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अप्रेल 2015 में मेरे मामा के लड़के नीरज की शादी थी। मैं शादी से 5 दिन पहले मामा के घर चला गया और छोटा मोटा काम करवाने में मदद करने लगा। शादी वाले दिन सारी रस्में पूरी करके बरात दूल्हे के साथ निकली।
जब हम लड़की वालों के यहाँ मण्डप में पहुँचे तो दुल्हे को स्टेज पर रखे सोफे पर बैठाया गया। कुछ देर में दुल्हन को कुछ लड़कियाँ ले कर स्टेज पर आई और नीरज के बगल में सोफे पर बैठा दिया। दुल्हन सुधा लाल रंग के शादी के जोड़े (लाचा) में बहुत सुंदर लग रही थी, मेरा भाई नीरज उसे लगातार देखे जा रहा था। सुधा नजरें झुका कर बैठी थी, मैं पास खडा होकर सुधा भाभी से बातें करने लगा। वहाँ एक लड़की हमारी बातें सुन रही थी, बाकी लड़कियाँ नीरज को छेड़ रही थी। बातें करते वक्त वो लड़की मुझे देख रही थी, लग रहा था कि वो मुझसे इम्प्रेस हो गई थी. वो रह रह कर मेरी ओर देख कर मुस्कुरा रही थी. सुधा भाभी से पता चला कि वो दिव्या है, उसकी चचेरी बहन, 18 वर्ष की 12वीं की स्टूडेंट।
दिव्या ने गुलाबी रंग का बेहद खूबसूरत लाचा पहना था जिसमें वो बहुत सेक्सी लग रही थी। मैंने उसकी तारीफ की, उसने मुझे थेंक्स कहा। फिर हम बात करने लगे। तभी फोटोग्राफर फोटो लेने लगा। एक दो फोटो में मैं दिव्या से सट कर खड़ा रहा।
फोटो के बाद हम डांस करने लगे, मैंने दिव्या को मेरे साथ नाचने को बोला तो वो नाचने लगी। बाद में हम दोनों खाना खाने साथ चल दिए और बात करने लगे। दिव्या मेरे साथ बातें करने में दिलचस्पी ले रही थी।
हमारी बातें डबल मीनिंग में सेक्स के ऊपर होने लगी। बातों बातों में दिव्या ने मुझसे मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछा। मैंने उससे झूठ बोल दिया कि मेरी गर्लफ्रेंड मेरे पड़ोस की लड़की है। उसने पूछा- कभी किया है? मैं- क्या? वो- वही जो लड़का लड़की करते हैं? मैं- हाँ… तुम्हारा बॉयफ्रेंड है? वो- नहीं। मैं- मुझसे दोस्ती करोगी? वो- पर तुम्हारी तो है पहले से! मैं- एक ही हो, ऐसा कोई नियम है क्या? वो- नहीं… पर… ठीक है, हम दोस्त हैं।
रात को जब फेरे शुरू हुए तो मैं दूल्हे के पीछे बैठ गया और हाथ के इशारे से दिव्या को अपनी बगल में बैठने को बोला। वो सुधा के पीछे और मेरी बगल में बैठ गई। मौका मिलने पर मैं दिव्या की जांघ पर हाथ फिराने लगा। वो मेरी आँखों में देख कर मुस्कुराने लगी। मुझे अब आगे बढ़ने का विचार आया।
जब तक फेरों की सारी रस्में हुई, तब तक मैं दिव्या को इधर उधर हाथ लगाने लगा।
रात 2 बजे तक फेरों के बाद की रस्में भी खत्म हो गई और सब सोने का ठिकाना तलाशने लगे। लेकिन मैं दिव्या के साथ आगे बढ़ने की सोच रहा था। दिव्या भी शायद यही सोच रही थी, उसने मुझे इशारे से अपने पीछे आने को कहा। मैं भी उसके पीछे हो लिया, वो मुझे उनकी हवेली के आखिर के एक कमरे में ले गई।
