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अब तक इस सेक्स स्टोरी में आपने पढ़ा कि मोना ने नीतू के साथ लेस्बियन सेक्स किया था और उसको गोपाल के साथ के साथ कैसे पेश आना है, ये समझा दिया था. अब आगे..
मोना ने नीतू को अच्छी तरह समझा दिया था कि कल उसको कैसे गोपाल को रिझाना है.. और कह दिया था कि इसके बाद तो गोपाल खुद तुझे लंड चूसने को बोलेगा. वो दोनों काफ़ी देर बात करती रहीं फिर कपड़े पहने और सो गईं.
दोस्तो, यहाँ भी खेल खत्म, अब हम तीसरी घटना पर भी नज़र डाल लेते हैं.
रात का खाना खाने के बाद रोज की तरह हेमा ने सारे काम निपटा दिए और सोने चली गई. गुलशन जी बस उसके सोने का इन्तजार करने बैठ गए. उधर सुमन को पता था कि उसके पापा ऐसे ही तो नहीं आ रहे, उनके मन में कुछ तो चल ही रहा होगा और जैसे उन्होंने सुबह उसके निप्पलों को चूसा था, उससे उनके इरादे अब ज़्यादा ख़तरनाक हो सकते हैं, वो मन ही मन यही सब सोच रही थी. सुमन सोचने लगी कि पापा तो मेरे ऊपर एकदम लट्टू हो गए, उन्होंने मेरा सब कुछ देख लिया मगर अभी तक मुझे उनका लंड देखने को नहीं मिला. वैसे चूसने से तो लगता है कि पापा का लंड काफ़ी मोटा और बड़ा होगा. चलो आज पापा के लंड को देखने के लिए कुछ ना कुछ आइडिया लगाती हूँ.
सुमन ने थोड़ी देर सोचा, उसके बाद वो उठी और उसने अपनी नई ब्रा और पेंटी का सैट पहना, उसके बाद अपने रोज वाले नाइट के कपड़े पहन लिए और अपने पापा का इन्तजार करने लग गई.
आग तो दोनों तरफ़ बराबर लगी हुई थी. जैसे ही हेमा सोई, गुलशन जी उठे और सीधे सुमन के कमरे में चले गए. उस वक़्त रूम की लाइट भी जली हुई थी और सुमन पेट के बल लेटी हुई थी.
गुलशन- क्या तुम सुमन सो गईं? सुमन- नहीं पापा आपका ही वेट कर रही थी. आ जाओ ना अन्दर.. आप ऐसे दरवाजे पर क्यों खड़े हो गए हो!
गुलशन जी ने दरवाजा बंद किया और सुमन के पास आकर बैठ गए.
सुमन- पापा आप बहुत अच्छे हो, मुझे सुलाने के लिए आ गए. गुलशन- अरे आता कैसे नहीं.. तू मेरी जान है, तेरे लिए तो मैं कुछ भी कर सकता हूँ. सुमन- थैंक्स पापा.. चलो मेरा सर दबाओ, मुझे आपका दबाना अच्छा लगता है.
गुलशन जी शुरू हो गए मगर सुमन को सर थोड़ी दबवाना था, वो तो आज कुछ और ही दवबाने के मूड में थी. थोड़ी देर बाद उसने अपना नाटक शुरू कर दिया. सुमन ज़ोर से उछली और अपने सीने पर खुजाने लगी. गुलशन- अरे क्या हुआ.. क्या तुझे फिर खुजली हो रही है? सुमन- आह.. सस्स ये सुबह से ही हो रही है. लगता है चींटी ख़तरनाक थी.. उसका जहर अभी तक असर कर रहा है. गुलशन- मैंने कहा भी था कि मुझे देखने दे. मगर तू नहीं मानी अब ये ज़्यादा हो गया ना.. चल अब मुझे देखने दे. उसके काटने से कोई दाद-वाद तो नहीं हो गई.?
सुमन- नहीं पापा रहने दो, मैं खुजा रही हूँ ना.. अब इस वक्त कौन सा मेरे हाथ पर आटा लगा हुआ है. गुलशन- बात तेरे हाथ की नहीं है, तू कैसे देख पाएगी. अब बहस मत कर, मैं ठीक से देख लेता हूँ. सुमन- ठीक है पापा आप ही देख लो.
