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मेरा नाम माया त्रिवेदी है, मैं गुजरात से हूँ. मैं एक सच्ची कहानी लिख रही हूँ जो मेरे खुद की है, अच्छी लगे तो जरूर एक मेल करना और अच्छी ना लगे तो आपकी प्यारी माया को दिल से माफ़ कर देना.
मेरे घर में मम्मी पापा और मुझसे सात साल बड़ा भाई जिगर है, जो थोड़ा सा भोला (मंदबुद्धि) है. मुझसे छोटी बहन वर्षा अभी जवान ही हुई है. मैं हाईस्कूल में बारहवीं में पढ़ाई कर रही हूँ मेरी उम्र 19 साल की अभी 4 महीने पहले ही हुई. मेरी हाईट 5 फिट 2 इंच है, रंग मीडियम गोरा है, मेरा सीना 32 इंच का है, कमर 26 इंच की है और मेरी गांड 38 इंच की है जो बहुत ही बाहर को निकली हुई है.
मैं जब स्कूल जाती हूँ तब सब लड़के और अंकल वगैरह मेरी प्यारी सी गांड को ऐसे घूरते हैं कि जैसे अभी लंड डाल देंगे. पहले स्कूल में मेरा फिगर ऐसा नहीं था, पर हाईस्कूल में गई, तब मेरी सब सहेलियों की संगत के कारण ऐसी हो गई. मेरी सब सहेलियों के बॉयफ्रेंड थे, सबके पास मोबाइल था… जिसके जरिये सब लड़कियां मिलने की सैटिंग करके रोज़ चुदवाती थीं. मुझे सेक्स में रूचि नहीं थी.
मेरे मोहल्ले की मेरी एक बेस्टफ्रेंड है अल्का, वो कॉलेज के थर्ड ईयर में है. वो मेरे पास में ही रहेती है. उसके तीन बॉयफ्रेंड थे.
एक दिन मैं उसके घर गई. उसके घर पर कोई नहीं था, सब शादी में गए थे. उसने मुझे अपने मोबाइल में ब्लू फ़िल्म दिखाई. जिसे देख कर मैं डर गई. एक लड़की को तीन लड़के चोद रहे थे. एक लड़का उसकी गांड में लंड डाल रहा था, दूसरा चूत में डाले हुए थे. तीसरा अपना 8 इंच का लंड लड़की के मुँह में पूरा अन्दर उसके गले तक डाल निकाल रहा था. बेचारी लड़की खांसती जा रही थी और चिल्ला रही थी.
मैं ये देख कर बहुत डर गई- अल्का, ऐसी मूवी देखती हो तुम… बेचारी लड़की की हालात तो देख, तुझे देखने में मजा आता है ये वीडियो? वो बोली- तू बुद्धू ही रहेगी. ‘बुद्धू काहे की…?’ ‘उस लड़की को बहुत मजा आ रहा है… वो चिल्ला थोड़ी रही है, चुदाई के मजे ले रही है… वो भी तीन तीन जगह से… तू नहीं समझेगी… मैं शुरू से प्ले करती हूँ. अच्छी तरह देखना… तब तक मैं हम दोनों के लिए नाश्ता बनाकर लाती हूँ.’
अल्का ने फिल्म शुरू से चालू कर दी और अन्दर चली गई. मैं फिल्म देखने लगी, मैंने स्टार्टिंग से पूरा वीडियो देखा, मुझे मेरी चूत में अन्दर तक एकदम से जलने जैसा लगा, मेरा पूरा शरीर कांपने लगा.
तभी अल्का नाश्ता लेकर आई. मुझे काँपता देख वो हँसकर बोली- मजा आया वीडियो देख कर? मैंने कहा- मेरी तबियत ख़राब हो गई है. वो बोली- अरी नासमझ तुझे कुछ नहीं हुआ, तुझे अभी ठीक किए देती हूँ.
उसने दरवाजा खिड़कियां बंद की, मैंने कहा- क्या कर रही हो? वो बोली- रुक बताती हूँ. वो मेरे पास आई और मुझे पलंग पर धक्का दिया और मेरे होंठों पे अपने होंठों को रख कर मेरे दोनों बोबों को दबाने लगी. मैंने कहा- छोड़ो… क्या कर रही हो?
लेकिन वो तो उल्टा मेरी चूचियों को जोरों से दबाने लगी. उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और चूसने लगी. ‘आह… आह्ह… आह…’ इस तरह आवाजें मेरे मुँह से निकलने लगीं.