मैं- मुझे यहाँ क्यों बुलाया? वो- बातें करने के लिए, तुमसे बातें करने में मजा आता है। मैं- मुझे भी तुम्हार साथ अच्छा लगता है। मैं एक सच बात बोलूँ? वो- क्या? मैं- मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है, मैं तुम्हें अपनी बनाना चाहता हूँ।
यह सुन कर दिव्या का चेहरा खुशी से चमकने लगा। मैंने भी देर ना करते हुए दिव्या के होंठों पर होंठ रख दिए और स्मूच करने लगा। थोड़ी देर में दिव्या भी साथ देने लगी। स्मूच करते हुए मैंने एक हाथ उसके दायें चुचे पर रख दिया। दिव्या अपना हाथ मेरे हाथ के ऊपर रख कर दबाने लगी। मैं उसका इशारा समझ कर उसके सख्त चुचे को मसलने लगा।
दूसरा हाथ मैंने उसकी चुत पर रखा तो उसे करंट जैसा लगा। फिर मैंने उसे अलग करके उसका लाचा उतार दिया। उसने शर्म से अपना खूबसूरत चेहरा नीचे कर लिया। दिव्या अब सफेद ब्रा पैंटी में थी।
मैंने फिर से दिव्या को किस करना शुरू कर दिया। उसके कंधों पर, गले पर चाटने लगा और किस करते हुए उसकी ब्रा उतार दी। ब्रा उतरते ही उसके 32″ के गोरे और गोल चुचे बाहर आ गए, उसने अपने दोनों हाथ अपने चुचों पर रख लिए। मैंने उसके हाथ हटा कर उसके चुचों को पकड़ लिया और भींचने लगा। दिव्या की सीत्कारें निकलने लगी। मैं उसके चुचों को बारी बारी चूसने लगा, उसके निप्पलों पर दांत गड़ा दिए हल्के से जिससे उसे कुछ दर्द हुआ।
चुचे चूसते हुए मैंने उसकी पैंटी में हाथ डाल दिया, उसकी पैंटी गीली हो रही थी, मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी। उसने अपने पैर भींच कर अपनी चुत छुपाने की कोशिश की। मैंने उसे गोद में उठा कर बिस्तर पर लेटा दिया, कुछ पल मैं उसे ऐसे ही नंगी पड़ी देखने लगा। उसका गोरा रंग 32-26-34 का शरीर देख कर मैं उसका दीवाना हो गया। गोरे शरीर पर कहीं भी कोई दाग नहीं, बस एक छोटा सा तिल था उसके बायें चुचे के बगल में दोनों चुचों की घाटी में।
दिव्या- ऐसे मत देखो… मुझे प्यार करो। मैंने उसके पैर घुटनों से मोड़ कर खोल दिए, मैं उसकी चुत देखने लगा, उसकी चुत पर हल्के हल्के रोयें जैसे बाल थे। मैं- तुम अपनी चुत के बाल साफ नहीं करती क्या? दिव्या- अभी छोटे ही तो है… ठीक से आए भी नहीं।
मैंने उसकी चुत में उंगली डाल दी, वो चिहुँक उठी। उसकी चुत टाईट थी। मैं- तुम कभी चुदी हो? वो- नहीं। मैं- चुत में उंगली भी नहीं करती? वो- एक दो बार की थी पर दर्द होता है तो छोड़ दी।
मैंने उंगली आगे पीछे करना शुरू की। चुत टाईट होने की वजह से मेरी उंगली करने से दिव्या को दर्द होने लगा। फिर मैंने उसकी चुत में दो उंगली डाल दी और आगे पीछे करने लगा। जब चुत में दोनों उंगली आराम से अंदर बाहर होने लगी तब मैंने उसकी चुत पर एक किस किया लेकिन बाल होने के कारण मैंने उसकी चुत नहीं चाटी। अब उसने मुझसे बोला- तुमने मेरे सारे कपड़े उतार दिए अपने कब उतारोगे मेरे राजा? मैं- तू ही उतार दे मेरी रानी!
