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अब तक आपने पढ़ा कि कैसे रूपा ने सचिन को उसकी बहन के कमरे में सोने में उसकी सहायता की और फिर सचिन ने छिप छिप के पीछे से अपने जीजाजी की उपस्थिति में अपनी बहन के साथ मस्ती की और बाद में उठने का नाटक करके रूपा के कमरे में गया और वहां उसकी गांड मारने की कोशिश की। अब आगे…
सुबह सचिन की आँख जल्दी खुल गई। इतनी भी नहीं कि सबसे पहले वही उठा हो, लेकिन रूपा अभी भी सो रही थी। सचिन ने अपने शॉर्ट्स पहने और दरवाज़ा खुला छोड़ कर बाहर चला गया। रूपा अपने पेट के बल औंधी पड़ी बिस्तर पर मदमस्त नंगी सो रही थी। और उसको कमरे के बाहर से भी देखा जा सकता था। ये बात और थी कि अभी कोई देखने वाला था नहीं।
सोनाली नाश्ता बना कर नहाने चली गई थी, और पंकज क्लिनिक जाने के लिए तैयार हो कर अभी नाश्ता करने बैठा ही था। सचिन भी डाइनिंग टेबल पर जा कर बैठ गया।
सचिन- गुड मॉर्निंग जीजाजी। पंकज- गुड मॉर्निंग साले साहब… आज जल्दी उठ गए, रात को जा कर सीधे सो गए थे क्या? सचिन- क्या फर्क पड़ता है… आप तो देखने नहीं आये न? पंकज- मज़ाक कर रहा था यार। हाँ लेकिन दोनों मिल कर इन्वाइट करोगे तो आ सकते हैं।
सचिन- बुरा ना मनो तो एक बात कहूँ? माना, आप आधुनिक ख्याल के हो लेकिन फिर भी ये कुछ ज़्यादा नहीं है? पंकज- इसका आधुनिक ख्यालों से कोई लेना देना नहीं है। ये सब कायदे क़ानून हमारे जैसे लोगों ने ही बनाए हैं। और शायद आम नासमझ लोगों की भलाई के लिए ही बनाए हैं, लेकिन एक तो हम आम नासमझ लोग नहीं हैं और दूसरा हमको सही गलत में फर्क करना आता है।
सचिन- मैं आपसे सहमत हूँ, लेकिन दुनिया के हिसाब से तो भाई बहन के बीच ये सब गलत है न? पंकज- इतिहास उठा के देख लो या धर्मग्रन्थ तुमको इस से कहीं ज़्यादा मिल जाएगा। बाइबिल में बताया गया है कि लॉट की दो बेटियों ने उसे शराब पिला कर उसके साथ सेक्स किया और बच्चे पैदा किये। बाइबिल ने बाद में समझाया भी है कि ये गलत था। वेदों को देखो तो यम की जुड़वाँ बहन यमी ने उसको कहा था कि वो यम से एक बच्चा पैदा करना चाहती है लेकिन यम ने मना कर दिया था। उन दोनों में जो बहस हुई थी वो पढ़ोगे तो समझ आएगा कि क्यों गलत है।
सचिन- आपने ये सब पढ़ा है? पंकज- थोड़ा बहुत! विवादास्पद विषय थे, तो पढ़ लिए थे। वैसे भी एक डॉक्टर होने के नाते मैं कह सकता हूँ, कि पास के रिश्ते में बच्चे पैदा करना गलत है। मानसिक स्वास्थ्य के हिसाब से अपनी माँ-बहन को वासना की नज़र से देखना भी गलत है। लेकिन अब तुम बताओ? गलत तो रिश्वत देना भी है, फिर भी हर कोई ट्रैफिक हवलदार को सौ का नोट पकड़ा कर आगे बढ़ता है या नहीं?
