मर्दखोर बेटी की चुदक्कड़ माँ

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000

दोस्तो, मेरा नाम सीमा है। बेशक आप मेरी कहानी का शीर्षक पढ़ कर चौंक गए होंगे। पर ये एक सच्चाई है, जो सच में मेरे साथ गुज़री है। हर माँ की तरह मैं भी सोचती थी कि मेरी बेटी अभी छोटी है, बच्ची है, मगर एक दिन कुछ ऐसा देखा मैंने कि मैं भी खुद को उसी दलदल में गिरने से रोक न सकी। तो आइये आज मैंने आपको बताती हूँ क्या हुआ हम माँ बेटी के साथ।

मैं और मेरा परिवार बहुत हंसी खुशी अपनी ज़िंदगी बिता रहे थे, बस इस परिवार में मेरे पति के लिए ही जगह कम पड़ती थी क्योंकि मेरे और मेरे पति के बीच कभी भी ठीक से बनी नहीं। दो बच्चे भी हुये, मगर जैसे जैसे वक़्त बीतता गया, हम दोनों पति पत्नी दिल से एक दूसरे से और दूर होते चले गए, और फिर मेरे पति ने अपना तबादला ही दूसरे शहर में करवा लिया, और मैं अपनी रातें अकेले गुजारने लगी।

मगर कब तक गुजारती, फिर एक दिन मेरी ज़िंदगी में एक और मेहमान आया, जिसने मेरे पति की खाली जगह भर दी। इस देखने में काले भैंसे जैसे आदमी ने मुझे संभोग का वो सुख दिया, जिस मैं अपने 22 साल के शादीशुदा जीवन के बावजूद अंजान थी। औरत को किस तरह भोगा जाता है, उसे किस तरह संभोग में चरमोत्कर्ष तक पहुंचाया जाता है, और एक बार नहीं बार बार, कई बार। तब तक जब तक वो खुद आपके सामने हाथ न जोड़ दे कि बस करो, अब और नहीं, वरना मैं मर जाऊँगी। और इसी चरमोत्कर्ष में उसके बदन को इस तरह और इतना नोचा जाए कि सारे बदन पर मर्द के हाथों, दाँतों, होंठों के ही निशान नज़र आए, और जब सुबह औरत सो कर उठे तो उसका सारा बदन दर्द कर रहा हो, ऐसे उसे तोड़ा जाए।

आपको को भी लग रहा होगा, ऐसा कभी होता है क्या! अजी ये तो फिल्मों में होता है, जिसमे सेक्स बढ़ाने वाली दवाएं खा कर तगड़े तगड़े हब्शी और अंग्रेज़ लड़के अपनी साथी लड़कियों की टिका कर चूत मारते हैं, और लड़कियां तड़प तड़प जाती हैं। मगर ऐसी बात नहीं है, ये आप के साथ भी हो सकता है, अगर आपका साथी ज़बरदस्त हो। और ज़बरदस्त साथी, सिर्फ किस्मत से मिलता है। मेरा दोस्त भी मुझे मेरी शादी के 22 साल बाद मिला, और उस से मिल कर या सीधा कहूँ, उस से चुद कर मैं ऐसी तृप्त हुई हूँ कि मुझे किसी और मर्द की तरफ देखने की इच्छा ही नहीं होती। चलिये अब आते हैं, मुद्दे पर।

4 साल पहले की बात है, तब मेरी बेटी शिखा सिर्फ 18 साल की थी, उसके स्कूल में गरमियों की छुट्टियाँ थी, तो मैंने सोचा कि चलो बच्चों को इनके ननिहाल घूमा लाऊं। तो हम सब ने अपना सामान पैक किया, और चल पड़े मेरे मायके। मेरा मायका गांव हमारे शहर से 70 किलोमीटर दूर है, सो थोड़ी ही देर में हम वहाँ जा पहुंचे।

वहाँ जा कर देखा तो गांव के बाहर कोई बहुत बड़ी फेक्टरी लग रही है, वहाँ तो ना जाने कितने काम चल रहे थे, सड़क नई बन रही थी, लोगों के रहने के लिए मकान बन रहे थे, और भी ना जाने क्या क्या काम चल रहे थे। गांव में हमारा दो मंज़िला बड़ा सा मकान है, नीचे मेरे माता पिता, और भाई का परिवार रहता है, ऊपर भी 4 कमरे बने हैं, जो पहले तो खाली ही रहते थे, मगर अब उन कमरों में फेक्टरी लगाने आए कुछ लोग किराए पर रह रहे थे।

