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दोस्तो, मैं आपका दोस्त राज एक बार फिर हाजिर हूँ एक सत्य घटना को लेकर! मैं उत्तराखंड देहरादून का रहने वाला हूँ! यहाँ से पढ़ाई पूरी कर मैं जाब के लिए दिल्ली चला गया. वहाँ मुझे अच्छी कम्पनी में नौकरी मिल गई.
अब मैं रहने के लिए किसी अच्छे से रूम की तलाश में था. ऊपर वाले की कृपा और एजेंट की मदद से वो भी पूरी हो गई, उसने मुझे घर दिखाया बहुत सुन्दर घर था, पर उससे सुन्दर थी उस घर की मालकिन जिसका नाम था ऋतु! ऋतु नाम से ही आप अंदाजा लगा सकते हैं कितनी खूबसूरत रही होगी उम्र से 32 किन्तु शरीर से 23 की कमसिन कली थी ऋतु!
मैंने तुरन्त ही रूम में शिफ्ट कर लिया.
ऋतु ने बताया कि उसके पति राहुल काम के सिलसिले अकसर बाहर रहते हैं इसीलिए उन्होंने किरायेदार रखा है.
शाम को मेरी मुलाकात राहुल से हुई, 35 वर्षीय राहुल शांत स्वभाव का था, उन दोनों को देखकर ही लगता था दोनों में प्यार बहुत है! ऋतु बहुत खुले विचारों वाली कमसिन महिला है. कुछ दिन के बाद ऋतु और मैं खुल कर एक दूसरे से मजाक करने लगे. साड़ी में उसकी नंगी कमर को देख कर मेरे मन में खलबली मच जाती थी. मेरे मन में हर वक्त ऋतु को भोगने की लालसा बढ़ती जा रही थी. अब मैं काम पर जाता तो था, किन्तु तन से मन तो ऋतु पर ही होता था.
एक शाम राहुल ने मुझे डिनर साथ में करने को कहा तो मैं मना नहीं कर पाया! जब मैं उनके रूम पे गया तो राहुल और ऋतु दोनों मेरा इंतजार कर रहे थे! राहुल ने मुझे ड्रिंक ऑफर की तो मैंने भी प्रसन्नता से पेग हाथ में लिया और ऋतु को पीता देख थोड़ा आश्चर्य जरूर हुआ किन्तु मैं जानता था ऋतु, एक मोर्डेन हाउसवाइफ है! वोडका की बोटल कब समाप्ति की ओर पहुँची, कुछ पता नहीं चला!
राहुल को नशा अधिक हो गया था. मैं भी ऋतु को बाय बोल के जाने लगा तो ऋतु मुझे छोड़ने आ गई. उसने लोअर टीशर्ट पहना हुआ था, लोअर उसकी जांघों से टाइट चिपका हुआ था. मेरी नजर उसकी जांघों पे पड़ी तो वो समझ गई, बोली- क्या देख रहे हो राज? मैं बोला- खूबसूरती को देख रहा हूँ. और उसे आँख मार दी.
वो मुस्कुरा के बोली- अच्छा, तुम बहुत शरारती हो गये हो. इतना कहते ही नशे में होने के कारण उसके पैर लड़खड़ा गये और उसको गिरती देख मैंने उसे पकड़ने की कोशिश की तो मेरा हाथ उसके सीने से जा लगा और मैंने उसे पकड़ लिया. अब मेरे दोनों हाथ उसके बदन पर थे और वो मुझसे चिपकी हुई थी. एक तो जवान जिस्म ऊपर से दोनों पे ड्रिंक का नशा मुझे बहकने में देर नहीं लगी.
मैंने उसे पकड़ के किस करना शुरू कर दिया! वो खुद को मुझसे छुड़ाने की कोशिश करने लगी मगर मेरी पकड़ मजबूत थी. मैंने उसके लिप्स को चुसना शुरु कर दिया. उसने कुछ विरोध किया मगर मेरे हाथों की पकड़ से खुद को नहीं छुड़ा पाई और शांत हो गयी. मैं उसके होंठों को चूसने में इतना खो गया कि कब हम दोनों वहीं फर्श में लेट गये, पता नहीं चला.
मेरे हाथ उसके स्तन तक पहुँचे ही थे कि उसने मुझे अपने ऊपर से हटाया और अपने कमरे में भाग गयी. मेरा नशा उतर चुका था मानो पी ही नहीं हो, मेरी आँखों से नींद गायब हो चुकी थी.
