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नमस्कार दोस्तो, मैं लव शर्मा एक बार फ़िर हाज़िर हूँ आपके लिये एक और सच्ची और मज़ेदार सेक्स कहानी के साथ अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज पर!
मेरी इससे पहले की कहानियों को इतना प्यार देने के लिए धन्यवाद। मुझे आप पाठकों के कई सारे ईमेल प्राप्त हुए जिनसे मुझे काफी खुशी हुई।
दोस्तो, मैं आज आपके सामने वह पुरानी सेक्स की मस्त दस्तान सुनाने वाला हूँ जिसमें डबल सेक्स का डबल डोज़ है मतलब मेरी हसरत एक मस्त मर्द और उसके दमदार लण्ड की थी लेकिन मुझे दो का मजा मिला।
दोस्तो, बात आज से लगभग 4-5 साल पुरानी है जब मैं कालेज के प्रथम वर्ष में था और मेरी उम्र भी लगभग 20 साल होगी, मतलब मेरी भी जवानी की शुरुआत थी लेकिन समझ नहीं आता था कि अपने जिस्म की अन्तर्वासना को किस तरह शांत किया जाये क्योंकि उस समय सेक्स की ना तो ज्यादा जानकारी थी और ऊपर से समाज का डर।
अपने शहर में मुझे कई मस्त सेक्सी जिस्म के गांड फाडू लौंडे दिखाई देते और मेरा दिल करता कि इनके जिस्म से लिपट जाऊँ और मोटे ताजे लण्ड को गले गले तक घुसेड़ कर लण्ड का काम रस पी जाऊँ लेकिन अपने शहर मैं ज्यादा तर लोग एक दूसरे को जानते हैं और यह सब करना खतरों से खाली नहीं था।
मुझे तलाश थी ऐसे किसी मौके की जिसमें मुझे किसी अनजान शहर में जाने का मौका मिले और मैं अपनी लण्ड और जिस्म की प्यास को बुझा सकूँ।
जल्द ही मुझे ऐसा मौका मिल भी गया। उस समय मेरे बुआ के बेटे मतलब मेरे भैया इन्दौर में रहते थे और किसी कंपनी में जोब करते थे. उस समय उनकी शादी हो चुकी थी, उनके कोई बच्चे नहीं थे और वो लोग किराये के फ्लैट में चौथी मंजिल पर रहते थे. भैया भाभी को किसी शादी में 3 दिन के लिए जाना था और उन्होंने फ्लैट नया खरीदा था तो ताला लगा कर जाना सुरक्षित नहीं था इसीलिए मुझे उनके फ्लैट पर जाने का मौका मिला और मैं शाम को लगभग 8 बजे भैया के घर (फ्लैट) पर पहुंचा और खाना खाकर सो गया।
नवम्बर की शुरुआती ठंड में मैं रज़ाई में दुबक कर सोया था तभी सुबह सुबह दरवाजे की घण्टी बजी और मेरी नींद टूटी। मैंने रज़ाई से थोड़ा सा चेहरा निकाल कर छोटी आँखों से देखने की कोशिश की तो भाभी की आवाज़ आई- सो जाओ भैया, अभी तो 6 बजे हैं, दूध वाले भैया आये हैं. कहते हुए भाभी ने दरवाज़ा खोल दिया और तपेली लेकर दूध लेने लगी।
मैं हॉल में सोया था और फ्लैट का दरवाज़ा बिल्कुल मेरे बेड के सामने था। गेट खुला जिससे बाहर का उजाला मेरे चेहरे पर पड़ा। मैं गहरी नींद से जागा था और मेरा उठने का कोई मूड नहीं था… यहां तक कि मेरी आँखें भी ठीक से नहीं खुल रही थी लेकिन भाभी के पीछे खड़े किसी इंसान की आधी झलक ने मेरी आँखों को फाड़ कर देखने पर मजबूर कर दिया और मेरी नींद पूरी तरह खुल गयी।
मुझे बस भाभी के पीछे खड़े किसी मर्द का एक पैर और नीले और सफेद रंग की हाफ आस्तीन वाली टी शर्ट से एक हाथ की गोरी फूली हुई भुजा (डोले या बाईसेप ) दिखाई दिया जिसमें भाभी को दूध देते हुए उसका डोला ऊपर नीचे हो रहा था।
