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प्रिय अन्तर्वासना पाठको जनवरी 2018 प्रकाशित हिंदी सेक्स स्टोरीज में से पाठकों की पसंद की पांच बेस्ट सेक्स कहानियाँ आपके समक्ष प्रस्तुत हैं…
अभी कुछ ही दिनों पूर्व अन्तर्वासना के सम्पादक आदरणीय गुरु जी ने मेरी कथा लेखन की भाषा शैली और विषयवस्तु की प्रशंसा करते हुए मुझसे आग्रह किया था कि मैं “सेक्स स्टोरी कैसे लिखें” इस विषय पर एक निबन्ध लिखूं, एक कामुक कहानी या सेक्स स्टोरी के क्या गुण धर्म होते हैं, इसमें क्या होना चाहिए क्या नहीं और एक सेक्स कथा लिखते समय किन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए और एक अच्छी सेक्स कहानी को कैसे लिखें; इन सब बातों का समावेश करके एक निबंध लिखने को कहा था.
सबसे पहले तो मैं आदरणीय गुरु जी को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मुझे इस योग्य समझा और इस विषय पर लिखने हेतु मेरा चयन किया. आशा है कि यह लेख सभी के लिए उपयोगी होगा.
तो मित्रो, पहली बात तो ये अच्छी तरह से समझ लें कि कोई भी सेक्स कथा किसी अन्य साहित्यिक रचना की तरह ही होती है अब ये किसी पाठक का अपना खुद का दृष्टिकोण है कि वो इन कहानियों को किस दृष्टि से देखता है. अपने भारतीय प्राचीन सेक्स साहित्य में अनेक दुर्लभ ग्रन्थ लिखे गए जिनमें से कुछ ही आज प्राप्य हैं जैसे महर्षि कोका द्वारा रचित कोकशास्त्र, महर्षि वात्स्यायन रचित कामसूत्र और अन्य ग्रन्थ जैसे गीत गोविन्द, संस्कृत भाषा में रचित मृच्छकटिकम्, रति विलास जैसे अनेक काम्य ग्रन्थ आज भी आदर की दृष्टि से देखे, पढ़े समझे जाते हैं. हमारे प्राचीन ऋषियों ने स्त्रियों की योनि की बनावट के आधार पर उन्हें चार भागों में विभक्त भी किया है जैसे हस्तिनी, अश्विनी, चित्रिणी, पद्मिनी इत्यादि!
अतः अपनी सेक्स कथा लिखते समय इतना मन में विश्वास रखना चाहिए कि आप भी साहित्य सृजन ही कर रहे हैं न कि गन्दा, अस्वीकार्य या अक्षम्य लेखन कर रहे हैं. अतः अपनी सेक्स कथा लिखते समय कोई भी हीन भावना मन में न रखें और पूरे आत्मविश्वास के साथ लिखें.
कोई भी लेखक अपनी लेखनी से कुछ भी लिखने को स्वतंत्र होता है या कोई भी कलाकार या मूर्तिकार अपनी पसन्द से अपनी कला को रच सकता है. किसी मूर्तिकार को खजुराहो या कोणार्क जैसी सजीव सम्भोगरत जीवन्त मूर्तियाँ पत्थर की शिला से उकेरना अच्छा लगता है तो कोई मूर्तिकार भगवान् का कोई रूप अपनी छैनी हथोड़े से गढ़ता है. सारे के सारे रूप कला की दृष्टि से एक जैसे सम्माननीय ही हैं. ठीक यही बात सेक्स कहानी पर भी लागू होती है. अतः सेक्स कथा भी एक विशिष्ट श्रेणी का साहित्य ही समझा जाना चाहिए.
अच्छी सेक्स स्टोरी के क्या गुण होते हैं?
