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दोस्तो, मेरी कहानी के पिछले भाग में आप ने पढ़ा कि कैसे हम भाई बहनों ने अपने मम्मी पापा को नंगा देखा और कैसे उन्होंने हमें चाचा चाची के साथ ग्रुप सेक्स करते देखा. उसके बाद हम सब ने मिल कर सेक्स किया. मैंने अपनी माँ को चोदा, पापा ने अपनी बेटी को चोदा. अब आगे:
मैंने अपना लंड बाहर निकाला और ऋतु जो पापा के लंड से उतर चुकी थी, आगे आई और मम्मी की चूत से मेरा रस पीने लगी। अपनी चूत पर अपनी बेटी का मुंह पाकर मम्मी की चूत के अन्दर एक और हलचल होने लगी।
मम्मी ने ऋतु के सर को पकड़ कर अपनी चूत पर दबा दिया और उसकी टाँगें खींच कर अपने मुंह के ऊपर कर ली और उसकी चूत से अपने पति का वीर्य चाटने लगी। ऋतु की चूत को मम्मी बड़े चाव से खा रही थी। थोड़ी ही देर में उन दोनों की चूत में दबी वो आखिरी चिंगारी भी भड़क उठी और दोनों एक दूसरी के मुंह में अपना रस छोड़ने लगी।
चाची ने हम तीनों बच्चों की तरफ हाथ करके कहा- ये कितने अच्छे बच्चे हैं… वो हमारी परफ़ोरमेन्स से काफी खुश थी।
मम्मी ने बेड से उठते हुए कहा- ये कुछ ज्यादा ही हो गया। ऋतु ने उनसे पूछा- क्या आपको ये सब अच्छा नहीं लगा मम्मी? मम्मी ने धीरे से कहा- हम्म्म्म हाँ अच्छा तो लगा… पर ये सब एकदम से हुआ… मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा है. ऋतु ने उनसे सवाल किया- पर हमें तो बड़ा मजा आया, क्या आपको मेरी चूत को चूसना अच्छा नहीं लगा… मेरी तो इतने दिनों की इच्छा पूरी हो गयी पापा के लंड से अपनी चूत मरवा कर… कितना मजा आया उनका मोटा लंड लेने में… क्या आपको नहीं आया भैया का लंड अपनी चूत में लेने में… बोलो??
सब की नजरें मम्मी की तरफ उठ गयी। ऋतु ने पापा से पूछा- और पापा क्या आपको मेरी चूत पसंद नहीं आई?? उन दोनों को चुप देख कर चाची ने कहा- अरे… अब आप दोनों ऐसे क्यों शर्मा रहे हैं… आप दोनों को अपने बच्चों के साथ सेक्स करने में मजा आया है तो इस बात को कबूल करने में इतना झिझक क्यों रहे हो?? हमने भी तो अपनी बेटी नेहा को इस खेल में शामिल किया है और उसकी चूत चूसने में मुझे तो बड़ा मजा आता है, उसके पापा भी कल से अपनी बेटी की कसी हुई चूत की बार बार तारीफ़ कर रहे हैं. मम्मी ने कहा- चलो ठीक है… अब हमें अपने कमरे में चलना चाहिए।
चाची ने कहा- अरे भाभी… मूड मत खराब करो… अभी तो मजा आना शुरू हुआ है… अभी तो पूरी रात पड़ी है। मैंने मन ही मन सोचा- साली, इस चाची के बदन में आग लगी है, पूरी रात चुदवाने की तैयारी से आई थी हरामजादी। मम्मी ने कहा- नहीं… अब और नहीं… चलो तुम दोनों अब चुपचाप सो जाओ… और आरती अजय… प्लीज… आप भी चलो यहाँ से!
हम सबने उनकी बात को मानना उचित समझा और अपने बेड पर जाकर रजाई के अन्दर घुस गए।
चाची- चलो ठीक है… तुम कहती हो तो चलते हैं। चलो अजय… अपने रूम में जाकर हम दोनों ही आपस में चुदाई करते हैं. और चाची हमारे पास आकर हमें गुड नाईट बोली और मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर मसल दिया और बोली- काफी मजा आया… कल मिलते हैं।
सब के जाने के बाद हम तीनों अपने बेड पर नंगे रजाई में बैठे हंस रहे थे। ऋतु- मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा है कि हमने अपने मम्मी पापा के साथ भी चुदाई की. और इतना सब होने के बाद भी उन लोगों ने हमें फिर से इस कमरे में छोड़ दिया… हा हा हा!
