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अशोक ने पूजा की गांड मारने का अपना सपना पूरा किया तो पूजा की भी अशोक से चुदवाने की तमन्ना पूरी हुयी।
नितीन: “चलो, इन दोनो का तो हो गया, अब तो मुझे चोदने दो प्रतिमा”
मैं: “मेरे पास मत आना, दूर रहो”
नितीन: “अशोक ने तो पूजा को चोद दिया हैं, उसने बोला था इसके बदले तुम भी मुझे चोदने दोगी. अब पिछे क्युँ हट रही हो?”
मैं: “मैने ऐसा कोई वादा नहीं किया, अशोक ने बोला तो उसी को जाकर पूछो”
नितीन: “यह क्या हैं अशोक! प्रतिमा तो कुछ करने नहीं दे रही. यह कैसी डील हैं? तुमने बोला था कि मै तुम्हे पूजा को चोदने दुंगा तो मुझे प्रतिमा को चोदने का मौका मिलेगा. अब यह मना कर रही हैं”
अब मुझे पता चला कि नितीन क्युँ अपनी बीवी को चुदवाने को तैयार था। अशोक ने नितीन से खूफिया डील कर ली थी मुझे चोदने के बदले पूजा को चोदने की.
अशोक: “प्रतिमा मान जाओ, कभी दुसरो के लिए भी कुछ कर दिया करो”
मैं: “मैने तुम्हे पहले ही बोल दिया था कि मै अब ऐसा वैसा कुछ नहीं करुंगी. मै तो अब जा रही हूँ”
अशोक तेजी से मेरी तरफ बढ़ और मुझे रोका.
अशोक: “ऐसे मत करो यार. एक आखिरी बार मेरी खातिर. मेरा जन्मदिन गिफ्ट समझ कर, कर लो”
वो मेरे पैरो में गिर गया और हाथ जोड़कर विनती करता रहा। मगर मै अब उसकी बातों में नहीं आने वाली थी। मै एक सही रास्ते पर बढ़ चुकी थी और अब फिर गलत रास्ते पर जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता. खासतौर से मै अशोक का उसके झूठ में क्युँ साथ दू.
इस बीच पूजा कपड़े पहन कर बाहर आ चुकी थी। उसको भी माज़रा समझ में आ गया था कि क्या हुआ हैं। जन्मदिन पार्टी तो हुयी नहीं, अशोक ने जरूर पूजा की गांड और चूत मारने का मुफ्त में मजा ले लिया था। पूजा को भी अशोक से चुदवाना था तो उसकी भी इच्छा पूरी हो चुकी थी।
इन सब में नितीन बेवकूफ बन गया, अपनी बीवी भी चुदवा ली और उसे कुछ नहीं मिला. मै उन लोगो को वहीं छोड़ कर बाहर आ गयी। नितीन ने पिछे से पूजा और अशोक के साथ क्या किया यह मुझे नहीं पता.
नितीन अब घर जाकर पूजा की क्या खबर लेगा वो देखना था। थोड़े दिन बाद ही पता चला कि पूजा और नितीन ने भी अलग होने का फैसला कर लिया हैं।
थोड़े दिन बाद जब मै अपने बच्चे को लेने अपने पति के घर गयी तो जो कुछ देखा मुझे शॉक लगा। घर के बाहर अशोक की गाड़ी नहीं थी तो मुझे लगा वो अभी तक घर नहीं आया हैं। मेरे पास अभी भी घर की अतिरिक्त चाबी थी तो मै अंदर चली गयी थी ताकि वहां उसका इंतजार कर सकू.
मेरे बेडरुम से आती आंहो से मै रुक गयी थी। अशोक शायद बेडरुम में किसी औरत को चोद कर खुश कर रहा था। देखा जाऐ तो अभी भी मै और अशोक पति पत्नी ही थे।
मन में बहुत बुरा भी लग रहा था। अभी तलाक भी पूरा नहीं हुआ था और अशोक किसी और औरत के साथ लगा हुआ था। मै उनको डिस्टर्ब नहीं करना चाहती थी पर मन में एक जिज्ञासा भी थी कि वो कौन हैं।
बड़ा डर यह भी था कि कही मेरी भाभी अपना वादा तोड़ कही अशोक के साथ कुछ कर तो नहीं रही. मैंने बेडरुम में झांकना ठीक समझा.
