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मैंने फूल सी कोमल और हलकी नंगी पूजा को अपनी बाहों में उठाकर धीरे से पलंग पर लिटा दिया। उसके पाँव चौड़े कर मैंने उसे पलंग के एक छोर पर पूजा की गाँड़ टिका कर उसके पाँव निचे लटकाने को बाध्य किया।
पूजा की सुआकार सही मात्रा में माँसल कमल की नाल की तरह पतली जाँघों को काफी और चौड़ा कर मैंने अपना मुंह उस खाई में घुसाया और पूजा की रस रिसती हुई चूत में अपनी जीभ डाल कर मैं उसके रस को चाटने लगा।
मेरी जिह्वा को अपनी चूत में स्पर्श को अनुभव करते ही पूजा एकदम काँप उठी। उसके पुरे बदन में एक सरसराहट सी फ़ैल गयी। मैंने अनुभव किया की उसकी चूत में से उसके पानी के स्राव अचानक बढ़ गया। मेरा अपना भी तो हाल बुरा था।
मेरा लण्ड भी तो पूरा फूल कर लोहे की छड़ के समान पूरा लंबा और मोटा पूजा की चूत में घुसने के लिए फनफना रहा था। मेरे लण्ड में से भी तो पूर्व रस रिस रहा था। मैं एक हाथ में अपना लण्ड सम्हाले हुए दूसरे हाथ से अपना संतुलन बनाये रखे पूजा की चूत में अपनी जीभ डाल कर उसकी चूत को कुरेदने लगा।
कुछ देर तक मैं पूजा की चूत को चाटता रहा और पूजा पलंग पर अपनी गाँड़ को मचलती हुई बिना कुछ बोले मुझे अपना लण्ड उसकी चूत में डालने का इशारा करती रही। आखिर में पूजा से रहा नहीं गया। मर्यादा की सारी सीमाएं तोड़ कर पूजा अचानक चिल्लाई, “अरे साले यह क्या तू मेरी चूत चाटने को लगा हुआ है? अब बस कर यार। वह मेरा पति कहीं आ गया ना, तो फिर मुझसे तुम कोई उम्मीद मत रखना। फिर तुम ऐसे ही धरे के धरे रह जाओगे। फिर अपनी नीना को ही चोदते रहना। अब जल्दी करो यार! मुझ पर चढ़ो और मुझे तुम्हारे इस मोटे लण्ड से चोदो।”
फिर अचानक वह चुप हो गयी। अपना ऐसा कामातुर रूप वह अक्सर अपने पति को ही दिखाती थी। राज को भी पूजा की चुदवाने के लिए निकाली गयी ऐसी गन्दी बातें, पूजा की गालियाँ और उसका गुस्सा बड़ा ही गरम कर उसका लण्ड खड़ा कर देता था। वह बार बार पूजा को ऐसी गालियां निकाल ने के लिए बाध्य करता था और अब इतने सालों के बाद तो पूजा भी अनायास ही ऐसी गालियां निकाल कर अपने पति को चोदने के लिए गरम करने की कला में पारंगत हो गयी थी। पर यहां तो बात दूसरी थी। यहां तो कोई और था। पूजा को अफ़सोस हुआ की वह अनूप से चुदवाने की कामना में अपना आपा खो बैठी।
पूजा ने मेरा सर थामा और मुझसे से माफ़ी मांगते हुए कहा, “यार अनूप, मुझे माफ़ कर देना। मेरा पागल पति मुझे अक्सर ऐसी गन्दी गन्दी बातें करने के लिये मजबूर करता है। डार्लिंग! तुम्हें बुरा तो नहीं लगा ना? पर यार अब अपना काम जल्दी करो इतने सालों से दबी हुई मेरी इच्छा पूरी करो। अब मुझसे रहा नहीं जाता।”