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एक मेरे मौसा थे, वो भी मेरे पर खूब लट्टू थे। जब भी मिलते, उन की कोशिश होती कि वो मुझे या तो गले से लगाएँ, या चूम लें, और कुछ नहीं तो छू कर तो ज़रूर देखें। ज़ाहिर ये करते थे कि वो मुझे बच्चों की तरह प्यार करते हैं, मगर मैं जानती थी कि वो एक नंबर के ठर्की आदमी थे। ये मुझे तब पता चला जब एक रात उन के घर मैं सो रही थी, तो उन्होंने मेरी सोती हुई के बूब्स दबाये थे। मैं जाग गई और देखने लगी कि वो करते क्या हैं।
रात को सोते वक़्त मैंने सिर्फ टी शर्ट ही पहनी थी, कोई अंडरशर्ट या ब्रा नहीं पहना था, इसी लिए मेरे दोनों बूब्स की नरमी को उन्होंने खूब सहलाया। मगर तब मुझे सेक्स के बारे में ज़्यादा कुछ नहीं पता था, मुझे तो सेक्स एक बहुत ही दर्दनाक काम लगता था। इसलिए मैं डर गई और एक दम से पलटी। उन्हें लगा कि मैं उन की हरकत से जाग गई हूँ, तो वो जा कर सो गए।
बाद में काफी समय बाद जब मुझे सेक्स का ज्ञान हुआ, तब मुझे पता चला के मम्मे दबाने से औरत और मर्द दोनों को मजा आता है। आज मैं चाहती हूँ कि मेरे मम्मे दबाएँ जाएँ, चाहे कोई भी दबाये, मगर अब वो वक़्त नहीं रहा।
खैर, अपनी आज की बात पर आते हैं।
मेरी शादी को 4 साल हो चुके हैं, और मेरे एक डेढ़ साल का बेटा भी है। लो कर लो बात। जितने भी मर्द हैं, सबके मुँह में पानी आ गया, ये पढ़ कर कि मेरा डेढ़ साल का बेटा है। सब यही सोच रहे होंगे, साली के मम्मे दूध से भरे होंगे। तो इस में क्या झूठ है, सच में मेरे मम्मे दूध से भरे हुये हैं। अपने बेटे को पिलाने के बाद भी मेरा बहुत सारा दूध मेरी चूची से टपक जाता है। लेकिन कमीनो, मैं तुम सालों को नहीं पिलाऊँगी, मेरा पति है, उसको चुसवाऊँगी।
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दिनेश की उम्र 60 के ऊपर थी और रिटायर हो चुके थे पर प्रोफेसर साहब हैं एक नंबर के ठरकी… नौकरी करते हुए न जाने कितनी चूतों का भोग लगा चुके थे पर अब न तो उनमें ही जान बची थी और न ही उनके लन्ड में। विक्रांत- प्रोफेसर जी गुड मार्निंग! दिनेश- राठौर जी, अब इस उम्र में क्या गुड? अब तो सब डाउन ही है। दिनेश ने कुछ दूरी पर योगा कर रही लड़की की तरफ इशारा करते हुए कहा।
लड़की की उम्र कोई 24-25 की रही होगी और जवानी उसके हर एक अंग से उबल-उबल के बाहर आ रही थी।
विक्रांत- प्रोफेसर जी, अब इस उम्र में तो रहने दीजिए। विक्रांत ने लड़की को एक नज़र देखते हुए कहा।
लड़की वाकई कमाल थी, दूध सी गोरी तीखे नैन नक्श और ऊपर से कातिलाना फिगर! पर विक्रांत नहीं चाहता था कि दिनेश फिर से अपनी बकवास शुरू कर दे इसिलए उसने बात बदलने की कोशिश की- प्रोफेसर जी, आप यह बताओ कि कल शेयर मार्केट के क्या फिगर थे? दिनेश- भाई कल के तो पता नहीं पर आज के तो 35-27-35 हैं कम से कम!
विक्रांत की नज़र न चाहते हुए भी फिर उसी लड़की पर चली गयी ‘साले की नज़र है या एक्सरे…’ विक्रांत ने खुद से कहा। विक्रांत- क्या प्रोफेसर साहब, कुछ तो शर्म कीजिये। दिनेश- यार राठौर, मर्द खुद को कंट्रोल कर सकता है पर बीवी और लन्ड को नहीं, यार कुछ भी कह… पर सामान है कड़क! विक्रांत- पर भाई, अब तो उम्र हो चुकी है इस उम्र में मुझे तुझे कौन पूछता है ऊपर से बच्चों की टेंशन!
दिनेश- यार, गोयल कह रहा था कि यह उसकी किरायदार है नाम है ईशा, अभी पढ़ रही है और नौकरी चाहिए इसे! तुझे भी तो पर्सनल सेक्रेटरी चाहिए; रख ले। दिनेश ने विक्रांत की बात को अनसुना करते हुए कहा। विक्रांत- यार, मुझे सेक्रेटरी रखनी है, कंपनी लुटानी नहीं है। इसको देखकर लगता नहीं कि मेरे बजट की है। दिनेश- यार, तू भी न रहेगा कंजूस का कंजूस ही! भेज दूंगा… सैलरी डिस्कस कर लेना। और फिर ऐसी सेक्रेटरी हो तो आधे काम आसान हो जाते हैं।
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मेरी सास शादी से पहले से ही नहीं थीं और ससुर 7 महीने पहले ही गुजर गए थे. ससुर के जाने के बाद उनके फ्लैट पर दोनों भाई बहन की नज़र थी. मुम्बई में उनका 2 बीएचके का फ्लैट था. हम चाह रहे थे कि वो फ्लैट सिर्फ हमको मिले लेकिन हमारे एड्वोकेट ने हमको कहा कि मेरे पति की बड़ी बहन की N.O.C. के बिना वो फ्लैट हमको नहीं मिल सकता है.