मेरे लिए मानो इंदौर शहर ने स्वागत में मुझे तोहफा दिया था… पहले ही दिन वो भी सुबह की पहली किरण के साथ मुझे मानो वरुण धवन के मज़बूत और सैक्सी डोले शोले देखने को मिल गए जो की काफी गोरे भी थे लेकिन वरुण धवन के डोलों से साइज़ में थोड़े छोटे थे।
भाभी दूध लेकर थोड़ा हटी… इससे पहले कि वह नौजवान अपने दूध के डब्बे का ढक्कन लगा कर चला जाये, मैं तुरंत खड़ा हो गया और दरवाज़े की तरफ भागा और उसका पूरा जिस्म मेरे सामने उजागर हुआ।
हाई…! मैं तो दीवाना हो गया उसका… 18-19 साल का गोरा चिट्टा नया नवेला जवान लौंडा, आधे आस्तीन की टीशर्ट की आस्तीन को फाड़ती हुई सी उसकी भुजायें, नीचे नीले रंग का जीन्स और सफेद जूते… कानों पर हल्के पोइंटेड बाल जो उस समय का फैशन था।
कुल मिलाकर जो कुछ दिख रहा था, उसकी उम्र के हिसाब से काफी ज्यादा था। इतनी कम उम्र मैं ऐसी बॉडी, ऐसा लुक… लेकिन चेहरे से उसकी कम उम्र और मासूमियत के साथ मिक्स जवानी और सेक्सी लुक कहर ढा रहे थे।
सबसे बड़ी बात तो यह कि उसके बाल हल्के गीले थे मतलब कि वह इतनी ठंड में इतनी सुबह से नहा चुका था और ऊपर से उसने सिर्फ आधे आस्तीन की टी शर्ट पहन रखी थी… और दूसरी बात ये कि वह इतना तैयार होकर दूध देने आया था या फैशन शो करने?
मेरी तो आँखें फटी की फटी रह गयी, मैं कुछ समझ ही नहीं पा रहा था. तभी वो बोला- भाभी, आज शाम को 4 बजे पूरी बिल्डिंग से दूध का हिसाब करने आऊंगा तब भैया के नम्बर पर फोन लगाउँगा तो आप पैसे देने नीचे ही आ जाना. अलग अलग फ्लैट में कहाँ घूमूँगा मैं.. सब नीचे पार्किंग में आएंगे पैसे देने!
इतना सुनते ही मैं तपाक से बोला- अरे भाभी! भैया तो ऑफिस में रहेंगे 4 बजे… भाई आप तो मेरा नम्बर ले लो, मुझे फोन लगा देना, मैं ले आऊंगा पैसे नीचे… भाभी ने भी हामी भरी तो मैंने अपने नम्बर उसे दे दिए। वह ‘ठीक है’ बोल कर वहां से अपनी चौड़ी टाँगें करते हुए मर्दानी चाल में एक हाथ में दूध की टंकी लेकर सीढ़ियाँ उतरने लगा और मेरी नज़र अब भी उसी पर टिकी हुई थी.
भाभी दरवाज़ा बंद करते हुए बोली- देखा भैया, हमारा दूध वाला… किसी फिल्मी हीरो से कम नहीं है… फैशन का बहुत शौक है इसको… पहले इसके पापा आते थे, 4-5 महीने से ये आता है… मैं भी हामी भरते हुए हंस दिया।
अब मुझे तो बस 4 बजे का इंतज़ार था और मेरी आँखों के सामने उसका जिस्म घूम रहा था। आजकल तो जवान और खूबसूरत जिस्म वाले लौंडे आसानी से दिख जाते है लेकिन उस समय ऐसे सेक्सी मर्द कम ही दिखते थे… मेरी उम्र भी कम ही थी और इंदौर जेसे बड़े शहर के सेक्सी लौंडों को देखा नहीं था कभी। ऐसे में मेरे लिए उस कातिलाना जिस्म वाले दूध वाले की बहुत एहमियत थी और मेरा लण्ड सुबह से उसे सोच सोच कर फ़ड़फ़ड़ा रहा था। अब मैं उससे मिलने को बेचैन था.
तभी मेरा फोन बजा और उसने मुझे नीचे पार्किंग में पैसे देने बुलाया। मैं भाभी से पैसे लेकर तैयार होकर नीचे गया तो देखा वो अपनी नई हीरो की रेंजर सायकल से टिक कर खड़ा हुआ पैसे गिन रहा है और आसपास 4-5 लोग खड़े हुए हिसाब करवा रहे हैं। यार वो बिल्कुल छोटा हीरो की तरह लग रहा था… उसकी उम्र कम थी लेकिन हरकतें किसी बड़े हीरो जैसी… सब लोग उससे हंसी मजाक कर रहे थे… उसकी बातों से वह मुझे नादान लगा.