जैसे तैसे रात कटी सुबह मेरी इतनी हिम्मत नहीं थी कि ऋतु से नजर मिला सकूं. ऋतु ने भी मुझसे बात नहीं की. मुझे पिछली रात के लिए शर्मिंदगी महसूस हो रही थी.
राहुल के जाने के बाद मैंने ऋतु से बात करने की कोशिश की, उसने सही से जवाब नहीं दिया. एक दो दिन बाद मैं अपने रूम से निकलने ही वाला था कि मुझे ऋतु की चिल्लाने की आवाज आई. मैंने जाकर देखा तो ऋतु बाथरूम में गिरी हुई थी उसके पैर में मोच आई हुई थी. मैंने उसको उठाया और बेड में लिटा दिया. उसने मेक्सी पहन रखी थी.
मैंने उससे पूछा- मूव या आयोडेक्स कुछ है लगाने को? उसने मना कर दिया. मैं जल्दी से किचन में गया और लहसुन और तेल को गर्म कर के ले आया और उसके पैर में लगाने लगा. धीरे धीरे मेरा हाथ उसके घुटने पे जा पहुंचा. उसने मेरे हाथ को हटाने की कोशिश की लेकिन मैंने उसको बोला- प्लीज कुछ देर शांत रहो, तुमको आराम मिलेगा. तो वो चुप हो गयी.
अब मेरा एक हाथ उसकी मेक्सी को ऊपर कर रहा था और दूसरा हाथ उसकी चिकनी टांगों पर फिर रहा था. मैं ठहरा मर्द जात… उसी चिकनी टाँगें देख कर फिसल गया, मेरे हाथ उसकी जांघों में घूमने लगे. वो खुद को छुड़ाने की कोशिश करने लगी लेकिन मैंने भी लोहा गर्म देख कर उसको कस लिया. वो कहने लगी- राज क्या कर रहे हो? हटो यहाँ से, छोड़ो मुझे! और अपनी मेक्सी नीचे कर दी.
मैं बोला- तुम्हारी कमर में भी चोट लगी है. तो उसने बोला- कोई नहीं, रहने दो, मैं खुद लगा लूँगी. लेकिन मैंने उसको प्यार से डांट लगाते हुए चुप करवा दिया और पीठ के बल लेटा दिया, फिर उसकी कमर की मालिश करने लगा. धीरे धीरे मेरे हाथ उसकी गदरायी हुई कमर पर चलने लगे.
अब ऋतु का शरीर भी गर्म होने लगा था, उसकी मादक सिसकारियाँ उसके शरीर में होने वाली बेचैनी को ब्यान कर रही थी. मैंने हालात को देखते थोड़ी हिम्मत करते हुए उसकी ब्रा खोल दी और फिर आराम से उसकी कमर मसलने लगा. ऋतु पर कामुकता छाने लगी थी और इसी बात का फायदा उठाते हुए मैंने उसके कूल्हों पर भी हाथ फिराना शुरू कर दिया. कुछ देर ऋतु कसमसाई लेकिन फिर शांत हो गयी. अब मैं अपने हाथ उसके कन्धे से लेकर उसकी गांड तक फेर रहा था और ऋतु भी चुपचाप इसके मजे ले रही थी.
मेरा लंड अब तन चुका था, उसे अब भूख लग चुकी थी, चूत की भूख! मैंने अपने हाथों को उसकी गांड की दरार से सरका कर उसकी चूत में सहला दिया. उसकी चूत जोश में गीली हो चुकी थी. चूत पे हाथ लगाते ही वो मचल पड़ी और उठने की कोशिश करने लगी मगर अब मेरे सर पर वासना हावी हो गयी थी, मैं उसके ऊपर लेट गया और उसको चूमने लगा.
ऋतु मना करने लगी- राज छोड़ो मुझे, जाओ यहाँ से! मगर शेर के मुख से शिकार फंसने के बाद बचना जिस तरह बचना मुश्किल होता है उसी तरह हवस में भूखे मर्द के सामने बिस्तर पर पड़ी नंगी स्त्री का बचना भी मुश्किल है!
मैंने एक हाथ से उसकी कमर को जोर से दबा दिया और दूसरे हाथ से उसकी चूत को मसलने लगा. ऋतु बोल उठी- राज छोड़ दो मुझे, ऐसा मत करो. किन्तु मैंने एक न सुनी और उसकी चूत को मसलते हुए उसकी पेंटी उतार के उसे घुटने तक नीचे कर दिया.
