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दोस्तो.. सभी आंटियों को मेरा प्यार भरा नमस्कार. यह मेरी पहली हिंदी सेक्स कहानी है आंटी के साथ सेक्स की. अगर मुझसे कोई ग़लती हो, तो मुझे माफ़ करना.
मेरा नाम क्षितिज है, मैं दुर्ग, छत्तीसगढ़ का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 26 साल की है. मैं अपने औज़ार के बारे में बता दूँ कि मेरा औज़ार 7 इंच लंबा और खीरा जितना मोटा है.
मेरा एक दोस्त है, उसकी मम्मी वकील हैं. थोड़ा उनके बारे में भी बता देता हूँ. आंटी की उम्र करीब 39-40 साल की होगी. आंटी एकदम गोरी गदराई और भरे हुए शरीर की हैं. उन्हें जो भी देखता है उसका लंड खड़ा हो ही जाता है. आंटी का नाम गायत्री है.
उनके परिवार का हमारे परिवार से अच्छा मेलजोल है. जब भी मैं उन्हें देखता हूँ.. तो मेरा ईमान डोल जाता है और लंड खड़ा हो जाता है. मैं उनके नाम की मुठ मार लेता हूँ.
एक दिन मैं आंटी के घर गया, वो उस समय अकेली थीं और घर का काम कर रही थीं. इस वक्त वो नीले रंग की मैक्सी पहने हुई थीं. मैं उनके पास जाकर सोफे पर बैठ गया. फिर आंटी थोड़े देर बाद कुछ नाश्ता लेकर आईं. मैं तो उनके उफनते दूध को देख के पागल हो रहा था. शायद आंटी ने ये बात गौर कर ली थी.
मेरा उन्हें चोदने का मन हो रहा था लेकिन क्या करता, मैं डर भी रहा था. फिर मैंने आंटी से कहा- मैं बाथरूम से आता हूँ. मेरा तना हुआ लंड आंटी ने देख लिया था. मैं उनके बाथरूम में गया और उनके नाम की मुठ मार कर वापस आकर बैठ गया.
आंटी ने कहा कि कल उन्हें काम के सिलसिले से नागपुर जाना है. मैंने सर हिलाया कर उनकी बात को सुना. फिर उन्होंने कहा कि क्या मैं उनके साथ चल सकता हूँ? मैंने कहा- आंटी, आपको एक बार मेरी मम्मी से पूछना होगा. आंटी ने कहा- मैं तेरी मम्मी से पूछ लूँगी.
आंटी ने तुरंत मेरी मम्मी को फोन किया और मम्मी मान गईं.
अगले दिन मैं आंटी के घर अपना बैग लेकर पहुँच गया. आंटी भी तैयार थीं, वो काले कलर की साड़ी पहने हुई थीं. उन्होंने एक कातिलाना अंदाज़ से मेरी तरफ देखा, मेरा लंड फिर खड़ा हो गया.
फिर उनकी कार मैंने निकाली और हम नागपुर के लिए चल पड़े. मुझे स्मोकिंग का शौक है.. मैंने अपनी जेब से सिगरेट का पैकेट निकाला और सामने रख दिया.
आंटी ने कहा- तुम सिगरेट भी पीते हो? मैंने ‘हाँ’ में जवाब देते हुए कहा ड्रिंक भी करता हूँ. वो मुस्कुरा दी.
मैंने अपनी सिगरेट जलाई और कार चलाने लगा. आंटी भी मेरी तरफ देख कर अंगड़ाई लेने लगीं. अब मैं बार-बार किसी बहाने से आंटी के दूध को देख रहा था. एक बार तो मेरा मन किया कि कार को वहीं रोकूं और आंटी को कार में ही चोद दूँ. लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया.
अबकी बार मेरा लंड खड़ा था, मैंने हिम्मत करके अपना एक हाथ आंटी की जाँघों के ऊपर रख दिया लेकिन आंटी ने कुछ नहीं कहा.. बल्कि आंटी मुस्कुरा दीं. इससे मुझे समझ आ गया कि सिग्नल ग्रीन है. अब हम नागपुर पहुँच गए थे. हमने इधर कई होटल देखे, लेकिन कोई खाली नहीं था. बहुत देर बाद एक होटल में हमें रूम मिला.
हम लोग थोड़ा थक गए थे. मैंने रूम सर्विस को कॉल लगाया और उसे ड्रिंक लाने को कहा. आंटी बोलीं- मैं थोड़ा फ्रेश होकर आती हूँ.