मैंने भी उसे पैसे देकर हिसाब करवा लिया और एक दो जोक मैंने भी बोल दिए वो भी हंसने लगा. सब लोग पैसे देकर चले गए लेकिन कोई झवर अंकल थे जो घर नहीं थे और वो उनके आने का वो इंतज़ार कर रहा था।
इंतज़ार में हमारी बातचीत बढ़ने लगी और हम लोग पार्किंग में लगी लंबी कुर्सी पर बैठ गए। मैं उससे अपनी दोस्ती बढ़ाना चाहता था ताकि उस मस्त जवान लौंडे के जिस्म और कडक लंड का आनन्द ले सकूँ।
उसने अपना नाम बताया- सर्वेश राजपूत। मैं उसका नाम सुनते ही उसके सैक्सी लुक और चोदू अंदाज़ का कारण समझ गया. वो राजपूत राजा महाराजाओं के खानदान का था और राजपूताना अंदाज़ और राजपूताना चुदाई के क्या कहने…
उसने बताया कि उसकी दूध डेयरी है पास ही में और उसका परिवार का दूध का ही धंधा है… पहले उसके पिताजी घर घर दूध देने जाते थे लेकिन अब वह खुद आता है… वह इंदौर मैं नया आया है लगभग 4-5 महीने हुए है उसे इंदौर में, इससे पहले वह गांव में रहता था. और उसे फिल्मी हीरो की तरह रहना पसन्द है और साथ ही उसके भैया (रत्नेश राजपूत) कुश्ती के पहलवान थे गांव के, इसलिए उन्ही के नक्शे कदम पर चलते हुए उसने इंदौर में आकर जिम जाकर 5 महीनों में ऐसी बॉडी बनाई है।
उसके भाई की कुश्ती और कसरती जिस्म की तारीफ सुनकर तो मेरा लण्ड खड़ा हो गया और अब मेरा दिमाग उसके भाई के मूसल लण्ड की कल्पना में लग गया। मैंने अपने दिल को समझाया और कहा कि अभी इस लौंडे को तो सम्भाल ले।
वह एक साथ इतनी सारी बातें बोले जा रहा था… उसकी बातों से नादानी और बचपने का एहसास हो रहा था। ज्यादा उम्र कहाँ थी यार उसकी और ऊपर से वह गांव में रहता था जिससे उसको समझ भी कम ही थी और उसकी बोली में भी कई सारे गांव की खड़ी बोली के शब्द शामिल थे जो उसके गांव वाले होने का एहसास दिला रहे थे।
उसके जिस्म से तो मस्त सेक्सी चोदू लग रहा था, बस समझ थोड़ी कम थी, वैसे भी मुझे तो उसके गण्डफाडू लण्ड और मज़बूत जिस्म से ही मतलब था, उसकी नादानी तो मेरे लिए फायदेमंद थी. वह बोला- भैया, मैं इस साल बारहवी में हूँ, कैसे पढूँ और कौन सी गाईड अच्छी होती है, मुझे बताना आप! वह मुझे शहरी समझदार समझ रहा था। मैंने भी उसे अच्छे से समझाया और उसे विश्वास दिलाते हुए अपना हाथ उसके कंधे पर रख दिया और उसके कसरती मज़बूत जिस्म को छूते हुए आनन्द लेने लगा।
ऐसे ही बात करते हुए बात गर्लफ्रेंड और सेक्स तक पहुँच गयी। वह थोड़ा शर्माया लेकिन फिर खुल कर बोलने लगा। उसने बताया कि उसकी अभी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है.
