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देसी कहानी के सभी पाठक पाठिकाओं, लेखक, लेखिकाओं को देव कुमार का नमस्कार. आप सभी कैसे है?
मैं देव कुमार जयपुर राजस्थान से इस कामुक सेक्सी कहानियो के पटल पर सभी का अभिनन्दन, स्वागत, आभार व्यक्त करता हु की आप लोग इन सभी कहानियो को पढ़कर वापिस मेल के जरिये जबाब देकर हमे प्रोत्साहित करते हो. इस प्रोत्साहन से प्रेरित होकर सभी लेखक और लेखिकाएं आपके मनोरंजन की लिए निरंतर नयी नयी कामुक कहानिया लिखते है.
दोस्तों क्या आपने सोचा है की एक बार चुदाई करने और करवाने के बाद चुदाई का मौका न मिले तो कैसा महसूस होता है?
इन लंड चुत का संगम भी क्या संगम है जब होता है तो दरिया बन के बहता है.
मैं लड़कियों, भाभियो, आंटियों मतलब सभी चुत की देवियो की चुत और गांड का गुलाम एक आंटी की चुदाई की कहानी सुनाने जा रहा हु, सभी लंड धरी भाई अपने लंड को पकड़ कर मुठ मारे और चुत हो तो उसका बाजा बजाये.
और सभी चुत की देविया अपनी चुत में खीरा, बैंगन, लौकी, ककड़ी, गाजर,मूली जो भी मिले, डालकर मेरी इस कहानी का आनंद ले और अपने सुझाव, मत मेल के जरिये भेज कर अपने लंड ,चुत से मुझे दुवाये दे की मुझे ऐसे ही नयी नयी चुत और चूतड़ चोदने को मिलते रहे और मैं अपना अनुभव आपको सुनाता रहु.
दोस्तों मैं हायर एजुकेशन के लिए रूम रेंट पर लेकर रहता था.
ऑन्टी जिनके यहाँ मैंने रूम किराये पर लिया था उनका नाम टीना था.
टीना ऑन्टी के पति आउट ऑफ़ इंडिया बिज़नेस करते थे. ऑन्टी अपने 2 बच्चों के साथ रहती थी.उनके बचे भी 15 साल और 18 साल के थे.
ऑन्टी के हुस्न की बात करे तो भगवान ने उनके एक एक अंग को बड़े ही ढंग से बनाया था गोरा बदन, बड़े बड़े चुके 38 की साइज के, 36 साइज की गांड और कमर 34. 2 बच्चो की माँ होने के बाद भी देखने में बड़ी ही कामुक लगती थी. ऐसा लगता था की कोई नयी नवली दुल्हन हो.अपने शरीर को बड़ा ही मेन्टेन कर रखा था.
टीना ऑन्टी और उनके बच्चो के साथ समय के साथ मेरा अच्छा संबंद बोले तो व्यव्हार हो गया था. मैं ऑन्टी के नाम से कई बार बाथरूम में और मेरे रूम में मुठ मारा करता था. नयी जगह होने के कारण और उच्च शिक्षा के कारण मैंने बाहर भी कोई लड़की को नहीं पटाया था.
ऐसे ही एक साल गुजर गया.अगले साल ऑन्टी के दोनों बच्चे भी CA और MBA के लिए अहमदाबाद चले गए.
अब घर में ऑन्टी अकेली रह गयी थी. धीरे धीरे ऐसे ही दिन कटते रहे, मेरी और आंटी की नजदीकियां भी बढ़ती गयी.
अंकल 1 साल में 1 बार घर आते थे 1 महीने के लिए. दोस्तों एक अकेली औरत अपने आप को कब तक चुदाई से रोक सकती है जब वो घर में अकेली रहती हो बच्चे भी साथ न हो तो.खाली दिमाग शैतान का घर होता है.
धीरे धीरे टीना ऑन्टी मुझसे खुलकर बात करने लगी, कोई गर्ल फ्रेंड है या नहीं.कभी सेक्स किया या नहीं वगैरा.टीना ऑन्टी अपनी चुत में लंड लेने को बैचेन और मैं आंटी को चोदने को बैचेन पर सब कुछ बातो तक ही सिमित रह जाता था.
दोस्तों चुदाई की आग दोनों तरफ लगी पड़ी थी पर वो कहते है ना की शुरआत कौन करे दोनों की गांड फटती थी.
तो दोस्तों अब घर में सिर्फ मैं और टीना आंटी ही रहते थे,तो जो भी काम होता आंटी मुझे ही बोलती थी. बाजार जा कर आना होता या और कोई सामान लाना होता तो वह सब मुझे ही बोलती थी.
मैं धीरे-धीरे आंटी की और बहुत ज्यादा आकर्षित होने लग गया था,जब वह मेरे साथ बाइक पर बैठकर कही जाती तो उन के चुचो का स्पर्श, आह क्या बताऊं दोस्तो अपने आप पर काबू करना मुश्किल हो जाता था, घर आते ही बाथरूम में जाकर लंड को हिलना पड़ता था.
ऐसे ही थोड़े दिन में आंटी भी मेरी ओर आकर्षित होने लग गई है. एक बाजार से वापिस आते टाइम पर आंटी ने बाइक को एक ठेके पर रोकने के लिए बोला, और वो ठेके पर चली गई.