मैंने पूजा की जाँघों के बिच में से अपना सर हटाया। खड़ा होकर मैंने पूजा को पलंग पर सीधा सुलाते हुए मैं उसकी जाँघों को फिर से पूरा खोल कर चौड़ा कर के बिच में अपनी टाँगों को फँसाया और प्यारसे हलके से मैं पूजा के नंगे लेटे हुए बदन पर सवार हुआ। मेरा लण्ड पूजा के पेट पर ऐसे खड़ा हुआ पुरे इत्मीनान से लहराने लगा जैसे अब उससे अपनी माशूका (पूजा की चूत) में घुसने से कोई रोक नहीं सकेगा।
मैंने पूजा से कहा, “डार्लिंग पूजा, मैं तुम्हें एक बात कहना चाहता हूँ। प्रिय प्रियतम की गालियों में जो रस और प्यार है ना, वह किसी भी सम्मान जनक शब्दों में नहीं होता। तुमने तो फिर भी मुझे यार और साला ही कहा। तुम मुझसे जी भर के गालियां निकालो। मुझे उसीमें अपनापन लगेगा, मुझे अच्छा ही लगेगा।”
पूजा ने बड़े प्यार से मेरा लण्ड अपनी हथेली में लिया और उसके ऊपर अपनी उंगलियां फिरा फिरा कर उस पर बिखरी हुई चिकनाहट वह पुरे लण्ड की सतह पर फैलाने लगी। साथ साथ में शायद वह अपने मन ही मन में कल्पना करने लगी की जब यह लण्ड उसकी चूत में घुसेगा तो उसे कैसा महसूस होगा।
फिर पूजा के मुंह से बड़े ही धीरे से शब्द निकले जैसे वह अपने आपको ही सूना रही थी, “साली यह मरद जात को समझना बड़ा ही मुश्किल है। एक मर्द अपनी बीबी को किसी और मर्द से चुदवाना चाहता है, तो दुसरा मरद भी उस औरत से गालियाँ खा कर ही उसे चोदना चाहता है। दो मर्दों के बिच में फँसी औरत बेचारी करे तो क्या करे? मुझ बेचारी को तो इन मर्दों के बिच ही जीना है।”
पूजा ने मेरा लण्ड खिंच कर अपनी चूत की फाँस को सहलाते हुए थोड़ा चौड़ा कर के मेरे लण्ड को अपनी उँगलियों से पकड़ कर उसकी चूत के केंद्र बिंदु में थोड़ा सा घुसाने की कोशिश करते हुए कहा, “अनूप, तुम्हारा लण्ड मेरे पति से काफी मोटा और लंबा है। इसे तुम धीरे धीरे घुसाना। जल्दबाजी में कहीं तुम मेरी चूत को फाड़ मत देना। आगे चलकर भी सालों तक यह तुम्हारे काम आ सकती है।”
मैंने भी सोचा की अब मैं भी पूजा को उसीकी जबान में जवाब दूँ। मने कहा, “अरे साली मेरी और राज की राँड़! अब आजसे यह तुम्हारी प्यारी नाजुक चूत सिर्फ तुम्हारे पति राज की ही नहीं मेरी भी है। मैंने तुम्हारी उस चूत को चोदने के लिए पता नहीं कितनी रातें जाग कर बितायीं हैं। ठीक है, तुम राज की ब्याहता पत्नी हो और उसका तुम पर और तुम्हारा उस पर पूरा अधिकार है। पर आजसे तुम्हारी यह चूत पर तुम दोनों की इजाजत से मेरा भी हक़ है। और हक़ से साथ फर्ज भी आता है। मेरी और राजकी हमारी प्यारी पूजा! मैं तुम्हारी चूत की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखूंगा। पर हाँ मैं तुम्हें आज ऐसा चोदुँगा की शायद तुम्हारे पति ने भी तुम्हें ऐसा कभी नहीं चोदा होगा।”
यह कह कर मैंने अपना लण्ड पूजा की इंतजार करती हुई चूत में कुछ गहराई तक घुसाया। सात साल से राज से चुद रही और राज के एक बच्चे की माँ पूजा भी मेरा लण्ड घुसते ही कराह उठी। “अरे साले, धीरे से डाल! मैंने तुझे कहा नहीं था?”