अचानक से मेरी चूत कोयले की तरह जलने लगी, मैं तड़पने लगी, मैं बोली- अल्का, प्लीज कुछ करो… मुझे नीचे तेज जलन हो रही है… मैं मर जाऊँगी… मुझे अब सहन नहीं होता.
उसने मेरी सलवार का नाड़ा खींच कर तोड़ दिया और खींच कर मेरी पेन्टी भी फाड़ दी. अपनी बड़ी उंगली मेरे मुंह में डालकर निकाली और घचाक से मेरी कुंवारी चूत में घुसेड़ दी. मैं तो मानो मर गई, मेरी जोर से चीख निकली. उसने मेरे मुंह को हाथों से दबोच लिया और बोली- उंगली क्या गई तेरी चूत में… तेरी तो चीख निकल गई और आंसू बहा रही है, साली अभी तो ये उंगली भी लड़की की है. जब कोई लड़का 8 इंच का लंड डालेगा तब क्या करेगी… तू तो मर ही जाएगी… कोई बात नहीं तेरी सील नहीं टूट गई. पहली बार सबको दर्द होता है… अब कुछ नहीं होगा.
वो नीचे झुक कर मेरी चूत पर अपनी जीभ घुमाने लगी. धीरे धीरे मुझे भी अच्छा लगने लगा. मेरे हाथ उसके माथे को मेरी चूत में दबाने लगे. उसे भी मज़ा आने लगा, वो मेरी चूत में अपनी जीभ डालने लगी. मैं बोलने लगी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह्ह… और डालो… आह… मेरी चूत फाड़ दो… वो पूरी जीभ मेरी चूत में डालती. मैं समझो मर सी गई- और डालो… आह्ह… आह्ह…
अचानक मुझे लगा कि मेरी पेशाब अल्का के मुँह पर बरसने लगी. मैंने उसको हटाना चाहा, पर उसने कसकर मेरी चूत पर मुँह लगा दिया. मुझे कुछ अजीब लगा. फिर कुछ चिकना चिकना दही जैसा कुछ निकलने लगा. मेरी सांसें तेज हो गईं. मुझे पसीना सा आ गया. अल्का मेरी चुत चाटने लगी.
वो सब चाटने के बाद बोली- तू बहुत स्वादिष्ट है. मेरा शरीर बिल्कुल ढीला हो गया. वो बोली- पहले नहा धो ले, फिर नाश्ता करेंगे.
हम दोनों फ्रेश होकर नाश्ता करने लगे.
वो बोली- मज़ा आया? मैंने कहा- सच में बहुत मजा आया. वो बोली- तुझे पता नहीं तेरी ये चूत अब सिर्फ पेशाब करने का छेद नहीं है. तू बड़ी हो गई है बड़ी मतलब जवान हो गई है. अब तुझे लंड चाहिए. ये तो कुछ नहीं, लड़के के लंड से चुदने में जो मज़ा है, दुनिया की किसी चीज में नहीं आता है. मेरे तीन तीन बॉयफ्रेंड हैं और हम सब साथ में मिल कर करते हैं. वो सब मिलकर मुझे मजा देते हैं. एक मुझे मुँह में लंड देता है, मैं गले तक उसका लंड उतारती हूँ. दूसरा चूत में लंड पेल कर मुझे चोदता है, तीसरा मेरी गांड में पेल कर मजा देता है. तो जितना कम लंबा लंड वो मुझे गांड में, जिसका लंड बड़ा है उसको बोलती हूँ तुम आगे से चोदो, मुझे स्वर्ग सा आनन्द मिलता है. तुम्हें लंड चखने की इच्छा हो तो बोलना.
‘हाँ यार अब तो इच्छा तो बहुत हो रही है. मुझे भी लग रहा है कि कोई मेरा बॉयफ्रेंड हो, वो मुझे किस करे, मेरे मम्मों को धीरे धीरे मसले… मेरी चुत में लंड डाले… मुझे अपना लंड चूसने को दे. पर यार मुझे बड़े लंड से डर लगता है.’ ‘तू क्यों डरती है जान… तेरे लिए मैं छोटा लंड ढूँढूगी… हम दोनों खूब मजे करेंगे. धीरे धीरे तेरी चूत को मैं अपने दोस्तों से बड़ी करावाऊंगी, फिर तुझे कुछ नहीं होगा. तुम्हारा बदन खिल उठेगा और तेरी जवानी और भी खूबसूरत हो जायेगी.
