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अब तक आपने पढ़ा:
मैं तो पता नहीं कब से आपकी चूत का दीवाना हूँ जब भी करण को मिलने आता था नज़रे बस आप पर टिकी होती थी मेरी सपने भी आपके देखा करता था और पता नहीं कितनी बार सपने में आपको चोदा था मैंने और पता नहीं कितनी बार मूठ मारी थी आपके नाम की!
शिखा- तो पहले कभी बोला क्यूँ नहीं? मैं- डरता था दीदी और वैसे भी ये बात इतनी जल्दी नहीं बोली जाती… अगर आप गुस्सा हो जाती तो? ये तो अच्छा हुआ आप अमित की चुंगल में फंसी और करण ने मुझे सब बता दिया और मैंने आपको अमित से बचा लिया. शिखा- हाँ, अमित से बचा लिया और खुद अपने जाल में फंसा लिया. दीदी हँसने लगी.
अब आगे:
मैं- दीदी आप हो ही इतनी मस्त कि कोई भी जाल में फंसाने को तैयार हो जाता आपको! शिखा- अगर मैं इतनी मस्त हूँ सन्नी तो मेरा पति मेरे को क्यूँ नहीं चोदता था? मैं- क्या दीदी?? आपका पति आपको चोदता नहीं था? शिखा- नहीं सन्नी मैं अपने पति के साथ 6 महीने रही थी और वो 5-7 दिन में एक या दो बार ही मुझे चोदता था और वो भी इतनी छोटे लंड से जो 2 मिनट में ही पानी छोड़ देता था, मुझे गर्म करके खुद पानी निकाल कर सो जाता था और मैं बस उंगली से काम चलाती रहती थी, इसलिए तो मैंने उसको तलाक़ दे दिया, साला नामर्द था पूरा, हर बार प्यासी छोड़ देता था मेरे को!
मैंने दीदी के गालों पे किस किया और बोला- दीदी छोड़ो बीती बातों को, अब मैं हूँ ना आपके पास, जितनी भी प्यास है आपकी मैं सब बुझा दूँगा बस टाइम मिलता रहे और मौक़ा मिलता रहे! शिखा- टाइम और मौक़ा मैं खुद निकाल लूँगी तेरे लिए सन्नी, बस तू तैयार रहना जब भी मैं तेरे को फोन करूँ! मैं- दीदी, कभी करण के सेल से मेसेज या कॉल मत करना! शिखा- नहीं करती बाबा, तेरा नंबर मेरे सेल में भी है, तू भी मेरा नंबर सेव कर लेना, चल अब बाकी बातें छोड़ और जल्दी कुछ कर, मैं बहुत तड़प रही हूँ.
मैंने जल्दी से दीदी के सर को पकड़ा और दीदी के लिप्स को किस करने लगा, दीदी के साफ़्ट लिप्स मेरे लिप्स में क़ैद हो गये और मैं बड़े प्यार से उनके लिप्स का रस पीने लगा, दीदी पूरी तरह नंगी थी और मेरे नंगे बदन पर लेटी हुई थी, दीदी के बड़े बूब्स मेरी छाती से दबे हुए थे, मेरे दोनों हाथ दीदी की नंगी पीठ को सहला रहे थे। जबकि दीदी के दोनों हाथ मेरे सर पर बड़े प्यार से घूम रहे थे.
दीदी ने अपने हाथ की फिंगर्स को मेरे बालों में बड़े प्यार से सहलाना शुरू कर दिया था. मैं भी बड़े प्यार से अपने दोनों हाथों को दीदी की पीठ पर हल्के हल्के घुमा रहा था, दीदी के लिप्स एकदम साफ़्ट थे जो बटर की तरह मेरे लिप्स में घुलते जा रहे थे, दीदी ने अपनी ज़ुबान को मेरे मुँह में घुसा दिया और मैं भी दीदी की ज़ुबान को चूसने लगा मैंने दीदी की ज़ुबान को अपने दाँतों से पकड़ लिया और बड़ी मस्ती में दीदी की ज़ुबान को चूसने लगा. फिर कुछ देर बाद मैंने दीदी की ज़ुबान को छोड़ दिया और अपनी ज़ुबान को दीदी के मुँह में घुसा दिया और दीदी एक मुँह में अपनी ज़ुबान को हर तरफ हर कोने में घुमाने लगा मेरी ज़ुबान दीदी के मुँह के अंदर दीदी की ज़ुबान से हल्की हल्की नोक झोंक करने लगी.
