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अब तक की इस अन्तर्वासना हिंदी सेक्स स्टोरी में आपने पढ़ा कि गुलशन ने अपनी बेटी सुमन के मम्मों पर खूब हाथ फेर लिया था और उसको नींद में ही अपना लंड भी चुसवा दिया था. इसके बाद सुमन ने गुलशन से अपने बाथरूम के लॉक को बदलवाने के लिए बोला तो गुलशन ने उस लॉक को निकाल कर दूसरा लॉक लगवाने की बात कह दी. अब बाथरूम के दरवाजे से लॉक निकल जाने से उस छेद से बाथरूम के अन्दर का सीन दिखने लगा था. अब आगे..
सुमन बिस्तर से उठ कर नीचे आई और बाथरूम के दरवाजे को करीब से जाकर देखने लगी.
गुलशन- अब ये सुस्ती छोड़ और तू जल्दी से नहा कर फ्रेश हो जा. सुमन- पापा ये लॉक खुल जाने से इसमें तो 2 होल हो गए हैं, अब तो अन्दर का दिखेगा. गुलशन- अरे तो यहाँ कौन आ रहा है. तू कमरे का दरवाजा बंद करके नहा ले.
गुलशन जी की बात सुनकर सुमन के दिमाग़ में अचानक एक आइडिया आया.
सुमन- नहीं पापा, अभी नहीं, बाद में नहा लूँगी.. अभी बस मुँह धोकर नाश्ता कर लेती हूँ, फिर आराम से नहा लूँगी. गुलशन- अच्छा जैसी तेरी मर्ज़ी.. चल जल्दी आ जाना, मैं बाहर जा रहा हूँ.
गुलशन जी के दिमाग़ में अभी भी कोई विचार नहीं आया था. वो बाहर जाकर वापस कुर्सी पे बैठ गए. सुमन जल्दी बाहर आ गई उसके बाद नाश्ता किया और अपनी माँ का हाथ बंटाने लगी. हेमा- आप बैठे रहोगे क्या.. जाओ जल्दी अपना काम निपटा कर आ जाओ, फिर मुझे जाना भी है. सुमन अकेली रहेगी क्या? गुलशन- अच्छा जाता हूँ.. चैन से बैठने भी नहीं देती और हाँ तुम निकल जाना, मैं एक घंटे में आ जाऊंगा. सुमन- पापा आप जल्दी ही आ जाना ओके. हेमा- हाँ आ जाएँगे और तू दरवाजा अन्दर से लॉक कर लेना, तेरे पापा के पास चाभी है, वो खोलकर आ जाएँगे. हेमा ने थोड़ा ज्ञान दिया, फिर अपने काम में लग गई और गुलशन जी वहां से निकल गए.
गुलशन जी सीधे दुकान गए, वहां अपना काम निपटा कर वो अनिता के पास चले गए.
अनिता- क्या बात है.. आज इतनी सुबह आप यहाँ.. वो भी सनडे के दिन? सब ठीक तो है ना..! गुलशन- ठीक ही तो नहीं है.. दो दिन से तड़प रहा था.. सोचा आज सुबह-सुबह तेरी चुदाई कर आता हूँ. अनिता- हा हा हा हा आपका तो आज पोपट बन गया हा हा हा… आपका केएलपीडी हो गया है. गुलशन- अरे क्या हुआ.. दाँत निकल रही है.. कुछ बता भी मुझे? अनिता- मेरे प्यारे पापा, रेड सिग्नल है आज.. अब मुझे एक हफ्ते तक भूल जाओ. गुलशन- धत तेरी चुत की.. साली क्या आज ही तुझे महीने से होना था.. सोचा था आज तेरी जमकर चुदाई करूँगा मगर सब चौपट हो गया. अब तू मुँह से भी रस नहीं निकालने वाली.. तेरे नखरे भी बहुत हैं.
अनिता- आपको तो पता है मुझे जब पीरियड आते है तो बहुत ज़्यादा आते हैं.. जिससे मेरी हालत खराब हो जाती है. किसी चीज में मन नहीं लगता तो चूसना.. चुदवाना बहुत दूर की बात है. गुलशन- भाड़ में जाओ तुम.. मूड खराब कर दिया सारा.. मैं चलता हूँ. अनिता- अरे रूको आए हो तो चाय पीते जाओ. गुलशन- नहीं.. घर से नाश्ता करके आया हूँ, बाजार में थोड़ा काम है. तेरे पास फिर कभी आता हूँ ओके..!
गुलशन जी वहां से निकल गए और लॉक लेने बाजार चले गए.
दोस्तो ये बाजार से घर जाएं तब तक आपको कुछ और दिखा देती हूँ. गोपाल घर आ गया होगा, वहां भी कच्ची कली आई हुई है.. तो देखो आज मोना क्या गेम खेलती है.