नेहा ने अपनी चूत को मेरी टांगों पर दबाते हुए कहा- और मैं सच कहूं तो तुम्हारे मम्मी पापा को भी काफी मजा आया होगा। वो अभी खुल कर नहीं बता रहे हैं पर तुम दोनों से सेक्स करके वो भी कम खुश नहीं थे।
ऋतु ने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ कर कहा- तो तुम्हारा ये लंड अभी भी कुछ कर दिखाने के मूड में है क्या? मैंने उन्हें उकसाया- मेरे लंड के कारनामे देखना चाहते हो तो उसे तैयार करो और फिर मैं तुम दोनों को दिखाता हूँ की चुदाई क्या होती है। ऋतु ने अपनी आँखें मटकाते हुए नेहा की तरफ देखा- ओह… माय माय… लगता है किसी को अपने लंड पर कुछ ज्यादा ही गुरुर हो गया है… और फिर वो दोनों एक साथ बोली- लगता है गुरुर तोड़ना पड़ेगा… हा हा हा…
उसके बाद जो चुदाई का खेल शुरू हुआ तो उनकी चूत के परखचे ही उड़ गए। उस रात मैंने ऋतु और नेहा की कितनी बार चुदाई की… मुझे खुद ही नहीं मालूम और वो दोनों बेचारी अपनी सूजी हुई चूत लेकर नंगी ही मुझ से लिपट कर सो गयी।
उधर अपने कमरे में पहुंचकर चाची ने शीशे वाली जगह पर ही खड़े होकर दूसरे कमरे में अपनी बेटी और अपनी भतीजी को मुझसे चुदते हुए देखकर चाचू से लगभग तीन या चार बार अपनी चूत मरवाई।
अगली सुबह मैंने अपने लंड के चारो तरफ गीलेपन का एहसास पाया, कोई मेरा लंड चूस रहा था। मैंने अपने दोनों तरफ देखा ऋतु और नेहा दोनों अपने मोटे मोटे चुचे मुझ में घुसेड़े आराम से सो रही थी। मैंने नीचे देखा तो पाया कि आरती चाची मेरा लंड मुंह में लेकर चूस रही है। मुझे अपनी तरफ देखता पाकर वो मुस्कुरा दी और मुझे गुड मोर्निंग बोलकर फिर से मेरा लंड चाटने लगी।
मेरे शरीर की हलचल पाकर ऋतु भी जाग गयी और जब उसने देखा कि चाची मेरे लंड से ब्रुश कर रही है तो उसकी चूत भी सुबह की खुमारी में रस से सराबोर हो गयी। उसने थोड़ी जगह बना कर चाची को बेड पर आने को कहा। चाची ऊपर आई और अपनी टांगें ऋतु के चेहरे के ऊपर करके वापिस मेरा लंड चाटने लगी।
नेहा भी अब जाग चुकी थी, अपनी माँ को सुबह सुबह नंगी लंड चूसते देख कर उसके बदन में भी आग लग गयी और उसने मुझे चूमना शुरू कर दिया। मैंने अपने हाथ नेहा के उभारों पर रख दिए और उन्हें दबा दबाकर उन्हें और बड़ा करने लगा।
नेहा के चुचों के बारे में एक बात कहना चाहता हूँ, वो बड़े ही मुलायम है पर उसके एरोला और निप्पल उतने ही कठोर, वो किसी कील की तरह मेरे हाथों में चुभ रहे थे। मैंने उन्हें और जोर से दबाना शुरू कर दिया और उतनी ही बेदर्दी से उसके नाजुक होंठों को भी चूसना जारी रखा।
तभी दरवाजा खुला और हमारे पापा अन्दर आ गए। उन्होंने जब देखा कि अन्दर सुबह की चुदाई की तैयारी चल रही है तो वो चुपचाप अन्दर आये और अपने कपड़े उतार कर वो भी ऊपर चढ़ गए। चाची की चूत तो वो कई बार मार चुके थे और कल रात उन्होंने ऋतु की भी जम कर चुदाई करी थी।