हम दोनों की ज़ुबान आपस में लड़ने लगी थी, दीदी की चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था जिस का एहसास मुझे अपनी लंड से हल्का सा ऊपर पेट पर होने लगा था, मेरे भी लंड ने अब अपना विकराल रूप धारण कर लिया था और दीदी की चूत में जाने को मचलने लगा था. मैंने लंड को हाथ से पकड़ा और दीदी की चूत पर टिका दिया लेकिन जैसे ही मैंने लंड को चूत में डालना चाहा दीदी एकदम से मेरे ऊपर से हट गई.
शिखा- ऐसी भी क्या जल्दी है, पहले थोड़ी मस्ती तो करले सन्नी! इतना बोल कर दीदी ने अपने सर को मेरे लंड की तरफ मोड़ दिया और खुद अपनी टाँगें खोल कर मेरे सर के ऊपर आ गई और चूत को मेरे चेहरे के ऊपर कर दिया।
मैंने भी जल्दी से दीदी की गांड को दोनों हाथों से पकड़ा और चूत को अपने लिप्स से लगा कर किस करने लगा, तब तक मेरा लंड भी दीदी के मुँह में अंदर बाहर होने लगा था, दीदी ने मेरे लंड पर हाथ नहीं रखा हुआ था वो तो मेरे खड़े लंड पर अपने सर को ऊपर नीचे कर रही थी और मेरा आधे से ज़्यादा लंड मुँह में ले रही थी, पहले दिन से अब कहीं बेहतर लंड चूस रही थी दीदी, उस दिन तो 2 इंच लंड मुँह में लेकर अंदर बाहर करने से डर रही थी जबकि आज तो पहली बार में ही आधा लंड ले लिया था मुँह में और अब और ज़्यादा लंड मुँह में लेने की कोशिश कर रही थी.
लंड दीदी के गले की दीवार से टकराने लगा था जिस वजह से दीदी को 1-2 बार हल्की खाँसी भी आ गई थी और दीदी ने लंड को मुँह से बाहर निकाल दिया था लेकिन मेरी मस्ती कम नहीं होने दी थी. दीदी लंड को बाहर निकाल कर अपने मुँह में जमा थूक को लंड पर थूक देती और एक हाथ से तेज़ी से लंड को ऊपर नीचे करके सहलाने लग जाती, फिर जब खाँसी ठीक हो जाती तो जल्दी से लंड को वापिस मुँह में भर लेती और फिर से पूरा लंड मुँह में लेने की कोशिश करने लगती लेकिन पूरा लंड लेने में दीदी को परेशानी हो रही थी, फिर भी वो ज़्यादा से ज़्यादा लंड को मुँह में लेके चूसने लगी थी.
इधर मैं भी दीदी को मस्त करने के लिए दीदी की चूत को अच्छी तरह से चाट रहा था, मैं दीदी की चूत को मुँह में भर के अपनी ज़ुबान को दीदी की चूत में घुसा कर तेज़ी से अंदर बाहर कर रहा था और बीच बीच में दीदी के चूत के लिप्स को जो अभी हल्के हल्के ही बाहर निकले थे उनको अपने दाँतों में दबा कर मुँह में भर के चूसने लग जाता. साथ ही मैंने दीदी की गांड को अपने हाथों से कस के पकड़ हुआ था और दीदी की चूत को अपने लिप्स पर दबाया हुआ था, मेरा हाथ दीदी की गांड के छेद के पास था, मैं मेरी एक फिंगर दीदी की गांड के होल पर चलाने लगा था और दीदी की गांड का छेद भी मस्ती में अपने आप थोड़ा खुल और बंद होने लगा था. एक बार जब दीदी की गांड का छेद ज़रा सा खुला, मैंने जल्दी से एक उंगली गांड के अंदर घुसा दी जिस वजह से दीदी हल्का सा उछल गई लेकिन फिर से मेरे लंड को जल्दी ही चूसने लगी.
