This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
मेरे प्रिय पाठकगण।
पिछले काफी हफ़्तों से मैं यह कहानी लिख नहीं पाया। एक तो व्यस्तता के कारण और दुसरा कुछ क्षोभ भी होता था। क्यूंकि आप लोग कमैंट्स लिखने में काफी कंजूस हैं। मैंने सोचा की शायद आप लोग बोर हो गए हैं। पर मुझे मेरी ईमेल पर इतने सारे खत मिलने लगे की मैंने तय किया की मैं इस कहानी को आगे बढ़ाकर अंत तक ले जाऊंगा।
मेरी आप सब से विनती है की आप अच्छा लगे तो अच्छा और बुरा लगे तो बुरा पर लिखिए जरूर। “देसी कहानी” वाले अच्छी कहानी लिखने के लिए कोई आर्थिक पारितोषिक तो देंगे नहीं। तो फिर एक लेखक के लिए आप लोगों की सराहना ही एक मात्र पारितोषिक है। इसे लिखने में कंजूसी नहीं करेंगे तो मैं लिखता रहूँगा। ———————————————- सुनीता के लिए खड़े हुए जस्सूजी से उनकी बाँहों को अपनी बगल में लेकर एक फूल की तरह अपने नंगे बदन को ऊपर उठाकर अपनी चुदाई करवाने का मज़ा कुछ और ही था। सुनीता को महसूस हुआ जैसे उसको गुरुत्वाकर्षण का कोई नियम ही लागू नहीं हो रहा था। जैसे वह हवा में लहराती हुई जस्सूजी का मोटा तगड़ा लण्ड अपनी चूत में से अंदर बाहर होते हुए महसूस कर रही थी।
सुनीता को अपने प्रियतम जस्सूजी के बाजुओं में कितनी ताकत थी उसका एहसास भी हुआ। जैसे सुनीता कोई फूल हो उस तरह उसे जस्सूजी ने आसानी से अपनी कमर तक उठा लिया था। उसके बाद उन्होंने सुनीता के दोनों पॉंव अपनी कमर पर लिपटा कर सुनीता की रस भरी चूत में अपना मोटा और काफी लंबा लण्ड डाल दिया था।
सुनीता ने अपनी बाहें जस्सूजी के गले में लपेट रखीं थीं। जस्सूजी की कमर के सहारे सुनीता टिकी हुई थी। जस्सूजी के होँठ से अपने होंठ मिलाकर सुनीता ऊपर निचे होकर जस्सूजी से बड़े प्यार से चुदवा भी रही थी और उनके लण्ड को अपनी चूत में कूद कूद कर घुसेड़ कर उन्हें चोद भी रही थी।
जस्सूजी से चुदाई करवाते हुए साथ ही साथ में सुनीता जस्सूजी के मूंछों से घिरे हुए रसीले होँठ चूसकर उनका मजा भी ले रही थी। कभी कभी उत्तेजना में वह जस्सूजी की मूँछों को चुम लेती थी और कुछ बालों को दांतों में दबाकर उन्हें खींचकर जस्सूजी को छेड़ती भी रहती थी। सुनीता की ऐसी अठखेलियों के कारण जस्सूजी और भी उत्तेजित हो जाते थे और सुनीता की और फुर्ती से चुदाई करने लगते थे।
जस्सूजी के बाजुओं के स्नायु फुले हुए दिख रहे थे। सुनीता की गाँड़ के निचे अपनी दोनों हथेलियां रखे जस्सूजी ने आसानी से उसे ऊपर उठा रखा था। अपने दोनों हाथों की ताकत से सुनीता को थोड़ा सा ऊपर उठाकर और फिर निचे लाकर सुनीता को जैसे हवा में ही चोदना, यह उनके और सुनीता दोनों के लिए एक कामाग्नि के धमाके की तरह नशे से भरा हुआ था। जस्सूजी कभी सुनीता को ऊपर निचे लाकर तो कभी सुनीता को वैसे ही हवा में रख कर अपनी कमर आगे पीछे कर अपना लण्ड सुनीता की चूत में पेले जा रहे थे। यह नजारा कोई पोर्न चलचित्र से कम नहीं था।