शाम को जब वो लोग आए तो मैं देख कर हैरान रह गई। तीन लड़के अंग्रेज़ और एक हब्शी, सब के सब 25 से 30 के बीच थे। एक बार उनको देख कर तो मेरे मुँह में भी पानी आ गया, मगर जब मैंने अपनी बेटी शिखा को देखा तो उसके चेहरे पर जो खुशी देखी, उसे देख कर तो एक बार मैं भी हैरान सी हो गई। उसकी आँखों में भी वही चमक थी, जो मेरी आँखों में थी। मैंने सोचा, क्या मेरी बेटी भी जवान हो गई है, जो इन नौजवान लड़कों को देख कर मुस्कुरा रही है। क्या इसका दिल भी इनको देख कर धड़का है, मैं तो ये सोच कर मुस्कुराई थी कि अगर इन लड़कों में से किसी एक से भी चुदने का मौका मिल जाए तो मज़ा आ जाए। मैं भी कह सकूँ के मैंने अंग्रेज़ से या हब्शी से चुदवाया है, मगर मेरी नन्ही सी परी शिखा उन्हे देख कर क्यों मुस्कुराई? क्या वो भी उनसे चुदने का सोच रही थी, या सिर्फ दोस्ती करने का। मगर जो भी हो दोस्ती, प्यार… सबकी आखरी मंज़िल है तो सेक्स ही।

फिर मैंने मन ही मन खुद को डांटा- चल हट, क्या बकवास सोच रही है, शिखा तो अभी छोटी है, स्कूल में ही पढ़ती है, अभी ये सब कहाँ उसके दिमाग में होगा, मैं भी कभी कभी फालतू में बहुत आगे का सोच जाती हूँ।

एक दो दिन तक तो सब कुछ शांत ठीक चलता रहा। मगर दो दिन बाद मैंने देखा शिखा उन लोगों से इंग्लिश में कुछ बात कर रही थी, सभी बहुत खुश थे। मगर मुझे जलन सी हुई, मैं भी धीरे धीरे चलती हुई उनके पास जा कर खड़ी हो गई, मुझे देख कर सबने मुझे विश किया और मुझसे भी बात करी, मगर उन लड़कों का सारा ध्यान शिखा की तरफ ही था। मैं भी कुछ देर उनके साथ बातें करके वापिस आ गई, एक लड़के ने मुझे भी बड़े गौर से देखा। करीब 6 फीट का गोरा चिट्टा अंग्रेज़ था। मुझे अच्छा लगा जब उसने मेरे हुस्न की तारीफ की के मैं जवान लड़की की माँ होकर भी बहुत जवान और हसीन हूँ, और मेरा फिगर आज भी बहुत बढ़िया है। सच में मैं तो फूली न समाई। मैंने मन में सोचा, अरे यार तूने तो दिल खुश कर दिया, इसके बदले में अगर मेरी चूत भी मांग लेता तो मैं हँसते हँसते दे देती।

अगले दिन शाम के करीब 7 बजे होंगे, मैं अपने एक पड़ोसी के घर गई थी, जब मैं वापिस अपने घर आई, तो मुझे हल्के से रोने की आवाज़ सुनाई दी। अब माँ हूँ तो एकदम से पहचान गई कि ये तो शिखा के रोने की आवाज़ है। मेरा दिल तो डर से काँप उठा, मैं तो भागी भागी गई कि अभी तो मेरी बच्ची छोटी है, कहीं किसी मुश्टंडे उसको छेड़ न दिया हो, उसके साथ कोई बदतमीजी तो नहीं कर रहे। मैं जल्दी जल्दी से सीढ़ियाँ चढ़ कर ऊपर गई और ऊपर कमरे में जो नज़ारा देखा तो मैं सन्न रह गई।

मेरी बेटी शिखा बेड पे औंधी लेटी थी, बिल्कुल नंगी, और वो हरामज़ादा मुश्टंडा हब्शी उसे अपने 10 इंच लौड़े से चोद रहा था, और मेरी बच्ची, उस दर्द को न सहते हुये, रोये जा रही थी। मैं झट से कमरे के अंदर जा कर उस हब्शी के बच्चे का मुँह नोच लेना चाहती थी, मगर शिखा की बात ने मुझे रोक दिया। उसने उस हब्शी से अँग्रेजी में कहा- ज़ोर से चोद मादरचोद, तेरे लौड़े में दम नहीं क्या?

