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प्रिय अन्तर्वासना पाठको नवम्बर 2017 में प्रकाशित हिंदी सेक्स स्टोरीज में से पाठकों की पसंद की पांच बेस्ट सेक्स कहानियाँ आपके समक्ष प्रस्तुत हैं…
रियल सेक्स स्टोरी पड़ोसन को स्कूटी सिखा कर चोदा-2 से आगे: थोड़ी देर में बाथरूम से होते हुए सुमन मेरे पास आ गई. हम साथ साथ लेट गए. सुमन ने नाईट गाउन पहना था. हमने जम कर चुदाई का दौर चलाया. मैंने दो बार सुमन को चोदा, परंतु मेरा सारा ध्यान स्वीटी की उभरी हुई चूत में ही था. लगभग एक बजे सुमन अपने कमरे में चली गई.
अगले दिन सायं को जब घर आया तो स्वीटी का मूड ऑफ था. पता चला कि वह फ़िल्म देखने जाना चाहती है. मैंने कहा- थोड़ा पढ़ाई करते हैं, फिर फ़िल्म देख आना. उसने कहा- ठीक है.
मैं उसके कमरे में चला गया, इधर उधर की बातें की, उसका पढ़ाई में कोई ध्यान नहीं था. उसने वही छोटी चिपकी हुई निक्कर डाल रखी थी. मैंने एक टीशर्ट और लोअर डाल रखा था. लोअर में स्वीटी को मेरे लंड की हरकत साफ़ नज़र आ रही थी.
मैंने बातों बातों में उसका मोबाइल फ़ोन उठाया और गैलरी में फ़ोटो देखने लगा. एक मरियल से लड़के की फ़ोटो कई जगह दिखाई दी तो मैंने पूछा- ये तुम्हारा बॉयफ्रेंड है? उसने कहा- हाँ, मेरा बॉय फ्रेंड है. मैंने कहा- स्वीटी, बुरा मत मानना, कहाँ यह कार्टून सा लड़का और कहाँ तुम हुस्न का जलवा. तुम्हें और कोई नहीं मिला? उसने जवाब नहीं दिया बस नीची आँखें करके बैठी रही.
मैंने उससे कहा- यदि तुम चाहो तो आज मैं तुम्हें पिक्चर दिखा लाऊँ, परंतु डरता हूँ कहीं तुम्हारा बॉय फ्रेंड बुरा न मान जाए. स्वीटी एकदम बोली- वो कौन होता है बुरा मानने वाला! मैंने कहा- ठीक है, 7 बजे का शो देख कर आते हैं. मैंने साथ के पिक्चर हाल की, दो टिकटें लास्ट में, कॉर्नर की देख कर नेट पर बुक की.
मैंने सुमन को बताया कि हम दोनों पिक्चर जा रहे हैं. खाना आकर खाएंगे.
हम सिनेमा हाल में पहुंचे. हमारी लास्ट की लाइन थी, जो सारी खाली पड़ी थी. पिक्चर शुरू होते ही रोमांटिक सीन आने लगे. मैंने धीरे धीरे अपना हाथ स्वीटी के हाथ से टच कराया. उसने कोई प्रतिरोध नहीं किया. मैंने धीरे से उसका नर्म हाथ अपने हाथ में ले लिया. वह मौन स्वीकृति देती रही.
मैंने धीरे से उसका हाथ उठा कर अपनी गोद में खड़े लंड पर रख दिया.
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हम सब दोस्त बैठे पेग शेग लगा रहे थे कि तभी एक दोस्त ने कहा- यार आज मौसम बड़ा अच्छा, दारू पीने का भी बहुत मज़ा आ रहा है, ऐसे में अगर साथ में एक रंडी चोदने को मिल जाए, तो मज़ा और भी दुगना चौगुना हो जाए.