वो बैड से उतर गई और मेरे कपड़े उतारने लगी। जब वो मेरी चड्डी उतारने लगी तो मेरा 5″ लंबा लंड उसके मुँह पर लगा। वो पीछे हट गई। वो- तुमने किसी लड़की के साथ कभी किया है? मैं- हाँ… वो- पर तुमने तो बोला था तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है। मैं- सच में नहीं है… मैंने जिसे चोदा वो हमारे पड़ोस की भाभी है और उसकी ननद, दोनों ने मिल कर चुदवाया 5-6 बार।
वो कुछ नहीं बोली और मेरे लंड को देखने लगी। मैं- ये तेरे लिए ही है मेरी रानी, इसे अपने मुँह की गर्मी दे। वो- छी… मैं- एक बार ले कर देख मुँह में… अच्छा ना लगे तो दोबारा मत लेना।
उसने फिर बेमन से मुँह में मेरा लंड ले लिया, मैं उसके सिर को पीछे से पकड़ कर उसका मुँह धीरे धीरे चोदने लगा। कुछ देर में उसे अच्छा लगने लगा तो वो खुद ही मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी, मैंने अपना हाथ हटा लिया। 5 मिनट में ही मैं उसके मुँह में झड़ गया, दिव्या ने मेरा वीर्य थूक दिया, थोड़ा सा उसने पी भी लिया। मैंने उसे चाट कर मेरा लंड साफ करने को बोला तो उसने चाट कर मेरा लंड साफ किया।
उसके चाटने से कुछ ही देर बाद मेरा लंड पहले से ज्यादा तन गया और दिव्या को सलामी देने लगा। दिव्या- अब मत तड़पा मेरे राजा… मुझे अपनी बना ले। मैंने उसे बिस्तर पर लेटा कर उसके पैर अपने कंधों पर रख दिए और लंड उसकी चुत के मुख पर… मैंने एक धक्का लगाया, दिव्या की चुत कुंवारी थी और टाईट भी… जिसके कारण मेरा लंड फिसल गया।
मैं- चिकना करने के लिए कुछ है? उसने मुझे ड्रेसिंग टेबल की तरफ इशारा किया। मैं वहाँ से एक क्रीम की डिब्बी ले आया और उसकी चुत पर लगा दी अंदर भी उंगली से भर दी। मैं जब अपने लंड पर क्रीम लगाने लगा तो दिव्या ने डिब्बी छीन कर खुद मेरे लंड पर क्रीम लगाई और मुझे देख कर मुस्कुराने लगी।
अब मैंने फिर से उसके पैर कंधों पर रख लिए और उसके हाथ में अपना लंड पकड़ा दिया, उसने लंड अपनी चुत के द्वार पर रखा और मुझे किस किया, मैंने एक जोर के झटके से आधा लंड उसकी चुत में घुसा दिया। वो दर्द से झटपटाने लगी। मैंने उसके मुँह को अपने मुँह में ले लिया।
जब उसकी आवाज कम हुई तो मैं उसका मुँह छोड़ कर उसके चुचों को चूसने लगा। जब उसका दर्द हल्का पड़ गया तो उसने मुझे फिर से धक्का लगाने को बोला। मैंने फिर एक जोरदार धक्का लगाया, मेरा लंड उसकी चुत में घुस गया। वो फिर से चीखी उम्म्ह… अहह… हय… याह… लेकिन इस बार उसने अपने होंठ आपस में भींच लिए।
सामान्य होने पर दिव्या बोली- हर्ष… मेरी चुत के राजा अब धीरे धीरे चोदो. मैं उसकी चुत में लंड धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा। कुछ देर में उसे भी मजा आने लगा, वो भी अपने चूतड़ हिला कर चुदवाने लगी। मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और उसे जोर जोर से चोदने लगा।
