मम्मी ने मुझे नंगी पकड़ लिया

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मेरा नाम एरिका सिंह है, मेरी सेक्स कहानी बड़ी अजीब है.

मैं कल रात से बहुत परेशान हूँ। इतनी ज़्यादा परेशान के दिल कर रहा है कि ख़ुदकुशी कर लूँ, मगर ख़ुदकुशी कमजोर लोगों का विकल्प होता है, और मैं कमजोर नहीं हूँ। मैं अपनी ज़िंदगी में आई अपनी सबसे बड़ी मुसीबत का डट कर मुक़ाबला करूंगी।

अब आपको बताती हूँ कि मेरी समस्या क्या है।

कल रात मेरी एक सहेली की शादी थी और मैं अपनी दो और सहेलियों के साथ उसकी शादी में गई थी खूब सज धज कर तैयार हो कर! मेरी शादी को अभी अभी एक साल ही हुआ है। मेरी उम्र इस वक़्त 24 साल है, एक प्राइवेट कंपनी में अच्छी जॉब पर हूँ, पति भी बहुत अच्छी जॉब पर हैं, मगर उनकी जॉब टूरिंग है, अक्सर शहर से बाहर जाते रहते हैं। कल भी वो दो दिन के लिए शहर से बाहर थे, तो मैंने अपनी मम्मी से कहा कि वो एक दो दिन के लिए मेरे पास आ जाएँ, क्योंकि मैं घर पे अकेली थी, और अकेले मुझे बहुत डर लगता है।

मैं शाम को करीब 6 बजे तैयार हो कर अपनी सहेलियों के साथ शादी में चली गई और मम्मी से कह गई के मैं सुबह डोली के बाद ही आऊँगी।

शादी में पहुँच कर हमने बहुत मस्ती की, दो टकीला शॉट मैंने भी मारे। नशा, जवानी, खूबसूरती, पैसा, प्यार क्या नहीं था मेरे पास… सबने मिल कर मुझे पूरा मदमस्त बना दिया। हम सब सहेलियों की तो हंसी ही नहीं बंद हो रही थी, पता नहीं किस बात पर हंस रही थी। डीजे पर हम सब खूब नाची, खूब खाया पिया। मगर पता नहीं क्यों, रात के दस बजे के करीब मेरा पेट खराब होने लगा, पेट में मरोड़, गैस और खट्टे डकार। धीरे धीरे मेरी हालत और खराब होने लगी। फिर तो मुझसे न कुछ खाया जाए न पिया जाए।

मैं और मेरी एक सहेली एक केमिस्ट की दूकान खोज कर उसके पास गए, उसने गैस, एसिडिटी की दवा दी, मैंने खा ली मगर आराम फिर भी नहीं आया। रात साढ़े 11 बजे के करीब मुझे लगा जैसे मुझे उल्टी आएगी। मैं बाथरूम में गई, 10 मिनट बाथरूम में बैठी रही, फिर बड़े ज़ोर की उल्टी आई, सारा खाया पिया निकल गया, आँखों से आँसू निकल कर सारे चेहरे पर फैल गए और मेरा सारा मेक अप बिगड़ गया, सारा काजल फैल गया, चेहरे का रूज़, ब्लशर सब उतर गया।

मैंने शीशे में अपना चेहरा देखा, बाल बिखरे हुये, सारे चेहरे पर पसीने और आंसुओं के दाग। मेरी एक सहेली जो बहुत ही बिंदास बोलती है, मुझे देख कर बोली- एरी, तू तो ऐसे लग रही है, जैसे किसी तुझे बड़ी तबीयत से ठोका हो, और वो भी पीछे से गांड में!