सुनीता के तेजी से हवा में लहराते हुए मम्मों को सुनीता के पति सुनीलजी ने पीछे खड़े होकर अपने दोनों हाथों में पकड़ रखा था और वह उसे बार बार मसल रहे थे और सुनीता के स्तनोँ की निप्पलों को अपनी उँगलियों में बड़े प्यार से दबा और पिचका रहे थे। जस्सूजी के तेज धक्कों से सुनीता का पूरा बदन इतनी तेजी से हिल रहा था की कई बार सुनीता के पीछे खड़े हुए सुनीता के पति सुनीलजी को भी सुनीता की गाँड़ से सटे हुए होने के कारण अपने आप को सम्हालना पड़ता था।
सुनीता को कभी इस तरह की हवा में लहराते हुए चुदाई करवाने का मौक़ा नहीं मिला था। एक पति से चुदवाने में और एक गैर प्रियतम से चुदवाने में यही फर्क होता है। चूँकि पति को पत्नी को चोदने के लिए किसी भी तरह की कोई ख़ास जद्दोजहद नहीं करनी पड़ती इस लिए अक्सर पति के लिए तो पत्नी को चोदना एक आम बात होती है।
पर एक गैर मर्द के लिए एक खूबसूरत औरत जिसको वह कभी चोदने के सपने देख रहे हों, जब उसे चोदने का मौक़ा मिले तो वह कोशिश करेगा की वह उस औरत को हर तरीके से और हर तरह से चोदे और इस तरह से चोदे की वह इतनी खुश हो जाए की बार बार उसे उस गैर मर्द से चुदवाने का मन करे।
जस्सूजी को कई महीनों की जद्दोजहद के बाद सुनीता को चोदने का मौक़ा मिला था। सुनीता को चुदवाने के लिए राजी करना अपने आप में एक कवायद थी, एक परीक्षा थी जिसे जस्सूजी ने कड़ी मेहनत के बाद सफलता से पास किया था। अब जस्सूजी के मन में एक ही बात थी की कैसे वह सुनीता को ऐसे चोदे जैसे उसे पहले किसीने चोदा ना हो। यहां तक की उसके पति ने भी ना चोदा हो; जिससे सुनीता का बार बार जस्सूजी से चुदवाने का मन करे।
एक औरत को प्यार और बड़े ही मजे से चोदने के लिए औरत का कामातुर होना सोने में सुहागा की तरह होता है। मर्द का कामातुर होकर औरत को चोदना एक बात है; पर कामातुर औरत को चोदना एक मर्द के लिए अद्भुत अनुभव होता है। उस हाल में मर्द अनुभव करता है की औरत उसे बार बार अच्छी तरह से चोदने के लिए मिन्नतें करती है और चीख और चिल्लाकर मर्द को जोर शोर से चोदने का आग्रह करती है।
मर्द के लिए यह अनुभव उसके लण्ड के अंडकोष में भरे वीर्य में उफान सा लाता है और और मर्द की कामुकता कई गुना बढ़ जाती है। सुनीता को कमर पर टिका कर उसकी चूत को चोदना भी ऐसा ही था। सुनीता अपने आप पर काबू नहीं पा रही थी। अपने पति के सामने होते हुए भी वह जस्सूजी को बार बार और जोश से चोदने के लिए आग्रह कर रही थी। सुनीता का कामाग्नि अपनी चरम सीमा पर धधक रहा था।
इधर सुनीलजी का क्या हाल था? वह तो सातवें आसमान में थे। वह अपनी जिंदगी में पहली बार अपनी बीबी को किसी गैर मर्द से चुदता देख रहे थे। और वह भी कैसे? उन्होंने खुद अपनी बीबी को कभी इस तरह से चोदा नहीं था। वह जस्सूजी की बाँहों के फुले हुए स्नायुओं को देखते ही रहे। जस्सूजी ने जिस तरह सुनीता को एक हलके फूल की तरह उठा रखा था और उसे चोदे जा रहे थे वह उनकी लिए कमाल का था। क्या वह इस तरह से सुनीता को या ज्योति को उठाकर चोद पाएंगे?