उसकी बात सुन कर सबके कच्छे टाईट हो गए. हम सब 4 दोस्त थे, तो सबने मिल कर सलाह बनाई कि अगले शुक्रवार यह बहाना बना कर घर से निकलेंगे कि चंडीगढ़ हैड ऑफिस में कोई ज़रूरी काम है, और अपने बॉस को चंडीगढ़ के फाइव स्टार होटल में पार्टी देनी है, इसलिए देर बहुत हो जाएगी, अगर लेट हो भी गए तो अपने दोस्त का घर है वहाँ पे, वहीं पे सो जाएंगे ताकि रात को ड्राइव करने से भी बचा जा सके.
पूरा प्रोग्राम बना कर हम सब चंडीगढ़ नहीं, बल्कि पंचकुला गए, वहाँ पे हमारा एक और दोस्त था, जिसे हमने सारी ज़िम्मेवारी सौंपी थी. वो हमें एक बढ़िया होटल में लेकर गया.
अभी शाम के 5 बजे थे, तो हम सबने सलाह की कि अभी नहीं करेंगे, पहले सिर्फ एंजॉय करेंगे, ठोकाठाकी रात को डिनर के बाद ही करेंगे. ए सी को फुल कूलिंग पे चला दिया, टीवी पर गाने लगा लिए. खाने पीने का इंतजाम हमने नीचे फर्श पर ही किया था, ताकि हर कोई खुल्ला होकर आराम से बैठ सके.
अभी हमने एक एक गिलास बीयर पिया ही था कि दरवाजे पे दस्तक हुई. सतीश ने दरवाजा खोला तो बाहर एक 24-25 साल की सुंदर सी लड़की खड़ी थी. उसने पूछा- मिस्टर रोहन? विजय झट सो बोला- हाँ हाँ, रोहन आइये. वो अंदर आ गई.
24 साल की मंजीत नाम की वो लड़की, अभी उसकी शादी नहीं हुई थी, किसी प्राइवेट फर्म में जॉब करती थी. रंग बहुत गोरा, बदन पतला मगर फिर भी भरपूर गदराया हुआ, सपाट पेट, पेट के ऊपर दो उन्नत, गोल मम्मे, पेट के नीचे कटावदार कमर, मजबूत दिखने वाली जांघें. कद कोई 5 फीट 6 इंच. लंबी सी चोटी जो उसके चूतड़ों तक झूल रही थी. गालों पर गुलाबी रंगत. सफ़ेद कुर्ता और हरे रंग की लेगिंग, हरे रंग की ही चुनरिया.
रूम के अंदर आ कर वो हमारे सामने आई, तो हम सब ने हाथ मिला कर उसका स्वागत किया. उसने सेंडिल उतारी और हम सब के साथ ही बैठ गई. उसके एक तरफ मैं, दूसरी तरफ विजय, और रोहन और सतीश सामने बैठे थे.
“तो आप लोगों ने पहले ही पार्टी शुरू कर दी.” अपनी मीठी आवाज़ में वो बोली. हम सब “हे हे हे” करके हंस दिये.
सतीश बोला- दरअसल आपके आने से पहले हम थोड़ा माहौल बना रहे थे और एक एक बीयर से थोड़ी हिम्मत जुटा रहे थे. वो बोली- अरे आपको हिम्मत की ज़रूरत, आप चार हो, हिम्मत तो मुझे चाहिए, मैं तो अकेली हूँ.
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मैं बहुत हॉट एंड सेक्सी हूँ. और मॉडलिंग में बहुत पैसे हैं. तो इस पैसे के चक्कर में मैं मॉडल बनना चाहती थी. सेक्स तो मैं खुल कर कर लेती थी.
मैंने बहुत मॉडलिंग एजेंट्स ढूंढे. एक दिन मुझे एक सही सा एजेंट मिल ही गया. उसने कहा- तुम्हें मॉडल बनना है तो… शार्टकट तरीका लेना होगा. मैंने बोला- अच्छा?