दरवाजा खुला था और अंदर से चुदते हुए औरत की आवाज बड़ी तेजी से आ रही थी। मै दरवाजे तक पहुंची. एक गौरी चिट्टी लड़की मेरे बिस्तर पर घोड़ी बनी बैठी थी और अशोक उसके पिछे से डोगी स्टाईल में चोद रहा था।
अशोक के झटके इतने तेज थे कि मुझे बाहर तक थाक थाक की आवाजे आ रही थी। लड़की मीठे दर्द और मजे के मारे बड़ी कामूक आवाज में आहें भर रही थी।
उसके बदन को देख लग गया कि वो मेरी भाभी तो नहीं हो सकती थी। फिर भी उसका बदन जाना पहचाना सा लग रहा था।
पीछे से मै उसकी शक्ल तो देख नहीं पा रही थी। बिस्तर के पास जरूर उस लड़की की साड़ी और पेटीकोट पड़े हुए थे। अशोक लड़की की गांड को दोनो साइड से पकड़े कभी झटके मारता तो कभी बिना पकड़े मारता.
बिना पकड़े जब भी वो झटके मारता तो लड़की की चिखें निकल जाती। यह चुदाई देख मेरे पूरे शरीर में खून गरम होकर दौड़ने लगा।
मेरी खुद की चूत में हलचल होने लगी थी। इतने समय से ना तो मैंने चुदाई की थी और ना ही देखी थी। मै वहीं दरवाजे पर बिना आवाज किए खड़ी थी।
कई दिनों से मैंने अपनी चूत में ऊँगली तक नहीं कि थी और मेरी खुद की चुदने की इतनी इच्छा थी कि अगर उस वक्त अशोक मुझे बुलाकर चोदने लगता तो मै उसे मना नहीं कर पाती. इतने समय से मैंने कण्ट्रोल किया था पर अब अपनी आँखों के सामने यह होता देख मै अपने आप को रोक नहीं पा रही थी।
अशोक के झटके और तेज हो गए और इसी के साथ लड़की की आहें भी. लड़की खुद आगे पिछे हो चूद रही थी। शायद वो जड़ने वाले थे। मै इसी आस में खड़ी रही कि मै लड़की की शक्ल देख पाऊ.
लड़की के खुले बाल उसके चेहरे पर भी थे पर उसकी मम्मे छाती पर लटके हुए थे और काफी अच्छी शेप में थे। जिसे वो खुद अपने एक हाथ से रह रह कर दबा रही थी।
जल्द ही अशोक तेज चीखों के साथ जड़ गया और उसी जड़ने के दौरान उस लड़की ने पिछे मुड़ कर देखा और मुझे उसकी शक्ल दिखाई दी.
मेरे पैरो तले जमीन खिसक गयी। वो पूजा ही थी। नितीन से अलग होने के बाद अब वो आज़ाद हो चुकी थी और अब अशोक के साथ चुदवा सकती थी।
इस से पहले वो दोनो मुझे देखते, मै उलटे कदम बाहर आ गयी। मै दरवाजा धीरे से बंद कर मै बाहर सड़क पर आ गयी। कुछ मिनट रुक कर मैंने डोरबैल बजाई. कुछ देर के बाद अशोक ने दरवाजा खोला.
उसने बताया कि मेरा बच्चा उसकी माँ के घर हैं। मै पूजा का चेहरा देखना चाहती थी पर वो दिखी नहीं. मै अब वहां से जाने लगी तभी अशोक ने रोका.