गुलशन जी ने जैसे ही टी-शर्ट ऊपर की तो उनको सुमन की लाल ब्रा नज़र आई और उनके अरमान पानी-पानी हो गए. गुलशन- अरे तूने अन्दर पहन लिया. अब मैं कैसे देखूँ? सुमन- व्व..वो पापा सुबह आपने ही तो कहा था. इसलिए मैंने.. गुलशन- तू एकदम पागल है.. अरे बेटा जब बाहर जाओ, तब पहनने के लिए कहा था. रात को सोने के टाइम नहीं पहनते, इससे भी खुजली होती है और शरीर को हवा नहीं मिलती. रात को तो ऊपर-नीचे एकदम खुलकर सोना चाहिए. तू मेरी बात को समझ रही है ना? सुमन- हाँ पापा, समझ रही हूँ सॉरी मैं ठीक से समझी नहीं थी. कल से में पहन कर नहीं सोऊंगी. गुलशन- अरे कल से क्यों? अभी निकाल दे ना.. और हाँ तूने वो कपड़ों के साथ रात में पहनने के लिए वो नाइट ड्रेसिज ली थीं ना.. वो क्यों नहीं पहनती, उनमें ज़्यादा आराम रहता है और जिस्म को हवा भी मिलती है.
सुमन अपने मन में कहने लगी- वाह पापा मानना पड़ेगा आपको.. बिना ब्रा-पेंटी की वो सेक्सी नाइटी मुझे पहनाना चाहते हो ताकि मेरे मज़े खुल कर ले सको. गुलशन- तू अब क्या सोच रही है? सुमन- कुछ नहीं पापा.. कल से मैं सोने के टाइम वही पहन लूँगी. गुलशन- अरे तू कल पर क्यों अटकी हुई है. चल अभी पहन. मैं भी तो देखूं मेरी बेटी मॉर्डन कपड़ों में कैसी लगती है. सुमन- ठीक है पापा आपकी इच्छा यही है तो मैं अभी पहन कर आती हूँ.
सुमन ने अलमारी से नाइटी ली और बाथरूम में चली गई. वहां वो एकदम नंगी हो गई और अपने मम्मों पे हाथ घुमा कर बड़बड़ाने लगी- ओह पापा.. आपने मुझे अपना दीवाना बना लिया है. आज ये चूचे आपके हाथों के स्पर्श के लिए मचल रहे हैं. आज तो मैं आपको भरपूर मज़ा दूँगी और आपका लंड रस आज वेस्ट नहीं होने दूँगी.. पूरा पी जाऊँगी.
थोड़ी देर तक सुमन अपने आपसे बात करती रही, फिर जब वो नाइटी पहन कर बाहर आई तो गुलशन जी तो बस उसको देखते ही रह गए. सुमन ने एक ब्लैक शॉर्ट नाइटी पहनी थी जो उसको घुटनों से भी ऊपर थी और उस काली नाइटी में उसका गोरा बदन बड़ा ही मनमोहक नज़र आ रहा था. बिना ब्रा के उसके चूचे आधे से ज़्यादा बाहर झाँक रहे थे.
गुलशन तो सांस रोके उस वासना की मूरत को घूरे जा रहे थे. सुमन उनके एकदम पास आकर खड़ी हो गई- क्या हुआ पापा, मैं इन कपड़ों में कैसी लग रही हूँ? गुलशन- बहुत सुन्दर तू एकदम किसी अप्सरा की तरह लग रही है.
सुमन ने थैंक्स कहा और अपने पापा से लिपट गई और जानबूझ कर वो उनसे ऐसे चिपकी कि उसके चूचे गुलशन के सीने में धँस जाएं. इस वक्त सुमन अपने पापा का लंड अपनी नाभि पे महसूस कर रही थी, जो एकदम अकड़ा हुआ था.. जैसे अभी उसके पेट को फाड़ देगा.
गुलशन- चल अब तू लेट जा, मैं तुझे सुला देता हूँ और वो तुझे चींटी ने किधर काटा था, वो भी देखता हूँ. सुमन- नहीं पापा रहने दो.. आप कैसे देखोगे.. इसको ऊपर करना पड़ेगा और मैंने अब नीचे कुछ पहना भी नहीं है. गुलशन- अरे मैं तेरा पापा हूँ, तू ऐसे क्यों बोल रही है और इसको उठाने की जरूरत नहीं मैं ऊपर से ही देख लूँगा.. ठीक है. सुमन- नहीं पापा मुझे शर्म आएगी. आप ऐसा करो कि लाइट बंद करके देख लो. गुलशन- लो कर लो बात.. अंधेरा होने के बाद मैं कैसे देख सकता हूँ. मुझे तुमने उल्लू समझा है, जो अंधेरे में देख सकूं? सुमन- हा हा हा हा पापा आप भी ना.. अच्छा ठीक है. मैं आँखें बंद कर लेती हूँ आप प्लीज़ जल्दी से देख लेना. गुलशन- अच्छा ठीक है.. चल तू आराम से लेट जा, मैं देखता हूँ.
सुमन सीधी लेट गई और अपनी आँखों पर हाथ लगा लिए.