सचिन- हाँ लेकिन वो तो छोटी-मोटी गलतियाँ होती हैं। पंकज- बिल्कुल सही! इस मामले में भी छोटी मोटी गलतियाँ चल जाती हैं। अगर कोई बिना जोर जबरदस्ती के कोई छोटी मोटी मस्ती कर ले तो क्या बुरा है? वो भी तब, कि जब आग दोनों तरफ बराबर लगी हो। इसीलिए तो कहा था ना, अगर तुम दोनों मिल कर बुलाओगे तो आ जाएंगे।
तभी रूपा भी वहां आँखें मलते हुए आ पहुंची। उसने पंकज की आखिरी वाली बात सुन ली थी। उसके पूछने पर सचिन ने संक्षेप में सारा किस्सा बता दिया। रूपा कुछ नींद के नशे में थी और कुछ सेक्स की मस्ती चढ़ी हुई थी। रूपा- ऐसी बात है तो ठीक है। आज रात को हमारे समागम कार्यक्रम में आप और भाभी सादर आमंत्रित हैं।
सोनाली भी अभी अभी नहा कर वापस आई थी। उसने बहुत सेक्सी, पट्टियों वाली ड्रेस पहनी थी। घुटनों के ऊपर तक की मिनी ड्रेस थी। यूँ तो उस ड्रेस कि सारी पट्टियाँ पास-पास होने से पूरे शरीर को पूरी तरह ढके हुए थीं, लेकिन वो आपस में जुडी हुई नहीं थीं। बस बाजू से दो डोरियों के साथ सिली हुई थीं। मतलब अगर कोई २ पट्टियों के बीच हाथ डाले तो अन्दर का नंगा बदन छू सकता था। यहाँ तक कि झुकने या आड़े तिरछे बैठने पर अन्दर की झलक भी मिल सकती थी। सचिन तो उसे बिना पलकें झपकाए देख रहा था, कि कम कोई पट्टी सरके और उसे अन्दर की झलक मिले।
सोनाली- किस बात का आमंत्रण दे रही हो हमें रूपा? पंकज- अरे यार, वो रात को मैंने मजाक में बोल दिया था ना, कि तुमने हमको देखा तो हम भी तुमको देखने आयेंगे, उसी बात को इन लोगों ने खींच कर इतना बड़ा कर दिया।
सोनाली- अरे ना बाबा! आमंत्रण तो हमको देना है। आज तो पार्टी हमारे बेडरूम में होगी। कल छुट्टी है तो सुबह जल्दी उठने का टेंशन नहीं है, तो आज ड्रिंक्स और ताश की पार्टी होगी। सही है ना पंकज? पंकज- हाँ हाँ, क्यों नहीं? लेकिन छुट्टी कल है आज नहीं। मैं निकलता हूँ अब।
इतना कह कर पंकज चला गया। सोनाली ने सचिन और रूपा को भी फ्रेश होने भेज दिया। इतने बेशरम तो हो ही गए थे कि अब साथ नहाने जा सकते थे। सचिन का लंड तो वैसे ही सोनाली की ड्रेस देख कर खड़ा था, उसने रूपा को शॉवर में जी भर के चोदा फिर दोनों बाहर आ गए।
रूपा ने भी एक सेमी-ट्रांसपेरेंट टॉप और मिनी-स्कर्ट पहन ली थी। उसने खास तौर पर सचिन को ललचाने के लिए अपनी स्कर्ट ऊपर करके दिखाई थी, कि उसने अन्दर पैंटी नहीं पहनी थी। उसकी टॉप देख कर तो कोई भी कह सकता था कि उसके अन्दर ब्रा भी नहीं थी।
सोनाली किचन में व्यस्त थी और रूपा-सचिन बाहर टीवी देखने लगे। सचिन से रहा ना, गया उसने रूपा को खड़ा किया और अपने शॉर्ट्स को नीचे और उसकी स्कर्ट को ऊपर किया। सचिन ने अपने लंड पर थूक लगा कर एक बार में पूरा लंड रूपा की चूत में उतार दिया। एक दो धक्के लगाए ही थे कि रूपा ने रोक दिया।
रूपा- यार देखो! चोदना है तो फिर रुकना मत चाहे दीदी आये या भैया मैं फिर यहीं पूरी चुदाई करवाऊँगी। हिम्मत है तो चोदो, नहीं तो रहने दो। सचिन- लेकिन यार, तू इतनी सेक्सी लग रही है कि कण्ट्रोल नहीं हो रहा। एक काम करता हूँ, तू टीवी देख और जब तक खाना नहीं बनता, तब तक मैं किचन में दीदी से बात करता हूँ।
इतना कह कर सचिन किचन में चला गया। सच कहें तो ये बस एक बहाना था। किचन में जाते ही सचिन, सोनाली के पीछे जा कर खड़ा हो गया, फिर उसने अपने हाथ सोनाली की ड्रेस के सामने वाले हिस्से से अन्दर डाले और उसके दोनों स्तनों को अपने हाथों में पकड़ कर मसलने लगा। थोड़ी देर बाद उसने एक हाथ से सोनाली की ड्रेस थोड़ी ऊपर की और अपना पहले से तना हुआ गीला लंड सोनाली की चूत पर टिका दिया।
सचिन- डाल दूँ? सोनाली- क्या यार! पहली बार चोद रहे हो वो भी ऐसे। मैंने तो क्या क्या सपने देखे थे, कि भैया के साथ सुहागरात मनाऊँगी। सचिन- अरे यार! कल दोपहर से अब तक हम सब कुछ कर चुके हैं लेकिन बस चुदाई ही नहीं की; अब मुझ से रहा नहीं जा रहा।
