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इस कहानी का पिछला भाग : उसका पति उसकी चुत चोदन में नाकाबिल था-1 आपने अब तक चुत चुदाई की कहानी में जाना था कि मुझसे एकदम अनजान एक मस्त माल शीला मेरे घर आकर मुझसे जबरदस्त और खुल कर चुदी. अब आगे..
या रब.. क्या लड़की थी.. मेरे सारे अंग जैसे ठस हो गए थे. क्या इस जमाने में इस तरह की लड़की हो सकती है, जो तीन घंटे किसी मर्द को झेल सके? उदहारण मेरे सामने था. अब अपनी औरत के लाशनुमा शरीर से खेलने में मुझे कोई इन्टरेस्ट नहीं रह गया था. लेकिन कोई शक न हो इसलिए रात को मेरी औरत को चोदने का नाटक करना पड़ता था.
पांच छह दिन के बाद मैंने शीला का नंबर घुमाया. उससे कहा कि आज क्या बात बन सकती है? उसने कहा- कहाँ? “किसी होटल में?” उसने कहा- होटल में क्यों? मेरे घर क्यों नहीं? मैंने कहा- नेकी और पूछ पूछ.. ये तो सोने पर सुहागा होगा. “ठीक है आधे घंटे बाद मेरे लिखे पते पर पहुँच जाना, मैं भी घर पहुंच कर तैयारी करती हूँ.”
मैं बड़ा खुश हुआ. गाड़ी निकाल कर मैं उसके घर की तरफ निकला. बीच में रुक कर मैंने कुछ मिठाई खरीदी, एक गुलदस्ता ख़रीदा.. कुछ गुलाब की पंखुड़ियां साथ लीं.
बसंत कॉलोनी में उसका घर एक कोने में था. डुप्लेक्स फ्लैट था, ऊपर बेडरूम था. वह घर पहुँच गयी थी. मैंने दरवाजा खटखटाया तो उसने दरवाजा खोला. उसका रूप देखकर मैं दंग रह गया. टू पीस नाइट सूट में जैसे क़यामत लग रही थी साली. ऊपर के वस्त्रों में ब्रा पहनी ही नहीं थी. उसकी चूचियां जैसे छलकने को बेताब थीं. मैं जैसे ही अन्दर आया तो उसने मेरे गले में बाँहें डालकर एक गहरा चुम्बन लिया और मेरे बालों में हाथ फिराने लगी.
क्या बॉडी थी 36-28-36 की, नीचे के पुठ्ठे जैसे मुझे आमंत्रण दे रहे थे. मैंने उसे मिठाई और सामान दिया. उसने वह सब अन्दर रखा, फिर वह मुझे ऊपर बेडरूम में खींचती हुई ले गयी. मुझे बिस्तर पर गिराया, मेरी पैन्ट निकाली.. मेरा शर्ट निकाला. अब मैं बनियान और निक्कर में पड़ा हुआ था. ए.सी. की मस्त ठंडी हवा में लेटते ही मुझे एक बात का ख्याल आया कि उसका पति कहाँ है? मैंने उससे पूछा- तुम्हारा पति? “वो तो बाहर ही रहते हैं.. कभी कभी घर आते हैं.. दोपहर को तो बिल्कुल नहीं आते, उन्हें मेरी कोई फ़िक्र ही नहीं.. क्योंकि उसने मुझे फुल परमिशन दे रखी है चाहे जो करने की..”
ये सब मेरी कल्पना के बाहर था. ये कैसी विडम्बना थी कि इतनी सेक्सी स्त्री का पति नामर्द हो? जिसको चुदने की इतनी चाहत हो, वह एक ऐसे आदमी के पल्ले पड़ी है, जो चोदना बिल्कुल नहीं जानता.. जिसका लंड उठता ही नहीं..