एजेंट बोला- तुम्हें तो पता ही होगा कि अगर मॉडल बनना चाहती हो तो कुछ देना भी पड़ता है. मैंने बोला- क्या? पैसे? एजेंट ने बोला- नहीं तो… मैंने बोला- एक्सक्यूज मी? एजेंट ने बोला- तुम्हें कुछ लोगों के साथ सोना होगा. तभी मैं कुछ कर सकता हूँ. तो तुम रेडी हो? मैंने बोला- ठीक है. देखते हैं. एजेंट ने बोला- टॉप की मॉडल बनेगी तू… पैसा भी बहुत मिलेगा. बस हमें खुश करना होगा.
मैंने सोचा ‘सेक्स करने में क्या है… वैसे भी मैं काफी लोगों के साथ सो तो चुकी हूँ. मैंने बोला- ओके… कोई प्रॉब्लम नहीं है… पर कंडीशन्स क्या हैं? एजेंट ने बोला- पहले तुम्हें मुझे खुश करना होगा, तुम्हारी क्सक्सक्स वीडियोस बनेंगी, वो xxx वीडियोज मैं आगे प्रोड्यूसर और डायरेक्टर को दूँगा. अगर उन्हें वो ब्लू फिल्म वीडियोज पसन्द आई तो तुम्हें उन्हें भी खुश करना होगा. और फिर तेरी लाइफ सेट… यह पूरी सेक्स कहानी लड़की की मधुर सेक्सी आवाज में सुनें!
पूरी कहानी यहाँ सुनिए…
आपने पिछले भाग में पढ़ा कि मेरे मामा ने कैसे मेरी चुदाई किचन में की, खड़े खड़े चुदाई के बाद हम दोनों इतने थक चुके थे कि चुदाई पूरी होते ही एक दूसरे के बाहों में गिर गये, 5 मिनट यों ही हम दोनों एक दूसरे से लिपटे रहे, फिर हम दोनों ने एक दूसरे के कानों में अपनी अपनी ख्वाहिश बताई.
कुछ पल के बाद हम दोनों एक दूसरे से अलग हो गये, जब अलग हुए तो मेरी नज़र मामा के लंड पर गयी जो एकदम सुकड़ गया था काले खजूर के जैसे. मामा जल्दी से फ्रेश होने बाथरूम चले गये, मैं भी बर्तन धोने लगी.
बर्तन धोने के बाद मैं फ्रेश होने बाथरूम चली गयी, मैंने अच्छे से अपनी चूत की सफाई की, उसके बाद किचन में मामा जी के लिए चाय नाश्ता बनाने लगी. हमने एक साथ नाश्ता किया.
अब मामा मामा जी को कोचिंग जाना था, जाते वक़्त मामा जी मुझे अपनी बाहों में भर कर किस करने लगे, जाते जाते मामा बोल गये- याद है ना कल रात का वादा? मैं बोली- हाँ याद है अच्छी तरह से! और आप को भी मेरी ख्वाहिश पूरी करनी है याद रखिएगा. और हाँ, आज के लिए तो कोई नयी वीडियो नहीं दी आपने? मामा जी बोले- नहीं, आज के लिए कोई वीडियो नहीं है. फिर मैंने मामाजी के गाल पे किस की और वो चले गये.
अब मैं रूम में अकेली थी, मेरी मन में एक ही बात आ रही थी कि आज तो मामा मेरी गांड को नहीं छोड़ेंगे. मैं मामा को वादा कर बैठी थी कि आज रात गांड मारने दूँगी. मुझे थकावट से महसूस हो रही थी शायद कुछ देर पहले ही चुदी थी इसलिए, मैंने सोचा कि कुछ देर टी वी देख लूँ ताकि मेरी बदन को थोड़ा आराम मिल जाए. टी वी देखते देखते मेरी आँख लग गयी, नींद खुली तो दिन के दस बज चुके थे.