नीतू को जल्दी उठने की आदत थी तो वो जल्दी उठ गई थी और उसे मोना ने टाइम बता दिया था कि गोपाल कब आता है, उसी हिसाब से उसने चाय बना दी.
गोपाल घर में आया, तब तक उसे नीतू का पता नहीं था. उसने बैग रखा और कुर्सी पे बैठ कर मोना को आवाज़ लगाई- मोना कहाँ हो यार.. आज तो मेरी हालत खराब हो गई. आवाज़ सुनकर नीतू चाय लेकर बाहर आई, जिसे देख कर गोपाल चौंक गया.
नीतू- ये लीजिए गर्म चाय.. इससे आपकी सारी थकान गायब हो जाएगी. गोपाल- तुम कौन हो और यहाँ कैसे आई? मोना- साली है ये तुम्हारी.. नीतू नाम है इसका.. और आज से ये यहीं हमारे साथ रहेगी.
इतना बोलकर मोना गोपाल के पास आई और वहां खड़ी-खड़ी मुस्कुराने लगी.
गोपाल सवालिया नज़रों से मोना को देखने लगा कि साली कहाँ से पैदा हो गई. वो कुछ पूछता तभी मोना फिर बोली- नीतू, तू किचन की सफ़ाई कर और आप कमरे में चलो, मुझे कुछ बात करनी है.
गोपाल तो किसी बच्चे की तरह मोना के पीछे कमरे में चला गया. मोना ने कमरे को लॉक किया और गोपाल से लिपट गई.
मोना- आज मैं बहुत खुश हूँ गोपाल, जैसी लड़की मुझे चाहिए थी, वैसी मिल गई. गोपाल- मगर ये है कौन और तुम्हारी बहन कैसे.. कुछ समझ नहीं आ रहा? मोना ने गोपाल को समझाया कि ये काम वाली है. उसकी फ्रेंड ने लाकर दी है और वो उसे अपनी छोटी बहन बना चुकी है. गोपाल- अच्छा ये बात है, मगर तुम्हें ये कुछ ज्यादा छोटी नहीं लगती? मोना- अरे मैं कौन सा इससे ज़्यादा काम करवाया करूँगी. बस थोड़ी हेल्प मिल जाएगी, यही बहुत है और सबसे खास बात इसकी जो है, वो तुम्हें पता लगेगी तो तुम्हारा दिल खुश हो जाएगा. गोपाल- अच्छा ऐसी क्या बात है बताओ तो? मोना- अभी नहीं पहले तुम मुँह हाथ धोकर आओ.
गोपाल कुछ कहना चाहता था मगर मोना ने उसको बाथरूम की तरफ़ धकेल दिया और बोली कि बाकी बातें बाद में करूँगी. गोपाल फ्रेश हो गया और उसने टी-शर्ट और पजामा पहन लिया. घर आने के बाद वो अंडरवियर नहीं पहनता था. अब मोना ने अपना खेल खेलना शुरू किया.
मोना- तुम्हें पता है, ये नीतू हाथ-पैर इतने अच्छे से दबाती है.. पूछो मत. गोपाल- अच्छा तुम्हें इस बात का कैसे पता है? मोना- अरे रात को मैंने दबवाए थे उससे.. अभी तुम्हारे दबवाती हूँ, फिर देखना. गोपाल- अरे नहीं मुझे नहीं दबवाने! मोना- जान मैं बोल रही हूँ ना.. चलो तुम चुपचाप लेट जाओ. उसके बाद नीतू का कमाल देखना ओके..!
मोना ने नीतू को अन्दर बुला लिया और गोपाल के पैर दबाने को कहा. अब नीतू बेचारी क्या जाने कि मोना की क्या चाल है. वो ख़ुशी से शुरू हो गई और जैसा कि सुधीर ने बताया था कि कच्ची कली गोपाल की कमजोरी है. नीतू का हाथ लगते ही गोपाल के जिस्म में खून का दौरा तेज हो गया.
मोना- नीतू अच्छे से दबाना, तब तक मैं नहा कर आती हूँ और गोपाल जब तक मैं नहीं आ जाऊं.. इसे मना मत करना ओके..! नीतू- आप जाओ दीदी, अगर जीजू मना भी करेंगे ना, तो भी मैं नहीं जाऊंगी. गोपाल- क्या बात है सीधे जीजू..! ये अच्छा है.. चल मेरी साली दिखा अपना जादू.. मैं भी तो देखूँ.. तेरी दीदी सही कह रही है या नहीं?
नीतू शुरू हो गई और जैसे मोना ने उसको सिखाया था, वो नीचे से शुरू हुई और जाँघ पर आकर दबाने लगी.