15-20 मिनट की चुदाई में वो दो बार झड़ गई, उसके दूसरी बार झड़ने के साथ ही मैं भी उसकी चुत में ही झड़ गया और दिव्या के चुचे को मुँह में लेकर उसके ऊपर लेट गया।
जब हम आराम करने के बाद खड़े हुए तो दिव्या की नजर शिवानी (सुधा की बहन) पर पड़ी। हमने दरवाजा लॉक नहीं किया था। दिव्या ने शिवानी से बात की और उसको किसी को ना बताने के लिए मना लिया। शिवानी भी मान गई पर उसने भी चुदने को बोला।
शिवानी 19 साल की कॉलेज स्टूडेंट थी, 34-28-35 का शरीर और गोरा रंग। उसने संतरी रंग की पारदर्शी साड़ी पहनी हुई थी, बिना बाजु वाला ब्लाउज जो उसके चुचों को ढक रहा था, पेट साफ दिख रहा था, साड़ी नाभि से काफी नीचे बांधी थी। शिवानी बहुत सेक्सी लग रही थी।
मैंने उसे कमर से पकड़ कर अपने पास खींचा तो वो बेल की तरह आकर मुझसे लिपट गई। मैं शिवानी से बोला- तुम तो बहुत सेक्सी हो यार! शिवानी- थैंक्स… मैं तेरी ही हूँ। मैं- तू कब से देख रही थी? शिवानी- जब से तुम कमरे में आए तब से… मैं शिवानी की साड़ी उतारने लगा।
शिवानी- अब तो दरवाजा लॉक कर दे दिव्या। मैं- यार खुला ही रहने दो… जैसे शिवानी मुझे मिली वैसे और भी कोई मिल जाएगी। शिवानी- हट बदमाश… हम दोनों से तेरा मन नहीं भरेगा क्या? दिव्या ने दरवाजा बंद करके लॉक कर दिया।
शिवानी मेरा लंड पकड़ कर देखने लगी, तब तक मैंने उसकी साड़ी अलग कर दी और शिवानी को नीचे घुटनों के बल बैठा दिया। वो समझ गई, उसने तुरंत मेरा मुरझाया लंड अपने मुँह में ले लिया। मैंने दिव्या को अपने करीब बुलाया और उसे किस करने लगा, कभी उसके गले, कंधे पर चाटने लगा।
दिव्या ने एक हाथ मेरे पीछे किया हुआ था और एक हाथ से शिवानी के बालों को सहला रही थी। शिवानी अब खड़ी हो गई और बोली- मेरी सिर्फ साड़ी ही उतारी… बाकी ब्लाउज और पेटीकोट उतारने के लिए बाहर से किसी को बुलाऊँ क्या? मैंने ऐसा सुन कर उसका ब्लाउज और पेटीकोट उतार दिया, उसने सफेद ब्रा और लाल पैंटी पहनी थी।
दिव्या ने उसके गले के पीछे होंठ चलाते हुए उसकी ब्रा के स्ट्रेप्स खोल दिए, उसकी ब्रा नीचे गिर गई। मैंने भी नीचे बैठ कर उसकी गीली पैंटी उतार कर अलग कर दी। शिवानी की चुत एकदम साफ थी। मैं- चुत हमेशा तैयार रखती है क्या? शिवानी- नहीं… आज ही साफ की। सोचा कोई चुत का उद्घाटन कर देगा। देखो तुम मिल गए मेरी चुत की सील तोड़ने के लिए। दिव्या- तू तो बहुत तेज निकली…
अब मैं शिवानी को हग किए खड़ा था और उसे चूम चाट रहा था। दिव्या भी शिवानी के पीछे खड़ी होकर उसके आगे हाथ करके उसके चुचे दबाने लगी और उसकी गर्दन चाटने लगी। मैंने एक हाथ शिवानी की चुत पर रखा और दूसरा हाथ पीछे ले जाकर दिव्या का चुचा पकड़ लिया। कुछ मिनट बाद जब शिवानी पूरी तरह गर्म हो गई तो मैंने उसे बिस्तर पर लेटा दिया। दिव्या ने उसके पैर फैला दिए और मुझसे बोली- ले हमारी चुत के राजा, एकदम साफ चुत!