पूजा की गाली सुनकर मेरा लण्ड पूजा की चूत में और भी फूल गया। मैंने उसे और ना घुसाते हुए कहा, “मेरी जान आई एम् सॉरी! मैं ज़रा उत्तेजित हो गया था। अब मैं बिलकुल ध्यान रखूंगा।”
मैंने फिर अपना लण्ड वापस खिंच लिया। अब पूजा और झल्लायी और चिल्लाई, “अरे साले, मैंने तुझे निकालने के लिए थोड़े ही कहा था? चल यार चोद अब जाने दे अंदर डाल। मुझे चिल्लाने दे। मेरे चिल्लाने की चिंता मत कर! पर आज मुझे ऐसा चोद जैसा तूने तेरी बीबी वह साली नीना है ना? उसे भी ना चोदा हो।”
पूजा की गालियां सुनकर मैं ज्यादा ही गरम हो गया। मैं समझ गया की शायद पूजा को दर्द तो हुआ होगा पर मेरे लण्ड को अंदर डलवा कर उसे मझा भी खूब आ रहा था। मैंने फिर मेरा लण्ड और अंदर डाल दिया। पूजा कराहती रही और मैं उसे चोदता रहा और अपना मोटा लण्ड उसकी चूत में धीरे धीरे अंदर ज्यादा और ज्यादा घुसेड़ता गया।
मेरा लण्ड जब पूजा की चूत की बच्चेदानी को टक्कर मारने लगा तो पूजा जोर से चिल्लाई, “अब बस कर भड़वे! तुझे अपनी मर्दानगी और दिखाने की जरुरत नहीं है। तेरा इतना फौलादी लण्ड ही काफी है। अब तू उसे बहुत ज्यादा अंदर मत घुसेड़। मुझे दर्द हो रहा है। अब तू मुझे अच्छी तरह चोद। आज तू अपने और मेरे मन की सारी इच्छाएं पूरी करले।”
पूजा की बात सुनते ही मेरी हंसी निकल गयी। मैंने मेरे धक्के मारने की गैती थोड़ी बढ़ाई। अब मैं एक के बाद एक धक्का मारने लगा। मैंने तयह ध्यान रखा की मेरा लण्ड पूरा का पूरा अंदर तक ना घुसेडूं जब तक पूजा ना कहे। शायद मेरा लण्ड पूरा घुसेड़ने से पूजा की बच्चेदानी को चोट पहुँच सकती थी। मेरे फोरस्फुल धक्के मारकर छोड़ने से पूजा पूरी हिल जाती थी। पर मुझे महसूस हुआ की पूजा को मेरा यह स्टाइल पसंद आया था क्यूंकि वह आँखें बंद कर सिसकियाँ भर रही थी।
मैंने कहा, “पूजा, जबर्दस्ती गन्दी गन्दी बात करने की कोशिश मत करो. तुम्हें नहीं जँचती। तुम वैसे ही बड़ी सेक्सी हो। सभ्य बात करोगी तब भी उतनी ही सेक्सी लगोगी।”
पूजा का पूरा बदन मेरे धक्कों से हिल रहा था, फिर भी वह हंस पड़ी और बोली, “मैं जानती हूँ मर्दों को सेक्स के समय गन्दी बातें करना बहुत पसंद है। राज हमेशा मुझे गन्दी बातें करने के लिए उकसाता रहता है।”
मैंने कहा, “मैं भी औरतों के कुछ सीक्रेट जानता हूँ।”
पूजा: “क्या?”
मैंने कहा, “चुदवाते समय, औरतों को अपने स्तनों को चुसवाने और सेहलवाने से और ज्यादा उत्तेजना होती है।”
पूजा ने हँस कर कहा, “तो फिर तुम्हारे हाथों और मुंह को लकवा मार गया है क्या?”