वहां से उन्होंने दो दारू की बोतल और दो बीयर की बोतल खरीदी पास में ही एक अंडे वाले से कुछ अंडे लिए, और वापिस बाइक पर आकर बैठ गई.
मैंने आंटी से पूछा आंटी आप ड्रिंक करती हो?
टीना ऑन्टी- क्यों नहीं कर सकती क्या ? तुम मर्द लोग ही पी सकते हो हम क्यों नहीं?
मैं- सॉरी ऑन्टी मेरा मतलब ये नहीं था, मैंने आपको पहले ऐसे ड्रिंक के साथ नहीं देखा तो पूछ लिया?
ऑन्टी- ओके, चलो यार, कभी कभी अपनी तन्हाई को दूर करने के लिए पी लेती हु? क्या तुम ड्रिंक करोगे मेरे साथ?
मैं – नेकी और पूछ पूछ. आप पिलाओगी तो क्या नहीं?
ऐसे बात करते करते हम दोनों घर पहुंच गए लेकिन आज मैंने नोट किया की बाइक पर ऑन्टी कुछ ज्यादा ही चिपक कर बैठी थी.
और चुके भी कुछ ज्यादा ही मुझसे सट्टा रखे थे. घर आकर मैं अपने रूम में चला गया. और ऑन्टी भी अपने काम में व्यस्त हो गयी. थोड़ी देर बाद ऑन्टी ने आवाज लगायी तो मैं हाल में गया.
वह ऑन्टी ने 2 गिलास और दारू की बॉटल रख राखी थी. ऑन्टी को देखा तो आज मैं देखता ही रहा गया जैसे स्वर्ग से कोई अप्सरा आयी हो.
सफ़ेद रंग का पारदर्शी गाउन, उसमे से चमकता उनका दूधिया बदन, लाल रंग की ब्रा और पैंटी, कुछ पल के लिया मैं स्तब्ध रह गया. जब मुझे ऑन्टी ने मेरा हाथ पकड़ कर हिलाया तब मुझे होश आया. ऑन्टी – क्या हुआ देव कहा खो गए और हसने लगी?
मैं – ऑन्टी आज आप बहुत सुन्दर लग रही हो. ऑन्टी को देखकर मेरा लोडा लोअर में खड़ा हो गया था. मैंने देखा ऑन्टी की नजर भी मेरे लोअर पर है.
मैं जल्दी से सोफे पर बैठ गया और पेग बनाने लग गया. पेग बनाकर चैस किया और दोनों पिने लगे.जल्दी ही हमने २-३ पेग लगाए जिससे नशा सा छाने लगा.
दोस्तों की आंटी बहुत ही सेक्सी लग रही थी, उनकी नजरों में भी मुझे पूरी हवस दिखाई दे रही थी. वह भी कुछ कर गुजरने को बेताब थी वह दारू पीते पीते मेरे पास आकर बैठ गई.
दारू के नशे में मैंने आंटी को पकड़ कर अपनी गोद में खींच लिया, आंटी भी शायद यही चाहती थी वह मेरी गोद में जैसे बैठी तो मेरा लंड उनकी चूतड़ पर जाकर लगा.
आंटी ने मेरे लंड को लोअर के ऊपर से ही पकड़कर बोली, अरे यह क्या चुभ रहा है मेरी गांड में वाओ क्या मस्त लोडा है.
आज तो मैं इसे दारू के साथ पीती हूं तुरंत आंटी ने मेरा लोअर चढ़ी सहित निचे खींचा और मेरे लोड़े लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी. लोड़े पर आंटी दारू डालकर पीने लगी और वह लौड़ा चूस रही थी कि मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं अभी झड़ जाऊंगा.
आंटी लोडा चूसते चूसते अपने दोनों हाथ से चूची दबाने लगी अपनी चुत पर हाथ फेरने लगी और मुझे गालिया देने लगी, कि मादर चोद, हरामखोर, बहन के लोडे, तेरी माँ की चुत, भड़वे. इतने दिन हो गए यहां अकेली औरत के साथ रहते हुए फिर भी कुछ नहीं किया, ले आज मैं तुझे आगे से कह रही हूँ, बना ले मुझे अपनी रंडी ले,सरेआम मुझे चोद, मुझे कुत्तों से चुदवा. गधों से चुदवा. लेकिन मेरी इस चुत और गांड की प्यास बुझा दे. मैं तू जो कहेगा वह करूंगी प्लीज आप मुझे मना मत करना. हे लंड के मालिक इस चुत पर रहम करो.
ऑन्टी के मुँह से ऐसे शब्द सुनकर हैरान हो गया की देखो ये हवस भी क्या चीज है रंडी गुलाम बनने को तैयार है. मैंने ऑन्टी के होटो पर होटो रखे और लिप किश करने लगा.
दोस्तों इस भाग में इतना ही. जल्दी ही मैं अपनी कहानी का दूसरा भाग आप लोगो के सामने पेश करू इसके लिए आप अपने मत और सुझाव मुझे मेल के जरिये भेजिए जिससे मैं अपनी कहानी को ओर रोमांटिक तरीके से आपके सामने पेश कर सकू.
चुत के मूत का प्यासा, सभी चुत की देवियो को प्रणाम. खड़े लंड से सलाम!
आपका देव कुमार!
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