मैं मुस्कुरा दी- अरे यार, यहाँ फटी पड़ी है, और तुझे बातें बनानी आ रही है। मेरी तबीयत ठीक नहीं है, चल मुझे घर छोड़ कर आ! मेरी तबीयत बिगड़ने से उस का भी मन नहीं लग रहा था तो हम दोनों शादी से वापिस आ गईं। उसने मुझे मेरी सोसाइटी के नीचे छोड़ा और चली गई।

मैं लिफ्ट से ऊपर आई, और अपने फ्लैट की डुप्लीकेट चाबी से दरवाजा खोला। अंदर गई तो देखा कि टेबल पर दो गिलास, शराब की बोतल, पानी, सोडा, नमकीन, खाना, सिगरेट सब कुछ बिखरा हुआ पड़ा था। मुझे बड़ी हैरानी हुयी कि ये सब किसने किया, कौन आया था यहाँ पर, विरेन तो बाहर हैं, फिर घर में पार्टी किसने की। घर की सभी बत्तियाँ जल रही थी।

मेरे मन में 100 किस्म के विचार आ रहे थे, एक बार ये भी सोचा कि हो सकता है कि विरेन वापिस आ गए हों। पर अगर वापिस आते तो मुझे फोन तो करते। किसी अंजान आशंका से डरते हुये धड़कते हुये दिल से मैं अपने बेडरूम की तरफ बढ़ी। दरवाजा थोड़ा सा खुला हुआ था, और अंदर धीमी रोशनी जल रही थी।

अंदर का नज़ारा देखा तो मेरे तो होश ही उड़ गए।

पीछे से ही मैंने पहचान लिया, ये तो विरेन हैं। ये कब वापिस आए और ये औरत उनके नीचे कौन है, जिस से वो सेक्स कर रहे हैं। मैंने अपने सेंडल उतारे और दबे पाँव अंदर चली गई, विरेन अपना पूरा लगा रहे थे और वो दोनों चुदाई में पूरे मस्त थे।

मैंने एक दम से बड़ी लाइट जलाई। जितना उन दोनों को देख कर मैं हैरान हुई, उस से ज़्यादा वो दोनों मुझे देख कर हैरान हो गए।

मेरे तो गुस्से की कोई सीमा ही नहीं रही, मैंने चीख कर कहा- विरेन, तुम ये क्या कर रहे हो? और माँ तुम? मैं अपना सर पकड़ कर नीचे बैठ गई।

विरेन उठे और उठ कर अपना गाउन पहनने लगे। माँ ने पास पड़ी एक चादर उठा कर ओढ़ ली। उसके बाद माँ तो कुछ नहीं बोली, मगर विरेन ने मुझे बहुत कुछ समझाने की नाकाम कोशिश की।

मेरा तो रो रो कर बुरा हाल था। मैं न उन दोनों से बोल रही थी, न उनकी बात सुन रही थी। गुस्से और दुख से भरी मैं उन दोनों को वहीं छोड़ कर दूसरे कमरे में आ गई, रूम अंदर से बंद किया, और खूब रोई, खूब रोई। मैं सोच भी नहीं सकती थी कि मेरे पति मेरी ही माँ से सेक्स कर सकते हैं, और मेरी माँ, उन्होंने तो आज तक कभी ऐसी गंदी हरकत नहीं की थी, किसी भी मर्द को अपने पास नहीं फटकने दिया, मैं उनको बचपन से देख रही थी।

रोते रोते ना जाने मुझे कब नींद आ गई।

सुबह उठी तो मेरा सर बहुत बुरी तरह से दुख रहा था। मैं उठ कर किचन में गई, माँ चाय बना रही थी। वो मुझ से नजर नहीं मिला पाई, पर चाय बना कर एक कप मुझे दिया। वो जाने लगी तो मैंने उनका हाथ पकड़ लिया- कब से चल रहा था ये सब? मैंने उन्हें माँ कहना भी ठीक नहीं समझा। वो बोली- तेरी शादी से पहले से! मैं तो सुन कर हैरान ही रह गई। मतलब विरेन और माँ का ये नाजायज रिश्ता मेरी शादी से पहले का है।

विरेन तो घर पर थे नहीं तो मैंने माँ से ही सब कुछ जानना चाहा। “शादी से पहले कब से?” मैंने पूछा। माँ बोली- जब मैंने तुम दोनों को उस दिन गलत हालत में पकड़ लिया था, उसके बाद से!