सुनीलजी अपनी बीबी के पास आये तो सुनीता ने अपने पतिकी और देखा। अब तक सुनीता जस्सूजी की चुदाई में इतनी मग्न थी की उसे अपने पति को गौर से देखना के मौक़ा नहीं मिला था। जस्सूजी का सुनीता की चूत में एक के बाद एक जोरदार धक्के मार कर लण्ड पेले जाने के कारण सुनीता का पूरा बदन जोर से हिल रहा था। सुनीता ने हिलते हुए बदन से भी अपने पति की और देखा। वह देखना चाहती थी कहीं उनकी आँखों में इर्षा जलन या हीनता का भाव तो नहीं था?
पर सुनीता ने पाया की सुनील बड़े ही चाव से सुनीता को चुदता हुआ देख रहे थे। जब सुनीता ने उनकी और देखा तो सुनीलजी ने आँखें मार कर सुनीता को तसल्ली दी की वह खुश थे। सुनीता ने अपने पति सुनीलजी की और अपने हाथ लम्बाये। सुनीलजी को सुनीता अपने पास बुलाना चाहती थी। वह नहीं चाहती थी की नए प्रेमी को पाने और उससे शारीरिक सम्भोग करने की उत्तेजना में वह अपने पति को मानसिक रूप से थोड़ा सा भी आहत करे। सुनीता आज काफी कुछ पाने के ख़ुशी के बदले में अपने पति का बहुमूल्य प्रेम को थोड़ा सा भी खोना नहीं चाहती थी।
सुनीता के हाथ लंबा करते ही सुनीलजी सुनीता के और करीब आये। सुनीता ने बड़े प्यार से अपने पति का सर अपने बदन से चिपकाया और जस्सूजी से चुदवाते हुए ही सुनीता ने अपने पति के बालों में अपनी उँगलियों का कंघा बना कर सुनीता सुनीलजी के बालों को बड़े ही प्यार संवारने लगी।
यह दृश्य अद्भुत था। मिटटी के बने हुए हम सब ऐसे प्रेम की सिर्फ कल्पना ही कर सकते हैं। पर जहां एक दूसरे के बिच सच्चा प्यार और विश्वास हो यहां यह ना सिर्फ संभव है, वहाँ यह एक अभूत उन्माद पूर्ण प्रेम को पैदा कर सकता है जिसकी कोई कीमत नहीं लगाई जा सकती। कई बार हम अपने अभिमान, इर्षा और डर के मारे ऐसे अनमोल अवसर गँवा देते हैं।
पर यह भी सच है की सुनीता, सुनीलजी और जस्सूजी के जैसी जोड़ियां भी तो अक्सर नहीं मिलतीं।
जस्सूजी ने जब पति पत्नी के प्रेम भरे आदान प्रदान को देखा तो वह भी मन से काफी अभिभूत हो उठे। उन्होंने चुदाई रोक कर सुनीता की गुलाब की पंखुड़ियां जैसे होठोँ को हलके से चूमा। फिर धीरे से सुनीता को निचे उतार कर वह सुनीलजी को लिपट गए। दो नंगे मरदाना बदन एक दूसरे के आलिंगन में मस्त हो गए। उनके आलिंगन में कोई भी शरीर का भाव नहीं था। बस एक दूसरे के प्रति प्रेम, सम्मान और विश्वास था।
जस्सूजी चाहते थे की वह भी सुनीता और सुनीलजी की चुदाई देखे। जस्सूजी ने सुनीलजी का खड़ा हुआ लण्ड देखा। उन्होंने उसे अपने हाथों में लिया और उसे प्यार से सहलाने लगे। फिर जस्सूजी ने सुनीता के बदन को पकड़ा और उसे उसके पति सुनीलजी के सामने कर दिया। सुनीलजी अपनी ताजा चुदी हुई निहायत ही खूबसूरत दिखती नंगी पत्नी को देखने लगे।
सुनीता की गीली चूत में से उसका स्त्री रस रिस रहा था जो सुनीता की नंगी खूबसूरत जाँघों को गीला कर पाँव पर बह रहा था। तब तक जस्सूजी ने अपना वीर्य नहीं छोड़ा था। सुनीता को समझ नहीं आ रहा था की जस्सूजी क्या चाहते थे। उसने कुछ असमंजस से जस्सूजी की और देखा। जस्सूजी ने प्यार भरे अंदाज से सुनीलजी और सुनीता के नंगे बदनों को दोनों हाथ से पकड़ कर मिला दिया।