उसके पास नोकिया का एक सिम्पल फोन था और मेरे पास नोकिया का टच स्क्रीन फोन था. हालांकि मेरा फोन भी एंड्रॉइड तो नहीं था लेकिन वह मेरा फोन देखकर भी इम्प्रेस हुआ और पूछने लगा कि इसमें इंटरनेट चलता है या नहीं।
उसकी बातों से मुझे लगा कि उसने पोर्न फिल्म कम ही देखी है और उसकी इच्छा पोर्न देखने की है। इस सम्बन्ध में वह काफी उत्सुक था। वैसे भी आज से 5 साल पहले इंटरनेट और स्मार्ट फोन की उपलब्धता बहुत कम थी और वो तो छोटा ही था उसे कौन स्मार्ट फोन दिलाता. मैंने कहा- भाई है यार तू तो अपना… अपने घर पर इंटरनेट है. आज शाम को भैया भाभी शादी में चले जाएंगे कल सुबह जब तू दूध देने आएगा तो देख लेना… मस्त एक से एक आइटम दिखाऊंगा।
वह भी थोड़ा खुश हो गया लेकिन कुछ जवाब नहीं दिया… उसके जवाब ना देने से मैं थोड़ा असमंजस मैं था कि आखिर सर्वेश की क्या इच्छा है. वैसे जब मैंने उसके लंड के उभार को देखा तो वह थोड़ा बढ़ चुका था जो मेरे लिए सकारात्मक संकेत था उसके दमदार गण्डफाडू लण्ड के मिलने का।
तब तक झवर अंकल आ गए और उसने उनका हिसाब किया और अपनी सायकल से किसी हीरो के अंदाज़ में वह चला गया। अब मेरा पूरा दिल और दिमाग उस नए नवेले कड़क माल के गोरे कसरती जिस्म की ही कल्पनाओ मैं डूब हुआ था और लण्ड मेरा तना हुआ फड़फड़ा रहा था कि बस उस लौंडे का लण्ड और जिस्म बस मिल जाये।
अगले दिन सुबह मेरी नींद उसके इंतज़ार में जल्दी ही खुल गयी और मैं लगभग सुबह 4 बजे से उसका इंतज़ार करने लगा. भैया भाभी रात को ही शादी के लिए निकल चुके थे इसलिए घर में मैं अकेला था।
सुबह 6 बजे बजने वाली दरवाज़े की घण्टी ने मेरा इंतज़ार समाप्त किया और उस मदमस्त नए माल की कामुक जवानी के मुझे दर्शन हुए लेकिन आज भी उसने कल के वही कपड़े पहन रखे थे मतलब वह आज बिना नहाए आया था.
मैंने उसे ‘आओ राजपूत साहब…’ कहते हुए तुरंत अंदर बुलाया. उसने थोड़ा मना किया लेकिन फिर आकर सोफे पर बैठ गया और मैंने तपेली में दूध भी ले लिया अब बस इच्छा बाकी थी तो उसके लण्ड के दूध को चूस चूस कर पीने की। मैंने भैया का लैपटॉप चालू किया और नेट सेटर लगा कर इंटरनेट चालू करके उसके सामने पोर्न वेबसाइट पर सेक्सी लड़कियों और उनकी चुदाई, लण्ड चुसाई के वीडियो का भंडार खोल दिया।
उसकी आँखें फटी रह गयी. मैंने उससे पूछा- बताओ कौन सी चलाऊं? उसने एक बड़े बूब्स वाली फिरंगी गोरी चूत वाली लड़की की लन्ड चुसाई की वीडियो चलवाई और बहुत ही ध्यान से उसे देखने लगा और मानो उसमें खो सा गया।
अब मैं सोफे पर ही रज़ाई ले आया, मैंने ओढ़ ली और सर्वेश को भी उढ़ा दी और मैं उसके जिस्म के बिल्कुल पास बैठ गया और उससे उस पोर्न अभिनेत्री के बड़े बूब्स, गोरे चूतड़ और मस्त चूत की बात करने लगा।
अब वह एक के बाद एक मस्त चुदाई की वीडियो लगवा रहा था और अब उसका लण्ड कड़क होकर झटके मारने लगा था जिसे मैंने नोटिस किया. अब मेरे सामने 19 साल का एक नया राजपूती राजकुमार अपने मस्त कसरती जिस्म के साथ सोफे पर आराम से बैठा था और उसका लण्ड लोवर के अंदर तना हुआ किसी की मस्त चुदाई के लिए तैयार था। मैं ठंड का बहाना बनाते हुए उसके और नज़दीक हुआ और मैंने रज़ाई को और दबोच लिया. वो दूध वाला राजपूत राजकुमार था जिसके जिस्म से मेहनती महक आ रही थी जिसे मैं अब अपनी लंबी साँसों से अपने अंदर भरने लगा और मैंने अपना एक हाथ उसकी फूली हुई भुजा पर रख दिया जिससे मेरी अन्तर्वासना की बाढ़ सी आ गयी।
अब मैं और अपने आपको रोक नहीं पा रहा था… मैंने आव देखा ना ताव और अपना दूसरा हाथ उसके लोवर के ऊपर से ही उसके लण्ड पर रख दिया और बोला- बम्बू खड़ा हो गया क्या? उसका ध्यान वीडियो से हटा और वह अपने आप को सम्भालने लगा और मेरा हाथ उसके लण्ड पर रखने से घबरा सा गया. मैंने उसके लण्ड को और जोर से मसल दिया और बोला- अरे तुम चिकनी चूत को देखते रहो और आनन्द लो… घबराओ मत!