मैंने शिवानी की चुत पर मुँह लगा दिया। शिवानी की चुत दिव्या की चुत से कम टाईट थी लेकिन मोटी ज्यादा थी। मैंने उसकी चुत में जीभ घुसा दी, वो पागलों की तरह मचलने लगी, उसने मेरे सिर पर हाथ रख कर अपनी चुत पर दबाव बनाया जैसे मुझे अपनी चुत में घुसाना चाहती हो।
दिव्या शिवानी को स्मूच कर रही थी और शिवानी का एक हाथ दिव्या की चुत पर था।
मेरे जीभ से चोदने पर शिवानी जल्दी ही झड़ गई। मैं- मेरा लंड कौन तैयार करेगी? दोनों ने बोला- मैं। मैंने बारी बारी दोनों के मुँह में लंड डाल दिया। जब लंड तन कर सख्त हो गया तो मैंने शिवानी को लेटा दिया। दिव्या को अपना लंड पकड़ा कर शिवानी की चुत पर रखने को बोला।
दिव्या ने मेरा लंड पकड़ लिया और शिवानी की चुत पर रख कर दबाव बनाया। मैंने भी एक धक्का दिया, शिवानी की चुत झड़ने से चिकनी हो गई थी, मेरा लंडमुंड उसकी झिल्ली तोड़ता हुआ अंदर घुस गया। शिवानी जोर से चिल्लाई तो दिव्या ने अपना चुचा उसके मुँह में दे दिया जिससे उसकी आवाज दब गई।
मैंने दूसरा धक्का लगाया जिससे मेरा आधे से ज्यादा लंड शिवानी की चुत में घुस गया। मैं वहीं रूक कर उसके चुचे चुसने लगा। जब शिवानी सामान्य हुई तो दिव्या ने मुझसे आगे बढने को कहा। मैंने भी तीसरे धक्के में पूरा लंड उसकी चुत में पेल दिया और धक्के लगाने लगा। दो तीन मिनट बाद शिवानी अपने कूल्हे हिलाने लगी।
दिव्या- जोर से चोदो मेरी बहन को मेरे राजा… मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी, शिवानी सीत्कारने लगी- हम्म… और जोर ररर ससे… मैं… तेरी हूँ… फफाड़ दे मेररी चुत… मैं भी आवाज करते हुए उसे चोद रहा था। वो दिव्या से जल्दी झड़ रही थी, उसमें दिव्या से ज्यादा चुदास थी।
20-22 मिनट में वो 3 बार झड़ गई, उसकी चुत से चुत रस बह रहा था जिससे मेरा लंड आराम से उसकी चुत चोद रहा था। कमरे में भी चुदाई की आवाज और हमारी सिसकारियाँ गूंज रही थी। 4-5 मिनट में मैंने भी शिवानी की चुत में अपना वीर्य छोड़ दिया, उसी के साथ शिवानी ने भी चौथी बार अपना चुत रस उगल दिया।
फिर मैंने दिव्या की एक बार और चुत चोदी पर गांड नहीं मार सका।
मैंने दोनों से उनके वाट्सएप नम्बर लिया और अगली बार चुत और गांड दोनों चोदने को बोला जिस पर दोनों राजी हो गई। मैंने भी उनको अपना नम्बर दिया। फिर हम कपड़े पहन कर बाहर आ गए।
सुबह के साढ़े पांच बज रहे थे, हम दुल्हन को घर ले आए।
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