बस गुलशन जी को और क्या चाहिए था, उन्होंने ऊपर से जो डोरी बंधी थी.. उसको खोला तो सुमन का पूरा सीना साफ नज़र आने लगा. गुलशन सुमन के सीने पर बड़े प्यार से हाथ घुमा कर मज़ा लेने लगे. वो थोड़ा दबा भी रहे थे, कभी निपल्स को उंगली और अंगूठे से दबा देते.
सुमन- आह.. सस्स पापा.. आराम से देखो ना.. दुख़्ता है आह.. सस्स धीरे. गुलशन- अरे इनको इनको ऊपर-नीचे करके देखने दे. मैं ठीक से देख रहा हूँ कि कहाँ-कहाँ काटा है.. समझी.
गुलशन जी तो बस अपनी बेटी के मम्मों को दबा कर मज़ा ले रहे थे. उन पर वासना सवार हो गई थी. गुलशन जी का लंड लुंगी में तंबू बना चुका था, उनकी आँखें लाल हो गई थीं.
सुमन- क्या हुआ पापा.. देख लिया क्या मुझे दर्द हो रहा है. गुलशन- हाँ देख लिया.. बहुत जगहों पे काटा है.. लाल निशान हो गए हैं. सुमन- ओह.. गॉड अब क्या होगा पापा इनमें तो बहुत खुजली होगी ना? गुलशन- ऐसे कैसे होगी.. मैं किस लिए हूँ.. अभी मैं इसका सब इलाज कर दूँगा.
सुमन- आप इलाज कैसे करोगे पापा? गुलशन- बेटी दवा से कुछ नहीं होगा. मैं देसी तरीके से ठीक करूंगा. सुमन- कौन सा तरीका मुझे तो बताओ पापा. गुलशन- मैं इन निशानों को चूस कर चींटी का सारा जहर निकाल दूँगा, फिर तुझे इनमें खुजली नहीं होगी. सुमन- नहीं पापा रहने दो, मुझे ये सब अच्छा नहीं लग रहा और मुझे शर्म भी बहुत आ रही है. आपके सामने मैं ऐसे पड़ी हुई हूँ, नहीं नहीं.. जाने दो. गुलशन- अरे जाने कैसे दूँ.. ये बहुत ख़तरनाक है. अभी खुजली होगी फिर एलर्जी हो जाएगी. मैं तेरा पापा हूँ कोई गैर नहीं.. मुझसे कैसी शर्म! सुमन- अच्छा पापा कर दो मगर प्लीज़ लाइट बंद कर दो ना प्लीज़.. मुझे शर्म आ रही है.
गुलशन जी ने सुमन की बात मान ली, वैसे अंधेरा होने में उनका ही फायदा था. वो खुलकर मज़े ले सकते थे और बाप-बेटी के बीच ये परदा भी बना रहता.
गुलशन जी ने लाइट बंद कर दी और वो सुमन के मम्मों पर भूखे कुत्ते की तरह टूट पड़े. मम्मों को दबाने लगे, निप्पलों को बारी-बारी से चूसने लगे, जिससे सुमन की उत्तेजना बढ़ने लगी. वो बस मादक सिसकारियां लेकर मज़ा लेने लगी. सुमन- आह.. सस्स पापा.. आह.. अच्छा लग रहा है. उई काटो मत ना.. आह.. हाँ ऐसे ही आह.. आराम से चूसो उफ्फ आह…
काफ़ी देर तक गुलशन जी अपनी बेटी के मम्मों को चूसते रहे. अब तो सुमन की चुत भी पानी टपकाने लगी थी. वो एकदम गर्म हो चुकी थी और यही हाल गुलशन जी का भी था. उनका लंड अकड़ कर दर्द करने लगा था.
जब सुमन से बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने दूसरा दांव खेला, जो गुलशन जी के लिए भी फायदेमंद साबित हुआ.
दोस्तो, बीच में आने के लिए माफी चाहती हूँ. अब ये दांव आपको अगले भाग में पता लगेगा. उम्मीद है आपको मज़ा आ रहा है. अब तो आप समझ ही गए होंगे कि कॉलेज से शुरू हुई ये रैगिंग ने कैसे सुमन को रंडी बनने पे मजबूर कर दिया, जो अपने ही बाप के साथ वासना का ये गंदा खेल खेलने में लगी हुई है. अब इसकी ये वासना इसको कहाँ तक लेकर जाती है, ये आगे आने वाले भाग में आप जान जाओगे.. तो पढ़ते रहिए.
मेरे साथियो, आप मुझे मेरी बाप बेटी सेक्स स्टोरी पर कमेंट्स कर सकते हैं.. पर आपसे एक इल्तिजा है कि आप लेखिका पर कमेंट्स ना करें. [email protected] कहानी जारी है.
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