वह थोड़ा रिलेक्स हुआ लेकिन मेरे द्वारा उसका लण्ड सहला देने से उसके मुँह से भी कामुकता के आनन्द की आह निकल गयी. उसके लिए यह सब कुछ पहली बार था और अब वह अपने रॉड जैसे कड़क हो चुके लण्ड और उसमें काफी समय से भरे हुए कामरस के कारण मेरे द्वारा किये जाने वाले प्रयासों को मना नहीं कर कर पा रहा था। वह भी अब बिना लड़का लड़की का फर्क किये लण्ड की प्यास बुझाने के लिए मेरे और भी करीब आ गया… वैसे भी वो मेरे अलावा कहाँ अपने फनफनाते लण्ड की आग को शांत कर सकता था।
उसने बड़े बड़े मम्मो वाली एक सेक्सी बेब का वीडियो चलाया और अचानक ही उसके हाथ मेरी छाती पर आ पहुँचे और मेरी छाती के उभार को उसने एक बार दबा दिया। लेकिन फिर वह अपने आपको संभालते हुए अपने हाथो को मेरे छाती से हटाने लगा. मैंने उसे विश्वास दिलाते हुए मुस्कुरा कर उसके हाथ को फिर से मेरी छाती पर रख दिया. वह अब सेक्स में पागल हो चुका था… मैंने भी अपना हाथ टीशर्ट के ऊपर से ही उसकी छाती के कड़क उभार पर रख दिया और उसकी कसरती छाती को सहलाकर मुआयना करने लगा.
वाह क्या छाती थी उसकी… बिल्कुल कड़क और बीच में एक दरार… मैंने उसके छाती के उभर पर एक ज़ोरदार किस कर दी और अपने चेहरे को उसकी छाती पर रगड़ने लगा और अपनी नाक फूली छाती के बगल में घुसा दी. दोनों के मुँह से गर्म सिसकारियों से गर्म हवा एक दूसरे की कामुकता की आग को हवा देने का काम कर रही थी।
अब मैंने अपना हाथ उसकी टीशर्ट के अंदर डाल दिया और उसके कड़क छाती के उभारों को तेजी से सहलाने लगा मेरे गर्म हाथों से उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी और उसने अपना ठंडे बर्फ जेसा हाथ को मेरे लोवर में डाल दिया और मेरी चिकनी गांड को मसल दिया जिससे मेरे पूरे जिस्म में सनसनी फैल गयी। अब मैंने उसकी टीशर्ट को थोड़ा ऊपर उठाया और उसके पेट पर बने हल्के सिक्स पेक पर अपनी उंगलियां चला दी. वाह..! क्या जिस्म था उसका… साला… 19 साल की उम्र में उसने इतना सेक्सी जिस्म बनाया था. मैंने शायद ज़िन्दगी में पहली बार सिक्स पेक को छुआ था.. मेरा दिल उन्हें जुबान से चाटने का हो रहा था।
वह वीडियो को देखते हुए जोर जोर से मेरी छाती के उभारों को मसले जा रहा था. उसके हाथ दूध की टंकी को उठाते हुए और काम करते हुए काफी कड़क हो चुके थे. उसके मसलने से में भी पानी बिना मछली जैसे छटपटाने लगा और मैं अब उसकी छाती से लिपट गया. वाह क्या एहसास था… उसका कड़क जिस्म और उसके बदन से आती मेहनत और दूध की मिक्स मर्दाना नई महक से मैं पागल होने लगा था।
मैंने उसकी कड़क और फूली भुजाओं पर अपनी जुबान चला दी और मैंने उसे जोश में एक जोरदार धक्का देते हुए सोफे पर लेटा दिया और पागलों की तरह उससे लिपट कर अपने जिस्म को उसके मस्त सेक्सी जिस्म से रगड़ने लगा. वह भी काफी जोश मैं था और अब उसने अपने दोनों हाथ मेरी गांड पर रख दिए थे और कुछ बड़बड़ाते हुए ज़ोर ज़ोर से मेरी गोरी चिकनी गांड को मसल मसल कर लाल कर दिया।
अब वह भी वीडियो नहीं देख रहा था और मुझे अपनी छाती से दबोच कर अपने लण्ड वाले हिस्से से ज़ोर ज़ोर से मेरे लण्ड की जगह को चूत की तरह झटके मार रहा था। उसके मज़बूत जिस्म में दब कर मुझे मानो स्वर्ग का अनुभव होने लगा था। वह ज़िन्दगी में पहली बार किसी के जिस्म से रूबरू हुआ था और उसकी जवानी का सालों से भरा हुआ जाम आज फूट फूट कर बाहर आने वाला था और उसकी ज़िन्दगी के पहले सेक्स का आनन्द आज मैं लेने वाला था।
हम दोनों काफी जोश में थे और दोनों की ही चढ़ती जवानी थी मेरी उम्र भी उस समय 20 ही रही होगी… जोश में हम लोग अपनी पूरी ताकत से एक दूसरे के जिस्म को रगड़ रहे थे और अपने एक हाथ से एक दूसरे के बालों में अपनी पकड़ बना कर खींचा तानी करते हुए मानो पागल से हो गए थे.