इसलिए आज उनकी नजर नेहा के कमसिन जिस्म पर थी। नेहा जो मेरे मुंह में घुसी हुई कुछ ढूँढ रही थी, उसकी टांगें चौड़ी करके पापा ने अपना मुंह उसकी चूत पर रख दिया और उसे चूसने लगे। नेहा ने जब अपनी चूत पर अपने ताऊ जी की गर्म जीभ को पाया तो उसकी रस बरसाती चूत से एक कंपकपी सी छूट गयी- आआ आआआ आअह्ह्ह्ह… म्म्मम्म म्म… हाआआ अन्न्न… ऐसे ही… जोर से… और वो पापा को और जोर से अपनी चूत को चूसने के लिए प्रोत्साहित करने लगी।
जवान लड़की की चूत पाकर पापा भी दुगने जोश से अपने अनुभव का इस्तेमाल करते हुए नेहा की चूत की तलाशी लेने लगे।
वहां अजय चाचू की जब नींद खुली तो चाची को बगल में ना पाकर उन्होंने भाग कर शीशे वाली जगह देखा और वहां का नजारा देखकर वो नंगे ही हमारे कमरे में दौड़ कर चले आये। उनकी पत्नी मेरा लंड चूस रही थी और उनके बड़े भाई उनकी बेटी की चूत चाट रहे थे और उनकी पत्नी की चूत को उनकी भतीजी साफ़ कर रही थी।
कमरे में अब सिर्फ ऋतु की चूत ही बची थी जो खाली थी। चाचू झट से उसकी तरफ चल पड़े और वहां पहुंच कर अपनी लम्बी जीभ का इस्तेमाल करके ऋतु की चूत और गांड बारी बारी से चाटने लगे, पूरे कमरे में सिसकारियां गूंज रही थी।
पापा का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था, वो नेहा को बेड पर लिटा कर खुद जमीन पर उठ खड़े हुए और नेहा की एक टांग को हवा में उठा कर अपना लंड उसकी छोटी सी चूत पर टिका दिया। उनका टोपा काफी बड़ा था, नेहा की छोटी सी चूत के सिरे पर वो फंस सा रहा था। पापा ने थोड़ा जोर लगाया तो नेहा दर्द से बिलबिला उठी- आआ आआआ आआआह्ह्ह्ह… धीरे डालो… बड़े पापा… धीरे… लंड का टोपा अन्दर जाते ही बाकी का काम उसकी चूत की चिकनाई ने कर दिया। पापा का लौड़ा उस पतली सुरंग में फिसलता चला गया. “अयीईईई ईईईई ईईई… मर… गयी.. अह..अह.. अह..अह.. अह.. अह…” और पापा ने तेजी से धक्के मारने शुरू कर दिए।
नेहा की छाती मेरे सीने पर रखी हुई थी, नेहा के मोटे चूचे मेरे सीने से टकरा रहे थे और उसके खुले मुंह से निकलती लार मेरी छाती पर टपक रही थी।
चाची भी उठ खड़ी हुई और मेरे दोनों तरफ टांगें करके अपनी चूत को मेरे लंड पर टिकाया और मेरी टाँगों पर बैठ गयी। अब उनके मोटे तरबूज भी मेरी आँखों के सामने झूल रहे थे। मैंने हाथ बढ़ा कर उन्हें भी सहलाना शुरू कर दिया। चाची थोड़ा और आगे हुई और मेरे सीने पर लेटी हुई अपनी बेटी नेहा के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूसने लगी।
ऋतु जो अब तक अपनी चूत चटवा कर काफी गर्म हो चुकी थी।, उसने चाचू के मुंह से बड़ी मुश्किल से अपनी चूत छुड़वाई और उनके लम्बे लंड को एक किस करके उनके ऊपर चढ़ बैठी। बाकी काम चाचू ने कर दिया अपना खड़ा हुआ लंड उसकी रस टपकाती चूत में डाल कर।
अब हमारे कमरे में तीन चुदाई चल रही थी और सभी बड़े जोरो से आवाजें निकाल निकाल कर चुदाई कर रहे थे।
ऋतु चिल्लाई- आआआ आआआह्ह्ह… चाअचूऊऊऊऊऊ… चोदो मुझे… और जोर से… अह… नेहा भी बोली- बड़े पापा… डालो अन्दर तक अपना मोटा लंड… आआआआह्ह… और तेज… चोदो… अपनी नेहा को बड़े पापा। चाची भी कहाँ पीछे रहने वाली थी- आआआआअह्ह… रोहण… डाल बेटा… अपनी चाची की चूत कैसी लगी… बता ना?