मैं बोली- पर मुझे डर लगता है, कहीं गड़बड़ ना हो जाए. वो बोली- डरना क्या? मैं स्कूल से अपनी चुत की चुदाई करवाती आ रही हूँ, कभी बाहर करवा लेती हूँ और कभी घर में जब कोई ना हो, तब दोस्तों को बुलाकर मजे लेती हूँ. तेरी इच्छा हो तो बोल… मैं भी तेरे साथ रहूंगी. फिर तुझे डर कैसा… तुझे मुझ पर, अपनी बेस्टफ्रेंड पर भरोसा नहीं क्या? मैं बोली- तुझ पर तो मुझे अपनी जान से भी ज्यादा भरोसा है अल्का. ‘तो माया जब मैं कहूँगी, तब तुम आओगी… मुझे तू अपना नंबर दे दे.’ मैं बोली- मेरे पास मोबाइल नहीं है, मेरे पापा का नंबर दे देती हूँ… लिखो. तू इस नम्बर को किसी को देना नहीं और जब तुम्हें फोन करना हो तब ही करना.
उसने मुझसे नम्बर ले लिया.
तभी अल्का के घर वाले आ गए. मैं थोड़ी देर रही, फिर अपने घर चली आई. मैं सारी रात को उस अहसास को याद करती रही.
फिर तीन दिन बाद पापा के फोन पर अल्का फोन आया. पापा मुझसे बोले- माया बेटा तुम्हारी कोई सहेली है, तुमसे बात करना चाहती है. मैंने फोन लिया. अल्का बोली- काम हो गया… कल दोपहर को मेरे घर आना नहा धोकर… नीचे सब सफाई करके आना. समझ रही हो ना…! मैं बोली- ठीक है.
अब मेरा सारा दिन रोमांच में बीत गया, एक ऐसी ख़ुशी का अहसास हो रहा था, जो कभी अनुभव ही नहीं किया था.
क्या होगा… ये सोच कर सारी रात जाग जाग कर गुजारी, नींद आने का नाम ही नहीं ले रही थी. बस यही ख़याल बार बार आ रहा था कि कल कोई मुझे भी प्यार करेगा और मुझे भी आनन्द मिलेगा. लंड का स्वाद चखने को मिलेगा. नींद कब आ गई, पता नहीं चला.
सुबह उठकर नहाने चली गई, नहा कर पापा का सेव करने का रेजर निकाला और अपनी चूत को साफ किया. एकदम दुल्हन की तरह चमका दिया. फिर दोपहर को मैं माँ से बोली- माँ मैं सहेली के साथ बाजार जा रही हूँ, देर हो जाएगी, इंतजार मत करना… मैं देर शाम तक आऊँगी. फिर मैं अल्का के घर आ गई. अल्का ने दरवाजा खोला और मुझसे लिपट गई. बोली- तुझे कितना भरोसा है मुझ पर? मैंने कहा- तेरे घर पर कोई नहीं दिख रहा है, सब कहाँ गए? वो बोली- पापा काम पर गए हैं, रात के नौ बजे आएंगे. मम्मी और भाई बाइक से मामा के घर गए, वे दोनों कल सुबह आएंगे. अभी आधे घण्टे में मेरे दोस्त भी आते होंगे, आज हमारे पास पूरे 8 घण्टे हैं… खूब एन्जॉय करेंगे.
तभी डोर बेल बजी, अल्का ने दरवाजा खोला, दो लड़के बाहर खड़े थे. एक लंबा था करीब 24 साल का और एक 19 साल का था. दोनों हैंडसम बंदे थे. वे अन्दर आए और दरवाजा बंद करके सोफे पर बैठ गए. मुझे देखकर दोनों अचानक से डर गए थे. वे मुझे ऐसे देख रहे थे कि जैसे उन्हें पता ही ना हो मैं यहाँ क्यों हूँ. पर मैं बैठी रही.
अल्का ने कहा- दिनेश और विजय… ये मेरी फ्रेंड माया है… और ये अभी सील पैक है. इसे वो सील तुड़वाकर खाता खुलवाना है. फिर वो मुझसे मुखातिब हुई- माया… ये दिनेश है मेरा बॉयफ्रेंड और ये उसका दोस्त विजय है… छोटा है इसने अभी किसी लड़की को छुआ भी नहीं है. ये तेरा है… और दिनेश मेरा है. अब सब शरमाओ मत और रोमांस चालू करो. यह कहकर अल्का दिनेश के पास जाकर बैठ गई और विजय को बोली कि मेरे पास जाकर बैठे.
विजय चुपचाप मेरे पास आकर बैठ गया. अल्का ने दिनेश को बांहों में भर लिया और अपने कपड़े उतारने लगी. वो उसकी पेन्ट की जिप खोलने लगी और मेरी तरफ देखा और बोली- शुरू करो दोनों… हमें फॉलो करते जाओ. शरमाओ मत… यह कह कर उसने मुझे आँख मारी और दिनेश का लंड निकाल कर चूसने लगी. उसका लंड फिलहाल बिल्कुल ढीला था.