मेरे तो पाँव के नीचे से ज़मीन ही निकल गई, मैं फिर फर्श पर ही बैठ गई, और फिर से फूट फूट कर रोने लगी, माँ मुझे चुप करवाने लगी। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि इस सब के लिए मैं अपनी माँ को दोष दूँ, या अपने पति को।

ये थी एक सच्ची घटना, अब पढ़िये इस सेक्स कहानी का विस्तृत वर्णन पूरे मसाले के साथ, यानि के एक्स्टेंडेड वरशन विद एक्सट्रा चीज़ एंड स्पाइसेज़।

दोस्तो, मेरा नाम एरिका सिंह है, और मैं अपनी माँ की अकेली बेटी हूँ। पढ़ लिख कर मैंने एक कंपनी के जॉब कर ली।

वहीं मुझे एक लड़का मिला, विरेन। थोड़े ही दिनों में हम दोनों दोस्त बने और फिर कुछ ही समय में विरेन ने मुझे प्रोपोज किया और हम दोनों गर्ल फ्रेंड और बॉय फ्रेंड बन गए। मेरी प्यारी मॉम संतोष एक मिडल स्कूल ही हेडमिस्ट्रेस हैं। खूबसूरत, गोरी चिट्टी, पतली मगर फिर भी पर्फेक्ट फिगर। सर के आधे बाल सफ़ेद, क्योंकि वो बाल डाई नहीं करती मगर इसके बावजूद वो बहुत ही सुंदर और हॉट लगती हैं। इतनी सुंदर होने के बावजूद भी मम्मी ने बाहर कोई चक्कर नहीं चलाया, जबकि पापा को गुजरे बहुत साल हो चुके थे, मैं तो बहुत छोटी थी, जब पापा एक एक्सीडेंट में हमें छोड़ कर चले गए थे।

मैं पढ़ लिख कर जवान हुई, नौकरी कर ली। फिर एक दिन मैंने अपनी माँ को अपने लव अफेयर के बारे में बताया। माँ ने मेरी पसंद को ही पसंद कर लिया, और मुझे विरेन से शादी करने की इजाजत दे दी। अब जब सब सेट हो गया, विरेन के घर वाले भी हमारे घर आ कर सब देख गए, दोनों परिवारों ने शादी को हाँ कर दी, तो बाकी क्या बचा।

एक दिन विरेन ने मुझे कहा- एरी, यार अब सब्र नहीं होता, शादी तो हो ही रही है, क्यों शादी से पहले ही सब कुछ कर लें? मैंने उसे मीठी झिड़की दी- शट अप, जो भी होगा शादी के बाद होगा, अगर अभी सब कर लेंगे तो यार सुहाग रात का सारा रोमांच ही खत्म हो जाएगा। मगर विरेन नहीं माना, बोला- मुझे नहीं पता, सुहागरात अपनी जगह, मगर मैं तुमसे शादी से पहले ही सेक्स करना चाहता हूँ, या तो तुम मेरे साथ कहीं बाहर चलो, या फिर कोई अरेंजमेंट करते हैं, जिस दिन तुम्हारे घर या मेरे घर कोई नहीं होगा, उसी दिन, हम अपनी लाइफ के पहला सेक्स एंजॉय करेंगे।

मैंने उसे बहुत समझाया, मगर वो नहीं माना। फिर मन तो मेरा भी बेईमान हो रहा था। एक दिन किसी काम से माँ को छुट्टी वाले दिन भी स्कूल जाना पड़ा तो मैंने विरेन के साथ सब सेटिंग कर ली। माँ सुबह 9 बजे घर से चली गई, तो मैंने विरेन को फोन करके बता दिया, वो करीब 10 बजे मेरे पास आ गया। बैल बजी मैंने दरवाजा खोला, बाहर विरेन एक बड़ा सा फूलों का बुके और एक गिफ्ट लेकर खड़ा था। “हैलो जानेमन” विरेन बोला।