मैं तो अब उसके गले पर उसकी खुशबू सूंघते हुए किस करने लगा और उसके कान को अपने मुँह में भर कर चूसने लगा। अचानक ही हम दोनों बेकाबू से हो गए और मैंने उसकी टीशर्ट से झांकते हुए उसके फूले हुए डोले (बाइसेप या भुजा) को चाटते हुए दांत से भींच लिया.
टीशर्ट की जो आस्तीन मुझे उसके जिस्म को चूमने में बाधा दे रही थी, को दाँत से ही ज़ोर से खींच दिया जिससे उसकी आस्तीन फट गयी और उसके डोले शोले बिल्कुल आज़ाद हो गए जिन्हें मैं बेइंतेहा चाटने लगा।
लेकिन टीशर्ट के फट जाने से उसने अपनी सभी गतिविधियाँ बन्द कर दी और थोड़ा नाराज़ होकर बोला- अरे यार भैया… क्या किया यह… अभी मुझे वापस जाना भी है और घर में क्या जवाब दूंगा?
बड़ी मुश्किल से इतना जवान लौंडा और जिस्म मिला था और टीशर्ट फट जाने से वह भी नाराज़ हो गया. मैं तो उसके चोदु लण्ड की प्यास में पागल हुए जा रहा था. मुझे एहसास हुआ कि मुझसे गलती हो गयी है, अब क्या करूँ…
वास्तव मैं उस जवान कसरती जिस्म से लिपटकर में पागल हो गया था इसीलिए मुझसे ये गलती हो गयी थी… मैंने कहा- सॉरी यार… सर्वेश… जोश जोश मैं हो गया… मेरी दूसरी टीशर्ट पहन लेना भाई…! कहते हुए मैंने उसके लण्ड के उभार पर अपना मुँह घुसा दिया और अपना चेहरा लोवर के ऊपर से ही रगड़ने लगा.
वह मेरी इस हरकत से मानो पागल सा हो गया और उस बात को भूल गया और सिसकारियाँ लेते हुए बोलने लगा- आह… आह… आह… ओह… ओओह.. भाई लण्ड बहुत ज्यादा कड़क हो गया है शायद.. ऐसा लग रहा है जैसे फट जायेगा… मजा तो बेइंतेहा आ रहा है लेकिन दर्द सा हो रहा है यार… अब नहीं करते यार!
मैंने उसे समझाते हुए बोला- तुम्हारा यह पहली पहली बार है और लण्ड लगभग 1 घण्टे से फूल तम्बू की तरह तना हुआ है और अभी तक उसका उपयोग नहीं हुआ है इसलिए तुम्हें ऐसा लग रहा है… डोंट वरी… बोलते हुए मैंने एक बार फिर अपना मुँह उसके लोवर में घुसा दिया. लोवर से मूत्र और पसीने ही हल्की मिक्स खुशबू आ रही थी जो मुझे और भी दीवाना बना रही थी। लोवर के ऊपर से ही उसका लण्ड का शेप साफ दिखाई दे रहा था जिसे मैंने होंठों में भर लिया.
सर्वेश में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह अपना लोहे की रॉड सा कड़क हो चुका लौड़ा मेरे मुँह में दे सके लेकिन तड़प तो वह भी रहा था अपने लण्ड को हल्का करने के लिए… मैंने ही उसके लोवर को नीचे खींच दिया और चड्डी के ऊपर से ही उसके मस्त खीरे जैसे लण्ड को मुँह में भर लिया और अपनी जुबान से लण्ड से लेकर उसके सिक्स पेक तक चाटने लगा. ऐसे चाटते हुए उसके अंडरवीयर को मैंने लगभग पूरा गीला सा कर दिया था… उसका पेट भी मेरी लार से लथपथ हो चुका था।
वाह क्या एहसास था वह!! हम दोनों सेक्स में बिल्कुल गंदगी पर उतर आये थे… हम दोनों ही मचलने लगे थे जिससे सोफ़ा हमारे लिए छोटा पड़ने लगा था।
अब मैं उसकी मज़बूत छाती से लिपट गया और लुढ़क कर हम दोनों सोफे से नीचे ज़मीन पर बिछे कालीन पर आ गए और एक दूसरे के जिस्म से लिपट कर पूरे कालीन और ज़मीन पर लुढ़कने लगे। हालांकि ठंड थी लेकिन अब हमारे जिस्म वासना की गर्मी से इतने गर्म हो चुके थे कि हमें ठंड का बिल्कुल एहसास नहीं हो रहा था और ऊपर से वह तो था ही मज़बूत राजपूत, उसको कहाँ ठंड लगने वाली थी।
सर्वेश तो बस मेरे गोल गोल बिल्कुल गोरे चूतड़ में ही दीवाना हुए जा रहा था। मेरे चूतड़ बिल्कुल किसी मस्त फिरंगी बेब के बड़े बड़े मम्मों के जैसे थे जिन्हें मसल मसल कर सर्वेश पूरे मज़े ले रहा था… और अब तो वह कुछ बड़बड़ाने भी लगा था मेरी मस्त गांड के बारे में… और कभी कभी मेरी गांड पर च्यूंटी भी काट देता.
