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कहानी का पिछ्ला भाग : पड़ोसन भाभी को फ्री स्पर्म डोनेट किया-1
अभी तक मेरी इंडियन सेक्स कहानी में आपने पढ़ा कि मेरी पड़ोसन जो मुझसे चुदती थी, ने अपनी एक सहेली को मुझसे चुदवाया क्योंकि वो माँ बनना चाहती थी और उसका पति इस लायक नहीं था कि इसे गर्भवती कर सके. अब आगे:
रात 8.30 पर वैशाली का फ़ोन आया; मैं विस्की के पेग लगा रहा था; पूछने लगी- क्या कर रहे हो? मैंने कहा- तुम्हें ही याद कर रहा था, कहो कैसी हो? उसने बताया कि दोपहर को खाना खा कर वह सो गई थी, 7 बजे उठ कर हस्बैंड के लिए डिनर बनाया, वे खा कर चले गए हैं. फिर शावर लिया और अब खाना खाना है, आपका भी बना रखा है, आ जाओ खाना साथ खाएंगे. मैंने पूछा- और कुछ करना है? वह बोली- बस एक ‘किस’ करना है और कुछ नहीं.
मैंने एक वियाग्रा की टेबलेट खाई और उसके फ्लैट पर चला गया. वह चौथी मंजिल पर रहती थी. उस फ्लोर पर एक फ्लैट खाली था, एक में एक बुजुर्ग कपल रहता था, जो 7 बजे ही अपने दरवाजे बंद कर लेता था.
मैं जैसे ही पंहुचा, वह जाली के दरवाजे के अंदर ही खड़ी थी. मुझे झट से अंदर ले लिया और दरवाजा अंदर से लॉक कर दिया.
उसने बहुत ही सेक्सी पारदर्शी एक नाईटी पहन रखी थी जिसमें से उसका सारा बदन नंगा दिखाई दे रहा था. नाईटी सामने से खुली थी. उसने नहा कर बाल खुले छोड़ रखे थे. बहुत ही सेक्सी परफ्यूम लगाया हुआ था. मैंने जाते ही उसे बाहों में भर लिया.
हस्बैंड का पूछा तो उसने बताया- उसका पहुँचने के बाद लैंडलाइन से फ़ोन आता है, वह अपनी सीट पर बैठा है और वहां से हिल नहीं सकता. उसकी एक फ़ोटो अपने हस्बैंड के साथ खड़े हुए पोज में थी. एक छोटे से कद का, मोटे पेट वाला, चश्मा पहने, भोन्दु सा दिखने वाला लड़का उसका पति था. मैंने पूछा तो उसने बताया कि यही महाशय मेरे पति हैं. मैंने कहा- बुरा मत मानना, ऐसा लगता है जैसे बंगाली रसगुल्ले को चूहा खा रहा है. तुमने इसके साथ सुहागरात मनाई है?
वह कुछ नहीं बोली.
हमने झटपट खाना खाया और वह बर्तन रख कर वापिस आई गई. मैं एक बिना आर्म वाली चेयर पर बैठा था. वह सीधे मेरी गोदी में आकर बैठ गई. मैंने उसे प्यार करना शुरू किया; उसके नाईटी के फीते को खोल दिया, वह नंगी हो गई; मैंने उसके मम्मे पीने शुरू कर दिए.
मैंने लोअर और टीशर्ट पहनी थी, नीचे अंडरवियर नहीं पहना था. लोअर में मेरा लंड वियाग्रा के असर से लोहे की रॉड बन गया था. उसने मेरा लोअर नीचे किया और नीचे बैठ कर मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी. वह मेरे लंड से ऐसे खेल रही थी जैसे बच्चा अपने मन पसंद खिलौने से खेलता है. जोर जोर से चूसने से मेरा लंड उसके थूक से लिबड़ गया. मैं उसके मम्मों को दबाता रहा.
वह पूरी तरह उत्तेजित हो गई थी; वह उठी और मुँह मेरी तरफ घुमा कर अपनी टाँगें चौड़ी करके मेरे लंड को लोअर से बाहर निकाल कर चूत पर रगड़ने लग गई. मैंने लोअर टांगों से निकाल दिया और लंड को उसकी चुदासी चूत में डाल दिया. इस पोजीशन में मेरा पूरा लंड उसकी चूत में फंस गया और उसने मजे से मेरी गर्दन को अपने हाथों से जकड़ लिया. उसकी चूचियाँ मेरी छाती से रगड़ने लगी. वह धीरे धीरे ऊपर नीचे होकर लंड की सवारी करती रही और चूत के दाने को मेरे लंड पर रगड़ती रही.
करीब 10 मिनट के इस खेल में वह झड़ गई और मुझसे चिपक गई. मैंने उसे उसकी टांगों के नीचे से हाथ डाल कर उठाया और लंड चूत में डाले डाले खड़ा हो गया. वह मेरे लंड के ऊपर लटक गई. मैंने अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ों को पकड़ा और जोर जोर से उन्हें आगे पीछे करके अपने लंड पर मारने लगा. लंड उसकी चूत में सीधा अंदर तक जाकर लग रहा था. उसकी दोनों टांगें मेरे हाथों में झूल रही थी. कुछ देर में वह झड़ गई और टाँगें नीचे लटका दी.