उसने कहा कि अगर मै उस तरफ जा रही हुं तो मै पूजा को रास्ते में ड्राप कर दू. मै अंजान बनी रही कि पूजा कहा हैं और उसने मुझे रुकने को बोला.
मै अशोक के साथ बात करते रुकी रही और थोड़ी देर बाद कपड़े पहने पूजा बाहर आयी। एक बार मुझे देख वो सहमी और फिर मुझे हंसते हुए मेरा हाल चाल पुछा. मै उसको अपनी कार में बैठाये जाने लगी।
मैं: “कब से चल रहा हैं ये सब? अब नितीन की नजरो में तुम नहीं गिरी”
पूजा: “अब मै उस से अलग हो चुकी हूँ, अब मै अपने मन की कर सकती हूँ. वैसे भी तुमने अशोक को छोड़ दिया हैं तो तुम्हे मेरे इस रिश्ते से कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए”
मैं: “मुझे कोई परेशानी नहीं. अशोक तो वैसे ही तुम्हारी गांड की लचक का दीवाना हैं”
पूजा: “बताया उसने. मेरे तलाक का प्रक्रिया खत्म होते ही मै उसके साथ शादी का प्लान कर रही हूँ”
मैं: “बधाई हो, अशोक मुबारक हो. वैसे तुम्हारा कोई भाई हैं?”
पूजा: “हां एक हैं, पर उस से क्या!”
अब मै पूजा को क्या बताऊं कि मेरा अशोक से तलाक इस बात पर हुआ हैं कि वो मुझे मेरे भाई के साथ सुलाना चाहता हैं। मै तो बस पूजा को बेस्ट ऑफ़ लक ही बोल सकती थी।
मैं: “नहीं ऐसे ही पूछ लिया, उनको अशोक से कोई आपत्ति ना हो इसलिए”
पूजा: “उनको कोई परेशानी नहीं होगी, मेरी ख़ुशी में उनकी ख़ुशी हैं”
पूजा अभी तो खुश हैं पर अशोक अगर अपना असली रंग दिखाएगा तो वो पूजा को भी उसके भाई के साथ चुदने को जरूर बोलेगा या ग्रुप सेक्स के इवेंट में ले जायेगा.
कुछ दिनों बाद ऑफिस का सालाना उत्सव होने वाला था। जब मैंने पहले उत्सव में भाग लिया था तो राहुल मेरा दीवाना हो गया था। फिर दूसरे उत्सव में तो उसने मुझे चोद ही दिया था।
क्या यह उत्सव मेरे लिए एक नयी उमंग लाने वाला था। मगर मै यह निर्णय नहीं कर पा रही थी कि मुझे अब फिर किसी रिश्ते में फंसना हैं या नहीं.
मुझे रूबी के जैसी आजाद लाईफ चाहिये थी। रूबी ने बोला कि वो मुझे पिक अप कर लेगी और सालाना जल्से के लिए हम साथ में उसकी कार में राहुल के फार्म हाऊस पर जाएंगे।
मैने उसको बोला कि उसको उल्टा रास्ता पड़ेगा पर उसे वैसे ही मेरे घर की तरफ अपने बच्चे को अपने पति के पास छोड़ने आना था। पार्टी में लेट हो जाएंगे तो वो अपने बच्चे को अपने पति के पास छोड़ना चाहती थी।
शाम को अपने बच्चे को ड्राप करने के बाद वो मुझे लेने आयी और हम पार्टी में पहुचे. पहली बार मै ऑफिस की सालाना पार्टी में सिंगल स्टेटस के साथ आयी थी।
ऑफिस के मर्दो को इसमें मौका दिखाई दिया और मेरे साथ डांस करने कि इच्छा जताई. पर मेरा अब और कोई रिश्ता बनाने की कोई अरमान नहीं था।
जब से राहुल और मेरा ब्रेकअप हुआ था उसने मुझसे डांस करने की पेशकश नहीं की, क्युँ कि उसको पता था कि मै उस से अब दूर ही रहुंगी. पार्टी खत्म होने को आयी और रूबी मेरे पास आयी।
रूबी: “प्रतिमा, सॉरी यार. मै तुम्हे ड्राप नहीं कर पाउंगी. मै जिम्मी और रितेश को ले जा रही हूँ”
मैं: “पर तुम मुझे लेकर आयी थी!”