मैंने कुछ क्षोभित होते हुए झुक कर पूजा के दोनों गुम्बजों को एक के बाद एक चूसते हुए कहा, “नहीं, मैं बातें करने में ज्यादा बिजी हो गया था। पूजा की निप्पलेँ उस दिन इतनी प्यारी और मीठी लग रहीं थीं की जैसे पहले किसीकी नहीं लगी। पूजा के स्तन मेरी हथेलियों में ऐसे लग रहे थे जैसे कड़ी जेल का एक ढेला हो जिसके ऊपर अमरुद की डंखल की तरह पूजा के स्तनोँ की निप्पलेँ हाथों की उँगलियों में महसूस हो रहीं थीं।
धीरे धीरे मेरे अंडकोष में मेरा वीर्य फर्राटे मारने लगा। पूजा भी मेरी चुदाई से बाँवरी सी हो रही थी। वह बार बार बार “मेरे अंदर अनूप, तुम इतने मीठे लग रहे हो! क्या बताऊँ, तुम्हारा लण्ड मेरे अंदर गजब ढा रहा है।”
और सच में मैं भी महसूस कर रहा था की पूजा की चूत की फड़कन मेरे लण्ड को बार बार सख्ती से पकड़ रही थी छोड़ रही थी।
मेरे लिए यह ज्यादा देर तक बर्दाश्त करना मुःकील था। मैं मेरी सपनों की रानी पूजा को पता नहीं कितने सालों के बाद चोदने में सफल हो पाया था। उसके लिए मुझे पूजा से भी ज्यादा उसके पति का शुक्रिया अदा करना चाहिए था। अचानक मुझे याद आया की मेरी और पूजा की यह प्रेम क्रीड़ा ना सिर्फ राज देख रहा होगा बल्कि सुन भी रहा होगा। मैंने पलंग के इर्दगिर्द छोटे छोटे माइक्रोफोन्स रखवा दिए थे।
मैं अपने चरम पर पहुँचने वाला ही था। मैं मेरा लण्ड पूजा की चूत में और जोर से पेलने लगा। पूजा भी अपने कूल्हे उछाल उछाल कर मेरा साथ दे रही थी। वह साथ साथ में मुझे चोदने के लिए यह कह कर प्रोत्साहित कर रही थी की, “अनूप, तुम्हारा लण्ड बड़ा तगड़ा है। मेरे अंदर पूरा घुस गया है और कोने कोने में घुसा पड़ा है। मुझे लग रहा है की तुम अब छोड़ने वाले हो। तो तुम ज़रा भी चिंता मत करो। मैं पूरी तैयारी के साथ आयी हूँ। तुम अपना वीर्य मेरी चूत में ही छोडो।
पर मुझे भी झड़ना है। मरा भी छूटने वाला है। जोर से चोदो। थोड़ी देर रुक जाओ। मेरा छूट जाए उसके बाद ही तुम छोड़ना।”
मैंने अनुभव किया की पूजा भी अपने कूल्हे उठाकर जोर से चुदवाने का इशारा कर रही थी। मैं ने पूजा और जोर से चोदना शुरू किया। मुझे पूजा के दर्द की कोई चिंता नहीं थी, क्यूंकि पूजा ही अब मुझे जोर से चोदने को कह रही थी।
अचानक पूजा के मुंह से हलकी सी चीख निकल पड़ी। वह झड़ रही थी। मैं थमने वाला ही था की पूजा ने अपने कूल्हे उठाकर मुझे जारी रखने को इंगित किया। पूजा को मेरे साथ ही झड़ना था। मैंने अपने धक्कों को बढ़ाया और पूजा की चूत में अपना लण्ड और तेजी से पेलने लगा। कुछ ही पलों में मेरा भी एक धमाके से छूट ने लगा। मेरे लण्ड में से पिचकारी सी निकली और पूजा की चूत की चारों दीवारों में फ़ैल गयी। पूजा ने भी मेरा गरम लावा अपनी चूत की सुरंग में फैलते हुए महसूस किया होगा, क्यूंकि उसके चहरे पर एक शान्ति और संतोष के भाव नजर आ रहे थे।