मैंने भी “हैलो, माइ स्वीटहार्ट” कहा तो विरेन ने आगे बढ़ कर मुझे अपनी आगोश में ले लिया, मुझे उस की अगली चाल पता थी तो दोनों आगे बढ़े और उसने मेरे गुलाबी होंटों पे एक इश्क से लबरेज़ चुंबन दिया। मैंने आज पहली बार ऐसे अपने घर के मेन डोर पर किसी को चुंबन दिया, और जहां से मेरे सारे मोहल्ले वाले मुझे देख सकते थे। मगर जवानी में लोगों की परवाह होती ही किसे है। बड़े अच्छे से, तसल्ली से उसने मेरे होंठ चूसे और फिर हम अंदर आ गए।

अंदर आ कर उसने पहले मुझे फूलों का बुके पेश किया, फिर वो गिफ्ट दिया। मैंने पूछा- गिफ्ट खोल कर देख सकती हूँ? वो बोला- क्यों नहीं, तुम्हारा गिफ्ट है,शौक से खोलो! मैंने झटपट से गिफ्ट का रैप्पर फाड़ा तो अंदर एक डिब्बा था। डिब्बा खोला तो अंदर एक बहुत ही सुंदर, मगर बहुत ही सेक्सी सुर्ख लाल रंग की लांयजरी। एक जालीदार स्टोकिंग पाँव से लेकर जांघों तक, ऊपर वैसे ही झीनी जालीदार पेंटी, और साथ में एक छोटा सा ब्रा।

मैंने खोल कर देखा और हैरान हो कर पूछा- ये सब क्या है यार? वो बोला- आज यही पहना कर तेरी लूँगा। मैं शर्मा कर हंस पड़ी- नहीं, नहीं, मैं ये नहीं पहनूँगी. मैंने कहा।

विरेन बोला- अगर ये नहीं पहनोगी, तो शादी वाले दिन मंडप में फेरे यही पहना कर लूँगा, सोच ले। मैं फिर हंस पड़ी- ये क्या पागलपन है विरेन? मैंने कहा।

वो बोला- यार मेरा मूड है, अपने पहले सेक्स को मैं यादगार बनाना चाहता हूँ, बस! मैं उठ खड़ी हुई- ओ के, ठीक है पहन लेती हूँ। मैं ड्रेसिंग रूम की तरफ चली तो जाते हुये विरेन ने मेरे चूतड़ पर एक चपत लगाई, और मैं “आई” कर के भाग गई।

ड्रेसिंग रूम में जा कर मैंने अपने कपड़े उतारे। सबसे पहले मैंने खुद को ड्रेसिंग रूम के फुल साइज़ शीशे में देखा। सर से लेकर पाँव तक, गोरा चिकना, भरपूर बदन। एक बार तो खुद को नंगी देख कर ही मुझे इश्क़ सा हो उठा। फिर मैंने विरेन के लाये हुये लांजरी सेट को पहना। ऊपर से अपना ब्लाक सटिन का फ्रंट ओपन गाउन पहन कर बाहर आई। जब मैं ड्राइंग रूम में आई तो देखा के विरेन तो पहले से ही बिल्कुल नंगा हुआ बैठा है, गोरा कसरत बदन, सीना बालों से भरा… और उसके हाथ में उसका तना हुआ 8 इंच का मोटा और भूरे रंग का लंड।

पहले भी मैं विरेन का लंड बहुत बार देखा था, छुआ था, चूसा था। मगर हमने सेक्स कभी नहीं किया था, मगर आज तो पक्का था कि हम दोनों अपना सुहाग दिन अभी मनाने वाले हैं। मुझे देख कर विरेन उठ खड़ा हुआ, तो मैंने भी अपना गाउन आगे से खोल दिया, दोनों पल्ले अगल बगल खोल कर गाउन उतार कर फेंक दिया।