ऋतु पलट गयी, उसके 34″ के सुंदर मोटे वाले स्तन मेरे सामने थे. उसने एक हाथ से अपने स्तनों को छुपाया और दूसरा हाथ अपनी चिकनी चूत पे हाथ रख के उसे छुपाने लगी. मुझसे रह नहीं गया और मैं ऋतु की जांघों पे चाटने लगा और धीरे धीरे उसकी चूत पर मुँह ले गया. मैंने धीरे से ऋतु की अँगुलियों के ऊपर से ही चाटने लगा और उसके स्तनों को दबाने लगा.
भले ही कुछ भी हो, ऋतु थी तो एक गर्म जवान महिला… कब तक मर्यादा के नियंत्रण में रहती, ऋतु ने खुद को बचने के लिए उठने की नाकाम कोशिश की, इसी कोशिश में उसने अपनी चूत से हाथ हटा दिया. मुझे तो जैसे मेरी मंजिल मिल गयी थी. मुझे महसूस हो रहा था कि ऋतु मेरी कामुकता के जाल में फंस गयी है, आज इसका भोग लगेगा.
मैंने देर न करते हुए उसकी चूत में जीभ डाल दी और अंदर तक जीभ को ले जाकर अंदर बाहर करने लगा, ऋतु कामुकता वश पागलों जैसे मचलने लगी, उसने दोनों टाँगों के बीच में मेरे सर को कस लिया. किन्तु अब स्थिति ऐसी थी जिसमें ऋतु की चूत के अंदर मेरी जीभ अपना कमाल दिखा रही थी और उसके स्तनों के ऊपर मेरे हाथ अपना कमाल दिखा रहे थे. कुछ ही पलों में ऋतु बिस्तर में ही लेट के चूत चटवाने का आनन्द लेने लगी अब कामुकता के वशीभूत होकर उसके पैर स्वतः खुल गये और वो दोनों हाथों से मेरे सर को पकड़ कर मुझे अपनी चूत पर दबाने लगी मानो मेरा पूरा सर ही अपनी चिकनी चूत में घुसा देगी.
मैंने मौके की नजाकत देख उसे निर्वस्त्र कर दिया अब मैं आराम से उसकी जाँघों के बीच लेट कर उसकी चूत चाटने लगा. उसकी कामवासना बढ़ती जा रही थी किन्तु मैं उसको तड़पा रहा था, सच कहूँ तो मुझे उसकी चूत चाटने में बहुत मजा आ रहा था, मन कर रहा था कि पूरा मुँह उसकी चूत में डाल दूँ, उसकी चूत चाट चाट के ही उसका पानी निकाल दूँ!
ऋतु अब बेकाबू होती जा रही थी, अब वो खुल के मजे लेना चाहती थी, लिहाजा वो एक अचानक से पलटी और मेरे मुँह पर ही अपनी चूत को रगड़ने लगी. उसकी यह अदा देख मेरा दिल खुश हो गया. वो अब खुद ही मेरे मुँह पे अपनी चूत रगड़ रही थी और सिसकारियाँ ले रही थी. मेरे हाथ कभी उसकी मोटी भरी हुई गांड को नोचते, कभी उसके स्तनों को! ऋतु बेकाबू होती जा रही थी, उसने खुद को पीछे करते हुए मेरे मुँह में अपनी चूत को जोर जोर से रगड़ना चालू कर दिया.
इसी दौरान उसका हाथ मेरे लंड पे जा लगा जो लोअर के अंदर ही छटपटा रहा था. ऋतु ने उसे बाहर निकला और सहलाने लगी, धीरे धीरे मेरा लंड फूल के लाल हो गया मानो सारा खून उसी में आ गया हो. ऋतु बोल उठी- उह्ह राज… तुम्हरा लंड तो बहुत बढ़िया है, इसे मेरी चूत में डालो न! और उसे चूसने लगी!
उसके मुँह में लेते ही मेरा लंड ऐसे कड़क हो गया जैसे वियाग्रा की 100 एम जी गोली खा ली हो. ऋतु गपागप लंड चूस रही थी, मैं समझ गया कि अगर ज्यादा देर इसने चूसा तो मेरा माल झड़ जाएगा जो मैं नहीं चाहता था. मैंने ऋतु की चूत में उंगली डाल दी और उसे चूत के ऊपर के दाने को चूसने लगा.