मैंने उंगली को बाहर निकाला और अपने मुँह में भर के थूक लगा लिया और वापिस गांड में घुसा दिया, मेरी उंगली फिसल कर गांड में चली तो गई लेकिन दीदी की गांड बहुत टाइट थी और दीदी की टाइट गांड ने मेरी उंगली को जकड़ लिया था फिर भी उंगली थूक से चिकनी होने की वजह से हल्की हल्की अंदर बाहर होने लगी थी. मैंने वापिस उंगली को बाहर निकाला और मुँह से थोड़ा थूक और दीदी की चूत से चूत का चिकना पानी लगा लिया और अपने दोनों हाथों से गांड को थोड़ा खोल दिया और उस उंगली को गांड में घुसा दिया।
दोनों हाथों से गांड भी थोड़ी खुल गई थी और दीदी की चूत के चिकने पानी ने भी अपना असर दिखा दिया था मेरी उंगली बड़े आराम से गांड में अंदर बाहर होने लगी थी, दीदी को भी शायद ये अच्छा लगने लगा था दीदी ने भी अपने सर को मेरे लंड पर तेज़ी से ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया था.
कुछ देर ऐसे ही मेरे से चूत चुसवा कर और गांड में उंगली करवाते हुए मेरा लंड चूसने के बाद दीदी ने मेरे लंड को मुँह से निकाल दिया ‘आह स…नी… चो…द… डा…ल… मु…झे…’ मैंने जल्दी से एक और उंगली घुसा दी दीदी की गांड में और तेज़ी से अंदर बाहर करने लगा एक और उंगली अंदर जाने से गांड टाइट हो गई और मेरी उंगलियों को जकड़ने लगी लेकिन मैं भी जल्दी से उंगलियों पर अपना थूक और दीदी की चूत का पानी लगा दिया जिस से उंगलियाँ चिकनी होकर आराम से अंदर बाहर होने लगी और साथ ही दीदी की सिसकारियाँ भी तेज होने लगी, दीदी के मुँह में मेरा लंड था लेकिन फिर भी दबी दबी सिसकारियाँ मुँह से निकल रही थी और साथ ही दीदी का सर भी तेज से लंड पर ऊपर नीचे होने लगा था.
कुछ देर बाद दीदी ने तेज़ी से अपनी चूत को मेरे मुँह पे रगड़ना शुरू कर दिया, मैं समझ गया कि इसके काम होने वाला है, मैंने भी चूत को पूरा मुँह में भर लिया और गांड में उंगलियों की स्पीड भी तेज कर दी. कुछ ही पल में दीदी की चूत ने पानी छोड़ दिया और मैं पानी को ज़ुबान से चाटने लगा. पानी ज़्यादा नहीं निकला था लेकिन जितना भी निकला मैं उसको चाट गया था.
दीदी ने मेरे लंड को मुँह से निकाल दिया और मेरे ऊपर से हटने की कोशिश की, मैंने भी दीदी को छोड़ दिया, दीदी जल्दी से बेड पर पेट के बल गांड को ऊपर करके लेट गई- अब जल्दी करो सन्नी, अब और नहीं रुका जाता मेरे से! मैं जल्दी से दीदी के ऊपर चढ़ गया और लंड को दीदी की चूत पर रखा और जैसे ही लंड को दीदी की चूत में घुसने लगा दीदी ने लंड को हाथ से पकड़ कर मुझे रोक दिया- यहाँ नहीं सन्नी, गांड में घुसाओ, आज चूत नहीं गांड मारो मेरी! सन्नी- लेकिन दीदी, आपकी गांड बहुत टाइट है और मेरा मूसल बहुत बड़ा है फट जाएगी आपकी गांड! शिखा- पता है मुझे सन्नी, मेरी गांड में आज तक कुछ नहीं गया है यहाँ तक कि मेरी अपनी उंगली भी नहीं लेकिन आज तूने अपनी उंगलियाँ घुसा कर मुझे बता दिया है कि गांड में कितना मजा होता है. मैं ही पगली इतने टाइम से अंजान थी गांड के मज़े से, अब कुछ मत बोलो बस मुझे गांड चुदाई का मज़ा दो, फटती है तो फट जाने दो मेरी गांड को! बस मुझे आज मजा दो सन्नी, अब और देर मत करो, जल्दी करो प्लीज़!