मैंने उसे छोड़ दिया और कुर्सी पर बैठ गया. वह नीचे झुक कर अपनी चूत का हाल देख रही थी. बोली- आज तो दुखने लगी है और नीली भी हो गई है. मैंने जब पूछा कि हस्बैंड के आने का कोई चांस तो नहीं? तो उसने कहा- आप उसकी चिंता छोड़ दो, वो अपनी सीट नहीं छोड़ सकता और आ भी गया तो मैं संभाल लूँगी, मैं बोल दूँगी कि आप मेरे कॉलेज के फ्रेंड हैं, यहीं रहते हैं.
मैंने उससे कहा- जब तक तुम प्रेग्नेंट हो जाओ तो एक बार हस्बैंड से भी करवा लेना. वह बोली- जब कन्फर्म हो जाएगा तब एक दिन करवा लूँगी, लेकिन फिर कभी उसको हाथ नहीं लगाने दूंगी, क्योंकि मैंने एक ही बच्चा करना है.
मैंने कहा- तुमने एक ‘किस’ कहा था, अब तो तुम्हारा पानी भी निकल चुका है, मैं चलूँ? उसने न में गर्दन हिला दी, कहने लगी- वैसे तो मेरी चूत दुःख रही है परंतु आपका साथ मुझे अच्छा लगा. शायद मैं आपसे प्यार करने लगी हूँ.
मैं उसे उसके बेड रूम में ले गया और घोड़ी बना लिया. उसकी गांड एकदम गोरी और चिकनी थी. घोड़ी बनते ही उसकी प्यारी सी चूत उसके चूतड़ों और पिछले पटों के बीच में दिखाई देने लगी. मैंने नीचे खड़े हो कर उसकी चूत को दो उँगलियों से अलग किया और उसकी टांगों को थोड़ा चौड़ा करके लंड अंदर घुसाया. उसने कहा- धीरे धीरे अंदर डालो, बहुत टाइट लग रहा है.
मैंने प्यार से उसके चूतड़ों को पकड़ कर पूरा लंड अंदर डाल दिया. उसने अपने चूतड़ों को थोड़ा आगे पीछे किया और जब लंड उसके मुताबिक चूत में बैठ गया तो बोली- अब करो. मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू किये. उसने कहा- लंड बहुत सख्त लग रहा है, लगता है चूत की सिलाई उधेड़ देगा. उसे नहीं पता था मैंने वियाग्रा खा रखी है और मेरा लंड दो घण्टे तक नहीं बैठेगा.
मैंने उसे चोदना चालू रखा, उसने स्पीड बढ़ाने के लिए कहा, बोली- थोड़ा जोर से करो, अब मजा आ रहा है. मैंने जोर जोर से धक्के लगाने शुरू किये. उसकी जांघों को पकड़ कर, पूरा लौड़ा बाहर निकाल निकाल कर जोर जोर से चोदने लगा. वह कुछ ही झटकों के बाद फिर झड़ गई. मैंने उसे नहीं छोड़ा, उसने अपनी छाती और मुँह बेड पर टिका दिया और चुदते हुए तरह तरह की आह… आह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह… मार दिया जालिम… फाड़ दी मेरी चूत… एक ही दिन में 7 साल की कसर निकाल दी. असली सुहागरात तो आज मनी है.
अंत में वह फिर झड़ गई और बेड पर पसर गई परंतु मेरा छूटने का नाम नहीं ले रहा था; उसे आराम देने के लिए मैं उसके साथ लेट गया और उसे जगह जगह प्यार से चूमने लगा. उसने मुझे कहा- जिंदगी में पहली बार इतना प्यार पाया है और सेक्स में आनंद आया है.
कुछ देर बाद मैंने उसे अपने ऊपर आने को कहा. मैं बेड पर सीधा लेट गया और वह मेरे ऊपर अपनी टाँगें चौड़ी करके आ गई. उसने मेरा मोटा लौड़ा अपनी चूत में रखा और नीचे बैठने लगी, सारा लंड उसकी चूत में धंस गया. उसने एक लंबी सांस ली और लंड पर बैठ गई.
मैंने उसकी दोनों चूचियों को पकड़ा और हाथों से जोर जोर से मसलने लगा. मैंने उसे नीचे झुकाकर चूचियों को मुँह में लिया और चूसने लगा तो वह लंड को अंदर बाहर करने लगी. उसने अपने दोनों नाजुक हाथ मेरी छाती पर रख लिए और लंड को उछल उछल कर अंदर बाहर करने लगी.
15-20 बार उछलने के बाद उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और वह मेरे ऊपर पसर गई. 10.30 बजे उसका फ़ोन बजा, तो देखकर कहने लगी- हस्बैंड का है, मुझे सोने से पहले गुड नाईट बोलता है. उसने मेरे ऊपर लेटे लेटे हस्बैंड को बताया कि वह सोने लगी है और मेरी छाती पर लेट सी गई. मेरा लंड अभी भी उसकी चूत में ही घुसा हुआ था.