ऋतु सिसकारियाँ लेती हुई बोली- अब चोदोगे भी या बस तड़पाते रहोगे? मैंने उसे नीचे लेटाया और उसके गले, कान, गालों में, गर्दन में, उसके स्तनों में हर जगह चूमना शुरू कर दिया. ऋतु अब पगला चुकी थी, उसने खुद ही मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत में घुसा दिया. लंड जरा सा गया ही था कि उसकी चीख निकल पड़ी- आःह्ह्ह रुको, दर्द हो रहा है, थोड़ा और गीला करो! लेकिन उसकी सुनता कौन? किसी भी महिला की चुदाई में महिला को जितना दर्द होता है, मर्द को उतना ही मजा आता हैं इसका कारण शायद पुरुषों को लगता है कि उसने महिला को दर्द देकर सेक्स में उसे अपनी मर्दानगी दिखा दी है.
खैर जो भी हो… मैंने भी ऋतु को अनसुना किया और झटके से उसकी चूत में डाल दिया! ऋतु नाम की जिस गाड़ी की सवारी मैं कर रहा था, वो पहले से ही राहुल नाम के यात्री को सफ़र करा चुकी थी इसलिए उसे ज्यादा दर्द नहीं हुआ. वो मजे से लंड लेने लगी.
मुझे सेक्स करते हुए डर्टी टॉक करना पसंद है तो मै ऋतु को बोला- मजा आ रहा है जान? ऋतु- हाँ, और करो. अभी तो मैं एक लंड और ले सकती हूँ. मैं- अब लंड कहाँ से लाऊं तेरे लिए? ऋतु- तुझे जरूरत नहीं है, मेरे पास है! इतना कहते ही उसने राहुल को आवाज दी- राहुल? और अगले ही पल राहुल हमारे सामने नंगा खड़ा था.
मेरे पैरों तले जमीन खिसक गयी थी! राहुल को देख मैं घबरा सा गया और खड़ा हो गया. तभी राहुल मेरे पास आकर मेरे लंड को देख कर बोला- वाह, लंड तो बहुत अच्छा है तुम्हारा, तुम डर क्यूँ रहे हो? करो जो कर रहे थे. मुझे अपनी अपनी बीवी को दूसरे से चुदते देखने में ख़ुशी मिलती है, देखने में मजा आता है. मजा दो इसे!
इतना कहते ही राहुल ने मेरा लंड पकड़ लिया और उसके आगे पीछे करने लगा. मेरा लंड फिर से तन गया था. अब ऋतु ने बैठे बैठे ही मेरे लंड को मुँह में डाल दिया और चूसने लगी.
अब राहुल के कहने पर मैंने फिर से ऋतु को लेटा दिया और उसकी चूत में लंड घुसा कर उसकी चुदाई शुरू कर दी. राहुल सामने बैठा ये सब देख रहा था, वो बस मजे ले रहा था. उसकी सेक्सी वाइफ ऋतु किसी और से चुद रही थी और राहुल अपना लंड हिला हिला के मजा ले रहा था.
देखते देखते ही ऋतु मेरे ऊपर आ गई, उसने ऊपर से ही घुड़सवारी शुरू कर दी. मैं उसको नीचे से धक्के लगा रहा था और वो ऊपर से… अब उसकी सिसकारियाँ बढ़ती जा रही थी. तभी राहुल पीछे से आया और उसने ऋतु की गांड को छूना शुरू कर दिया. राहुल ऋतु के बदन को चूम रहा था और ऋतु धक्के लगाते लगाते थक चुकी थी. लिहाजा ऋतु मेरे ऊपर शान्त होकर लेट गयी.
राहुल ने मौका देख मुझे इशारा किया कि मैं ऋतु को कमर से कस कर पकड़ लूँ ताकि वो हिल न सके! मैं जानता था कि राहुल ऋतु की गांड मारना चाहता है और ऋतु को इसमें दर्द होगा. लेकिन मुझे भी यही पसंद है कि लड़की चिल्लाये, उसकी चीखें निकल जायें दर्द में भी और मजे में भी! मैंने ऋतु को कमर से कस लिया और उसकी टांगों को अपनी टांगों से लपेट लिया.
राहुल उसकी गांड में लंड डालने लगा. ऋतु चिल्ला उठी- नहीं राहुल, प्लीज छोड़ो, मुझे दर्द हो रहा है. लेकिन राहुल ने एक नहीं सुनी और लंड को डालता रहा! ऋतु दर्द से छटपटा कर खुद को दो मर्दों के बीच से बचाने की नाकाम कोशिश करने लगी.