“वाउ…” विरेन ने मुझे ऊपर से नीचे तक देखा, वो अपना तना हुआ लंड लेकर मेरी तरफ बढ़ा, मैंने उसके लंड को देखा, एक बार तो दिल में डर सा लगा कि यार ये तो बहुत ही बड़ा है, मेरी तो फाड़ देगा। मगर जब विरेन ने पास आ कर मुझे अपनी बांहों में भर लिया, तब मेरा सारा डर दूर हो गया। विरेन ने मेरी ठुड्डी ऊपर उठाई और बोला- तुम बहुत हॉट हो यार, टू सेक्सी! कह कर जैसे ही उसने मेरे होंठों को अपने होंठों से चूमा, मैं भी लिपट गई उस से।

अब इतनी शरम हया तो हम दोनों के बीच में थी नहीं, सो मैंने भी उसका लंड पकड़ा तो विरेन ने मुझे अपनी बाहों में कस के जकड़ लिया और हम दोनों पूरे जोश में एक दूसरे के होंठ और चेहरे को चूमने लगे। चूमते चूमते ही विरेन मुझे नीचे कार्पेट पर ही लिटा दिया और खुद भी मेरे ऊपर ही लेट गया, मेरे दोनों हाथ उसने अपने हाथों से पकड़ रखे थे, होंठों से होंठ जकड़ रखे थे और अपने दोनों पाँव से मेरी दोनों टाँगें खोल दी। मेरी टाँगें खुलते ही वो मेरी जांघों के बीच में आ गया और अपना लंड उसने मेरी चूत के ऊपर रख दिया।

मैंने एक लंबी सांस ली और खुद को इसके लिए तैयार किया क्योंकि मेरा ये पहला सेक्स था। सेक्स के बारे में मैं जानती थी, बहुत सी ब्लू फिल्में देखती थी, अन्तर्वासना पर सेक्सी कहानियाँ पढ़ कर हाथ से भी करती थी। मगर लंड लेने का ये मेरा पहला तजुरबा था।

विरेन ने मुझे कहा- अपनी चूत पे रखो इसे! मैंने उसका लंड पकड़ा, गर्म और सख्त… मैंने उसके लंड का टोपा अपनी चूत पे टिकाया। विरेन ने जैसे ही ज़ोर लगाया, उसका लंड मेरी चूत में घुस गया। एक बार तो मेरी आँखें बाहर आ गई, दर्द तो हुआ, मगर मैंने बर्दाश्त कर लिया। थोड़ा थोड़ा करके उसने अपना सारा लंड मेरे जिस्म में उतार दिया। पूरा टाइट, पत्थर जैसा लंड मेरी चूत से होकर मेरे पेट तक जा पहुंचा था, मगर फिर भी मैं खुश थी, क्योंकि दर्द और आनन्द का या मिलजुला अहसास था।

विरेन ने अपना लंड आगे पीछे करना शुरू किया, आनन्द बढ़ने लगा, दर्द घटने लगा। थोड़ी ही देर में मैं पानी पानी हो रही थी, विरेन को बहुत मजा आ रहा था, और मुझे भी अब सब बहुत ही अच्छा लग रहा था। अब तो मैं खुद उठ उठ कर विरेन को चूम रही थी, मुझे ये तो पता था के सेक्स में बहुत मजा आता है, मगर इतना मजा आता है, ये आज पता चला।

हम दोनों अपने इस प्रेम में इतना खो गए कि हमें अपने आस पास का, समय का किसी भी चीज़ का कोई ख्याल न रहा।

