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हैलो फ्रेंड्स, मेरा नाम जैस है और मैं जयपुर से हूँ. मेरी हाइट 6 फीट है.. और मेरे लंड का नाप 6.5 इंच है. मैं रंग का गोरा और हैंडसम हूँ.. मेरी बॉडी स्लिम है.
यह मेरी रियल चूत चुदाई सेक्स स्टोरी है कि कैसे मैंने अपनी किराये पर रहने वाली भाभी ज़ायरा को पटा कर उनकी चूत मारी.
मैं आप सभी को उनके बारे में बता दूँ कि उनका नाम ज़ायरा (बदला हुआ) था. ज़ायरा की हाइट 5 फीट 6 इंच के करीब होगी.. उसका रंग हल्का सांवला साफ रंग है. ज़ायरा के मम्मे न छोटे और न ज्यादा मोटे थे और स्लिम बॉडी के अलावा गांड भी थोड़ी उठी हुई थी.. जिसे देख कर मेरी हरामी ख्वाहिश जाग उठती थी. भाभी काफी मस्त माल थीं. ज़ायरा भाभी हमारे घर में अपने पति और एक बच्चे के साथ किराये पर रहती थीं. मुझे ज़ायरा भाभी बड़ी सेक्सी लगती थीं.
भाभी को हमारे यहाँ रहते हुए कुछ ही दिन हुए थे. एक दिन भाभी अपने कमरे में लेटी हुई थीं तो मैं वहां अचानक ही उनके कमरे में चला गया. भाभी उठ कर झट से खड़ी हो गईं, तो मेरी नजर उनके हाथ में एक किताब पर पड़ी, जो कि सेक्स से सम्बंधित कहानियों की थी. जिसे भाभी ने मुझे देख के पीछे छुपा लिया. मैंने भाभी से उनके यहाँ आने वाला न्यूज़ पेपर माँगा और लेकर निकल गया. वैसे हमारे घर भी न्यूज़ पेपर आता है मगर वो दूसरा आता है.
उस दिन से मैं उन्हें बदली निगाहों से देखने लगा और वो भी मुझे कुछ अलग नजरों से देखने लगीं.
फिर एक दिन जब मैं घर में था और उनका बच्चा स्कूल गया हुया था, मैं उनके कमरे में गया. उस समय ठण्ड का मौसम था. मैं उनके पास जा कर बैठ गया और फिर हिम्मत करके मैंने भाभी से बात करना स्टार्ट किया. मैंने उनसे उनके बारे में पूछना स्टार्ट किया- भाभी, आपके पास इस तरह आकर बात करने आया हूँ.. आपको बुरा तो नहीं लगा? भाभी ने भी हंस कर मुझे रेस्पॉन्स दिया और खुल कर बात करने लगीं. वो मुझसे भी पूछने लगीं कि तुम क्या करते हो? मैंने बोला- मैं एस एम एस हॉस्पिटल में काम करता हूँ.
भाभी ने बोला- तो तुम तो बहुत बिजी रहते होगे? “नहीं भाभी..” “इसका मतलब तुम्हारी तो फ्रेंड्स भी होंगी.” “क्या भाभी..?” “अरे.. गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?” “नहीं है.. मगर मेरे पास महिला पेशेंट दिखवाने के लिए बहुत आती हैं कि डॉक्टर को दिखवा दो और मैं भी उनकी हेल्प कर देता हूं. मगर कोई गर्लफ्रेंड नहीं बनी.”
यह सुन कर भाभी की आँखों में एक चमक दिखने लगी थी, भाभी ने कहा- तो तुम डॉक्टर्स को भी जानते हो और क्या मैं दिखाने आऊँगी तो तुम मुझे दिखवा सकते हो? मैंने तुरंत हां कर दिया और इसके बाद कुछ देर यूं ही गपशप के बाद मैं अपने कमरे में चला गया. रात को भाभी के बारे में सोचता हुआ मैं लंड सहलाता हुआ सो गया.