इतने में शीला मेरे लिए मसाला दूध ले आई. मैं जब दूध पी रहा था तो उसने मेरे निक्कर के ऊपर से लंड से खेलना शुरू कर दिया. लंडराज धीरे धीरे अपना साइज बढ़ाने लगे. शीला ने मेरी निक्कर की स्ट्रिप नीचे खींची. मेरा लंड जैसे सांप की तरह फुंफकार कर बाहर आया. शीला ने उसको बड़े प्यार से हाथों में लेकर सहलाया. जैसे वह उसकी कोई कीमती चीज हो.
चुदने का इतना अच्छा स्टाइल मैंने जिंदगी में नहीं देखा था. उसने मेरी बनियान निकाली, मेरी छाती पर एक हाथ फिराते हुए उसने मेरे लंड को होंठों में लेकर चुभलाना शुरू किया. मैंने उसके चुचूकों को दबाते हुए उसके पुठ्ठों पर से हाथ फिराते हुए उसकी गांड को कुरेदना शुरू किया.
एक उंगली अचानक उसकी गांड के छेद में गयी, तो उसने मुँह से लंड निकालते हुए मुझसे कहा- राजा अभी तो बहुत वक्त है.. उसे फिर करना फिलहाल मुझे मेरी इच्छा तो पूरी करने दो. मैंने हंसकर कहा- क्या इच्छा है बालिके तेरी? “महाराज मैं आपका लंड चूसना चाहती हूँ.. फिर चूत को चुसवाना चाहती हूँ. फिर आप मेरी चुत का कचूमर बनाइये. फिर गांड का बाजा बजाइए, आपको मेरे शरीर से जो भी आनन्द चाहिए, वो लेने के लिए आपको खुली छूट है.”
एक ऐसी औरत जो मुझसे चुदने के लिए इतनी उत्सुक थी कि उसने मुझे जो भी चाहे करो.. ऐसा निमंत्रण ही दिया था.
मैंने उसकी निक्कर नीचे खींची और मेरा लंड उसके चूत पर घिसने लगा. “स्स्स्स हाँ क्या बात है.. घुसा दो ना चुत में मेरी.. चुत में तुम्हारा लौड़ा में.. आह.. मैं तो तुमसे चुदने वाली तुम्हारी रांड बन गयी रे.. हाय राजा क्या मस्त लौड़ा है तुम्हारा.. मेरे जहेनसीब कि उस दिन तुम मुझे मिल गए.. मैंने अपने मिस्टर को जब ये बताया तो वह हंस रहे थे.” ये सुन कर मैं चौंका- क्या तुमने अपने शौहर को ये सब बताया? “हां उसको सब मालूम है..” “क्या बात कर रही हो तुम? फिर भी वह कुछ बोला नहीं?” “उसने कहा है कि किसी एक से जुड़ती हो तो ठीक है, बाजार मत लगाओ. क्योंकि मैं तुम्हारी इच्छा पूर्ण नहीं कर सकता तो फिर कोई और क्यों न करे.” “बहुत बड़ा दिल है तुम्हारे हजबैंड का. क्या बात है यार?”
इसी वक्त उसके घर की घंटी बजी. मैं उससे दूर हो गया. “शायद मेरे पति आये हैं.” “फिर अब?” “कुछ नहीं.. मैं उन्हें नीचे बैठा कर आती हूँ. तुम यहीं रुको.”
इस औरत का ये रूप देखकर मैं काफी हैरान था. क्या ऐसी फैमिली हो सकती है जहाँ शौहर अपनी बीवी को किसी दूसरे के सामने परोसता है. इतने में शीला अन्दर आई, उसके साथ एक चालीस साल का आदमी भी था. मेरे ऊपर कोई वस्त्र नहीं था. मेरा लंड जैसे कुतुबमीनार सा खड़ा शीला की राह देख रहा था.