जब ऋतु से दर्द बर्दाश्त नहीं हुआ तो वो मेरे कंधे में जोर से नाख़ून से नोचने लगी मगर मैंने उसे छोड़ा नहीं. राहुल के लंड पूरा घुस जाने के बाद भी ऋतु चीख रही थी, बिलबिला रही थी दर्द से, लेकिन हम दोनों पर उसके चीखने चिल्लाने का कोई फर्क नहीं पड़ा.
ऋतु बेहोशी वाली हालात में जा चुकी थी!
कुछ देर में मैंने ऋतु को ढीला छोड़ उसके स्तनों को दबाते हुए धक्के लगाना चालू कर दिया और राहुल भी उपर से ऋतु की गांड पकड़ कर उसकी चुदाई करने लगा अब ऋतु की चूत और गांड दो मोटे मोटे लंड जा रहे थे. उसे दर्द और मजा दोनों मिल रहा था! ऋतु की सिसकारियाँ बढ़ती चली गयी. अब ऋतु ने मस्ती में बड़बड़ाना चालू कर दिया- ऊफ्फ आह्ह्हा उम्म्ह… अहह… हय… याह… और चोदो सालो… फाड़ दो मेरी चूत गांड… मेरे बूब्स दबाओ… फ़क मी हार्ड… यस ऊह्ह्ह! राहुल उसकी गांड में और मैं उसके स्तनों को जोर जोर से थप्पड़ मार रहे थे और उसके साथ ही धक्के भी मार रहे थे.
एक बार धक्का राहुल मारता, दूसरा मैं और हर धक्के का मजा ऋतु ले रही थी, शायद जितना दर्द उसने सहा था उसका सात गुना ज्यादा मजा भी वही ले रही थी!
आप उसके आनन्द की सीमा का अंदाज़ा लगा सकते हैं… अन्तर्वासना पढ़ने वाली सभी महिला खुद अनुभव करे कि जब वो चरम पर होती हैं तो उन्हें कितना मजा आता है, वो भी सिर्फ एक ही लंड से… अगर उसी समय दूसरा लंड भी आपको मिल जाये तो चरम पर पहुँचने से पहले आपकी हालात क्या होगी, शायद उस समय उससे बेहतर कुछ नहीं होगा. ऐसा ही कुछ मर्दों को भी एहसास होना चाहिए कि जब उनकी बीवी चरम पर होती हैं तो उन्हें मस्ती में झूमते देख कितना सुकून मिलता है, यही सुकून अगर किसी और के होने से दुगना हो जाये तो बुरा ही क्या है! लेकिन ये सब किसी भरोसेमंद स्त्री/ पुरुष के साथ ही करें और जो पति पत्नी एक दूसरे पर पूरा यकीन करते हैं, वही थ्रीसम और स्वेपिंग को करें. यदि आपका एक दूसरे पर यकीन ही नहीं तो आपका परिवार ही टूट जाता है जो हम नहीं चाहते.
कहानी पर आते हैं: राहुल ने ऋतु के दोनों हाथ पकड़ कर पीछे खींच लिए और जोर जोर से उसकी गांड चुदाई करने लगा. उसके स्तन कड़क हो चुके थे मैंने उन्हें चूसना चालू कर दिया. तभी राहुल का निकल गया, वो हुह्ह हुह्ह करता हुआ बेड में लेट गया.
अब ऋतु और मैं भी चरम पर थे, ऋतु जोर जोर से कमर को हिलाती हुई मेरे लंड को ऐसे गटक रही थी मानो लंड नहीं अंगुली डाली हो! उसकी चूत में मेरा लंड टिकना अब मुश्किल हो गया था, मैं झड़ने ही वाला था कि ऋतु बोल पड़ी- राज फ़क मी फ़ास्ट प्लीज! और इतना कहते कहते वो भी मेरे साथ झड़ गयी और निढाल होकर मेरे ऊपर लेट गयी.
कब नींद आयी, पता नहीं चला, जब आँख खुली तो मैंने देखा कि ऋतु मुझसे चिपकी पड़ी थी और राहुल ऋतु के पीछे से!
उसके बाद से ऋतु मैं और राहुल साल भर तक मजे करते रहे! फिर किसी कारणवश मुझे घर देहरादून लौटना पड़ा. मैं उन दोनों को बहुत याद करता हूँ, ऋतु जितनी सुंदर दिखने में थी, उतनी ही व्यवहार में कुशल थी. राहुल जितना पैसे वाला था, उतना ही साधारण जिन्दगी जीने वाला!
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