सुबह मैं जब अस्पताल के लिए जाने लगा, तो भाभी के हस्बैंड का कॉल मेरे पापा के पास आया और भाभी को दिखवाने के लिए कहा कि आप जैस को बोलो कि वो ज़ायरा को दिखवा दे. पापा के कहने पर मैंने हां कर दी. “हां” क्या… मैं भी तो यही चाहता था तो मैंने बोला- मेरे साथ ही भेज दो, दिखवा कर इन्हें मैं बस में बिठा दूंगा.
भाई साहब ने ज़ायरा भाभी को मेरे साथ भेज दिया गया. तब मैंने सोचा कि अब बात आगे बढ़ाई जाए. रास्ते में मैंने पूछा- भाभी, आपको क्या हुआ है, क्या तकलीफ है? भाभी ने बोला- कल रात से पेट के नीचे दर्द हो रहा है. मैंने हंसते हुए कहा- भाभी ऐसा क्या हो गया रात को, जो दर्द हो गया? भाभी ने कहा- चलो हटो.. मजे मत लो.
मैंने कहा- भाभी आप दर्द का कारण बताएंगी, तब ही तो दर्द का इलाज होगा. यह कह कर मैंने बाइक में जोर से ब्रेक लगाए तो भाभी के गोल गोल संतरे मुझे छू गए. अब भाभी ने भी सरक कर मेरे और पास आकर मुझे पकड़ लिया. अब भाभी के संतरे मुझसे चिपक गए थे.
मैं भी इसका फ़ायदा उठा कर बाइक को बार बार ब्रेक लगा रहा था, तो भाभी ने भी फटाक से पूछ लिया- आज ज्यादा मजे आ रहे हैं क्या.. जो बाइक में बार बार ब्रेक लगा रहे हो? मैंने भी मौका देख कर बोल दिया- भाभी जब पीछे बाइक पर कोई खूबसूरत हूर बैठी हो, तो मन क्यों नहीं करेगा. भाभी ने कहा- इसका मतलब तुम्हारी गर्लफ्रेंड है. मैंने बोला- वैसे तो है नहीं, मगर आप जैसी बने तो मजा आ जाए. भाभी ने पूछा- मैं? “हां.. क्योंकि आप जैसी फ्रेंड होगी तो मजा आ जाएगा.” भाभी ने भी हां कर दिया और कहा- चलो मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड बन जाती हूँ. मैंने भाभी से कहा- तो मैं भाभीजी आपको क्या बोलूँ? भाभी ने कहा- तुम भाभी ही बोलो.. नहीं तो तुम्हारे भैया को भी शक होगा. “ओके.. तो भाभी फिर आज क्या करें?” भाभी ने कहा- दवाई लेकर सेंटर पार्क में चलते हैं.
मैं भाभी को डॉक्टर को दिखा कर सेंटर पार्क में ले गया और अपना हाथ उनकी जांघ पर रख दिया. उन्होंने भी मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूत की तरफ सरका दिया. मैंने अपना हाथ धीरे धीरे उनकी चूत पर घिसने लगा.
दो पल बाद भाभी ने मेरी तरफ देखते हुए मेरा हाथ रोक लिया. ज़ायरा- कहाँ हाथ लगा रहा है? मैं- कहीं भी तो नहीं.. ज़ायरा- तुझे इतने दिनों से देख रही हूँ.. बहुत देखने लगा है.. क्या मेरे से तुझे प्यार तो नहीं हो गया? मैं- हाँ प्यार हो गया है ज़ायरा.. ज़ायरा- सच सच बता कि कितनी गर्लफ्रेंड हैं तेरी? मैं- कसम से भाभी… एक भी नहीं है यार.. ज़ायरा- फोन पर तो सारा दिन लगा रहता है तू? मैं- अरे ज़ायरा.. क्या केवल गर्ल-फ्रेंड से ही बात करते हैं.. और भी तो बहुत होते है.. जैसे कि गेम्स और इंटरनेट यूज करना.. ज़ायरा- ओके बाबा..