सामने का ये नजारा देखकर नवीन (शीला का पति) की हंसी छूटी- अरे यार, क्या तगड़ा है तुम्हारा लंड.. मेरी औरत को संतुष्ट करोगे ना? “जी क्या कहा?” “मैंने पूछा मेरी बीवी को संतुष्ट कर सकते हो ना?” “आप शीला से ही पूछ लीजिये ना?” “हाँ ये इतने दमदार हैं.” “ठीक है तो फिर चलने दो तुम्हारा प्रोग्राम, मैं बाहर जा रहा हूँ, ठीक है ना डार्लिंग?”
शीला ने उचक कर उसके होंठों का चुम्बन लिया और दरवाजा बंद कर लिया. उसका ये रूप देखकर मैं एकदम ठंडा हो गया था.
क्या औरत थी.. और क्या मर्द था, जो अपनी बीवी की इच्छा को पूरा करने के लिए इस हद तक जा सकता हो. मुझे ग्लानि का अनुभव हुआ. क्या मैं ये ठीक कर रहा था? ये बात मैंने शीला से कही, तो शीला ने मुस्कुराते हुए मुझे जो जबाब दिया, उससे मेरा अपराध बोध कम हो गया. उसने कहा- क्या तुमने मुझ पर कोई जबरदस्ती की? क्या कोई शारीरिक शोषण किया? मैं खुद चलकर तुम्हारे पास आयी, तुमसे तन के सुख की भीख मांगी, तुमने वो दी, तो फिर ये ग्लानि क्यों? जिसमें मेरे पति की स्वीकारोक्ति है.
फिर इसके बाद जो उस कमरे में तांडव हुआ. उससे एकाध दूसरी होती तो उसके छक्के छूट जाते. कामशास्त्र का कोई एक ऐसा आसन नहीं छूटा, जो हमने किया न हो. चुदने चुदाने का जो मंजर वहां पैदा हुआ, वह किसी ब्लू फिल्म से कम नहीं था.
क्या बात है, साली किसी पोर्न स्टार से कम नहीं थी. खड़े खड़े, आड़ा करके, पीछे से, सामने से, उलटा करके, ऊपर नीचे, किसी भी तरह से चुदने को तैयार थी साली मस्त माल थी. गांड क्या, मुँह क्या, चूत क्या, किसी भी छेद में लंड भरो, कभी भी तैयार.. क्या बात है.. मेरे नसीब पर मुझे गर्व होने लगा.
मैंने उससे पूछा- क्या तुम इस आदमी को छोड़ कर मेरे साथ आओगी? एक झटके में मेरे नीचे से उठकर वह खड़ी हुई- अब के ये बात कर दी तुमने.. और मैंने सुन भी ली, लेकिन अब दोबारा ऐसी वाहियात बात मत करना! उसके इस रूप को देखकर मैं हैरान हो गया, मैंने उससे पूछा- यार तुम्हारे शरीर को जो कोई सुख नहीं दे सकता, उससे जुड़े रहने का क्या तुक? उसने मेरे गालों पर चुम्मी लेकर कहा- ये वो आदमी है, जिसने मुझे अपनी शान्ति के लिए किसी दूसरे से जुड़ने की आज्ञा दी. उस पर कोई ऑब्जेक्शन नहीं किया. ऐसा पति किसी औरत को मिल सकता है क्या? इस एक बात के अलावा वो मेरा पूरा ख़याल रखते हैं. मेरी छोटी छोटी इच्छा पूरी करने में कोई कसर नहीं छोड़ते. हां इस बात में उनकी कमी तुम पूरी कर रहे हो, ये अच्छी बात है, लेकिन उन्हें छोड़ने की बात नामुमकिन. तुम्हारा मेरा नाता है चोदने चुदने का, इसके अलावा तुम और मेरे में कोई दूसरा नाता ना तुम तैयार करो, न मैं तैयार करूँगी.