रूबी: “समझा कर यार, पार्टी का मूड हैं। पार्टी के बाद चुदवाया नहीं तो मजा अधुरा रह जाता हैं”
मैं: “यह तुम कह रही हो! तुम तो ऊँगली तक से नहीं चुदवाती, इतना कण्ट्रोल हैं अपने आप पर”
रूबी: “ऊँगली से इसलिए नहीं चुदवाती कि मुझे कोई ना कोई मर्द मिल ही जाता हैं चोदने के लिए. जिम्मी के साथ चुदवायें काफी समय हो गया हैं, आज मौका मिला हैं, मै जाने नहीं देना चाहती. आज तो दो दो मर्द मिल गए हैं। बहुत दिनों बाद थ्रीसम का मजा लुंगी”
मैं: “तुम्हारा पहले से यह कार्यक्रम था तो मुझे अपने साथ क्युँ लायी? मै खुद अपनी कार में आ जाती। अब मै फंस गयी”
रूबी: “मुझे तो उन दोनो ने बोला था कि अपनी बिवीयों के साथ आयेंगे तो मुझे लगा चांस नहीं मिलेगा, पर वो अकेले आये हैं तो सोचा लगे हाथों मजे ले ही लु”
मैं: “मुझे यकीन नहीं हो रहा हैं। तुम तो मेरी चूत को लंड का गुलाम बोलती थी। तुम भी यहीं निकली?”
रूबी: “तो क्या करती ! पति ने आदत इतनी डाल दी, कब तक ऊँगली से करती . आज़ाद लाईफ में सब मजे कर लेने चाहिये। पति की कोई पाबंदी नहीं, रोज नये नये मर्दो के साथ करवा के अपनी इच्छा पूरी करती हूँ”
मैं: “मै तो तुम्हे कितना मानती थी, और तुम क्या निकली”
रूबी: “एक काम करो, तुम वैसे ही अपने पति से अलग हो चुकी हो, तुम्हे भी जरुरत होगी चुदवाने की. एक काम करो, मेरे साथ चलो, हम फोरसम कर लेंगे”
मैं: “मुझे नहीं जाना ऐसी किसी लड़की के घर जिसकी चूत लंड की गुलाम हो”
रूबी: “तुम भी यहीं करती अगर मैंने तुम्हारी मदद ना की होती. मै तो बोलती हूँ तुम भी मजे ले लो. जिम्मी और रितेश पसंद नहीं तो किसी और को ले लो”
मैं: “तुम अभी जाओ, मुझे अभी तुमसे बात नहीं करनी”
रूबी अपने दोनो ऑफिस के साथीयों को लेकर चली गयी अपने थ्रीसम के लिए.
कुछ दिनों के अंतराल में मुझे दो झटके मिल चुके थे।जिन दो लड़कियो को मैंने सती सावित्री समझ अपना रास्ता ठीक कर लिया था वो दोनो ही ऐसी निकली.
मुझे और कोई लिफ्ट नहीं मिल रही थी क्युँ कि बचे हुए लोग सभी अपनी परिवार के साथ आये थे और उनकी बीवियां मुझ जैसी सिंगल और खुबसूरत औरत को देख इनसिक्योर महसूस कर रही थी कि उनके पति बहक जाएंगे।
मुझे परेशानी में देख राहुल मेरी मदद को आगे आया। उसका उस रात फार्म हाऊस में ही रुकने का प्लान था तो उसने अपने ड्राइवर को भी कार सहित छुट्टी पर भेज दिया था।
अगले एपिसोड में पढ़िए कि फार्म हाउस में गुजरने वाली यह रात क्या मुझे और राहुल को करीब ला पाएगी या नहीं।
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