ड्रिंक के साथ ही मैंने खाने का भी ऑर्डर दे दिया. मेरा ड्रिंक आ गया और मैं ड्रिंक करते हुए स्मोक करने लगा. तभी आंटी फ्रेश होकर आ गईं. वो इस वक्त एक मैक्सी पहने हुई थीं, जिसमें से अन्दर की ब्रा और पैंटी के साथ सब कुछ साफ़ दिख रहा था. मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. ड्रिंक से मुझे नशा सा होने लगा था.
आंटी ने भी ड्रिंक ले ली और खाना खा लिया था. मैंने उन्हें सिगरेट के लिए पूछा तो उन्होंने एक सिगरेट सुलगा ली.
अब वो मुझसे पूछने लगीं- क्या तुम रोज़ ड्रिंक करते हो? तो मैंने धुंआ उड़ाते हुए कहा- नहीं आंटी, कभी-कभी करता हूँ. आंटी कश खींचते हुए मुस्कुरा दीं.
मैं लंड सहलाने लगा. आंटी मेरे खड़े लंड को देखने लगीं. मेरे लंड का बुरा हाल हो रहा था. मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने ज़ोर से आंटी के दूध दबा दिए. आंटी थोड़ा हड़बड़ा गईं और बोलीं- ये क्या कर रहे हो? मैंने आंटी से कहा- आंटी जब से मैं आपको देखता आ रहा, तब से आपको चोदने का मन कर रहा है. यह कहते हुए उसी समय मैंने आंटी की पैंटी के अन्दर डाल दिया.
आंटी ने हंस कर कहा- अगर ऐसा था तो पहले क्यों नहीं बोला? मैंने देखा कि आंटी भी जोश में आ गई थीं. मैंने और आंटी ने सिगरेट ट्रे में डाल दी. फिर हमने सारे कपड़े उतार फेंके और करीब 15 मिनट तक एक-दूसरे को चूमते रहे.
जब आंटी ने मेरी चड्डी उतारी तो आंटी हैरान हो कर बोलने लगीं- तेरा लंड कितना बड़ा और मोटा है रे.. उन्होंने मेरे लंड को मुँह में ले लिया और चूसने लगीं. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मैं एक हाथ से आंटी के दूध को दबा रहा था.
कुछ पल लंड चूसने के बाद आंटी ने कहा- अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है.. तू अपना लंड मेरी चुत में डाल दे. फिर मैंने आंटी के दोनों पैरों को फैलाया और अपना लंड आंटी की चुत में डाल दिया. एकदम से लंड पेलने से आंटी को दर्द होने लगा. आंटी चिल्लाईं- निकाल बाहर इसे.. लेकिन मैंने उनकी एक बात ना सुनी और दूसरे धक्के में पूरा लंड अन्दर डाल दिया.
फिर ऐसे ही धीरे-धीरे मैंने आंटी को चोदना चालू किया. जब आंटी का दर्द कम हुआ, तब मैंने अपनी रफ़्तार दिखाई. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. हमने करीब 20 मिनट तक चुदाई की. इतनी देर में आंटी दो बार झड़ चुकी थीं. अब मुझे ऐसा लगा कि मेरा रस निकलने वाला है. मैंने आंटी को बोला, तो आंटी ने कहा- अन्दर ही निकाल दे.
फिर करीब 10-15 झटकों के बाद मैं भी उनकी चुत में झड़ गया और उनके ऊपर ही लेट गया.
कब हमें नींद आ गई.. पता ही नहीं चला. अगले दिन सुबह उठा तो आंटी बगल में ही लेटी हुई थीं. मैं आंटी के दूध से खेलने लगा, आंटी की नींद खुली तो उस समय मैं आंटी के दूध पी रहा था. आंटी ने मुझे चूमते हुए कहा- कल रात को मुझको बहुत मज़ा आया.
मेरा तो लंड खड़ा ही था और वैसे ही मैंने अपने लंड को फिर से आंटी की चुत में डाल दिया और उन्हें चोदने लगा. उस दिन हमने दिन भर चुदाई की.
दोस्तो, मैं आशा करता हूँ कि आपको मेरी आंटी के साथ सेक्स कहानी पसंद आई होगी. प्लीज़ मुझे मेल कीजिए. [email protected]
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