गोपाल का लंड तन गया. अब उसका पजामा ऊपर उठ गया. गोपाल ने सोचा नीतू देख ना ले, मगर फिर उसने सोचा कि ऐसी कली का हाथ एक बार लंड को लग जाए तो मज़ा आ जाएगा और वैसे भी ये छोटी है, सो कुछ समझ भी नहीं पाएगी. गोपाल- आह.. साली जी सच में जादू है तेरे हाथों में, उफ्फ थोड़ा ऊपर दबा.. वहां ज़्यादा दर्द हो रहा है.
नीतू के दोनों हाथ दोनों जाँघों पर रखकर वो मालिश करवाने लगा. अब जैसे उसके हाथ ऊपर जाते तो उंगली लंड को टच हो जाती और गोपाल सिहर जाता.
मोना नहाने के बहाने गई थी मगर वो छुप कर ये नजारा देख रही थी. मोना मन हि मन बोल रही थी ‘ओह गोपाल तुम तो बहुत जल्दी गर्म हो गए. अब लंड उसके हाथ में दे दो.. और इससे लंड की भी मालिश करवा लो.’
गोपाल- आह.. ऐसे ही दबा.. गुड, अच्छा लग रहा है.. हाँ ऐसे ही.. थोड़ा ऊपर बस थोड़ा सा.. और ऊपर कर नीतू..!
अब गोपाल आउट ऑफ कंट्रोल हो गया था. वो भूल गया था कि मोना बाथरूम में है और ये लड़की उसकी बीवी नहीं काम वाली है. वो ऊपर-ऊपर करके नीतू से लंड दबवाना चाहता था मगर नीतू की समझ में नहीं आ रहा था. वो बस जाँघों को ही दबा रही थी.
गोपाल- उफ्फ नीतू तू जरा जोर-जोर से रगड़ ना..! नीतू ने फूले हुए लंड को देखा फिर वो मुस्कुरा दी. गोपाल- क्या हुआ.. तू ऊपर क्यों नहीं करती और ये हंस क्यों रही है?
नीतू कुछ बोले उसके पहले मोना की आवाज़ दोनों को सुनाई दी, जिसे सुनकर गोपाल होश में आया और जल्दी से नीतू का हाथ हटा दिया. मोना- नीतू में टॉवल लाना भूल गई हूँ. वो सामने टेबल पर है, देना तो मुझे.
नीतू जल्दी से उठी और टॉवल मोना को दे दिया. उस वक़्त तक मोना नहाई नहीं थी. बस गोपाल और नीतू को देख रही थी. जब उसे लगा गोपाल बहुत ज़्यादा गर्म हो गया है, तब उसने नीतू को आवाज़ लगाई थी.
टॉवल लेने के साथ मोना ने नीतू को काम भी बता दिया कि वो बाहर झाड़ू लगा दे. बस फिर क्या नीतू वहां से चली गई और गोपाल खड़ा लंड लिए वहीं पड़ा रहा. थोड़ी देर बाद जब मोना नहा कर आई तो गोपाल उसे खा जाने वाली नज़रों से देख रहा था.
मोना- क्या हुआ ऐसे क्या घूर रहे हो.. मुझे क्या इरादा है? गोपाल- डार्लिंग, इरादा तो तेरी चुत चाटने का है और जमकर तेरी चुदाई करना है. मोना- नहीं आज कुछ नहीं, नीतू बाहर है.. आज उसका पहला दिन है. मैं नहीं चाहती उस बच्ची पर कोई बुरा असर पड़े. गोपाल- अरे यार ये क्या बात हुई. उसे काम करने के लिए रखा है या मेरा काम रोकने के लिए.. ये ग़लत है यार..! मोना- अरे ऐसे तो आते ही सो जाते हो. आज क्या हो गया जो सुबह-सुबह लंड खड़ा करके मेरे पीछे पड़े हो हाँ..!
मोना ने ये बात गुस्से में कही, जिससे गोपाल झेंप गया और अपनी चोरी पकड़ी जाने के डर से उसने बात को घुमा दिया.
गोपाल- अरे रोज थका हुआ आता हूँ तो सो जाता हूँ आज नीतू ने कमाल कर दिया. ऐसे पैर दबाए कि मेरी सारी थकान निकल गई. मोना- अच्छा ये बात है.. चलो अभी सो जाओ दोपहर को इच्छा पूरी कर लेना. मैं अभी-अभी नहाई हूँ.. दोबारा मुझे गंदा नहीं होना. गोपाल- अरे इसमें गंदा क्या होना हाँ..? मोना- बोला ना आज मुझे घर की सुखशान्ति के लिए पूजा करनी है.. तुम सोते हो या तुम्हें करने को कोई काम बताऊं.
मेरे प्यारे साथियो, आप मुझे मेरी इस हिन्दी सेक्स स्टोरी पर कमेंट्स कर सकते हैं.. पर आपसे एक इल्तिजा है कि आप लेखिका पर अश्लील कमेंट्स मत करें. [email protected]
अन्तर्वासना हिंदी सेक्स स्टोरी जारी है.
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