मेरे तो पाँव के नीचे से ज़मीन निकल गई। मेरी बेटी, मेरी फूल सी बच्ची, इतनी बड़ी हो गई कि 10 इंच का लौड़ा लेकर भी उसकी चूत नहीं फटी।

शिखा की बात सुन कर हब्शी ने उसे और ज़ोर ज़ोर से चोदना शुरू कर दिया, शिखा रो भी रही थी, उसके आँखों से आँसू लगातार बह रहे थे, मगर वो फिर भी अपनी कमर हिला कर उस का लंड अपनी चूत में ले रही थी। मैंने पहली बार देखा कि वो इतने दर्द को झेल कर भी मज़े में थी।

दूध जैसा गोरा जिस्म, छोटे छोटे मम्मे, छोटे छोटे गोल चूतड़, पतली पतली जांघें, मगर फिर भी कितनी चुदासी! मैं कुछ देर खड़ी देखती रही। मगर इस देखने ने मुझ पर भी उल्टा असर किया। मुझे नहीं पता कब मेरा हाथ मेरी लेगिंग के ऊपर से ही मेरी चूत को सहलाने लग गया। मैं भी जवान हूँ, खूबसूरत हूँ, आग से भरी हूँ, तो मैं गरम क्यों न होती। मगर इसमें कुछ कुछ जलन भी थी, बेशक शिखा भी बहुत सुंदर है, मगर मैं भी कम सुंदर नहीं, मुझे भी अपनी खूबसूरती और जवानी का गुमान है। मैं भी चाहती थी कि अगर एक लड़का शिखा को चोद रहा है, तो कोई एक मुझे भी चोदे। पहली बार अपनी ही बेटी से जलन हुई मुझे।

कुछ देर तो लेगिंग के ऊपर से ही मैंने अपनी चूत सहलाई, मगर कब तक… फिर मैंने अपना हाथ अपनी लेगिंग में ही डाल लिया। शायद पहली बार ही कोई माँ अपनी ही बेटी की चुदाई देख कर हस्तमैथुन कर रही थी। अपनी चूत के दाना सहलाया तो पता लगा कि मेरी चूत तो पहले ही पानी पानी हो रही है।

मैं अपनी चूत का दाना मसल ही रही थी कि तभी पीछे से किसी ने अपना हाथ मेरे कंधे पर रखा। मैं एकदम से डर गई, पलट कर पीछे देखा, वही अंग्रेज़ लड़का खड़ा था। हम दोनों ने कुछ पल एक दूसरे की आँखों में देखा, फिर वो आगे बढ़ा, बढ़ता गया, तब तक जब तक उसके होंठ मेरे होंठों से मिल न गए। मैं तो खुद चुदाई को मचल रही थी। होंठ मिलते ही हम दोनों एक दूसरे से लिपट गए। उसी तरह अपनी आगोश में लिए ही वो मुझे घसीट कर दूसरे कमरे में बेड पे ले गया और मुझे नीचे बेड पे गिरा कर खुद भी मेरे ऊपर ही लेट गया।

मैंने भी अपनी टाँगें खोल कर उसकी टाँगों से उलझा ली, अपनी बांहें उसके गले में कस दी और हम दोनों एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे। फिर वो एकदम से खड़ा हुआ, अपनी टाई खोली, कमीज़, बनियान, पेंट चड्डी सब उतार दी। इस अंग्रेज़ लड़के का दूध जैसा गोरा लंड करीब 8 इंच का होगा। मोटा मजबूत, बिल्कुल मेरे यार उस्मान के लंड जैसा। मगर उस्मान का जितना काला था, ये उतना ही गोरा।

मैं इतना सुंदर लंड देख कर उसे चूसने का लालच कैसे छोड़ सकती थी, मैं एकदम से उठी और उसका लंड अपने हाथ में पकड़ लिया। पहले उसको सहलाया, फिर उसकी चमड़ी पीछे हटा कर उसका सुर्ख लाल टोपा बाहर निकाला। गुलाबी टोपा तो हिंदुस्तानी मर्दों का भी होता है, मगर ये लाल था। मैंने टोपा निकाला और अपने मुँह में ले लिया। अंग्रेज़ लड़के ने भी पहले मेरे कमीज़ के ऊपर से ही मेरे मम्मे दबा कर देखे, फिर वो मेरे कपड़े उतारने लगा, मैंने भी उसे उतारने में सहयोग दिया।

एक मिनट बाद मैं भी नंगी थी। वो मेरे मम्मो को दबाता रहा और मैं उसका लंड चूसती रही। थोड़ी देर बाद उसने अपना लंड मेरे मुँह से खींच लिया और बोला- लेट जाओ! मैं लेट गई तो वो मेरे ऊपर आ गया और अपना लंड उसने मेरी चूत पर रखा और हल्का सा ज़ोर लगा कर अपना टोपा मेरी चूत में डाल दिया।

“आह…” संतुष्टि से भरी एक ठंडी सांस तन से निकली। थोड़ा थोड़ा सा ज़ोर लगा कर ही उसने अपना सारा लंड मेरी चूत में पेल दिया और फिर लगा अपनी जवानी का जोश दिखाने। लड़के में दम था, बड़े अच्छे से वो मुझे चोद रहा था। मैं भी पूरी मस्त थी और नीचे से कमर उठा उठा कर उससे चुदवा रही थी।