तभी अचानक घर का दरवाजा खुला और इस से पहले के मैं और विरेन संभलते, मम्मी हम दोनों के सामने खड़ी थी। मैं और विरेन दोनों पूरे नंगे, और कपड़े भी हम दोनों से काफी दूर पड़े थे। ऐसी भी कोई चीज़ नहीं पास में नहीं थी, जिस से मैं अपना, या विरेन अपना बदन ढाँप लेता।

मम्मी को देख कर हम दोनों के होश ही उड़ गए।

मम्मी ने भी कड़क कर कहा- एरिका, ये क्या कर रही हो? उनके चेहरे पर गुस्से और हैरानी के भाव स्पष्ट तौर पर झलक रहे थे। अब और कुछ तो हम कर नहीं सकते थे, सो विरेन उठ कर खड़ा हुआ, तो मम्मी की निगाह उसके नंगे बदन पर पड़ी, और मम्मी ने उसके तने हुये 8 इंच के लंड को भी देखा। वो उठा तो मैं भी उठी, अलग हो कर हम दोनों अपने कपड़ों की ओर भागे, अपने अपने कपड़े उठाए और मैं बाथरूम में तो विरेन दूसरे रूम में चला गया। कपड़े पहन कर मैं शर्मिंदा सी अपने रूम में चली गई, और विरेन अपने घर भाग गया।

उसके बाद मुझे लगता था कि मम्मी बहुत गुस्सा होंगी, मगर वो कुछ नहीं बोली, हाँ विरेन के पापा से बात करके उन्होंने हमारी जल्दी शादी करवा दी।

शादी के बाद तो खैर हमने सेक्स की हर हद तोड़ दी। आगे पीछे, ऊपर नीचे हर जगह विरेन ने अपना लंड मेरे जिस्म में घुसा दिया। हमारी ज़िंदगी बहुत मज़े से कट रही थी।

मगर आज जो हुआ, जो मैंने देखा वो तो मैं कभी भी नहीं सोच सकती थी, मेरी माँ मेरे ही पति से सेक्स। कैसे हो सकता है ये? खैर मैंने माँ से पूछ ही लिया- मम्मी कब से चल रहा है ये सब? माँ का चेहरा देखने लायक था, उस दिन जो मेरी हालत थी, माँ की हालत आज उस से भी खराब थी। माँ की आँखों में आँसू थे, वो मुझे से लिपट गई और रोने लगी- सॉरी बेटा, बहुत बहुत सॉरी, मैं बहक गई थी, मैं सोच ही नहीं पाई कि मेरी एक गलती का परिणाम इतना भयानक हो सकता है।