सोनाली- अभी पता नहीं खुल्लम खुल्ला कितना चोद पाओगे। पता चला अधूरा छोड़ना पड़ा। अगर पकड़े गए तो और भी मज़ा किरकिरा होगा। सचिन- चिंता ना करो दीदी, रूपा को मैंने पटा लिया है। उसको हमारी चुदाई से कोई शिकायत नहीं होगी। सोनाली- हाँ हाँ, पता है। वो तो खुद अपने भाई के नाम की उंगली करती है चूत में, उसे क्या शिकायत होगी। लेकिन छिप छिप कर अपने भाई से चुदवाने का मजा ही अलग है।
सचिन- अभी कौन सा किसी के सामने चुदवा रही हो दीदी, अभी भी चुपके चुपके ही है। रूपा यहाँ नहीं आएगी, लेकिन आपको कैसे पता कि उसको अपने भाई से चुदवाना है? सोनाली- मैंने देखा है उसे, चूत में उंगली करते हुए। भैया-भैया बडबड़ाती रहती है। सचिन- तो मिलवा दो ना प्यासे को कुँए से। इसी बहाने हमारा भी रास्ता साफ़ हो जाएगा। सोनाली- आज रात पार्टी में कुछ जुगाड़ लगाते हैं। तुझे खुल्लम खुल्ला करने का शौक चढ़ा है ना…
इस बात पर दोनों बहुत उत्तेजित हो गए सोनाली पहले ही पीछे गर्दन घुमा कर बात कर रही थी, सचिन भी थोड़ा झुका और अपनी बहन के होंठों से होंठ जोड़ दिए। दोनों की आँखें बंद हो गईं और जीभें कुश्ती लड़ने लगीं। थोड़ी देर तक ऐसे तीव्र चुम्बन के बाद जब साँस लेने के लिए अलग हुए तो…
सोनाली- डाल दे… चोद दे अपनी बहन को यहीं पर… इतना सुनते ही सचिन ने एक धक्का दिया और href=”https://www.antarvasnax.com/bhai-bahan/bahan-ki-choot-mein-lund-ghusa-kar-behan-ki-chudai-kar-di-part-1/” target=”_blank”>बहन की चूत में लंड टिका कर चूत की गहराइयों में सरसराते हुये उतार दिया। उधर सचिन ने सोनाली के चूचुकों को सहलाना और मसलना भी शुरू कर दिया था।
काफी देर तक सचिन उसे ऐसे ही चोदता रहा। आखिर जब दोनों झड़ने की कगार पर थे, तो एक बार फिर दोनों के होंठ जुड़ गए। दोनों आनंद के अतिरेक पर सिसकारियां भर रहे थे लेकिन उनकी आवाजें अनके चुम्बन में घुट गई थीं… ऊम्म… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आईईईई… ओह्ह!
आखिर झड़ते-झड़ते, सोनाली की चीख निकल ही गई। सचिन के लंड ने इतना वीर्य छोड़ा था, कि सोनाली की चूत से बह निकला और दोनों का मिला जुला रस उसकी एड़ी तक जा पहुँचा था। इनकी आवाज़ बाहर रूपा तक जा पहुंची थी।
रूपा- क्या हुआ भाभी?… रूपा ने कमरे से ही चिल्लाते हुए पूछा। सचिन- कुछ नहीं! दीदी का हाथ जल गया था। मैंने जेली लगा दी है। ठीक हो जाएगा।
सचिन ने तुरंत पेपर नैपकिन के रोल से एक हिस्सा लिया और सोनाली की एड़ी से लेकर उसकी चूत तक पोंछ दिया और फिर उसे सोनाली को दिखाते हुए जोर से सूंघा।
सचिन- जेलीऽऽऽ! वो धीरे से लेकिन संगीतमय अंदाज़ में बोला, और दोनों दबी दबी हँसी में हँस दिए.
जल्दी ही दोनों खाना लेकर डाइनिंग टेबल पर आये और सब खाना खाने लगे। रूपा इतना तो समझ गई थी कि सोनाली का हाथ नहीं जला था लेकिन उसने ये नहीं सोचा था कि सचिन ने उसे चोद ही दिया होगा। अभी सबके दिमाग में जो चल रहा था वो बड़ा रोचक था।
आज शाम की पार्टी में पंकज और रूपा कोशिश करने वाले थे कि वो सचिन और सोनाली को चुदाई के लिए उकसाएं। दूसरी तरफ सोनाली और सचिन, रूपा को पंकज से चुदवाने की कोशिश करने वाले थे। सोनाली तो जानती थी, कि पंकज पहले से ही बहनचोद है लेकिन सचिन की इच्छा पूरी करने के लिए, वो भी सचिन के साथ, रूपा को पंकज से चुदवाने में सचिन की मदद करने वाली थी।
खाना खाते-खाते सब अपने मन ही मन शाम की योजना बनाने में लगे हुए थे। बातें बहुत ही कम हो रहीं थीं लेकिन ये तूफ़ान के पहले की शांति थी। वो तूफ़ान जो अभी सबके मन में था, और जल्दी ही बाहर आ कर इन चारों की ज़िन्दगी ही बदल देने वाला था।
दोस्तो, आपको यह भाई बहन की छिप छिप कर मस्ती और चुदाई करने की कहानी कैसी लगी आप मुझे ज़रूर बताइयेगा।
आपका क्षत्रपति [email protected]
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