मैंने चाची की आँखों में देखा और कहा- भेनचोद… कुतिया… कितने लोगों से मरवा चुकी है… तेरी माँ की चूत… साली… कमीनी.. बता मुझे? चाची ने उखड़ती साँसों से कहा- बड़े लंड लिए है अपनी चूत में… पर अपनों का लेने में जो मजा है वो कहीं नहीं है… चोदो मुझे… दुनिया की हर चाची को तेरे जैसा भतीजा मिले जिसका इतना मोटा लंड हो तो मजा ही आ जाए… बिना पूछे डाल दिया कर अपना लंड मेरी चूत में कभी भी… कहीं भी… आआआ आआआह्ह्ह्ह… लगता है चाची मेरे लंड से कुछ ज्यादा ही इम्प्रेस हो गयी थी। मैंने उनके होर्न अपने हाथों में पकड़े और अपने इंजिन की स्पीड बढ़ा दी।
तभी दरवाजा दुबारा खुला और मम्मी वहां खड़ी थी, मम्मी ने अन्दर आकर पूछा- तुम लोगों को कोई शर्म है या नहीं? मैंने उनसे कहा- हाय मॉम… गुड मोर्निंग! मम्मी ने पापा की तरफ देखा और कहा- आप तो कम से कम इन्हें रोकते, पर आप तो खुद ही यहाँ लगे हैं अपनी भतीजी की चूत मारने में! पापा ने जवाब दिया- पूर्णिमा, अब ये लोग हमारे कहने से रुकने वाले तो हैं नहीं और कल जब सब कुछ हो ही चुका है तो आज इन्कार करने से क्या फायदा… आओ तुम भी आ जाओ ऊपर और खा जाओ घर के लौड़े!
मैंने अपनी जीभ अपने होंठों पर फिराते हुए कहा- हाँ मम्मी, आप यहाँ आओ, मेरे मुंह के ऊपर मैं आपकी चूत चूसना चाहता हूँ… बड़ी प्यास लगी है मुझे… चाचू ने भी जोर दिया- हाँ भाभी… आ जाओ ऊपर!
मम्मी ने सभी की बात सुनी और अपना सर हिलाते हुए उन्होंने अपनी हार मान ली और उन्होंने अपना गाउन वहीं जमीन पर गिरा दिया और नंगी ऊपर बेड पर चढ़ गयी और मेरे मुंह के ऊपर आकर बैठ गई। मेरी लम्बी जीभ उनकी चूत का इन्तजार कर रही थी। जैसे जैसे मम्मी नीचे हुई, मेरी पैनी जीभ उनकी चूत में उतरती चली गयी. “आआ आआआ आअह्ह्ह्ह…” मम्मी ने एक लम्बी सिसकारी मारी और मैंने अपनी जीभ से उनकी क्लिट को दबाना और चुबलाना शुरू कर दिया।
मम्मी का मुंह मेरे लंड की तरफ था जहाँ चाची मेरे लंड की सवारी करने में लगी हुई थी। चाची ने आगे बढ़ कर मम्मी के मोटे चूचों को पकड़ा और उन्हें फ्रेंच किस करने लगी। मम्मी अपनी चूत मेरे मुंह पर बड़ी तेजी से रगड़ रही थी। मैं जिस तरह से मम्मी की चूत चाट और चबा रहा था, उन्हें काफी मजा आ रहा था। आज अपने बीच तीनों बच्चो को शामिल करके सेक्स करने का मजा लेने में लगे थे सभी बड़े लोग।
मम्मी ने अपनी दायीं तरफ देखा जहाँ उनके पति अपनी भतीजी की चूत का तिया पांचा करने में लगे थे और बायीं तरफ उनकी लाड़ली बेटी अपने चाचू के लंड को आँखें बंद किये मजे से उछल उछल कर ले रही थी और उनके नीचे लेटा उनका बेटा उनकी चूत चाटने के साथ साथ अपनी चाची को भी चोद रहा था. इतनी कामुकता फैली है इस छोटे से कमरे में।
तभी चाची ने एक तेज आवाज करते हुए झड़ना शुरू कर दिया और वो निढाल होकर नीचे लुढ़क गयी। मेरा लंड उनकी गीली चूत से निकल कर तन कर खड़ा हुआ था। मम्मी ने जब अपने सामने अपने बेटे का चमकता हुआ लंड देखा तो उनके मुंह में पानी आ गया। मम्मी ने नीचे झुक कर मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया और उसे चूस चूस कर साफ़ करने लगी। मैंने पलट कर मम्मी को नीचे किया और घूम कर उनकी चूत की तरफ आया और अपना साफ़ सुथरा लंड उनकी फूली हुई चूत पर टिका दिया। मैंने उनकी आँखों में देखा और कहा- आई लव यू मॉम! और अपना लंड उनकी लार टपकाती चूत में उतार दिया।