तभी मेरी नज़र दीदी के बेड के पास पड़े एक बॉडी लोशन पर गई, मैंने जल्दी से बॉडी लोशन उठा लिया, दीदी मेरी तरफ देखने लगी, मैंने दीदी की गांड ऊपर उठा कर कुतिया बनने को कहा। दीदी मेरी बात मान कर सर को बेड से लगा कर अपनी गांड उठा कर कुतिया बन गई, मैंने लोशन लिया हाथ पर और गांड पर लगाने लगा और साथ ही उंगलियों से लोशन को गांड में भी भरने लगा, मेरी एक उंगली तो आराम से गांड में जाने लगी थी लेकिन 2 उंगलियों को मुश्किल होती थी फिर भी बॉडी लोशन की चिकनाहट से मेरी 2 उंगलियाँ गांड में जाने लगी थी और मैं 2 उंगलियों से गांड में लोशन भरने लगा था और साथ ही उंगलियों को तेज़ी से घुमा घुमा कर गांड के होल को थोड़ा खोलने लगा था.
कुछ देर बाद मैंने अपने लंड पर भी लोशन लगाया और लंड को हाथ से पकड़ कर दीदी की गांड के छेद पर रखा और धक्का लगा दिया लेकिन मेरा लंड फिसल कर दूसरी तरफ मुड़ गया, मैंने फिर से कोशिश की लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ. मैंने एक तकिया लिया और दीदी के पेट के नीचे रखा और दीदी को उस पे लेटा दिया लेकिन एक तकिया कम पड़ रहा था तो मैंने एक तकिया और रख दिया, फिर दीदी की टाँगों को खोल कर उनके बेड पर लेटा दिया दीदी के पेट के नीचे 2 तकिये थे जिस से दीदी की गांड काफ़ी ऊपर उठी गई थी, मैंने गांड के होल को हाथों से खोला और अपने लंड को होल पर टिका कर खुद दीदी के ऊपर लेट गया, दीदी की गांड हल्की सी खुल गई थी और मेरे लंड की टोपी गांड पर टिकी हुई थी।
मैंने खुद को दीदी के ऊपर लेटा कर हाथों से दीदी के कंधों को पकड़ा और मजबूती से पकड़ बना कर लंड को जोरदार धक्के से दीदी की गांड में घुसा दिया. इस बार मैं सफल हो गया और लंड करीब 4 इंच तक दीदी की गांड को फाड़ता हुआ अंदर चला गया, दीदी मछली की तरह तड़पने लगी थी और मेरे से छूटने की कोशिश करने लगी थी लेकिीन मैंने दीदी के कन्धों को कस के पकड़ा हुआ था और दीदी को हिलने का मौक़ा नहीं दे रहा था. “हाय सनी… छोड़ दे… मुझे… मे…री… गा…न…ड … फट… गई…” शिखा दीदी बुरी तरह से रोने भी लगी थी- प्लीज… निकाल… ले… सनी!
मुझे दीदी पर तरस आ रहा था दिल कर रहा था कि लंड को गांड से बाहर निकाल लूँ लेकिन मुझे पता था एक बार लंड को गांड से निकाला तो दोबारा दीदी ने गांड में लंड घुसाने नहीं देगी। इसलिए मैंने दीदी की बातों को और दीदी के दर्द को इग्नोर कर दिया लेकिन दीदी के दर्द को कम करने के लिए अपने एक हाथ को दीदी के शोल्डर से हटा कर दीदी की चूत पर ले गया जो पिल्लो से दबी हुई थी, मैंने दीदी की चूत को ऊपर से सहलाना शुरू कर दिया, वो भी थोड़ी तेज़ी से लेकिन प्यार से, कुछ ही देर में दीदी को चूत पर मेरे हाथ की रगड़ से मस्ती चढ़ने लगी और दीदी की दर्द भरी सिसकारियाँ मस्ती भरी सिसकारियों में बदल गई, लेकिन फिर भी दीदी रुक रुक कर मुझे लंड को बाहर निकालने को बोल रही थी.