मैंने भी हिम्मत की और विजय के पास बैठ गई. विजय बिल्कुल मासूम लड़का था, वो मुझे देख रहा था. मैंने उसको बाँहों में भर लिया और चूमने लगी. वो भी गर्म होने लगा, मुझे चूमने लगा. फिर मैंने उसकी पेन्ट के ऊपर से हाथ फेरा… तो लंड का नाप निकाला. उसका लंड करीब 6 इंच का होगा. मैंने उसकी जिप खोली और अंडरवियर में हाथ डालकर उसका लंड निकाल लिया. उसका लंड एकदम लोहे जैसा कड़क था.
मैं नीचे बैठ कर अल्का की तरह मुँह में लंड भर कर चूसने लगी. उधर दिनेश का लंड भी अल्का ने चूस चूस कर खड़ा कर दिया था. उसका लंड करीब 8 इंच का तो होगा ही. मैं भी विजय का लंड चूसती रही और वो भी मेरे सर पर प्यार से हाथ फेरता रहा.
उधर अल्का पूरा लंड निगल जाती और लंड के नीचे के आंड भी मुँह में भर लेती. मैं भी पूरा लंड लेने का ट्राय करती, पर मुँह पूरा खुलता ही नहीं था. मैं विजय के आंड मुँह में भरकर चूसती तो उसकी ‘आह्ह आह्ह…’ सुनकर मुझे भी अच्छा लगता. उसका लंड का स्वाद मुझे बहुत अच्छा लगा तो मैंने पूरा मुँह में लेने की फिर से कोशिश की.
अब तो विजय भी मेरे मुंह को चोदने लगा था और उसका पूरा लंड मेरे मुँह में गले में छूने लगा था. कुछ ही पलों में उसने मेरे मुँह को अपने लंड पर दबा दिया, उसका वीर्य मेरे गले में उतऱ गया. मुझे जोर से खाँसी आ गई और तभी बेचारा विजय डर गया, उसने झट से पानी का जग भरकर मुझे दिया. मैंने पानी पिया और फिर से उसका लंड पकड़ लिया.
ये देख कर दिनेश और अल्का हम दोनों पर हँसने लगे.
अब अल्का पलंग पर लेट गई और दिनेश उसका नाड़ा खोलने लगा. इधर मैं भी पलंग पर लेट गई. विजय ने पहले मेरे मम्मों को चूसा और दबाने लगा. मुझे किस करने लगा, मुझे इतना मजा आ रहा था कि उसका वर्णन में किसी को बता नहीं सकती. मेरी चूत में से चिपचिपा सा पानी निकलने लगा और मेरी चूत में जलन होने लगी. विजय मुझे मसल रहा था, मुझे भी मजा आ रहा था.
फिर उसने मेरा नाड़ा खोला और मेरी प्यारी सी चूत को देखने लगा. मेरी चिकनी चुत पर हाथ फेरने लगा. वो बोला- लगता है तुमने पहले से चुत चुदवाने की तैयारी कर ली है. फिर वो मेरी चूत पर मुँह लगाकर चाटने लगा तो मुझे स्वर्ग सी अनुभूति होने लगी. मुझे इतना मजा आ रहा था कि पूछो ही मत. जब भी वो अपनी जीभ मेरी चुत के अन्दर तक डालता, मुझे अपनी चूत में बहुत जलन सी होती थी ‘आह्ह आह्ह और अन्दर तक डालो… आह्ह आह्ह और डालो…’
मैं उसके मुँह पर मेरी चूत दबाकर अपनी चूत रगड़ती हुए सिसयाने लगी- आह्ह मर गई आह्ह विजय चोद दो मुझे फाड़ दो मेरी चूत… विजय अह्ह्ह आह्ह मर गई… आह्ह… हमें देखकर फिर से अल्का और दिनेश हँसने लगे. अल्का बोली- बराबर है… खेल चालू रखो. हमें ऐसा करते हुए कुछ मिनट हुए. मुझे मेरी चूत में एकदम से मचलन सी होने लगी… जैसे अन्दर किसी ने माचिस की जली हुई तीली फेंक दी हो. मैं बोली- आह… जल्दी करो विजय. मैंने उसका लंड पकड़ लिया और कहा- जल्दी डाल लंड… वरना मैं मर जाउंगी.