मैंने फिर पूछा- माँ, कब से चल रहा है ये सब? माँ बोली- उस दिन जिस दिन तुम दोनों घर पे अकेले थे, मैं स्कूल से जल्दी फारिग हो गई, और जब मैं घर वापिस आई तो मैंने तुम दोनों को उस हालत में देखा। वो सब तो ठीक था, मगर मैंने जब विरेन को नंगा देखा, और खास करके उसके लिंग को देखा। पता नहीं क्यों मेरे अंदर कामवासना का ज्वार फूट पड़ा। तुम दोनों तो भाग कर कपड़े पहनने चले गए, मगर मैं वहीं फर्श पर बैठ गई। कपड़े पहन कर विरेन मेरे पास आया, और मेरे पाँव छू कर चला गया। मगर मैं तो जैसे उसके साथ ही बंध गई। बेशक वो मेरी बेटी का होने वाला पति था, बेशक उस से पहले भी बहुत सारे मर्द मेरी ज़िंदगी में आए थे, मगर सब के सब कपड़ों में थे, मुझे पता था वो मुझसे क्या चाहते हैं, मगर मैंने अपने आप को अपनी सीमा में बांध कर रखा। किसी को अपने पास नहीं फटकने दिया। मगर विरेन को नंगा देखने के बाद मैं सो नहीं पाई। हर रोज़ रात को बिस्तर पर लेटती तो विरेन नंगा हो कर मेरे सामने आ खड़ा होता। मेरा भी दिल मचलता कि मैं उसके नंगे जिस्म से खेलूं। इतने साल जिस वासना को मैंने अपने मन में दबा कर रखा, वो किसी ज्वालामुखी की तरह फूट कर बाहर आई थी। आखिर दो दिन बाद मैंने विरेन को फोन किया और घर आने को कहा। वो घर आया, मैंने उस से बात की, पहले तो उस ने मुझसे उस दिन के लिए सॉरी मांगी, क्योंकि उस दिन तुमसे सेक्स करने का उसका ही प्लान था। मगर मैं तो कुछ और ही स्कीम अपने दिमाग में लिए बैठी थी। मैंने विरेन से पूछा कि वो तुमसे कितना प्यार कर सकता है, और तुम्हारे लिए क्या कर सकता है। जवानी के जोश में उसने कह दिया कि वो तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता है। तब मैंने उस से कहा, क्या तुम एरिका के लिए मुझसे सेक्स कर सकते हो। वो तो भौचक्का रह गया। मगर मैंने जब दोबारा उस से यही बात पूछी, तो कुछ देर सोच कर उसने हां कर दी। मैंने उसी वक़्त अपनी साड़ी ऊपर उठा कर घोड़ी बन गई, और बोली ‘चलो अपना काम शुरू करो, मगर इस बारे में किसी को पता नहीं चलना चाहिए।’ मैंने अपनी आँखें बंद कर ली। मुझे बहुत धक धक हो रही थी, समझ नहीं आ रहा था, सही कर रही हूँ, या गलत। फिर मुझे अहसास हुआ जैसे कोई नरम सी चीज़ ने मुझे पीछे से छुआ हो। मगर मैं जानती थी कि जितनी ये चीज़ पहले स्पर्श में नर्म लगती है, असल में ये उतनी ही सख्त होगी। और वही हुआ, एक मजबूत, सख्त पुरुष लिंग मेरी योनि को 13 साल बाद भेद कर अंदर घुस गया। जिस पतिव्रत को मैं 13 साल संभाल कर, बचा कर, सबसे छुपा कर रखा उसे एक मर्द ने एक सेकंड में भेद दिया, चीर दिया, मुझ से छीन लिया। अगले 15 मिनट जैसे मेरे ज़िंदगी के सबसे हसीन पल थे। उन 15 मिनट में मैं 2 बार स्खलित हुई। पहली बार जब सखलित हुई तो मैं बहुत शांत थी, मगर पहली बार स्खलित होने के बाद विरेन ने मुझे सीधा करके लेटा दिया और उसने मेरा ब्लाउज़, ब्रा, साड़ी, पेटीकोट खोले या उतारे नहीं, बल्कि फाड़ दिये, और मुझे जबरन नंगी कर दिया। मैंने वो अपने फटे हुये कपड़े आज भी संभाल कर रखे हैं। ये मेरी दूसरी सुहाग रात थी। एक स्खलन के बाद मैं भी पूरे जोश में थी, और इस बार मैं जितना चीख चिल्ला सकती थी, मैं चीखी और चिल्लाई। ये चीखना चिल्लाना मेरे संभोग के आनन्द को प्रकट करने का एक तरीका