मैंने चूत को और ज़्यादा तेज़ी से सहलाना और रगड़ना शुरू कर दिया. जब तक दीदी की सिसकारियाँ मस्ती भरी नहीं हो गई, तब तक लंड को बिना हिलाए ऐसे ही गांड में डाल के दीदी के ऊपर लेटा रहा, जब 2-3 मिनट बाद दीदी की सिसकारियों से दर्द पूरी तरह गायब हो गया और मस्ती भरी सिसकारियाँ शुरू हो गई तो मैंने हल्के से लंड को गांड में आगे पीछे करना शुरू कर दिया लेकिन बड़े प्यार से! लंड अभी तक आधा भी नहीं गया था गांड में लेकिन जितना भी गया था मैं उतने लंड को ही दीदी की गांड में हल्के हल्के आगे पीछे करने लगा और साथ ही एक हाथ को दीदी के कन्धों पर रख कर पकड़े रखा और साथ ही एक हाथ से दीदी की चूत को सहलाता रहा.
कुछ देर बाद दीदी को मस्ती चढ़ने लगी और दीदी मुझे प्यार से ऐसे ही गांड मारने को बोलने लगी लेकिन मैंने प्यार से गांड मारने के 2-3 मिनट बाद एक और तेज झटका मारा और मेरा पूरा लंड दीदी की गांड में उतर गया. इसी झटके के लिए मैंने अभी तक दीदी के कन्धों को कस के अपने हाथ से पकड़ा हुआ था ताकि दीदी दूसरे झटके से बचने के लिए आगे की तरफ नहीं निकल जाए. “हाय सनी… मेरी गांड… फिर… फट… गई… छोड़ दे… मुझे!” सन्नी- क्या हुआ दीदी, पहले खुद ही बोल रही थी कि आज गांड ही मरवानी है खुद ही तो चूत में जाते हुए लंड को पकड़ कर गांड का रास्ता दिखाया था. शिखा- गलती… हो… गई… प्लीज… छोड़… दे! सन्नी- बस दीदी, जितना दर्द होना था हो चुका, अब तो मज़ा ही मज़ा है.
मैंने दीदी की चूत को तेज़ी से सहलाना शुरू किया और लंड को भी हल्के हल्के अंदर बाहर करने लगा लेकिन मैं ज़्यादा लंड को बाहर नहीं कर रहा था बस 2 इंच लंड को ही आगे पीछे कर रहा था मेरा 6 इंच लंड अभी भी दीदी की गांड में था जिससे दीदी की गांड का अंदर वाला हिस्सा भी थोड़ा खुल रहा था और मेरे मूसल के लिए जगह बना रहा था।
मैंने करीब 2-3 मिनट ऐसे ही हल्के हल्के लंड को आगे पीछे करना जारी रखा और जब देखा कि दीदी को फिर से मस्ती चढ़ने लगी और दीदी खुद बोलने लगी ‘आहह हाय… क्या… मजा… है… गांड चुदाने में… चोद सनी… फाड़ दे… अपनी दीदी की गांड… पेल जोर जोर से!
मैंने लंड को थोड़ा ज़्यादा अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और स्पीड भी थोड़ी तेज कर दी, दीदी मस्ती में सिसकारियाँ लेती हुई कभी कभी बीच में हल्का सा दर्द का इज़हार भी कर देती थी लेकिन मेरे को रुकने को नहीं बोल रही थी. करीब 5 मिनट बाद मेरा पूरा लंड दीदी की गांड में अंदर बाहर होने लगा था. तभी मैंने दीदी को कमर से पकड़ा और खुद ऊपर उठ कर दीदी को भी ऊपर उठा दिया. दीदी ने अपने घुटने मोड़ दिए और खुद को बेड पर सहारा देते हुए कुतिया के पोज़ में वापिस झुका लिया, मैं घुटने मोड़ कर दीदी के पीछे बैठ गया लेकिन मैंने दीदी की गांड से लंड को बाहर नहीं निकाला था, अब सही पोज़ में आकर मैंने दीदी की कमर को पकड़ा और धक्के लगाने लगा.
