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दोस्तो, मेरा नाम रवि वर्मा है, मैं लखनऊ का रहने वाला हूँ. वैसे मैं अपनी इंजिनियरिंग की पढाई के लिए पिछले 2 सालों से दिल्ली में ही हूँ. आज की यह अन्तर्वासना हिंदी सेक्स स्टोरी भी दिल्ली में हुए एक सच्चे और हॉट हादसे की ही है. आज मैं आप को बताऊंगा कि कैसे मैंने दोपहर को एक भाभी को चोदा था वो भी छत के ऊपर!
उस भाभी का नाम कुलवंत कौर था और वो मेरे मकान मालिक बिट्टू सिंह की बहु थी. उसका पति दलेर सिंह काफी सालों से लंदन में था और उस भाभी की हरियाली चूत को सूखा करने के लिए उसे पीछे छोड़ के गया था वो. भाभी कुलवंत के रूप के बारे में बताऊँ तो वो एक 25 साल के करीब की हॉट औरत है. उसके फिगर का नाप कुछ 32-30-34 का होगा. उसकी गांड देखने से बनती है और आँखें भी शराब की प्याली के जैसी हैं उसकी.
दलेर सिंह पैसे कमा रहा था लेकिन इस यौवन के प्याले को पीछे छोड़ के गया था मेरे जैसे सेक्स के भूखे के लिए. पहले दिन से ही मेरा दिमाग इस भाभी की चूत के गुलाबजामुन को खाने के लिए मचल रहा था. लेकिन बुड्ढा बिट्टू सिंह ढेर सयाना था, वो जानता था कि दिल्ली में इंजीनियरिंग करने वाले लौंडे कितने खतरनाक होते हैं. वो कभी भी भाभी को मेरे करीब आने नहीं देता था.
और फिर मेरी किस्मत से एक बार इस बूढ़े को टाइफाईड हुआ और उसे अस्पताल में भरती किया गया. भाभी की ननद जो दिल्ली में ही रहती हैं वो यहाँ आ गई. भाभी घर में रह कर घर के काम करती थी और उसकी ननद लाडो हॉस्पिटल में रहती थी बूढ़े के पास. इस बीच में मैं भी चांस मार रहा था भाभी के ऊपर. लेकिन भाभी कम ही बोलती थी.
एक दिन जब वो खाना पका रही थी तो मैं नहाने के लिए बाथरूम में घुसा. जानबूझ के तौलिया मैंने नहीं लिया था और कपड़े भी बाहर सोफे पर ही रख के मैं अन्दर चला गया. कुछ देर तक लंड को साबुन लगा लगा के मैंने खड़ा किया और फिर भाभी को आवाज लगाई- भाभी, प्लीज़ मेरे कपड़े देंगी, मैं भूल गया हूँ.
‘आई, रोटी उतार के…’
एक मिनट में जब वो आई तो मैंने उसके कदमों की आहट महसूस की, मैंने लंड पर दो हाथ और मारे और उसे टाईट किया. भाभी ने बाथरूम के दरवाजे पर कपड़े और तौलिया रखा, और तभी मैं अपना प्लान अमल में लाया, मैंने पाँव फिसलने की एक्टिंग की और दरवाजे पर अपनी आधी बॉडी को धकेल दिया. दरवाजा खुल गया और मैं लड़खड़ाने की एक्टिंग कर रहा था.
कुलवंत भाभी की नजर ना चाहते हुए भी मेरे कसे हुए लंड पर आ गई. वो उसे सब कुछ भूल के देख रही थी.
मैं खड़ा हुआ और भाभी के हाथ से कपड़े लिए और लंड को ढक लिया. भाभी तब होश में आई और हंस पड़ी. मैंने कहा- क्या हुआ? भाभी कुछ नहीं बोली और वो किचन की ओर चली गई.
मैं तौलिया लपेट के ही उसके पीछे चला गया. तौलिये में भी मेरा लंड अपना आकार बनाये हुए था. किचन में भाभी ने मुझे और मेरे कसे हुए लंड को तिरछी नजर से देखा और चुपचाप रोटी सेकने लगी. मेरा लौड़ा बौखला गया था, मेरे सामने भाभी की गांड थी जो नाइटी में एकदम मादक लग रही थी, अन्दर उसने पेंटी नहीं पहनी थी इसलिए गांड की फांक में कपड़ा घुसा हुआ था. अब आप तो जानते ही है कि यह नजारा कितना मादक होता है.