मैंने फिर से हाथ फेरना शुरू किया, अब ज़ायरा भाभी मेरा हाथ नहीं रोक रही थीं. मैंने भी बेख़ौफ़ होकर एक हाथ उनके मम्मों पर रख दिया और जोर से दबाने लगा. वो मजे से मादक सीत्कार कर रही थीं. फिर ज़ायरा भाभी ने मेरा ऐसा करने से मना करके कहा- बस यहाँ नहीं.. “क्यों..?” वो मना करने लगीं- अभी नहीं.. कोई आ जाएगा.. अभी नहीं करो.. मेरे पति जब जोधपुर जायेंगे तब तुम रात में मेरे कमरे में आ जाना. मैंने पूछा- वो कब जोधपुर जाएंगे? ज़ायरा ने कहा- वो आज दोपहर में निकलेंगे, तो मैं तुम्हें रात को फ़ोन कर दूंगी.. ओके! मैंने कहा- नहीं रात को तो कर लेंगे, मगर अभी क्या करें, तुम मेरे साथ चलो.
मैं ज़ायरा भाभी को अपने साथ वापस एसएमएस हॉस्पिटल के सामने वाली धर्मशाला में ले गया और वहां कमरा लेकर कमरे में चला गया. मैंने भाभी को वहां रुकने के लिए कह कर, नीचे जाकर से बाहर रोड से जूस ले आया. मैंने भाभी को जूस पिलाया तो उन्होंने कहा- टाइम ख़राब मत करो, मुझे उनको खाना बना कर देना है, ताकि वो जोधपुर चले जाएं.
मैंने टाइम ख़राब न करते हुए भाभी के होंठों पर किस करना शुरू किया तो वो भी मेरा ऐसे साथ देने लगीं, जैसे पता नहीं कितनी सेक्स की प्यासी हों. मैं भाभी को किस करता रहा, फिर मैंने उनका ब्लाउज खोला और भाभी की ब्रा को ऊपर सरका कर उनके रसभरे संतरे का रस पीने लगा.
क्या मस्त लग रहे थे भाभी के संतरे.. मैं खूब दबाता रहा और पीता रहा. वो मादक सिसकारियां लेते रहीं और इतने में भाभी का एक बार काम हो गया. अब भाभी ने कहा- अभी तो जल्दी करो, मुझे जाना है.. रात को कर लेना, मैं बुला लूँगी ओके..
मैंने उनकी साड़ी पेटीकोट को जैसे ही ऊपर किया तो देखा कि जैसे उन्होंने मुझसे चुदने की पहले से तैयारी कर रखी थी. भाभी की बिना पेंटी की चूत बिल्कुल लाल हो रही थी, जले हुए अंगारे की तरह दिख रही थी. सच में क्या सेक्स की मादक खुशबू आ रही थी, क्योंकि भाभी की चूत एक बार पानी छोड़ चुकी थी. मैंने देर न करते हुए भाभी को चित लिटाया और अपना लंड निकाल कर उनकी चूत पर रख दिया.
वो फुसफुसा रही थीं- आह.. जल्दी कर क्यों तड़पा रहा है यार कर ना.. मैंने कहा- रुको रानी.. आज मैं तुझे आराम से चोदूँगा. भाभी ने उठते हुए मुझे पकड़ा और मेरे लंड को जोर से अपनी चूत पर दबा दिया और कहा- मुझे भी चुदना है तुझसे.. अब तड़पा मत.. जल्दी से चोद दे मुझे..
मैं उन्हें बेड पर लिटा कर अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ता रहा, वो मचल गईं और मुझे पकड़ कर भींच लिया. भाभी ने चुदासी आवाज में कहा- करो भी यार.. चोद दो मुझे और मेरा काम तमाम कर दो मेरे राजा.. अन्दर कर साले.. मैंने अपना लंड जोर से भाभी की चूत में पेल दिया. मेरा मोटा लंड एकदम से भाभी की चूत में घुसा तो उनकी चीख निकल गई- अहह.. उईईईई.. माँ.. मर गई.. साले आराम से कर यार..
मैंने कहा- बहुत जल्दी पड़ी थी न भाभी.. अब काहे चिल्ला रही हो. भाभी “आ.. उह.. आज मर गई..” बड़बड़ाने लगीं, मैंने एक और धक्का पेल दिया.. मेरा पूरा लंड उनकी चूत में था. भाभी “उम्म्ह… अहह… हय… याह…” करे जा रही थीं.
