उसकी हाइट कम होने के कारण उसने अपने पैर मेरी टांगों पर रख लिए। वो मेरे ऊपर ही चढ़ गया। फिर उसने और ज़ोर लगाया और उसका आधा लंड गांड को चीरता हुआ अन्दर चला गया।
मेरी आँखों में आंसू आ गए, मैंने अपना मुँह तकिए से दबा लिया। मुझे यह सब एक मजबूरी के लिए करना पड़ रहा था। उसने एक और धक्का लगाया और पूरा लंड मेरी गांड में गाड़ दिया। मेरी टांगें एकदम कांप गईं.. और मुँह से ‘अहह…’ निकल गई।
मुझे उसके आंड अपने चूतड़ों पर टच होते फील हो रहे थे। उसका पूरा लंड मेरी गांड में समा गया था। मुझे उसका लंड उसके शुक्राणु से भरा हुआ फील हो रहा था।
उसने दो मिनट के बाद लंड बाहर निकालना शुरू कर दिया। मेरी आँखें पानी से भर गईं। मैंने अपना मुँह पूरा तकिए पर दबा दिया। उसने धीरे से अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। मैंने रोते हुए कहा- रुक जाओ रवि.. बहुत दर्द हो रहा है.. प्लीज़.. मुझे सहन नहीं हो रहा है। लेकिन उसने एक ना सुनी- चाची जी बहुत मज़ा आ रहा है। यह कह कर उसने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी।
कमरे मैं सिर्फ़ उसकी सिसकारियाँ और मेरी दर्द की “आहें..” निकल रही थीं। मेरी चूड़ियाँ और झांजरों की छन-छन हो रही थी। मुझे पता था कि गाँव के माहौल में पले-बढे रवि में सेक्स की पावर बहुत अधिक है।
मैं नीचे लेट गई.. लेकिन वो मेरे साथ ही चिपका रहा। मैं बेसुध होकर दर्द सहने लगी, उसने अपना सारा माल मेरी गांड में निकाल दिया। उसकी पिचकारी ने मेरी गांड में आग सी लगा दी। मुझे उसका गाढ़ा पानी अपनी गांड में निकलता हुआ फील हुआ.. वो अभी भी धीरे धक्कों के साथ पानी निकाल रहा था।
फिर मैंने उसे अपने मम्मों का सारा दूध पिला दिया.. ताकि वो कमजोर ना हो जाए क्योंकि उसका काफ़ी पानी निकला था।
अगली सुबह भी मैंने एक बार गांड उससे मरवा ली। फिर बाथरूम में जाकर मैंने उसका जमा हुआ पानी अपनी गांड से निकाल दिया।
उसी रात उस आदमी से भी अपनी गांड मरवा कर कर्ज माफ़ करवा लिया।
मुझे इतना दर्द उस आदमी से नहीं हुआ जितना भतीजे के लंड ने दिया था।
फिर तो मेरे भतीजे को मेरी गांड मारने की आदत ही पड़ गई। वो एक साल तक मेरे पास रहा.. उसने मेरी गांड को एक सिक्का ढालने जैसा कर दिया है।
यह मेरी गांड की चुदाई की सच्ची चोदन कहानी है इस पर आप जो कहना चाहें.. स्वागत है.. पर प्लीज़ मुझसे ये न कहें कि मेरे साथ चुदा लो। आपके विचारों का स्वागत है। [email protected]
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