मैं भाभी के पास गया तो वो फट से मेरी और मुड़ गई. मैंने देखा कि उसकी साँसें फूली हुई थी. मैं अपने चेहरे को उसके करीब ले गया तो उसने आँखें बंद कर ली. मैंने अपने दोनों हाथों से उसके चेहरे को पकड़ लिया और अपने होंठों को उसके होंठों पर लगा दिया. भाभी ने मेरे सर को अपनी तरफ खींचा और किस देने लगी, हमारे होंठ एक दूसरे से जुड़ चुके थे और भाभी की साँसों की खुशबू से मेरा लंड और भी टाईट हो गया. वो भाभी के पेट पर चुभा भी होगा.
मैंने हाथ आगे किया और भाभी के पेट पर रख दिया. फिर धीरे धीरे कर के हाथ को बूब्स की तरफ बढ़ा दिया. भाभी की साँसें बढ़ रही थी, उसने मेरे हाथ को पकड़ लिया. मैंने जबरन उसके बूब्स पकड़े और दबा दिए. इस भाभी को लम्बे अरसे से चोदा नहीं गया था तो वो भी बेताब थी.
लेकिन फिर पता नहीं उसे क्या हुआ कि उसने मुझे धक्का दे दिया और वहां से हट गई, वो छत की तरफ गई, मैं भी सीढ़ियाँ चढ़ के ऊपर गया. ऊपर मस्त धूप थी, भाभी सुखाये हुए कपड़े लेने लगी तो मैंने पीछे से उसे पकड़ लिया. भाभी ने कहा- यह गलत है. मैंने कहा- मैं आप को प्यार करता हूँ भाभी, इसमें क्या गलत है? “मैं शादीशुदा हूँ.” “लेकिन आप अकेली भी हैं और मुझसे यह देखा नहीं जाता है.” “कहीं कुछ अनर्थ हो गया तो?” “मैं अन्दर नहीं निकालूँगा आप के, फिर तो कुछ नहीं होगा न!” “नहीं नहीं, यह गलत है.”
“मेरी आँखों में आँखें डाल के कहिये कि आप मुझसे प्यार नहीं करती, आप मेरे साथ ख़ुशी के दो चार पल बांटना नहीं चाहती?” मैंने फ़िल्मी स्टाइल में डायलोग बोल दिया.
और साला यह डायलोग काम कर गया. भाभी ने मुझे गले से लगा लिया और मैंने उसकी गांड पर हाथ रख दिया. मैं धीरे से उसकी नाइटी को हटा के गांड की फांक को खोलने लगा था. भाभी ने कहा- आह्ह्ह ह्ह्ह्हह मैंने कहा- डार्लिंग मुझे पता है कि तुझे बहुत टाइम से चोदा नहीं गया है. लेकिन आज तेरे सब ख्वाब पूरे कर दूंगा. “जल्दी करो, मेरी ननद आ जाए उसके पहले.”
मैं जान गया कि भाभी को जल्दी ही चोदना पड़ेगा क्यूंकि उसकी ननद के आने का वक्त हो चला था…
भाभी ने अपने हाथ से अपनी नाईटी को ऊपर किया. धूप सख्त थी इसलिए हम दीवार के करीब आ गए. फिर मैंने भाभी की झांट से भरी चूत को टच किया. भाभी के मुख से सिसकारी निकल पड़ी. मैंने अपने लंड को तौलिये को हटा के आजाद कर दिया. भाभी ने अपने हाथ को आगे कर के लंड को पकड़ा और बोली- बहुत बड़ा है तुम्हारा तो, कितनों को चोदा हैं इससे? मैंने झूठ बोलते हुए कहा- बस आप से पहले एक को ही चोदा है, जिसे मैं प्यार करता था!
भाभी हंस पड़ी और मैंने अपने लंड को चूत के छेद पर लगा दिया. दोपहर की गर्मी के बीच में जब मैंने अपना लंड भाभी की चूत में रगड़ा तो हम दोनों ही पसीने से नहा रहे थे. भाभी को मैंने वहीं छत पर चोदा और वादे के मुताबिक़ माल चूत में नहीं निकाला.
फिर हम दोनों नीचे आ गए और मैं फिर से नहाने चला गया.
भाभी की ननंद आ गई और टिफिन लेकर वापिस चली गई. तब मैंने एक बार फिर से भाभी को चोदा.
भाभी की चुदाई का सिलसिला जो उस दिन से शुरू हुआ है, आज तक चालू है. जब भी चांस मिले और बूढ़ा रुकावट न डाले तो मैं भाभी को चोदता हूँ. वो भी खुश है और मैं भी!
मेरी अन्तर्वासना हिन्दी स्टोरी कैसी लगी, मुझे मेल करें! [email protected]
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