सुनीता के उन्मत्त स्तन उसके पति की छाती से चिपक गए। जस्सूजी ने पीछे से सुनीता की खूबसूरत सुआकार गाँड़ पर हल्का सा धक्का दिया सो सुनीलजी और सुनीता के बदन और करीब आगये और एक दूसरे से पूरी तरह चिपक ही गए। सुनीता समझ गयी की जस्सूजी सुनीलजी और सुनीता की चुदाई देखना चाहते थे।
सुनीता ने अपने पति की और प्यार और कामुकता भरी आँखों से देखा और एक हलकी सी मुस्कान सुनीता के होँठों पर आ गयी। सुनीलजी ने हाथ बढ़ाकर अपनी नग्न पत्नी को अपने नग्न बदन से और चिपका दिया और वह सुनीता के होँठों पर अपने होँठ रख कर उसे प्यार से चूमने लगे।
जस्सूजी सुनीता के पीछे खड़े होकर सुनीता की गाँड़ में अपना लण्ड टिका कर अपने लण्ड सी सुनीता के गाँड़ की दरार को कुरेदते हुए चिपक गए। सुनीता ने पीछे मुड़ कर होँठों पर मुस्कान लिए जस्सूजी को और देखा। कहीं जस्सूजी का इरादा सुनीता की गाँड़ मारने का तो नहीं था? पर जस्सूजी ने आगे झुक कर सुनीता की गर्दन को चूमा और सुनीता की आँखों में प्यार भरी आँखें डालकर उसे देखते रहे।
जस्सूजी ने अपने दोनों हाथ सुनीता के स्तनोँ पर रख दिए और सुनीता के मम्मों को दबाने और मसलने लगे। सुनीता के पति सुनीलजी ने जस्सूजी को अपनी पत्नी सुनीता के मम्मों को दबाते और मसलते हुए देख अपना मुंह एक मम्मे पर रख दिया। सुनीता के मम्मे की निप्पल सुनीलजी ने अपने मुंह में ली और उसे चूसने और चबाने लगे।
अपने पीछे जस्सूजी का लण्ड और आगे पति का लण्ड सुनीता की गाँड़ और चूत को टोच रहा था। सुनीता उस समय चुदाई के मुड़ में थी। उस समय उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था की उसके पति उसे चोदे या उसके प्रियतम। वह चुदवाने के लिए बस बेसब्र थी। जस्सूजी सुनीता को करीब आधे घंटे चोदते रहे और फिर भी उनको छूटने की आवश्यकता नहीं पड़ी यह उनकी शारीरिक क्षमता दर्शाता था। अक्सर सुनीता के पति तो दस मिनट में ही झड़ पड़ते थे। आखिर पति और प्रियतम मैं यही तो फर्क होता है।
सुनीता के लिए यह सुनहरी मौक़ा था जब वह दोनों मर्दों से चुदवाना चाहती थी। अक्सर ऐसा होता नहीं है। हिंदुस्तानी औरत के लिए एक ही बिस्तर पर एक साथ दो मर्दों से चुदवाना लगभग नामुमकिन सा होता है। पर आज सुनीता के दोनों प्रेमी नंगे सुनीता को मिलकर चोदने के मूड में थे। सुनीता ने अपने पति का हाथ पकड़ा और दूसरे हाथ से जस्सूजी की कमर पकड़ कर सुनीता अपने दोनों प्रेमियों को पलंग पर ले गयी और खुद दोनों मर्दों के बिच में जाकर लेट गयी।
जस्सूजी सुनीता की उसके पति सुनीलजी द्वारा होती हुई चुदाई देखने के मूड में थे। यह जान कर सुनीता अपने पति की और घूमी और अपने पति सुनीलजी को अपनी दोनों बाँहों में घेर लिया। सुनीता अपने पति से लिपट गयी। अपना मुंह सुनीलजी के मुंह से सटा कर और अपने होँठ अपने पति के होँठों से मिलाकर सुनीता ने सुनीलजी को एक गहरा प्यार और उत्तेजना भरा चुम्बन किया। सुनीलजी भी मस्त हो कर अपनी नग्न बीबी के सुकोमल और कमनीय बदन का अनुभव करते हुए सुनीता के रसीले होँठों का आनंद लेने लगे। सुनीता ने अपने बदन को अपने पति से ऐसे चिपका दिया जैसे दोनों बदन एक ही हों।