हम दोनों चुदाई का मजा ले रहे थे, वो भी मेरा साथ अपनी गांड उठा कर दे रही थीं और मैं भी उन्हें चोदे जा रहा था. हम दोनों की मिलन से पूरे कमरे में “पछ पछ..” और “छप छप..” की आवाज गूंज रही थी. कमरा पूरी मादक आवाज से लबालब था और उनकी चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया था. उनकी चूत एक भट्टी की तरह गर्म हो रही थी.
अब मैंने उन्हें उठाया और खड़ा करके उसके पैर को मेरी कमर से लगा कर मेरे लंड को उनकी चूत में दे मारा. उनकी चूत से चुदाई का रस मेरे लंड से होते हुए मेरी गोलियों तक आ गया. मुझे बहुत मजा आ रहा था. उन्हें भी बहुत मजा आ रहा था.
मैं भाभी को इसी प्रकार 5 मिनट तक चोदता रहा. जब वो बेहाल हो गईं और मुझसे हट कर बेड पर लेट गईं. भाभी ने कहा- यार, मैं थक गई हूं. मैंने भाभी को किस किया और उन्हें घोड़ी बनने को कहा, तो उन्होंने मना कर दिया. मैंने भाभी को उनके कानों के पास किस करना स्टार्ट कर दिया तो वो फिर से गर्म हो गईं. फिर मैंने भाभी की गर्दन पर किस किया और फिर उनकी नाभि के पास किस करने लगा.
अब भाभी वापस मचलने लगीं, तो मैंने उनकी मम्मे मसलते हुए कहा- साली उठ और घोड़ी बन.. तुझे मैं आराम नहीं करने दूंगा तेरी चूत की आज में माँ भैन एक कर दूंगा.
वो उठ कर घोड़ी बन गईं और मैंने भाभी की चूत पर अपना लंड रख कर जैसे ही धक्का दिया, मेरा लंड बड़े आराम से अन्दर चला गया. भाभी की चूत चुदाई के कारण इतनी गर्म हो रही थी कि मेरे लौड़े को भी उनकी चूत खा जाना चाहती थी. इधर मेरा भी वही हाल था जैसे मैं सर्दी में आग के पास खड़ा हो गया होऊं.
भाभी बोल ही नहीं पा रही थीं, मैंने अपना काम स्टार्ट किया और उन्हें उसी अवस्था में दस मिनट तक और चोदा. वो थक कर बोलीं- बस अब जाने दो.. रात को कर लेना.. बस करो.. पर मैंने उनकी एक ना सुनी.. मैंने कहा- रुको.. मेरा तो हो जाने दो.
वो मुझे अपने में इस तरह भींच रही थीं, जैसे वो मुझे अपने अन्दर तक लेना चाहती हों.
मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी और मैंने भी दो मिनट बाद उनकी चूत में ही अपना सारा माल भर दिया.
हम दोनों कुछ देर तक लेटे रहे. फिर मैंने खड़े होकर देखा तो उनकी चूत से हमारी मस्ती का सैलाब जैसे उबल उबल कर बाहर निकल रहा था. हमने जूस पिया और ज़ायरा भाभी ने अपनी चुत को साफ किया, अपनी साड़ी सही की. फिर हम दोनों वहां से बाहर आ गए उनसे चला नहीं जा रहा था, तो मैंने उन्हें सेन्टर पार्क में ले जाकर एक गिलास जूस और पिलाया तो उनकी थोड़ी थकान दूर हुई. अब भाभी ने कहा- अब तो जाने दो.
मैंने उन्हें एक किस किया और कहा- जाओ भाभी लेकिन मन अभी भरा नहीं! तब मैंने भाभी को बस में बिठा कर घर के लिए रवाना कर दिया.
बस उस दिन के बाद से तो मेरी रोज की चुदाई की जुगाड़ फिट हो गई थी. रात को चुदाई का क्या मंजर हुआ, इसके बारे में अगली कहानी में बताऊंगा. मेरी रियल सेक्स स्टोरी कैसी लगी, मुझे मेल करके बताएं! [email protected]
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