अब हम सोचने लगे कि मीना N.O.C. के लिए कैसे मानेगी. मीना भी उस फ्लैट में आधा हिस्सा मांगेगी, जो हम उसको देना नहीं चाहते थे. लेकिन हमको कोई रास्ता भी नज़र नहीं आ रहा था.
एक दिन ऐसे ही मैं दिन में टी.वी. देख रही थी, तब मेरे मन में एक ख्याल आया.. वो बहुत ख़तरनाक ख्याल था. बस अब मुझे मेरे पति को कैसे भी करके मनाना था.
उस दिन रात में मेरे पति घर आये. रात को जब हम बेड पर सेक्स के मूड में थे, तब मैंने सागर से कहा कि मेरे दिमाग़ में एक प्लान है, अगर वो सही से होता है तो फ्लैट सिर्फ हमारा हो सकता है.
सागर ने पूछा- तुम्हारे दिमाग़ में क्या प्लान है? तब मैं कुछ देर सोच कर बोली- अगर तुम तुम्हारी बड़ी बहन से सेक्स करते हो तो… मैंने अभी अपनी बात पूरी भी नहीं की थी कि तब तक सागर मुझ पर चिल्लाया- क्या पागलों जैसी बातें कर रही हो पल्लवी.. तुम्हारा दिमाग़ जगह पर है भी कि नहीं? मैं बोली- पहले पूरी बात तो सुन लो. सागर बोला- मुझे कुछ नहीं सुननी तुम्हारी बात.. तुम्हारे ख्याल घटिया हैं.
फिर भी मैं बोली- सुनो ध्यान से.. अगर तुम तुम्हारी बहन से सेक्स करते हो और मैं भाई बहन सेक्स की रिकॉर्डगिं कर लूँ तो फिर तुम्हारी बहन के पास N.O.C. देने के अलावा कोई रास्ता नहीं रहेगा. सागर का स्वर ठंडा हो गया था.. वो बोला- ये सम्भव नहीं है डियर.. कुछ और प्लान सोचो. मैं बोली- क्यों नहीं सम्भव.. सब सम्भव है. सिर्फ आप हाँ कहो, बाकी मैं सब संभाल लूँगी.
सागर कुछ नहीं बोला और सो गया. लेकिन मैं कहाँ हार मानने वाली थी.
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आज जो हुआ, जो मैंने देखा वो तो मैं कभी भी नहीं सोच सकती थी, मेरी माँ मेरे ही पति से सेक्स। कैसे हो सकता है ये? खैर मैंने माँ से पूछ ही लिया- मम्मी कब से चल रहा है ये सब? माँ का चेहरा देखने लायक था, उस दिन जो मेरी हालत थी, माँ की हालत आज उस से भी खराब थी। माँ की आँखों में आँसू थे, वो मुझे से लिपट गई और रोने लगी- सॉरी बेटा, बहुत बहुत सॉरी, मैं बहक गई थी, मैं सोच ही नहीं पाई कि मेरी एक गलती का परिणाम इतना भयानक हो सकता है।
मैंने फिर पूछा- माँ, कब से चल रहा है ये सब? माँ बोली- उस दिन जिस दिन तुम दोनों घर पे अकेले थे, मैं स्कूल से जल्दी फारिग हो गई, और जब मैं घर वापिस आई तो मैंने तुम दोनों को उस हालत में देखा। वो सब तो ठीक था, मगर मैंने जब विरेन को नंगा देखा, और खास करके उसके लिंग को देखा। पता नहीं क्यों मेरे अंदर कामवासना का ज्वार फूट पड़ा। तुम दोनों तो भाग कर कपड़े पहनने चले गए, मगर मैं वहीं फर्श पर बैठ गई। कपड़े पहन कर विरेन मेरे पास आया, और मेरे पाँव छू कर चला गया। मगर मैं तो जैसे उसके साथ ही बंध गई। बेशक वो मेरी बेटी का होने वाला पति था, बेशक उस से पहले भी बहुत सारे मर्द मेरी ज़िंदगी में आए थे, मगर सब के सब कपड़ों में थे, मुझे पता था वो मुझसे क्या चाहते हैं, मगर मैंने अपने आप को अपनी सीमा में बांध कर रखा। किसी को अपने पास नहीं फटकने दिया। मगर विरेन को नंगा देखने के बाद मैं सो नहीं पाई। हर रोज़ रात को बिस्तर पर लेटती तो विरेन नंगा हो कर मेरे सामने आ खड़ा होता। मेरा भी दिल मचलता कि मैं उसके नंगे जिस्म से खेलूं। इतने साल जिस वासना को मैंने अपने मन में दबा कर रखा, वो किसी ज्वालामुखी की तरह फूट कर बाहर आई थी।
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