काफी देर तक हलके हलके झटके मार कर मैंने अपना सारा माल पूजा की चूत में खाली कर दिया। पूजा भी चुदवाई से थकी हुई मेरा लण्ड अपनी चूत के अंदर रक्खी हुई लेटी थी की अचानक मुझे तालियों की आवाज सुनायो दी। मैंने देखा तो राज अंदर दूसरे दरवाजे से जो की रिकॉर्डिंग रूम से सीधा ऑडिशन रूम में खुलता था, उससे प्रवेश कर रहा था।
राज ने अपनी नंगी बीबी को मेरे तले दबे हुए देखा। उसने ताली बजाकर कहा, “थैंक यू पूजा। तुमने आज मेरा सपना पूरा किया। आज तुमने मेरी बात मान कर किसी गैर मर्द से अपनी चुदाई कारवाही ली। अब हम तुम दोनों मुझे तुम्हारी चुदाई देखने का अवसर दिया। और अनूप, तुम्हारा भी धन्यवाद। तुमने आज मुझे मेरी बीबी की चुदाई देखने का मौक़ा दिया।”
पूजा हैरान सी अपने पति की और देखती रही। धीरे से उसने मुझे अपना लण्ड निकाल ने को कहा। अपने पति को अपने दोनों हाथ लम्बे कर अपने आहोश में बुलाया। राज भाग कर अपनी बीबी की बाँहों में छुप गया। राज पूजा के बालों को, पूजा की गर्दन को, पूजाकी छाती के उभरे हुए दूध भरे स्तनों को चूसता और चूमता हुआ पागलों की तरह बड़बड़ाता रहता था , “पूजा आज मुझे तुमने वह भेंट दी है जो पहले कभी नहीं दी। आज तुमने आप से चुदवा कर अनूप को ही नहीं मेरी भी ख्वाहिश पूरी की है।”
पूजा ने कहा, “अब ज्यादा बोलो मत। अपने कपडे निकालो और मुझे चोदो। अनूप का वीर्य अभी मेरी चूत में ही है। तुम कहते थे ना की किसी और का माल मेरी चूत में होगा तो तुम्हें मुझे चोदने में और भी मझा आएगा? तो लो मैं तैयार हूँ। मैं जानती थी तुम मुझे अनूप से चुदवाना चाहते थे। तुम दोनों ने मिलकर यह नाटक मुझे चुदवाने के लिए ही किया था ना?”
मैंने बिच में बोला, “नहीं पूजा ऐसा बिलकुल नहीं है। आज तुमने जो शॉट दिया है वह सीधा ही स्वीकार हो सकता है। तुम मुझे मिली यह तो मेरे लिए एक बोनस है।”
राज ने कहा, “अनूप, अब यह बोनस तुम्हारा है तुम जब चाहो पूजा को चोद सकते हो अगर पूजा भी चाहे तो। आज से हम तीन एक हैं। इसी को तो कहते हैं “थ्री सम ” मैं तुम्हारी बीबी नीना की तो नहीं जानता पर मैं और तुम मिलकर मेरी बीबी को सेटिस्फाई करेंगे।” फिर राज ने पूजा की और घूमते हुए पूजा से पूछा, “क्यों पूजा! क्या आगे से तुम हम दोनों को एक साथ या बारी बारी एकदुसरे के सामने तुम्हें चोदने दोगी ना?”
पूजा ने शर्म से अपनी निगाहें नीची करते हुए कहा, “तुम मर्द लोग एकदम बेशरम हो। और जहां तक नीना का सवाल है तो उसे तुम मुझ पर छोड़ दो। आने तो दो उसको। फिर देखते हैं।”
और ऐसे देखते ही देखते पूजा टी. वी. की जानी मानी अदाकारा बन गयी। पर जब भी मौक़ा मिलता था वह मेरे पास ख़ास चुदाई करवाने आ जाती थी। कई बार मैं और राज मिलकर उसे चोदते थे। पर वह सब कैसे हुआ, मेरी बीबी नीना हमारे साथ जुडी या नहीं। यह एक लम्बी कहानी है। फिर कभी मिलेंगे तब करेंगे वह सब बातें।
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