तभी मेरा ध्यान गांड में अंदर बाहर होते लंड पर गया जिस पर खून लगा हुआ था. मैं समझ गया कि मेरे लंड ने दीदी की गांड को फाड़ दिया था, दीदी की गांड का खून लोशन के साथ मिल कर मेरे लंड पर लगा हुआ था. मुझे बड़ी खुशी हो रही थी खून देख कर… मैंने पहली सील खोली थी, चूत की ना सही, गांड की सही लेकिन इसमें भी बहुत मज़ा आता था, बहुत नहीं बहुत ज़्यादा, लेकिन शिखा दीदी की चूत खुली हुई थी जबकि गांड की सील को आज मैंने खोला था और इसी बात से मुझे ज़्यादा मस्ती चढ़ने लगी थी और मेरी स्पीड तेज होने लगी थी.
दीदी भी तेज़ी से सिसकारियाँ लेते हुए मुझे उनकी गांड चोदने को बोल रही थी- आहह… पेल मेरे राजा… पेल अपनी रंडी दीदी को… गांड फाड़ दे… अपनी… दीदी … की। मैंने दीदी की बात सुनी और हाथों को दीदी की कमर से हटा कर दीदी के बूब्स पर रखा और बूब्स को मसलने लगा। मैं दीदी की बातें सुन कर खुश होने लगा, अब शिखा दीदी को भी बड़ा मज़ा आ रहा था.
तभी लगा कि अब मेरा पानी निकलने वाला है, दीदी तो पहले एक बार झड़ चुकी थी लेकिन मैं नहीं झड़ा था, तभी मैंने दीदी के बूब्स से अपने हाथ हटा लिए और जल्दी से दीदी की चूत में उंगलियाँ घुसा कर तेज़ी से दीदी की चूत में उंगलियाँ पेलने लगा और साथ ही गांड में लंड की स्पीड को स्लो कर दिया क्योंकि मैं दीदी को भी एक बार अपने साथ झड़वाना चाहता था और ऐसा ही हुआ दीदी की सिसकारियाँ अब तेज होने लगी थी और वो पूरी मस्ती में चिल्ला रही थी।
दीदी ने खुद अपने हाथों से अपने बूब्स को भी मसलना शुरू कर दिया था, मैंने देखा कि दीदी अब झड़ने वाली है तो मैंने भी लंड को तेज़ी से गांड में पेलना शुरू कर दिया. करीब 2 मिनट बाद तेज़ी से चिल्लाते हुए दीदी की चूत ने पानी छोड़ दिया और मेरे लंड ने भी दीदी की गांड को स्पर्म की पिचकारियों से भर दिया, मैं हांफता हुआ बेड पर गिर गया और दीदी ऐसे ही अपने नीचे पड़े पिल्लो पर पेट टिका कर गिर गई.
शिखा- आज तो सच में बहुत मज़ा आया सन्नी, इतना मज़ा तो चूत में नहीं आया कभी जितना आज गांड में आया है. लेकिन दर्द भी चूत की सील खुलने से कहीं ज़्यादा हुआ है गांड की सील खुलने में! सन्नी- लेकिन मज़ा तो आया ना दीदी! शिखा- हाँ सन्नी, बहुत मज़ा आया, क्या तू रोज मुझे ऐसे मज़ा दे सकता है सन्नी? सन्नी- रोज रोज का मुश्किल है दीदी… क्योंकि टाइम निकालना और जगह का बंदोबस्त करना मुश्किल है लेकिन जब भी मौक़ा मिला मैं आपकी सारी प्यास बुझा दिया करूँगा, शिखा- सच में सन्नी! सन्नी- हाँ दीदी, बस जब भी आप घर पर अकेली हो, मुझे कॉल कर दिया करना, मैं आ जाया करूँगा. शिखा- ठीक है सन्नी.
उस दिन मैंने एक बार और दीदी की गांड मारी, आज दीदी ने मुझे चूत में लंड घुसने ही नहीं दिया, उनको तो आज सिर्फ़ गांड चुदाई का मज़ा लेना था. मैं भी बड़ा खुश था कुँवारी गांड की सील खोल के और टाइट गांड की चुदाई करके! फिर मैं कॉलेज टाइम से कुछ देर पहले ही वहाँ से निकल गया।
अब तो जब भी शिखा दीदी बुलाती है मैं जाकर उनको चोदता हूँ। उनके घर में हर जगह उनको चोद चुका हूँ।
मेरी एडल्ट स्टोरी पर अपनी राय मुझे मेल से दे सकते हैं। [email protected]
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