ही नहीं था, बल्कि बरसों बाद मिली मेरी खुशी को ज़ाहिर करने का तरीका बन गया। मैं सारी दुनिया को बता देना चाहती थी कि देखो दुनिया वालो, प्रेम और संभोग की कोई उम्र नहीं होती। मैं आज 48 साल की उम्र में भी संभोग का वो फल खा रही हूँ, जिसे बहुत से लोग अपनी बेवकूफी और जमाने के डर से बहुत पहले खाना छोड़ देते हैं। मैं बहुत खुश थी, मेरे फटे हुये कपड़े इधर उधर बिखरे पड़े थे, जैसे किसी मर्द ने मेरे साथ बुरा कर्म कर दिया हो, मगर मैं खुश थी, बहुत खुश। और फिर मेरा दूसरा स्खलन हुआ, और मैं और ज़ोर से और खुशी से और आनन्द से चीखी, अपनी सारी मर्यादा ताक पर रख कर। मैं निढाल हो चुकी थी। फिर विरेन ने भी अपना वीर्य गिराया, और मेरे बदन को अंदर तक तृप्त कर दिया, मैं भर गई, इतना भर गई कि मेरे बदन से विरेन का प्यार बाहर छलक आया। उसका वीर्य मेरी योनि से बाहर चू रहा था। मेरी जांघें भी उसकी लिंग से गिरने वाले गाढ़े, गरम वीर्य से भीग गई। विरेन आगे को हुआ और उसने अपना लिंग मेरे मुँह में दे दिया। मैंने बहुत प्रेम से उसका लंड चूसा, और जो थोड़ा बहुत वीर्य अंत में उसके लंड से टपका उसे मैंने व्यर्थ नहीं किया, बल्कि चाटा, और अपने मुंह के अंदर उसके वीर्य की आखरी बूंद तक को चूस गई। इतना नहीं विरेन कई बार मेरी चूत में उँगलियाँ डाली और अपने वीर्य से भिगो भिगो कर मेरे मुंह में डाली और मैं जितनी भी वीर्य उसने मुझे चटवाया, मैं सब चाट गई। वासना का तूफान थमने के बाद, विरेन ने मुझसे पूछा- एक बात बताओ संतोष, क्या अब मुझे तुम्हारी बेटी से शादी करनी चाहिए, अब जब के मेरे और तुम्हारे बीच भी ये वासनात्मक संबंध बन गए हैं। मैंने कहा- हाँ, विरेन तुम एरिका से प्रेम करते हो, उस से शादी होने वाली है तुम्हारी। तुम दोनों शादी करो, अपनी ज़िंदगी के मज़े लो। विरेन बोला- और तुम? मैंने कहा- यूं समझ लो के एक चूत तुम्हें तुम्हारी सास ने दहेज में दी है। जब दिल करे तो ये भी तुम्हारी सेवा में हाजिर है। विरेन ने मुझे चूमा और थोडी देर बाद तैयार हो कर चला गया। उसके बाद वो अक्सर मेरे पास आता, हम दोनों खूब सेक्स एंजॉय करते। इतना के एक दिन विरेन ने मुझे कहा कि संतोष तुमसे सेक्स कर कर के मैं तुमसे इतना प्यार करने लगा हूँ कि जी करता है कि मैं तुमसे ही शादी कर लूँ। मैंने कहा- विरेन, शादी तुम एरिका से ही करो क्योंकि वो तुम्हारी हमउम्र है। मैं तुम्हारी हूँ, अपना प्यार तुम्हारी शादी से अलग ऐसे ही चलता रहेगा।

कह कर माँ चुप हो गई।

मैं बैठी सोचने लगी, इंसान की ज़िंदगी में क्या क्या होता है। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि इस शादी का भविष्य क्या होगा। अब जब भी मैं अपने पति के पास जाऊँगी, तो मुझे ऐसे लगेगा कि जिस लंड को मैं चूस रही हूँ, अपनी चूत में ले रही या जो कुछ भी विरेन के साथ कर रही हूँ, वो सब कुछ मेरी माँ भी करती है।

आप क्या कहते हैं। मुझे विरेन से शादी तोड़ लेनी चाहिए, या अपनी माँ से रिश्ता खत्म कर लेना चाहिए, या फिर दोनों को छोड़ देना चाहिए। और अगर ऐसा नहीं करती तो जैसे सब कुछ चल रहा है, ऐसे ही चलने देना चाहिए।

कहीं ऐसा तो नहीं होगा कि एक दिन बिस्तर पर विरेन एक तरफ मैं और दूसरी तरफ मेरी माँ हो।

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