फिर अपनी एक टांग ऊपर उठाकर उसने अपनी चूत को अपने पति के लण्ड से सटा दिया। और अपने पति का जाना मना लण्ड एक हाथ में पकड़ कर उसे सहलाती हुई सुनीता ने सुनीलजी के लण्ड को अपनी चूत के प्रवेश द्वार पर रख कर सुनीलजी के लण्ड को हिलाकर और अपनी चूत के द्वार पर रगड़ कर उसके चूत में दाखिल होनेकी जगह बनायी। एक हल्का धक्कामार कर सुनीता ने अपने पति को उनका लण्ड अपनी चूत में डालने के लिए इंगित किया। सुनीलजी जस्सूजी और सुनीता की चुदाई देख कर काफी उत्तेजित हो गए थे। उन्हें इंतजार था तो अपनी बीबी और अपने दोस्त के इशारे का।
सुनीता की चूत की सुरंग तो पहले से ही जस्सूजी के पूर्व स्राव और सुनीता के अपने स्त्री रस से पूरी स्निग्ध एवं लथपथ हो चुकी थी। सुनीलजी के लण्ड को अंदर घुसनेमें कोई ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी। एक ही झटके में सुनीलजी ने अपना लण्ड अपनी बीबी की जानी पहचानी चूत में डाल दिया। एक पल के लिए सुनीता को अपनी चूत की चमड़ी खींचने से कुछ दर्द जरूर हुआ पर वह जो सम्भोग का आनंद था उसकी तुलना में कुछ भी नहीं था।
अपने घर में तो सुनीता अपने पति से लगभग रोज ही चुदती रहती थी। पर उस दिन वह इस वजह से ज्यादा उत्तेजित और शर्मीली भी थी की उसकी चुदाई उसके पति किसी की नजरों के सामने करने वाले थे। जस्सूजी नंगी सुनीता की उसके पति से चुदाई देखने वाले थे। सुनीता ने पीछे मूड कर जस्सूजी की और देखा। जस्सूजी अपना लण्ड सुनीता की गाँड़ से सटा कर सुनीलजी से सुनीता की चुदाई का इंतजार कर रहे थे। नजरें मिलते ही जस्सूजी ने सुनीता की पलकों पर एक हलकी चुम्मी दी और आँख मारकर चुदाई शुरू करवाने का इशारा किया।
सुनीता पलंग में दो मर्दों के बिच ऐसी पिचकी हुई थी की अगर ध्यान से ना देखा जाए तो शायद दो मर्दों के गठीले बदन के बिच में सुनीता का हल्का फुल्का बदन तो दिखे ही ना।
पर दोनों मर्द सुनीता के कमसिन बदन का भरपूर अनुभव कर रहे थे। जस्सूजी सुनीता की भरी हुई मस्त गाँड़ को पीछे से टॉच रहे थे तो सुनीलजी सुनीता की चूत में अपना मोटा लंड डालकर उसे चोदने के लिए तैयार थे। पीछे से जस्सूजी ने अपना लण्ड सुनीता की गाँड़ की दरार में फँसा रक्खा था। वह अपने लण्ड को सुनीता की गाँड़ में डालना चाहते तो थे, पर जानते थे की ऐसा करने से सुनीता को असह्य कष्ट और दर्द होगा और चमड़ी फटने से शायद खून भी बहने लगे।
अपने आनंद के लिए कभी भी कोई सच्चा प्रेमी अपनी प्रेमिका को दुखी करना नहीं चाहेगा। जस्सूजी जानते थे की कई लडकियां और औरतें अपनी गाँड़ में लण्ड डलवाती थीं।
पर यह बात भी सही है की ऐसा करने से औरतों को बवासीर की बिमारी हो सकती है। जस्सूजी का लण्ड काफी मोटा और लंबा होने के कारण वह सुनीता की गाँड़ में उसे डालकर सुनीता को दुःख पहुंचाना नहीं चाहते थे।
पढ़ते रहिये.. क्योकि यह कहानी आगे जारी रहेगी!
[email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000