इतने में कमरे में दो लड़के और आए, वो हमे देखने लगे, मुझे पहले तो बड़ा अजीब सा लगा और शरम भी आई, मगर अब मेरे कपड़े मेरे पास नहीं थे, और फिलिप ने भी कोई ऐतराज नहीं किया, और चुदाई वैसे ही चलती रही। तभी एक लड़के ने कहा- साथ वाले रूम में मैक जो लड़की चोद रहा है, वो कौन है? तो फिलिप बोला- इसकी बेटी है। तो वो लड़का बोला- हम भी इसे चोदना चाहते हैं, इस से पूछो हमसे चुदवायेगी क्या! मगर फिलिप के बोलने से पहले ही मैंने कह दिया- हाँ, मुझे अच्छा लगेगा।

तो उन लड़कों ने भी अपने कपड़े उतार दिये, और नंगे हो गए, मगर फिर एक लड़का उधर मैक के पास चला गया। मेरी बेटी के रोने की आवाज़ जो आ रही थी, वो बंद हो गई, मतलब अब उसकी चुदाई खत्म हो चुकी थी।

फिलिप भी शायद झड़ने वाला था इस लिए ज़्यादा ज़ोर लगा रहा था, मैंने दूसरे लड़के का लंड चूस कर खड़ा कर दिया था, और उससे बोली- इसके उतरते ही तुम चढ़ जाना। वो बोला- ठीक है। अगले 2 मिनट की धुरंधर चुदाई के बाद फिलिप ने अपना लंड बाहर निकाला और मेरे पेट को अपने सफ़ेद माल से नहला दिया। फिलिप के हटते ही दूसरा लड़का आया और अपना लंड उसने मेरी चूत में डाल कर मुझे पेलना शुरू कर दिया, ये भी अच्छा खिलाड़ी था, मुझे बहुत तसल्ली से चोद रहा था।

फिर उसने मुझे घोड़ी बनाया और पीछे से मुझे चोदा। इतने में मैंने देखा दरवाजे में मैक, तीसरा लड़का और मेरी बच्ची शिखा, सब खड़े मुझे देख रहे हैं। शिखा से जब मेरी नज़रें मिली तो वो बड़ी हैरानी से बोली- माँ! मैंने सोचा, अब जब इसने सब देख ही लिया, तो शर्म कैसी, मैंने बड़ी बेशर्मी से कहा- क्यों मेरा दिल नहीं कर सकता क्या?

वो मेरे पास ही आकर बैठ गई- मगर माँ फिर भी… मैंने तो कभी ऐसे सोचा ही नहीं था। मैंने कहा- सोचा तो मैंने भी नहीं था कि तुम अपने 18 की होने तक भी इंतज़ार नहीं कर पाओगी, अब जब शुरू कर ही दिया है, तो जाओ फिर। खुद भी मज़े करो, और मुझे भी करने दो। वो मुस्कुरा दी- ओ के मॉम एंजॉय करो! कह कर वो चली गई।

कोई पाँच मिनट बाद वो लड़का मेरी चूत के अंदर ही झड़ गया, इतने में वो हब्शी लड़का मैक आ गया और मुझसे बोला- हे मिस, मैं भी तुमसे सेक्स करना चाहता हूँ। मैंने कहा- मैं भी तुमसे मिल कर बहुत खुश होऊँगी मगर मुझे अभी अभी दो लड़कों ने बहुत बढ़िया सेक्स किया है मेरे साथ, और अब मैं पूरी तरह संतुष्ट हूँ। हाँ, अगर तुम चाहो तो हम कल मिल सकते हैं। वो लड़का खुश हो कर बोला- ओ के, कल इसी समय इसी जगह। उसके बाद मैंने कपड़े पहने और वापिस आ गई।

आने से पहले मैंने दूसरे कमरे में देखा, शिखा अभी भी दो लड़कों से चुदवा रही थी, मगर इस बार वो बहुत खुश थी, मेरी तरफ उसने देखा, उसकी आँखों में चमक थी, खुशी थी जैसे कह रही हो- माँ देखो मैं भी जवान हो गई। उसको वैसे ही छोड़ कर मैं नीचे आ गई।

उसके बाद अगले 15 दिन हम दोनों माँ बेटी ने उन चारों लड़कों ने जी भर कर चोदा, हम दोनों माँ बेटी की अगले जन्म की भी सेक्स की प्यास मिटा दी।

सबसे खास बात उस हब्शी लड़के से चुदने की है, जो मैं आपको अपनी अगली कहानी में बताऊँगी, जब मुझे और शिखा दोनों माँ बेटी को उन लड़कों ने एक साथ आमने सामने चोदा और हमारे साथ क्या क्या किया, सब अगली कहानी में। [email protected]

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000