मम्मी ने लम्बी सिसकारी भरी- आआ आआआ आह्ह्ह्ह… म्म्म्म म्म… मम्मी ने मेरा लंड पूरा निगल लिया और मेरी कमर पर अपनी टांगों का कसाव बना कर मुझे बाँध लिया और बोली- बस थोड़ी देर ऐसे ही लेटे रहो… मैं तुम्हारा लंड अपनी चूत में अन्दर तक महसूस करना चाहती हूँ।
मैं मम्मी की छाती पर लेटा रहा और उनके अधखुले होंठों को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा। धीरे धीरे उन्होंने नीचे से धक्के मारने शुरू कर दिए। मैंने उनकी टांगों का जाल खोला और उन्हें अपने दोनों हाथों से पकड़ कर उनकी टांगों को और भी चौड़ा कर दिया और लगा धक्के पे धक्के मारने अपनी माँ की चूत में।
मम्मी के मुंह से बरबस ही बोल फूट पड़े- आआआ आअह्ह्ह… चोद मुझे बेटा… चोद डाल… और अन्दर डाल अपना लंड… मादरचोद… चोद मुझे… बहन चोद… चोद मुझे… आआआ आआह्ह्ह… डाल अपना मोटा लंड अपनी माँ की चूत में… आआह… ह्ह्ह्हहाहा… आहा… ह्ह्ह.. हा.. अह्ह्ह्ह ह्ह… मैंने भी मम्मी की चूत मारते हुए कहा- ले साली रंडी… बड़ी सती सावित्री बनती है… अपने देवर से चुदवाती है और मुझसे शर्मा रही थी… और अब लंड डाला है तो दुगने मजे ले रही है… कुतिया कहीं की… साली रंडी…
मम्मी ने अपनी गांड उठा कर चुदते हुए कहा- हाँ मैं रंडी हूँ… तेरी रंडी हूँ मैं आज से… चोद मुझे… घर पर जब भी तेरा मन करे चोद देना मुझे… अपने दोस्तों से भी चुदवाना अपनी रंडी माँ को… शाबाश बेटा चोद मुझे! मम्मी पहले जितना शरमा रही थी उतनी ही खुल गयी थी अब।
पापा ने अपनी भतीजी की कसी चूत जैसी चूत आज तक नहीं मारी थी। नेहा के कसाव के आगे उनके लंड के पसीने छुट गए और उन्होंने अपनी बाल्टी नेहा की चूत में खाली कर दी पर नेहा अभी भी नहीं झड़ी थी। चाचू के लंड को ऋतु अजीब तरीके से दबा रही थी अपनी चूत से। उन्होंने भी अपनी जवान भतीजी के आगे घुटने टेक दिए और झड़ने लगे उसकी चूत के अन्दर।
ऋतु भी बिना झड़े रह गयी, उसने नेहा को इशारा किया और उसे अपने पास बुला कर उसकी टांगों के बीच अपनी टांगें फंसा कर अपनी चूत से उसकी चूत को रगड़ने लगी। दोनों की चूत जल रही थी और जल्दी ही उन्होंने एक दूसरे की चूत को अपने रस से नहलाना शुरू कर दिया- आआआ आआह्ह्ह… येस्स स्सस्स… बेबी… ओह… फक्क… आआआह्ह्ह!
इधर मम्मी भी मेरे लंड की सवारी को ज्यादा नहीं कर पायी और उन्होंने एक दो झटके मारे और झड़ने लगी- आआस्स आआअह्ह्ह्ह… मैं तो गयी… आआअह्ह्ह… मजा आआअ… गयाआआ… आआआ आआ आआअह्ह्ह्ह! मैंने मम्मी की चूत की गर्मी महसूस करी और मैंने भी अपना रस अपनी जननी की चूत में उतार दिया।
चारों तरफ वीर्य और चूत के रस की गंध फैली हुई थी. सबने एक दूसरे को चूमना और सहलाना शुरु किया और बारी बारी से सब की चूत और लंड साफ़ किये और फिर सभी उठ खड़े हुए और फिर सब लोग तैयार होकर नाश्ता करने चले गए।
दोस्तो, सखियो, भाभी और आंटियो, आपको मेरी परिवार में चुदाई की ये लम्बी कहानी कैसी लग रही है, आप अपने विचार मुझे मेल कीजिए और इंस्टाग्राम पर भी मेरे से जुड़ें! [email protected] Instagram/ass_sin_cest
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