सर्वेश के मज़बूत कड़क मर्दाना हाथों से मेरे चूतड़ को मसले जाने पर मुझे भी मानो जन्नत का एहसास हो रहा था और मेरी गांड पूरी तरह लाल हो चुकी थी जिसे देखकर सर्वेश का जोश और भी बढ़ने लगा था. मैं भी बार बार बोले जा रहा था- मसल दो इनको राजकुमार… फोड़ दो इनको… खून निचोड़ दो इनसे दबा दबा कर… मैं मानो पागल सा हो गया था.
अब मैंने सर्वेश के जिस्म पर आधी फट चुकी टीशर्ट को पूरा फाड़ दिया और उसके मर्दाना राजपूताना कड़क जिस्म और फूली हुई छाती को बेपर्दा कर दिया और उसकी छाती और उभारों पर टूट पड़ा। वह मेरी गांड को नोचे जा रहा था और मैं उसकी छाती को चाट चाट कर लथपथ किये जा रहा था. हम लोग एक दूसरे से लिपट कर ऐसा कर रहे थे… उसे बस मेरे चूतड़ मसलते हुए ही लगभग आधा घण्टा हो गया था लेकिन ना तो वह मेरी गांड छोड़ने को तैयार था और ना ही मैं उसकी छाती।
मैंने उसके डोलों शोलों को भी चाटना शुरू कर दिया। उसके फूले हुए कसरती भुजाओं को ऊपर नीचे करते हुए चाटने लगा. ऐसे कसरती राजपूत का जिस्म और उसकी महक मानो मुझे कभी नहीं मिलने वाली हो ज़िन्दगी में यही सोच कर मैं उसमें डूबता जा रहा था। अब मैं उसके लण्ड की तरफ बढ़ा और धीरे से उसकी चड्डी को नीचे कर दिया और उसके राजपूती, दानवी लण्ड के दर्शन मुझे हुए… अभी तक मैं चड्डी के ऊपर से ही उसके लंड का मजा ले रहा था.
गोरा लगभग 7 इंच का मोटा लण्ड बिल्कुल राजकुमार की तरह… लण्ड का ढक्कन बिल्कुल बन्द .. क्योंकि लण्ड बिल्कुल नया नवेला था, उसका इससे पहले कोई उपयोग हुआ ही नहीं था.
लण्ड बिल्कुल सीधा था उसमें ज़रा सा भी टेढ़ापन नहीं था… लण्ड के आसपास हल्के बाल थे जो उस लण्ड को और भी खूबसूरत बना रहे थे। मैं अपनी उंगलियों को उसके अण्डों पर फिराने लगा और उसके अण्डों के आसपास खुजाने लगा जिससे उसे बहुत आनन्द आने लगा और वह आँखें बन्द करके आहें भरने लगा।
उसके लिए अब कण्ट्रोल कर पाना मुश्किल हो गया था… वह बोला- कब तक तड़पाओगे? यह सुनते ही मैं घुटनों के बल सर्वेश के दोनों तरफ टांगें करके इस तरह बैठा कि मेरी गांड सर्वेश के मुँह के पास थी और मेरा मुँह सर्वेश क़े लंड के पास आ गया।
सर्वेश फिर से मेरी गांड मसलने में लग गया और मैंने उसके लण्ड को छुआ… और धीरे से लण्ड की चमड़ी को पीछे की तरफ खींचा और उसके लण्ड के सुर्ख लाल सुपारे के मुँह पर एक ज़ोरदार चुम्बन लिया। पूरे सुपारे को बाहर निकालना मुश्किल था क्योंकि चमड़ी कड़क थी।
उसके लण्ड पर बिल्कुल भी वीर्य या प्रीकम नहीं आया था अभी तक जो उसके सेक्स कण्ट्रोल का इशारा था। अब मैंने लोलीपॉप की तरह चाटते हुए धीरे धीरे उसके पूरे सुपारे को आज़ाद कर दिया और उसके मस्त गुलाबी सुपारे को अपने गर्म मुख में भर लिया. इतने तरकीब से लण्ड को मुँह में लेने से उसकी लंबी आह निकल गयी और अब वह बेकाबू हो गया और खड़ा होकर मेरे दोनों कान पकड़ कर अपने दमदार लण्ड से मेरे मुख की ताबड़तोड़ चुदाई करने लगा।
अब तो वह सब कुछ भूल चुका था और उसने यह सब पहले कभी किया नहीं था लेकिन उसकी हवस और वासना उससे यह सब करवा रही थी और ऐसा लग रहा था मानो उसे चुदाई का लंबा अनुभव हो.