उसकी ये बात सुनकर मैं सोच में पड़ गया. क्या मैं मेरी घर वाली से कोई विश्वासघात तो नहीं कर रहा था? मैंने शीला से ये बात पूछी तो उसका जबाव था. “अगर तुम मन से अपनी पत्नी को प्यार करते हो तो उसे इस बारे में सब बताना तुम्हारा पहला कर्तव्य है.”
क्या मुझमें इतनी ताकत थी? नहीं.. हाँ बिल्कुल नहीं थी, क्योंकि मेरी जिन्दगी की नाव में छेद करने का साहस मुझ में नहीं था.
एक केजुअल सेक्स के लिए शीला नहीं तो नहीं कह रही थी. फिर मैं क्यों उसे आग्रह करता कि वह अपने पति को छोड़े?
मैंने एक गहरी सांस ली और फिर अपने मनपसंद काम की तरफ मुड़ गया. शीला के दोनों पुठ्ठों को हाथों से दबाते हुए मैंने उसका एक गहरा चुम्बन लिया, वह भी मेरे साथ सहयोग करने लगी अब की बार मैंने उसे मेरे मुँह पर बिठाया और उसकी चूत चाटने लगा. उसकी लिसलिसी तितली सी चुत से चूत मधु का फव्वारा निकल रहा था. मेरा पूरा चेहरा जैसे उसकी चूतरस से सरोबार हुआ था. उसकी चूत की वह भीनी भीनी सी खुशबू मुझसे ये कह रही थी कि आओ मेरी मरम्मत करो, मेरी तारीफ करो, मुझमें समां जाओ.
पूरी नंगी शीलू कुछ ऐसी लग रही थी कि उसके बदन की तारीफ़ करे बगैर मैं कैसे रहता. तो मैंने तारीफ शुरू कर दी- अबे मेरी चूत की लौड़ी.. साली मेरे लंड का माल.. मेरे लंड के लिए सोने वाली मेरी नंगी रांड.. ले मेरा लंड खा.. आह.. न जाने क्या क्या गालियां देते हुए मैं उसे चोद रहा था. वो भी साली मेरे नीचे सोकर जैसे धन्य हो गयी थी.
ये सिलसिला लगातार दो तीन महीने चलता रहा. एक दिन उसने चुदते हुए मुझसे एक बात पूछी- क्या तुम मुझे चोदकर बोर नहीं हुए? “यानि?” मैंने पूछा. “अरे एक ही चूत को चोदकर अगर तुम्हें कुछ अच्छा नहीं लग रहा तो मैं अपनी एक फ्रेंड को बुला लूँ?” मैं चौक गया.. क्या कोई और मर्द.. पर इसका दिल आ गया यानि के मेरी छुट्टी? “फ्रेंड मतलब?” उसने कहा- मेरी एक सहेली है..
उस के इन शब्दों को सुनकर मुझे तसल्ली हुई यानि कि कोई और औरत भी है, जो चुदना चाहती है.. वाह मेरे तो पौ-बारह हुए जा रहे थे. मेरे लंड की खुराक बढ़ने वाली थी. कौन थी वो.. कैसी थी.. उसकी साइज़ क्या थी? मुझे कुछ भी मालूम नहीं था, फिर भी मैंने कहा- ठीक है बुला लो उसको भी! शीला ने मोबाईल उठाया और एक नंबर डायल किया- सुमन, तुम फ्री हो.. अगर हो तो आ जाओ मेरे घर.. तुम्हारे लिए एक सरप्राईज है.
उसने जैसे ही मोबाईल रखा, मुझसे कहा कि वो आ रही है.. तैयार हो जाओ. वो मुझसे बड़ी चुदक्कड़ है. उस साली को तीन मिल कर चोदते हैं.. फिर भी गर्म ही रहती है मादरचोदी!
यारो, मैंने ये काल्पनिक कहानी लिखी है. कृपया इसे सच ना समझें.. बस लंड हिलाने का मजा लें और चुदाई की कहानी अच्छी लगी हो तो जल्दी से मेल करें. [email protected]
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