कुछ देर के लिए हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे; फिर वह मेरी छाती से उतर कर साइड में आ गई. मैंने उसकी एक टांग को उठाया और साइड में लेटे लेटे लंड को चूत के अंदर घुसा कर उसे अपनी जफ्फी में ले लिया. वह कसमसाने लगी. मैंने उसकी एक टांग को ऊपर किया और लंड से चूत चोदता रहा.
वह उठी और बोली- मैंने आपके लिए बादाम का दूध बनाया था, भूल गई थी! वह नंगी किचन में गई और एक बड़ा गिलास बादाम का दूध लाकर मुझे दिया.
रात के 11.30 बज चुके थे. उसने कहा- वैसे हमने रूबी के सामने ही सब कुछ कर लिया, कहीं वह किसी को बताएगी तो नहीं? मैंने कहा- उसे भी तो मैंने तुम्हारे सामने ही, तुम्हारे साथ बेड पर लिटा कर चोदा था, वह क्या बताएगी? तुम चिंता मत करो.
दूध पी कर मुझे फिर जोश आ गया और मैंने वैशाली को फिर से बेड पर लिटा लिया और उसकी टांगों के बीच में बैठ कर टांगों को घुटनों तक मोड़ कर, लंड अंदर पेल दिया. वैशाली बोली- आपका कितनी देर में छूटता है? अब मैं थक गई हूँ, चूत और शरीर बुरी तरह दुःख रहे हैं, चूत तो देखो, एक दिन में ही गुलाबी से नीली हो गई है.
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और लगभग 15-20 मिनट की पलंग तोड़ चुदाई करके आखिर कार अपने लंड से वीर्य की पिचकारियाँ मार मार कर उसकी चूत को भर दिया. कुछ देर मैं लंड डाले हुए उसकी चूचियों पर पड़ा रहा. उसके सारे शरीर पर मेरे चूसने और काटने के नीले निशान पड़ गए थे. वह पूर्ण रूप से संतुष्ट हो चुकी थी.
मैंने उससे पूछा- जब तुम प्रेग्नेंट हो जाओगी तो तुम मुझसे मिलना बंद कर दोगी? वह बोली- यही बात तो मैं आपसे कहने वाली थी कि कहीं आप तो मुझे नहीं छोड़ दोगे?
हमने एक दूसरे को बाँहों में ले लिया और वायदा किया कि हमारी दोस्ती जारी रहेगी और वह मेरे अतिरिक्त किसी दूसरे को चूत नहीं देगी, अपने पति को भी नहीं.
रात का एक बज गया था. मैं अपने कमरे पर जाने लगा तो आते वक्त वैशाली ने मुझे जोरदार ‘किस’ किया.
उसके बाद मैं वैशाली को लगभग हर रोज, दिन या रात में चोदता रहा. महीने बाद उसने खुशखबरी सुनाई कि उसे माहवारी नहीं आई है और टेस्ट में प्रेग्नेंसी कन्फर्म हो गई है. उसने बताया कि आज अपने हस्बैंड से वह चुदवा लेगी और कुछ दिन बाद बोल देगी कि प्रेग्नेंट हो गई है.
कुछ दिन डॉक्टर की हिदायत के मुताबिक हमने सेक्स नहीं किया. फिर भी कभी कभी वह मेरे कमरे पर आ जाती थी या मैं उसके फ्लैट पर जा कर उससे लंड चुसवा लेता था. वह वीर्य की हर बून्द को अपने अंदर पी जाती थी.
अब वह एक सुन्दर लड़के की माँ बन चुकी है, जिसकी शक्ल बिलकुल मुझसे मिलती है.
एक दिन जब मैंने उससे कहा- मुझे कुछ इनाम तो दो? तो कहने लगी- बोलो क्या चाहिये? मैंने कहा- अपनी किसी सहेली की सुन्दर सी चूत दिलवा दो.
पहले तो वह मेरी मांग से सकपका गई और बोली- मुझसे बोर हो गए हो क्या? मैंने कहा- ऐसी बात नहीं है, फिर भी कभी चेंज हो जाए या हम ग्रुप सेक्स कर लें तो ताज़गी आ जाती है. वह सोच कर बोली- ठीक है, एक मेरे हस्बैंड के दोस्त की मस्त सी, बहुत ही सुन्दर बीवी है, वह सदा रोमांटिक बातें करती रहती है, उसको पटाती हूँ. उसका नाम शिवानी है, एक 2 साल का बच्चा भी है. उसका पति भी मेरे हस्बैंड जैसा ही लल्लू है. परंतु वह ज्यादातर इंडियन भाभी जैसी थोड़ी सी चबी (मोटी) है, मस्त माल है.
मैंने कहा- ठीक है, मैं तुम्हारे गिफ्ट का इन्तजार करूँगा. मैंने उसे ‘किस’ किया और अपने कमरे पर आ गया.
एक साल से मेरी और वैशाली की दोस्ती और प्यार भरी चुदाई जारी है. शिवानी इंडियन सेक्स की कहानी अगली बार!
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