उसने मेरी चूत पर थूक लगाया और लंड चूत पर सैट करके धक्का दे दिया. पर लंड चूत में गया ही नहीं… साला फिसल गया. मैं बोली- जल्दी डाल… मुझे अन्दर बहुत जलन हो रही है. उसने फिर से मेरी चूत पर ढेर सारा थूक लगाया… अपने लंड को फिर से सैट किया और जोर से धक्का मार दिया. अबकी बार उसका दो इन्च लंड मेरी चूत में घुस गया. मेरी चीख निकल गई. अल्का शायद इसी चीख का इन्तजार कर रही थी. उसने मेरा मुंह दाब दिया.
मैंने अपनी कमर हिला कर लंड निकाल दिया और अपनी चूत पर हाथ फेरने लगी. काफी खून निकला मेरी चूत से… उसने फाड़ दी थी. अल्का ने मेरे हाथ भी पकड़ लिए और बोली- थोड़ी देर दर्द होगा फिर जिंदगी में कभी नहीं होगा. मैंने रोते हुए अल्का से कहा- मुझे भी लंड अन्दर तक चाहिये पर मेरी चूत बहुत छोटी है, दर्द कर रही है. अल्का बोली- जैसा मैं कहती हूँ… सब वैसा करो. माया तुझे मुझ पर भरोसा है ना… मैं जैसा कह रही हूँ तू वैसा कर. अपने आपको ढीला छोड़. दिनेश तुम माया के पैर पकड़ लो, विजय तुम जोर से पेलो… पूरा लंड एक ही झटके में चला जाना चाहिये. मैं इसके हाथ और मुंह पकड़ती हूँ.
फिर ‘1… 2… 3…’ बोल कर जैसे ही विजय ने अपना लंड जोर से डाला, लंड मेरी चूत को चीरता हुआ पूरा घुस गया. मेरी हालत ऐसी थी कि मैं कुछ कर नहीं सकती थी. मेरी आँखों से आंसू आने लगे. अल्का बोली- माया हिम्मत रखो सब लड़कियों को, सब महिलाओं को यहाँ तक तुम्हारी और मेरी दादी नानी तक का यह समय आया था. अल्का बोली- विजय लंड डालकर पड़े रहो… अभी हिलना नहीं.
थोड़ी देर बाद दर्द कम होने लगा. फिर अल्का ने मुँह छोड़ दिया, मेरे पैर छोड़ दिये गए, हाथ छोड़ दिए. मुझे बिल्कुल दर्द बंद हो गया. विजय का लंड अभी मेरी चूत में ही था. मैंने धीरे से कमर हिलाई.
फिर क्या था… मैंने बोला- अब लंड डाल कर आगे पीछे कर… ‘तुझे कैसा लग रहा है?’ ‘अब दर्द नहीं, जलन हो रही है… ‘जो टूटना था सो टूट गया. अब किस बात का डर है… मजा ले.’
कुछ ही धक्कों बाद मैं विजय से बोली- तू नीचे हो… मैं ऊपर होऊंगी. मुझे जहाँ तेरा लंड चाहिए… मैं कर लूँगी. मैंने उसको ऊपर होकर अपनी चूत पर थूक लगाया और चूत टिका कर बैठ गई और अपनी गांड हिलाने लगी.
उसका पूरा 6 इंच का लंड अपनी चूत में अन्दर लेने लगी मुझे जहाँ पर जलन हो रही थी मैं लंड से खुजली सी मिटवानी लगी. अब तो मेरी बच्चेदानी से लंड टकराता तो मुझे स्वर्ग सा अनुभव हो रहा था. तभी मुझे अपने अन्दर कुछ कटता सा महसूस हुआ शायद मेरा स्खलन हुआ था, इसी के साथ विजय की पिचकारी ही छूट गई.
अब मेरी चूत को ठंडक मिली, मुझे परम शांति का अनुभव हुआ.
पूरे दिन चुदाई का मजा बार बार लिया. फिर 7 बजे वो लड़के अपने घर चले गए.
अल्का बोली- मजा आया माया. माया तुझे पता है तूने लगातार 6 घंटे चुदाई का मजा लिया. मेरी चाल बदल गई थी. मुझे अल्का ने एक पेनकिलर दी ओर एक आईपिल दी. उसने कहा कि थोड़ी देर और बैठ जा फिर जाना. थोड़ी देर बाद दर्द खत्म हुआ और मैं घर आ गई, किसी को पता भी नहीं चला.
जल्द ही मेरी अगली चुदाई की कहानी लिखूंगी जो मेरी और मेरे सगे भाई जिगर, जो कि थोड़ा सा भोला (मंदबुद्धि) है के बीच की है. [email protected]
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