मेरी चूत के अंदर फिर से पानी भरने लगा था, मुझ में थोड़ी थोड़ी हिम्मत आने लगी थी, मेरी मन में एक ही ख़याल आ रहा था कि आज गांड मरवानी है और उसकी तैयारी भी करनी है. मैं सोचने लगी कि कैसे मैं अपनी गांड का छेद बड़ा करूँ, बार बार मेरी आँखों के सामने मामा जी के लंड की मोटाई ओर लंबाई आ जाती थी, ये सब सोच कर मेरी चूत में गुदगुदी से होने लगी, मैं सोचने लगी कि क्यू ना बैंगन वाला ही तरीका अपना लूँ.
मैं झट से बाड़ी में गयी और मामा के लंड से थोड़ी पतली वाली बैंगन खोजने लगी, मैं भी नहीं चाहती कि मेरी गांड का छेद इतना खुल जाए कि मामा को मज़ा ना दे पाऊँ. बहुत खोजने के बाद तीन बैंगन मिली जो मामा के लंड से थोड़ी पतली और लंबाई और थोड़ी कड़क मिली, मैं झट से घर में लाई और दरवाजा बंद कर दिया.
जल्दी से मैंने अपनी शॉर्ट्स और पेंटी निकाल दी और मोबाइल पे वीडियो देखने लगी. धीरे धीरे मुझमें रोमांच भरने लगा, चूत के अंदर चींटियाँ काटने लगी, मुझे लगने लगा कि यही मौका है बैंगन को गांड मैं घुसाने की कोशीश करने का, जल्दी से मैं मामा वाली वेसलिन ले आई और ढेर सारी वेसलिन बैंगन पे लगाई, थोड़ी सी अपनी गांड का छेद पे भी लगा ली.
अब मैं सोचने लगी कि बैंगन को गांड में डालूँ तो डालूँ कैसे…
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आप सबने मेरी पिछली कहानी पड़ोस वाला जीजा साली सेक्स के लिए बेचैन पढ़ी होगी. आज की मेरी यह कहानी उसी कहानी के आगे की है.
तो नीलेश जीजू से चुदने के बाद जब मैं घर आई तो बार बार आज की चुदाई के नजारे मेरी आँखों के सामने आ रहे थे, जीजू द्वारा की गई चुदाई को मैं भूल नहीं पा रही थी उस चुदाई के बाद एक दो बार ओर जीजू ने मेरी चुदाई की पर अब बार बार जीजू ऑफिस से छुट्टी नहीं ले सकते थे इस लिए अब मेरी चूत की पूरी चुदाई नहीं हो पा रही थी. मुझे अपनी चूत चुदवाने की तलब सी लगी रहती थी लेकिन कोई लंड मेरी चूत को मिल नहीं रहा था.
फिर एक दिन रात के करीब 12:30 बजे जीजू का मुझे फ़ोन आया, मुझे थोड़ा अजीब लगा कि जीजू इतनी रात में मुझे फ़ोन क्यों कर रहे हैं. जब मैंने फ़ोन उठाया तो जीजू ने कहा- रोमा, क्या कर रही हो? क्या तुम अपने घर की छत पर आ सकती हो? मैंने उनसे पूछा- क्यों जीजू, क्या हुआ? आप मुझे इतनी रात में छत पर बुला रहे हो, सब ठीक तो है ना? उन्होंने कहा- रोमा, सब ठीक है, तुम छत पर आओ तुम्हारी बहुत याद आ रही है. पायल की आज नाईट शिफ्ट है तो वो हॉस्पिटल चली गई है मुझे तुम्हें देखना है, तुम छत पर आओ.
मैंने कहा- ठीक है जीजू, मैं बस अभी आती हूँ. मैं चुदाई के लिए बेचैन थी लेकिन छत पर चुदाई की कोई संभावना ही नहीं थी फिर भी मैं चली गई ऊपर छत पर… मैं जैसे ही छत पर गई और छत का दरवाजा खोला तो जीजू मेरे सामने मेरी घर की छत पर ही खड़े थे और हल्की हल्की बारिश के छीटे पड़ रहे थे.
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