मैं भी उसके काम में बिल्कुल दखल अंदाजी नहीं कर रहा था और उसके कड़क हाथों की मेरे कान और गालों पर पकड़ को अनुभव कर रहा था. मैं उस जवान नए नवेले राजपूत राजकुमार के पूरे जिस्म और चेहरे को देख रहा था, उसकी चुदाई को किसी प्राचीन राज के बिगड़ैल राजकुमार की ताबड़तोड़ चुदाई की कल्पनाओं में खोया हुआ था।
मेरा मुख चोदन करते हुए उसके हल्के सिक्स पेक बिल्कुल गहरे होकर कड़क और उभर आये थे, छाती और भी फूल गयी थी जिस पर उंगलियां चलाते हुए मैं अपने मुख की चुदाई का आनन्द ले रहा था।
बिना रुके चुदाई करते हुए 20 मिनट हो चुके थे… ना ही वह अपनी स्पीड कम कर रहा था और ना ही उसका कामरस अभी तक निकल पाया था… दूध वाले का स्टेमिना था भैया.. और वो भी पहली बार चुदाई… समय तो लगना ही था।
उसके हर झटके में लण्ड मेरे गले तक जाता और आते हुए ढेर सारा थूक मेरे मुँह से नीचे गिर जाता. घपा घप… घपा घप… की आवाज़ पूरे घर में गूंज रही थी और मैं थक चुका था लेकिन वह नहीं थक रहा था।
लगभग 35 मिनट के बाद उसके झटके और भी तेज हुए और उसका लण्ड मेरे गले में और अंदर तक उतरने लगा… 5-7 झटकों के बाद वह सी.. सी सी… आह आह.. करके चिल्लाया और अपना लण्ड मेरे मुँह से निकाल कर अलग किया जिसमें से एक लंबी पिचकारी निकली… शायद वह अपना वीर्य मेरे मुँह में गिराना नहीं चाहता था लेकिन यह तो मेरे लिए अमृत था, मैंने तुरंत उसका लण्ड अपने मुँह में गले तक भर लिया जिससे बाकी कि 4 पिचकारियों से निकला ढेर सारा काम रस मेरे मुँह में भर गया और वह निढाल हो गया.
मैं उसका पूरा कामरस पी गया क्योंकि वह नए लण्ड का बिल्कुल स्वस्थ वीर्य था… उसका लण्ड चाट कर साफ कर दिया और नीचे टपका हुआ रस भी मैंने चाट लिया. यह सब देख कर वह मुस्कुराया और बोला- मजा आ गया यार आज तो… गजब हुआ.. मैं भी मुस्कुरा दिया।
मैंने उस राजकुमार को मेरी एक अच्छी वाली टीशर्ट पहना दी, उसने कपड़े पहने और फोन देखा तो उसमें 10 मिस कॉल थे क्योंकि 8 बज चुके थे और वह 6 बजे से आया हुआ था। और वह फटाफट अपनी दूध की टंकी लेकर चला गया।
उसकी फटी हुई टीशर्ट से आ रही उसकी मदमस्त खुशबू को मैंने के दिनों तक सम्भाला और आनन्द लिया।
मेरे पास अभी 4-5 दिनों का वक्त और था, मैंने उन दिनों मैं कई बार उसके जिस्म का आनन्द लिया और उसके लण्ड को चूसा। लेकिन उसके बड़े भाई रत्नेश राजपूत का नाम सुनते ही मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था और किसी राजपूत महाराजा से चुदाई की कल्पनाओ में मैं खो जाता.
अब बस मेरी इच्छा रत्नेश राजपूत के लण्ड की थी।
क्या मेरी यह इच्छा पूरी हो पायी.. कैसा था वह गांव का पहलवान?
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कहानी का अगला भाग गे सेक्स स्टोरी: दूध वाला राजकुमार-2
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